गर्ल'स स्कूल compleet

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rajaarkey
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Re: गर्ल'स स्कूल

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 09:37

गर्ल्स स्कूल पार्ट --60 end

गतांक से आगे ...................................

गर्ल्स स्कूल--61

वाणी ने पॅंटी निकाल कर फैंकते ही अपनी जांघों को कसकर भीच लिया.. उत्तेजना के मारे वह पहले ही अधमरी सी हो चुकी थी और गरम योनि पर ठंडक उल्टा असर कर रही थी. हल्क बालों से ढाकी योनि के पेडू और उसकी पतली सी झिर्री की थोड़ी सी झलक पाकर मनु पागल सा हो गया. अब वो कुच्छ पूच्छने या कहने की हालत में था ही नही.. झट से वाणी की जांघों में अपने हाथ फँसाए और बलपूर्वक उन्हे फैला दिया.. वाणी तड़प सी उठी..

जांघें फैलने की वजह से कयि बार पिघल कर चिकनी हो चुकी वाणी की योनि की फांकों के चौड़ी हो जाने की वजह से उसका अंदर का सुर्ख लाल और अत्यंत कोमल हिस्सा बेपर्दा हो गया.. और उसमें से रह रह कर प्रेमरस रिस रहा था.. मनु के लिए ये सब अकल्पनीया था.. अद्भुत!

मनु को देर करते देख वाणी च्चटपटाहट में सिसकियाँ लेते हुए अपने नितंबों को उच्छलने लगी.. अब मनु के लिए भी जल्द से जल्द मंज़िल पर पहुँचना सख़्त ज़रूरी था.. उसने झट से अपनी पॅंट निकाली और लोहे की सलाख जैसे हो चुके अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर वाणी की जांघों के बीच बैठ गया. जांघों को उपर उठाया और झुक कर लिंग को योनि मुख पर रख दिया. वाणी को इस पहले मिलन की कितने ही दीनो से प्रतीक्षा थी.. गरम गरम सख़्त लिंग को सही निशाने पर जान उसने बिस्तेर की चादर को कसकर हाथों में पकड़ा और लोटने लगी.. जल बिन मच्चली की तरह..

मनु ने नज़रें उठाकर वाणी के चेहरे को देखा. उसने अपना जबड़ा कसकर भीच लिया था पर बेताबी उसकी पथरा चुकी नज़रों से सॉफ दिख रही थी.. मनु ने हल्का सा दबाव डाला और वाणी उच्छल पड़ी," आ!"

"दर्द हो रहा है ना!" मनु ने रुक कर प्यार से उसकी जांघों को सहलाते हुए पूचछा...

"सीसी.. कुच्छ नही.. तुम डाल दो.. जल्दी..!" होने वाली पीड़ा का अंदाज़ा लगाकर वाणी के चेहरे पर पहले ही शिकन उभर आई थी.. पर उसने निस्चय कर रखा था.. कि आज ही सब कुच्छ कर लेना है..

आदेश मिलते ही मनु का ध्यान नीचे आ गया.. लिंग वहाँ से हटाकर फांकों को जितना खोल सकता था खोल दिया और छेद के मुँह पर फिर से अपना लिंग रख दिया.. योनि की फांकों ने हल्का सा लिंग को अपने अंदर ले लिया.. मनु को वाणी को हो सकने वाली पीड़ा का अहसास था.. पर काम तो आज करना ही था.. अभी नही तो कभी नही के अंदाज में मनु ने वाणी की जांघों को कसकर पकड़ कर अपनी तरफ से प्रहार किया और किसी भी दर्द को सहने के लिए पूरी तरह तैयार वाणी की आँखों से आँसू उमड़ पड़े... पर उसने अफ तक नही की..

लिंग की टोपी योनि के अंदर फँसी खड़ी थी और फांकों ने लिंग को कसकर भींच रखा था... पर काम बन गया था...

