बिना झान्टो वाली बुर compleet

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rajaarkey
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बिना झान्टो वाली बुर compleet

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 07:07

RajSharma stories

बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--1

मेरी दीदी की शादी बुर-हान पुर मे अभी तीन महीने पहले हुई थी. मेरी बहन मुझसे दो साल बरी है. शादी के बाद पहली बार मेरे जीजाजी दीदी को बीदा कराने महीनेभर पहले आए थे. उस समय केवल एक दिन ही रुके थे. उस समय उनसे बहुत बाते तो नही हुई लेकिन मेरी भोली-भली दीदी अपने पति के बारे में वह सब बता गयी जो नई-नई ब्याहता नही बता पाती.

उसने बताया कि वे बड़े सेक्सी है और कामकला में पारंगत है. उनका वो (कॉक) बड़ा मोटा है, पहली बार बहुत दर्द हुआ था. उस समय दीदी की बाते सुनकर ना जाने क्यों जीजाजी के प्रति मेरी उत्सकता बहुत बढ़ गयी. सोचती उनका लॉरा नज़ाने कितना बरा और लंबा होगा. बात-बात में मैने बारे अंतरंग चर्चा में जीजाजी की यह बात अपनी सहेली कामिनी को बता दिया. उसको तो सेक्स के सिवा कुछ सूझता ही नही. उस बुर चोदि ने मेरे साथ सेक्स का खेल खेलते हुए (चपटी) हुए जीजाजी से चुदवाने के सभी गुर सिखाना सुरू कर दिए. वह खुद भी अपने जीजाजी से फँसी है और उनसे चुदवाने का कोई अवसर नही छोड़ती. अपने ट्यूशन टीचर को भी पता रखा है जिससे वह अपनी खुजली मिटवाती रहती है. उससे मेरे बहुत अच्छे सम्बन्ध है. वह बहुत ही मिलनसार और हँसमुख लड़की है लेकिन सेक्स उसकी कमज़ोरी है और मैं वह बुरा नही मानती. उसका मानना है कि ईश्वर ने स्त्री पुरुष को इसी लिए अलग अलग बनाया है कि वे आपस में चुदाई का खेल खेलें. सेक्स करने के लिए ही तो अलग अलग सेक्स बनाया है. उसका यह भी मानना है कि यह सब करते हुए कुवारि कन्या को बहुत चालाक होना चाहिए नही तो वह कभी भी फस सकती है और बदनाम भी हो सकती है.

कल मेरी मम्मी ने बताया कि रेखा (दीदी) का फोन आया था कि मदन (जीजाजी) एक हफ्ते के लिए ऑफीस के काम से यहाँ शुक्रवार (फ्राइडे) को आ रहें है. रेखा उनके साथ नही आ पाएगी, उसके यहाँ कुछ काम है.उन्होने हिदायत देते हुए कहा की तेरे पापा तो दौरे पर गये हुए है अब तुझे ही उनका ख्याल रखना होगा. रेखा का उपरवाला कमरा ठीक कर देना. परसों से मैं भी जल्दी कथा सुन कर आ जाया करूँगी. वैसे वह दिन में तो ऑफीस में ही रहेगा सुबह-शाम मैं देख लूँगी

जीजाजी परसों आ रहे है जानकर मन अंजान ख़ुसी से भर उठा. मेरा बदन बार-बार बेचैन हो रहा था और पहली बार उनसे कैसे चुदवाउन्गि इसका ख्वाब देखने लगी. दीदी से तो मैं यह जान ही चुकी थी कि वे बरे चुड़ककर हैं.

मैं तुम्हे बता दूं कि मेरे पापा जो इंजीनियर हैं उन्होने मेरा और दीदी का कमरा उपर बनवाया है ग्राउंड-फ्लोर पर मॅमी पापा का बरा बेड रूम, ड्रॉयिंग-रूम, किचेन स्टोर, गेस्ट रूम, वरॅंडा, लोन, तथा पीछे सा छ्होटा बगीचा है. उपर और कमरे है जो लगभग खाली ही रहते हैं क्योकि मेरे बड़े भैया भाभी अमेरिका मे रहते है और बहुत कम ही दिनो के लिए ही यहाँ आ पाते हैं. वे जब भी आते हैं अपने साथ बहुत सी चीज़ें ले आते है इसलिए कंप्यूटर, टीवी, डVड प्लेयर, हांडीकम एत्यादि सभी चीज़ें हैं. मेरी भाभी भी खुले विचारो की है और अमेरिका जाते समय अपनी अलमारी की चाभी देते हुए बोली देखो! अलमारी में कुच्छा अडल्ट सीडी, डVड & आल्बम रखी हैं पर तुम उन्हे देखना नही उन्होने मुस्कराते हुए चाभी पकड़ा दी थी.

जीजाजी शुक्रवार को सुबह 8 बजे आ गये. जल्दी-जल्दी तैयार हुए नस्ता किया और अपने ऑफीस चले गये. दोपहर ढाई बजे वे ऑफीस से लौटे, खाना खाकर उप्पेर दीदी के कमरे में जाकर सो गये.

