कलयुग की द्रौपदी

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raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:50

जग्गा नेहँसते हुए बोला – रुक साली! जाने के पहले ज़रा मेरा लॉडा तो चूस थोड़ा बहुत टनटना गया है!

माला ने आग्या का पालन किया और घुटनों के बल बैठ कर जग्गा की लूँगी उपर की. ऐसा करते ही अचानक लंड फंफना कर उसके होठों पे लगा.

माला चुटकी लेते हुए बोली – सरकार, इसको तो सह में खाली करना होगा नही तो आपकी नाज़ुक लुगाई तो आसमान में उड़ते हुए परलोक पहुँच जाएगी.

ये कहते हुए उसने अपने होंठ उसके लंड पर रख दिए. लंड में तो जैसे आग लगी थी. उसकी चटख से एक बार तो माला ने लंड पे से मूह हटा लिया पर फिर उसे धीरे-धीरे मूह में लेकर चुसकने लगी. गरम होंठों की गर्मी और जीभ की सरसराहट से जग्गा पागल हुआ जा रहा था. उसने माला का सर पीछे से दोनो हाथों से थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से उसे आगे पीछे करने लगा. उसका 10” लंबा लंड माला के गले तक चोट कर रहा था और उसकी आँखें बाहर की तरफ उबलने लगी थी. वासना में पागल जग्गा पूरा हैवान नज़र आ रहा था. उसका चेहरा तमतमा कर लाल हो गया था और उसके कानों के उधर आग लगी हुई थी. माला के आँखों से आँसू निकल गये और उसके गले से गो-गो की भरराई आवाज़ आने लगी. 2 मिनिट में ही जग्गा के लंड से गरमा गरम वीर्य निकला जो माला के मूह में ऐसा लगा जैसे किसीने गरम लावा पिचकारी में भरके मारा हो. 15 सेकेंड तक जग्गा ने अपना बीज माला के मूह में गिराया और फिर अपना लॉडा बाहर निकालके माला का मूह बंद कर दिया और बोला – पूरा पी ले कुतिया, कुछ भी गिरना नही चाहिए!

माला का चेहरा भयानक लग रहा था. आँखें लाल, होंठो की लिपस्टिक आस-पास फैल गयी थी, आँसू की वजह से काजल चेहरे पर फैल गया था.

उसने पूरा वीर्य पी लिया और सहम्ते हुए बोली – सरकार, आपको पक्का यकीन है ना की ये लड़की आपकी गर्मी से मरेगी नही??

“तू डर मत कुतिया”, खुद से चुदने को जो तैयार हो जाए उसे हम गुड़िया जैसा चोद्ते और रखते है. हमारी प्यारी चिड़िया बनेगी पर पिंजरे की और उसको जब हम मसलेंगे तो उसको भी बहुत मज़ा आएगा. कुच्छ दीनो में जब रति-क्रीड़ा के बारे में सब सीख जाएगी तो वो खुद ही चुदवाने के लिए तड़प्ती रहेगी. तू देखती जा. – रंगा बोला.

माला के जाने के बाद दोनो उपर कमरे में आ गये.

अंदर घुसते ही रंगा ने दरवाजे की कुण्डी लगा दी. दोनो बिस्तर के तरफ बढ़ने लगे.

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घूँघट में से रानी ने देखा की दोनो पलंग के दोनो साइड पर खड़े हैं तो वो अपने आप में और सिमट गयी.

इस पल के बारे में माला ने उसे अच्छी तरह से समझा दिया था इसलिए वो अंदर से बहुत सहमी हुई थी. रंगा ने एक साइड से उसके हाथ लगाकर घूँघट को धीरे से उठना चाहा तो रानी मारे शरम के अपने हाथेलियो से चेहरा ढक लिया.

दूसरी तरफ से जग्गा बिस्तर पे चढ़ आया और रानी के बाजू में बैठता हुआ उसकी एक नाज़ुक हथेली अपने तगड़े हाथ से पकड़कर हौले से खीचते हुए बोला – गुड़िया रानी! अपने भगवान से शर्मा रही हो. अभी तो खाली घुघाट उतरा है, आगे और क्या कया उतरेगा मालूम है??

हालाकी उन दोनो को रानी के शरमाने से कोई एतराज़ नही था क्यूंकी ये उनकी प्यास और बढ़ा रहा था पर साथ ही वो उसके कमसिन, भोले, और सजे-धजे मुख का दीदार भी करना चाहते थे.

