कहीं वो सब सपना तो नही

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 10:25

अगले दिन जब उठा तो तबीयत ठीक थी नाश्ता किया ओर कालेज चला गया आज भी दिल
तो कर रहा था की बंक करके घर वापिस आ जाउन ओर मोम की चुदाई देखु पर आज एसा
नही कर सकता था आज कालेज जाना ज़रूरी था क्यूकी आज नोट्स सब्मित करवाने थे
इसलिए छुट्टी होने तक कालेज मे ही बोर होता रहा ,,जब छुट्टी हुई तो सोनिया को
लेके घर आ रहा था तभी सोनिया ने बोला भाई मुझे कविता के घर छोड़ देना मुझे
कुछ काम है,,,,मैने उसको कविता के घर छोड़ा ओर खुद घर की तरफ चल पड़ा,,,
घर पहुँच कर खाना खाया ओर अपने रूम मे चला गया तभी कॉफी पीने का दिल किया
सोचा की मों को बोलता हूँ कॉफी बनाने के लिए जैसे ही नीचे गया तो देखा मों अपने
रूम मे नही थी जब मैं किचन की तरफ गया तो देखा की मों ओर मामा दोनो बाँहों
मे बाँहे डाल कर किस कर रहे थे पहले तो मैने सोचा की अंदर चला जाउन पर
मेरी हिम्मत नही हुई,,फिर मैं पीछे मूड गया ओर वापिस सीडियूं के पास जाके आवाज़
लगाई,,,,,मों मुझे एक कप कॉफी बना दो प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आवाज़ लगाने के बाद ही जल्दी से
मामा किचन से बाहर आ गया,,,ओर पीछे-2 मों भी,,,,अरे मेरे बेटे को कॉफी पीनी
है,,मुझे तो लगा था तुम खाना ख़ाके सो गये हो,,,,हाँ यही लगा होगा तुझे तभी
तो किचन मे भी रंग रलिया मानने मे बिज़ी थी,,,,,,,,नही मों नींद नही आई आज
इसीलिए कॉफी पीने का दिल किया ठीक है बेटा तुम बैठो मैं अभी कॉफी बना देती
हूँ..मों ने कॉफी दी मुझे ओर मैं कॉफी लेके उपर रूम मे चला गया कॉफी पीते
हुए मैं सोचने लगा की मों को कैसे चोदा जाए,,,मामा ने एसा क्या किया था की भाई
को राज़ी कर लिया था अपनी ही मों को चोदने के लिए ओर मामा ने मों को कैसे चोदा होगा
पहली बार,,कॉफी ख़तम हो गई ओर मैने वापिस गेम खेलना शुरू कर दिया,,,,मुझे
गर्मी का एहसास हुआ ओर शावर लेने का दिल किया,,,जब मैं बाथरूम मे गया तो मुझे
याद आया की साथ वाले बाथरूम मे कोई चूत मे उंगली करता है बुआ या शोभा दीदी
ये नही पता,,,,मैने सोचा की मों को तो नंगी देख चुका हूँ क्यू ना शोभा दीदी ओर
बुआ को भी देखा जाए,,मैं कोई तरीका खोजने लगा साथ वाले बाथरूम मे देखने का
पर दीवार मे कोई होल नही था कोई तरीका नही था उधर देखने का,,तभी मैने
देखा की देवार पे एक लकड़ी का बॉक्स था जिसमे ब्रश,,शॅमपू ,,साबुन पड़ा होता है,,
उस बॉक्स के पीछे की दीवार भी लकड़ी की थी वहाँ कोई ब्रिक ओर सेमेंट की दीवार नही
थी,,,मैं बाहर रूम मे गया ओर स्क्रूड्राइवर ले आया ओर बॉक्स की दीवार मे होल करने की
कोशिश करने लगा,,,,बॉक्स दीवार पे फिट नही किया हुआ था बल्कि दीवार मे जगह बना
कर दीवार के अंदर फिट किया हुआ था,,करीब 15-20 मिनिट की कोशिश के बाद मैं एक
