Hot stori घर का बिजनिस compleet

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The Romantic
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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 10:01

घर का बिजनिस -23

ये सब सोचते हुये मेरा लण्ड जोश से खड़ा हो गया और मैं आने वाले क्षणों के बारे में सोच के ही मस्त हो रहा था।

अम्मी से बातें करने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और आने वालों का इंतेजार करने लगा। क्योंकि अभी मुझे और कोई काम तो था नहीं, इसीलिए।

कोई एक घंटे के बाद बापू मेरे रूम में आ गये और बोले- “चलो आलोक, वो लोग आ गये हैं। जाओ तुम उन्हें शराब की बोतल और गिलास वगैरा दे दो तब तक मैं तुम्हारी बहनों को भी भेज देता हूँ…”

मैं बापू की बात सुनकर फौरन वहाँ से उठा और सीधा गेस्टरूम की तरफ चल पड़ा जहाँ 4 लोग थे जिनमें एक एम॰पी॰ और उसके साथ 3 लोग और भी थे।

मैंने अलमारी से दो बोतल निकाली और गिलास भी निकालकर उनके सामने रखे तो उनमें से एक जो कि एम॰पी॰ के पास ही बैठा हुआ था बोला- क्या नाम है तेरा जवान?

मैंने कहा- “जी मेरा नाम आलोक है और यहाँ आप लोगों को हर चीज पहुँचना ही मेरा काम है…”

उसने कहा- अच्छा, तो इस तरह बोल ना कि कंजर है तू और कब से है यहाँ इनके घर में…”

मुझे उसकी बात से इतना गुस्सा तो नहीं आया लेकिन बुरा लगा और मैंने कहा- “जी जब से पैदा हुआ हूँ इनके साथ ही हूँ…”

एम॰पी॰ मेरी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “साले, बात तो इस तरह कर रहा है जैसे तेरी बहनें हों ये गश्तियां…”

मैंने हाँ में सर हिला दिया और बोला- “जी सर, ये मेरी सगी बहनें ही हैं…”

इससे पहले कि उनमें से कोई और भी कुछ बोलता दीदी, पायल और ऋतु भी रूम में आ गईं और वो लोग मेरी बहनों का जलवा देखकर मुझे भूल गये और उनको देखने लगे। एम॰पी॰ मेरी तरफ देखे बिना ही बोला- “यार आलोक, तेरी बहनें तो साली सच में रंडी नहीं लगती यार…”

मैं- “सर, हम ये काम खानदानी करने वाले नहीं हैं इसलिए…”

एम॰पी॰- “तो साले, मेरी वाली कौन सी है लेकर आ ना उसे मेरे पास… मैं उसे अपनी गोदी में बिठाकर अपने हाथों से पिलाऊँगा…”

उसकी बात सुनकर सबसे पीछे खड़ी ऋतु को मैंने इशारा किया जो कि काफी ज्यादा घबरा रही थी और उस वक़्त राजस्थानी शलवार और फिटिंग वाली कमीज में कयामत ही लग रही थी। ऋतु कांपती टाँगों और तेजी के साथ धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ी और एम॰पी॰ के पास जाकर खड़ी हो गई।

एम॰पी॰ जो कि ऋतु को आँखें फाड़े देख रहा था फौरन उठा और ऋतु को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके गालों पे हाथ फेरने लगा और बोला- “कसम से आज तक इतनी प्यारी लड़की नहीं देखी है…”

मैं- “सर, आज तक किसी ने इसे हाथ भी नहीं लगाया है। आप ही पहले इंसान हो जो इसे हाथ लगा रहे हो…”

एम॰पी॰- “यार, सच में तेरी बहन को देखकर ही मैं दीवाना हो गया हूँ। बस समझ लो कि तुम्हारी बहन आज मुझसे नहीं बचने वाली, साली को फाड़कर रख दूँगा…”

ऋतु जो कि एम॰पी॰ के पास ही खड़ी हुई थी। उसकी बात सुनकर घबरा गई और दो कदम पीछे हट गई जिस पे एम॰पी॰ गला फाड़कर हाहाहाहा करके हँसने लगा और बोला- “जान, इतना क्यों घबरा रही हो? अभी तो मैंने तुम्हें कुछ कहा भी नहीं है…”