दूसरे तरफ से रंगा भी रानी के बाजू बैठ गया और हौले से अपने होठ उसके कान के करीब लाकर लवो को चुभलने लगा. इस अप्रत्याशित क्रीड़ा से रानी के हथेली अनायास ही अपने चेहरे से हट गयी और वो बच्चों जैसे हँसने लगी.

raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:51

रंगा के होठों की सरसराहट और उसकी मूछों से पैदा हुई गुदगुदी रानी को सर से पाव तक कपकपा गयी.

अब उसका सेक्सी चेहरा दोनो के सामने था जो स्वर्ग की अप्सरा जैसा दिख रहा था. बड़ी-बड़ी कजरारी आखें, गालों पर मास्कारा, होठों पे लिपस्टिक कातिलाना लग रही थी.

नज़रें तो उसकी नीचे ही झुको हुई थी की अचानक उसे रंगा-जग्गा की धोती में सामने की तरफ वो तंबू जैसा फिर नज़र आया. उसे अब ये ग्यात हो गया था की ये उनके विशालकाय लंड है. और उसी एहसास से उसके अंदर एक सर्द लहर बिजली के भाँति गुज़र गयी.

माला के अनुसार आज की रात रानी के लिए काफ़ी दर्द भरी होगी क्यूंकी उसके देवता उसके पिछले जनम के पाप पहले उतारेंगे फिर दूसरे दिन से उसे स्वर्ग का आनंद मिलेगा.

गाओं की भोली, नादान रानी इन बातों को सच जान मंन-ही-मंन अपना तन-मंन उन दोनो को समर्पित कर चुकी थी.

जग्गा, जिसने रानी की राइट कलाई को थाम रखा था अब रंगा की तरह उसे कान और गर्दन पर चूमने लगा.

रानी की आँखें मस्ती और मीठी गुदगुदी से बंद होने लगी.

उसी मस्ती में डूबी थी जब रंगा ने अपना एक हाथ रानी के पीछे ले गया और उसके चोली के डोरियों से खेलने लगा. उसने तीनो डोरियों को हौले से उंगलियों की हरकत से खोल दिया. तभी जैसे रानी को होश आया और वो बकरी की तरह मिमियाते हुए बोली - ई का कर रहे हैं जी?? हमार चोली उतर जाएगा, नंगा हो जाएँगे हम!!

रंगा गरम साँसे लेते हुए उसके कान में फुसफुसाया – अब बर्दाश्त नही होता है गुड़िया रानी, अपना रसीला चूची से दूध नही पिलाओगी का हमको??

रानी रंगा की गरम साँसों से सनसानाते हुए अपने आप में सिकुड़ते हुए भोलेपन से बोली – ई का कह रहे है आप?? भला हमारे छाती से दूध कहाँ निकलेगा??

रंगा हँसते हुए बोला – निकलेगा रानी निकलेगा! दूध नही पर यौवन रस निकलेगा.

ये कहते हुए वो धीरे-धीरे रानी के चोली की एक बाह पकड़ कर उसके हाथ से बाहर खीचने लगा. दूसरे तरफ से जग्गा ने भी सहयोग किया और रानी के शर्मीले ना-नुकुर पर भी चोली निकाल कर दूर कोने में फेक दी.

अपने छाती पर ए/सी का ठंडा पन रानी नेएक पल महसूस कर शरमाते हुए अपने दोनो हाथों से छाती को ढक लिया.

रंगा बड़े लाड से बोला – अपने देवता को नाराज़ नही करते चिड़िया! आओ हमसे क्या शरम. हम तो तोहरे मरद हैं. ई वीराने में दूर दूर तक कोई नही है जो तुमको देख सकता है.

पुचकारते हुए उसने रानी के हाथ उसकी छाती से हटाने में सफलता प्राप्त कर ली.

उन यौवन घाटियों का दर्शन पा दोनो निहाल हो गये और एक ठंडी साँस बाहर छ्चोड़ी. उनकी ललचाती नज़रें रानी के नंगे छाती पर काटो जैसी छुभन पैदा कर रहे थे. इसलिए झेंप कर उसने अपनी हथेलियों से अपना मूह छिपा लिया. हालाकी रानी सावली थी फिर भी शरम की अधिकता की वजह से उसका चेहरा लाल हो गया था.

