बिना झान्टो वाली बुर compleet

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rajaarkey
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Re: बिना झान्टो वाली बुर

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 07:24


पहले तो चमेली तिलमिलाई फिर हर धक्के का मज़ा लेने लगी, " जीजाजी आप
आदमी नही सांड (बुल) है.... जहाँ चूत देखी पिल परे.... अब जब मेरी बुर
में घुसा ही दिया है तो देखूँगी की तुम्हारे लौरे मे कितना दम है....
चोदो राजा चोदो इस बार चुदाई का पूरा सुख उठाउंगी... हाई मेरे चुदक्कर जीजा
फाड़ कर लाल कर दो इस बर को .... और ज़ोर से कस-कस कर धक्का मरो .... ओह
अहह इसस्स्स्सस्स बहुत मज़ा आ रहा है" चमेली जानती थी कि मैं बाथरूम
में हूँ इसलिए मेरे निकलने के पहले झार लेना चाह रही थी जब की मैं
बाथ-रूम से निकल कर इन दोनो की चुदाई का खेल बहुत देर से देख रही थी.
चमेली गंदे-गंदे शब्दों का प्रयोग कर जीजाजी को जल्दी झरने पर मजबूर कर
रही थी और नीचे से चूतर उठा-उठा कर मदन के लंड को अपनी बुर में निगल
रही थी. जब की जीजाजी केयी बार चोद चुकने के कारण झार ही नही रहे थे.
एक बार चमेली झार चुकी थी लेकिन जीजाजी उसकी बुर मे लंड डालकर चोदे जा
रहे थे मैं उन दोनो के पिछे खरे हो कर घमासान चुदाई देख रही थी
मेरी बुर भी पनिया गयी पर मेरी हिम्मत इस समय और चुदवाने की नही हो रही
थी इस लिए चमेली को नीचे से मिमियाते देख बरा मज़ा आ रहा था. चमेली ने
एक बार फिर साहस बटोरा और बोली, "ओह मा! कितनी बार झारो गे मुझे लेकिन मैं
मैदान छ्होर कर हटूँगी नही... राजा और चोदो .....बरा मज़ा आ रहा
है....चोदूऊऊ ओह बलम हरजाई ....और कस....कस कर चोदो और ंज़ोर से
मारो धक्के फार दो बुर...... ओह अहह एसस्स्स्स्स्स्सस्स हाँ! सनम आ बा भी
जऊऊऊ चूत का कबाड़ा कर के ही दम लोगे क्या? अऊऊऊ अब आ भी जाऊओ"

जीजाजी उपर से बोले, "रूको रानी अब मैं भी आ रहा हूँ" और दोनो एक साथ झार
कर एक दूसरे में समा गये.

जीजाजी चमेली के उपर थे उनका लॉरा उसकी बुर में सुकड रहा था, गंद
कुछ फैल गयी थी. मैने पीछे से जाकर जीजाजी की गान्ड मे अपनी चून्चि
लगा दी. जीजाजी समझ गये बोले, "क्या करती हो" मैने चूची से दो-तीन
धक्के उनकी गंद (आस) में लगाए और बोली, "चोदु लाल की चूची से गंद मार रही हूँ.
जहा बुर देखी पिल पड़ते हैं" चमेली जीजाजी के नीचे से निकलती हुई बोली, "
दीदी मैं भी मारूँगी मेरी तुमसे बड़ी है" सब हसने लगे
चमेली की चुदाई देख कर मैं गरम हो गयी थी लेकिन मम्मी के आने का समय
हो रहा था, फिर चाय भी पीनी थी इस लिए मन पर काबू करते हुए बोली, "अब
सब लोग अपने अपने कपरे पहन कर शरीफ बन जाइए. मम्मी के आने का समय
हो रहा है". फिर हमलोग अपने अपने कपरे ठीक से पहन कर चाय की टेबल
पर आ गये. चमेली केटली से चाय डालते हुए बोली, "दीदी देख लो चाय ठंडी
हो गयी हो तो फिर से बना लाउ"

जीजाजी चाय पीते हुए बोले, "ठीक है, चमेली इस बार केटली में चाय इसीलिए
बना कर लाई थी कि दुबारा चाय गरम करने के लिए नीचे ना जाना परे और
दीदी अकेले-अकेले.." जीजाजी चमेली की तरफ गहरी नज़र से देख कर मुस्काराए.

"जीजाजी आप बरे वो हैं" चमेली बोली.

"वो क्या?"

"बरे चोदु हैं" सब हंस परे.

