उपन्यास - ब्लैकहोल (संपूर्ण)Black Hole - Hindi horror, Novel

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उपन्यास - ब्लैकहोल (संपूर्ण)Black Hole - Hindi horror, Novel

Unread post by novel » 16 Aug 2015 16:32

शामका समय. एक बडी, पुरानी हवेली. सुरज अभी अभी पश्चीम दिशामें अस्त हो चूका था और आकाशमें अभीभी उसके अस्त होनेके निशान दिख रहे थे. हवेलीके सामने थोडा खाली मैदान था. और उस खाली मैदानके आगे घने पेढ थे. हवा काफी जोरोसे बह रही थी और हवाके झोकोंके साथ वह आसपासके पेढ डोल रहे थे. हवेलीको एकदम सटकर एक संकरा कुंवा था. उस कुंवेके आसपासभी घास काफी उंचाईतक बढ गई थी. इससे ऐसा लग रहा था की वह कुंवा काफी सालसे किसीने इस्तेमाल नही किया होगा. उस हवेलीसे कुछ दुर नजर दौडानेपर पर्बतकी गोदमें एक छोटीसी बस्ती बंसी हूई दिखाई दे रही थी. उस बस्तीके लोग आम तौरपर इस हवेलीकी तरफ नही आते थे.

उस बस्तीका एक निग्रो लडका फ्रॅंक, उम्र कुछ सात-आठ सालके आसपास, काला लेकिन दिखनेमें आकर्षक, अपने बछडेको लेकर घास खिलानेके लिए उस हवेलीके आसपासके खेतमें आया था. उस बछडेका भी उससे उतनाही लगाव दिख रहा था. फ्रॅंकने उसे छेडतेही वह सामने उछलते कुदते दौडता था और फ्रॅंक उसके पिछे पिछे उसे पकडनेके लिए दौडता था. ऐसे दौडते खेलते हूए वह बछडा उस हवेलीके परिसरमें घुस गया. फ्रॅंकभी उसके पिछे पिछे उस परिसरमें घुस गया. उस इलाकेमें घुसतेही फ्रॅंकके शरीरमें एक सिरहनसी दौड गई, क्योंकी इस हवेलीके परिसरमें कभी नही जानेकी उसे घरसे हिदायत थी. लेकिन उसका बछडा सामने उस इलाकेमें प्रवेश करनेसे उसे उसे वापस लानेके लिए जानाही पड रहा था.

वह उस बछडेके पिछे दौडते हूए जोरसे चिल्लाया, '' गॅव्हीन ... रुक''

उसके घरके सब लोग उस बछडेको प्यारसे 'गॅव्हीन' पुकारते थे.

लेकिन तबतक वह बछडा उस इलाकेमें घुसकर, सामने खाली मैदान लांघकर उस हवेलीसे सटकर जो कुंवा था उसकी तरफ दौडने लगा.

'' गॅव्हीन उधर मत जावो ... '' फ्रॅंक फिरसे चिल्लाया.

लेकिन वह बछडा उसका कुछभी सुननेके लिए तैयार नही था.

वह दौडते हूए जाकर उस कुंवेसे सटकर जो पत्थरोका ढेर था उसपर चढ गया.

अब फ्रॅंकको उस बछडेकी चिंता होने लगी थी. क्योंकी उसने बस्तीमे उस कुंवेके बारेमें तरह तरह की भयावह कहानीयां सुनी थी. उसने सुना था की उस कुंवेमें कोई भी प्राणी गिरनेके बाद अबतक कभी वापस नही आया था. और जो कोईभी उस प्राणीको निकालनेके लिए उस कुंवेमे उतरे थे वेभी कभी वापस नही आ पाए थे. इसलिएही शायद बस्तीके लोग उस कुंवेको 'ब्लॅक होल' कहते होंगे. फ्रॅंक अपने जगहही रुक गया. उसे लग रहा था की उसके पिछे दौडनेसे वह बछडा आगे आगे दौड रहा हो. और अगर वह ऐसाही आगे भागता रहा तो वह उस कूंवेमें जरुर गिर जाएगा. .

