Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Contains all kind of sex novels in Hindi and English.
User avatar
jasmeet
Silver Member
Posts: 593
Joined: 15 Jun 2016 21:01

Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 23 Dec 2016 11:40

CH-16 सहारा

हॉटेलका सुईट जैसे जैसे नजदिक आने लगा, वैसे एक अन्जानी भावनासे अंजलीके दिलकी धडकन तेज होने लगी थी. एक अनामिक डरने मानो उसे घेर लिया था. विवेक भलेही उसके पिछे पिछे चल रहा था लेकिन उसके सासोंकी गति विचलीत हो चुकी थी. अंजलीने सुईटका दरवाजा खोला और अंदर चली गई.

विवेक दरवाजेमेही इधर उधर करता हुवा खडा हो गया.

'' अरे आवोना अंदर आवो '' अंजली उनके बिच बनी, असहजता, एक तणाव दूर करनेका प्रयास करती हुई बोली.

'' बैठो '' अंजली उसे बैठनेका इशारा करती हुई बोली और वही कोनेमें रखा फोन उठानेके लिए उसके पासही बैठ गई.

अंजलीने विवेकके पास रखा हुवा फोन उठानेके लिए हाथ बढाया और बोली, '' क्या लोगे ठंडा या गरम''

फोन उठाते हूए अंजलीके हाथका हल्कासा स्पर्ष विवेकको हुवा था. उसका दिल जोर जोरसे धडकने लगा. अंजलीको भी वह स्पर्श आल्हाददायक और अच्छा लगा था. लेकिन चेहरेपर वैसा कुछ ना बताते हूए उसने ऑर्डर देनेके लिए फोनका क्रेडल उठाया.

फोनका नंबर डायल करनेके लिए अब उसने अपना दुसरा हाथ बढाया. इसबार इस हाथकाभी हल्कासा स्पर्ष विवेकको हुवा. इस बार वह अपने आपको रोक नही सका. उसने अंजलीने आगे बढाया हुवा हाथ हल्केही अपने हाथमें लिया. अंजली उसकी तरफ देखकर शर्माकर मुस्कुराई. उसे वह हाथ उसके हाथसे छुडाकर लेना नही हो रहा था. मानो वह हाथ सुन्न हो गया हो. विवेकने अब वह हाथ कसकर पकडकर उसे खिंचकर अपनी बाहोंमे भर लिया. सबकुछ कैसे तेजीसे घट रहा था और वह सब अंजलीकोभी अच्छा लग रहा था. उसका पुरा बदन गर्म हो गया था और होंठ कांपने लगे थे. विवेकनेभी अपने गर्म और बेकाबू हूए होंठ उसके कांपते होंठोपर रख दिए. अंजलीका एक मन प्रतिकार करनेके लिए कह रहा था. लेकिन दुसरा मन तो विद्रोही होकर सारी मर्यादाए तोडने निकला था. वह उसपर हावी होता जा रहा था और अंजलीकी मानो होशोहवास खोए जैसी स्थिती हो गई थी. विवेकने उसे झटसे अपने मजबुत बाहोंमे उठाकर बगलमें रखे बेडपर लिटाया. उसके उस उठानेमें उसे एक आधार देनेवाली मर्दानी और हक जतानेवाली भावना दिखी इसलिए वह इन्कारभी नही कर सकी. या यू कहिए उसके पास प्रतिकार करनेके लिए कुछ शक्तीही नही बची थी.

उसे उसका वह सवाल याद आगया, '' अंजली मुझसे शादी करोगी ?''

और उसे अपना जवाबभी याद आगया, '' मैने ना थोडीही कहा है ''

उसे अब उसके बाहोमें एक सुरक्षा का अहसास हो रहा था. वहभी अब उसके हर भावनाको उतनीही उत्कटतासे प्रतिसाद दे रही थी.

'' विवेक आय लव्ह यू सो मच'' उसके मुंहसे शब्द बाहर आ गये.

