गर्ल'स स्कूल compleet

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rajaarkey
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गर्ल'स स्कूल compleet

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:25

गर्ल'स स्कूल

भिवानी जाने के लिए जैसे तैसे उसने बस पकड़ी. भीड़ ज़्यादा होने की वजह
से वो बस में पिच्चे जाकर खड़ा हो गया.
शमशेर सिंग मंन ही मंन बहुत खुश था. 9 साल की सर्विस में पहली बार उसकी
पोस्टिंग गर्ल'स स्कूल में हुई थी. 6 फीट से लंबा कद, कसरती बदन रौबिला
चेहरा; उसका रौब देखते ही बनता था. 32 का होने के बावजूद उसने शादी नही
की थी. ऐसा नही था की उसको किसी ने दिल ही ना दिया हो. क्या शादी शुदा
क्या कुँवारी, शायद ही कोई ऐसी हो जो उसको नज़र भर देखते ही मर ना मिटे.
पिच्छले स्कूल में भी 2-4 मॅडमो को वो अपनी रंगिनियत के दर्शन करा चुका
था. पर आम राई यही थी की वो निहायत ही सिन्सियर और सीरीयस टाइप का आदमी
है. असलियत ये थी की वो कलियों का रसिया था, फूलों का नही. और कलियों का
रश पीने का अवसर उसको 6-7 साल से नही मिला था. यही वजह थी की आज वो खुद
पर काबू नही कर पा रहा था.
उसका इंतज़ार ख़तम होने ही वाला था.
अचनाक उसके अग्रभाग में कुच्छ हलचल होने से उसकी तंद्रा भंग हुई. 26-27
साल की एक औरत का पिच्छवाड़ा उसके लिंगा से जा टकराया. उसने उस्स औरत की
और देखा तो औरत ने कहा,"सॉरी, भीड़ ज़्यादा है."
"इट'स ओक", शमशेर ने कहा और थोड़ा पिछे हो गया.
औरत पढ़ी लिखी और सभ्य मालूम होती थी. रंग थोड़ा सांवला ज़रूर था पर यौवन
पूरे शबाब पर था. वो भी शमशेर को देखकर अट्रॅक्ट हुए बिना ना रह सकी.
कनखियों से बार बार पिच्चे देख लेती.
तभी बस ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिए जिससे शमशेर का बदन एक दम उस्स
औरत से जा टकराया. वो गिरने को हुई तो शमशेर ने एक हाथ आगे ले जाकर उसको
मजबूती से थाम लिया. किस्मत कहें या दुर्भाग्या, शमशेर के हाथ में उसका
दायां स्तन था.
जल्दी ही शमशेर ने सॉरी बोलते हुए अपना हाथ हटा लिया, पर उस्स औरत पर जो
बीती उसको तो वो ही समझ सकती थी.
"अफ, इतने मजबूत हाथ!" सोचते हुए औरत के पुर बदन में सिहरन दौड़ गयी.
उसके एक बार च्छुने से ही उसकी पनटी गीली हो गयी. वो खुद पे शर्मिंदा सी
हुई पर कुच्छ बोल ना सकी.
उधर शमशेर भी ताड़ गया की वो कुँवारी है. इतना कसा हुआ बदन शादीशुदा का
तो हो नही सकता. उसने उससे पूच्छ ही लिया, जी क्या मैं आपका नाम जान सकता
हूँ."
थोड़ा सोचते हुए उसने जवाब दिया,
"जी मेरा नाम अंजलि है"
शमशेर: कहाँ तक जा रही हैं आप?
अंजलि: जी भिवानी से आगे लोहरू गाँव है. मैं वहाँ गर्ल'स स्कूल में
प्रिन्सिपल हूँ.
सुनते ही शमशेर चौंक गया. यही नाम तो बताया गया था उसे प्रिन्सिपल का. पर
कुच्छ सोचकर उसने अपने बारे में कुच्छ नही बताया.
अजीब संयोग था. अंजलि को पकड़ते ही वो भाँप गया था की यहाँ चान्स हैं
रास्ते भर अच्च्चे टाइम पास के.