फ्रॅंक भलेही रुक गया फिरभी वह पत्थरोंके ढेरपर चढ चूका बछडा निचे उतरनेके लिए तैयार नही था. उलटा वह ढेरपर चलते हूए उस ब्लॅकहोलके इर्दगिर्द चलने लगा.

फ्रॅंकको क्या किया जाए कुछ समझमें नही आ रहा था. उसने वही रुके हूए आसपास अपनी नजरें दौडाई. उस हवेलीकी उंची उंची पुरानी दिवारें और आसपास फैले हूई घने पेढ. उसे डर लगने लगा था. अबतक उस हवेलीके बारेंमे और उस ब्लॅकहोलके बारेंमें उसने सिर्फ सुन रखा था. लेकिन आज पहली बार वह उस इलाकेमें आया था. लोगोंके कहे अनुसार सचमुछ वह सब भयावह था. बल्की लोगोंसे सुननेसेभी जादा भयावह लग रहा था. लेकिन वह अपने प्रिय बछडेको अकेला छोडकरभी नही जा सकता था. अब धीरे धीरे चलते हूए फ्रॅंक उस कुंवेके पास जाकर पहूंचा. फ्रॅंक उस कुंवेके एक छोरपर था तो वह बछडा दुसरे छोरपर अबभी उस पत्थरोंके ढेर पर चल रहा था. इतनेमे उसने देखा की उस पत्थारोके ढेर पर चलते हूए उस बछडेके पैरके निचेसे एक पत्थर फिसल गया और ढूलकते हूए कुंवेमें जा गिरा.

'' गॅव्हीन... '' फ्रॅंक फिरसे चिल्लाया.

इतना बडा पत्थर उस कुंवेमें गिरनेपरभी कुछभी आवाज नही हूवा था. फ्रॅंकने कुंवेके किनारे खडे होकर निचे झांककर देखा. निचे कुंवेमें कुछ दूरी तक कुंवेकी दिवार दिख रही थी. लेकिन उसके निचे ना दिवार, ना पाणी ना कुंवेका तल, सिर्फ काला काला, ना खतम होनेवाला खाली खाली अंधेरा. शायद यहभी एक कारण था की लोग उस कुंवेको 'ब्लॅकहोल' कहते होंगे. अचानक उसने देखा की फिरसे उस बछडेके पैरके निचेसे और एक पत्थर फिसल गया और ढूलकते हूए कुंवेमें जा गिरा. लेकिन यह क्या इस बार उस पत्थरके साथ वह बछडाभी कुंवेमें गिरने लगा.

'' गॅव्हीन...'' फ्रॅंकके मुंहसे निकल गया.

लेकिन तबतक वह पत्थर और वह बछडा दोनों कुंवेमे गिरकर उस भयावह काले काले अंधेरेमे गायब हो गए थे. ना गिरनेका आवाज ना उनके अस्तित्वका कोई निशान.

फ्रॅंक डरसा गया. उसे क्या करे कुछ सुझ नही रहा था.

वह कुंवेमें झुककर वह बछडा दिखाई देगा इस आशामें देख रहा था और जोर जोरसे चिल्लाकर रो रहा था , '' गॅव्हीन ... गॅव्हीन...''


काफी देर तक फ्रॅंक वहा कुंवेके किनारेसे अंदर झांककर देखते हूवे रोता रहा. रोते रोते आखिर उसके आंसु सुख गए. अब उसे मालूम हो चूका था की उसका प्रिय गॅव्हीन अब कभीभी वापस नही आएगा. अब अंधेराभी होने लगा था और उस हवेलीका परिसर उसे अब जादाही भयानक लगने लगा था. अब वह वहांसे कुंवेके किनारेसे उठ गया और भारी कदमोंसे अपने घरकी तरफ वापस जानेने लिए निकला.


फ्रॅंक हवेलीसे थोडीही दुरीपर पहूंचा होगा जब उसे पिछेसे किसी बात की आहट हो गई. एक डरभरी सिरहन उसके शरीरसे दौड गई. वह जल्दी जल्दी लंबे लंबे कदमसे, वहांसे जितना जल्दी हो सके उतना, बाहर निकलनेकी कोशीश करने लगा. इतनेमें उसे पिछेसे एक आवाज आ गया. वह एक पलके लिए रुक गया.

