रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

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raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:19

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -70

गतान्क से आगे...


अब मैं सुबह तक पूरी तरह रतिंदर जी के रहमो करम पर थी. मैने अपने हथियार डालते हुए खुद को किस्मेत के भरोसे छ्चोड़ दिया और उनके सामने घुटने के बल बैठ गयी. मैने अपने हाथ जोड़ते हुए अपना सिर झुका कर उनसे रहम की भीख माँगने लगी.



रतिंदर जी ने मेरे बालों को पकड़ कर अपने लंड की तरफ खींचा. मैने दर्द से बचने के लिए उनके लंड से अपने होंठ चिपका दिए. उनका लिंग अभी तक आधा ही खड़ा हुया था.



“ चल मुँह खोल और ले इसे अपने मुँह मे. साली कोई नखरा दिखाई तो रात भर मे फाड़ कर रख दूँगा. कोई माइ का लाल मेरा बाल भी बांका नही कर सकता. देख लिया ना तूने साला स्वामी कैसे अपनी डूम दबा कर भागा मेरे डर से.” उन्हों ने मुझे धमकी भरे शब्द मे कहा. मगर मैं उनके गंदे से लिंग को अपने मुँह मे लेने को तैयार नही थी.



“ तू अपना मुँह खोलती है या नही?” उन्हों ने मेरे बालों को ज़ोर से खींचा तो मेरे मुँह से दर्द भरी चीख निकल गयी.



“न्‍णन्न्….एम्म्म” मैने अपने दोनो होंठों को अपने दोनो जबड़ों के बीच सख्ती से थाम रखा था.



उनको गुस्सा आने लगा. उन्हों ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे दोनो निपल्स अपनी दोनो हथेलियों मे भींच कर सख्ती से एक दूसरे की उल्टी दिशा मे उमेथ्ने लगे. मैं दर्द से दोहरी हो गयी. मेरे सब्र का पैमाना छलक गया और मैने गला फाड़ कर चीखना शुरू किया. वो तो यही चाहता था. जैसे ही मैने चीखने के लिए अपना मुँह खोला उन्हों ने अपना लंड किसी गुट्टे की तरह मेरे गले मे थोक दिया. मेरी सारी चीख गले मे घुट कर रह गयी.



च्चिईिइ…..कितना गंदा था उसका लंड. सड़े हुए पेशाब की बदबू उनके लिंग से आ रही थी. मैने बड़ी मुश्किल से अपनी उबकाई को रोका. मैं उनके लिंग के आगे का हिस्सा मुँह मे डाल कर जीभ से चाटने लगी. वो अपनी कामयाबी बार फूले नही समा रहे थे.



“ कैसा लगा मेरा चॉक्लेट?” उन्हों ने बड़े गर्व से मुझसे पूछा.



जैसे ही उन्हों ने अपना लंड बाहर निकाला मैने अपने मुँह मे भरे थूक को उनके सामने थूक दिया. इसे उसने अपनी बेइज़्ज़ती मान कर वो और ज़्यादा नाराज़ हो गये. उन्हों ने मेरे स्तनो को पकड़ कर इतनी बुरी तरह से मसला कि मैं दर्द से बिलखने लगी. मुझे लगा मानो आज वो मेरे स्तनो को तोड़ कर रख देगा.



लेकिन वो शायद इतने से से खुश नही थे. उन्हों ने मेरे सिर को बालो की जड़ से सख्ती से पकड़ा. उनकी पकड़ इतनी सख़्त थी कि मैं अपना सिर भी नही हिला पा रही थी. उन्हों ने मेरे सिर को अपने लिंग पर सख्ती से दबा दिया. मैं च्चटपटा रही थी मगर उनकी पकड़ से अपने आप को छुड़ा नही पा रही थी.



अचानक उनके लिंग से पानी की धार छ्छूट गयी. पानी के नमकीन टेस्ट से पता चला कि वो मेरे मुँह मे पेशाब कर रहे थे. मैं नफ़रत से छॅट्पाटा उठी मगर अपने सिर को उनकी पकड़ से नही निकल पाई.



इतनी गंदी तरह से भी कोई सहवास कर सकता है. इतना वहशी कोई मर्द हो सकता है इसकी मैने कभी कल्पना भी नही की थी. मेरे जीवन मे अब तक जितने भी मर्द आए उन्हों ने मुझे भरपूर प्यार दिया था. मगर इसने तो मुझे बुरी तरह से तोड़ मरोड़ कर रख दिया. मुझे किसी दो टके की रांड़ से भी बुरी तरह से यूज़ किया.