"बहुत ज़्यादा दर्द हुआ ना..?" मनु ने बेचारगी से वाणी के चेहरे पर लुढ़क आए आँसुओं को देखते हुए पूचछा..

दर्द को सहन करते हुए वाणी ने मुश्किल से अपना मुँह खोला और खोलते ही उसकी टीस बाहर निकल आई," अया.. अया.. नही.. कुच्छ खास नही.. हो गया क्या?"

"नही.. अभी पूरा नही हुआ!" मनु ने योनि की फांकों को प्यार से सहलाते हुए उनको राहत सी देने की कोशिश की...

"क्या?" वाणी को लगा अभी तो बहुत झटके लगने बाकी हैं.. दर्द भरे..," अभी मत करना प्लीज़.. थोड़ा रुक जाओ..!"

"कहो तो निकाल लूँ? तुम तो रोने लगी हो.."

"नही.. अब मत निकलना.. कितनी मुश्किल से गया है.. अभी डाल दो बेशक.. पर निकलना नही जान..!" ना चाहते हुए भी वाणी के हर शब्द से उसको हो रही पीड़ा झलक रही थी...

मनु को वाणी पर बहुत प्यार आ रहा था.. उसके समर्पण पर.. वह इसी हालत में वाणी पर झुक गया और उसके चेहरे को बेतसा चूमने लगा.. पागलों की तरह. शुरुआत में पीड़ा के कारण अपने आपको उसका साथ देने में असहज महसूस कर रही वाणी भी जल्द ही सब कुच्छ भुला उसके होंटो से चिपक गयी.. उपर चल रही प्यार मोहब्बत की चूमा चाती से वाणी को नीचे बड़ी राहत सी मिली और वह धीरे धीरे अपने नितंबों को उचकाने लगी....

वाणी के चेहरे पर चुंबनो की बेपनाह बरसात करते हुए मनु को अचानक कुच्छ अजीब सा महसूस हुआ... उसने उपर उठकर नीचे देखा और देखते ही उसकी आँखों में सफलता की चमक उभर आई," वाणी.. देखो गया.. आधा अंदर जा चुका है अपने आप..!" वह झुका और वाणी की चूचियो को चूसने लगा..

"क्या? दिखाना!" वाणी भी अचरज से भर उठी.. और अपने हाथों का दबाव मनु की छाती पर डाल उसको उपर होने का इशारा किया.. मनु उठकर बैठ सा गया..

योनि के बीचों बीच लठ की तरह फँसे खड़े आधे लिंग को देख वाणी पानी पानी हो गयी.. लज्जा के मारे वह तुरंत सीधी लेट गयी और अपनी आँखें बंद करके मुस्कुराने लगी.. उसकी हसरत जो पूरी हो गयी थी..

"क्या हुआ? हंस क्यूँ रही हो?" मनु वापस वाणी के उपर लेट कर उसके होंटो का चुंबन लेता हुआ बोला..

"कुच्छ नही.. डाल दो पूरा जल्दी..!"वाणी ने मनु को अपनी छाती से चिपका कर ज़ोर से भीच लिया और उसकी कमर को सहलाने लगी.. आख़िरकार 'वो' भी पूरी हो ही गयी..

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प्यार करने के बाद भी वो दोनो काफ़ी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे.. पर अब वाणी की चीकपिक बंद हो गयी थी.. चुपचाप उसने उठकर कपड़े पहने और नज़रें झुकाए हुए बोली," मैं जाउ अब?"

"अब तुम्हे कौन जाने देगा वाणी.. अब तो तुम मेरी हो गयी हो!" मनु ने वाणी को बाहों में उठाया और वापस बिस्तेर पर लाकर पटक दिया.. वाणी खिलखिलाकर हंस पड़ी.. पर वो हँसी 'अपनी' वाणी की नही बुल्की मनु की हो चुकी एक नारी की थी..