यह तो अपने पहचानका आवाज लग रहा है ...

बडी धैर्यके साथ उसने पिछे मुडकर देखा.

और क्या आश्चर्य उसके पिछेसे उसका बछडा 'गॅव्हीन' 'हंबा' 'हंबा' करता हूवा उसे आवाज लगाता हूवा दौडते हूए उसकीही तरफ आ रहा था.

उसका चेहरा खुशीसे खिल गया.

'' गॅव्हीन... '' खुशीसे उसके मुंहसे निकल गया.

लेकिन यह कैसे हूवा ?...

यह कैसे हूवा इससे उसे कोई लेना देना नही था. उस पलके लिए उसका प्रिय बछडा उसे वापस मिला था इससे जादा उसे और किसी बातकी चिंता नही थी. उसने अपने हाथ फैलाकर अपने बछडेको अपनी बाहोंमे भर लिया और प्यारसे वह उसे चुमने लगा.

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Re: उपन्यास - ब्लैकहोल (संपूर्ण)Black Hole - Hindi horror, N

Unread post by novel » 16 Aug 2015 16:32

सुबह का वक्त. सुरजके उगनेकी आहट हो चूकी थी. ऐसेमे एक सुंदर हरे हरे हरियालीसे घिरी हूई एक छोटीसी कॉलनी. और उस कॉलनीमें बसे हूए छोटे छोटे आकर्षक मकान. कॉलनीका वातावरण सुबहके उत्साह और मांगल्यसे भरा हुवा था. पंछियोंकी मधूर चहचहाट वातावरणमें मानो औरभी स्फुर्ती भर रही थी. कॉलनीके और कॉलनीके आसपासके हरे हरे पेढ सुबहके हवाके मंद मंद झोंकोके साथ हौले हौले डोल रहे थे.

जैसे जैसे उजाला हो रहा था कॉलनीमें अब कुछ पादचारी दिखने लगे. सुबहके हवाके मांगल्य और ठंडका आस्वाद लेते हूए वह कॉलनीमें घुम रहे थे. कुछ लोग जॉगींग करते हूएभी दिख रहे थे तो कुछ साईकिलेंभी रास्तेपर दौडते हूए दिख रही थी.

उस कॉलनीके छोटे छोटे मकानोंके समुहमें एकदम बिचमें बसा हूवा एक मकान. बाकी मकानोंकी तरह इस मकानके सामनेभी हरे हरे घांस का लॉन उगाया गया था और किनारे किनारेसे छोटे छोटे फुलोंके गमले थे. . वहा उगे हूए फुल मानो एकदुसरेसे स्पर्धा कर रहे थे ऐसा लग रहा था. अचानक एक साईकिल उस मकानके गेटके सामने आकर रुक गई. पेपरवाला लडका था. उसने पेपरका गोल रोल बनाया और निशाना साधते हूए मकानके मुख्य द्वारके सामने फेंक दिया. वह पेपरवाला लडका पेपर फेंककर अब वहासे निकलनेही वाला था इतनेमें गेटके सामने एक कार आकर रुक गई. कारसे एक उंचा, गोरा, जिसका कसा हूवा शरीर था ऐसा आकर्षक व्यक्तीत्व वाला युवक, जाकोब उतर गया. उसकी उम्र लगभग तिसके आसपास होगी. कारसे उतरनेके बाद गेटकी तरफ जाते हूए उसने प्यारसे पेपरवालेके सरके बालोंसे अपना हाथ फेरा. पेपरवालाभी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया और अपनी साईकिल लेकर आगे बढा.

मकानके अंदर हॉलमे एक सुंदर लेकिन उतनीही खंबीर यूवती, स्टेला फोनका नंबर डायल कर रही थी. उसकी उम्र लगभग अठ्ठाईसके आसपास होगी. उसका चेहरा नंबर डायल करते हूऐ वैसे गंभीरही दिख रहा था लेकिन उसके चेहरेके इर्दगिर्द एक आभा दिख रही थी. उसके आंखोके आसपास बने घने काले सर्कलसे वह हालहीमें किसी गंभीर चिंतासे गुजर रही होगी ऐसा लग रहा था. उसके बगलमेंही, उसकी ननंद, एक इक्कीस बाईस सालकी कॉलेजमें जानेवाली जवान लडकी, सुझान खडी थी. सुझानभी सुंदर थी और उसमें कॉलेजमें जानेवाली लडकियोंवाला एक अल्लडपण दिख रहा था.

