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by Jemsbond
29 Dec 2014 19:32
Forum: Thriller Stories
Topic: चंद्रकांता
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Re: चंद्रकांता

ग्यारहवां बयान कुमार का मिजाज बदल गया। वे बातें जो उनमें पहले थीं अब बिल्कुल न रहीं। मां-बाप की फिक्र, विजयगढ़ का ख्याल, लड़ाई की धुन, तेजसिंह की दोस्ती, चंद्रकान्ता और चपला के मरते ही सब जाती रहीं। किले से ये तीनों बाहर आये, आगे शिवदत्त की गठरी लिए देवीसिंह और उनके पीछे कुमार को बीच में लिए तेजसि...
by Jemsbond
29 Dec 2014 19:31
Forum: Thriller Stories
Topic: चंद्रकांता
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Re: चंद्रकांता

नौवां बयान तेजसिंह पहरे वाले सिपाही की सूरत में किले के दरवाजे पर पहुंचे। कई सिपाहियों ने जो सबेरा हो जाने के सबब जाग उठे थे तेजसिंह की तरफ देखकर कहा, ''जैरामसिंह, तुम कहां चले गये थे? यहां पहरे में गड़बड़ पड़ गया। बद्रीनाथजी ऐयार पहरे की जांच करने आये थे, तुम्हारे कहीं चले जाने का हाल सुनकर बहुत ख...
by Jemsbond
29 Dec 2014 19:31
Forum: Thriller Stories
Topic: चंद्रकांता
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Re: चंद्रकांता

पांचवा बयान 'चंद्रकान्ता को ले जाकर कहां रखा होगा? अच्छे कमरे में या अंधेरी कोठरी में? उसको खाने को क्या दिया होगा और वह बेचारी सिवाय रोने के क्या करती होगी। खाने-पीने की उसे कब सुध होगी। उसका मुंह दु:ख और भय से सूख गया होगा। उसको राजी करने के लिए तंग करते होंगे। कहीं ऐसा न हो कि उसने तंग होकर जान ...