छोटा सा होल बनाने मे सफल हो गया,,मैने उसमे से देखा तो मुझे बुआ के बाथरूम
का कुछ हिस्सा नज़र आने लगा मैं खुश हो गया पर मुझे डर भी था कहीं सोनिया या
क़िस्सी ओर को इसके बारे मे पता नही चल जाए इसलिए मैने वहाँ पर एक काग़ज़ का
छोटा सा पीस फसा दिया ओर उसपे लकड़ी जैसा पैंट कर दिया ताकि क़िस्सी को पता नही
चले ओर उसके सामने शॅमपू की बॉटल रख दी,,वो मेरा शॅमपू था इसलिए मुझे पता
था सोनिया इसको नही उठा सकती वैसे भी उसका शॅमपू बॉक्स की नीचे वाली शेल्व पे
रखा हुआ था,,अब मैं रात का वेट करने लगा जब कोई इस बाथरूम मे आएगा ओर अपनी
चूत मे उंगली करेगा,,बाहर निकल कर मैं दोस्तो क पास चला गया ओर डिन्नर टाइम
पे घर आ गया आब रोज रोज मेरा दिल भी नही करता डेड से गाली खाने को, सबके
साथ डिन्नर करके मैं अपने रूम मे चला गया अभी 9:30 हुए थे तो मैं गेम खेलने
लगा तभी सोनिया अंदर आई ओर बेड पे लेट गयी,,गेम खेलते-2 10:30 हो गये अब मुझे
लगा की बाथरूम मे चलना चाहिए क्यूकी 2 रातों से मैं इसी टाइम बाथरूम मे जाता
था तब कोई ना कोई बुआ के बाथरूम मे होता था,,मैने बाथरूम मे जाके कपड़े उतरे
ओर शावर आन कर दिया फिर मैने लाइट ऑफ करके बॉक्स को खोला लाइट इसलिए ऑफ की
ताकि बुआ के बाथरूम मे क़िस्सी को मेरे बाथरूम से आने वाली लाइट से होल का पता
चल सकता था,,,,,लाइट ऑफ करके मैने बॉक्स खोला ओर उस कागज के टुकड़े को होल मे
से निकाला ओर बुआ के बाथरूम मे देखने लगा मेरी टाइमिंग बिल्कुल ठीक थी,,बुआ शावर
ले रही थी,,बुआ को देख कर मैं बहुत खुश हुआ क्यूकी बुआ का नंगा जिस्म बहुत अच्छा
लग रहा था,,बड़े बड़े बूब्स लेकिन मों से ज़्यादा बड़े नही थे,,लेकिन बुआ का
फिगर बहुत मस्त था,,,38 28 40,,,,,क्या मस्त फिगर था ओर कमाल की बॉडी मेरा बुरा
हाल हो गया,,बुआ ने शावर बंद किया ओर साबुन उठा कर बॉडी पे लगाना शुरू किया.
पहले गर्दन पे फिर गर्दन से होते हुए बूब्स पे फिर पेट पर ओर फिर बुआ ने अपनी
एक तंग उठा कर टाय्लेट सीट पे रखी ओर हल्का सा झुक कर टाँग पे साबुन लगाने
लगी मेरा तो हाल बुरा था ,पहले एक टांग पर फिर दूसरी पर क्या बताउन इस टाइम बुआ
कैसे लग रही थी एक दम सुसमिता सेन बस रंग सांवला था पर बुआ पे सांवला रंग ही
सूट करता था क्यूकी उनके नैन नक्श बहुत अच्छे थे ,,फिर बुआ ने शावर आन किया
ओर साबुन को बॉडी से हटाने लगी ओर पूरी बॉडी पे हाथ फेरने लगी,,हाथ फेरते हुए
बुआ अपने बूब्स को बड़े प्यार से सहला रही थी तभी बुआ ने अपना एक हाथ अपनी
चूत पे रख दिया ओर चूत को सहलाने लगी बुआ एक हाथ से चूत सहला रही थी ओर
दूसरे हाथ से बूब्स को मसल रही थी आहह उऊहह
आआआआआअहह मैं समझ गया की रोज इस टाइम बुआ बाथरूम मे आती
है ओर चूत मे उंगली करती है,,,तभी तो 2 दिन से इसी टाइम मुझे बाथरूम से एसी
आवाज़ आती थी,,,,



