हिन्दी में मस्त कहानियाँ

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The Romantic
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 19:28

फलवाले से चुदाई

लेखिका: सानिया रहमान



मेरा नाम सानिया रहमान है। मैं अपने शौहर के साथ चंडीगढ़ में रहती हूँ लेकिन हम दोनों ही लखनऊ के रहने वाले हैं। मैं दिखने में बेहद खूबसूरत और सैक्सी हूँ। मेरा रंग गोरा, बाल एक दम काले घने लंबे और आँखें भुरी हैं। मैं अपने रंग-रूप का बेहद ख्याल रखती हूँ और हमेशा सज-संवर कर टिपटॉप रहना पसंद है मुझे। मैंने होम-सायंस में एम-ए किया है। शौहर से मेरी शादी कुछ साल पहले ही हुई है। शौहर एक बड़ी कंपनी में मार्कटिंग मैनेजर हैं। वो सुबह जल्दी चले जाते हैं और फिर रात के आठ-नौ बजे तक वापस आते हैं। महीने में करीब दस से बारह दिन तो उन्हें चंडीगढ़ से बाहर भी जाना पड़ता है। मैं बेहद सैक्सी हूँ लेकिन शौहर छः-सात दिनों में महज़ एक ही दफा मेरी चुदाई करते हैं। मेरी चुदाई की भूख नहीं मिट पाती और मैं खूब चुदवाना चाहती हूँ।



घर में तमाम दिन अकेली रहती हूँ। घर की साफ-सफाई के लिये सुबह एक कामवाली आती है इसलिये मुझे दिन भर ज्यादा कुछ काम भी नहीं होता। वैसे टीवी से काफी वक्त बीत जाता है क्योंकि मैं केबल पर सीरियल और रियल्टी शो वगैरह देखने की शौकीन हूँ। हफ्ते में तीन-चार दिन तो अकेले ही दोपहर में मार्केट या मॉल में खरीददरी और विन्डो शॉपिंग या फिर थियेटर में फिल्म देखने निकल जाती हूँ। इसके अलावा इंटरनेट सर्फिंग भी करती हूँ और अक्सर पोर्न वेबसाइटों पर गंदी फिल्में और कहानियाँ पढ़ कर मज़ा लेती हूँ। हकीकत में सिर्फ मेरे शौहर ने ही मुझे चोदा था लेकिन तसव्वुर में तो मैं हज़ारों मर्दों से चुद चुकी थी जिनमें फिल्मी हीरो और दूसरे सलेब्रिटी से लेकर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में मिलने वाले हर तबके के गैर-मर्द शामिल थे। अक्सर मैं किसी पड़ोसी या किसी दुकानदार, माली, पोस्ट-मैन, फल-सब्ज़ी वाले का तसव्वुर करते हुए केले से चोद कर अपनी चूत की आग बुझाती थी। शौहर की सर्द-महरी की वजह से वक्त के साथ-साथ मेरी तिशनगी इस कदर बढ़ गयी कि मैं किसी गैर मर्द के लंड से हकीकत में चुदवाने का सोचने लगी।



हमारे मुहल्ले में घूम-घूम कर सब्ज़ी और फल बेचने वाले आते रहते हैं। उनमें से एक फल बेचने वाले का नाम मोहन था। वो मुझसे बहुत ही मुस्कुरा-मुस्कुरा कर बात करता था और कभी-कभी मज़ाक भी कर लेता था। क्योंकि मैं हमेशा अच्छे कपड़े और सैंडल पहन कर सज-संवर के रहती हूँ इसलिये वो कईं बार मेरी तारीफ भी कर देता और कहता कि “आपको तो फिल्मों में काम करना चाहिये!” दिखने में वो भी ठीक-ठाक था। उसकी उम्र बीस-इक्कीस साल से ज्यादा नहीं थी लेकिन उसका जिस्म एक दम गठीला था। मैं अक्सर उसका तसव्वुर करते हुए अपनी चूत को केले से चोद कर मज़ा लेती थी। मैंने सोचा कि मैं मोहन को थोड़ा सा और ज्यादा लिफ्ट दे दूँ तो शायद बात बन जाये और मुझे उससे चुदवाने का मौका मिल जाये। क्योंकि मुहल्ले के लोग शौहर को अच्छी तरह से जानते पहचानते थे, मुझे डर था कि अगर मैंने मुहल्ले में किसी के साथ चुदवाया तो शौहर को पता चल जायेगा। मुहल्ले में ज्यादातर सर्विस करने वाले ही रहते थे और नौ-दस बजे के बाद मुहल्ले में सन्नाटा हो जाता था। लेखिका: सानिया रहमान



करीब एक हफ्ता लगा मुझे हिम्मत जुटाने में और सही मौका मिलने में। इस दौरान मैंने एहतियात के तौर पे बर्थ-कंट्रोल पिल्स भी लेनी शुरू कर दी। फिर एक दिन मेरे शौहर दो-तीन दिन के लिये बाहर गये हुए थे और मैं पक्के इरादे से मोहन का इंतज़र करने लगी। उस दिन मैंने तैयार होने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। गुलाबी रंग के डिज़ायनर सलवार कमीज़ के साथ काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सेन्डल पहने और मैचिंग लिपस्टिक, ऑय-शेडो, फाऊँडेशन वगैरह से पूरा मेक-अप किया था। करीब ग्यारह बजे मोहन की आवाज़ सुनायी पड़ी, “केले ले लो केले!” वो जब मेरे घर के सामने आया तो बोला, “मेम साब! केले चाहिये? बहुत ही लंबे और मोटे केले हैं!” मैंने कहा, “पहले अपने केले दिखा तो सही!” वो गेट खोलकर बरामदे में मेरे पास आया और अपने सिर से फल की टोकरी उतार कर ज़मीन पर रख दी। फिर वो खुद भी नीचे बैठ गया और उसने मुझे एक बहुत बड़ा केला दिखाते हुए कहा, “मेम साब! आप ये केला देखो! बहुत ही अच्छा है आपको मज़ा आ जायेगा!” मैंने मुस्कुराते हुए सैक्सी अंदाज़ में कहा, “ये केला तो मुलायम सा है मुझे एक दम टाइट और बड़ा केला चाहिये!” उसने मुझे दूसरा केला दिखाते हुए कहा, “तो ये वाला देखो!” मैंने कहा, “मुझे कोई खास केला दिखा!” उसने दूसरा केला निकाला और मुझे दिखाते हुए बोला, “फिर ये वाला देखो... आपको ज़रूर पसंद आयेगा! लंबा-मोटा है और टाइट भी है और बहुत पका भी नहीं है!”



मोहन ने निक्कर और बनियान पहनी हुई थी। उसके निक्कर के ऊपर से ही उसका लंड महसूस हो रहा था। ऊपर से उभार देखने में ही मैंने अंदाज़ा लगाया कि उसका लंड आठ-नौ इंच से कम लंबा नहीं होगा। मैंने बिल्कुल बेहया होकर अपना पैर उठा कर सैंडल से उसके लंड की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “तूने जो वहाँ पर एक स्पेशल केला छुपा कर रखा है वो नहीं दिखायेगा? वो क्या किसी और के लिये छुपा रखा है!” वो बोला, “आप मज़ाक कर रही हैं!” मैंने अपने होंठ दाँतों में दबाते हुए कहा, “मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ!” वो शरमाते हुए बोला, “मैं ये केला यहाँ पर कैसे दिखा सकता हूँ?” मैंने इधर उधर देखा तो आसपास कोई नहीं था। मैंने मोहन से कहा, “तू अंदर आ जा और फिर मुझे अपना केला दिखा!” वो अंदर आ गया तो मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया।लेखिका: सानिया रहमान



मैंने उससे कहा, “अब तू अपना वो खास केला मुझे दिखा!” वो बोला, “मेम साब ये केला आपके लायक नहीं है... ये बहुत ही बड़ा है!” मैंने कहा, “ये तो और अच्छी बात है! मुझे बड़ा केला ही चाहिये!” उसने शरमाते हुए अपना लंड निक्कर से बाहर निकाला और बोला, “लो देख लो!” उसका लंबा और मोटा लण्ड देखकर मेरी धड़कनें तेज़ हो गयीं और चूत में खलबली सी मच गयी। मैंने कहा, “बेहद शानदार केला है ये तो! मुझे तेरा केला पसंद है... मुझे यही केला चाहिये!” वो बोला, “मेम साब बहुत दर्द होगा!” मैंने कहा, “बाद में मज़ा भी तो आयेगा!” वो बोला, “वो तो मुझे पता नहीं मेम साब! लेकिन ये केला खाने से आपकी फट सकती है! अब तक मेरी भाभी और आपकी तरह ही एक मेम साब के कहने पर उन्हें अपना ये केला खिला चुका हूँ और दोनों ही बर्दाश्त नहीं कर सकीं! दोनों की कईं जगह से कट फट गयी थी और दोनों ने ही फिर कभी इसे खाने की हिम्मत नहीं की!” मैंने कहा, “मैं तो कईं दिनों से ऐसा ही केला ढूँढ रही थी!” वो बोला, “आप सोच लो मेम साब! मैं तो जैसा आप कहेंगी वैसा करने के लिये तैयार हूँ… आगे आपकी मर्ज़ी! कुछ हो गया तो मुझ पर इल्ज़ाम मत लगाना!”



