गतान्क से आगे.....................
सुबह ललिता का फ़ोन आया कि जय और मैं लंच पर उसके घर राज और ललिता से मिलें।
मैं और जय मेरे घर गए, वहाँ पर ललिता ने बड़ा अच्छा खाना बना कर रखा हुआ था। हम सबने पहले थोड़ी ड्रिंक्स ली और फिर आराम से खाना खाया। खाने के बाद सब मेरे ड्राइंग रूम में आए और अपने-अपने कपड़े निकाल दिए, मैं जय की गोद में और ललिता राज की गोद में बैठ गई।
राज और जय फिर हम दोनों के नंगे शरीर से खेलने लगे।
हम सब के हाथों में अपनी अपनी ड्रिंक्स थी। तब जय ने राज से पूछा- राज, तुम्हें ललिता के साथ अकेले कैसा लगा?
राज ने कहा- ललिता को अकेले चोदने तो मज़ा आ गया जय, पर जानते हो कि कल जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज़्यादा उत्तेजित किया वो था अपनी आँखों के सामने डॉली को तुम से चुदवाते हुए देखना। वाकयी तुम्हारे लंबे लण्ड को डॉली की चूत में बार-बार अन्दर-बाहर जाते हुए देख कर मज़ा आ गया।
जय बोला- मुझे भी कल रात डॉली को अकेले चोदने में बड़ा मज़ा आया, पर राज, सच कहो तो मुझे भी तुम को अपने सामने ललिता को चोदते देख कर और साथ-साथ डॉली को तुम्हारे और ललिता के सामने उसी बिस्तर पर चोद कर जो मज़ा आया वह मैं बता नहीं सकता।
बाद में राज ने बताया कि उसने भी ललिता को घर ले जा कर रात भर उसको पूरा मज़ा दिया। ललिता को अपने घर ले जाने के बाद राज नंगे होकर बिस्तर पर लेट गया।
फिर उसने ललिता से उसे जी भर के मज़ा देने को कहा। ललिता भी नंगे हो कर बिस्तर पर आई और राज के लण्ड अपने हाथ में लेकर चूसने लगी।
फिर राज ने ललिता को अपने ऊपर उल्टा लेट कर अपनी चूत को राज के मुँह के ऊपर रखने को कहा।
ललिता राज के ऊपर उल्टा लेट गई, राज ललिता की चूत को और ललिता राज के लण्ड को चूसने लगी।
राज की आँखों के सामने ललिता के गोरे-गोरे चूतड़ नज़र आ रहे थे और राज को ललिता की चूत और गुलाबी गाण्ड साफ दिखाई दे रही थी।
राज ललिता के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सहलाने लगा और अपनी जीभ से ललिता की चूत चाटने लगा।
चूत चाटते-चाटते राज की ज़बान ललिता की गाण्ड पर चली गई और राज ललिता की गुलाबी गाण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर उसके बाद राज अपनी जीभ को बारी-बारी से ललिता की चूत और गाण्ड के अन्दर-बाहर करके ललिता की चूत और गाण्ड दोनों को अपनी जीभ से चोदने लगा।
इधर ललिता राज का लण्ड बड़े आराम से चूस रही थी और थोड़ी देर में ही राज का लण्ड तन्ना कर खड़ा हो गया। ललिता भी राज की जीभ से अपनी चूत और गाण्ड दोनों को चुदवा कर अब राज के लण्ड से चुदाई करवाने के लिए उत्तेजित हो चुकी थी।
सामूहिक चुदाई compleet
Re: सामूहिक चुदाई
तब ललिता ने राज को अपने ऊपर लेकर उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर से चोदने को कहा।
लेकिन राज ने कहा- तुम मेरे ऊपर आ जाओ।
तो ललिता राज के ऊपर चढ़ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर धीरे-धीरे धक्के लगा कर चोदने लगी। थोड़ी देर इस तरह से ललिता ने राज को ऊपर से चोदा।
फिर राज ने कहा- ललिता, मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं और अगर तुम्हें सचमुच मुझे मज़ा देना चाहती हो तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर मज़ा लेना चाहता हूँ।
ललिता बोली- राज, आज तुम जो चाहो वो मज़ा मेरे साथ ले सकते हो। मैंने जय से एक-दो बार गाण्ड मरवाई है पर तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है अन्दर कैसे जाएगा?
राज ने कहा- रानी, इसकी चिंता मुझ पर छोड़ दो… पहले मैं तुम्हारी गाण्ड को अपनी जीभ से चाट कर गीली कर दूँगा, फिर अपना लण्ड उसमें घुसेड़ कर आराम से मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
ललिता ने कहा- ठीक है..
