Hot stori घर का बिजनिस compleet

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The Romantic
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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 09:54

घर का बिजनिस -17

अब मैं उठा और अपने लण्ड को पायल के मुँह में घुसा दिया जिसे वो चूसने लगी। तो बापू ने भी अपने लण्ड को पायल की गाण्ड में आहिस्ता से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
बापू का लण्ड जैसे ही पायल की गाण्ड में हिलाने लगा तो पायल ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से निकाल दिया और बोली- “बापू, आहिस्ता प्लीज़्ज़… आप ने बड़ा दर्द दिया है मुझे आअह्ह…”

तभी बापू ने कहा- बेटी, अब नहीं डरो। अब दर्द नहीं होगा। मैं अपनी बेटी को आराम से ही चोदूंगा और लण्ड को अंदर-बाहर करना जारी रखा। क्योंकि बापू का लण्ड पायल की गाण्ड में पूरा फँसा हुआ था जिसकी वजह से बापू को भी थोड़ा परेशानी हो रही थी। लेकिन बापू आराम-आराम से पायल की गाण्ड को खोलते रहे।

पायल अब मेरे लण्ड को नहीं चूस रही थी क्योंकि उसका सारा ध्यान बापू के लण्ड की तरफ ही लगा हुआ था जो कि अब पायल की गाण्ड में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। क्योंकि पायल की गाण्ड ने बापू के लण्ड को अपने अंदर जगह दे दी थी जिससे बापू को पायल की गाण्ड में आसानी हो गई थी।

अब पायल भी बापू का साथ अपनी गाण्ड को बापू के लण्ड की तरफ दबा के दे रही थी और साथ ही- “आअह्ह… बापू जी… अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… बापू अभी थोड़ा से तेज करो प्लीज़्ज़… आह्ह… बस बापू… इससे ज्यादा नहीं… उन्म्मह… हाँ अब ठीक है…” की आवाज भी कर रही थी.

पायल की बापू के साथ ये गाण्ड चुदाई इतनी जबरदस्त थी कि मैं पायल के हाथ में लण्ड को पकड़कर हिलाने से ही फारिग़ हो गया और बगल में लेटकर बापू की चुदाई देखने लगा। मुझे लग रहा था कि अब बापू भी अपने अंत पे हैं क्योंकि उनके मुँह से भी अब- “आअह्ह… बेटी, क्या गाण्ड है तेरी… मजा आ गया बेटी… ऊओ… बेटी मैं तो दीवाना हो गया हूँ तेरी गाण्ड का…”

क्योंकि बापू अब झटके भी जरा जोर-जोर से लगा रहे थे जिसकी वजह से पायल के मुँह से- “आअह्ह… बापू जरा आराम से करो प्लीज़्ज़… बापू, आप बहुत अच्छे हो उन्म्मह…” की आवाज करने लगी और साथ ही अपना एक हाथ अपने नीचे घुसाकर अपनी फुद्दी को भी मसल रही थी जिससे पायल भी फारिग़ होने वाली थी।

तभी बापू ने- “आअह्ह… पायल बेटी, मैं गया ऊओ… बेटी, अपने बापू का पानी अपनी गाण्ड में ही ले लो बेटी…” की आवाज के साथ ही बापू पायल के ऊपर ही गिर पड़े और अपनी आँखों को बंद करके लंबी सांसें लेने लगे। बापू के पायल की गाण्ड मारने के बाद मैंने पायल के साथ कुछ भी नहीं किया क्योंकि अभी हमें जाना भी था। फिर पायल उठकर वहाँ से अजीब सी चाल चलते हुये बाथरूम में घुस गई तो बापू भी बाहर वाले वाश-रूम में चले गये और नहाकर वापिस आए।

तभी पायल भी आ गई थी नहाकर।

तो बापू ने कहा- “चलो भाई तैयार हो जाओ अभी हमने जाना है, नया घर में शिफ्ट भी करना है…” बापू की बात सुनकर पायल खुश हो गई और जल्दी से तैयार होकर आ गई।

फिर हम वहाँ से निकल पड़े और अपने पुराने घर आ गये। जहाँ अम्मी, दीदी, ऋतु और बुआ सामान को पैक करने के बाद हमारा इंतेजार कर रही थीं। फिर बापू ने किसी को फोन किया तो कुछ ही देर के बाद एक मिनी ट्रक आ गया और उसके साथ 3-4 मजदूर भी थे, जिन्होंने हमारा सामान ट्रक में लोड किया और हम वहाँ से नये घर की तरफ रवाना हो गये, जो कि एक पाश एरिया में था और वहाँ जरूरत की हर चीज पहले से ही मोजूद थी। इसलिए पुराने घर से लाया गया तकरीबन सारा सामान स्टोर में रखवा दिया गया और उसके बाद सबने अपने लिए रूम पसंद कर लिया और रूम में घुस गये।

फिर बापू ने हम सबको अपने पास बुला लिया और बोले- देखो भाई, अब बात ऐसी है कि हमें फ्लैट की जरूरत नहीं है। क्योंकि यहाँ हमारे पास एक एलहदा से गेस्टरूम हैं जो कि घर से अलहदा हैं और वहाँ हम अपना काम चला लिया करेंगे। क्या ख्याल है तुम लोगों का?