सारा दिन रोहित जल्द से जल्द रात होने का इंतजार करता रहा.. और रात होते ही उसकी बेताबी भड़क उठी थी..पर जाने क्यूँ, सोने के लिए शालिनी के रूम की और जाते हुए रोहित के मन में हल्की सी हिचकिचाहट थी... उसने जैसे ही दरवाजा खटखटाया, शालिनी ने झट से खोल दिया और एक तरफ हट कर नज़रें झुका कर खड़ी हो गयी.. रोहित ने उसके चेहरे की और देखा.. लज्जा में डूबी हुई सी शालिनी नज़ाकत का प्रयय लग रही थी..

"मुझे यहीं सोना पड़ेगा! कोई दिक्कत तो नही है ना!" रोहित ने अचकचते हुए उसके पास ही खड़ा होकर पूचछा...

शालिनी ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया.. दरवाजा बंद किया और बाथरूम में चली गयी...

ऐसा तो पहले कभी हुआ ही नही था.. शालिनी ने अपने पूरे बदन में अजीब सी ऐठन महसूस की.. हरे चिटकेदार कमीज़ के नीचे सफेद ब्रा में उसको अपनी चूचियो के उभारों का दम सा घुट'ता महसूस हुआ.. वो 'वहाँ' से आज कुच्छ और भारी हो गयी थी..साँसे तेज हो जाने के कारण उसकी चूचिया तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी... साँसों पर काबू पाने में असमर्थ रहने पर शालिनी ने अपना कमीज़ निकाल कर ब्रा का हुक खोल दिया... गोरी चित्ति चूचियाँ ब्रा से आज़ाद होते ही मचल उठी.. उनपर जड़े गुलाबी दाने तंन कर लंबे और पैने हो गये थे.. उनको छ्छूने भर से ही कामुक आनंद की सिसकी शालिनी की मुँह से आह के रूप में निकल गयी...

एक साथ रात बिताते हुए रोहित को मर्यादा में रखने के लिए शालिनी को कुच्छ खास करने की ज़रूरत नही थी.. पर प्राब्लम ये थी की खुद उसका बदन ही आज बेकाबू सा हो गया था.. वो खुद रोहित की बाहों में समा कर आज अपना 'सब कुच्छ' उसके हवाले कर देना चाहती थी.. उसने अपने तरंगित उभारों को अपने हाथों में समेट कर देखा.. वो फदक से रहे थे.. अंजाने स्पर्श की चाहत में..

आख़िरकार शालिनी ने ब्रा को हॅंगर पर टाँग दिया और केवल कमीज़ पहन कर अपने उभारों को चुन्नी में छुपाति हुई बाहर निकल आई..

"ययए क्या कर रहे हो?" शालिनी ने रोहित को अपना बिस्तेर नीचे लगाते हुए देखा तो वह कसमसा कर रह गयी...

"कुच्छ.. नही.. सोने की तैयारी कर रहा हूँ.. और क्या?" रोहित ने नज़रें चुराते हुए कहा...

"ये क्या बात हुई..? ठीक है.. तुम उपर सो जाना... मैं सो जाउन्गि यहाँ..." शालिनी ने कहा और नीचे बिस्तेर पर बैठ गयी...

"नही शालु.. मैं यहाँ ठीक हूँ.. तुम.. उपर चली जाओ!" रोहित और शालिनी एक दूसरे के सामने बैठे थे...

"क्यूँ? तुम यहाँ ठीक हो तो मैं भी ठीक हूँ.. मैं भी अपना बिस्तेर नीचे लगा लेती हूँ.." शालिनी ने प्यासी आँखों से रोहित के चेहरे की और निहारा...

"क्यूँ परेशान हो रही हो? उपर जाकर आराम से सो जाओ ना...!" रोहित ने हल्का सा प्रतिरोध किया...

"तुम्हे मैं अच्छि नही लगती क्या?" शालिनी ने तड़प कर कह ही दिया...

