Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

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jasmeet
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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 28 Dec 2016 12:37

CH - 19 सॉलीटेअर


सायबर कॅफेमें लोग अपने अपने क्यूबीकल्समें अपने अपने इंटरनेट सर्फींगमें बिझी थे. कुछ कॉम्प्यूटर्स वही खुले हॉलमें रखे थे, वहांभी कोई कॉम्प्यूटर खाली नही था. की बोर्डके बटन्स दबानेका एक अजिब आवाज एक लय और तालमें सारे कॅफेमें घुम रहा था. सब लोग, कोई चॅटींग, कोई सर्फींग, कोई गेम्स खेलनेमें तो कोई मेल्स भेजनेमें मग्न था. तभी एक आदमी दरवाजेसे अंदर आ गया. वह अंदर आकर जिस तरहसे इधर उधर देख रहा था, कमसे कम उससे वह यहां पर पहली बार आया हो ऐसा लग रहा था. रिसेप्शन काऊंटरपर बैठा स्टाफ मेंबर उसके सामने रखे कॉम्प्यूटरपर ताशका गेम 'सॉलीटेअर' खेल रहा था. उस आदमीकी आहट होतेही उसने झटसे, बडी स्फुर्तीके साथ अपने मॉनिटरपर चल रहा वह गेम मिनीमाईझ किया और आया हुवा आदमी अपना बॉस या उसके घरका कोई आदमी नही है यह ध्यानमें आतेही वह फिरसे वह गेम मॅक्सीमाईज करके खेलने लगा. वह अंदर आया हुवा आदमी कुछ पलके लिए रिसेप्शन काऊंटरके पास मंडराया और रुककर स्टाफको पुछने लगा -

'' विवेक आया क्या ?''

उस स्टाफने भावना विरहित चेहरेसे उसकी तरफ देखकर पुछा -

'' कौन विवेक?''

'' विवेक सरकार ... वह मेरा दोस्त है ..... और उसनेही मुझे यहां बुलाया है ..'' उस आदमीने कहा.

'' अच्छा वह विवेक... नही आज तो वह दिखा नही .. वैसे तो वह रोज आता है ... लेकिन कलसे मैने उसे देखा नही है ... '' काऊंटरपर बैठे स्टाफने जवाब दिया और वह सामने रखे हूए कॉम्प्यूटरपर फिरसे 'सॉलीटेअर' खेलनेमें व्यस्त हो गया.

अंजली कॉन्फरंन्स रुममें दिवारपर लगे छोटे पडदेपर प्रोजेक्टरकी सहाय्यतासे शरवरीको कुछ समझा रही थी. और शरवरी वह जो बोल रही है वह ध्यान देकर सुन रही थी.

'' शरवरी जैसा तुमने कहा था वैसेही मैने विवेकको समझाकर देखनेके लिए एक मेल भेजी है ... लेकिन उसे सिर्फ मेलही ना भेजते हूए मैने एक बडा दांव भी फेंका है ... '' अंजली बोल रही थी.

'' दांव? ... कैसा ?...'' शरवरीने कुछ ना समझते हूए आश्चर्यसे पुछा.

'' उसे भेजे हूए मेलके साथ मैने एक सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅम अटॅच कर भेजा है'' अंजलीने कहा.

'' कैसा प्रोग्रॅम?'' शरवरीको अभीभी कुछ समझ नही रहा था.

'' उस प्रोग्रॅमको 'स्निफर' कहते है ... जैसेही विवेक उसे भेजी हूई मेल खोलेगा .. वह स्निफर प्रोग्रॅम रन होगा ...'' अंजली बोल रही थी.

'' लेकिन वह प्रोग्रॅम रन होनेसे क्या होगा ?'' शरवरीने पुछा.

'' उस प्रोग्रॅमका काम है ... विवेकके मेलका पासवर्ड मालूम करना ... और वह पासवर्ड मालूम होतेही वह प्रोग्रॅम हमे वह पासवर्ड मेलद्वारा भेजेगा ... '' अंजली बोल रही थी.