पायल- “लेकिन बापू, इस तरह ऋतु को भी पता चल जायेगा हमारे काम का…”

अम्मी- तो अच्छा है ना… वो भी इस काम में आ जाएगी और जितनी उम्र है उसकी, पैसे भी अच्छे कमा लिया करेगी।

बुआ- भाभी, बात तो आपने सही की है कि अब ऋतु को हमारे साथ आ ही जाना चाहिए। क्योंकि इस तरह कोई बात छुपानी नहीं पड़ेगी।

बापू- क्यों आलोक, तुम्हारा क्या ख्याल है?

मैं- मेरा क्या है बापू? जब आप लोग भी ये ही चाहते हो तो मुझसे क्यों पूछ रहे हो?

अम्मी- नहीं बेटा तुम्हारी बात भी जरूरी है, जो बात दिल में है वो बताओ।

मैं- देखो अम्मी, जब हम कंजर बन ही चुके हैं तो क्या फरक पड़ता है कि हम किसको चुदवा रहे हैं? और किससे? और खुद किसकी चुदाई कर रहे हैं?

मेरी बात सुनकर सब खामोश हो गये और कोई कुछ नहीं बोला। क्योंकि बात जो भी थी सच ही थी। फिर हम लोग वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये और आराम करने लगे। इसी भाग दौड़ में रात के खाने का टाइम हो गया और पता ही नहीं चला।

बुआ मेरे रूम में आ गई और बोली- अरे आलोक, अभी तक लेटे हुये हो? खाना नहीं खाओगे क्या?

मैं बुआ की बात सुनकर चौंक गया और टाइम देखा तो रात के 8:00 बज चुके थे। मैं जल्दी से उठा और फ्रेश होकर खाना खाने की टेबल पे आ गया और अम्मी और बुआ किचेन से खाना लाकर रखने लगीं।

तभी अरविंद साहब भी आ गये और आते ही बोले- अहाआ… लगता है कि मैं सही टाइम पे आ गया हूँ क्योंकि बड़ी भूख लग रही है और एक कुर्सी खींचकर दीदी की बगल में ही बैठ गये और दीदी को अपनी तरफ खींचकर एक किस भी कर दी, जिसे ऋतु ने बड़ी अजीब नजरों से देखा और फिर हमारी तरफ देखा। लेकिन जब ऋतु ने देखा कि हम सब नार्मल हैं तो वो भी खामोश हो गई और खाना निकालकर खाने लगी लेकिन उसका ध्यान खाने में कम लेकिन दीदी और अरविंद के बीच होने वाली छेड़-छाड़ में ज्यादा लगा हुआ था।

खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने बैठ गये तो अरविंद साहब ने मेरी तरफ देखा और कहा- यार हमारी दिलवर जानी भी ले आओ इस तरह क्या खाक मजा आएगा?

मैं अरविंद की बात का मतलब समझ गया और पायल की तरफ देखकर बोला- “जाओ बापू के रूम में से एक बोतल निकाल लाओ और साथ में गिलास और बर्फ भी ले आना…”

पायल उठकर चली गई तो ऋतु बड़ी अजीब नजरों से मेरी तरफ देखने लगी, लेकिन बोली कुछ नहीं क्योंकि वो काफी देर से यहाँ घर में जो देख रही थी उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

पायल बापू के रूम में से शराब की बोतल निकाल लाई और उसे अरविंद के सामने रखकर किचन की तरफ चल पड़ी तो बुआ जो कि किचेन से ही आ रही थी उसके हाथ में बाकी सामान देखकर फिर से बैठ गई और बुआ ने बाकी सामान भी उनके सामने रख दिया और अरविंद ने दो गिलास में पेग बना लिए और एक दीदी को पकड़ा दिया और दूसरा खुद उठा लिया और पीने लगा।

दीदी को इस तरह सब घर वालों के सामने एक गैर-मर्द के साथ इस तरह चिपक के बैठने और किस करने के बाद अब शराब पीता देखकर ऋतु की आँखें हैरत के मारे फटने के करीब थीं कि वो एक झटके से उठी और अपने रूम की तरफ भाग गई।

ऋतु के वहाँ से जाते ही अम्मी ने और बुआ ने हल्का सा मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा और ऋतु की तरफ इशारा कर दिया और पुछा- सुनाओ कैसी रही?