धीरे धीरे बस में भीड़ बढ़ने लगी और अंजलि ने पिच्चे घूम कर शमशेर की और
मुँह कर लिया. तभी एक सीट खाली हुई पर जाने क्यूँ अंजलि को शमशेर से दूर
जाना अच्च्छा नही लगा. उसने सीट एक बुढ़िया को ऑफर कर दी और खुद वही खड़ी
रही.
अंजलि,"कहाँ खो गये आप"
शमशेर: कुच्छ नही बस यही सोच रहा था की आपकी अभी तक शादी क्यूँ नही हुई.
अंजलि सुनकर शर्मा सी गयी और बोली: ज..जी आपको कैसे मालूम.
शमशेर ने भी तीर छ्चोड़ा: आपके बदन की कसावट देखकर...शादी तो हमारी भी
नही हुई पर दुनिया तो देख ही चुके हैं.
अंजलि: जी.. क्या मतलब?
शमशेर: खैर जाने दें. पर इतनी कम उमर में आप प्रिन्सिपल! यकीन नही आता!
अंजलि: हो सकता है पर में 2 साल पहले डाइरेक्ट अपायंट हुई हूँ.
यूँही बातों का सिलसिला चलते चलते अंजलि को जाने क्या मस्ती सूझी उसने
उल्टियाँ आने की बात कही और शमशेर के कंधे पर सिर टीका लिया. शमशेर ने एक
लड़के की सीट खाली कराई और अंजलि को वहाँ बैठा दिया. अंजलि मायूस सी हो
गयी पर जल्दी ही उसके साथ वाली सवारी उठ गयी और शमशेर भी उसके साथ जा
बैठा. अंजलि ने उसकी छति पर सिर रख लिया.
शमशेर सम्झ गया था की वो चिड़िया फँसने वाली है. वा भी उसके बालों में
हाथ फिरने लगा. अंजलि ने नींद का बहाना किया और उसकी गोद में सिर रख
लिया.
अब ये शमशेर के भी सहन के बाहर की बात की. पॅंट में छिपा उसका औजार
अंगड़ाई लेने लगा. अंजलि भी क्यूंकी सोने की आक्टिंग कर रही थी इससलिए वो
उस्स हलचल को ताड़ गयी. नींद की आक्टिंग करते करते ही उसने अपना एक हाथ
सिर के नीचे रख लिया. अब वो उसकी बढ़ती लंबाई को डाइरेक्ट्ली फील कर सकती
थी.
अंजलि का चेहरा लाल होता जा रहा था. उसकी दबी हुई सेक्स भावना सुलगने लगी
थी. ऐसे शानदार मर्द को देखकर वो अपनी मर्यादा भूल गयी थी. फिर उसके लिए
तो वो एक अंजान मर्द ही था. फिर 2-3 घंटे के लिए...हर्ज़ ही क्या है?
अचानक कैथल बस स्टॅंड पर चाय पानी के लिए बस रुकी. शमशेर को भी अहसास था
वो जाग रही है पर अंजान बनते हुए वो उसके कुल्हों पर हाथ लगाकर उसको
उठाने लगा. 2-3 बार उसको हिलने पर जैसे उसने जागने की आक्टिंग करी फिर
बोली "ओह सॉरी"
शमशेर: अरे इसमें सॉरी की क्या बात है. पर ज़रा सी प्राब्लम है.
अंजलि: वो क्या?
शमशेर: वो ये की आपने मेरे एहसास को जगा दिया है. अब मुझे बाथरूम जाना
पड़ेगा. आपके लिए पानी और कुच्छ खाने का भी ले आता हूँ. कहकर वो बस से
उतर गया.
अंजलि खुद पर हैरान थी. माना वो मर्द ही ऐसा है पर वो खुद इतनी हिम्मत
कैसे कर गयी. उसके मॅन ही मॅन सोच रही थी की काश ये सफ़र कभी पूरा ना हो
और वो जन्नत का अहसास करती रहे. यक़ीनन आज से पहले उसकी जिंदगी में कभी
ऐसा नही हुआ था.
उधर शमशेर बाकी रास्ते को रंगीन बनाने की तैयारी कर रहा था. उसने नशे की
गोली खरीदी और कोल्डद्रिंक में मिला दिया. अंधेरा हो गया था. उसने अपनी
पॅंट की ज़िप खुली छ्चोड़ ली ताकि अंजलि को उसे महसूस करने में आसानी हो
सके.