'' कौन? डॉ. फ्रॅकलीन बोल रहे है क्या?'' स्टेलाने फोन लगतेही फोनपर पुछा.

उधरकी प्रतिक्रियाके लिए रुकनेके बाद स्टेला आगे फोनपर बोली, '' मै मिसेस स्टेला फर्नाडीस, डॉ. गिब्सन फर्नाडीसकी पत्नी...''

इतनेमें डोअरबेल बजी. स्टेलाने सुझानको कौन है यह देखनेका इशारा किया और वह आगे फोनपर बोलने लगी, ' नही यह आप लोग जो संशोधन कर रहे थे उसके सिलसिलेमें मै आपसे बात कर रही हूं....''

सुझान अपनी भाभीने इशारा करनेके बाद सामने दरवाजेके पास गई और उसने दरवाजा खोला. सामने दरवाजेमें जोभी खडा था उसे देखकर वह भौचक्कीसी रह गई. दरवाजेमें जाकोब खडा था.

'' तुम? ... उस दिन ..."'

'' मै ... गिब्सनका दोस्त हूं ... स्टेला है क्या अंदर? '' जाकोबने उसका संवाद बिचमेंही तोडते हूऐ पुछा.

सुझानने मुडकर अंदर स्टेलाकी तरफ देखा.

इतनेमें मौकेका फायदा लेते हूए जाकोब अंदर घुस गया. अंदर जाकर वह सिधा स्टेला जहा फोन कर रही थी वहां हॉलमें गया. सुझान दरवाजेमें खडी आश्चर्यसे उसे अंदर जाता देखती रह गई. उसे क्या बोले कुछ सुझ नही रहा था.

स्टेलाका अबभी फोनपर संवाद चल रहा था, '' मै फिरसे कभी फोन कर आपको तकलीफ दूंगी ...''

उधरका संवाद सुननेके लिए बिचमें रुककर उसने कहा, '' सॉरी ... ''

फिरसे वह उधरका संवाद सुननेके लिए रुकी और , '' थॅंक यू '' कहकर उसने फोन रख दिया.

उसके चेहरेसे उसने जिस चिजके लिए फोन किया था उसके बारेंमें वह समाधानी नही लग रही थी. इतनेमें उसका खयाल उसके एकदम पास खडे जाकोबकी तरफ गया. उसने प्रश्नार्थक मुद्रामें जाकोबकी तरफ और फिर सुझानकी तरफ देखा.

'' हाय.. मै जाकोब ... गिब्सनका दोस्त'' जाकोबने वह कुछ पुछनेके पहलेही अपनी पहचान बताई.

'' हाय '' स्टेलाने उसके 'हाय' को प्रतिउत्तर दिया.

इतनेमें स्टेलाका ध्यान उसके कलाईपर बंधे एक चमकते हूए पारदर्शक पत्थरकी तरफ गया. इतना बडा और इतना तेजस्वी चमकता हूवा पत्थर शायद उसने पहली बार देखा होगा. वह एकटक उस पत्थरकी तरफ देख रही थी.

'' हम कभी पहले मिले है ?'' जाकोबने पुछा.

'' मुझे नही लगता '' स्टेलाने जवाब दिया. .

'' कोई बात नही ... मुलाकात यह कभी ना कभी पहलीही होती है ... मुझे लगता है गिब्सनने हमारी पहचान पहले कभी नही करके दी... मतलब वैसा कभी मौकाही नही आया होगा ... '' जाकोबने कहा.

इतनी देरसे हम बात कर रहे है लेकिन मैने उसे बैठनेके लिएभी नही बोला..

एकदम स्टेलाके खयालमें आया.

'' बैठीएना... प्लीज'' वह सोफेकी तरफ निर्देश करते हूए बोली.