'' आय टू'' विवेक मानो उसके गलेका चुंबन लेते हूए उसके कानमें कह रहा था.

धीरे धीरे उसका मजबुत मर्दानी हाथ उसके नाजूक बदनसे खेलने लगा. और वहभी किसी लतीका की तरह उसको चिपककर अपने भविष्यके आयुष्यका सहारा ढुंढ रही थी.

' हां मैही तुम्हारे आगेके आयूष्य का सहारा ... साथीदार हुं ' इस हकसे अब वह उसके बदनसे एक एक कपडे हटाने लगा था.

' हां मैने भी अब तुम्हे सब कुछ अर्पन कर दिया है .. ' इस विश्वास के साथ समर्पन करके वहभी उसके शरीर से एक एक कपडे हटाने लगी.

अंजली अचानक हडबडाकर निंदसे जाग गई. उसने बेडपर बगलमें देखा तो वहा विवेक निर्वस्त्र अवस्थामें चादर बदनपर ओढे गहरी निंद सो रहा था. लेकिन निंदमेंभी उसका एक हाथ अंजलीके निर्वस्त्र बदनपर था. इतने दिनोंमे रातको अचानक बुरे सपनेसे जगनेके बाद उसे पहली बार उसके हाथका एक बडा सहारा महसूस हुवा था.

User avatar
jasmeet
Silver Member
Posts: 593
Joined: 15 Jun 2016 21:01

Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 28 Dec 2016 12:36

CH-17 कहा गलती हूई ?

अंजली चिंताग्रस्त अवस्थामें अपनी कुर्सीपर बैठी थी. उसके टेबलके सामनेही शरवरी बैठी हूई थी. विवेकके साथ बिताया एक एक पल याद करते हूए पिछले तिन कैसे बित गए अंजलीको कुछ पता ही नही चला था. लेकिन आज उसे चिंता होने लगी थी.

"" आज तिन दिन हो गए ... ना वह चाटींगपर मिल रहा है ना उसकी कोई मेल आई है.'' अंजलीने शरवरीसे चिंताभरे स्वरमें कहा.

एक दिनमें न जाने कितनी बार चॅटींगपर चॅट करनेवाला और एक दिनमें न जाने कितनी मेल्स भेजनेवाला विवेक अब अचानक तिन दिनसे चूप क्यों होगया? सचमुछ वह एक चिंताकी ही बात थी.

"" उसका कोई कॉन्टॅक्ट नंबर तो होगाना ?'' शरवरीने पुछा.

"" हां है... लेकिन वह कॉलेजका नंबर है... लेकिन वहां फोन कर उसके बारेमें पुछना उचीत होगा क्या ?'' अंजलीने कहा.

"" हा वह भी है '' शरवरीने कहा.

"" मुझे चिंता है ... कही वह मेरे बारेमें कुछ गलत सलत सोचकर ना बैठे ... और अगर वैसा है तो पता नही वह मेरे बारेंमे क्या सोच रहा होगा ... '' अंजलीने मानो खुदसेही सवाल किया.

हॉटेलमें जो हुवा वह नही होना चाहिए था ...

उसकी वजहसे शायद वह अपने बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा....

लेकिन जोभी हुवा वह कैसे ... अचानक... दोनोंको कोई मौका दिए बिना हो गया....

मैने उसे हॉटेलमें बुलाना ही नही चाहिए था...

उसे अगर हॉटेलमें नही बुलाया होता तो यह घटना घटी ही नही होती...

अंजलीके दिमागमें पता नही कितने सवाल और उनके जवाब भिड कर रहे थे.

"" मुझे नही लगता की वह तुम्हारे बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा... वह दुसरेही किसी कारणवश तुम्हारे संपर्कमें नही होगा... जैसे किसी महत्वपुर्ण कामके सिलसिलेमें वह किसी बाहर गाव गया होगा....'' शरवरी अंजलीके दिलको समझाने बहलानेकी कोशीश करते हुए बोली.