मैं मोहन के करीब गयी तो उसके जिस्म से पसीने की बास आ रही थी। मैंने कहा, “तेरे जिस्म से तो बास आ रही है… पहले तू नहा ले उसके बाद मैं तेरे इस केले का स्वाद चखुँगी!” मैंने उसे बाथरूम में लेजाकर एक अच्छी सी महक वाला साबुन दे दिया। उसने अपनी बनियान और निक्कर उतार दी और नहाने लगा। मैं वहीं खड़ी उसे निहारती रही। उसने जब अपने लंड पर साबुन लगा कर उसे खूब रगड़ा तो उसका लंड एक दम टाइट हो गया। मैं उसके नौ इंच लंबे और बहुत ही मोटे लंड को देखती ही रह गयी। लंड लम्बा तो था ही लेकिन उससे ज्यादा खास बात थी उसकी गैर-मामुली मोटाई। “सुभान अल्लाह!” मेरे मुँह से निकला और मेरे जिस्म में उसके लंड को देखकर आग सी लगने लगी। मैंने कहा, “ला मैं तेरे इस केले पर साबून लगा देती हूँ।” मैंने उसके हाथ से साबुन लेकर उसके लंड पर साबुन लगाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही उसके लंड का जूस निकल कर मेरे सैंडलों पर गिरने लगा। मैंने खिझते हुए थोड़ा गुस्से से कहा, “ये क्या? तेरे लंड का जूस तो इतनी जल्दी निकल गया?” वो बोला, “मेम साब क्या करूँ ज़िंदगी में तीसरी बार किसी औरत ने मेरे लंड पर अपना हाथ लगाया है वो भी एक साल बाद इसलिये मैं जोश में आ गया लेकिन अब इसका जूस जल्दी नहीं निकलेगा!” मैंने कहा, “अब तो तेरे लण्ड को खड़े होने में थोड़ा वक्त लगेगा अब तू जल्दी से नहा कर बाहर आ जा ताकि मैं तेरे केले का स्वाद चख सकूँ!” वो बोला, “बस मैं अभी आता हूँ मेम साब!”लेखिका: सानिया रहमान



मैं बाहर बेडरूम में आ गयी। पहले तो मैंने अपनी उंगलियों से अपने पैरों और सैंडलों से उसके वीर्य को पोंछा और फिर अपना हाथ नाक के पास ले जाकर सूँघा। फिर ज़ुबान बाहर निकाल कर मैं अपनी उंगलियों से मोहन का वीर्य चाटने लगी। मेरी चूत की हालत खराब थी और खूब भीग गयी थी। मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फटाफट सलवार कमीज़ उतार दी और पैंटी चूत पर से एक तरफ खिसका कर सहलाने लगी। इतने में ही वो भी नहा कर मेरे बेडरूम में नंगा ही आ गया। वो आँखें फाड़े मुझे निहारता रह गया क्योंकि मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी और हाई हील के सैंडल पहने उसके सामने मौजूद थी और अपनी चूत सहला रही थी। मैं अपनी चूत सहलाना छोड़ कर उसके करीब आ गयी। अब उसका जिस्म खुशबू से महक रहा था। मैंने उसका ढीला लंड अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया और फिर थोड़ी देर बाद नीचे बैठते हुए मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसके लण्ड मेरे मुँह में अकड़ने लगा तो मैंने उससे कहा, “तू भी मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाट!” फिर मैंने खुद ही अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। मैंने कहा, “मैं लेट जाती हूँ और तू मेरे ऊपर आ जा ताकि मैं भी तेरा केला खा सकूँ!” मैं लेट गयी और वो मेरे ऊपर 69 की पोज़िशन में हो गया। मैंने उसका लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो मेरी चूत को चाटने लगा। जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर लगायी तो मेरे जिस्म में सुरसुरी सी होने लगी और मैं सिसकरियाँ भरते हुए उसके लंड को तेजी के साथ चूसने लगी।



दो मिनट बाद ही मेरी चूत से रस निकलने लगा। मैं बड़े प्यार से मोहन का लंड चूस रही थी। मेरी चूत का रस चाटने के बाद वो रुक गया। मैंने पूछा, “क्या हुआ… तू रुक क्यों गया?” तो वो बोला, “मेमसाब आपकी चूत ने तो रस छोड़ दिया...!” मैंने कहा, “तो क्या हुआ… थोड़ी देर और मेरी चूत को चाट फिर उसके बाद मेरी चुदाई करना!” वो फिर से मेरी चूत को चाटने लगा। उसका लण्ड भी अब फिर से कड़क हो गया था और मोटाई की वजह से मेरे मुँह में बेहद मुश्किल से समा रहा था। मुझे अपना मुँह इस कदर फैला कर खोलना पड़ रहा था की मुझे लग रहा था कि मेरा जबड़ा ही ना टूट जाये।



करीब पाँच मिनट बाद मैं फिर झड़ गयी। फिर मैंने कहा, “अब तू मेरी चुदाई कर अपने इस मोटे लण्ड से!” मैंने अपने चूतड़ के नीचे दो तकिये रख लिये। इससे मेरी चूत एक दम ऊपर उठ गयी। उसके बाद मैंने उसे एक पका हुआ केला लाने को कहा। वो बाहर कमरे में जाकर अपनी टोकरी में से एक केला ले आया। मैंने वो केला लकर छीला और उसे अपनी मुठ्ठी में मसल डाला और केले का थोड़ा सा गूदा अपनी चूत पर लगाने लगी। वो बोला, “मेमसाब ये आप क्या कर रही हो?” मैंने मुस्कुराते हुए शोख अदा से कहा, “बस तू देखता जा!” फिर मैंने थोड़ा सा केले का गूदा उसके पूरे लंड पर भी लगा दिया! उसके बाद मैंने उससे कहा, “अब चोद अपने लण्ड से मेरी चूत को… अब केले के गूदे की वजह से तेरा ये लंबा और मोटा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में आसानी से घुस जायेगा!” लेखिका: सानिया रहमान



वो मेरी टाँगों के बीच में आ गया और उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के लबों को फैला कर बीच में रख दिया और मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू कर दिया। उसका लंड फिसलते हुए मेरी चूत में घुसने लगा। मुझे हल्का-हल्का दर्द होने लगा। जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में करीब पाँच इंच तक घुसा तो मुझे बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा और मेरे मुँह से चींखें निकलने लगी। वो बोला, “मेमसाब आप कहें तो मैं बाहर निकाल लूँ!” मैंने कहा, “तू परवाह ना कर और धीरे-धीरे पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसाना ज़ारी रख… मैं कितनी भी चिल्लाऊँ पर तेरा तमाम लण्ड अंदर घुस जाने से पहले तू रुकना मत!” उसने अपना लंड दबाना ज़ारी रखा। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल था। लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहे का रॉड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसता जा रहा हो। मेरा सारा जिस्म थरथर काँपने लगा और मेरी टाँगें जवाब देने लगी। जब उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया तो मैंने मोहन से रुक जाने को कहा तो वो रुक गया। वो मेरे मम्मों को मसलते हुए मुझे चूमने लगा। थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने कहा, “अब तू बहुत ही धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर!” वो अपना लंड मेरी चूत में धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लग। मुझे फिर से दर्द होने लगा और मैं दर्द के मारे चींखने लगी। मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया था।



पाँच मिनट तक वो बहुत ही धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर करता रहा। अब मेरा दर्द कुछ कम हो चुका था और मुझे मज़ा आने लगा था। दो मिनट बाद ही मैं झड़ गयी तो मैंने मोहन से कहा, “अब तू जिस तरह से चाहे मेरी चुदाई कर!” उसने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और जोर-जोर के धक्के लगाने लगा। अब मुझे और ज्यादा मज़ा आने लगा। मैं भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मोहन का साथ देने लगी। मुझे एक दम ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था जो कि मुझे आज तक कभी नहीं मिला था। वो मेरे मम्मों को मसलते हुए मेरी चुदाई कर रहा था।लेखिका: सानिया रहमान



दस मिनट इस तरह चुदवाने के बाद जब मैं फिर से झड़ गयी तो मैंने उसे लंड मेरी चूत के बाहर निकालने को कहा। वो बोला, “क्या हुआ मेमसाब!” मैंने कहा, “अब तू अपना लंड और मेरी चूत को साफ़ कर दे और फिर मेरी चुदाई कर… अब केले के गूदे का कोई काम नहीं है! वो तो मैंने तेरा ये लंबा और मोटा लंड आसानी से अपनी चूत में लेने के इरादे लगाया था!”