खैर मैने अपने होंठ जितने खुल सकते थे खोल दिए जिससे गंदा पानी मेरे पेट मे ना जाकर बाहर आ जाए. मगर उनकी धार गले के अंदर पड़ रही थी जिसे आगे बढ़ने से रोक पाना मेरे वश मे नही था. उसने अपने पेशाब को मुँह से बाहर फेंकते देख मेरे नाक को अपनी हथेली से दबा दिया. फल स्वरूप मेरा दम घुटने लगा और मुझे मुँह से साँस लेना ही पड़ा. अब मैं उसे उसके गंदे इरादों को पूरा करने से नही रोक सकती थी. मैं बड़ी बेबसी से उसके लंड से निकलते गंदे पानी को पीती रही.



कुच्छ देर तक बूंदे निकालने के बाद जब उनका पेशाब बंद हुया तब भी उन्हों ने मेरे सिर पर अपनी पकड़ ढीली नही की. मेरे पूरे बदन से अब पेशाब की बू आने लगी थी. मुझे अपने आप से नफ़रत हो गयी थी. उनका लिंग पेशाब निकालने के बाद वापस ढीला पड़ने लगा था.



“ ले अब इसे चूस चूस कर खड़ा कर.” मैं वैसा ही करने लगी. मैं उनसे पंगा लेने के मूड मे नही थी. किसी वहशी के सामने अपनी इच्च्छा नही चलती. धीरे धीरे उनके लिंग मे तनाव आने लगा. मैं लंड को तनाव मे आता देख कर रुकी तो उसने मेरे नंगें नितंबों पर दो थप्पड़ मारे.



“ जब तक मैं आ कहूँ चूस्ति रह.” उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर दबा दिया. मैं उसके लंड को चूस्ति जा रही थी. बीचे बीच मे अपनी जीभ निकाल कर लंड को और उनके नीचे लटकते गेंदो को चाटने लगती.



उनका लंड तन चुका था और अब उसे मुँह मे पूरा लेने मे दिक्कत आ रही थी. उसने मेरे सिर को अपनी दोनो हथेलियों से थामा और अपने लिंग पर मेरे सिर को तेज़ी से आगे पीछे करने लगे. पाँच मिनूट तक इसी तरह चूस्ते रहने की वजह से मेरे जबड़े दुखने लगे थे. मगर मेरा उनके लोहे जैसे हाथों के सिकंजे से छ्छूट पाना नामुमकिन ही था. मेरा सारा विरोध हवा मे उड़ चुक्का था मैं किसी कठपुतली की तरह वही कर रही थी जैसा वो कह रहा था.



लगभग दस मिनिट तक मेरे मुँह मे लंड ठोकने के बाद उनके लिंग से वीर्य निकलने लगा तो उन्हों ने अपने लिंग को मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और ढेर सारे वीर्य की बोच्चार मेरे उपर कर दी. मेरा सिर, मेरे बाल, मेरा चेहरा, मेरे स्तन सब जगह वीर्य के कतरे फैले हुए थे. मैं उन्हे सॉफ करने के लिए उठना चाही तो उन्हों ने मेरे बाजू को सख्ती से पकड़ कर वहीं रोक दिया.



“ कहाँ जा रही है? तुझे जितना कहा जाय उतना ही किया कर.” उन्हों ने मुझे धमकी भरे स्वर मे कहा. मैं चुप चाप वापस बैठ गयी.



“ कितना पोस्टिक क्रीम लगा है चेहरे पर. इस मेकप मे ज़्यादा खूबसूरत लग रही है.” चल इसे पूरे चेहरे पर मल. इससे तेरी सुंदरता और बढ़ेगी.” कह कर वो अपनी उंगलियों से मेरे चेहरे पर अपने वीर्य को मलने लगे. उनकी देखा देखी मैने भी अपनी हथेली से अपने चेहरे पर लगे उनके वीर्य का लेप पूरे चहरे पर लगा दिया. फिर स्तनो पर लगे वीर्य को अपने सीने पर मला. पूरा बदन उसके वीर्य से चिपचिपा हो रहा था.



उस अहलत मे उन्हों ने मुझे एक झटके से खींच कर खड़ा कर दिया.



“ चल अब अपने दोनो हाथों को उठा कर सिर पर रख.” मैने वैसा ही किया. मैने अपने हाथ उठा कर अपने सिर पर रख लिए. उन्हों ने अपनी चुटकियों मे मेरे निपल्स थाम लिए. और उमेटा. मेरा चेहरा दर्द से विकृत हो उठा.



“ ले अब कूद. देखता हूँ ये जापानी गुब्बारे उच्छलते हुए कैसे लगते है. चल उछाल अपने मम्मो को.” मैं झिझकति हुई अपनी जगह पर खड़ी रही. तो उन्हों ने बेदर्दी से मेरे निपल्स को उमेथ दिए तो मैं उनके जुल्मो से बचने के लिए किसी स्प्रिंग लगे खिलोने की तरह अपनी जगह पर उच्छलने लगी.