लेकिन अंदरसे वहभी उतनीही चिंतातूर थी. अंजलीने शरवरीको हॉटेलमें घटीत घटनाके बारेमें विस्तारसे बताया मालूम हो रहा था. वैसे वह उसे अपनी बहुत करीबी दोस्त मानती थी और उससे निजी बातेभी नही छुपाती थी.

"" उसे हॉटेलके अंदर बुलाया नही होता तो शायद यह नौबत नही आती '' अंजलीने कहा.

"" नही नही वैसा कुछ नही होगा... पहले तुम अपने आपको बिना मतलब कोसना बंद करदो... '' शरवरी उसे समझानेकी कोशीश करती हुई बोली.


मोनाने जल्दी जल्दी उसके सामनेसे गुजर रहे आनंदजींको रोका.

""आनंदजी आपने शरवरीको देखा क्या ?'' मोनाने पुछा.

"" हां .. वह उपर विकासके पास बैठी हूई है ... क्यो क्या हुवा ?'' आनंदजीने मोनाका चिंतासे ग्रस्त चेहरा देखकर पुछा.

"" कुछ नही... अंजली मॅमने उसे तुरंत बुलानेके लिए कहा है .. आप उधरही जा रहे हो ना ... तो उसे अंजली मॅमके पास तुरंत भेज देंगे प्लीज... कुछ महत्वपुर्ण काम लगता है '' मोना आनंदजींसे बोली.

"" ठिक है ... मै अभी भेज देता हूं ..'' आनंदजी सिढीयां चढते हूए बोले.


User avatar
jasmeet
Silver Member
Posts: 593
Joined: 15 Jun 2016 21:01

Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 28 Dec 2016 12:37

CH-18 क्या हुवा ?

शरवरीको आनंदजींका मेसेज मिलतेही वह तुरंत अंजलीके कॅबिनमें गई. देखती है तो अंजली हताश, निराश दोनो हाथोंके बिच टेबलपर अपना सर रखकर बैठी थी.

"" अंजली क्या हुवा ?'' अंजलीको उस अवस्थामें बैठी हुई पाकर शरवरीने चिंताभरे स्वरमें, उसके पास जाकर, उसके पिठपर हाथ सहलाते हूए पुछा.

उसने उसे इतना हताश और निराश, और वह भी ऑफीसमें कभी नही देखा था.

ऐसा अचानक क्या हुवा होगा?...

शरवरी सोचने लगी. अंजलीने धीरेसे अपना सर उठाया. उसके हर हरकतमें एक धीमापन और दर्द दुख का अहसास दिख रहा था. उसका चेहराभी उदास दिख रहा था.

हां उसके पिताजी जब अचानक हार्ट अटॅकसे गुजर गए थे तबभी वह ऐसीही दिख रही थी....

धीरेसे अपना चेहरा कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ घुमाते हूए अंजली बोली, "" शरवरी... सब कुछ खतम हो चुका है ''

कॉम्प्यूटरका मॉनीटर शुरुही था. शरवरीने झटसे नजदिक जाकर कॉम्प्यूटरपर क्या चल रहा है यह देखा. उसे मॉनीटरपर विवेककी अंजलीने खोली हूई मेल दिखाई दी. शरवरी वह मेल पढने लगी -