007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 10:26



तभी बुआ रुक गयी,,,,मुझे लगा की शायद बुआ का हो गया लेकिन बुआ ने मुझे हैरान
कर दिया उनके हाथ मे एक पिंक कलर का नलकी लंड था उन्होने उस लंड को अपने मूह मे
ले लिया ओर चूसने लगी ओर साथ-2 अपनी चूत पे उंगली करने लगी,, मुझे नई पता था
की मेरी बुआ एसी है जो नकली लंड से मज़ा लेती है तभी तो वो अपने रूम को लॉक
करके जाती थी हमेशा,,,बुआ को देख कर इधर मैने भी अपना लंड अपने हाथ मे ले
लिया ओर आयिल लगा कर मालिश करने लगा ,,बुआ ने नकली लंड को मूह से निकाला लंड
पूरी तरह थूक से भीगा हुआ था,,बुआ ने अपनी एक टाँग उठा कर फिर से टाय्लेट
सीट पे रखी ओर लंड को चूत मे गुस्सा लिया ,आहह हयीईईई
उउउहह उउउम्म्म्ममममममममममममममम आआआआआआआआअहह बुआ
एक हाथ से लंड पेल रही थी ओर एक से अपने बूब्स को मसल रही थी इधर मैं भी
पूरी मस्ती से लंड को मसल रहा था,,,मैं यही सोच राह था की बुआ की चूत मे
नकली लंड नही मेरा ये असली मूसल लंड है,,क्या माल लग रही थी मेरी बुआ एक
दम मस्त ,,2 मिंट चूत मे लंड पेलने क बाद बुआ ने लंड को चूत से निकल कर मूह
मे ले लिया ओर चूसने लगी फिर बुआ टाय्लेट सीट पे हाथ रखके आगे की ओर झुक गयी
ओर लंड को अपनी गंद मे लेने लगी लेकिन लंड गंद मे नही गुस्सा ,,बुआ ने दोबारा ट्राइ
किया पर बात नही बनी फिर बुआ ने पास ही पड़ी हुई बॉडी लोशन की बॉटल उठाई
ओर थोडा सा बॉडी लोशन नलकी लंड पे ओर थोड़ा अपनी गंद पे लगाया ओर फिर से ट्राइ
किया इस बार आधा लंड गंद मे चला गया बुआ आधा लंड ही अंडर बाहर करने लगी
2 मिनिट बाद बुआ ने पूरा लंड गंद मे ले लिया ओर तेज तेज पेलने लगी अहह
उूुुुुुुुुुुुुुुउऊहह बुआ के हाथ की स्पीड भूत तेज थी जैसे कोई
मर्द उनकी गंद मे लंड पेल रहा हो,,,इधर मेरे हाथ की स्पीड भी तेज होने लगी,
कुछ ही देर बाद फिर बुआ ने अपनी तंग टाय्लेट सीट पे रखी रो लंड को चूत
मे ले लिया ओर एक हाथ से बूब्स को मसालने लगी आआअहहाआआआआआआहह
ऊऊऊऊऊओह हहयययययययययययययईईईईईईईई ईएहह
हमम्म्मममममममममममममममममममममममममममममम ऊऊऊहह
लंड पूरी स्पीड से अंदर बाहर हो रहा था अब बुआ की आवाज़ तेज होने लगी ,,मैं
समझ गया बुआ झड़ने वाली नही मैने भी अपने हाथ को लंड पे ते कर दिया 2 मिनिट
बाद मैं भी बुआ क साथ झड़ गया,,,,बुआ ने अपने कपड़े पहने ओर लाइट ऑफ करके
बाहर चली गयी,,मैने भी लंड को सॉफ किया शावर लिया ओर बाहर जाके सो गया,,,