'' अरे वा... '' शरवरी उत्साहभरे स्वरमें बोली लेकिन अगलेही पल कुछ सोचते हूए उसने पुछा, '' लेकिन उसका पासवर्ड मालूम कर हमें क्या मिलेगा ?''

'' जिस तरहसे विवेक मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है ... उसी तरह हो सकता है की वह और बहुत लोगोंको ब्लॅकमेल कर रहा होगा ...या फिर उसके मेलबॉक्समें हमे उसकी कुछ कमजोरी... या जो हमारे कामका साबीत हो ऐसा कुछतो हमें पता चलेगा ... वैसे फिलहाल हम अंधेरेमें निशाना साध रहे है.... लेकिन मुझे यकिन है ... हमें कुछ ना कुछतो जरुर मिलेगा '' अंजली बता रही थी.

'' हां ... हो सकता है '' शरवरीने कहा.

और फिर कुछ सोचकर उसने कहा, '' मुझे क्या लगता है ... हमें अपना दुश्मन कौन है यह पता है ... वह कहां रहता है यहभी पता है ... फिर वह अपनेपर वार करनेके पहलेही अगर हम उसपर वार करते है तो ?''

'' वह संभावनाभी मैने जांचकर देखी है ... लेकिन अब वह उसके होस्टेलसे गायब है ... वुई डोन्ट नो हिज व्हेअर अबाऊट्स''

तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने और शरवरीने झटसे पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा. मॉनिटरकी तरफ देखतेही दोनोके चेहरे खिल गए. क्योंकी उनकी अपेक्षानुसार अंजलीने विवेकके मेलको अटॅच कर भेजे 'स्निफर' सॉफ्टवेअरकीही वह मेल थी. अब दोनोंको वह मेल खोलनेकी जल्दी हो गई थी. कब एक बार वह मेल खोलती हूं और कब एक बार उस मेल द्वारा आए विवेकके पासवर्डसे उसका मेल अकाऊंट खोलती हूं ऐसा अंजलीको हुवा था. उसने तुरंत डबलक्लीक कर वह मेल खोली.

'' यस्स!'' उसके मुंहसे विजयी उद्गार निकले.

उसने भेजे स्निफरने अपना काम बराबर किया था.

उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और ...

'' यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड'' बोलते हूए विवेकका मेल ऍड्रेस टाईप कर उस प्रोग्रॅमको विवेकके मेलका पासवर्ड दिया.

अंजलीने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और कुछ की बोर्डकी बटन्स और दो चार माऊस क्लीक्स किए. और दोनो अब कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.

'' ओ माय गॉड ... आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह'' अंजलीके खुले मुंहसे निकल गया.

शरवरी कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी अंजलीके खुले मुंहकी तरफ असमंजससे देख रही थी.

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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 28 Dec 2016 12:38

CH-20 चारा

अंजली अपने ऑफीसमें कुर्सीपर बैठकर कुछ सोच रही थी. उसका चेहरा मायूस दिख रहा था. शायद उसने उसके जिवनमें इतना बडा भूचाल आएगा ऐसा कभी सोचा नही होगा. उसने अपना कॉम्प्यूतर शुरु कर रखा तो था, लेकिन उसे ना चाटींग करनेकी इच्छा हो रही थी ना किसी दोस्तको मेल भेजनेकी. उसने अपनी सारी ऑफीशियल मेल्स चेक की और फिरसे वह सोचने लगी. तभी कॉम्प्यूटरपर बझर बजा. उसने अपनी चेअर घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कीया -

' हाय ... मिस अंजली'

विवेकका चॅटींगपर मेसेज था.