rajaarkey
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Re: गर्ल'स स्कूल

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:26

शमशेर मॅन ही मॅन सोच रहा था अगर अंजलि ही वो लड़की है जिसके स्कूल में
जाकर उसको जोइन करना है, फिर तो उसकी पाँचो उंगलियाँ घी में होंगी. उसको
अंजलि की हालत देखकर यकीन हो चला था की अगर वो शुरुआत करेगे तो अंजलि
पीच्चे नही रहेगी. पर अगर वो जान गयी की मैं उसके स्कूल मैं ही जोइन करने
जा रहा हूँ तो वो हिचक जाएगी. इसीलिए वो आज ही उसको पता लगने से पहले ही
उसकी चूत मार लेना चाहता था. साथ साथ उसको एक डर भी था! अगर अंजलि के मॅन
को वो भाँप नही पाया है और उसने खुद सुरुआत कर दी और अंजलि का रिएक्शण
अलग हुआ तो फिर मुस्किल हो जाएगी. ऐसे में वो स्कूल जाकर उसका सामना कैसे
करेगा. इसीलिए शमशेर चाहता था की पहल अंजलि की तरफ से ही होनी चाहिए.
अचानक बस स्टार्ट हो गयी और वो यही सोचता हुआ बस में चढ़ गया.
अंजलि: कहाँ रह गये तहे आप; मैने तो सोचा आप वापस ही नही आओगे.
शमशेर: अरे नही... आपके लिए कोल्डद्रिंक और फ्रूट्स लाने चला गया था.
कोल्डद्रिंक की वो बोतल जिसमें उसने नशे की गोलियाँ मिलाई थी उसकी तरफ
करते हुए कहा.
अंजलि: सॉरी सर, लेकिन मैं कोल्ड्रींक नही पीती.
शमशेर को अपने अरमानो पर पानी फिरता महसूस हुआ
शमशेर: अरे लीजिए ना, आपको उल्टियाँ आ रही थी, इसीलिए... इससे आपका दिल
नही मचलेगा.
अंजलि: थॅंक्स, बट मैं पी नही पाउन्गि, इनफॅक्ट मैं कभी नही पीती. हां
फ्रूट्स ज़रूर लूँगी. हंसते हुए उसने कहा.
शमशेर ने अंबूझे मॅन से कोल्ड्रींक की बोतल बॅग में रख ली. फिर बोला,"
लीजिए केला खाइए.
केले का साइज़ देखकर अंजलि को कुच्छ याद आया और उसकी हँसी छ्छूट गयी. वो
मुश्किल से 3 इंच लंबा था.
शमशेर: जी, क्या हुआ?
अंजलीहांसते हुए) जी कुच्छ नही.
अंजलि को केले की और देखता पाकर शमशेर कुच्छ कुच्छ समझ गया.
शमशेर: बताइए ना क्या बात है. वैसे आप हँसती हुई बहुत सुंदर लगती हैं.
अंजलि: क्या मतलब. वैसे नही लगती..
शमशेर: अरे नही....
अंजलि: जाने दीजिए, मैं तो आपके केले को देख कर हंस रही थी.
शमशेर का ध्यान सीधा अपनी पॅंट की तरफ गया. एक पल के लिए उसको लगा कहीं
ज़िप खुली होने से उसका केला तो बाहर नही निकल आया. सब ठीक ठाक था. फिर
केले के साइज़ को देखकर मामला समझ गया.
शमशेर: जी क्या करे, मैने खुद तो उगाया नही है. यहाँ बस यही मिले.
अंजलि की हँसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी. उसके मॅन में तो दूसरा ही
केला घूम रहा था. हालाँकि उसने अपने व्यक्तीता का हमेशा ख्याल रखा था. पर
शमशेर के नायाब जिस्म को देखकर उसमें खुमारी आती जा रही थी.
अंजलि: शमशेर जी, आप करते क्या हैं?
शमशेर: अजी जिन बातों का समय आने पर खुद ही पता चल जाना है उनके बारे में
क्या बात करनी. आप अपनी बताइए, आपने शादी क्यूँ नही की?
अंजलीकुच्छ देर सोचते हुए) है तो पर्सनल मॅटर पर मैं नही समझती की आपको
बताने से कोई नुकसान होगा. आक्च्युयली मेरी छ्होटी बेहन 6 साल पहले किसी
लड़के के साथ भाग गयी थी. बस तब से ही सब कुच्छ बिखर गया. पापा पहले ही
नही थे, मम्मी ने स्यूयिसाइड कर लिया... कहते हुए अंजलि फफक पड़ी. मुझे
नहीपाता मेरी ग़लती क्या है, पर अब मैने अकेला ही जीने की सोच ली है.
शमशेर बुरी तरह विचलित हो गया. उसे कहने को कुच्छ नही मिल रहा था. फिर
धीरे से बोला,"सॉरी अंजलि जी" मैने तो बस यूँही पूच्छ लिया था.
अंन्जालि ने उसके कंधे पर सुर रखा और सुबकने लगी.
शमशेर को और कुच्छ नही सूझा तो वो बोला मुझसे नही पूच्चेंगी क्या मैने
शादी क्यूँ नही की!
अंजलि की आँखों में अचानक जैसे चमक आ गयी और हड़बड़ा कर बोली," क्या आपने
भी... मतलब क्या आपकी शादी...क्यूँ नही की आपने
शमशेर: कुच्छ फिज़िकल प्राब्लम है?
अंजलि जैसे अपने गुम को भूल गयी थी,"क्या प्राब्लम है"
शमशेर ने मज़ाक में कहा,"बताने लायक नही है मेडम"
अंजलि: क्यूँ नही है, क्या हम दोस्त नही हैं?
शमशेर: जी वो एररेक्टिओं में प्राब्लम है.
अंजलि एररेक्टिओं का मतलब अच्च्ची तरह समझती थी की वो अपना लंड खड़ा ना
हो सकने के बारे में कह रहा है. पर ये तो झूठ था, वो खुद महसूस कर चुकी
थी. पर वो कह क्या सकती थी? सो चुप रही.
शमशेर: क्या हुआ? मैने तो पहले ही कहा था की बताना लायक नही है.
अंजलि: (शरमाते हुए) मुझे नही पता, मुझे नींद आ रही है, क्या मैं आपकी
गोद में सर रखकर सो जाउ.
शमशेर: हां हां क्यूँ नही. और उसने अंजलि को अपनी गोद में लिटा लिया.
अंजलि ने वही किया, अपने हाथ को सर के नीचे रख लिया और धीरे धीरे हाथ
हिलाने लगी. ऐसा करने से उसने महसूस किया की शमशेर का लंड अपने विकराल
आकर में आता जा रहा है. अंजलि सोच रही थी की उसने झहूठ क्यूँ बोला. उधर
शमशेर ने भी सोने की आक्टिंग करते हुए अपने हाथ धीरे धीरे अंजलि के कंधे
से सरककर उसकी मांसल तनी हुई चूंचियों पर ले गया. दोनो की उत्तेजना बढ़ती
जा रही थी.