"ये भी कोई बात हुई.. तुम अच्छि नही लगोगी तो कौन लगेगा.. सब जानते हुए भी तुम...." रोहित ने बात अधूरी छ्चोड़ दी...

"नही.. मैं कुच्छ नही जानती.. जहाँ तुम सोवोगे.. वहीं मैं... बस!" शालिनी ने आदेश देने के लहजे में कहा और बैठे हुए रोहित की बराबर में सीधी लेट कर आँखें बंद कर ली... चुन्नी सरक कर उसके बदन से उतर गयी थी.. शायद शालिनी ने ध्यान नही दिया.. या फिर शायद उसने जानबूझ कर ही लेट'ते हुई चुननी को अपने हाथ के नीचे दबा लिया था...

रोहित शालिनी के हुश्न की बेपनाह दौलत को यूँ बिखरा देख पागल सा हो उठा.. उसकी बंद आँखों पर एक पल को ठहर कर उसकी नज़रें नीचे फिसलती चली गयी.. और ठहरी वहाँ, जहाँ शालिनी की गोल मटोल तनी हुई चूचियो पर उभर कर खड़े हो चुके दाने उसकी हालत बयान कर रहे थे," देख लो! बाद में मुझे कुच्छ मत कहना!" रोहित अपने होंटो पर खुद को जीभ फेरने से ना रोक सका...

"देख लिया! मुझे यहीं सोना है..." आँखें बंद किए हुए ही शालिनी ने मचल कर कहा...

"तो मैं उपर चला जाउ?" रोहित ना चाहते हुए भी पूच्छ बैठा...

"कह दिया ना! जहाँ तुम सोवोगे, वहीं मैं...." शालिनी ने कहा और हल्का सा मुस्कुराते हुए करवट लेकर अपना सिर आलथी पालती मारे रोहित के घुटने पर रख लिया...

"सोच लो.. गड़बड़ हो जाएगी.. मैं खुद को रोक नही पाउन्गा शालु.. बहुत तडपा हूँ तुम्हारे लिए...!" रोहित ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा.. उसकी साँसे उखाड़ने सी लगी थी.. शालिनी के यौवन को अपने पहलू में समेट'ने की चाहत लिए हुए...

"ऐसे कैसे गड़बड़ हो जाएगी.. मेरी एक बेहन का भाई इनस्पेक्टर है.. अंदर करवा दूँगी!" और शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी..

"अच्च्छा! तो ये बात है.. इसीलिए इतना अकड़ रही हो.. देखता हूँ कैसे अंदर करवाती हो.." और बरसों से शालिनी के लिए तड़प रहा रोहित झुका और शालिनी के चेहरे को चूम लिया.. चुंबन हालाँकि गालों पर था, पर भावनैयें इतनी कमसिन और कामुक हो चुकी थी कि शालिनी सिहर उठी.. अपने आप ही उसके हाथ रोहित के चेहरे पर चले गये और अपना चेहरा उसके सामने करके शालिनी आँखें बंद करके उसको नीचे खींचने लगी....

रोहित भी तैयार ही था... खुद को ढीला छ्चोड़ वह थोड़ा और नीचे हो गया और बदहवास सा शालिनी के नरम होंटो को चूमने लगा...

"आआआआहह!" काफ़ी देर बाद जब रोहित ने उसको छ्चोड़ा तो शालिनी की भावनायें भड़क चुकी थी... कामुक सिसकी लेते हुए उसने प्रार्थना सी की... ,"रुक क्यूँ गये रोहित!"

रोहित कहाँ रुकने वाला था अब... वह भी पसर कर शालिनी के साथ लेट गया और अपनी जाँघ शालिनी की जांघों पर रख कर उसको अपने सीने से कसकर सटा लिया और पागलों की तरह उसके चेहरे को चूमने लगा... शालिनी सिमट कर उसके और करीब आ गयी और अपनी गरम साँसों से रोहित की साँसों को महकाने लगी....