उसे अहसास हो गया की उसके दिलकी धडकने तेज होने लगी है. लेकिन इसबार धडकने बढनेकी वजह कुछ अलग थी. अंजली सिर्फ उस मेसेजकी तरफ देखती रही. उसे अब क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था. तभी शरवरी अंदर आ गई. अंजलीने शरवरीको विवेकका मेसेज आया है ऐसा कुछ इशारा किया. शरवरी झटसे बाहर चली गई, मानो पहले उन्होने कुछ तय किया हो. अंजली अबभी उस मेसेजकी तरफ देख रही थी.

' अंजली कम ऑन एकनॉलेज यूवर प्रेझेन्स' विवेकका फिरसे मेसेज आ गया.

' यस' अंजलीने टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक किया.

अंजलीने कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए उसके हाथोमें और उंगलियोंमे पहली बार कंपन महसूस किया.

' मै अब मेलमें सारी जानकारी भेज रहा हूं ' विवेकका मेसेज आ गया.

' लेकिन 50 लाख रुपए देनेके बादभी फिरसे तुम ब्लॅकमेल नही करोगे इसकी क्या गॅरंटी. ?' अंजलीने मेसेज भेजकर उसे बार बार सता रहा सवाल उठाया.

विवेकने उधरसे एक हंसता हूवा छोटासा चेहरा भेजा.

इस बार अंजलीको उस चेहरेके हसनेमें मासूमियतसे जादा कपट दिख रहा था.

' देखो ... यह दुनिया भरोसेपर चलती है ... तुम्हे मुझपर भरोसा करना पडेगा ... और तुम्हारे पास मुझपर भरोसा करनेके अलावा और क्या चारा है ?' उधरसे विवेकका ताना मारता हुवा मेसेज आ गया.

और वहभी सचही तो था ... उसके पास उसपर भरोसा करनेके अलावा कोई दुसरा चारा नही था....

अंजली अब उसने भेजे मेसेजको क्या जवाब दिया जाए इसके बारेमें सोचने लगी. तभी अगला मेसेज आ गया -

' ओके देन बाय... दिस इज अवर लास्ट कन्व्हरसेशन... टेक केअर... तुम्हारा ... और सिर्फ तुम्हारा विवेक...'

अंजली उस मेसेजकी तरफ काफी देरतक देखती रही. बादमें उसे क्या सुझा क्या मालूम, उसने फटाफट कीबोर्डपर कुछ बटन्स दबाए और कुछ माऊस क्लीक्स किए. उसके सामने उसका खुला हुवा मेलबॉक्स अवतरीत हुवा. उसके अपेक्षानुसार और विवेकने जैसा कहा था, उसकी मेल उसके मेलबॉक्समें पहूंच चूकी थी. उसने पलभरकी भी देरी ना करते हूए वह मेल खोली.

मेलमें 50 लाख रुपए कहां, कैसे, और कब पहुचाने है यह सब विस्तारपुर्वक बताया था. साथमें पुलिसके चक्करमें ना पडनेकी हिदायतरुप धमकीभी दी थी. अंजलीने अपनी कलाईपर बंधी घडीकी तरफ देखा. अबभी मेलमें बताए स्थानपर पैसे पहुंचानेमें 4 घंटेका अवधी बाकी था. उसने एक दिर्घ श्वास लेकर धीरेसे छोड दी. वह वैसे कर शायद अपने मनका बोझ हलका करनेकी कोशीश करती होगी. वैसे चार घंटे उसके लिए काफी समय था. और पैसोंका बंदोबस्त भी उसने पहलेसे ही कर रखा था - यहांतक की पैसे सुटकेसमें पॅकभी कर रखे थे. मेलकी तरफ देखते देखते उसके अचानक ध्यानमें आ गया की मेलके साथ कोई अटॅचमेंटभी आई हूई है. उसने वह अटॅचमेंट खोलकर देखी. वह एक JPG फॉरमॅटमें भेजा हुवा एक फोटो था. उसने क्लीक कर वह फोटो खोला.