दीदी जो कि उस एम॰पी॰ के एक चमचे को शराब पिला रही थी बोली- “सर, अभी बच्ची है ना इसीलिए डर रही है। कुछ देर बाद जब थोड़ी शराब पिलाओगे और प्यार करोगे तो खुद ही ठीक हो जाएगी…”

(चमचा- एम॰पी॰ के साथ आने वालों को मैं चमचा 1, 2, और 3 ही लिखूंगा)

चमचा1- “साली तू उसे छोड़ और मुझे पिला। उसे तो एम॰पी॰ साहब खुद ही सिखा लेंगे…”

दीदी- “जो आप कहो जान…” और साथ ही उसके लिए एक पेग और बनाने लगी।

एम॰पी॰- “चलो यार, तुम लोग यहाँ से किसी रूम में जाओ, जो भी करना है रूम में करो…”

चमचा2- क्यों सर? आप नहीं जाओगे क्या किसी रूम अ?

एम॰पी॰- “नहीं, मैं आज एक नया मजा लेना चाहता हूँ और आज मैं इस कली को इसके बड़े भाई के सामने ही फूल बनाऊँगा…”

चमचा1- “वाउ सर, अगर आप नाराज नहीं हों तो क्या हम भी यहाँ आपके पास ही रुक जायें…”

एम॰पी॰- क्यों? क्या मैं तेरी बेटी को चोद रहा हूँ साले जो तुमने यहाँ रुकना है? जब अपनी बेटी को मुझसे चुदवाएगा तब तू भी देख लेना कि मैं कैसे चोदता हूँ। चलो जाओ यहाँ से…”

एम॰पी॰ की बात सुनकर वो तीनों दीदी और पायल को अपने साथ लेकर एक रूम में चले गये।

तो उस एम॰पी॰ ने कहा- “चल भाई, तू मेरे साथ इस दूसरे रूम में आ जा…”

मैं शराब की बोतल और गिलास लेकर ऋतु और उस एम॰पी॰ के पीछे रूम में आ गया तो उसने कहा- “यहाँ बेड के पास एक कुर्सी रखो और यहाँ बैठ जाओ और आज अपनी बहन की पहली चुदाई का मजा लो…”

जिस तरह उस एम॰पी॰ ने कहा, मैंने वैसे ही किया और बेड के पास एक कुर्सी रख ली और बैठ गया तो उसने शराब के पेग बनाने के लिए कहा तो मैंने 3 गिलास बनाकर दो उसे और ऋतु को पकड़ा दिए और एक खुद पकड़ लिया और पीने लगा।

एम॰पी॰ गिलास पकड़ते हुये ऋतु को बोला- “चलो रानी, हमें अपने हाथों से पिलाओ आज…”

ऋतु थोड़ा झिझकी तो मैंने उसे इशारे से वैसे ही करने को कहा। तो ऋतु ने गिलास को उसके होंठों से साथ लगा दिया और पिलाने लगी।

एम॰पी॰ ने शराब पीने के बाद ऋतु को अपनी तरफ खींच लिया और अपनी गोदी में बिठा लिया और खुद उसे पिलाने लगा। क्योंकि ऋतु ने पहले भी दो पेग लगा लिए थे और एक रूम में आकर लगाया था जिसकी वजह से उसकी आँखों में सेक्स और नशा साफ नजर आ रहा था।

अब एम॰पी॰ ने मेरी तरफ देखा और बोला- क्यों बे? क्या अपनी बहन को मेरे लिए नंगा नहीं करेगा?