तभी नीचे कॉल बेल बजी. मॅमी होंगी, मैं और चमेली भाग कर नीचे
गयी. दरवाजा खोला तो देखा तो कामिनी थी. "अरे कामिनी तू? आ अंदर आ जा"
चमेली बोली "आप की ही कमी थी" "क्या मतलब" " अरे छोड़ो भी कामिनी उसकी
बात को वह हर समय कुछ ना कुछ बिना समझे बोलती रहती है. चल उपर अपने
जीजाजी से मिल्वाउ"

कामिनी बोली, "मेरी बन्नो बरी खुस है लगता है जीजाजी से भरपूर मज़ा मिला
है.." फिर चमेली से बोली "तू भी हिस्सा बटा रही थी क्या?" चमेली शरमा
गयी, "वो कहाँ, वो तो जीजाजी...." मैने उसे रोका, " अब चुप हो जा... हाँ! बोल
कामिनी क्या बात है" कामिनी बोली, "चाची नही है क्या? मॅमी ने जीजाजी को कल
रात को खाने पर बुलाया है" चमेली से फिर रहा ना गया बोली, " कामिनी दीदी
जीजाजी को.... कल की ....दावत देने आई है" कामिनी बोली, "चल तू भी साथ आ
जाना. हाँ! जीजाजी कहा है....चलो उनसे तो कह दूं" मैं बोली, "मुझे तो नही
लगता मॅमी इसके लिए मम्मी राज़ी होंगी, हाँ! तू कहेगी तो जीजाजी ज़रूर मान
जाएँगे" कामिनी ने कहा "पहले ये बता, तुम दोनो को तो कोई एतराज नही, बाकी
मैं देख लूँगी" "मुझे क्या एतराज हो सकता है और चमेली की मा से भी बात
कर लेंगे पर...." कामिनी बोली, "बस तू देखती जा, कल की कॉकटेल पार्टी मे
मज़ा ही मज़ा होगा"

इसी बीच मॅमी आ गयी. कामिनी चाचिजी चाचिजी कह कर उनहे पिछे लगी
गयी, उनके तबीयत के बारे में पुंच्छा, दीदी की बाते की फिर अवसर पा कर
कहा, "चाचिजी एक बहुत ज़रूरी बात है आप मॅमी से फोन पर बाते कर लें".
उसने झट अपने घर फोन मिला कर मॅमी को पकड़ा दिया. मेरी मॅमी कुछ देर
उसकी मॅमी की आवाज़ सुनती रही फिर बोली, " ऐसी बात है तो चमेली को कल रात
रुकने के लिए भेज दूँगी उसकी मॅमी मेरी बात टलेगी नही.... बबुआजी (मदन)
को बाद में सुधा के साथ भेज दूँगी..... अभी कैसे जाएगी..... अरे भाभी!
ये बात नही है..... जैसे मेरा घर वैसे आप का घर...... ठीक है कामिनी
बात कर लेगी...... हमे क्या एतराज हो सकता है...... इन लोगो की जैसी
मरजी....... आप जो ठीक समझें..... ठीक है ठीक.... सुधा प्रोग्राम बना
कर आपको बता दही...... चमेली तो जाएगी ही .... नमस्ते भाभी" कह कर
मॅमी ने फोन रख दिया. मॅमी मुझसे बोली, "कामिनी की मॅमी तुम सब को कल
अपने घर पर बुला रही हैं तुम सब को वहीं खाना खाना है, उन्हे कल रात
अपने मायके जागरण में जाना है, भाई साब कन्हि बाहर गये हैं, कामिनी घर
पर अकेली होगी वे चाहती हैं कि तुम सब वही रात में रुक जाओ. तुम्हारे
जीजाजी रुकना चाहें तो ठीक नही तो तुम उनको लिवा कर आ जाना, चमेली रुक
जाएगी"मैं कामिनी की बुद्धही का लोहा मान गयी और मॅमी से कहा, "ठीक है
मॅमी! जीजाजी जैसा चाहें गे वैसा प्रोग्राम बना कर तुम्हे बता दूँगी".

rajaarkey
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Re: बिना झान्टो वाली बुर

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 07:25


हम तीनो को तो जैसे मन की मुराद मिल गयी. जीजाजी हमलोगो को छोड़ कर यान्हा
क्या करेंगे. "चलो! जीजाजी से बात कर लेते हैं" कह कर हम दोनो उपर जीजाजी
से मिलने चल दिए, सीढ़ी पर मैने कामिनी से पुंच्छा, "यह सब क्या है? तूने
तो कमाल कर दिया. अब बता प्रोग्राम क्या है" मेरे कान में धीरे से बोली "सामूहिक
चुदाई....अब बता जीजाजी ने तेरी चूत कितनी बार मारी?"

"चल हट यह भी कोई बताने की बात है"

"चलो तुम नही बताती तो जीजू से पुंछ लूँगी"

हम दोनो उपर कमरे में आ गये. जीजाजी आल्मिराह से सीडी निकाल कर ब्लू फिल्म देख
रहे थे. स्क्रीन पर चुदाई का द्रिस्य चल रहा था. उनके चेहरे पर उत्तेजना
साफ झलक रही थी.