rajaarkey
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Re: गर्ल'स स्कूल

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:27

जैसे ही शमशेर आगे बढ़कर उसकी चूत पर हाथ ले जाने ही वाला था
की अचानक अंजलि उठी और बोली,"झुटे, तुमने झूठ क्यूँ बोला" उसकी आवाज़ में
मानो नाराज़गी नही, एक बुलावा था; सेक्स के लिए.
शमशेर आँखें बंद किए हुए ही बोला,"क्या झूठ बोला मैने आपसे"
अंजलि: यही की एररेक्ट नही होता.
शमशेर: तो मैने झूठ कहाँ बोला? हां नही होता
अंजलि: मैने चेक किया है. वो धीरे धीरे बोल रही थी.
शमशेर: क्या चेक काइया है आपने.
अंजलि उसके बाद कुच्छ बोलने ही वाली थी की अचानक बस बंद हो गयी. कंडक्टर
ने बताया की बस खराब हो गयी है. आगे दूसरी सवारी मैं जाना पड़ेगा.
आमतौर पर इश्स सिचुयेशन में ख़ासकर अकेली लॅडीस की हालत खराब हो जाती है.
पर अंजलि ने चहकते हुए कहा.,"अब मैं कैसे जौंगी".
शमशेर," मैं हूं ना""चलो समान उतरो"