शालिनी के उत्तेजित हो जाने की वजह से उसकी चूचियो के दाने रस से भरकर उसके कमीज़ से बाहर झाँकने की कोशिश कर रहे थे.. रोहित उनकी चौंछ को सॉफ सॉफ अपने दिल में चुभते हुए महसूस कर रहा था. वह सोच ही रहा था कि अब क्या करूँ.. तभी शालिनी बोल पड़ी," तुम्हे मैं अब भी उतनी ही अच्च्ची लगती हूँ ना.."

"मैने तुम्हे कभी देखा ही नही है.. जब देखूँगा तो बताउन्गा..!" रोहित ने शरारती लहजे में कहा....

"और कब देखोगे? तुम्हारे सामने ही तो हूँ.. देख लो ना, जी भर कर..." शालिनी ने अपनी बाहें उठाकर अंगड़ाई लेते हुए कहा...

अब रोहित खुद को रोक नही पाया.. उसने एक हाथ शालिनी के उभार पर रखा और उसको समेट'ने की कोशिश करते हुए कसकर दबा दिया.. शालिनी सिसक उठी और अपना हाथ रोहित के हाथ के उपर ले गयी...

"कितनी प्यारी हो तुम? मैने तो कभी सपने में भी नही सोचा था कि इनको छूने में इतना मज़ा आता होगा...!" रोहित पागलों की तरह उसकी चूचियाँ दबा रहा था...

"आइ लव यू रो... आआहह" साँसें उखड़ जाने के कारण शालिनी की बात अधूरी ही रह गयी....

"इसको निकाल दूं क्या?" रोहित ने शालिनी का कमीज़ उठा कर उसकी नाभि को चूमते हुए पूचछा....

निकालना कौन नही चाहता था.. शालिनी की मौन सिसकी ने उसको इजाज़त दे दी और रोहित के हॉथो ने कमीज़ का निचला सिरा पकड़ा और उसके बदन का रोम रोम नंगा करते चले गये... उपर से...

रोहित उसकी पतली कमर, पेट का कमसिन नाभि क्षेत्रा और कमर का मछ्लि जैसा आकर देखते ही पागला सा गया... उसका लंबा पतला और नाज़ुक पेट और उसके उपर तने खड़ी दो संतरे के आकर की रसभरी चूचियाँ; सब कुच्छ जैसे ठोस हो गया हो... अब उसकी चूचियो का रहा सहा लचीलापन भी जाता रहा... उस्क्कि चूचियो के चूचक भी अब तक बिल्कुल अकड़ गये थे... आज तक उसने किसी लड़की को इस हद तक बेपर्दा नही देखा था... वह बैठ गया... और बेतहाशा उसके बदन पर चुंबनों की बौच्हर सी शुरू कर दी...

उसका हाथ अपने आप ही अपने तब तक तन चुके लंड को काबू में करने की चेस्टा करने लगा... पर अब लंड कहाँ शांत होने वाला था... वो भीतर से ही बार बार फुफ्कार कर अपनी नाराज़गी का इज़हार कर रहा था मानो कह रहा हो," अभी तक में पॅंट के अंदर क्यूँ हूँ; शालिनी के अंदर क्यूँ नही?

शालिनी के लिए हर पल मुश्किल हो रहा था... तड़प दोनो ही रहे थे... पर झिझक भी दूर होने का नाम नही ले रही थी... दोनो की... पूरी तरह... !

आख़िरकार शालिनी ने लरजते हुए होंटो से अपनी सारी सक्ति समेट-ते हुए कह ही दिया...," ! सलवार भी उतार दूं क्या? गीली होने वाली है...."