ऋतु के जाने के कुछ ही देर के बाद अरविंद साहब भी दीदी को लेकर उसके रूम में चले गये। तो अम्मी ने कहा- क्यों आलोक, कुछ परेशान हो कोई बात है तो बताओ मुझे।

मैंने अम्मी की तरफ देखा और कहा- अम्मी आप लोग ऋतु को अपने साथ शामिल करने के लिए जो कुछ कर रहे हो, क्या वो सही है?

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।

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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 09:55

घर का बिजनिस -18

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।

अम्मी की बात सुनकर मैंने हाँ में सर हिला दिया और वहाँ से उठकर अपने रूम में आ गया और एक लूज निक्कर पहन ली और आराम करने के लिए लेट गया। कोई एक घंटे के बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और अम्मी अंदर आ गई और अपने पीछे दरवाजे को भी बंद कर दिया। और मेरे पास आकर बेड पे मेरे साथ ही लेट गईं और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे बालों में उंगलियां घुमाने लगी।

मैंने कहा- क्यों अम्मी, क्या बात है? आज आप इतने दिनों के बाद मेरे रूम में? खैर तो है ना?

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- आलोक बेटा, वो मैंने ऋतु के बारे में तुम्हारे साथ बात करनी थी।

इसीलिए सोचा कि आज मैं यहाँ तुम्हारे पास ही सो जाती हूँ और बात भी कर लूँगी।

मैंने कहा- “जी अम्मी, बोलो आप क्या बताना चाहती हो? जब कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि आप जिसके साथ जो करना चाहती हो या करवाना चाहती हो मुझे कोई ऐतराज नहीं है बस मैं ये चाहता हूँ कि किसी के साथ जोर-जबरदस्ती वाला काम ना हो कि हमें कल को जलील होना पड़े…”

अम्मी ने मेरी पूरी बात सुनी और बोली- आलोक, हम भी ऋतु को ये सब इसीलिए दिखा रहे हैं कि वो जितना इस माहौल को देखेगी, अपने अंदर की गर्मी से मजबूर होकर खुद ही बोल देगी कि वो भी हमारे साथ इस काम में आना चाहती है।

मैंने कहा- अम्मी, अगर ऋतु ने नहीं कहा और वो आपके कहने से भी इस काम के लिए नहीं मानी तो आप क्या करोगी?

अम्मी ने कहा- आलोक, अगर वो नहीं मानी तो फिर हम उसकी शादी करके उसे खुद से दूर कर देंगे, जहाँ उस पे हमारा साया भी ना पड़े।

अम्मी की बात सुनकर मैं शांत हो गया और अम्मी को लिपट गया।

तो अम्मी ने भी मुझे अपने साथ भींच लिया और किस करने लगी और साथ ही मुझे दबाने लगी। मैं भी अम्मी की किस के जवाब में अम्मी की जुबान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से अम्मी की गाण्ड को दबाने लगा और सहलाने लगा। कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को किस करते रहे और फिर मैंने अम्मी को पीछे हटा दिया और खुद अम्मी की कमीज को निकाल दिया और साथ ही शलवार को भी तो अम्मी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में ही रह गई क्योंकि अम्मी पैंटी नहीं पहनती थी।

और इस वक़्त मेरी माँ जिसने मुझे पैदा किया था मेरे सामने सिर्फ़ एक ब्रा में लेटी मेरी तरफ बड़ी प्यार भरी नजरों से देख रही थी। अम्मी को इस तरह देखता पाकर मैं अम्मी की ब्रा पे झपट पड़ा और एक ही झटके से अम्मी की चूचियों को ब्रा से निकाल दिया और अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरे इस तरह झपटने से अम्मी के मुँह से से की हल्की आवाज निकली और इसके साथ ही अम्मी ने मुझे अपने चूचियों के साथ दबा लिया और बोली- “आअह्ह… बेटा पी लो अपनी माँ का दूध उंनमह…”

अब मैं अम्मी की चूचियों को चूसने के साथ दबा भी रहा था जिससे अम्मी काफी गरम हो रही थी और सिसकियां भर रही थी और मेरे सर को अपनी चूचियां के साथ दबा रही थीं। कुछ देर के बाद मैंने अपना हाथ अम्मी के चूची से हटा लिया और अम्मी की फुद्दी की तरफ बढ़ने लगा और फिर अम्मी की गरम और तपती हुई फुद्दी के ऊपर रख दिया जो कि हल्की से गीली भी हो रही थी। मेरे हाथ लगाते ही अम्मी के मुँह से ऊओ आलोक, उन्म्मह… की आवाज निकल गई।

अम्मी के मुँह से निकालने वाली आवाजें आहिस्ता-आहिस्ता तेज हो रही थीं। मैं अम्मी की चूचियों को छोड़कर सीधा फुद्दी की तरफ आया और अपना मुँह अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और अपनी जुबान को बाहर निकालकर अम्मी की फुद्दी में घुमाने लगा जिससे अम्मी मचल उठी। मेरे इस तरह अम्मी की फुद्दी में जुबान घुमाने से अम्मी की हालत और भी बुरी हो गई और वो तड़प के थोड़ा उठी और अपने हाथों से मेरा सर अपनी फुद्दी पे दबा लिया और बोली- “आअह्ह… आलोक, चाट अपनी माँ की फुद्दी को मादरचोद… उन्म्मह… हाँ… बेटा खा जाओ मेरी फुद्दी को ऊओ… आलोक ये क्या कर दिया है तूने हरामी?”