“ वाह वाह क्या लगते हैं मानो दो पके हुए आम डाली पर हिल रहे हों. हाहाहा….. स्वामी ने शानदार पटाखा ढूँढ रखा है. बस बस अब क्या रात भर उच्छलती ही रहेगी.” उन्हों ने कहा.



उन्होने मेरे दोनो स्तनो को सख्ती से थामा और मेरे निपल्स को वापस ज़ोर से उमेत्ने लगे. मैं दर्द से च्चटपटाने लगी. उन्हों ने मेरे निपल्स को खींचते हुए मुझे उठाया और खींचते हुए मुझे बिस्तर तक ले गये. बिस्तर पर मुझे पटक कर मेरे सीने पर सवार हो गये. मैं उनके बोझ तले दब गयी थी. मेरे जैसी नाज़ुक लड़की अपने सीने पर सवा मन का बोझ उठाए थी. मुझे अपनी साँस रुकती हुई लग रही थी. मुझे साँस लेने मे दिक्कत आ रही थी. इसलिए जब उन्हों ने मेरे हाथों को सिर के उपर उठा कर किसी रस्सी से बिस्तर के सिरहाने से बाँधा तो मैं विरोध करने की स्थिति मे नही थी.



उन्होने मेरे दोनो हाथ बिस्तर के सिरहाने के साथ बाँध दिए. फिर मेरे सीने के उपर से उतर कर मेरी दोनो टाँगों को थामा और उन्हे फैला कर बिस्तर के बाकी दो किनारो से बाँध दिए. अब मैं बिस्तर पर किसी इंग्लीश के “X” की तरह बँधी हुई पड़ी थी. मेरे जिस्म के उपर कपड़ा तो क्या एक धागा तक नही था. वो अपनी कामयाबी पर खुश होते हुए मुझे उपर से नीचे तक किसी गिद्ध की तरह घूर रहे थे.



उसके बाद शुरू हुई वो यातना जो मैं आज तक नही भूली हूँ. सुबह तो मुझे आश्चर्य हो रहा था कि मैं जिंदा कैसे बच गयी.



सबसे पहले उन्हों ने अपनी उतरी हुई पॅंट मे से अपनी बेल्ट निकाली. फिर दस बेल्ट मेरे जिस्म पर मारी. मैं दर्द से बिलबिला उठी. उनकी मार इतनी ज़ोर की थी कि जहाँ भी बेल्ट छुति वहाँ लाल निशान छ्चोड़ जाती. दो बेल्ट के वार मेरी जंगों के बीच भी किए. मैं रोने लगी थी मगर उन पर कोई असर नही पड़ा.



वो किसी विक्षिप्त की तरह हरकतें कर रहे थे. मैं जितना ज़ोर से चीखती वो उतनी ज़ोर से हंसते थे.



फिर वो उठे और स्वामी जी के राइटिंग टेबल से दो पेपर क्लिप उठा लाए. दोनो क्लिप लोहे के चिमटे जैसे थे. मैं शंकित नज़रों से उनको देख रही थी. उन्हों ने दोनो क्लिप मेरे दोनो निपल्स पर लगा दिए. मैं किसी जल बिन मच्चली की तरह तड़प उठी. दर्द से मैं बहाल हो रही थी.



मैं अपने होंठों को दांतो के नीचे दबा कर लाहुलुहन कर लिए थे. मैं चीखती रही और वो मज़े लेते रहे. कुच्छ देर बाद जब मेरा जिस्म दर्द का कुछ आदि हुआ तो उन्हों ने दोनो क्लिप को मेरे निपल पर उंगलियों से दबाने लगे. मेरा जिस्म वापस दर्द से दोहरा हो गया. उन्हों ने अपनी जेब से तीसरी क्लिप निकाली और मेरी जांघों पर फेरने लगे. मैं उनका मतलब समझ कर घबराहट मे चीख उठी.



“ नही…..नही……अब नही….” वो किसी दरिंदे की तरह हँसने लगे और उन्हों ने मेरी योनि के लबों को अपनी उंगलियों से खींचा और उस पर एक क्लिप लगा दी. मैं उनसे रहम की भीख माँग रही थी. उनके सामने गिड़गिदा रही थी.



“ क्यों री छिनाल तेरे कस बाल अब ढीले हुए या नही? बहुत अकड़ थी ना तुझमे. साली तेरी वो हालत कर दूँगा कि गली की कुतिया भी तुझसे अच्छि ही लगेगी.” मैं अपने बंधानो को ढीला करने के लिए अपने जिस्म को इधर उधर मोड़ने लगी. मगर बंधन इतने मजबूत थे कि मेरी सारी कोशिशें बेकार ही गयी.