वह उनके हॉटेलके रुममें दोनो जब एक दिर्घ चुंबन लेते हूए आलिंगनबध्द थे तबका फोटो था.

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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by sexy » 30 Dec 2016 09:54

CH-21 विवेक कहा गया होगा ?


जॉनी अपनेही धुनमें मस्त मजेमें सिटी बजाते हूए रास्तेपर चल रहा था. तभी उसे पिछेसे किसीने आवाज दिया.

'' जॉनी...''

जॉनीने वही रुककर सिटी बजाना रोक दिया. आवाज पहचानका नही लग रहा था इसलिए उसने पिछे मुडकर देखा. एक आदमी जल्दी जल्दी उसीके ओर आ रहा था. जॉनी असमंजससा उस आदमीकी तरफ देखने लगा क्योंकी वह उस आदमीको पहचानता नही था.

फिर उसे अपना नाम कैसे पता चला ?..

जॉनी उलझनमें वहा खडा था. तबतक वह आदमी आकर उसके पास पहूंच गया.

'' मै विवेकका दोस्त हूं ... मै उसे कलसे ढूंढ रहा हूं ... मुझे कॅफेपर काम करनेवाले लडकेने बताया की शायद तुम्हे उसका पता मालूम हो '' वह आदमी बोला.

शायद उस आदमीने जॉनीके मनकी उलझन पढ ली थी.

'' नही वैसे वह मुझेतो बताकर नही गया. ... लेकिन कल मै उसके होस्टेलपर गया था... वहां उसका एक दोस्त बता रहा था की वह 10-15 दिनके लिए किसी रिस्तेदारके यहां गया है ...'' जॉनीने बताया.

'' कौनसे रिस्तेदारके यहां ?'' उस आदमीने पुछा.

'' नही उतना तो मुझे मालूम नही ... उसे मैने वैसा पुछाभी था लेकिन वह उसेभी पता नही था ... उसे सिर्फ उसकी मेल मिली थी '' जॉनीने जानकारी दी.


अंजली अपने कुर्सीपर बैठी हूई थी और उसके सामने रखे टेबलपर एक बंद ब्रिफकेस रखी हूई थी. उसके सामने शरवरी बैठी हूई थी. उनमें एक अजीबसा सन्नाटा छाया हूवा था. अचानक अंजली उठ खडी हो गई और अपना हाथ धीरेसे उस ब्रिफकेसपर फेरते हूए बोली, '' सब पहेलूसे अगर सोचा जाए तो एकही बात उभरकर सामने आती है ..''

अंजली बोलते हूए रुक गई. लेकीन शरवरीको सुननेकी बेसब्री थी.

'' कौनसी ?'' शरवरीने पुछा.

'' ... की हमें उस ब्लॅकमेलरको 50 लाख देनेके अलावा फिलहाल अपने पास कोई चारा नही है ... और हम रिस्क भी तो नही ले सकते ''

'' हां तुम ठिक कहती हो '' शरवरी शुन्यमें देखते हूए, शायद पुरी घटनापर गौर करते हूए बोली.

अंजलीने वह ब्रिफकेस खोली. ब्रिफकेसमें हजार हजारके बंडल्स ठिकसे एक के उपर एक करके रखे हूए थे. उसने उन नोटोंपर एक नजर दौडाई, फिर ब्रिफकेस बंद कर उठाई और लंबे लंबे कदम भरते हूए वह वहांसे जाने लगी. तभी उसे पिछेसे शरवरीने आवाज दिया -

'' अंजली...''

अंजली ब्रेक लगे जैसे रुक गई और शरवरीके तरफ मुडकर देखने लगी.

'' अपना खयाल रखना '' शरवरीने अपनी चिंता जताते हूए कहा.

अंजली दो कदम फिरसे अंदर आ गई, शरवरीके पास गई, शरवरीके कंधेपर उसने हाथ रखा औड़ मुडकर फिरसे लंबे लंबे कदम भरते हूए वहांसे चली गई.

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