अम्मी के मुँह से इन सिसकियों और गालियों की आवाज़ों ने तो जैसे मुझे दीवाना कर दिया था कि मैं अब अपनी जुबान से अम्मी की फुद्दी को चाटने के साथ अम्मी की फुद्दी में घुसा भी रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे अम्मी और भी ज्यादा तड़प जाती।

अब अम्मी के मुँह से- आअह्ह… आलोक बेटा ऊओ… मैं गई… कमीने खा जा अपनी माँ की फुद्दी को… ऊओाअ… आलोक मैं गई…” और इसके साथ ही अम्मी के जिश्म को जोर का झटका लगा और अम्मी ने मेरे सर को अपनी रानो में दबा लिया और अम्मी की फुद्दी से पानी का सैलाब सा निकला और मेरे मुँह में गया जिसे मैं चाट गया और फिर उठा और अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और रगड़ने लगा। अब मैं अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के ऊपर रगड़ता और हल्का सा दबा के अम्मी की फुद्दी में घुसा देता और फिर बाहर निकाल लेता और रगड़ने लगता।

अम्मी ने जब देखा कि मैं अंदर नहीं घुसा रहा और बस ड्रामा कर रहा हूँ तो अम्मी ने कहा- “बेटा, क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को? अब घुसा भी दे ना…”

अम्मी की बात सुनते ही मैंने अपनी पूरी ताकत से झटका दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया और तभी मैंने अम्मी के घुटनों को अम्मी की कंधों की तरफ मोड़ के पूरी तरह दबा दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी में जड़ तक घुस गया।

लण्ड के इस तरह घुसने से अम्मी के मुँह से- “आऐ आलोक, आराम से करो ये क्या कर रहे हो? मारना है क्या मुझे? बेटा दर्द होता है इस तरह, एक तो तेरा बहुत बड़ा है प्लीज़्ज़… आराम से करो…”

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अम्मी की टाँगों को उसी पोजीशन में रखा और एक बार फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और फिर से अपने जिश्म का सारा वजन अपने लण्ड पे डाल दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की बच्चेदानी तक टकराया तो अम्मी दर्द की वजह से तड़प उठी।

मेरे इस झटके से अम्मी के मुँह से- “ऊओई आलोक, क्या कर रहा है? फाड़नी है क्या? कमीने, मैं माँ हूँ तेरी… रंडी नहीं जो इस तरह चोद रहा है आअह्ह… प्लीज़्ज़… बेटा आराम से करो…”

मुझे भी अम्मी को इस तरह चोदने में मजा आ रहा था तो मैं भी इस तरह अम्मी की फुद्दी में अपने लण्ड को झटके देता रहा और बोला- “हाँ पता है तू मेरी माँ है, रंडी नहीं है… पर साली तू किसी रंडी से क्या कम है… हाँ…” और बार-बार झटके देता रहा।

अब अम्मी को भी इतना दर्द नहीं हो रहा था बलकि इसकी जगह वो मुझे अपने साथ लिपटा के चुदाई का मजा ले रही थी और साथ ही- “हाँ आलोक, अभी अच्छा लग रहा है बेटा… फाड़ दे अपनी माँ की फुद्दी को… उन्म्मह… ऊओ… आलोक मेरा बच्चा, तू कितना अच्छा है बेटा अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है…”

अब मैं अपने अंत पे आ चुका था और अम्मी के ऊपर से थोड़ा ऊपर उठा और तेज झटके लगाने लगा जिससे अम्मी भी जरा ज्यादा सिसकने लगी और- “हाँ आलोक, बस हो गया मेरा… आअह्ह… मैं गई बेटा…” की आवाज के साथ ही अम्मी की फुद्दी में पानी की वजह और मेरे धक्कों की वजह से पिकचाक्क-पीकचाक्क की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मैं भी अम्मी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और वहीं गिर के लंबी-लंबी सांसें लेने लगा।

मैं उस रात अम्मी को एक बार ही चोद के इतना थक गया था िहोश ही नहीं रहा कि मैं कब सो गया। सुबह के 9:00 बजे मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं अभी तक नंगा ही पड़ा हुआ सो रहा था और अम्मी अब मेरे रूम में नहीं थी। मैं उठा और अपने रूम में ही बने हुये बाथरूम में घुस गया और नहाकर ड्रेस पहनकर बाहर आया तो बापू और बुआ बैठे बातें कर रहे थे।

मुझे देखते ही बुआ ने कहा- लो भाई जान, आपका बेटा भी उठ गया है।

बापू भी मुझे आता हुआ देख चुके थे और जैसे ही मैं उन लोगों के पास जाकर बैठा बापू ने मुझसे कहा- हाँ भाई आलोक, कैसी गुजर रही है?