कामिनी धीरे से कमरे में अंदर जा कर बोली, "नमस्ते जीजाजी! क्या देख रहें
हैं"

कामिनी को देख कर वे हर्बरा गये. कामिनी रिमोट उठाकर सीडी प्लेयर बंद करती
हुई बोली, "ये सब रात के लिए रहने दीजिए. कल शाम को मेरे घर आपको आना
है, मॅमी ने डिनर पर बुलाया है, सुधा और चमेली भी वहाँ चल रही हैं.

जीजाजी सम्हलते हुए बोले, "आप कामिनी जी है ना? मेरी शादी में गाली आप ही
गा रही थीं"

"अरे वाह जीजाजी आप की यादास्त तो बहुत तेज है"

जीजाजी बोले, "ऐसी साली को कैसे भूला जा सकता है, कल जश्न मनाने का इरादा
है क्या"

"हाँ जीजाजी! रात वही रुकना है, रात रंगीन करने के लिए अपनी पसंद की
चीज़ आपको लाना है...कुछ.. हॉट ..हॉट. बाकी सब वहाँ होगा.."

"रात रंगीन करने के लिए आप से ज़्यादा हॉट क्या हो सकता है?" जीजाजी उसे
छेड़ते हुए बोले और उसका हाथ खींच कर अपने पास कर लिया. जीजा जी कुछ
और हरकत करते मैं बीच में आकर बोली, जीजा जी आज नही कल दावत है"
जीजाजी ललचाई नज़र से कामिनी को देख रहे थे, सचमुच कामिनी इस समय अपने
रूप का जलवा बिखेर रही रही थी उसमे सेक्स अपील बहुत है. कामिनी ने हाथ
बढ़ाते हुए कहा, "जीजाजी! कल आपको आना है" जीजाजी ने हाथ मिलाते हुए उसे
खींच लिया और उसके गाल पर एक चुंबन जड़ दिया.

मैं जीजाजी को रोकते हुए बोली "जीजाजी इतनी जल्दी ठीक नही है" तभी नीचे से
चमेली नस्ता लेकर आ गयी और बोली, "चलिए सब लोग नस्ता कर लीजिए, मॅमी
ने भेजा है" सब ने मिल कर नस्ता किया.

कामिनी उठती हुई मुझसे बोली, "सुधा! अब चलने दे, चलें! घर में बहुत
काम है फिर कल की तैयारी भी करनी है, कल जीजाजी को लेकर ज़रा जल्दी आ
जाना." और जीजा जी के सामने ही मुझे अपने बाहो में भरकर मेरे ओंठ चूम
लिए फिर जीजाजी को देख कर एक अदा से मुस्करा दी. जैसे कह रही हो यह
चुंबन आपके लिए है.

कामिनी के साथ हम्सब नीचे आ गये. कामिनी मॅमी से मिल कर चली गयी.
चमेली भी यह बोलते हुए चली गयी कि मा को बता कर कल सुबह एक दिन रहने
के लिए आ जाएगी.
क्रमशः.........









rajaarkey
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Re: बिना झान्टो वाली बुर

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 07:25

RajSharma stories

बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--3
गतान्क से आगे....................
जीजाजी मॅमी से बाते करने लगे और मैं किचेन में चली गयी. जल्दी जल्दी
खाना बना कर खाने की मेजा पर लगा दिया और हम लोगो ने खाना खाया. रात
खाने के बाद मॅमी मन-पसंद सीरियल देखने लगीं. जीजाजी थोरी देर तो टीवी
देखते रहे फिर यह कह कर उपर चले गये कि ऑफीस के काम से ज़्यादा बाहर
रहने के कारण वे रेग्युलर सीरियल नही देख पाते इस लिए उनका मन सीरियल देखने
में नही लगता. फिर मुझसे बोले, "सुधा! कोई नयी पिक्चर का सीडी है क्या?"
बीच में ही मॅमी बोल पड़ी, "अरे! कल रेणुका (मेरी परोसन) देवदास की सीडी
दे गयी थी जा कर लगा दे. हाँ! जीजाजी को सोने के पहले दूध ज़रूर पीला
देना". मैने कहा, "जीजाजी आप उपर चल कर कपड़ा बदलिए मैं आती हूँ" और
मैं अपना मनपसंद सीरियल देखने लगी.