नंगी छाती पर वो तोतापरी आम के आकार के चूची और उसके एंड पर भूरा सा 1 से. मी लूंबी घुंडी दोनो को दीवाना बना गये.

उन्होने रानी को पालती मारकर बैठने को कहा जिसका पालन रानी ने अपने चेहरा ढके ही किया.

अपने आस पास के हालात से अन्भिग्य रानी बस ये शोच रही थी की अब ये दोनो उसकी चूचियों का क्या करेंगे.

दोनो ने रानी के गोद में दोनो तरफ से सर रख दिया और छाती की तरफ मूह करके अपने गरम होठ उसकी चूचियों की एक-एक घुंडी पर रख दिया.

रानी के पुर जिस्म में एक बिजली का झटका स्सा लगा और उसने हाथ हटा कर फ़ौरन बिस्तर पर पीछे सरकने को हो गयी. पर दोनो ने शायद इसकी कल्पना पहले ही कर ली थी इसलिए उन्होने अपने एक-एक हाथ को रानी के पीठ पर रख कर उसे मजबूती से जाकड़ लिया.

रानी 1” भी पीछे ना सरक सकी और जल बिन मछ्ली की तरह छटपटाकर रह गयी.

अब तक दोनो मज़े से रानी की आधी चूची को अपने विशाल मूह में भरकर चूस- रहे थे. दोनो के दाँत जब चूची पर कभी गढ़ते या वो घुंडी को जानबूझ कर काट लेते तो रानी के मूह से दर्दभरी सिसकी निकल जाती.

1-2 मिनिट बाद रंगा-जग्गा की क्रीड़ा जो रानी को अत्याचार लग रही थी अब उसे मदमस्त किए हुए थी. इस मस्ती की कल्पना उसने कभी ना की थी. जब दोनो घुंडी को अपने होठों के बीच लेकर चूसते तो कई बार रानी को यही लगता था की उसके पूरे जिस्म और छाती से होती हुई कोई सुई की धार समान तरल उसके घुंडीयों में पहुँच रही हो.

दोनो बच्चों के जैसे रानी के चूचियों को चूस रहे थे.

रानी की उम्र की लड़कियों के हालाकी काफ़ी भरे स्तन हो जाते है पर इसकी 4’5” की काया थोड़ी नाबालिग बच्चियों जैसी थी जिसपर ये स्तन बाकियों से हटकर तोतापरी आम जैसे थे.

कम हाइट की वजह से कमर भरी भरी लगती थी पर वजन फिर भी एक 15 साला लड़की जितना था.

रंगा-जग्गा की गर्दन हवा में होने की वजह से थोड़ी अकड़ने लगी तो रंगा बोला – आए दुल्हिन हमरा तो गर्दन दुखने लगा और तुमको तो पूरा मज़ा आ रहा है. ई कौन सा न्याय है. चलो अब अपने हाथ से हमको अपना चूची पान कराओ.

अचानक मस्ती में आए ब्रेक से रानी भी विचलित हो गयी पर फिर भी लज्जा से बोली – धत्त, हम कैसे अपने हाथ से ये करेंगे. हमको शरम आती है.

raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:52

जग्गा बोला –ई तो जायज़ नही है गुड़िया, तुम पूरा मज़ा लो और हम दर्द सहते रहे.

जग्गा के इस नरम बनावटी शिकायत से रानी मान गयी.

उसने दोनो के सर अपनी गोद में रख लिए और अपने हाथों से एक-एक चूची थामकर उनके होठों पर सटा दी.

अब रंगा-जग्गा मज़े से रानी की चूचियों का रास्पान करने लगे. रानी पर पूरे शराब के बॉटल जितना नशा छाया हुआ था और धीरे-धीरे वो मीठा एहसास उसे जांघों के बीच में भी महसूस हुआ.

एक अजनबी एहसास जो उसके चूत के दानों पर सरसराहट कर रहे थे. रानी को ऐसा महसूस हुआ जैसे पेट के नीचे कोई बाँध टूटने वाला है और वो बेहोश होने वाली है. ये एहसास मीठा था पर बिल्कुल अंजाना इसलिए डरते हुए वो बोली – अजी सुनते हैं! हमको अंदर कुच्छ अजीब सा लग रहा है.