उसने बेड की चादर से मेरी चूत को साफ़ कर दिया और फिर अपने लंड को साफ़ करने लगा। उसके बाद उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में धीरे-धीरे घुसाना शुरू कर दिया। मुझे फिर से दर्द होने लगा लेकिन मैंने उसे रोका नहीं। धीरे-धीरे उसने अपना पूरा का पूरा लंड फिर से मेरी चूत में घुसा दिया और मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा।



दस-पंद्रह मिनट चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी। मोहन के लण्ड से चुदने में मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊँ। मन कर रहा था कि इसी तरह चुदवाती रहूँ। मैं पलट कर डॉगी स्टाइल में हो गयी और उसे फिर से चोदने को कहा। उसके बाद उसने अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके में पीछे से मेरी चूत में डाल दिया। मेरे मुँह से जोर की चींख निकली लेकिन वो रुका नहीं। वो मुझे एक दम आँधी की तरह से चोदने लगा। तमाम बेड जोर-जोर से हिलने लगा। कमरे में ‘चप-चप’ और ‘धप-धप’ की आवाज़ गूँज रही थी। मैं जोश में पागल सी हुई जा रही थी और मैंने “और तेज चोद.. और तेज चोद मुझे!” कहना शुरू कर दिया था। मोहन ने भी मेरी आवाज़ सुन कर और भी जोरदार धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी। अब उसके हर धक्के से मेरा पूरा का पूरा जिस्म हिल रहा था। वो बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी पूरे जोश के साथ मोहन से चुदवा रही थी।लेखिका: सानिया रहमान



थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो उसने अपना लंड मेरी चूत के बाहर निकाल लिया और मुझे बेड के किनारे पर लिटा दिया। उसके बाद वो मेरी टाँगों के बीच में आ कर ज़मीन पर खड़ा हो गया और मेरी चूत में लंड घुसेड़ कर चुदाई करने लगा। अब वो मेरे दोनों मम्मों को मसलते हुए मुझे बहुत ही ज़ोरों चोद रहा था। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और मेरे मुँह से “ऊऊहहह. आआहहह.. और. तेज. और.. जोर से.. फाड़ दे मेरी चूत…” को जैसी आवाज़ें निकलने लगी। वो भी पूरे दमखम के साथ मेरी चुदाई कर रहा था।



इसी तरह से उसने मुझे काफी देर तक चोदा और फिर आखिर में मेरी चूत में ही झड़ गया। उसके साथ ही साथ मैं भी फिर से झड़ गयी। वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा। हम दोनों की साँसें बहुत तेज चल रही थी। उससे चुदाई के दौरान मैं पाँच बार झड़ चुकी थी। आज मुझे चुदवाने का वो मज़ा मिला जिसका मैं बरसों से इंतज़ार कर रही थी। थोड़ी देर बाद जब उसका लंड मेरी चूत में बिल्कुल ढीला पड़ गया तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे ऊपर से हट गया।



उसने अपने कपड़े पहन लिये और जाने लगा तो मैंने उससे कहा, “अब तू रोज आ कर मेरी चुदाई ज़रूर करना!” वो बोला, “मेम साब! मुझे भी आज आपकी चुदाई करने में वो मज़ा आया है कि मैं बता नहीं सकता... कमाल की औरत हो आप… मैं रोज ही आपकी चुदाई करुँगा!” उसके बाद वो चला गया। करीब एक महीने तक मैं उससे रोज-रोज चुदवाती रही और खूब मज़ा लेती रही। उसके बाद एक दिन मैंने मोहन से कहा, “आज मैं तुझसे गाँड मरवाना चाहती हूँ!” वो बहुत ही खुश हो गया। मोहन से पहली-पहली बार गाँड मरवाने के बाद मैं तीन-चार दिनों तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। उसके बाद मैं मोहन से आराम से गाँड भी मरवाने लगी। मुझे उससे गाँड मरवाने में भी बहुत मज़ा आता था। वो रोज ही मेरे पास आता और तरह-तरह के स्टाइल में मेरी बहुत ही बुरी तरह से चुदाई करता था। उसे झड़ने में भी बहुत वक्त लगता था और वो मेरी गाँड भी बहुत ही बुरी तरह से मारता था।



करीब छः-सात महिनों तक मैं मोहन से चूत और गाँड दोनों ही मरवाती रही। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चला गया। उसके जाने के बाद मैंने कईं गैर-मर्दों के साथ चुदवाया लेकिन मुझे मोहन के लंड से चुदवाने में जो मज़ा आया था वो मज़ा मुझे अब तक नहीं मिला और ना ही मोहन के जैसा लंबा और मोटा लंड ही कभी मिला।

!!!! समाप्त !!!!

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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 19:29

मेरी ज़िंदगी का राज़

शाज़िया मिर्ज़ा



बहुत ही हिम्मत करके इस कहानी के ज़रिये मैं अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी हक़ीकत बयान कर रही हूँ जिसका रुसवाई के डर से मैं किसी से भी रुबरू हो कर ज़िक्र नहीं कर सकती। दर‍असल मैं पिछले करीब आठ सालों से बाकयदा अपने पालतू कुत्ते से चुदवाती आ रही हूँ। मुझे पूरा एहसास है कि मेरी हरकतें इस दुनिया की नज़रों में बेहद नाजायज़ और बदकार हैं लेकिन मैं अपने कुत्ते से चुदवाये बगैर नहीं रह सकती। मैं उससे बेहद मोहब्बत करती हूँ और उससे चुदवाने की निहायत आदी हो चुकी हूँ। अपनी दास्तान तफसील से बयान करने से पहले मैं अपने बारे में बता दूँ। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



मेरा नाम शाज़िया मिर्ज़ा है और मैं सैंतीस साल की मॉडर्न ख्यालों वाली तालीम-याफता तलाकशुदा औरत हूँ। मैंने बंगलौर के नामी-गिरामी कॉलेज से एम-बी-ए किया हुआ है। वैसे तो मैं नासिक की रहने वाली हूँ लेकिन तलाक के बाद पिछले ग्यारह साल से मैं मुम्बई में अकेली रहती हूँ और एक प्राइवेट बैंक में जनरल मैनेजर हूँ। अच्छी-खासी तनख्वाह है जिसकी वजह से मेरा लाइफ-स्टाइल भी काफी हाई-क्लास है।



वैसे तो मैं पिछले आठ साल से अपने एलसेशन कुत्ते, ‘जैकी’ से चुदवा रही हूँ लेकिन कुत्तों से चुदाई से मेरा तार्रुफ बा‍ईस साल की उम्र में ही हो गया था। तब मैं नासिक में ही एम-कॉम कर रही थी और फाइनल ईयर शुरू होने के पहले दो महीने ट्रेनिंग के लिये मुम्बई आयी थी। मेरे अब्बू के किसी दोस्त की एक दूर की रिश्तेदार तब मुम्बई में जुहू इलाके में अकेली रहती थीं और मैं उन ही के साथ उनके शानदार फ्लैट में पेईंग-गेस्ट बन कर रहने लगी। उनका नाम सईदा था और वो करीब चालीस साल की बहुत ही खूबसूरत और खुशदिल औरत थीं। उनके शौहर किसी दूसरे मुल्क में नौकरी करते थे। शायद दुबई या कुवैत में पर मुझे ठीक से याद नहीं। मैं उन्हें ‘सईदा आँटी’ कह कर बुलाती थी। उनके पास एक बड़ा सा काले रंग का डोबरमैन कुत्ता भी था जिसे वो ‘जानू’ कह कर बुलाती थीं।



ट्रेनिंग के लिये मुझे नारीमन पॉइन्ट के करीब जाना पड़ता था इसलिये मैं सुबह ही निकल जाती थी और शाम को लौटती थी। शाम को मैं खाना बनाने में सईदा आँटी की मदद करती और उनके कुत्ते जानू के साथ खेलती और टीवी देखती थी। उनके शानदार फ्लैट में तीन बेडरूम थे इसलिये मैं और सईदा आँटी अलग-अलग कमरे में सोती थीं। एक-दो हफ्तों में मैं सईदा आँटी से काफी वाकिफ हो गयी। सईदा आँटी काफी खुले और आज़ाद ख्यालों वाली थीं। हर रोज़ रात को खाने से पहले टीवी देखते हुए शराब के एक-दो पैग पीती थीं। मुझसे भी बॉय-फ्रेंड्स वगैरह के बारे में पूछती और अपने कॉलेज के दिनों में इश्कबाज़ी के किस्से और शादी से पहले गैर-मर्दों से अपनी चुदाई के किस्से भी मुझे सुनाती। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