जाकोब सोफेपर बैठ गया और उसके सामनेवाले सोफेपर स्टेला बैठ गई ताकी वह उससे ठिकसे बात कर सके.

'' ऍक्चूअली... मुझे तुमसे एक महत्वपूर्ण बात करनी थी '' जाकोबने शुरवात की.

स्टेलाके चेहरेपर उत्सुकता दिखने लगी.

सुझान अबभी वही खडी इधर उधर कर रही थी. जाकोबने अपनी नजरका एक तिक्ष्ण कटाक्ष सुझानकी तरफ डाला. वह जो समझना था समझ गई और वहांसे अंदर चली गई.

फिर उसने काफी समयतक स्टेलाके आंखोमें आंखे डालकर देखते हूए कहा,

'' लेकिन उसके लिए तुम्हे मेरे साथ आना पडेगा '' वह अबभी उसके आंखोमें आखें डालकर देख रहा था.

'' किधर ?'' उसने आश्चर्यसे पुछा.

जाकोब अब उठ खडा हूवा था. उसने कोनेमें टेबलपर रखे स्टेला और गिब्सन, उसके पतीके फोटोकी तरफ गौरसे देखते हूए कहा, '' मुझपर भरोसा रखो .... तुम अभी इतनेमें जिस बातकी वजहसे इतनी परेशान हो .. यह उसीके सिलसिलेमें है ...''

वह अब बाहर दरवाजेकी तरफ जाने लगा.

स्टेला सोफेसे उठ गई और चूपचाप उसके पिछे पिछे जाने लगी.

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Re: उपन्यास - ब्लैकहोल (संपूर्ण)Black Hole - Hindi horror, N

Unread post by novel » 16 Aug 2015 16:33

रास्तेपर तेजीसे एक कार दौड रही थी. उस कारके ड्रायव्हींग सीटपर जाकोब बैठा हूवा था और उसके बगलवाली सिटपर स्टेला बैठी हूई थी. ट्रॅफीकमेंसे रास्ता निकालते हूए, तेडे मेडे रास्तेसे दाएं बाएं मुडते हूए कार दौड रही थी. कारके कांचसे सामने रास्तेपर देखते हूए स्टेलाने एक दृष्टीक्षेप जाकोबकी तरफ डाला. उसनेभी कार चलाते हूए उसकी तरफ देखा. उससे आंखे मिलतेही झटसे स्टेलाने अपनी नजरें दूसरी तरफ फेर ली और फिरसे सामने रास्तेपर देखने लगी. सामने देखते देखते उसे हालहीमें घटी कुछ घटनाएं याद आने लगी .....


.... गिब्सन अपनी पत्नी स्टेला और बहन सुझानके साथ आज सुबह डायनींग टेबलपर नाश्ता ले रहा था. आधी अधूरी खत्म हूई नाश्तेकी प्लेट्स उनके सामने डायनींग टेबलपर पडी हूई थी. गिब्सन लगभग तिस सालका, घुंगराले और थोडे लंबे बाल, और उसके स्थीर आखोंसे उसकी प्रगल्भता और बुध्दीमता दिख रही थी. उसके गंभीर और स्थिर व्यक्तीत्वसे उसने सालोसाल की मेहनत और पढाई साफ झलक रही थी. वह अपने हाथमे रखे फाईलके पन्ने पलटते हूए बिच बिचमें चमचसे नाश्तेका एक एक निवाला ले रहा था. स्टेला शायद उसकी खाते हूए पढनेकी आदतसे अच्छी तरहसे वाकीफ थी. क्योंकी वह उसे कुछ कहनेके बजाय अपना नाश्ता खानेमे व्यस्त और मस्त थी. दुसरी तरफ सुझानभी भलेही नाश्ता खा रही थी लेकिन वहभी अंदरसे अपनी सोच में डूबी हूई थी.

अपनी फाईलके पन्ने पलटते हूए और बिच बिचमें नाश्तेके निवाले लेते हूए गिब्सनने एक नजर उसकी बहनकी तरफ, सुझानकी तरफ डाली.

'' क्या कॉलेज कैसा है ?'' गिब्सनने अनपेक्षीत ढंगसे उसे पुछा.