फिर उन्हों ने अपनी जेब से शराब के अद्धे की बॉटल निकाली और उसका ढक्कन खोल कर मेरी योनि पर गिराने लगे. जैसे ही शराब की बूंदे मेरी योनि पर गिरती वो अपनी जीभ निकाल कर उसे चाट लेते. धीरे धीरे उन्हों ने पूरी बॉटल खाली कर दी. मुझे बहुत ही नफ़रत होने लगी थी उस आदमी से. जानवरों की तरह सेक्स कर रहे थे. जैसे मैं उनके लिए एक हाड़ माँस की औरत नही बल्कि कोई बेजान पुतला हू.




क्रमशः............

raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:20


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -71

गतान्क से आगे...
वो मुझे पर से हट कर मेरी बगल मे बैठ गये. मैं उनके अगले हमले का इंतेजार करने लगी. उन्हों ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और उसे जला कर पफ लेने लगे. मैं असमंजस सी बिस्तर पर पड़ी रही तभी उन्हों ने सारी हदें पार कर दी.



उन्हों ने जलती ही सिगरेट मेरी जांघों से छुआ दी. मैं दर्द से गला फाड़ कर चीख उठी मगर मेरी आवाज़ें उस कमरे के अंदर ही दम तोड़ गयीं. इस तरह का वीभत्स सेक्स मैने जीवन मे कभी नही सोचा था.



वो एक जगह से दूसरी जगह मेरे बदन को सिगरेट की आग से झुल्साते रहे. बदन पर कई जगह लाल लाल निशान उभर आए. कई जगह तो फफोले पड़ गये. मैं जल बिन मच्चली की तरह तड़प रही थी. मेरी दोनो कलाई छिल गयी थी. उनसे खून के कतरे निकल आए थे. मेरी टाँगे भी बिस्तर पर रगड़ खा रही थी.



मैं ये दरिंदगी बर्दास्त नही कर पाई और बेहोश हो गयी. पता नही वो मेरे जिस्म से किस दरिंदगी से पेश आया. जब होश आया तब दो घंटे गुजर चुके थे. वो मेरे जिस्म के साथ चिपका हुआ था. उसका लंड मेरी योनि मे था और मेरे सीने के उपर लेटा हुया धक्के लगा रहा था. मैं नफ़रत से उसे देखती रही मगर कर कुच्छ भी नही सकती थी. काफ़ी देर तक चोदने के बाद उसने मेरी योनि के अंदर अपना वीर्य डाल दिया और फिर किसी मेरे गेंदे की तरह मेरी बगल मे पसर कर खर्राटे लेने लगा. मेरा पूरा बदन बुरी तरह जल रहा था. हर अंग से दर्द की लहरे थी बेबसी से अपने बंधनो को लूस करने की कोशिश करती रही. मगर जब मैं अपने मकसद मे कामयाब नही हुई तो उसी हालत मे नींद मे डूब गयी.



सुबह जब मेरी नींद खुली तो अपने आपको आश्रम की शिष्याओं से घिरा पाया. कोई कुच्छ कर रहा था तो कोई कुच्छ. मेरे बदन पर जड़ी बूटियों का लेप लगाया जा रहा था. कुच्छ महिलाएँ तो उस नेता को कोस रही थी. मैने पाया कि मेरा दर्द काफ़ी हद तक कम हो चुका है. जिस्म पर कई जगह लाल काले निशान पड़ गये थे तो कई जगह फफोले मेरे साथ घटी उस हवनियत भरी चुदाई की कहानी कह रहे थे.



पूरे दिन मैं सिर्फ़ आराम करती रही. स्वामी जी ने सब को सख़्त हिदायत दे रखी थी कोई मुझे किसी तरह से भी परेशान नही करेगा.



स्वामी जी खुद भी मेरी सेवा करते रहे. मुझे उन्हों ने इतना प्यार दिया कि मैं निहाल हो गयी. अगले दिन मैने वापस उत्तेजक जड़ी बूटियों के शरबत को पिया और स्वामी जी के साथ खूब संभोग किया.



स्वामी जी भी मुझे वापस अपने पूरे जोश मे आते देख खिल उठे. उन्हों ने भी तरह तरह की आसान मुझे सिखाए. मैने भी उनके जिस्म से जितना हो सकता था उतना वीर्य अपनी कोख मे इकट्ठा कर लिया.



दो दिन बाद जब रत्ना मेरे कपड़े ले कर आइ तो मैं फफक कर रो पड़ी. मैं स्वामी जी के जिस्म से लिपट कर रोने लगी. सात दिनो मे ही मैं उनकी दासी हो चुकी थी. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने प्रियतम से बिछड़ के जा रही हू.



स्वामी जी के सामने मैं घुटनो के बल बैठ कर उनके चरण पर अपना सिर रख कर प्रण याचना की. उन्हों ने मुझे बाँहों से थाम कर उठाया और मेरे आँसुओं से भीगे गाल्लों को पोन्छ्ते हुए मेरे होंठों को चूम लिया.