एक दिन शाम को मैं घर आयी तो सईदा आँटी ने मुझे बताया कि उन्हें एक पार्टी में जाना है और उन्हें लौटने में रात को काफी देर हो जायेगी। उन्होंने मुझे हिदायत दी कि मैं दरवाजा ठीक से अंदर से लॉक कर लूँ और खाना खा कर सो जाऊँ और उनके लौटने का इंतज़ार ना करूँ। उनके पास बाहर से दरवाजा खोलने के लिये दूसरी चाबी थी। मैं खाना खा कर टीवी देखने लगी और टीवी देखते-देखते वहीं सोफे पर ही सो गयी।



करीब आधी रात के वक्त सईदा आँटी वापस लौटीं तो मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि सईदा आँटी काफी नशे में थीं। इससे पहले मैंने उन्हें कभी इतने नशे में नहीं देखा था। उन्होंने ऊँची हील के सैन्डल पहने हुए थे और नशे में उनके कदम ज़रा से लड़खड़ा भी रहे थे। “काफी मज़ा आया पार्टी में... आज थोड़ी ज्यादा ही पी ली”, सईदा आँटी मुस्कुराते हुए बोलीं। “तू फिक्र ना कर और अंदर जा कर सो जा.... सुबह जाना भी है तुझे.... मैं थोड़ी देर टीवी देखुँगी... मेरी सहेली ने एक इंगलिश मूवी की कैसेट दी है!” (उस ज़माने में सी-डी या डी-वी-डी प्लेयर नहीं थे) लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



उन्हें ड्राइंग रूम में छोड़ कर मैं अपने बेडरूम में जा कर सो गयी। सोते हुए मुझे करीब एक घंटा हुआ होगा जब सिसकरियों की आवाज़ से मेरी नींद खुल गयी। हालाँकि मुझे चुदाई का कोई तजुर्बा नहीं था लेकिन मैं बा‍ईस साल की थी और सैक्सी किताबों और ब्लू-फिल्मों की बदौलत उन सिसकरियों का मतलब बखूबी समझती थी। लेकिन मुझे ताज्जुब इस बात का था कि सईदा आँटी के साथ आखिर था कौन। मैं बिस्तर से उठी और दरवाजे के पास जाकर बिना आवाज़ किये धीरे से थोड़ा दरवाजा खोला। जब मैंने ड्राइंग रूम में झाँक कर देखा तो मुझे अपनी नज़रों पर यकीन नहीं हुआ।



सईदा आँटी ने जो सलवार-कमीज़ पहले पहन रखी थी वो अब सोफे पर एक तरफ पड़ी थी और उनके जिस्म पर इस वक्त सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और उनके पैरों में वही ऊँची पेंसिल हील वाले सैन्डल मौजूद थे। सबसे हैरत की बात ये थी कि सईदा आँटी फर्श पर अपने हाथ और घुटनों के बल झुकी हुई थीं और उनका कुत्ता जानू पीछे से उनकी कमर के दोनों तरफ अपनी अगली टाँगें जकड़े हुए उनके चूतड़ों पर चढ़ा हुआ था और आहिस्ता-आहिस्ता झटके मार रहा था। सईदा आँटी की पीठ पर पुरी तरह से झुका हुआ वो कुत्ता सामने देख रहा था और उसके कुल्हे एक लय में सईदा आँटी के चूतड़ों पर आगे-पीछे ठुमक रहे थे। सईदा आँटी अपनी आँखें मूंदे सिसक रही थीं। करीब दो मिनट तक मैं हैरत-अंगेज़ आँखें फाड़े देखती रही और उसके बाद मेरे होशो हवास बहाल हुए। साफ ज़ाहिर था कि उस डोबरमैन कुत्ते के लन्ड से अपनी चूत चुदवाते हुए सईदा आँटी दुनिया जहान से बिल्कुल बेखबर थीं।



फिर अचानक जानू ज़ोर से झटका मारते हुए सईदा आँटी की कमर पर और आगे झुक गया और उसके कुल्हे हैरत-अंगेज़ रफ्तार से आगे-पीछे चोदने लगे। जानू के पिछले पैर ज़मीन पर फिसलने लगे थे लेकिन उसने चोदने की रफ्तार ज़रा भी कम नहीं की। “आऊ...! आआऊ...! ऊऊऊहहह...! ऊँआआऊ!” सईदा आँटी ज़ोर से कराहने लगीं और अपना एक हाथ नीचे से अपनी टाँगों के करीब ले गयीं। “ओहह नहींऽऽ! आआऊऊऽऽऽ! ऊँऽऽ...! मर गयीऽऽऽ!”



कुत्ता जो भी कर रहा था उसकी हरकत से सईदा आँटी को तकलीफ हो रही थी। उनकी मुठ्ठियाँ फर्श के मुकाबिल जकड़ कर बंद और खुल रही थीं। उनका खुला हुआ मुँह दर्द से बिगड़ा हुआ था। “ऊँहहऽऽ आआईईऽऽऽ! मादरचोद.... जानू! आज फिर तूने अपनी ज़ालिम गाँठ अंदर ठूँस दी!” कराहते हुए सईदा आँटी फर्श पर ज़रा सा आगे की ओर खिसकीं तो कुत्ता भी उनके साथ चिपका हुआ खिंच गया लेकिन उनसे अलग नहीं हुआ। कुत्ते ने उसी तेज़ रफ्तार से चोदना ज़ारी रखा। मुझे साफ ज़ाहिर था कि सईदा आँटी तकलीफ में थीं। उनके खिसकने से अब वो दोनों साइड से मेरी नज़रों के सामने थे और मैं उनकी तकलीफदेह हालत साफ-साफ देख पा रही थी। कुत्ते के लन्ड की जड़ में गेंड जैसी फूली हुई गाँठ सईदा आँटी की चूत में पैंठ कर फंस गयी थी और दोनों एक दूसरे से वैसे ही जुड़ गये थे जैसे कुत्ता और कुत्तिया अक्सर आपस में चिपक कर जुड़ जाते हैं।



“ऊँऊँऽऽ जानू...!” सईदा आँटी कराही पर फिर उन्होंने जूझना बंद कर दिया और अपनी गाँड हवा में कुत्ते के मुकाबिल और ऊपर ठेल कर अपना सिर फर्श पर टिका दिया। जानू अभी भी ज़ोर-ज़ोर से आगे पीछे चोदना ज़ारी रखे हुए था। सईदा आँटी अब पुर-सकून हो गयी थीं तो कुत्ता बहुत तेज़ रफ्तार से छोटे-छोटे झटके मार कर चोद रहा था। जानू के कुल्हे लरजते और काँपते नामुदार हो रहे थे। मुझे फिर से सईदा आँटी की सिसकियाँ और कराहें सुनाई दीं लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि एक बार फिर हालात उनके काबू में थे और अब उन्हें मज़ा आ रहा था। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



मुझे भी एहसास नहीं हुआ कि मैंने कब अपनी नाइटी उठा कर पैंटी में हाथ डाल कर अपनी चूत सहलाना शुरू कर दिया था। मैंने देखा कि सईदा आँटी के ऊपर झुके हुए जानू ने अचानक अपने कुल्हे चलाना बंद कर दिये और उसी तरह बे-हरकत खड़ा हो गया। सईदा आँटी से कस कर चिपका हुआ कुत्ता ऐंठ कर काँप रहा था। उसकी आँखें भी शीशे की तरह जम गयी थीं। फिर उसने आहिस्ता-आहिस्ता अपने कुल्हे चला कर चोदना शुरू किया लेकिन एक-दो मिनट में ही फिर से बिल्कुल रुक गया। उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि जानू ने सईदा आँटी की चूत में अपना रस छोड़ दिया है।



जानू तो निबट गया था लेकिन जब उसने सईदा आँटी से अलग होने की कोशिश की तो ज़ाहिर हो गया कि वो और सईदा आँटी अभी भी एक दूसरे से चिपक कर जुड़े हुए थे। “नहीं... जानू...! प्लीज़! रुक! जानु रुक!” सईदा आँटी ने उसे हुक्म दिया। जानू भी फरमाबरदार था और सईदा आँटी की कमर से उतरने की और कोशिश नहीं की और मुँह खोलकर अपनी जीभ बाहर निकाले हाँफता हुआ उनकी कमर पर चढ़ा रहा। सईदा आँटी भी हाँफ रही थीं और गहरी साँसें ले रही थीं। “मेरा अच्छा बच्चा जानू!” वो प्यार से बोलीं, “नाइस बॉय! बस ऐसे ही रुके रहो!” जानू सईदा आँटी की पीठ पर निढाल सा हो गया और उनकी गर्दन और बालों को चाटने लगा। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



सईदा आँटी बहुत ही एहतियात से आहिस्ता से खिसकीं ताकि उनकी चूत में फंसी कुत्ते के लन्ड की गाँठ पर खिचाव ना पड़े। ऐसे ही कुलबुलाते हुए सईदा आँटी थोड़ा और इधर उधर खिसकीं और अपना दाहिना हाथ अपनी टाँगों के बीच में ले जा कर अपनी चूत और कुत्ते के लन्ड को टटोला। फिर सईदा आँटी अपनी चूत सहलाने लगीं। बहुत ही चोदू नज़ारा था। दो-तीन मिनट में ही सईदा आँटी पूरे जोश में अपनी चूत अपने हाथ और उंगलियों से ज़ोर-ज़ोर से सहला रही थीं जबकि उनका आशिक-कुत्ता जानू उनकी कमर पर सवार था और उसका लन्ड उनकी चूत में फंसा हुआ था। इधर मैं भी अपनी चूत ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी।