नेक्स्ट डे सनडे था सभी लोग घर पे होते है इस दिन कुछ ख़ास नही हुआ,,,,मंडे
को मैं कालेज गया ओर आज भी पूरा दिन कालेज मे बोर होता रहा घर वापिस आके भी
वही रोज का काम वीडियो गेम,,,,,,,अब तो मुझे रात का इंतज़ार था ,,,,डिन्नर करके
मैं रूम मे आ गया ओर 10:30 बजने की वेट करने लगा ,,,10:30 बजे ओर मैं बाथरूम
घुस गया शावर आन करके कपड़े उतारे ओर लाइट ऑफ कर दी,,,बॉक्स खोल कर होल से काग़ज़
निकाला ओर बुआ के बाथरूम मे देखने लगा आज भी मैं पूरे टाइम पे था बुआ नहा
रही थी आज भी मैने बुआ को देखा ओर मुठ मारी,,,,,,,अगले 2-3 दिन यही होता रहा
मों को देखना चाहता था पर कालेज जाना ज़रूरी था इसलिए रात को बुआ को देखता
था ओर मुठ मरता था,,


आज रात मैं फिर बाथरूम मे गया ओर बॉक्स खोल कर बुआ को देखने लगा पर आज तो
कुछ ओर ही हो गया ,,,आज बुआ नही थी बाथरूम मे ,,,शोभा दीदी थी मेरी किस्मत
बड़ी अच्छी होने लगी थी दिन ब दिन,,,,,शोभा दीदी भी मों जैसी गोरी चिटी थी
बूब्स भी थोड़े बड़े थे बुआ से बड़े थे पर मों से छोटे ओर शरीर भी मों के
जैसे थोड़ा भारी था मोटी नही थी बस भरा हुआ शरीर था,,मेरी तो हालत
खराब थी मेरी बड़ी सिस मेरे सामने नंगी थी वो अपनी बॉडी पे लगे हुए साबुन को
निकाल रही थी मुझे लगा शायद इसका नहाना ख़तम हो गया है ,,मैं उदास हो गया
पर मुझे उमीद थी की अब बुआ तो आएगी ही,,शोभा ना सही बुआ सही,,मुझे तो चूत
देखनी है ओर मुठ मारनी है,,ओर वैसे भी बुआ कॉन्सा शोभा से कम थी,,अपनी-अपनी
जगह पेर दोनो बला की खूबसूरत थी,,,फ़र्क यही था की बुआ साँवली थी ओर शोभा
दीदी गोर्री चिटी ,,,,,मुझे लगा की शोभा दीदी बाहर जाने लगी है क्यूकी शावर
से हटके साइड हो गयी थी मुझे वो नज़र नही आ रही थी,,उस छोटे होल से पूरा
बाथरूम नज़र नही आता था,,,ये तो मेरी किस्मत थी की शावर वाला हिस्सा नज़र आ
था,,,,पर तभी शोभा दीदी वापिस आ गयी मैं उनको देख कर हैरान था क्यूकी उनके
हाथ मे वही पिंक कलर का नकली लंड था जो बुआ अपनी चूत मे लेती थी,,इसका
मतलब दीदी भी नकली लंड से एंजाय करती है दीदी ने भी लंड को मूह मे लिया ओर
चूसने लगी ओर हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी इधर मैने भी अपना काम