मैंने कहा- “सर, आप जो बोलोगे मैं मना नहीं करूंगा…”

एम॰पी॰ ने हँसते हुये कहा- “चल फिर आ जा और अपनी बहन को नंगा कर जल्दी से…”

एम॰पी॰ की बात सुनते ही में झट से बेड पे आ गया और ऋतु की कमीज को पकड़ लिया और आराम से उसके जिश्म से अलग करने लगा। ऋतु क्योंकि इस वक़्त काफी ज्यादा नशे में थी और शराब के साथ सेक्स भी उस पे सवार हो चुका था तो वो मेरे साथ लिपट गई और किस करने लगी।

एम॰पी॰ ने जब देखा कि ऋतु मेरे साथ ही लिपट रही है तो उसने ऋतु को बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और बोला- “साली, मैंने तेरे बाप को तुझे चोदने के पैसे दिए हैं और तू अपने भाई से लिपट रही है हरामजादी…”

ऋतु जो कि काफी नशे में आ चुकी थी बोली- “तो फिर तुम ही कर लो लेकिन जल्दी करो मुझे कुछ हो रहा है…”

एम॰पी॰ ने कहा- “साली, अभी जब मैं तेरी फुद्दी में अपना लण्ड घुसाऊँगा ना तब पता चलेगा तुझे… साली कुतिया की बच्ची…” और इसके साथ ही उसने ऋतु की ब्रा पे हाथ डाला और एक ही झटके से ब्रा को फाड़ डाला और बोला- “साली, आज तेरी फुद्दी को भी इसी तरह फाड़ूंगा… और तेरे भाई के सामने ही फाडूंगा…”

ब्रा के फटते ही मेरी छोटी बहन की चूचियां एकदम से आजाद हो गयीं जिन्हें देखते ही वो एम॰पी॰ ऋतु की चूचियों पे टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा और साथ ही जोर-जोर से दबाने लगा। इस अचानक हमले से और चूचियों को जोर से दबाने की वजह से ऋतु थोड़ा बौखला गई।

ऋतु- आऐ आराम से प्लीज़्ज़… दर्द होता है।

एम॰पी॰- “चुप साली, दर्द हो रहा है तो यहाँ मुझसे क्या माँ चुदवाने आई है? हाँ…” और इतना बोलते ही वो बुरी तरह से ऋतु की चूचियों को दबाने लगा।

उस एम॰पी॰ के इस तरह चूचियों को दबाने और मसलने की वजह से ऋतु बुरी तरह मचल रही थी और साथ ही- “उउन्नमह… भाई इसे रोको प्लीज़्ज़… दर्द हो रहा है आअह्ह…”

अब एम॰पी॰ ने ऋतु की चूचियों को छोड़ दिया और एक ही झटके से ऋतु की शलवार भी निकाल दी जिससे ऋतु बिल्कुल नंगी हो गई और मैं और एम॰पी॰ ऋतु के गोरे और नंगे जिश्म को निहारने लगे। ये नजारा देखकर मेरा लण्ड तो सलामी देने लगा था और पैंट फाड़ने की कोशिश कर रहा था।

एम॰पी॰ ने कुछ देर तक इसी तरह मेरी बहन को निहारा और फिर मेरी बहन की टाँगों को उठा दिया और अपना मुँह मेरी छोटी और कुँवारी बहन की फुद्दी के साथ लगा दिया और सर्ल्लप्प की आवाज के साथ चाटने लगा। एम॰पी॰ के इस तरह करते ही ऋतु के जिश्म को एक झटका सा लगा और उसके मुँह से एक मजे की वजह से सिसकी निकल गई और वो उन्म्मह… ससीई… की आवाज करने लगी और साथ ही उस एम॰पी॰ के सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगी।

मैं ये सब देखकर काफी बेचैन हो रहा था और अपने लण्ड को पैंट की जिप खोलकर बाहर निकाल लिया था और मसलने लगा था।


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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 10:02

घर का बिजनिस -24

उस वक़्त मेरे लण्ड को ऋतु की फुद्दी ने पूरी तरह से भींचा हुआ था जिससे मुझे भी हल्का सा दर्द हो रहा था। तभी बाजी थोड़ा आगे बढ़ी और ऋतु की फुद्दी की तरफ देखने लगी और फिर मेरे कान में कहा- “आलोक थोड़ा सा बाहर निकालकर पूरा घुसा दो। इस तरह इसे ज्यादा दर्द हो रही है…”