मुझे ये देख कर हैरत हुई कि कुत्ते ने फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपने कुल्हे चलाने शुरू कर दिये। सईदा आँटी के हिलने डुलने और लन्ड से भरी चूत सहलाने से शायद जानू का लन्ड फिर से उकसा गया था। “नहीं जानू! फिर से नहीं! रुक..!” सईदा आँटी कराहते हुए चींखी लेकिन वो खुद उस वक्त बहुत मस्ती में थीं और झड़ने के करीब थीं। जानू अब ज़ोर-ज़ोर से अपने कुल्हे आगे-पीछे चलाने लगा था और सईदा आँटी भी अपने चूतड़ हिलाती हुई पूरे जोश में अपनी चूत रगड़ने लगीं। “आआआईईईऽऽ! आआऽऽऽ ऊँआआआईईईऽऽऽ!” सईदा आँटी की चूत में झड़ने की आगाज़ी लहरें फूटने लगीं तो वो मस्ती में कराहने लगीं। कुत्ते का लन्ड उनकी चूत में वैसे ही कायम था और दोनों ने अपनी-अपनी मस्ती में डूबे हुए अपनी अलग-अलग ताल पकड़ ली।



“ऊँहह आँहह ऊँऽऽ आँईईऽऽ!” सईदा आँटी ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थीं। उनका चमकीला जिस्म ऐंठ गया था। एक हाथ अपनी चूत सहलाने में मसरूफ होने की वजह से वो एक ही हाथ के सहारे झुकी हुई थीं और उनके तने हुए मसल लरज़ते हुए अलग ही नज़र आ रहे थे। वो रुक-रुक कर लंबी साँसें लेती तो फुफकारने जैसी आवाज़ निकलती। जानू बेहद जोश में सईदा आँटी की चूत में लन्ड पेल रहा था और सईदा आँटी भी वैसे ही डटी रही। सईदा आँटी की चूत में झड़ने की आखिरी लहरें दौड़ने लगीं तो उनकी ताल अहिस्ता हो गयी और उन्होंने अपना हाथ चूत से हटा लिया। एक बार फिर अपने दोनों हाथों और घुटनों के सहारे झुकी हुई स‍इदा आँटी अपनी कमर पर कुत्ते को सम्भालने लगीं।



कुत्ता भी वैसे ही झड़ने लगा जैसे कि पिछली बार झड़ा था। बस इतना फर्क था कि इस बार झड़ते हुए वो दो -तीन बार रिरियाया। “ओहह जानू! आँहह जानू!” स‍इदा आँटी सिसकीं, “ऊँह! आँह! उँहह.. ऊँह!” सईदा आँटी की सिसकियों और कुत्ते की रिरियाहट से साफ ज़ाहिर था कि कुत्ते के लन्ड से गरम शीरा सईदा आँटी की चूत में बह रहा था। सईदा आँटी उस वक्त जानू की कुत्तिया बनी हुई थी। कईं सारे हल्के-हल्के झटके मारते हुए जानू का झड़ना बंद हुआ और फिर से वो सईदा आँटी की कमर पर निढाल सा हो गया।



“मादरचोद जानू! तूने फिर से चोद दिया! मेरी चूत दर्द कर रही है!” सईदा आँटी सिसकते हुए बोली, “बस अब ऐसे ही रुके रहो!” जानू को तो जैसे पहले से ही स‍इदा आँटी के इस हुक्म की उम्मीद थी। वो पहले से ही बिना हिले-डुले उनकी पीठ पर झुका हुआ था। दोनों थके हुए और ज़ाहिरन मुतमाइन थे। स‍इदा आँटी ने अपना सिर फर्श पर टिका दिया लेकिन अपनी गाँड कुत्ते के मुकाबिल उठी रहने दी जिसका लन्ड इस वक्त अपनी कुत्तिया की चूत में कस कर बंधा हुआ था।



मैं खुद तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अपनी चूत रगड़ते हुए एक बार फिर झड़ने के बहुत करीब थी। तभी जानू ने मेरी तरफ देखा और उसके कान खड़े हो गये। “या अल्लाह!” मैं मन ही मन में बोली। खुशकिस्मती से सईदा आँटी थोड़ा कसमसायीं और कुत्ते का ध्यान पल भर के लिये उनकी तरफ फ़िर गया। मैंने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और पलट कर बिस्तर में घुस गयी। मेरा दिमाग घूम रहा था और हज़ारों ख्याल उमड़ रहे थे। साफ ज़ाहिर था कि अपने कुत्ते से स‍इदा आँटी की ये चुदाई पहली दफा नहीं थी बल्कि वो अक्सर उससे चुदवाती थीं।



हालाँकि मुझे चुदाई का तजुर्बा नहीं था लेकिन मैं चुदाई से मुत्तलिक सब जानती थी। सत्रह-अठारह साल की उम्र से ही मैं भी हम-उम्र लड़कियों की तरह सैक्स में दिल्चस्पी लेने लगी थी। स्कूल के दिनों में ‘मिल्स एंड बून’ की रोमाँटिक किताबें बहुत मज़े लेकर पढ़ती थी और फिर बी-कॉम के दिनों से धीरे-धीरे गंदी सैक्सी किताबें पढ़ने का शौक लग गया था। दिन में कईं बार अपनी उंगलियाँ या केले, मोमबत्ती और वैसी कोई भी चीज़ अपनी चूत में घुसेड़-घुसेड कर चोदते हुए मज़े लेती थी। बी-कॉम के फाइनल इयर में ही थी जब मैंने पहली बार कुछ सहेलियों की सोहबत में ब्लू-फिल्म देखी थी और अब तक पाँच छः दफा ब्लू-फिल्में देख चुकी थी। लेकिन आज तो मैंने चुदाई का एक ऐसा हैरत‍अंगेज़ और चुदास नज़ारा अपनी आँखों से देखा था जो मैंने पहले कभी किसी ब्लू-फिल्म या सैक्सी किताब में भी नहीं पढ़ा था और ना ही ऐसा कभी तसव्वुर किया था।



फिर एक हफ्ते बाद मैं नासिक वापस आ गयी और धीरे-धीरे वक्त गुज़र गया। एम-कॉम पूरा करने के बाद मुझे एम-बी-ए करने के लिये बैंगलौर के बहुत ही जाने-माने कॉलेज में दाखिला मिल गया। बैंगलौर में हॉस्टल में रहती थी और इस दौरान मैंने कभी-कभार शराब पीना भी शुरू कर दिया। मैं बेहद खूबसूरत और हसीन थी और स्कूल के ज़माने से ही कितने ही लड़के मुझे लाइन मारते थे लेकिन मैं कभी भी किसी के इश्क़ में नहीं पड़ी ना ही शादी से पहले कभी किसी से चुदवाया।



एम-बी-ए पूरा होते ही मेरा निकाह हो गया। मेरे शौहर भी काफी तालीम-याफता थे और उनकी बेहद अच्छी नौकरी थी। शादी के बाद शुरू-शुरू में उनके साथ बेहद खुश थी पर धीरे-धीरे मुझे पता चला कि मेरे शौहर को सट्टे-बाजी का शौक था। अक्सर क्रिकेट मैचों के वक्त बड़ी-बड़ी शर्तें लगाते थे। मैंने कईं दफा उन्हें समझाने रोकने की कोशीश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर में एक दिन बहुत बड़ी शर्त हार कर दिवालिया भी हो गये तो मुझे दहेज के लिये परेशान करने लगे। आखिर में तंग आ कर शादी के दो साल बाद ही मैंने तलाक ले लिया और मुम्बई में एक बड़े प्राइवेट बैंक में नौकरी कर ली।



मुम्बई में मैं अकेली किराये के फ्लैट में रहने लगी। इसलिये हिफाज़त और अकेलापन दूर करने के लिये एक एलसेशन कुत्ता ले लिया। आहिस्ता-आहिस्ता ज़िंदगी बाकायदा चलने लगी। ज्यादा वक्त तो मैं काम में ही मसरूफ रहती और अक्सर मुझे दूसरे शहरों और कभी-कभार गैर-मुल्कों जैसे अमेरिका, यूरोप भी दौरों पर जाना पड़ता। ज़िंदगी वैसे तो पुरसुकून थी लेकिन तन्हाई की वजह से मैं कुछ ज्यादा ही चुदासी रहने लगी थी। हालाँकि ऐसे हज़ारों मौके आये कि जब अगर मैं चाहती तो गैर-मर्दों से चुदवा सकती थी लेकिन मैं कभी हिम्मत नहीं जुटा पायी। पाँच-छः साल पहले स‍इदा आँटी के किस्से के बावजूद अपने कुत्ते जैकी से चुदवाने का ख्याल भी कभी मेरे ज़हन में नहीं आया। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