और वो बिस्तर पर घोड़ी की तरह अपनी गाण्ड ऊपर करके लेट गई, राज ने ललिता की गाण्ड खोल कर अपनी जीभ ललिता की गाण्ड के छेद पर लगा कर उसको चाटने लगा।
थोड़ी देर ललिता की गाण्ड को चाट कर राज ने उसे खूब गीली कर दिया और फिर ललिता से अपने लण्ड को एक बार और चूस कर गीला करने को कहा। ललिता ने राज के लण्ड को थोड़ा चाट कर और अपना थूक लगा कर खूब गीला कर दिया पर राज ललिता की गाण्ड मारने से पहले थोड़ी देर उसकी चूत चोदना चाहता था।
राज ने अपने लण्ड को ललिता की चूत में लगा कर एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया। ऐसे थोड़ी देर तक राज ने ललिता की चूत को चोदा। चूत में जाने से राज का लण्ड और भी गीला हो गया।
फिर राज ने अपने लण्ड को पकड़ कर ललिता की गाण्ड के छेद पर लगाया और थोड़े ही दबाव से में आधा लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया।
राज ने एक धक्का और दिया और बड़े आराम से राज का लण्ड ललिता की गाण्ड में पूरा चला गया।
राज का लण्ड मोटा ज़रूर था, पर ललिता की गाण्ड भी खूब गीली हो चुकी थी और ललिता को अपनी गाण्ड में राज का पूरा लण्ड लेने में कोई परेशानी नहीं हुई।
फिर राज ने ललिता के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी गाण्ड में अपना लण्ड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
इस तरह से राज ने ललिता की गाण्ड को जी भर के मारा और फिर उसके गोरे-गोरे चूतड़ों पर अपना पानी निकाल दिया।
ललिता पूरी तरह से राज की चुदाई से खुश होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई, राज ने अपने पानी को तौलिए से पौंछ कर ललिता के चूतड़ों को साफ किया और फिर ललिता के ऊपर ही नंगा लेट कर उसको अपनी बाँहों में ले कर सो गया।
राज ने कहा- जय, हमारी पहली बीवियों की अदला-बदली चुदाई बड़ी जल्दबाजी में हुई थी, अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बार फिर तुम्हें डॉली को चोदते हुए देखना चाहता हूँ।
जय बोला- मैं भी ललिता को एक बार फिर तुमसे चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ।
इन बातों से दोनों के लंड दोबारा तन्ना गए।
राज ने बेडरूम में चलने की सलाह दी और कहा- वहीं पर हम एक-दूसरे की बीवियों को चोदेंगे।
हम अपनी ड्रिंक लेकर बेडरूम में आ गए और उसी बिस्तर पर नंगे ही बैठ कर चुस्कियाँ लेने लगे। कमरे में रोशनी भरपूर थी। राज ने जय से पहले मुझे चोदने को कहा। मैंने राज से मुझे चुदाई के लिए तैयार करने के लिए मेरी चूत चाटने को कहा।
लेकिन राज ने कहा- तुम मेरे ऊपर आ जाओ।
तो ललिता राज के ऊपर चढ़ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर धीरे-धीरे धक्के लगा कर चोदने लगी। थोड़ी देर इस तरह से ललिता ने राज को ऊपर से चोदा।
फिर राज ने कहा- ललिता, मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं और अगर तुम्हें सचमुच मुझे मज़ा देना चाहती हो तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर मज़ा लेना चाहता हूँ।
ललिता बोली- राज, आज तुम जो चाहो वो मज़ा मेरे साथ ले सकते हो। मैंने जय से एक-दो बार गाण्ड मरवाई है पर तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है अन्दर कैसे जाएगा?
राज ने कहा- रानी, इसकी चिंता मुझ पर छोड़ दो… पहले मैं तुम्हारी गाण्ड को अपनी जीभ से चाट कर गीली कर दूँगा, फिर अपना लण्ड उसमें घुसेड़ कर आराम से मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
ललिता ने कहा- ठीक है..