'नेकी और पूच्छ पूच्छ' रोहित को अगले काम के लिए कहना ही नही पड़ा. और ना ही शालिनी ने उसके जवाब का इंतजार करने की ज़रूरत समझी... उसने सलवार उतार दी... अपनी पॅंटी को साथ ही पकड़ कर... रोहित शालिनी के अंगों की सुंदरता देखकर हक्का बक्का रह गया... उसकी योनि टप्प टप्प कर चू रही थी... उसका रस उसकी केले के तने जैसी चिकनी और मुलायम जांघों पर बह कर चमक रहा था... और महक भी रहा था...

रोहित को अपनी जांघों के बीच इस तरह घूरते पाकर शालिनी शर्मा गयी और दूसरी तरफ पलट गयी.. पर पिछे का नज़ारा उस'से भी कहीं ज़्यादा हसीन था....

रोहित ने उसके नितंबों को ध्यान से देखा... उसकी दोनो फाँकें उसकी चूचियो की भाँति ही सख़्त दिखाई दे रही थी...जांघों के बीच से उसकी उभर आई योनि की दोनो परतें दिखाई दे रही थी....

रोहित उसस्पर झुका और उसके कान में बोला... "जान तुमसे ज़्यादा सुंदर कोई हो ही नही सकता..."

अब और सहना शालिनी वश में नही था... वो घूम कर बैठ गयी और अपने रोहित से लिपट कर अपनी तड़प रही चूचियों को शांत करने के कोशिश करने लगी...! कुच्छ ही देर में रोहित नीचे आ गया और शालिनी की बरस कर भी तरस रही योनि की प्यास बुझाने के लिए अपने होन्ट 'वहाँ' टीका दिए....

"प्लीज़.. बेड पर ले चलो!" शालिनी पागल सी हो चुकी थी...

रोहित ने उसको किसी दुल्हन की भाँति बाहों में उठा लिया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया... मारे आवेश के शालिनी ने अपनी जांघों को एक दूसरी पर चढ़ा कर कसकर भींच लिया...

"उफफफफफ्फ़ ! सहन नही होता... जल्दी कुच्छ करो!"

रोहित ने मौके की नज़ाकत को समझा... अपनी पंत निकल कर वा नीचे लाते गया और शालिनी को अपने उपर चढ़ा लिया... दोनो और पैर करके... रोहित के लिंग का उभर शालिनी की जांघों में चुभ रहा था....

शालिनी को अब और कुच्छ बताने की ज़रूरत नही थी.. रोहित का तना हुआ लिंग अपने हाथ में पकड़ा और तेज़ी से अपनी योनि से सटकर बाहर ही घिसने लगी...

और रोहित हार गया... शालिनी की मदमस्त योनि की गर्मी का अहसास होते ही उसके लिंग ने पिचकारी छ्चोड़ दी... ... और रोहित का अमूल्या रस उसकी योनि की फांकों में से बह निकला... रोहित ने बुरी तरह से शालिनी को अपनी छाती पर दबा लिया और बुरी तरह हाँफने लगा... शालिनी लगातार उसके यार के लिंग को अपनी योनि पर रगड़ती रही पर लगातार छ्होटे हो रहे लिंग ने साथ ना दिया... वह बदहवास सी होकर रोहित की छाती पर मुक्के मारने लगी... जैसे रोहित ने उसको बहुत बड़ा धोखा दे दिया गो...

रोहित को पता था कि उसको क्या करना है... उसने शालिनी को नीचे लिटाया और अपना रसभरा लिंग उसके मुँह में ठूस दिया... वासना के मारे पागल हो चुकी शालिनी ने तुरंत उसको ' 'मुँह में ही सही' सोचकर निगल लिया... और उसके रस को सॉफ करने लगी.. जल्दी जल्दी...

लिंग भी उतनी ही जल्दी अपना सम्पुरन आकर प्राप्त करने लगा... ज्यों ज्यों वह बढ़ा शालिनी का मुँह खुलता गया और लिंग उसके मुँह से निकलता गया... आख़िर में जब लिंग का सिर्फ़ सूपड़ा उसके मुँह में रह गया तो शालिनी उसको मुँह से निकालती हुई बिलबिला उठी," कुच्छ करो अब... मैं मर जवँगी नही तो..."