अपनी चुदासी चूत की भड़कती प्यास बुझाने के लिये मैं हर रोज़ मैस्टरबेशन का सहारा लेती। कॉलेज के ज़माने की तरह ही फिर से गंदी सैक्सी किताबों और ब्लू-फिल्मों का चस्का लग गया। इसके अलावा मैंने अक्सर शराब पीना भी शुरू कर दिया। जब भी काम के सिलसिले में यूरोप जाती तो डिल्डो और ब्लू-फिल्में ज़रूर खरीद कर लाती। इस तरह मैंने तरह-तरह के छोटे-बड़े कईं डिल्डो जमा कर लिये और रात-रात भर मैं इन डिल्डो से अपनी चूत की आग बुझा कर मज़ा लेती।



ऐसे ही करीब दो साल बीत गये। एक दिन की शाम को मैं बैंक से घर लौटी तो मैं बेहद चुदासी महसूस कर रही थी। लौटते हुए रास्ते में मैं चर्च-गेट स्टेशन के नज़दीक सड़क किनारे पटरी पर बिकने वाली हिंदी की दो-तीन गंदी सैक्सी कहानियों की किताबें ले कर आयी थी। अगले दिन इतवार था इसलिये शराब की चुस्कियों के साथ चुदासी कहानियों का मज़ा लेने का प्रोग्राम था। दरसल अंग्रेज़ी की सैक्सी कहानियों के मुकाबले मुझे हिंदी और उर्दू के गंदे अश्लील अल्फाज़ों वाली चुदासी कहानियाँ पढ़ने में ज्यादा मज़ा आता है।



घर पहुँचते ही कपड़े बदले बगैर ही मैं ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ कर वोडका की चुस्कियाँ लेते हुए वो रंगीन चुदासी किताबें पढ़ने में मसरूफ हो गयी। कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते जल्दी ही मेरी चूत मचमचाने लगी और शराब का भी थोड़ा नशा होने लगा। मैंने अभी भी काले रंग का फॉर्मल पेन्सिल स्कर्ट और सफेद टॉप पहना हुआ था। इस दौरान शराब और किताब का मज़ा लेते हुए मैं अपनी स्कर्ट का हुक और ज़िप खोल चुकी थी और पैंटी के अंदर हाथ डाल कर चूत सहला रही थी।



ऐसे ही कुछ देर में नशा इस कदर परवान चढ़ गया कि मैं झूमने लगी। किताब में छपे हर्फ भी साफ नहीं पढ़ पा रही थी तो आखिरकार किताब एक तरफ उछाल कर फेंकते हुए मैं खड़ी हुई और सैंडलों में लड़खड़ा कर चलती हुई और रास्ते में अपनी स्कर्ट और बाकी कपड़े उतारती हुई मैं बेडरूम की तरफ बढ़ी। जब मैं बेडरूम में पहुँची तो पैरों में ऊँची पेन्सिल हील के काले सैंडलों के अलावा मैं मादरजात नंगी थी। बेडरूम में आदमकद आइने के सामने खड़े हो कर मैंने अपना जिस्म निहारा और खुद को आइने में देखते-देखते बेड तक पीछे हटते हुए बिस्तर पर बैठ गयी। अभी भी अपने सामने आइने में देखते हुए मैंने अपनी टाँगें फैलायी और अपनी चूत के ऊपरी लबों पर उंगली फिराते हुए खुद को देखा।



फिर आहिस्ता से अपनी दो उंगलियाँ अंदर घुसेड़ दीं। चूत की मचमचाहट और झड़ने की तमन्ना मुझ पर हावी हो गयी और मैं अपनी चूत में दो उंगलियाँ अंदर बाहर करती हुई पीछे बिस्तर पर कमर के बल लेट गयी। मेरे चूतड़ बिस्तर के किनारे पर थे और पैर ज़मीन पर। मेरी चूत बेहद भीगी हुई थी और मैंने तीसरी उंगली भी अंदर घुसेड़ दी और आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगी। दूसरे हाथ से अपने निप्पल उमेठते हुए मैं सिसक रही थी। फिर अपनी भीगी उंगलीयाँ बाहर निकाल कर मैंने आहिस्ते से उन्हें फिसलाते हुए अपने तंग छेद की तरफ खिसका दिया जो मुझे दिवाना कर देता है। अपनी बीच वाली भीगी हुई चिकनी उंगली मैंने अपनी गाँड के छेद पर फिरायी और फिर आहिस्ता से अंदर घुसेड़ दी। उसी लम्हे मुझे वो महसूस हुआ! यही वो लम्हा था जब मेरी ज़िंदगी में एक नये हसीन दौर का आगाज़ हुआ लेकिन दुनिया की नज़रों में ये मेरी बदकार और बदचलन ज़िंदगी का आगाज़ था! लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



मुझे अपनी गाँड के छेद और उसके अंदर घुसी हुई उंगली के आसपास गरम और मुलायम भीगा सा एहसास हुआ। मैं चौंक कर घबराते हुए हड़बड़ा कर बैठी तो देखा कि जैकी मेरी उंगली चाट रहा था। उसने मेरी तरफ देखा लेकिन उसने चाटना बंद नहीं किया। मेरे अंदर कतरा-कतरा चींख उठा कि उसे रोक दूँ! उसे परे ढकेल दूँ! लेकिन फिर अचानक कईं साल पहले सईदा आँटी और उनके कुत्ते की चुदाई का नज़ारा मेरे ज़हन में उभर आया और फिर शराब के नशे और अपनी उंगली और गाँड के छेद पर जैकी की ज़ुबान के एहसास ने मुझे कमज़ोर बना दिया। मैं अपनी उंगली अंदर-बाहर करती हुई जैकी को अपनी वो उंगली और गाँड ज़ुबान से चाटते हुए देखने लगी।



मैंने नज़रें उठा कर सामने आइने में खुद को जैकी की ज़ुबान से मज़े लेते हुए देखा। ज़लालत का एहसास होने की बजाय ये नज़ारा देख कर मेरी चाहत और ज़्यादा बढ़ गयी। मैंने उसे परे ढकेल सकती थी.... चिल्ला कर डाँटते हुए उसे रोक सकती थी... ! लेकिन उसे रोकने की बजाय मैंने उसकी ये हरकत ज़ारी रहने दी। मुझे जैकी की ज़ुबान अपनी चूत के ऊपर क्लिट की तरफ चाटती महसूस हुई। एक बार फिर उसने ऐसे ही किया लेकिन इस बार उसकी ज़ुबान का दबाव ज्यादा था जिससे कि उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर घुस कर चाटते हुए मेरी क्लिट तक ऊपर गयी। चाटते हुए उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर बाहर फिसलने लगी। बहुत ही मुख्तलिफ़ एहसास था। मुझे उसकी ज़रूरत थी...उसकी आरज़ू थी। काँपते हाथों से मैंने अपनी चूत फैला दी इस उम्मीद के साथ कि वो मेरी तड़पती चूत को अपनी खुरदुरी ज़ुबान से चाटना ज़ारी रखेगा। जैकी ने ऐसा ही किया... अपनी लालची ज़ुबान से मेरी चूत चाटते हुए रस पीने लगा। बे-इंतेहा हवस और वहशियाना जुनून सा मुझ पर छा गया था।



फिर मैं बिस्तर के बीच में अपने हाथों और घुटनों के बल झुककर कुत्तिया की तरह हो गयी और जैकी को भी बिस्तर पर आने को कहा। वो कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और पीछे से मेरी चूत चाटने लगा। मैंने देखा कि उसका लाल-लाल चमकता हुआ लौड़ा कड़क हो कर बाहर निकला हुआ था। उसके लौड़े का नाप देख कर बेखुदी-सी की हालत में मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसका अज़ीम लौड़ा अपनी मुठ्ठी में ले लिया। मेरी इस हरकत से जैकी झटके मारते हुए मेरी मुठ्ठी में अपना लौड़ा चोदने लगा। लेकिन साथ ही उसने मेरी चूत चाटना बंद कर दिया जो मैं नहीं चाहती थी। उसे मसरूर करना उस वक्त मेरी नियत नहीं थी। मैंने उसका लौड़ा सहलाना बंद कर दिया तो वो फिर से मेरी चूत अपनी ज़ुबान से चाटने लगा। मैं मस्त होकर ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगी और कुछ ही देर में चींखते हुए झड़ गयी। जैकी ने फिर भी मेरी चूत चाटना बंद नहीं किया और इसी तरह मेरी चूत ने दो बार और पानी छोड़ा। मुझे ज़बरदस्ती जैकी का सिर अपनी चूत से दूर हटाना पड़ा क्योंकि लगातार चाटने से मेरी क्लिट बहुत ही नाज़ुक सी हो गयी थी और दुखने लगी थी। जैकी के चाटने की मिलीजुली दर्द और मस्ती अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