मैंने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने हाँ में सर हिला दिया। तो मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकालकर फिर से ऋतु को थोड़ा मजबूती से जकड़ लिया और पूरी ताकत का एक तेज झटका लगा दिया। मेरे इस तूफानी झटके से लण्ड ऋतु की फुद्दी को पूरी तरह से खोलते हुये जड़ तक घुस गया। लण्ड के पूरा घुसते ही ऋतु के मुँह से- “अम्मी जीए आअह्ह… भाई निकालो बाहर… ऊओ मेरी फट गई भाई… मुझे नहीं करना है भाई… प्लीज़्ज़ बाहर निकालो… ऊओ बाजी… भाई को रोको प्लीज़्ज़…”

ऋतु उस वक़्त बुरी तरह से चिल्लाने के साथ रो भी रही थी कि तभी बाजी आगे बढ़ी और ऋतु की चूचियों को अपने मुँह में भर के चूसने लगी और दबाने लगी। जिससे ऋतु कुछ ही देर में शांत हो गई। लेकिन उसकी आँखों से अभी भी पानी निकल रहा था।

अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर से अंदर घुसा दिया जिससे ऋतु के मुँह से सस्सीए की आवाज निकल गई लेकिन वो और कुछ नहीं बोली। अभी मेरा लण्ड ऋतु की फुद्दी में पूरी तरह से फँस के जा रहा था।

कोई दो मिनट तक आराम-आराम से चुदाई करने के बाद ऋतु ने भी अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ दबाना शुरू कर दिया। ऋतु के इस तरह गाण्ड हिला के मेरा साथ देते ही मैं समझ गया कि अब ऋतु को दर्द नहीं हो रहा, बलकि वो भी अब मजा ले रही है। तो मैंने अपनी स्पीड को थोड़ा सा बढ़ा दिया।

जिससे ऋतु के मुँह से- “आअह्ह… भाई जोर से नहीं… उंनमह… हाँ भाई बस इसी तरह प्यार से करो… उन्म्मह… ऊओ… भाई अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… भाई ऊओ… मुझे कुछ हो रहा है आअह्ह…” की आवाज के साथ ही मेरे साथ लिपट गई और अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ जोर से दबाने लगी और कुछ ही देर में- “ऊओ भाई आअह्ह… मेरा हो गया…” की आवाज के साथ ही ऋतु का जिश्म अकड़ने लगा और फिर मुझे ऋतु की फुद्दी में अपने लण्ड पे गरम लावा सा गिरता महसूस हुआ और इसके साथ ही ऋतु बेड पे गिर गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेनी लगी।

ऋतु के फारिग़ होते ही मेरे लण्ड को भी ऋतु की फुद्दी ने आसानी से जगह देना शुरू कर दिया जिससे मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मैं भी अपनी छोटी बहन की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और ऋतु ने मुझे बड़ी जोर से अपने साथ भींच लिया और हम दोनों कुछ देर तक इसी तरह एक दूसरे के साथ लिपट के लेटे रहे।

कुछ देर के बाद बाजी ने मुझे हिलाया और कहा- “भाई चलो, अब उठो काफी देर हो रही है…”

मैं ऋतु के ऊपर से उठा और जैसे ही मेरा लण्ड मेरी प्यारी छोटी बहन की फुद्दी से पुच्चहक की आवाज के साथ बाहर निकला और मैं खड़ा हुआ तो मेरी नजर ऋतु की लाल और खून और मेरी मनी से सनी हुई फुद्दी पे पड़ी तो मैं काफी परेशान हो गया।

जब बाजी ने मुझे ऋतु की फुद्दी की तरफ परेशानी से देखते हुये पाया तो तो बाजी ने कहा- “आलोक, परेशानी की कोई बात नहीं है। ये सब नार्मल है। तुम चलो अपने कपड़े पहनो मैं देखती हूँ…”

मैं बाजी की बात सुनकर अपने कपड़े पहनकर खड़ा हो गया और बोला- बाजी, अब क्या करना है?

