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Shero shayries शेरो शायरी

Posted: 11 Oct 2014 10:04
by raj..
Shero shayries शेरो शायरी

उसके प्यार को मैने जाना नहीं,
मेरी हया को उसने पहचाना नहीं,
बस इसी उधेड़बुन में...
ज़िंदगी ने हमको समझा नहीं !


मेरी आँखों ने उससे बहुत कुछ कहना चाहा,
उसकी नज़रों ने मुझसे बहुत कुछ सुनना चाहा,
लेकिन...खामोशी की बेबस दीवार..
दोनो के दरमियाँ रही !


मैं पल-पल उसकी ओर खींचती गयी,
वो पल-पल मुझसे दूर होता गया..!
वो वीरने में ज़िंदगी ढूँढने निकल पड़ा,
मैं ज़िंदगी में खुद को तलाशती रही..!


बीत गया वक़्त...,
बदल गये सारे नज़ारे ज़ीस्त के,
वो मेरी नज़र-ए-इनायत को तरसता रहा,
मेरा दिल उसे बेवफा समझता रहा...!


बाद बरसों के अचानक...
जो टकराए ज़िंदगी के एक मोड़ पर ..,
था एक ही सवाल दोनों के ज़हन में....


कैसा था ये खेल...जो खेला खुदा ने.....

थे दोनों जब मासूम और बावफ़ा मोहब्बत में....
तो तक़दीर क्यूँ दिलों से दुश्मनी निभाती रही...????

Re: Shero shayries शेरो शायरी

Posted: 11 Oct 2014 10:06
by raj..
पहला पहला प्यार है, पहली पहली बार है
जानके भी अनजाना, कैसा मेरा यार है

उसकी नजर, पलकों की चिलमन से मुझे देखती
उसकी हया, अपनी चाहत का राज खोलती
छूप के करे जो वफा, ऐसा मेरा यार है

वो है निशा, वो ही मेरे जिंदगी की भोर है
उसे है पता, उसके ही हाथों में मेरी डोर है
सारे जहां से जुदा, ऐसा मेरा यार है

Re: Shero shayries शेरो शायरी

Posted: 11 Oct 2014 10:13
by raj..
देख ना ले कोई मेरे बहते आँसू
ये सोच बरसात मे चलता हूं मै
गरमी भर बैठा हूं अपने भीतर
कोयले से कै ज्यादा जलता हूं मै

देखे है जो गम के मौसम इतने
छोटी सी खुशी से मचलता हूं मै
होता था जो कभी चटटान सा ठोस
आज हलकी आंच से पिघलता हूं मै

बनना चाहता था किसिका सहारा
जैसे तैसे आज सम्भलता हूं मै
चांद हँसता है मेरे सर्द चेहरे पे
सूरज से पहले अब ढलता हूं मै