कर दिया था आज तो मुझे कुछ ज़्यादा ही मस्ती चड़ी हुई थी क्यूकी मेरी जवान बहन
मेरे सामने नंगी थी,,दीदी ने लंड को मूह से निकाला ओर ज़मीन पर लेट गयी ओर लंड
को चूत मे ले लिया ओर पेलने लगी ओर एक हाथ से बूब को मसल्ने लगी मुझे बड़ा मज़ा
आ रहा था मुझे लगा जैसे मैं अपनी बहन के उपर लेट के उसको चोद रहा हूँ,,दीदी
ने भी स्पीड तेज रखी अपनी ओर मैने भी आज तो लंड मे कुछ न्या जोश महसूस हो
रहा था मुझे मेरी भी स्पीड तेज थी दीदी चूत मे लंड लेते टाइम ज़मीन पर एसे
तड़प रही थी जैसे बिना पानी के मछली फिर दीदी ने लंड बाहर निकाला ओर मूह मे ले
लिया कुछ देर चूसने क बाद दीदी ने अपनी टाँगों को मूड कर अपने सर की तरफ कर
लिया ओर लंड को गंद मे डालने लगी ओर एक हाथ से चूत को सहलाने लगी,,,क्या मस्त
लग रही थी मेरी दीदी दिल करता था की दीवार तोड़के उसके पास चला जाउन ओर चूत ओर
गंद को फाड़ के रख डून,,करीब 2-4 मिंट बाद दीदी ने तेज चीख मारी ओर झड़ गयी
पर मेरा पानी नही निकला अभी,,,मैं सोच रहा था की दीदी वापिस उठकर शावर लेने
लगे ,,अगर वो बाहर चली गई तो मुझे अपना पानी निकलना मुश्किल हो जाएगा पर दीदी
ने उठ कर कपड़े पहने ओर बाहर चली गयी,,,,मैं उदास हो गया,,मैने सोचा चलो
कोई बात नही आब बुआ को देखके मूठ मार लूँगा,,,,,,मैं 15 मिनिट वेट करता रहा
लेकिन बुआ नही आई,,,मुझे बड़ी निराशा हुई मुठ मारने का दिल भी नही किया ओर मैं
कपड़े पहन कर बाहर चला गया ओर बेड पे लेट गया,,


मुठ पूरी नही लगा सका इसलिए नींद भी नही आ रही थी अब मैं सोचने लगा की
किसको चोदा जाए,,,बुआ को,,,,,,,,,,,,,पर वो तो सारा दिन बुटीक पे रहती है...
मों को,,,,,,,नही मों क पास जाना मेरे बस की बात नही बहुत डर लगता है मुझे,,
तो फिर क्या शोभा दीदी को,,,,,,पर वो भी तो घर पे नही रहती कभी,, कालेज से
सीधा बुआ के पास चली जाती है,,अब मैं करू भी तो क्या करू,,मैं सोच ही रहा
था की मेरी नज़र सोनिया पे पड़ी उसने स्काइ ब्लू कुर्ता ओर साथ मे माचिंग स्कर्ट पहनी
हुई थी,,वो रात को अक्सर एस ही कपड़े पहन कर सोती थी,,रूम मे हल्की सी रोशनी
थी हम लोग रात को एक छोटी लाइट जला कर सोते थे क्यूकी सोनिया को बचपन से ही
लाइट जला कर सोने की आदत थी,,उसका कुर्ता उसके पेट से थोड़ा उपर उठा हुआ था
उसकी गोरी कमर हल्की लाइट मे भी चाँदी जैसी चमक रही थी,,उसकी स्कर्ट उसके
घुटनो से काफ़ी उपर थी उसकी दोनो टाँगे भी बहुत सेक्सी लग रही थी छोटे-छोटे बूब्स
उसकी सांस क साथ उपर नीचे हो रहे थे,अभी-अभी जवान हुई थी,,मेरी जुड़वा ही थी
वो 18 कमसिन जवानी,,मुझे अपने आप पे बड़ा गुस्सा आया के मैं मों बुआ ओर
शोभा को चोदने के बारे मे सोच रहा हूँ जो मेरे साथ ज़्यादा वक़्त नही गुज़ारती इधर
इतना अच्छा माल है जो हमेशा मेरे साथ होता है कालेज भी ओर घर पर भी उसके
बारे मे मैने कभी सोचा ही नही,,अब तो इसी को चोदना है पर कैसे,,,अगर इसने
डेड को बता दिया ,,क्यूकी ये है भी गुस्से वाली,,इसको ज़रा संभाल कर पिटारी मे बंद
करना होगा ,,,बहुत ज़हरीली है ये,,तो मैं सोचने लगा की कैसे इस जंगली बिल्ली को
अपने क़ाबू मे करू,,,,,,,