मैं बापू की बात से थोड़ा शर्मा गया और बोला- अच्छी गुजर रही है।

बुआ हँसते हुये- अच्छा, तो फिर क्या सोचा है तुमने ऋतु के बारे में?

मैं- बुआ बात ये है कि अगर ऋतु की अपनी मर्ज़ी हो तो अच्छी बात है लेकिन उससे जबरदस्ती नहीं करे कोई।

बापू- हाँ क्यों नहीं, हम भी तो ये ही चाहते हैं कि वो अपनी मर्ज़ी से करे।

बुआ- हाँ आलोक, इसीलिए तो हमने सोचा है कि ऋतु के सामने ज्यादा से ज्यादा फ्री हुआ जाए ताकि वो भी घर के नये माहौल को अच्छी तरह समझ के फैसला करे।

मैं- ठीक है बुआ, जो आप लोगों की मर्ज़ी… लेकिन अभी नाश्ता तो करवा दें बड़ी भूख लगी है।

बुआ- थोड़ा सबर करो, अंजली नाश्ता बना रही है फिर करते हैं।

मैं- क्यों बुआ? आप लोगों ने भी नहीं किया नाश्ता अभी तक?

बुआ- हेहेहेहे क्यों तुम ही रात को देर से सोए थे, क्या हम नहीं सो सकते देर से?

मैं बुआ की बात समझ गया और हँसते हुये बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं? आपका तो हक है देर से सोना। और वो अम्मी और ऋतु कहाँ हैं नजर नहीं आ रहे…”

बापू- वो… तुम्हारी माँ ऋतु को अपने साथ लेकर अभी निकली है। बोल रही थी कि बाजार जाना है लड़कियों के लिए अच्छे कपड़े नहीं हैं।

मैं- लेकिन बापू, अभी तो बाजार पूरी तरह से खुले भी नहीं होंगे?

बुआ- अरे यार, भाभी के जाते तक खुल जायेंगे और वो जो कुछ लाना है लेकर जल्दी वापिस आ जायेंगी।
तभी दीदी भी नाश्ता तैयार होने का बताने के लिए हमारे पास आ गई और बोली- चलो सब लोग पहले नाश्ता कर लो।

फिर हम सब वहाँ से उठे और नाश्ता करने के लिए टेबल पे बैठ गये और खामोशी से नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद बापू को कहीं से काल आई तो वो घर से निकल गये। तो मैं भी उठकर घर से निकल आया और घूमने लगा।

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क्योंकि इस इलाके में मेरा कोई दोस्त नहीं था और ना ही कोई जानने वाला तो मैं ज्यादा देर बाहर नहीं रहा और घर आ गया। तब तक अम्मी और ऋतु भी आ चुकी थीं। जैसे ही मैं घर में दाखिल हुआ पायल ने मुझे देखकर कहा- “भाई, वो बापू का फोन आया था। बोल रहे थे कि दो बजे तक उनका कोई दोस्त आएगा उसे गेस्टरूम में बिठा देना और जो माँगे मना नहीं करना…”

मैं समझ गया कि कौन सा दोस्त होगा। मैंने हाँ में सर हिला दिया और अपने रूम में चला गया। दो बजे से पहले ही मैं गेस्टरूम में चला गया और उस आदमी का इंतेजार करने लगा। वो आदमी आया तो तब तक 2:15 हो चुके थे और उसने आते ही मेरे साथ हाथ मिलाया और बोला- “जी मुझे किसी ने यहाँ का पता देकर भेजा था और बोला था कि यहाँ मेरा काम हो जाएगा…”

मैंने कहा- जी अगर आपको किसी ने भेजा है तो उसने मुझे भी बता दिया है। क्या आप अपना नाम बतायेंगे मुझे?

उसने मुझे अपना नाम समीर बताया। उसकी उम्र कुछ ज्यादा तो नहीं थी लेकिन 27 साल के करीब तो थी ही। मैंने उसे बिठाया और पूछा- जी अब बतायें कि आप क्या पियोगे?