“ अब तुम इस आश्रम की अमानत हो. तुम जब जी चाहे बेधड़क मुझसे मिलने आ सकती हो.”स्वामी जी ने मेरे होंठो को सहलाते हुए कहा.



“ मगर….आअपसे दोबारा मुलाकात कब होगी स्वामी? मुझे आपने सुंदर सपना दिखाया अब इनमे रंग भरना भी आपको ही पड़ेगा. आप फिर कब मुझे अपनी आगोश मे लोगे? अपने जिस्म से लगने दोगे? अब मेरी संतुष्टि आपके अलावा किसी और से नही हो सकती.” मैं सूबक रही थी.



“ तुम्हारी कोख से जब एक नये जीव का जन्म हो तब मैं आउन्गा उसे पहली तालीम देने” स्वामी जी मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए



उन्होने मुझे पुच्कार्ते हुए काफ़ी आत्मबल दिया और हम एक बार फिर संभोग मे लिप्त होगये.



दो घंटे बाद जब मैं घर की ओर जा रही थी तो मेरे कदम उठ नही पा रहे थे. कमज़ोरी की वजह से एक एक पग रखना भारी पड़ रहा था. अगर रत्ना नही रहती तो हो सकता है रास्ते मे चक्कर खा कर गिर पड़ती. घर आ कर रत्ना ने मुझे नहला धुला कर आराम करने दिया. घर का सारा काम वो ही कर दी.



अगले दिन मैं वापस आश्रम जा पहुँची. स्वामी जी के बिना मन नही लग रहा था. मगर वहाँ जा कर मैं और ज़्यादा मायूस हो गयी. स्वामी जी मुझे रवाना करने के कुच्छ घंटे बाद ही आश्रम छ्चोड़ का जा चुके थे. मुझे ऐसा लगा मानो पूरा संसार सूना हो गया हो.



दो दिन तक मैं मायूसी से भरी रही. कुच्छ दिन लगे धीरे धीरे नॉर्मल होने मे. लेकिन अब मैं इस आश्रम की सदस्या बन चुकी थी. मेरे पति भी कुच्छ ही दिनो मे इस आश्रम के उन्मुक्त वातावरण मे घुल मिल गये. वो भी इस आश्रम के एक सम्मानित व्यक्ति थे.



गुरु जी के प्रसाद ने कुच्छ ही दिनो मे अपना असर दिखना शुरू कर दिया. मेरा जी मित्लाने लगा तो मैने डॉक्टर से कन्सल्ट किया तो उन्हों ने मेरा टेस्ट करके प्रेग्नेन्सी की सूचना दी.



मैं खुशी से फूली नही समाई. मैने अपने प्रेग्नेन्सी की खबर रत्ना को दी तो उस के द्वारा ये सूचना स्वामी जी तक भी पहुँची. स्वामी जी ने मुझसे वादा किया की मेरी डेलिवरी के समय वो मेरे सामने रहेंगे.



अपने वादे अनुसार जब मेरी डेट आइ उससे पहले ही वो आश्रम मे आ चुके थे. मेरी डेलिवरी के लिए उन्हे दस दिन रुकना पड़ा मगर उन्हे इसका कोई मलाल नही था. मेरी मा और दीदी आए थे. जब तक डेलिवरी नही हो गयी तब तक रोज सुबह उनसे आशीर्वाद लेने मैं उनके आश्रम जाती थी. दीदी और मा को बाहर रहने को कह कर मैं उनके कमरे मे जाती थी. स्वामी जी मुझे बहुत प्यार करते थे लेकिन संभोग से दूर ही रहते थे. जबकि मैं उनको कहती थी कि डॉगी पोज़िशन मे संभोग कर सकते हैं इससे बच्चे को कोई असर नही होता. लेकिन वो किसी तरह का रिस्क नही लेना चाहते थे.



जिस दिन मेरी डेलिवरी हुई स्वामी जी ऑपरेशन थियेटर के बाहर ही थे. बच्चे के जन्म के कुच्छ ही देर बाद मैने उनको कमरे मे बुलवाया. बच्चा बहुत शांत था और आँखे बंद कर सो गया था. नर्स ने उसे पैदा होते ही मेरे स्तनो पर रखा और मेरे निपल को उसके मुँह मे दिया मगर वो सो गया था. उसने दूध नही चूसा.



जब स्वामी जी पहली बार कमरे मे आए तो मैने बाकी सबको कुच्छ देर के लिए बाहर जाने को कहा. जब सब लोग बाहर चले गये तो मैने अपनी बगल मे लेटे बच्चे को उठा कर स्वामी जी को सोन्प्ते हुए कहा,



“ कैसा लगा आपका बेटा?” मैं खुशी के मारे उनकी बाँह से लिपटी हुई थी.



“ बहुत खूबसूरत है. अपनी मा की तरह ही सुंदर और चंचल.” उन्हों ने बच्चे के सिर पर अपनी हथेली फिराई.