पायल- “कमीने, अभी जो तुमने अपनी मासूम बहन के साथ जुल्म किया है उसकी सफाई करनी है…” और हेहेहेहे करके हँसने लगी।

बाजी- “पायल, क्यों आलोक को परेशान कर रही हो? आलोक तुम जाओ घर, मैं अभी इसे नहला के अपने साथ लाती हूँ…?

मैं बाजी की बात सुनकर बोला- “जी बाजी, जैसे आप कहो…” और रूम से निकलकर घर आ गया जहाँ अम्मी और बुआ बैठी हमारा इंतजार कर रही थीं।

अम्मी- आलोक, क्या बात है? तुम अकेले आए हो? सब ठीक तो है ना? तुम्हारी बहनें कहाँ हैं?

मैं- “अम्मी, वो भी आ रही हैं और बाकी सब ठीक है…”

बुआ- आलोक, क्या बात है जानू? तुम कुछ परेशान लग रहे हो? कोई मसला है क्या?

मैं- “अरे नहीं बुआ, ऐसी कोई बात नहीं है बस जरा थक गया हूँ…”

बुआ- “क्यों? क्या आज उस एम॰पी॰ की जगह तू ने अपनी बहन की सील तोड़ी है जो थक गया है…” और हेहेहेहे करके हँसने लगी।

अम्मी- “चल चुप कर कमीनी, हर वक़्त मेरे बेटे को तंग करती रहती है। मेरी तीनो बेटियां मेरे इस शेर के लिए ही तो हैं जब चाहे, जिसे चाहे, अपने पास सुला ले। इसे कोई भी मना नहीं करेगा…”

बुआ- “भाभी, मना तो मैंने भी कभी नहीं किया… लेकिन अब हमारा शेर हमारी तरफ देखता ही कहाँ हैं? जवान लौंडियों के पीछे पड़ा रहता है…”

मैं- “नहीं बुआ, ऐसी कोई बात नहीं है जैसा आप समझ रही हो…”

अम्मी- अच्छा, तो फिर कैसी बात है बता तो जरा?

मैं- “अम्मी, बस आपको तो पता ही है कि मैं खुद थक जाता हूँ इसीलिए आप लोगों को ज्यादा टाइम नहीं दे सका…?

बुआ- अच्छा जी, तो फिर कोई बात नहीं… वैसे बात क्या है? अभी तक तेरी बहनें नहीं आईं?

बाजी- “बुआ, आप कहीं और देखो तो हम नजर आयें ना…” बाजी और पायल ने जो कि ऋतु को सहारा देकर अभी रूम में दाखिल ही हुई थीं, बुआ को जवाब दिया।

अम्मी फौरन अपनी जगह से उठी और ऋतु को सहारा देकर अपने साथ ही बिठा लिया और बोली- “क्या हुआ? मेरी बच्ची ठीक तो हो ना?

पायल- “हाँ अम्मी, वैसे जिसकी सील आपका बेटा तोड़ेगा उसका हाल ये ही होना था ना…”

अम्मी हैरानी से मेरी और ऋतु की तरफ देखते हुये बोली- आलोक, पायल क्या बोल रही है? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही?

बाजी- “अम्मी, उस एम॰पी॰ हरामी से तो कुछ हुआ नहीं और ऋतु की हालत खराब कर दी थी उसने तो हमने ऋतु को ठंडा करने के लिए भाई को बोल दिया…”

बुआ- लो भाई आलोक, तुम बड़े लकी निकले पैसे किसी ने दिए और सील तुमने खोली। हाँ और हमें बताया भी नहीं कमीने…”

अम्मी- “चलो कोई बात नहीं… लेकिन अपने बापू को नहीं बताना, समझ गये तुम लोग…”

मैं- “जी अम्मी, जैसे आप बोलो…” फिर हम वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये।
ये कहानी यहाँ खतम होती है।

*****समाप्त *****

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kamdevbaba
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Re: Hot stori घर का बिजनिस compleet

Unread post by kamdevbaba » 07 Nov 2014 20:25

वतन की फ़िक्र कर नादां ! मुसीबत आने वाली है
तेरी बर्बादियों के मश्वरे हैं आसमानों में
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में|

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