समीर ने कहा- “जो भी मिल जाए… जिससे जरा मूड बन जाए…”

मैंने उसकी बात को समझा और उसे बैठने का बोलकर घर आ गया और पायल को जो कि पहले से ही तैयार बैठी हुई थी बोला- “तुम जाकर उसके पास बैठो…” और ऋतु की तरफ देखकर कहा- “तुम कुछ देर के बाद अम्मी से एक बोतल और 3 गिलास लेकर आना…”

ऋतु जो कि पहले ही कुछ परेशान नजर आ रही थी मेरी बात सुनकर हकला गई और बोली- “भाई… वा… वो… मैं क…क्या करूंगी वहाँ?

मैंने कहा- “कुछ नहीं, बस जो बोला है लाकर दे जाना…” और बस इतना बोलकर मैं पायल के पीछे ही गेस्टरूम में आ गया जहाँ पायल समीर के साथ लिपट के बैठी हुई थी और समीर उसकी चूचियों को मसल रहा था।

समीर ने जब मुझे देखा तो अपना हाथ पायल की चूचियों से हटा लिया और खामोश होकर बैठ गया। मैं उसकी ये हालत देखकर हँस पड़ा और बोला- “यार लगे रहो, डरो नहीं। अभी तुम्हारे मूड को बनाने के लिए भी सामान आ जाएगा…”

समीर मेरी बात सुनकर फिर से मेरी बहन की चूचियों को दबाने लगा और साथ ही उसे किस भी करने लगा।
तभी ऋतु भी शराब की बोतल और ग्लास लेकर आ गई और पायल को इस हालत में देखकर, और वो भी मेरे सामने, घबरा गई और उसके हाथ काँपने लगे।

मैंने ऋतु को देख लिया और बोला- हाँ ले आओ, शाबाश… यहाँ टेबल पे रख दो और अगर बैठना है तो यहाँ बैठ जाओ मेरे पास आकर।

समीर ने जब ऋतु की कमसिन जवानी को देखा तो बोला- “यार आलोक भाई, अगर नाराज नहीं हो तो क्या मैं इस लड़की के साथ नहीं कर सकता?

मैं उसकी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “नहीं भाई, ये रंडी नहीं है…” और ऋतु की तरफ देखा जिसका चेहरा पशीना-पशीना हो रहा था और सांस भी तेज चल रही थी।

ऋतु ने जल्दी से बर्तन और शराब को टेबल पे रखा और वहाँ से भाग गई।

तो पायल ने उठकर 3 गिलास शराब बनाई और एक मुझे पकड़ा दिया और एक समीर को पकड़ा के खुद भी शराब पीने लगी। शराब के दो पेग लगाते ही समीर ने पायल को पकड़ लिया और साथ ही बने हुये रूम में चला गया।

मैं बाहर सोफे पे बैठा रहा और रूम से आने वाली पायल और समीर की आवाज़ों को सुनता रहा और अपने लण्ड को मसलता रहा जो कि पायल की सेक्सी और मजे से भरपूर सिसकियों को सुनकर खड़ा हो गया था। समीर के फारिग़ होने के बाद पायल ने मुझे आवाज दी।

जैसे ही मैं रूम में गया पायल ने कहा- “भाई, वो बाहर से शराब तो ला देना जरा…”

मैं पायल की फुद्दी को देखता हुआ बाहर आ गया और शराब की बोतल और गिलास रूम में लाकर रख दिया।
तो पायल ने कहा- “भाई, यहाँ हमारे पास ही बैठ जाओ ना प्लीज़्ज़…”

मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।

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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 09:56

घर का बिजनिस -19

मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।

ये नजारा देखकर मेरा लण्ड जो कि पहले से ही खड़ा था मेरी शलवार को फाड़कर बाहर निकलने के लिए बेचैन होने लगा। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद समीर बेड पे लेट गया और पायल को बोला- “चल साली चूस मेरे लौड़े को…” और पायल को पकड़कर उसका सर अपने लण्ड की तरफ दबा दिया।

मेरी बहन ने एक बार आँखें उठाकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा मुश्कुरा उठी और समीर के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी और साथ ही उसकी गोलियों को अपने हाथों से सहलाने लगी। कुछ देर तक समीर पायल के सर के बालों में हाथ फेरता रहा और- “आअह्ह… हाँ… साली उन्म्मह… मजा आ गया…” की आवाज करता रहा।

फिर उसने पायल के मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया और पायल को झटके से बेड पे गिरा दिया और मेरी बहन की टाँगों को उठा लिया और उसकी फुद्दी के साथ अपना लण्ड लगाते हुये झटका दिया और पूरा लण्ड मेरे सामने मेरी बहन की फुद्दी में घुसा दिया। समीर का लण्ड भी मेरे लण्ड जितना ही बड़ा और मोटा था जिससे पायल पूरी तरह मजा ले रही थी और- आऐ… उन्म्मह… भाई ऊओ देखो कितना मजा आ रहा है?