“ और बाप की तरह कुच्छ भी नही?” मैने मुस्कुराते हुए उनकी बाँह पर अपने दाँत गढ़ा दिए.



“ ह्म्‍म्म्म देवेंदर जैसा ही पौरुष पाएगा.” उन्हों ने कहा.



“ नही बाप जैसा….”



“ चलो बाप जैसा ही पौरुष पाएगा.” स्वामी जी ने अब मेरे सिर पर हाथ फिराया.



“ स्वामी जी मेरे दोनो स्तन आप के होंठो का इतेज़ार कर रहे हैं.” मैने गले तक पड़ी सफेद चादर को अपने सीने से हटा दी. उस चादर के भीतर मैं सारी और ब्लाउस मे थी. मगर मेरे ब्लाउस के सारे बटन खुले होने की वजह से दोनो स्तन बाहर निकल आए थे. दूध से भरे होकर दोनो छातिया काफ़ी बड़ी बड़ी दिख रही थी.



मैने अपनी हथेलियों से अपने दोनो स्तनो को उठा कर उनकी ओर किया.



“ लो इन्हे एक बार चूस लो नही तो बच्चा भी नही पिएगा. उसने अबतक दूध नही पिया है. शायद वो चाहता है कि इनकी सील उसका बाप तोड़े. “ मैने कहा तो स्वामी जी ने अपनी हथेलियों से मेरे स्तनो को दो पल सहलाया.



“ देवी पागल मत बनो…..यहाँ कोई कभी भी आ सकता है. हम दोनो को इस हालत मे देख कर सारी बात समझ जाएगा. ये अमृत इस बच्चे के लिए है इसे पीने दो.” स्वामी जी ने मेरे स्तनो पर से अपने हाथ हटा लिए.



“ नही …प्लीईसए. एक बार दोनो से दो दो बूँद तो चूसो.” मैं उस हालत मे भी मचल उठी.



क्रमशः............

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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:20

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -72

गतान्क से आगे...

स्वामी जी अपने सिर को झुका कर मेरे दोनो निपल्स बारी बारी से अपने मुँह मे लिए और कुछ कुच्छ दूध उन मे से चूसा. जब मेरे स्तनो से मेरा दूध निकल कर उनके मुँह मे जा रहा था तो बता नही सकती कितना अद्भुत लग रहा था मुझे. मैने उनके सिर को अपने हाथों से थाम कर अपने सीने पर दाब दिया.



“ ऊओह स्वमीीईईई……मैं धान्य हो गइई……आपका आअशीरवााद इसीईइ तार्आआह मारतीए दम तक मेरीई साथ रहीई.” उन्हों ने धीरे से अपने सिर को मेरी पकड़ से अलग किया.



“ स्वामी जी मुझे आपके लिंग का आशीर्वाद चाहिए . कितना अरसा हो गया उसे प्याअर किए.” मैने उनसे मिन्नतें की.



वो मेरी बात सुन कर मुस्कुरा दिए. उन्हों ने अपने जांघों के जोड़ से अपनी धोती को सरकाया और अपने लिंग को बाहर निकाला उस वक़्त उनका लिंग धीरे धीरे सिर उठा रहा था.



मैने अपने सिर को आगे किया तो उन्हों ने अपने लिंग के आगे के सूपदे को मेरे सिर से च्छुअया.



“आअशीर्वाद दो स्वामी…..मेरा बेटा…हमारा बेटा…..आप जैसा बने……इस दुनिया मे हमारा नाम रोशन करे.”



“ ऐसा ही होगा देवी ऐसा ही होगा.” उनका लिंग अब पूरी तरह खड़ा हो गया था.



मैने उनके लिंग को अपनी हथेली से थाम कर सहलाया और अपने होंठों से उसे चूमा. मैने अपने होंठ अलग कर दिए उनके लिंग को अंदर जाने के लिए. मेरी हरकत का मतलब समझ कर वो मुझसे अलग हो गये.



“ नही ये अभी नही…..अभी ना तो मौका है ना जगह उचित है.”



“ प्लीज़ स्वामीयीई….ईएक बाअर बुसस्स ईएक बार इसका स्वाद ले लेने दो.”



“ नही मनुश्य की इच्च्छाओं का कभी अंत नही होता. अगर इसे मैने मुँह मे दिया तो तुम्हारी इच्च्छा होगी वीर्यापान करने की. वीर्य पान करा दिया तो फिर तुम्हारी योनि मे सिहरन होने लगेगी. नही देवी तुम कुच्छ महीने आराम कर लो फिर तुम्हारी हर इच्च्छा पूरी करूँगा.”



“ नही गुरुजी मुझे इस तरह अतृप्त मत छ्चोड़ो.” मैने वापस उनसे विनती की.