रोहित ने देर नही लगाई.. वह शालिनी के नीचे आया और उसकी टांगे उठा कर उन्हे दूर दूर कर दिया... योनि गीली थी और ज़ोर ज़ोर से फुदाक भी रही थी.... रोहित ने जैसे ही अपना लिंग उसकी योनि की फांकों के बीच छेद पर रखा, शालिनी समझ गयी कि मुकाबला बराबर का नही है... उसने अपने आप ही अपना जबड़ा कस कर भीच लिया..

रोहित ने दबाव बढ़ाना शुरू किया तो शालिनी की आँखें दर्द के मारे बाहर को आने लगी ... पर उसने अपना मुँह दबाए रखा... और 'फ़च्च्छ' की आवाज़ के साथ लिंग का सूपदे ने उसकी योनि को छेद दिया.. दर्द के मारे शालिनी बिलबिला उठी... वह अपनी गर्दन को 'मत करो' के इशारे में इधर उधर पटकने लगी....

रोहित ने कुच्छ देर उसको आराम देने के इरादे से अपने 'ड्रिलर' को वहीं रोक दिया... और पलट कर उपर आते हुए उसकी चूचियो पर झुक कर उसके तने हुए दाने को होंटो के बीच दबा लिया... शालिनी क्या दर्द क्या शरम सब भूल गयी... उसका हाथ अपने चेहरे से हटकर रोहित के बालों में चला गया... अब रोहित उसके होंटो को चूस रहा था... पहले से ही लाल होन्ट और रसीले होते गये... और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह में कबड्डी खेलने लगी... कामदेव और रति दोनो चरम पर थे...

कुच्छ ही देर बाद शालिनी ने अपने नितंबों को उठाकर पटक'ते हुए अपनी लालसा का इज़हार रोहित को कर दिया... रोहित उसके होंटो को अपने होंटो में दबाए ज़ोर लगाता चला गया... बाकी काम तो लिंग को ही करना तहा... वह अपनी मंज़िल पर जाकर ही रुका...

रोहित ने लंड आधा बाहर खींचा और फिर से अंदर भेज दिया... शालिनी सिसक सिसक कर अपने रोहन के साथ पहले मिलन का भरपूर आनंद ले रही थी.... एक बार झड़ने पर भी उसके आनंद में कोई कमी ना आई... हां मज़ा उल्टा दुगना हो गया... चिकनी होने पर लंड चूत में सटा सॅट जा रहा था... नीचे से सिसकती हुई शालिनी धक्के लगाती रही और उपर से हांफता हुआ रोहित... दौर जम गया और काफ़ी लंबा चलता रहा... दोनो धक्के लगाते लगाते एक दूसरे को चूम रहे थे; चाट रहे थे... और बार बार 'आइ लव यू' बोल रहे थे...

अचानक शालिनी ने नितंबों को थिरकते हुए फिर से रस छ्चोड़ दिया... उसके रस की गर्मी से रोहित को लगा अब वह भी ज़्यादा चल नही पाएगा.... रोहित को चरम का अहसास होते ही अपना लंड एक दम से निकल कर शालिनी के कमर से चिपके हुए पतले पेट पर रख दिया... और शालिनी आँखें बंद किए हुए ही रोहित के लंड से निकलने वाली बौच्चरों को गिन-ने लगी... आखरी बूँद टपकते ही रोहित उसके ऊपर गिर पड़ा....," आइ लव यू जान!"

"आइ लव यू टू!" शालिनी ने कसकर रोहित को अपनी छाती से चिपका लिया....

दोस्तों इस तरह गर्ल्स स्कूल की कहानी का एंड हुआ अब आप लोग बताये ये कहानी आपको कैसी लगी

आपका दोस्त

राज शर्मा

समाप्त

दाएंड


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