मैं अब पूरे मजे से अपनी छोटी बहन को समीर से चुदवाते हुये देख रहा था जो कि समीर के हर झटके के साथ ही आअह्ह… उन्म्मह… और तेज़्ज़ करो… ऊओ… हाँ… अब ठीक है…” की आवाजें कर रही थी और अपनी गाण्ड को समीर के लण्ड की तरफ उछाल रही थी।

अब पायल बुरी तरह समीर से लिपट गई थी और अपनी आँखें बंद किए मजे से चुदवा रही थी और मेरा गला सूख चुका था। अपनी बहन को इस तरह चुदवाते हुये देखकर अचानक मेरे दिल में आया कि क्यों ना एक पेग शराब का ही और लगा लूँ और वहाँ से शराब की तरफ मुड़ा तो मेरी नजर ऋतु पे पड़ी जो कि दरवाजा में खड़ी आँखें फाड़े पायल को इस तरह चुदवाते हुये देख रही थी।

जैसे ही मेरी नजर ऋतु की तरफ गई तो उसने भी इस तरह मुझे अपनी तरफ देखते हुये देख लिया और वो सटपटा गई और वहाँ से भाग गई।

एक बार तो दिल में आया कि मुझे ऋतु के पास जाना चाहिए लेकिन फिर ये सोचकर कि चलो आखिर उसने भी तो एक दिन इसी तरह चुदवाना ही है ना… कोई बात नहीं और वहाँ ही बैठा रहा और पायल की चुदाई देखने लगा। कुछ देर के बाद पायल और समीर फारिग़ हो गये।

तो पायल उठी और बाथरूम में घुस गई तो समीर ने मेरी तरफ देखा और बोला- “यार तेरी बहन है बड़ी गरम माल, साली की फुद्दी में बड़ी गर्मी है…”

उसकी बात सुनकर मैं बस हल्का सा मुश्कुरा दिया और कुछ नहीं बोला। फिर पायल के बाद समीर बाथरूम में गया और पायल अपनी ड्रेस पहनकर घर की तरफ चली गई और मैं समीर को रवाना करने के लिए वहीं रुक गया।

समीर को रवाना करने के बाद जब मैं घर आया तो देखा कि अम्मी और बुआ सोफे पे बैठी हुई मेरा ही इंतेजार कर रही थी। मैंने अम्मी के पास जाकर कहा- ऋतु कहाँ गई है?

अम्मी- अपने रूम में घुस गई है… क्यों कुछ हुआ है क्या?

मैं- अम्मी, वो ऋतु ने वहाँ गेस्टरूम में पायल को करवाते हुये देख लिया है।

अम्मी- ओह्ह्ह… तो इसीलिए भागती हुई आई है। मैं भी कहूं कि इसे हुआ क्या है?

बुआ- भाभी, आओ पता तो करें कि ऋतु ने इस तरह रूम में क्यों बंद होकर बैठ गई है?

अम्मी- नहीं तुम बैठो यहाँ, आलोक को ही उसके पास जाने दो। वो खुद ही बात करेगा। हम इसकी किसी बात में नहीं बोलेंगी।

मैं- लेकिन अम्मी, मैं क्या बात करूंगा ऋतु के साथ और किस तरह?

अम्मी- देखो आलोक हम यहाँ जितनी भी ओरतें हैं, तुम्हारी जिम्मेदारी हैं कि तुम किससे और क्या करवाते हो? ये हमारा काम नहीं है जाओ और देखो कि ऋतु क्या चाहती है?

मैं- ठीक है अम्मी, फिर बाद में मुझे नहीं बोलना कि ये मैंने क्या कर दिया?

अम्मी- हम कुछ नहीं बोलेंगे तुम्हें।

मैं अम्मी और बुआ के पास से उठा और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा लेकिन सच तो ये था कि मैं खुद भी काफी परेशान था कि आखिर अपनी सबसे छोटी बहन के साथ क्या बात करूंगा? और किस तरह? जब मैं ऋतु के रूम में घुसा तो देखा की रूम में कोई भी नहीं है। तो मैं रूम में बने हुये वाश-रूम की तरफ गया और खटखटाने लगा तो मुझे अंदर से उन्म्मह… की हल्की सी आवाज सुनाई दी। जिसे सुनकर मैं चौंक गया और साथ ही हल्का से जोर दिया जिससे वाश-रूम का दरवाजा खुल गया तो जो नजारा मैंने अपनी आँखों के सामने देखा उससे मेरे होश ही उड़ गये।

वाश-रूम में उस वक़्त ऋतु बिल्कुल नंगी फर्श पे लेटी अपनी टाँगों को खोलकर अपनी दो उंगलियों को अपनी फुद्दी में अंदर-बाहर कर रही थी और दरवाजा खुलने की वजह से चौंक गई थी।

जैसे ही ऋतु की नजर मुझ पे पड़ी तो उसके मुँह से बस “भाई आप” की आवाज ही निकल सकी। ऋतु की आवाज से मुझे कुछ होश आया लेकिन मैंने अपनी आँखों को उसकी फुद्दी जो कि उसने अपनी रानों में दबा ली थी से नहीं हटाया और वहीं देखता रहा और थोड़ा मुश्कुरा दिया और बोला- “सारी बेटा मुझे नहीं पता था कि तुम यहाँ जरा व्यस्त हो…” और उसकी तरफ एक मुश्कान देता हुआ वापिस हो गया।

ऋतु के रूम से मैं सीधा अपने रूम में आया और आकर बेड पे लेट गया और ऋतु की छोटी और कम उम्र फुद्दी जिसपे हल्के भूरे बाल भी थे, के बारे में सोचने लगा कि क्या वो चुदाई के लिए तैयार है?