तीन बार झड़ने के बाद भी मेरी हवस कम नहीं हुई थी। बल्कि अब तो मैं उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिये बेताब हो रही थी। प्यास की वजह से मेरा गला सूख रहा था तो पानी पीने पहले मैं नशे में लड़खड़ाती हुई किचन में गयी। जैकी भी मेरे पीछे-पीछे आ गया। मैं तो नंगी ही थी और जैकी बीच-बीच में मेरी टाँगों के बीच में अपना सिर घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं उसकी ये कोशिश कामयाब नहीं होने दे रही थी तो वो मेरे टाँगें या फिर मेरे पैर और सैंडल चाटने लगता।



पानी पी कर मैं पेंसिल हील के सैंडलों में झूमती हुई ड्राइंग रूम में आ गयी और धड़ाम से गिरते हुए सोफे पर बैठ गयी। फिर अपनी टाँगें फैला कर मैंने जैकी के आगे वाले पंजे अपने हाथों में लेकर उसे अपने नज़दीक खींचते हुए अपने कंधों पर रख दिये। उसका लौड़ा अब बिल्कुल मेरी बेताब चूत के सामने था। अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मैंने उसका लौड़ा अपनी मुठ्ठी में लिया और उसे अपनी चूत में हांक दिया। जैकी जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं भी सोफे से अपनी गाँड ऊपर उठा कर उसके धक्कों का जवाब देने लगी। लेकिन मैं ज्यादा देर तक इस तरह उसका साथ नहीं दे सकी और वापस सोफे पर अपनी गाँड टिका कर बैठ गयी और आगे की चुदाई उस पर ही छोड़ दी। मैंने महसूस किया कि इस पूरी चुदाई के दौरान उसके लौड़े से पतला सा चिपचिपा रस लगातार मेरी चूत में बह रहा था।



मैं दो दफा चींखें मारते हुए इस कदर झड़ी कि मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। फिर थोड़ी देर बाद इसी तरह ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए अचानक जैकी ने एक ज़ोर से धक्का मारते हुए अपने लौड़े के आखिर की गाँठ मेरी चूत में ठूँस दी। मेरी तो दर्द के मारे साँस ही गले में अटक गयी। दर्द इस कदर था कि मैं छटपटा उठी। मुझे अपने शौहर के साथ पहली चुदाई याद आ गयी। थोड़ी सी देर में मेरा दर्द थम गया और मुझे एहसास हुआ कि जैकी झड़ने के बहुत करीब था। उसने चोदना ज़ारी रखा और मैं प्यार से उसके कान सहलाने लगी। फिर अचानक मुझे गरम और बहुत ही गाढ़ा चिपचिपा रस अपनी चूत में छूटता हुआ महसूस हुआ। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा



बाद में मुझे एहसास हुआ कि हम दोनों आपस में वैसे ही चिपक गये थे जैसे मैंने सईदा आँटी और उनके कुत्ते को आपस में जुड़ते हुए देखा था। मैं जैकी को खुद से अलग नहीं कर सकती थी इसलिये मैंने उसे उसी हाल में रहने दिया और मैं उसे पुचकारते हुए उसका जिस्म अपने हाथों से सहलाने लगी। जैकी से इस तरह जुड़ कर चिपके हुए मुझे अजीब सा मज़ा और सुकून महसूस हो रहा था। करीब बीस मिनट बाद उसके लंड की गाँठ सिकुड़ी और हम अलग हुए।



उस एक नशीली शाम के बाद सब कुछ बदल गया और मेरी ज़िंदगी में फिर से बहारें आ गयी... ज़िंदगी का खालीपन दूर हो गया। मैं तो जैकी की इस कदर दीवानी हूँ कि उससे बकायदा हर रोज़ ही तरह-तरह से चुदवाती हूँ... उसका लंड चुसती हूँ और अक्सर गाँड भी मरवा लेती हूँ। जैकी भी बहुत शौक से मेरी चूत चाटने और चोदने के लिये मुश्ताक रहता है। इसके अलावा जज़बाती तौर पे भी हमारे दरमियान बेपनाह मोहब्बत है। हमारा रिश्ता बिल्कुल मियाँ-बीवी जैसा ही है। काश की ये ज़लिम दुनिया हमारे रिश्ते को समझ पाती।



!!!! समाप्त !!!!