“ मैं तुम्हे जानता हूँ देवी तुमने जो ठान लिया उससे तुम्हे हटा पाना बहुत मुश्किल है. ठीक है एक बार तुम इसका कुच्छ देर तक स्वाद ले सकती हो. लेकिन इससे ज़्यादा नही.”



मैने उनके लिंग को अपनी हथेलियों मे थाम कर अपने मुँह मे डाल लिया और किसी स्वादिष्ट व्यंजन की तरह उसको चूसने चाटने लगी. उनके लिंग से एक अजीब सा स्वाद मिलता था जिसे पाकर मैं तृप्त हो जाती थी. आज भी ऐसा ही हुआ. कुच्छ देर तक मेरे चूसने के बाद उन्हों ने मेरे सिर को अपनी हथेली से अलग किया.



उन्हों ने अपने कपड़े सही किए और मेरे बच्चे को एक बार और आशीर्वाद स्वरूप उसे अपने सीने से लगाया.



वो एक झटके से उठे और कमरे के बाहर चले गये. मैने वापस अपनी चूचियो को चादर से धक लिया और लेट गयी.



दिशा ने बोलना ख़त्म ही किया था कि हम दोनो के लिए स्वामी जी का बुलावा आ गया . हम दोनो तुरंत स्वामी जी के पास पहुँचे.



“ देवियों आप दोनो को पता ही होगा कि अभी घंटे भर मे मिचेल और जोन्सन ब्लॅक हमारे आश्रम मे पधार रहे हैं. ये हमारे शिष्य हैं और दोनो हमारे आश्रम का एक विंग नैरोबी मे खोलना चाहते हैं. उन दोनो की सेवा के लिए तुम दोनो को लगाया है, उन दोनो की तुम दोनो रात भर भरपूर सेवा करोगी. उन्हे हमारे आश्रम का ऐसा जलवा दिखाना की दोनो बिना किसी शर्त पैसा लगाने को तैयार हो जाएँ.



हम दोनो ने हामी भरी. तभी दरवाजा खोल कर दो युवतियों का प्रवेश हुया. दोनो स्वामी जी के पास सिर झुका कर खड़ी हो गयी.



“ तुम लोग इनके साथ चली जाओ. ये दोनो शिष्याओं को मैने सब समझा दिया है. ये तुम दोनो को तैयार कर देंगी.”



हम दोनो उन शिष्याओं के साथ कमरे से बाहर आ गये. दोनो हमे लेकर पास बने एक कमरे मे ले गये, वहाँ हमे आस पास रखे दो बेंच पर लेटने को कहा. हमने वैसा ही किया. हमे उस कमरे मे उसी अवस्था मे छ्चोड़ कर दोनो युवतियाँ बाहर चली गयी.



तभी दो हत्ते कत्ते मर्द अपने अपने हाथों मे दो कटोरियाँ ले कर आए. दोनो ने खाली बदन पर सिर्फ़ एक एक धोती बाँध रखी थी. दोनो के सीने और बाजुओं के उभरे मुस्सलेस हम दोनो औरतों को उत्तेजित कर देने के लिए काफ़ी था.



एक ने दिशा को सम्हाला दूसरा मेरे पास आया. दोनो सुगंधित तेल से हमारे पूरे जिस्म की मालिश करने लगे. वो तेल भी जड़ी बूटियों से तैयार किया गया था. उस तेल की मालिश से हमारे जिस्म मे उत्तेजना का प्रवाह होने लगा. पहले दोनो मर्द हमारी पीठ पर और नितंबों की मालिश करते रहे. उनके एक्सपर्ट हाथों की मालिश पाकर जिस्म फूलों की तरह हल्का होने लगा. हम दोनो के पीछे की तरफ मालिश करने के बाद उन्हों ने हमे सीधा होने को कहा.



हम दोनो सीधे होकर लेट गयी. हमारे बेपर्दा हुष्ण पर नज़र पड़ते ही दोनो के जिस्म मे उत्तेजना भरने लगी. जिसका पता उनकी धोती पर बनते टेंट से लग रहा था.



दोनो मर्द ख़ासकर हम दोनो के स्तनो और जांघों पर ही ज़्यादा ध्यान दे रहे थे. हमारे स्तनो पर दबाव पड़ते ही उनमे से दूध पिचकारी की तरह निकल कर दोनो के नग्न बदन पर पड़ी तो दोनो ने मुस्कुरा कर एक दूसरे की ओर देखा और फिर दोनो झुक कर हमारे स्तनो पर अपने अपने होंठ रख कर हमारे निपल को होंठों के बीच दबा लिया. अब वो हमारे स्तनो को मसल मसल कर हमारे स्तनो से दूध पीने लगे. हम दोनो तो पहले से ही उत्तेजित हो चुके थे हमने भी अपने हाथों से अपने स्तनो को मसल कर उनकी इच्च्छा की पूर्ति की.