मुझे अपने रूम में आए हुये अभी कोई 10 मिनट ही हुये थे कि अम्मी भी मेरे पास ही आ गई और आते ही बोली- आलोक, क्या बात है? बेटा किन सोचों में गुम हो?

मैंने अम्मी को ऋतु के रूम में जो कुछ भी देखा था सब बता दिया तो अम्मी ने एक हूंन की आवाज निकाली और कहा- “लगता है कि ऋतु भी तैयार हो चुकी है… अब उसके लिए भी कोई इंतजाम करना ही पड़ेगा…”

मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया और उठकर पायल के रूम की तरफ चला गया क्योंकि मेरा लण्ड फटने के करीब था और इसे अब मैं अपनी बहन को चोदकर ही ठंडा करना चाहता था। जैसे ही मैं पायल के रूम में आया तो वहाँ पायल के साथ ऋतु भी थी और वो कुछ बातों में लगी हुई थी और मुझे देखते ही चुप हो गई।

पायल ने मेरी तरफ देखा और कहा- हाँ भाई, कहो क्या बात है? कोई काम था क्या?

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “ऐसा करो मेरे रूम में आ जाओ काम है तुम्हारे साथ…”

पायल समझ गई कि मुझे अभी उसके साथ क्या काम हो सकता है इसीलिए फौरन बोल पड़ी- “भाई, आप अभी दीदी से अपना काम करवा लो, मैं थक गई हूँ। मेरे साथ बाद में कर लेना प्लीज़्ज़…”

मैं वहाँ से फिर अपने रूम में आ गया क्योंकि मेरा मूड खराब हो गया था। बाकी का सारा दिन भी गुजर गया और दिन में बुआ और पायल के साथ अम्मी ने भी एक बार चुदवा लिया था।

रात का खाना खाने के बाद दीदी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, कुछ बात करनी है तुमसे…”

मैंने कहा- हाँ दीदी, आओ यहाँ बैठो मेरे पास, बोलो क्या बात है?

दीदी- “भाई, आज पायल ने मुझे बताया है कि ऋतु भी करवाना चाहती है…”

मैं- “अच्छा… तो फिर अच्छी बात है, बापू को बता दूँगा… वो उसका भी कोई इंतजाम कर देंगे…”

दीदी- “नहीं भाई, हम सबने ये सोचा है कि उसे पूरी तरह ट्रैनिंग दें क्योंकि अभी उसकी उम्र काफी कम है और वो जब भी किसी के साथ सोएगी तो उसे पागल कर देगी…”

मैं- ठीक है, जैसे आप लोगों की मर्ज़ी। लेकिन ट्रैनिंग देगा कौन? क्या आप या बुआ?

दीदी- “नहीं भाई, उसे आप ट्रैनिंग दोगे…”

मैं- क्या दीदी? मैं ऋतु को भला कैसे ट्रैनिंग दे सकता हूँ? मुझे क्या पता है कि किस तरह ट्रैनिंग होनी है?

दीदी- “भाई, तुम उसे लण्ड चुसाई का एक्सपर्ट बनाओगे और जरा उसकी मालिश भी कर दिया करोगे…”

मैं- लेकिन दीदी, इस तरह तो अगर मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने ही कुछ कर डाला तो क्या होगा?

दीदी- तुम उसकी गाण्ड मार सकते हो, लेकिन फुद्दी नहीं समझे?

मैं- “ठीक है बाजी, जैसे आप कहो…” और इसके साथ ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- “पहले आप तो मुझे ट्रंड करो ना…”

वो रात मैंने दीदी की चुदाई में गुजारी। सुबह जब मैं उठा तो 10:00 बज चुके थे और मैं इसी तरह बेड पे नंगा ही पड़ा हुआ था। मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। मैंने नहाकर कपड़े पहन लिए और नाश्ते के लिए बाहर निकला तो देखा कि अरविंद साहब भी आए बैठे थे और दीदी को सोफे पे ही किस कर रहे थे और ऋतु रूम से उन दोनों के लिए शराब लेकर आ रही थी। जो कि उसने टेबल पे रख दी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी और सर झुकाकर वहाँ से चली गई।
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