और वो बिस्तर पर घोड़ी की तरह अपनी गाण्ड ऊपर करके लेट गई, राज ने ललिता की गाण्ड खोल कर अपनी जीभ ललिता की गाण्ड के छेद पर लगा कर उसको चाटने लगा।
थोड़ी देर ललिता की गाण्ड को चाट कर राज ने उसे खूब गीली कर दिया और फिर ललिता से अपने लण्ड को एक बार और चूस कर गीला करने को कहा। ललिता ने राज के लण्ड को थोड़ा चाट कर और अपना थूक लगा कर खूब गीला कर दिया पर राज ललिता की गाण्ड मारने से पहले थोड़ी देर उसकी चूत चोदना चाहता था।
राज ने अपने लण्ड को ललिता की चूत में लगा कर एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया। ऐसे थोड़ी देर तक राज ने ललिता की चूत को चोदा। चूत में जाने से राज का लण्ड और भी गीला हो गया।
फिर राज ने अपने लण्ड को पकड़ कर ललिता की गाण्ड के छेद पर लगाया और थोड़े ही दबाव से में आधा लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया।
राज ने एक धक्का और दिया और बड़े आराम से राज का लण्ड ललिता की गाण्ड में पूरा चला गया।
राज का लण्ड मोटा ज़रूर था, पर ललिता की गाण्ड भी खूब गीली हो चुकी थी और ललिता को अपनी गाण्ड में राज का पूरा लण्ड लेने में कोई परेशानी नहीं हुई।
फिर राज ने ललिता के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी गाण्ड में अपना लण्ड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
इस तरह से राज ने ललिता की गाण्ड को जी भर के मारा और फिर उसके गोरे-गोरे चूतड़ों पर अपना पानी निकाल दिया।
ललिता पूरी तरह से राज की चुदाई से खुश होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई, राज ने अपने पानी को तौलिए से पौंछ कर ललिता के चूतड़ों को साफ किया और फिर ललिता के ऊपर ही नंगा लेट कर उसको अपनी बाँहों में ले कर सो गया।
राज ने कहा- जय, हमारी पहली बीवियों की अदला-बदली चुदाई बड़ी जल्दबाजी में हुई थी, अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बार फिर तुम्हें डॉली को चोदते हुए देखना चाहता हूँ।
जय बोला- मैं भी ललिता को एक बार फिर तुमसे चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ।
इन बातों से दोनों के लंड दोबारा तन्ना गए।
राज ने बेडरूम में चलने की सलाह दी और कहा- वहीं पर हम एक-दूसरे की बीवियों को चोदेंगे।
हम अपनी ड्रिंक लेकर बेडरूम में आ गए और उसी बिस्तर पर नंगे ही बैठ कर चुस्कियाँ लेने लगे। कमरे में रोशनी भरपूर थी। राज ने जय से पहले मुझे चोदने को कहा। मैंने राज से मुझे चुदाई के लिए तैयार करने के लिए मेरी चूत चाटने को कहा।
Re: सामूहिक चुदाई
राज ने फ़ौरन मेरी इच्छा का सम्मान किया और मेरी चूत बड़े प्यार से चाटने लगा।
साथ ही ललिता भी जय को उसका लंड चूस कर उसे भी तैयार करने लगी।
मैं बिस्तर पर अपने दोनों जाँघें फैलाकर लेट गई, मेरी सपाट चिकनी खुली चूत जय के लंबे लौड़े का आघात सहने को अब पनिया चुकी थी।
जय मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया।
तब मैंने ललिता से कहा, “अगर वो बुरा ना माने तो क्या वो अपने हाथों से जय के लंड को मेरी चूत में डाल सकती है।”
ललिता सहर्ष तैयार हो गई और अपने पति के लौड़े को अपने हाथ में लेकर मेरी चूत में डाल दिया, जय ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।ललिता और मेरे पति हमारे पास ही बैठ कर जय के लंबे लंड को मेरी चूत की सैर करने के दृश्य का आनन्द उठाने लगे।
उन दोनों ने मेरे हाथ थाम लिए और मेरे पूरे शरीर और मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं अपने हाथों से ललिता की चूचियों और राज के लंड को भी सहलाने लगी।
जय इस सबसे जैसे बेख़बर होकर बेरोकटोक मेरी चूत की चुदाई में लगा रहा। जय मुझे लगभग 25-30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा और मेरे पेट पर अपना पानी निकाल दिया। ललिता ने उसका रस अपनी साड़ी से पौंछ दिया।
मेरे पति ने मुझे एक प्यारी मुस्कान के साथ मेरी चूत को एक प्यार भरी चुम्मी दी।
मैंने भी उसका लंड दबा कर उसके होंठों पर चुम्मी देकर बड़े प्यार से उसको धन्यवाद किया।
अब ललिता की बारी थी। वो बिस्तर पर लेट गई। जय ने उसकी चूत चाट कर उसे तैयार किया और मैंने राज का लंड चूस कर उसे ललिता को चोदने के लिए तैयार किया।
ललिता ने भी मुझसे अपने पति का लंड उसकी चूत में डालने की फरमाइश की, जो मैंने खुशी से पूरी कर दी।
मेरे पति ने हमारे सामने ललिता की चुदाई शुरू कर दी। जय और मैं उन दोनों के पास ही बैठ गए और उनके खेल का आनन्द उठाने लगे।
जय और मैंने ललिता के हाथ थाम लिए और उसके जिस्म, सिर, चूचियों और पेट को प्यार से सहलाने लगे। ललिता भी मेरी चूचियों और जय के लंड से खेलने लगी और राज बेधड़क उसकी चुदाई किए जा रहा था। वाह, क्या सीन था…!
राज की ललिता के साथ 15-20 मिनट की घनघोर चुदाई के बाद जय बोला- राज, अब मैं तुम्हें ललिता की गाण्ड मारते हुए देखना चाहता हूँ।
राज ने कहा- ठीक है..!