The Romantic
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 19:41


चुदास शबाना की

जूजा जी


यह कहानी शबाना नाम की एक लड़की ने मुझे भेजी थी, जो मैं आप के सामने उन्हीं के शब्दों में पेश कर रहा हूँ। हैलो दोस्तो, मेरा नाम शबाना है, मेरी उम्र 22 साल है, मेरी फिगर 36-28-38 है। मैंने कभी कोई ब्वॉय-फ्रेंड नहीं बनाया क्योंकि मैं डरती थी कि घर पर पता ना चल जाए। घर में मेरी अम्मी और चाचू और मैं रहते हैं। मेरे अब्बू कई बरस पहले अल्लाह को प्यारे हो गये थे तो अम्मी और चाचू शौहर बीवी की तरह रहने लगे थे। पर चाचू मुझे हमेशा ही काम-लोलुप नजरों से देखते थे। यह बात ढाई साल पहले की है, जब मेरी नानी की तबियत बड़ी खराब हो गई थी, तो मेरी अम्मी नानी के घर चली गईं। एक दिन रविवार के दिन मैं सुबह-सुबह झुक कर झाड़ू लगा रही थी। मेरे मम्मे दिख रहे थे, तब मेरी नज़र चाचू पर गई, जो मेरे सामने सोफे पर बैठे थे, वो मेरे थिरकते मम्मे देख रहे थे और उनकी पैन्ट पर टेंट तन गया था। रात को मैंने सोचा बाहर चुदा नहीं सकती और चुदाए बिना रह नहीं सकती, तो क्यों ना चाचू से ही चुद लूँ.. इनका तम्बू तो तन ही रहा है। मैं रात को ही चाचू के कमरे में चली गई, चाचू बेड पर सो रहे थे, मैं भी बेड पर लेट गई। मैंने जैसे ही चादर हटाई, मैंने देखा चाचू ने नीचे कुछ भी नहीं पहना है और उनका लण्ड सोया हुआ था, मैंने धीरे से अपना हाथ लण्ड तक किया और उसे पकड़ लिया और धीरे से झुक कर लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। चाचू अभी सो रहे थे, मैं लण्ड को चूसती रही और लण्ड खड़ा हो गया। मैंने लण्ड को मुँह से निकाला तो देखा लण्ड कोई 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था, मैंने फिर से मुँह में ले लिया। मुझे लगा जैसे चाचू जाग गए हों, मैं लण्ड को मुँह से निकालने ही वाली थी कि चाचू ने मेरे सिर को अपने हाथों से दबाया और लण्ड मुँह में घुसा दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे। 15 मिनट तक मेरे मुँह को चोदा और मेरे मुँह में माल डाल दिया। मैंने सारा माल पी लिया और जब मैं उठी, तो देखा चाचू की आँखें बंद थीं। मैंने उनको जगाया, पर वे बिना कोई उत्तर दिए लेटे रहे। फिर मैंने लण्ड को फिर से अपने मुँह में लेने लगी, चाचू का लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैं ज़ोर से मुठ मारने लगी, अब चाचू जाग गए और मुझे देख कर कहने लगे- शबाना तुम.. मुझे ये क्या कर रही हो मैं नींद में था, मुझे लगा कि तुम्हारी अम्मी होगी…. शबाना यह बात ठीक नहीं है…! मैंने कुछ नहीं कहा और लण्ड मुँह में ले कर चूसने लगी, वे फिर कहने लगे- मत करो.. ये गलत है, पर मैं नहीं रुकी और लौड़ा चचोरती रही। जब उनका लंड अपने पूरे शबाब पर आ गया, तो चाचू उठे और मुझे बेड पर धक्का दिया और कहा- अपनी सील तुड़वानी है क्या? मैंने कहा- हाँ प्लीज़…! कह कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। चाचू मेरे ऊपर आए और मेरे मम्मों को मुँह में भर लिया और चूसने लगे फिर अपना लण्ड मेरी चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया और उन का एक इंच लण्ड अन्दर घुस गया। मुझे दर्द हुआ फिर चाचू ने एक और ज़ोर का धक्का दिया, मैं ज़ोर से चिल्ला उठी। चाचू ने अपना लण्ड 4-5 धक्कों में मेरी चूत में पूरा पेल दिया। मेरी चूत से खून निकल रहा था। फिर चाचू ने लण्ड को अन्दर-बाहर करना चालू किया, मुझे लग रहा था कि मेरी चूत में कोई गर्म लोहे की रोड अन्दर-बाहर हो रही है। मुझे दर्द तो हो रहा था, पर मजा भी आ रहा था। करीब 20-25 मिनट के बाद चाचू का पानी निकलने वाला था, तो चाचू ने लण्ड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे और फिर सारा माल मेरे मुँह में ही डाल दिया। मैं सारा पी गई। चाचू बेड पर लेट गए और मैं उन के ऊपर आ कर लेट गई और चाचू से पूछा- तो कैसा लगा अपनी भतीजी को चोद कर..! चाचू ने मेरे मम्मे पकड़ते हुए कहा- रोज सुबह-सुबह तुम्हारे मम्मों को देख कर दिल तो करता था कि मुँह में ले लूँ, पर नहीं कर पाता था..! और फिर चाचू ने मेरे मम्मे मुँह में ले लिए और चूसने लगे। मेरी तो पहली चुदाई थी, मुझे तो पल-पल का मजा आ रहा था। चाचू का लण्ड फिर खड़ा हो गया और चाचू ने फिर मेरी चूत मारी, रात में कई बार चाचू ने मेरी चूत मारी, फिर सुबह जब बाथरूम गई तो चाचू साथ में ही गए और उधर भी उन्होंने मुझे चोदा और फिर चाचू ऑफिस चले गए। मैं कॉलेज नहीं गई। सुबह उठ कर मैंने कपड़े भी नहीं पहने थे। शाम को मैं कमरे में बैठी थी, तो खिड़की से देखा गेट पर चाचू आ गए हैं। चाचू ने दरवाजे की घण्टी बजाई। मैंने दरवाज़ा खोला तो चाचू अन्दर आए और कहा- शबाना कपड़े तो पहन लेती..! चाचू आ कर सोफे पर बैठ गए। मैं रसोई से पानी का गिलास ले कर आई और चाचू को दिया। चाचू ने पानी पिया मैं भी सोफे पर बैठ गई। चाचू ने कहा- तुम्हारी अम्मी को इस बारे में पता चल गया, तो क्या होगा? मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.., हम नहीं बताएँगे..! और मैं चाचू की गोद में आकर बैठ गई और चाचू को चूमने लगी। चाचू का लण्ड खड़ा हो गया। चाचू ने कहा- चलो आज तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ…! मैंने कहा- जो मर्ज़ी करो.. चाचू मैं तो आपकी ही हूँ..! चाचू ने तेल लिया और मेरी गाण्ड पर लगा दिया। चाचू ने मुझे घोड़ी की पोजीशन मैं किया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड के फूल पर रखा और ज़ोर का धक्का दिया.. मैं चिल्ला उठी। चाचू ने एक और ज़ोर का धक्का दे दिया, मैं और ज़ोर से चिल्लाई… पर चाचू बिना रुके धक्के मारते रहे और चाचू का पूरा लण्ड मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। कुछ देर ठहर कर चाचू फिर स्ट्रोक मारने लगे, मुझे और दर्द होने लगा। चाचू बिना रुके मेरी गाण्ड मारते रहे। थोड़ी देर के बाद मुझे भी मजा आने लगा। फिर चाचू ने सारा माल मेरी गाण्ड में ही डाल दिया और लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया और फिर चाचू सोफे पर बैठ गए। मैं चाचू की टाँगों पर बैठ गई। चाचू ने कहा- तुम्हारी अम्मी ने मुझे कभी गाण्ड मारने नहीं दी और मैंने उसकी बेटी की गाण्ड मार ली। मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, तुम बोलो तुम्हें क्या चाहिए? मैंने कहा- आप मेरे को रोज ऐसे ही चोदा करो..! चाचू ने कहा- ओके..! शाम को खाना खाने के बाद चाचू ने फिर से मेरी चुदाई की। 15 दिन मेरी अम्मी अपनी अम्मी के पास रहीं और जब वो वापिस आ गईं, तो रोज रात को एक बजे मैं बाथरूम जाती और चाचू भी आ जाते और एक घन्टे तक बाथरूम में चुदाई के बाद वापिस रूम में आकर सो जाते। कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर मेरी शादी पक्की हो गई, पर हमारा चुदाई का प्रोग्राम यूँ ही चलता रहा पर गर्भ रोकने वाली पिल्स ले लेती थी। निकाह के दिन करीब आ गए, मेहंदी की रात मेरे हाथों में मेहंदी लगी हुई थी, रात को फिर मैं बाथरूम में गई और चाचू पहले से बाथरूम में ही थे। मैंने चाचू को लण्ड निकालने को कहा, चाचू ने लण्ड निकाला और मैंने अपने मेहंदी वाले हाथों से लण्ड को पकड़ा और मूठ मारने लगी और मुँह में ले कर चूसने लगी। फिर चाचू ने मुझे उठाया और मेरी चूत में लण्ड डाल दिया और मेरी चूत मारी फिर मैं चुद कर बाहर आ गई और सो गई। अगले दिन मेरी शादी हो गई। शाम को जब विदाई थी तो मैं फिर से बाथरूम में गई और थोड़ी देर के बाद चाचू भी बाथरूम में आ गए। मैं बाथरूम में दुल्हन के जोड़े में खड़ी थी। चाचू आए और मेरा चुम्बन लिया। मैंने अपना ब्लाउज खोला और ब्रा भी खोली और चाचू ने मेरे मम्मे देखे। मैंने मम्मों पर मेहंदी लगाई थी। मैंने चाचू को कहा- चाचू मैंने अपने शौहर का नाम हाथों पर लिखा है, पर आपका नाम अपने मम्मे पर..! तब चाचू ने कहा- कहाँ पर..! तो मैंने बताया- ये है..! मैंने चाचू का नाम अपने निपल्स के साइड में छोटा सा लिखा था। चाचू ने मम्मे को मुँह में ले लिया और चूसने लगे। फिर चाचू ने मेरी साड़ी ऊपर की और मेरी चूत में लण्ड डाल दिया। हम दोनों का यह नियम था कि एक बार में सिर्फ एक छेद की चुदाई करते थे, पर आज मैंने कहा- चाचू दोनों छेदों को अपने लौड़े की दुआ दो..! तो चाचू ने मेरी गाण्ड भी मारी, चाचू जाने लगे तो मैंने कहा- चाचू लण्ड को मुँह में तो लेने दो..! तो चाचू ने लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे। फिर सारा माल मेरे मुँह में डाल दिया और बाहर आ गए। मैंने माल गले के नीचे नहीं किया और सारा माल मुँह में रखा और पूरे मुँह में घुमाने लगी और फिर तैयार हो गई और बाहर आ गई। मेरे मुँह में अभी भी माल था। विदाई के बाद में अपने ससुराल पहुँच गई। मेरी सुहागरात आ गई, मैं बेड पर बैठ गई। थोड़ी देर के बाद कासिम, मेरे शौहर आए और बेड पर आ कर बैठ गए और मैंने घूँघट लिया था, पर उन्होंने घूँघट नहीं उठाया और मेरे लहंगे को ऊपर किया और मेरी चूत में ऊँगली करने लगे। फिर वो उठा और मेरा घूँघट उठाया। मैंने सोचा गिफ्ट मिलेगा, पर उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। मैं भी चूसने लगी फिर उसने मुझे चोदना शुरु किया तो मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था, क्योंकि चाचू का लण्ड 6 इंच था, पर कासिम का लण्ड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। मुझे उस ने पूरी रात चोदा। मैं पहले गर्भ रोकने वाली पिल्स लेती थी, पर अपने निकाह के बाद से नहीं लेती हूँ। मैं जब पहली बार वापिस अपने पीहर गई, तो चाचू मुझे नहीं चोद सके, क्योंकि उनको समय नहीं मिला। फिर मैं और कासिम हनीमून के लिए शिमला चले गए में प्रेगनेन्ट हो गई। मुझे एक स्वीट सी बेटी हुई, फिर मैं पूरे एक साल के बाद जब घर गई, तो कासिम वापिस आ गए। पर मैं एक हफ्ते के लिए रहने के लिए आई थी। दिन तो निकल गया रात को फिर से मैं बाथरूम में गई। चाचू भी आ गए। चाचू के आते ही मैं उन से लिपट गई और चाचू ने मुझे किस किया और मेरे कपड़े उतार दिए। चाचू ने मेरे मम्मों को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। मेरे मम्मे से दूध निकलने लगा। चाचू ने मेरा एक निप्पल मुँह में भर लिया और बारी-बारी से दोनों मम्मों से दूध पी लिया। फिर मेरी चूत में लण्ड घुसा दिया और मुझे चोदने लगे। चाचू मुझे चोद रहे थे और मैं अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चुदवा रही थी। चाचू थोड़ी देर के बाद झड़ गए और मेरी चूत में ही सारा पानी निकाल दिया। चाचू ने फिर लण्ड निकाल लिया। मैंने उन का लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अब मुझे ससुराल और पीहर दोनों जगह लण्ड मिलने लगे हैं। मैं अपनी जिन्दगी से बेहद खुश हूँ। मेरी दास्तान आपको कैसी लगी


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