सीरियल ख़तम होने पर मम्मी अपने कमरे में जाते हुए बोली "तू उपर अपने
कमरे में सो जाना और जीजाजी का ख्याल रखना" मैं सीडी और दूध लेकर पहले
अपने कमरे में गयी और सारे कपरे उतार कर नाइटी पहन लिया और देवदास
को रख कर दूसरी सीडी अपने भाभी के कमरे से निकाल लाई. जानती थी जीजाजी
साली के साथ क्या देखना पसंद करे गे. जब उपर उनके कमरे में गयी तो
देखा जीजाजी सो गये हैं. दूध को साइड टेबल पर रख कर एक बार हिला कर
जगाया जब वे नही जागे तो उनके बगल में जाकर लेट गयी और नाइटी का बटन
खोल दिया नीचे कुच्छ भी नही पहने थी.. अब मेरी चून्चिया आज़ाद थी. फिर
थोरा उठा कर मैने अपनी एक चून्चि की निपल से जीजाजी के होंठ सहलाने लगी
और एक हाथ को चादर के अंदर डाल कर उनके लंड को सहलाने लगी. उनका लॉरा
सजग होने लगा शायद उसे उसकी प्यारी मुनिया की महक लग चुकी थी. अब मेरी
चून्चि की निपल जीजाजी के मुट्ठी में थी और वे उसे चूसने लगे थे.

जीजाजी जाग चुके थे. मैने कहा, "जीजाजी दूध पी लीजिए"

वे छूटते ही बोले, "पी तो रहा हूँ"

"अरे! ये नही काली भैस का दूध, वो रखी है ग्लास में"

"जब गोरी साली का दूध पीने को मिल रहा है तो काली भैस का दूध क्यो पियूं"
जीजाजी चून्चि से मूह अलग कर बोले और फिर उसे मूह में ले लिया. मैने कहा
"पर इसमें दूध कहाँ है" यह कहते हुए उनके मूह मे से अपनी चून्चि
छुड़ा कर उठी और दूध का ग्लास उठा लाई और उनके मूह में लगा दिया.
जीजाजी ने आधा ग्लास पिया और ग्लास लेकर बाकी पीने के लिए मेरे मूह में लगा
दिया. मैने मूह से ग्लास हटाते हुए कहा, "जीजाजी मैं दूध पी कर आई हूँ" इस
बीच दूध छलक कर मेरी चून्चियो पर गिर गया. जीजाजी उसे अपनी जीभ से
चाटने लगे. मैं उनसे ग्लास लेकर अपनी चून्चियो पर धीरे-धीरे दूध
गिराती रही और जीजाजी मज़ा ले-ले कर उसे चाटते गये. चुचियाँ चाटने से मेरी
बुर में सुरसुरी होने लगी, इस बीच थोरा दूध बीच बह कर मेरी चूत तक
चला गया. जीजाजी की जीभ दूध चाटते-चाटते नीचे आ रही थी और मेरे
बदन में सनसनी फैल रही थी. उनके होंठ मेरी बुर के होंठ तक आ गये और
उन्होने उसे चटाना शुरू कर दिया.

मैने जीजाजी के सिर को पकर कर अपनी योनि के आगे किया और अपने पैर फैला कर
अपनी बुर चटवाने लगी. जीजाजी ने मेरी चूतर को दोनो हाथ से पकर लिया और
मेरी बुर की तीट (क्लितोरिक) को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत की गहराई
मे जीभ थेल देते. मैं मस्ती की पाराकस्ता तक पहुँच रही थी और उत्तेजना
में बोल रही थी, "ओह! जीजू ये क्या कर रहे हो ... मैं मस्ती से पागल हो रही
हूँ.... ओह राज्ज्जज्जाआ चॅटो .. और.... अंदर जीएभाा डाल कर
चतूऊ...बहुत अच्च्छा लग रहा है ...आज अपनी जीभ से ही इस बुर को चोद
दो... ओह...ओह अहह एसस्सस्स"

जीजाजी को मेरी चूत की मादक ख़ुसबु ने उन्हे मदमस्त बना दिया और वे बरी
तल्लिनता से मेरी बुर के रस (सुधरस) का रास्पान कर रहे थे.

जीजाजी ने मेरी चूत पर से मूह हटाए बिना मुझे खींच कर पलंग पर बैठा दिया
और खुद ज़मीन पर बैठ गये. मेरी जाँघो को फैला कर अपने कंधों पर रख
लिया और मेरे भगोस्थो को अपनी जीभ से चाटने लगे. मैं मस्ती से सिहर
रही थी और चूतर आगे सरका कर अपन्नी चूत को जीजू के मूह से सटा दिया. अब
मेरी चूतर पलंग से बाहर हवा में झूल रही थी और मेरी मखमली जांघों
का दबाव जीजाजी के कंधों पर था. जीजाजी ने अपनी जीभ मेरी बुर में घुसा दिया
और बुर की अन्द्रूनि दीवार को सहलाने लगे. मैं मस्ती के अनजाने पर अद्भुत
आनंद के सागर में गोते लगाने लगी और अपनी चूतर उठा-उठा कर अपनी चूत
जीजाजी के जीभ पर दबाने लगी.

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