दोनो ने चूची चुभलना छ्चोड़ दिया और रंगा नेउत्सुक होके पूछा- क़ा बात है हमारी चिड़िया, कहाँ क्या अजीब लग रहा है?

रानी भोलेपन से बोली – पता नही जब आपलोग हमरी छाती पे कुछ-कुछ करते हैं तो पेट के नीचे अजीब सा गुदूम-गुदूम होता है और.........

रंगा ने उसकी आगे की बात काट कर बोली – छाती नही रानी और कुछ-कुछ भी नही. बोलो, जब चूची चूसते हैं तो......बोलो, शरमाओ मत अब हमारे बीच में कोई परदा थोड़े ना है.

रानी शरमाते हुए बोली – हां वही.....जब आप चू...ची चू...स्ते है तो पेट के नीचे कुछ होता है.

जग्गा ने जिग्यासा से पूछा – कहाँ रानी जान?? यहाँ का???

ये कहते हुए उसने अपनी एक हथेली रानी की चूत पर रख जाँच लिया.

रानी ने लाज की अधिकता से ‘हाई राम’ कहते हुए मूह फेर लिया. रंगा ने रानी के गाल पर हाथ रख उसका मूह फिर अपनी ओर किया और बोला – इसमे घबराने की कोई बात नही है मेरी गुड़िया, ऐसा तो हर लड़की के साथ होता है जब वो अपने पति परमएश्वर के साथ चुदाइ करती है तो.

जग्गा बोला- देखो चिड़िया, आज तुम्हारे लिए सब कुछ नया होगा, इसलिए घबराओ मत और सब कुछ हम पर छ्चोड़ दो. गॅरेंटी देते है की जो होगा तुम्हे सुख देने के लिए होगा और तेजस्वी प्रतापी संतान के लिए. बिना कोई डर के खुलकर हमारे साथ मज़ा लो तभी तो तंदूरुस्त पुत्र होगा, समझी??

रानी जग्गा की इन बातों को सुनके थोड़ा शांत हुई और अज्ञानता के कारण अपने आपको उनके हवाले कर दिया. अब उसने सोच लिया की जब ये मेरे परमेश्वर है तो उसे परेशान होने की क्या ज़रूरत. उसने निस्चय किया की वो बिना कोई सावल-जवाब किए उनकी एक-एक बात मानेगी और उनको खुश करने का पूरा प्रयास करेगी.

रानी ने फिर से अपनी चूची थामकर दोनो के होठों पर सटा दिया. जब उसका ध्यान चूचियों पर पड़ा तो उसने देखा जगह-जगह पर काटने की वजह से लाल निशान पड़ गये थे.

रंगा-जग्गा बच्चों की तरह रस-पान करने लगे. जब भी दोनो में से कोई चूची या घुंडी को दातों से काट लेता तो रानी के मूह से एक सिसकारी निकल जाती और तभी उस दर्द को भूलने के लिए कोई उसके नंगे बगलों में उंगलियों से गुदगुदी कर देता. इस तरह ये खेल कुछ 10 मिनिट तक चलता रहा और रानी भी मस्ता कर सोचने लगी की ये स्त्री-पुरुष का मिलन तो इतना भी बुरा नही है जैसा माला कह रही थी. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपसे पूंछरहा हूँ क्या माला की ये सोच सही है ???

रंगा-जग्गा ने महसूस किया की रानी के वक्ष कड़क हो गये थे और किशमिश के दाने भी टाइट और पूरी तरह तन गये थे. अब उन्हें दूसरे राउंड की तैयारी करनी थी.

जग्गा चूची चूसना छ्चोड़ बिस्तर पे खड़ा हो गया और अपनी धोती खोल दी. रानी ने एक चूची की मस्ती में कमी महसूस की और आँखें खोली तो सामने जग्गा का मोटा और लंबा लंड लहराते देखा.

रूम के नाइटबूलब के मधिम प्रकाश में अचानक इतना काला और लंबा हिलता हुआ कुछ देख एक बार को रानी हकबका गयी और उसके मूह से हल्की चीख निकल गयी.

रंगा की तद्रा भंग हुई और उसने वो नज़ारा देखा तो हंस पड़ा. साथ में जग्गा भी हंसते हुए बोला – का रे गुड़िया रानी, रंगा बाइक पे बोला था ना प्यार करे का समान के बारे में. यही है वो. इसी का तुमको रोज पूजा करके प्रसाद निकाल के पान करना होगा.

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