बस से उतारकर दोनों सड़क के किनारे खड़े हो गये. अंजलि से कॉंट्रोल नही
हो रहा था. वो सोच रही थी इतना कुच्छ होने के बाद भी ये पता नही किस बात
का इंतज़ार कर रहा है. एक एक करके सभी लोग चले गये. लेकिन ना तो शमशेर और
ना ही अंजलि को जाने की जल्दी थी. दोनों चाह कर भी शुरुआत नही कर पा रहे
थे. फिर ड्राइवर और कंडक्टर भी चले गये तो वहाँ सब सुनसान नज़र आने लगा.
अचानक अंजलि ने चुप्पी तोड़ी,"अब क्या करेंगे?"
शमशेर: बोलो क्या करें?
अंजलि: अरे तुम्ही तो कह रहे तहे,"मैं हूँ ना" अब क्या हुआ?
शमशेर चलना तो नही चाहता था पर बोला"ठीक है, अब की बार कोई भी वेहिकल
आएगा तो लिफ्ट ले लेंगे.
अंजलि: मैं तो बहुत तक गयी हूँ. क्या कुच्छ देर बस में चलकर बैठें? मुझे
प्यास भी लगी है.
वो दोनों जाकर बस में बैठ गये. फिर अचानक शमशेर को कोल्ड्रींक याद आई जो
उसने बॅग में रखी थी. वो अपना रंग दिखा सकती थी. शमशेर ने कहा,"प्यसस का
तो मेरे पास एक ही इलाज है.
अंजलि:क्या?
शमशेर: वो कोल्ड्रींक!
अंजलि: अरे हां...थॅंक्स... उससे प्यास मिट जाएगी.. लाओ प्ल्स!
शमशेर ने बाग से निकल कर वो बोतल अंजलि को दे दी. अंजलि ने सारी बोतल खाली कर दी.
10 -15 मीं. में ही गोली अपना रंग दिखाने लगी थी. अंजलि ने शमशेर से
कहा," क्या हम यही सो जायें. सुबह चलेंगे.
अंजलि पर नशे का सुरूर सॉफ दिखाई दे रहा था. अब शमशेर को लगा बात बढ़ानी
चाहिए. वो बोला," आप बस में क्या कह रही थी"
अंजलि,"मुझे आप क्यू कहते हो तुम? मुझे अंजलि कहो ना.
शमशेर: वो तो ठीक है पर आप प्रिन्सिपल हो.
अंजलि: फिर आप, मैं कोई तुम्हारी प्रिन्सिपल थोड़े ही हूँ. मुझे अंजलि
कहो ना प्ल्स.. नही अंजू कहो. और हन तुमने झूठ क्यूँ बोला की एररेक्टिओं
की प्राब्लम है.
शमशेर: तुम्हे कैसे पता की मैने झूठ बोला.
अंजलि: मैने चेक किया था ये.
शमशेर: ये क्या!
अंजलि खूब उत्तेजित हो चुकी थी. उसने कुच्छ सोचा और शमशेर की पॅंट को आगे
हाथ लगाकर बोली,"ये"... "अरे तुम्हारी तो जीप खुली है. हा हा हा.
शमशेर को पता था वो नशे में है. वो बोला," क्या तुम्हे नींद नही आ रही?
आओ मेरी गोद में सुर रख लो!
अंजलि: नही मुझे देखना है ये कैसे खड़ा नही होता. अगर मैं इसको खड़ा कर
दूं तो तुम मुझे क्या दोगे.
शमशेर कुच्छ नही बोला
अंजलि: बोलो ना...
शमशेर: जो तुम चाहोगी!
अंजलि: ओक निकालो बाहर!
शमशेर: क्या निकालून?
अंजलि: च्चि च्चि नाम नही लेते. ठीक है मैं खुद निकल लेती हूँ. कहते हुए
वो भूखी शेरनी की तरह शमशेर पर टूट पड़ी.
शमशेर तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था. उसने अंजलि को जैसे लपक लिया.
नीचे सीट पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा. अंजलि
बदहवास हो चुकी थी. उसने शमशेर का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके
होंठों को अपने होठों में दबा लिया. शमशेर के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर
ढा रहे तहे. एक एक करके वा दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे. अंजलि
अब उसकी छति सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी थी..ओह लोवे मे प्ल्स लव मे... आइ
कांट वेट. आइ कांट लिव विदाउट यू जान.
सुनसान सड़क पर खड़ी बस में तूफान आया हुआ था. एक एक करके जब शमशेर ने
अंजलि का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया.
स्वर्ग से उतरी मेनका जैसा जिस्म... सुडौल चुचियाँ... एक दम तनी हुई.
सुरहिदार चिकना पेट और मांसल जांघें... चूत पर एक भी बॉल नही था. उसकी.
चूत एक छ्होटी सी मच्चली जैसी सुंदर लग रही थी. उसने दोनों चूंचियों को
दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी चूत पर मुँह लगा दिया. अंजलि उबाल पड़ी.
साँसे इतनी तेज़ चल रही थी जैसे अभी उखाड़ जाएँगी. पहले पहल तो उसे अजीब
से लगा अपनी चूत चत्वाते हुए पर बाद में वा खुद अपनी गांद उच्छल उच्छल कर
उसकी जीभ को अपने योनि रश का स्वाद देने लगी.

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