सुझान अबभी अपने खयालोंमे डूबी हूई थी. इस अचानक पुछे गए सवालसे वह अपने खयालोंसे बाहर आ गई और गडबडाकर इधर उधर देखने लगी. वह अपने चेहरेपर आए झेंपभरे भाव छिपानेका प्रयत्न करने लगी. लेकिन वह भाव छिपानेके लिए क्या किया जाए उसे कुछ समझमें नही आ रहा था. उसने झटसे एक नाश्तेका बडासा निवाला लिया और वह जल्दी जल्दी चबाकर निगलनेका प्रयास करने लगी.

'' अं.. हां.. मतलब अच्छाही है... '' उसने निवाला गले अटके जैसा जवाब दिया.

उसकी भाभी स्टेला उसकी वह गडबडाई स्थिती देखकर अपनी हंसी रोक नही पाई.

गिब्सनने एक नजर स्टेलापर डाली और फिर सुझानकी तरफ एक कटाक्ष डालते हूए वह अपनी फाईलके पन्ने पलटनेमें फिरसे व्यस्त हो गया.

'' वह तुम्हे कॉलेजके बारेमें पुछ रहा है ... ना की ब्रेकफास्टके बारेमें '' स्टेला सुझानका मजाक उडाते हूए उसे छेडती हूई बोली.

'' हां मै ब्रेकफास्टके बारेमें... नही... मतलब कॉलेजके बारेंमेंही बोल रही हूं '' सुझान अपने आपको संभालते हूए बोली.

फिरसे स्टेला हंसी, इस बार जोरसे.

'' तुम्हारे चेहरेसे वह साफ झलक रहा है की तुम किसके बारेंमें बात कर रही हो '' स्टेला अभीभी उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी.

सुझानने अपने भाईकी तरफ देखा, वह अबभी अपनी फाईल पढनेमें व्यस्त था. वह अपने तरफ देख नही रहा है इसकी तसल्ली करते हूए सुझानने बडी बडी आंखे करते हूए गुस्सेका झूटमूटका अविर्भाव करते हूए स्टेलाकी तरफ देखा और मुंहपर उंगली रखकर 'चूप रहेनेका क्या लोगी' ऐसा अविर्भाव किया.

इतनेमें बाहरसे लगातार एक बाईकका हॉर्न सुनाई देने लगा. सुझानने झटसे खिडकीसे बाहर झांककर देखा. बाहर उसका दोस्त डॅनियल गेटके पास बाईकपर बैठकर खिडकीकी तरफ देखते हूए उसकी राह देख रहा था. दोनोंकी आंखे मिलतेही उसने हॉर्न बजाना बंद किया.

स्टेलाने सुझानकी तरफ मुस्कुराकार देखते हूए एक आंख छोटी करते हूए मजाकमें कहा, '' सुझान तुम्हे नही लगता की तुम्हे देर हो रही है ''

सुझान आधा अधूरा नाश्ता वैसाही डायनींग टेबलपर छोडकर अपने जगहसे उठ गई और अपने गाल पर आई लाली छिपानेका प्रयास करते हूए कॉलेजको जानेकी जल्दी करने लगी.

सुझानने अपनी बुक्स और बॅग उठाई और तेजीसे दरवाजेकी तरफ निकल पडी.

'' बाय स्टेला ... बाय ब्रदर'' वह जाते हूए बोली.

गिब्सनने अपनी फाईल पढते हूए आंखोके किनारेसे उसकी तरफ देखते हूए कहा, '' हां... बाय..''

'' बाय हनी ... टेक केअर '' स्टेला मुस्कुराते हूए उसे चिढाए जैसा करते हूए बोली.

सुझान जाते हूए एकदमसे दरवाजेमें रुक गई, और स्टेलाकी तरफ देखते हूए , मुस्कुराते हूए , उसने एक मुक्का मारनेका 'तुझे बादमें देख लूंगी ' ऐसा अविर्भाव किया और झटसे मुडते हूए तेजीसे चली गई.

स्टेला मुस्कुराते हूए आंखोसे ओझल होने तक सुझानको जाती हूई देखती रही.

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