और ललिता से घोड़ी वाले आसान में बिस्तर पर लेट जाने को कहा। ललिता उकडूँ होकर बिस्तर पर लेट गई और जय ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को फैला कर राज के सामने ललिता की गाण्ड खोल दी।
फिर मैंने राज के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर ललिता की गाण्ड के छेद में लगा दिया। राज धीरे धीरे अपना लौड़ा ललिता की गाण्ड में घुसाने लगा, फ़िर जब पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया तो जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
ललिता को भी राज से अपनी गाण्ड मरवा कर बड़ा मज़ा आ रहा था।
इस तरह से राज ने मेरे और जय के सामने 15-20 मिनट तक खूब ज़ोर-ज़ोर से ललिता की गाण्ड को चोदा और फिर अपना रस ललिता के गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूतड़ों पर बरसा दिया। फिर मैंने अपनी साड़ी से पौंछ कर ललिता के चूतड़ों को साफ कर दिया।
साथ ही ललिता भी जय को उसका लंड चूस कर उसे भी तैयार करने लगी।
मैं बिस्तर पर अपने दोनों जाँघें फैलाकर लेट गई, मेरी सपाट चिकनी खुली चूत जय के लंबे लौड़े का आघात सहने को अब पनिया चुकी थी।
जय मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया।
तब मैंने ललिता से कहा, “अगर वो बुरा ना माने तो क्या वो अपने हाथों से जय के लंड को मेरी चूत में डाल सकती है।”
ललिता सहर्ष तैयार हो गई और अपने पति के लौड़े को अपने हाथ में लेकर मेरी चूत में डाल दिया, जय ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।ललिता और मेरे पति हमारे पास ही बैठ कर जय के लंबे लंड को मेरी चूत की सैर करने के दृश्य का आनन्द उठाने लगे।
उन दोनों ने मेरे हाथ थाम लिए और मेरे पूरे शरीर और मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं अपने हाथों से ललिता की चूचियों और राज के लंड को भी सहलाने लगी।
जय इस सबसे जैसे बेख़बर होकर बेरोकटोक मेरी चूत की चुदाई में लगा रहा। जय मुझे लगभग 25-30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा और मेरे पेट पर अपना पानी निकाल दिया। ललिता ने उसका रस अपनी साड़ी से पौंछ दिया।
मेरे पति ने मुझे एक प्यारी मुस्कान के साथ मेरी चूत को एक प्यार भरी चुम्मी दी।
मैंने भी उसका लंड दबा कर उसके होंठों पर चुम्मी देकर बड़े प्यार से उसको धन्यवाद किया।
अब ललिता की बारी थी। वो बिस्तर पर लेट गई। जय ने उसकी चूत चाट कर उसे तैयार किया और मैंने राज का लंड चूस कर उसे ललिता को चोदने के लिए तैयार किया।
ललिता ने भी मुझसे अपने पति का लंड उसकी चूत में डालने की फरमाइश की, जो मैंने खुशी से पूरी कर दी।
मेरे पति ने हमारे सामने ललिता की चुदाई शुरू कर दी। जय और मैं उन दोनों के पास ही बैठ गए और उनके खेल का आनन्द उठाने लगे।
जय और मैंने ललिता के हाथ थाम लिए और उसके जिस्म, सिर, चूचियों और पेट को प्यार से सहलाने लगे। ललिता भी मेरी चूचियों और जय के लंड से खेलने लगी और राज बेधड़क उसकी चुदाई किए जा रहा था। वाह, क्या सीन था…!
राज की ललिता के साथ 15-20 मिनट की घनघोर चुदाई के बाद जय बोला- राज, अब मैं तुम्हें ललिता की गाण्ड मारते हुए देखना चाहता हूँ।
राज ने कहा- ठीक है..!
और ललिता से घोड़ी वाले आसान में बिस्तर पर लेट जाने को कहा। ललिता उकडूँ होकर बिस्तर पर लेट गई और जय ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को फैला कर राज के सामने ललिता की गाण्ड खोल दी।
फिर मैंने राज के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर ललिता की गाण्ड के छेद में लगा दिया। राज धीरे धीरे अपना लौड़ा ललिता की गाण्ड में घुसाने लगा, फ़िर जब पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया तो जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
ललिता को भी राज से अपनी गाण्ड मरवा कर बड़ा मज़ा आ रहा था।
इस तरह से राज ने मेरे और जय के सामने 15-20 मिनट तक खूब ज़ोर-ज़ोर से ललिता की गाण्ड को चोदा और फिर अपना रस ललिता के गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूतड़ों पर बरसा दिया। फिर मैंने अपनी साड़ी से पौंछ कर ललिता के चूतड़ों को साफ कर दिया।