दोनो तब तक हमारे स्तनो से चिपके रहे जब तक हमारे दूध के कटोरे खाली नही हो गये. उसके बाद दोनो ने हमारे जिस्म की भरपूर मालिश की. फिर दोनो हमसे अलग होकर अपना समान समेट कर कमरे से निकल गये.



उन दोनो ने हमे आश्रम के पीछे बने एक कुंड मे ले जाकर कपड़े उतारने को कहा. हम दोनो ने बिना झिझक अपने सारे कपड़े उतार दिए. एक शिष्या हमारे कपड़े उठा कर पास बने एक कपबोर्ड मे रख दी. फिर उन दोनो ने भी अपने कपड़े उतारे. हम चारों उस कुंड मे उतर गये. एक लड़की मेरे बदन को सहला रही थी तो दूसरी दिशा से लिपटी हुई थी. दोनो हमारे जिस्म को तरह तरह से मसल रहे थे. मसल क्या रहे थे हमारे गुप्तांगों को और सेन्सिटिव पायंट्स को छेड़ कर हमे उत्तेजित कर रहे थे.



उनकी हर्कतो से हम कुच्छ ही देर मे उत्तेजित हो गये. मेरे साथ वालो लड़की ने एक हाथ से मेरे एक स्तनो को थाम रखा था और दूसरा हाथ मेरी योनि के अंदर छेड़ च्छाद कर रहा था. मैने उसे अपने सीने पर दबा रखा था. दोनो के वक्ष एक दूसरे से दब कर छिपते हो गये थे. उसने मेरे होंठों पर अंपने होंठ रख दिए और अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल कर मेरी जीभ को छेड़ने लगी. उसके हाथ अब मेरी योनि से निकल कर मेरी पीठ को दबा और मसल रहे थे. मैने देखा की दिशा भी सिसकारियाँ भर रही थी. उसने कुंड के किनारों पर अपनी बाँहे रख कर अपने जिस्म को पानी के उपर तैरा रखा था. उसकी दोनो टाँगें उसके साथ वाली लड़की के कंधों पर थी और उस लड़की का मुँह दिशा की योनि से चिपका हुया था.



“स्लर्र्रप्प..स्ल्लर्रप्प्प” उस युवती के द्वारा दिशा की योनि को चाटने की आवाज़ आ रही थी. दिशा ने उत्तेजना मे अपने निचले होंठ को अपनी दाँतों के बीच भींच रखा था.



पंद्रह मिनिट तक हमारे जिस्म के साथ खिलवाड़ करने के बाद उन युवतिओ ने हमे पानी से बाहर निकाला और हमारे जिस्म को तौलिए से ढँक कर हमे वापस उसी कमरे मे ले गयी.



हम दोनो वापस उन बेंचस पर निवस्त्र हो कर बैठ गयी. तभी चार पाँच लड़कियाँ मोगरे और राजानीगंधा के फूलों से भरी दो टोक्रियाँ ले कर आए. सारी लड़कियों ने मिल कर हम दोनो का सुगंधित फूलों से शृंगार किया. हमारी कलैईओं पर, हमारे बाजुओं पर, पैरों मे, गले मे ढेर सारे फूलों से बने अभूसन पहनाए. बालों मे मोटा गजरा लगाया गया . गले मे भारी फूलों की मालाएँ पहनाई गयी जो हमारी नाभि तक लटक रही थी.



फिर हमे फूलों से ही बने ब्रा और पॅंटी पहनाई गयी. इन सबके उपर एक झीने सूती की सफेद सारी पहनाई गयी. हमारे चेहरों पर भारी मेकप किया गया . माथे पर बड़ी बड़ी बिंदिया लगाई गयी.



जब मैने अपना अक्स आईने मे देखा तो ऐसा लगा मानो कालिदास की कल्पना “शकुंतला” ज़मीन पर उतर आई हो.



हम दोनो को तैयार कर सारी युवतियाँ उस कमरे से निकल गयी. सिर्फ़ वो ही दो युवतियाँ बची थी जिन्हे स्वामी जी ने हमे तैयार करने का जिम्मा सौंपा था.



“ दीदी…” एक युवती ने हमसे कहा.



“ बोलो..”



“ जो दोनो आदमी बाहर से आ रहे हैं. सुना है दोनो नीग्रो हैं.” एक ने कहा



“ ह्म्म….तो?”



“ दीदी सुना है उनके वो….काफ़ी बड़े होते हैं.” उसी लड़की ने कहा



“ हम जैसी नाज़ुक लड़कियों की तो वो फाड़ देते हैं. उन्हे झेलना हर लड़की के बस मे नही होता है.” दूसरी लड़की ने कहा. हमने इस पर तो गौर ही नही किया था. हम दोनो एक दूसरे को देखने लगी.



क्रमशः............


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