"" मिस अंजली... हाय... वुई हॅड अ नाईस टाईम ... आय रिअली ऍन्जॉइड इट.. खुशीसे और तुम्हारे प्यारकी वर्षावसे भिगे हुए वह पल मैने मेरे दिलमें और मेरे कॅमेरेमें कैद करके रखे है... मै तुम्हारी माफी चाहता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें बंद किये है ... वह पल थे ही ऐसे की मै अपने मोहको रोक नही सका.... तुम्हे झूट तो नही लग रहा है न? .. देखो ... उन पलोंसे एक चुने हूए पलको मैने इस फोटोग्राफके स्वरुपमें तुम्हारे मेलके साथ अटॅच करके भेजा है.... ऐसे बहुतसे पल मैने मेरे कॅमेरेमे और मेरे हृदयमें कैद कर रखे है ... सोचता हूं की उन पलोंको .. इन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश कर दूं .. क्यो कैसी दिमागवाली आयडिया है ? है ना? ... लेकिन यह तुम्हे पसंद नही आएगी ... तुम्हारी अगर इच्छा नही हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे दिलमें दफन करके रख सकता हूं ... लेकिन उसके लिए तुम्हे उसकी एक मामुलीसी किमत अदा करनी पडेगी.... क्या करे हर बात की एक तय किमत होती है ... है की नही ?...कुछ नही बस 50 लाख रुपए... तुम्हारे लिए बहुतही मामुली रकम ... और हां ... पैसेका बंदोबस्त तुरंत होना चाहिए ... पैसे कब कैसे पहुंचाने है ... यह बादमें मेलके द्वारा बताऊंगा ...

मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं .. लेकिन क्या करें कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है ... अगले मेलका इंतजार करना ... और हां ... तुम्हे बता दूं की मुझे पुलिसका बहुत डर लगता है ... और जब मै डरता हूं तब हडबडाहटमें कुछभी अटपटासा करने लगता हूं .... किसीका खुनभी ...

--- तुम्हारा ... सिर्फ तुम्हारा ... विवेक ''

मेल पढकर शरवरीको मानो उसके पैरके निचेसे जमिन खिसक गई हो ऐसा लग रहा था. वह एकदम सुन्न हो गई थी. ऐसाभी हो सकता है, इसपर उसका विश्वासही नही हो रहा था. उसने विवेकके बारेमें क्या सोचा था, और वह क्या निकला था.

'' ओ माय गॉड... ही इज अ बिग फ्रॉड... आय कांट बिलीव्ह इट...'' शरवरीके आश्चर्यसे खुले मुंहसे निकल गया.

शरवरीने मेलके साथ अटॅच कर भेजे फोटोके लिंकपर क्लीक करके देखा. वह अंजलीका और विवेकका हॉटेलके सुईटमें एकदुसरेको बाहों में लिया हुवा नग्न फोटो था.

'' लेकिन उसने यह फोटो, कैसे लिया होगा ?'' शरवरीने अपनी उलझन जाहिर की.

"" मै मुंबईको कब जानेवाली थी ... कहा रुकने वाली थी ... इसकी उसे पहलेसेही पुरी जानकारी थी. '' अंजलीने कहा.

'' यह तो सिधा सिधा ब्लॅकमेलींग है.'' शरवरी गुस्सेसे आवेशमें आकर चिढकर बोली.

'' उसके मासूम चेहरेके पिछे इतना भयानक चेहराभी छिपा हूवा हो सकता है ... मुझे तो अबभी विश्वास नही होता. '' अंजलीने दुखसे कहा.

'' कमसे कम शादीके पहले हमें उसका यह भयानक रुप पता चला... नही तो न जाने क्या हो जाता ...'' शरवरीने कहा.

'' मुझे दुख पैसेका नही ... दुख है तो सिर्फ उसने दिए इतने बडे धोखे और विश्वासघात का है. '' अंजलीने कहा.

'' एक पलके लिए समझ लो की अगर हम उसे 50 लाख रुपए दे देते है... लेकिन पैसे लेनेके बादभी वह फिरसे हमें ब्लॅकमेल नही करेगा इसकी क्या ग्यारंटी? ... '' शरवरीने फिरसे अपने मनमें चल रहा सवाल जाहिर किया.

अंजली चेहरे पर डर लिए सिर्फ उसकी तरफ देखती रही. क्योंकी उसके पासभी इस सवालका कोई जवाब नही था.

"" मुझे लगता है तूम एक बार उसे मेल कर उसका मन परिवर्तीत करनेका प्रयास करो... और अगर फिरभी वह नही मानता है तो ... चिंता मत करो... हम जरुर इसमेंसेभी कुछ रास्ता निकालेंगे. '' शरवरी उसको ढांढस बढाते हूई बोली.


Post Reply