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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 10:27




मैं लेट कर सोनिया को देखता रहा ,,कितनी क्यूट थी वो एक दम किसी खूबसूरत परी
जेसी थी मेरी लिट्ल सिस,,पर बहुत गुस्से वाली,,मेरे साथ अच्छी बनती थी उसकी लेकिन
कभी-2 फाइट भी बहुत होती थी,उसकी भोली-भली नटखट जवानी मुझे उसकी ओर
आकर्षित करने लगी ना जाने क्यू मेरे दिल मे अजीब सी खुशी होने लगी मैं डरता हुआ
उसके बेड पे जाके बैठ गया ओर उसकी खूबसूरती को बड़े करीब से निहारने लगा,,वो
काफ़ी टाइम से मेरे साथ ही इसी रूम में सोती थी पर कभी मैने उसको इतनी गौर से
नही देखा था,भोला भला चेहरा मुझे पागल कर रहा था मुझे समझ नही आ रहा
था मैं क्या करू,वो चुलबुली सी लड़की सोते हुए भी मुस्कुरा रही थी,उसकी मुस्कान
एसी थी जैसे मान्सून की पहली बारिश जिसमे भीग कर दिल खुश हो जाता है,गुलाब
की पंखुड़ी जैसे छोटे-2 होंठ थे उसके एक दम गुलाबी,मेरा दिल किया की मैं उनको
एक बार,,बस एक बार चूम लून,,पता नही क्या हो गया था मुझे खुद पे क़ाबू ही नही
हो रहा था ,मैने डरते-2 हिम्मत करके उसके होंठो पे अपने होंठ रख दिए,,ओह माइ
गॉड वो पल इतना हसीन पल था मेरी लाइफ का की मैं लफ़ज़ो मे उस पल को ब्यान नही कर
सकता मेरी दिल कर रहा था की मेरी ज़िंदगी बस इसी एक पल मे सिमट कर रह जाए,
अगर ज़िंदगी एक पल की होती तो मैं अपने ज़िंदगी मे बार बार यही पल माँगता खुदा से,


ये पल कुछ एसा था जैसे आपकी गली से कोई लड़की गुजरती है रोज अपनी स्कुउतियों पे
जाने क लिए ओर आप उसको देखने के लिए बाहर खड़े होते हो,,,बारिश हो धूप हो या
कैसा भी मौसम हो आप उसकी एक ज़लक पाने क लिए बेकरार हो ओर वो लड़की अपने पास से
गुजरती है तो एक बार हसके मुस्कुरा के ज़माने से डरती हुई कभी नज़रे मिलाके तो कभी
पलके झुका के अपनी तरफ देखती है ये सब कुछ ज़्यादा वक़्त मे नही बस एक पल मे हो
जाता है ओर आपको एक अजीब से खुशी का एहसास होता है,,,हाँ ये पल भी बिल्कुल वैसा
था,,,,,,,

मैने अपने होंठ उसके नरम ओर गर्म होंठों पे रख दिए ओर हल्का सा किस कर दिया,
फिर अपना हाथ उसकी कमर पे रखा बड़ी ही नज़ाकत से ताकि उसको पता नही लगे ओर अपनी
एक फिंगर को उसकी कमर पे घुमाने लगा,,कितनी चिकनी ओर सॉफ्ट थी उसकी कमर,,मैने
अपनी फिंगर को कमर की एक तरफ से दूसरी तरफ घुमा रहा था बड़े प्यार से ओर उसी एक
फिंगर से उसके बदन की गर्मी को महसूस कर रहा था,,,तभी अचानक वो उठ गई ओर
मुझे अपना पास बैठा हुआ देखा ओर मेरे हाथ को अपने पेट पर देखा,,मैने सोचा बेटा
अब तो तू गया काम से,,हिट्लर जाग गया है आज तो रूम वॉर होगी ओर शायद फेमिली वार भी
तभी उसने पूछा भाई तुम यहाँ क्या कर रहे हो ओर तुम्हारा हाथ मेरे पेट पे क्यू है,,
मैं डर गया ओर चुप रहा ,,,उसने फिर पूछा क्या हुआ भाई,,,,,मैने बोला कुछ नही पागल
तेरे पेट पे एक कोकरोच था उसको हटा रहा था,,,तभी वो उछल कर बेड पे बैठ गई ओर
मेरे गले लग गई ,,,कोकरोच ////कहाँ है भाई कोकरोच???,,,वो डर गई थी,,,मेरी तो
साँसे ही रुक गई थी उसकी छोटे-2 बूब्स मेरे सीने से दबे हुए थे उसने बड़े ही ज़ोर से
मुझे अपनी बाँहों मे जकड़ा हुआ था दिल कर रहा था ये लम्हा यही थम जाए सारी ज़िंदगी
बस इस एक लम्हे मे सिमट कर रह जाए,,,,,,,,भाई देखो ना वो गया या नही,,,,,,,नही अभी
नही गया अभी इसी रूम मे है मैं इस मोके को हाथ से नही जाने देना चाहता था मैने भी
अपने हाथ उसकी पीठ पर रह दिए ओर उसकी पीठ को सहलाने लगा पर ज़्यादा तेज़ी से नही
हल्के-हल्के,,,ताकि उसको शक़ नही हो,,उसने मुझे बड़ी कस्के पकड़ा हुआ था ओर उसका सर
मेरे शोल्डर पे रखा हुआ था उसकी गम्र साँसे मुझे अपने शोल्डर के उपर महसूस हो
रही थी ,,उसकी साँसे मेरे शोल्डर से टकरा कर मेरे कान मे लग रही थी ओर मुझे एक
अजीब सी झुनझुनी का एहसास हो राह था,,मैने पहली बार क़िस्सी लड़की को अपने इतने करीब
अपने बाँहों मे जकड़ा था,,,,ये बात नही की मैने पहले कभी सोनिया को हग नही किया था
पर पहले हग करने वाला शक्स उसका भाई था जो अपनी बेहन को बड़े लाड प्यार से हग
करता था लेकिन आज उसको हग करने वाला शक्स एक शैतान था जो वासना के नशने मे अँधा
हो गया था ओर अपनी क्यूट सी बहन के जिस्म को बड़ी बेशर्मी से महसूस कर रहा था वो ये भी


तभी मैने मामा जी को देखा जो अपने पाजामे का नाड़ा ठीक करते हुए अपने रूम से बाहर आ
रहे थे,,,वही रूम जहाँ विशाल सोता था,,मैं समझ गया की आज चुदाई का खेल इसी
रूम मे चला होगा,,,मामा जी हमारे पास बैठ गये ,,क्या मामा जी आप कहाँ थे मैं इतनी
देर से बेल बजा रही थी ,,जब मोम किचन मे बिज़ी हो तो आप डोर तो खोल सकते हो ना,,
सॉरी बेटी मैं अपने रूम मे था ज़रा सी आँख लग गई थी मेरी,,,सोनिया गुस्से मे उपर रूम
की तरफ चली जाती है,,ओर मैं टीवी देखने लग जाता हूँ,,,,,,

उस रात ना तो मैं बुआ या शोभा को शावर लेते हुए देख सका ओर ना ही मेरी हिम्मत हुई
सोनिया के पास जाने की,,मैं एसे ही मायूस होके सो गया,,,


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