उसके बाद मम्मी मुझसे बोली, बबुआ सो रहे है, मैं सोचती हूँ जाकर कथा सुन औन. चमेली आती होगी बरतन धुल्वा लेना. बबुआजी सो कर उठ जाएँ तो चाय पीला देना और अलमारी से नस्ता निकाल कर करवा देन.यह कहकर वो कथा सुनने चली गई हमारी बरतन माँजने वाली बाई चंपा मेरी हम उम्र है और हमेशा हँसती बोलती रहती है

मम्मी के जाते ही मैं उपर गई देखा जीजाजी अस्त व्यस्त हालत मे सो रहे है उनकी लूँगी से उनका लिंग झाँक
रहा था. सपने मैं वे ज़रूर बुर (पुसी) का दीदार कर रहे होंगे तभी उनका लॉरा (कॉक) खरा था. मेरे पूरे शरीर में झुरजुरी फॅल गयी. मैं कमरे से निकल कर बर्जे पर आ गयी. सामने पार्क में एक कुत्ता कुतिया की बुर चाट रहा था फिर थोरी देर बाद वह कुतिया के उपर चढ़ गया और अपना लॉरा उसकी बुर में अंदर बाहर करने लगा. ओह क्या चुदाई थी. उनकी चुदाई देख कर मेरी बुर पनिया गयी और मैं अपनी बुर को सहलाने लगी. थोरी देर बाद कुत्ता के लंड को कुतिया ने अपनी बुर मैं फँसा लिया. कुत्ता उससे च्छुटने का प्रयास करने लगा इस प्रयास में वह उलट गया. वह च्छुटने का प्रयत्न कर रहा था लेकिन कुतिया उसके लौरे को छोड़ नही रही थी. यह सब देख कर मन बहुत खराब हो गया. फिर जीजाजी की तरफ ध्यान गया और मैं जीजाजी के कमरे में आ गयी.

rajaarkey
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Re: बिना झान्टो वाली बुर

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 07:08


जीजाजी जाग चुके थे. मैने पुचछा, चाय (टी) ले आउवो बोले नही! अभी नही.सर दर्द कर रहा है थोरी देर बाद फिर मुस्करा कर बोले, साली के रहते हुए चाय की क्या ज़रूरत?
मैने कहा हटिए भी! लाइए आप का सर दबा दूं मैं उनका सर अपनी गोद में लेकर धीरे-धीरे दबाने लगी. फिर उनके गाल को सहलाते हुए बोली, क्या साली चाय होती है कि उसको पी जाएँगे जीजाजी मेरी आँखों मे आँख डाल कर बोले, गरम हो तो पीने में क्या हर्ज है? और उन्होने मुझे थोरा झुका कर कपड़े के उपर से मेरे चूचियों (बूब्स) को चूम लिया. मैं शरमा उनके सीने पर सिर च्छूपा लिया. उस समय मैं शर्त & स्कर्ट पहनी थी और अंदर कुच्छ भी नही. उनके सीने पर सर रखते ही मेरे बूब्स उनके मूह के पास आ गये और उन्होने कोई ग़लती नही की, उन्होने स्कर्ट के बटन खोल कर मेरी करारी चूंचियों के निपल को मूह मे ले लिया. मेरी सहेलियों मैं आप को बता दू मेरी सहेली कामिनी ने कई बार मेरी चूंचियों को मूह में लेकर चूसा है लेकिन जीजाजी से चुसवाने से मेरे शरीर में एक तूफान उठ खरा हुआ.

मैने जीजा जी को चूंची ठीक से चूसने के उद्देश्य से अपना बदन उठाया तो पाया की जीजाजी का लंड लूँगी हटा कर खरा होकर हिल रहा था जैसे वह बुला रहा हो, आओ मुझे प्यार करो. ओह मा! कितना मोटा और कारक. मैने उसे अपने हाथो मे लेलिया. हाथ लगते ही वह मचल गया कि मुझे अपने ओठों मे लेकर प्यार करो मैं क्याकरती उसकी तरफ बढ़ना पड़ा क्योकि मेरी मुनिया (पुसी) भी जीजाजी का प्यार चाह रही थी. जैसे ही मैने लंड तक पहुचने के लिए गोद से जीजाजी का सर हटाया और उपर आई, जीजाजी ने स्कर्ट हटा कर मेरी बुर पर हाथ लगा दिया. फिर चूम कर उसे जीब से सहलाने लगे. ओह जीजाजी का लॉरा कितना प्यारा लग रहा था उसके छ्होटे से होंठ पर चमक रही बूँद (पीकुं) कितना अच्छा लग रहा था की मैं बता नही सकती, लॉरा इतना गरम था की जैसे वह लावा फेकने वाला हो. उसे ठंडा करने के लिए मैने उसे अपने मुँह में ले लिया. लॉरा लंबा और मोटा था इस लिए हाथ में लेकर पूरे सुपरे को चूसने लगी. जीजाजी बुर की चुसाइ बड़े मन से कर रहे थे और मैं जीजाजी के लौरे को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मूह में लेने की कोशिश कर रही थी पर वह मेरे मूह मे समा नही रहा था.

मैने जीजाजी के लौरे को मूह से निकाल कर कहा, हे जीजाजी! यह तो बहुत ही लंबा और मोटा हैï¿1/2

तुम्हे उससे क्या करना है? जीजाजी चूत से जीभ हटा कर बोले.

अब मैं अपने आपे में ना रह सकी, उठी और बोली अभी बताती हूँ चोदु लाल मुझे क्या करना हैï¿1/2

मैं अब तक चुदवाने के लिए पगला चुकी थी. मैने उनको पूरी तरह नगा कर दिया और अपने सारे कपरे उतार कर उनके उपर आ गयी, बुर को उनके लौरे के सीध मे कर अपने यौवन द्वार पर लगा कर नीचे धक्का लगा बैठी लेकिन चीख मेरे मूह से निकली, ओह मा! मैं मरी जीजाजी ने झट मेरे चूतरको दोनो हाथो से दबोच लिया जिससे उनका आधा लंड मेरी बुर में धसा रह गया और वे मेरी चून्चि को मूह में डालकर चूसने लगे. चूंची चूसे जाने से मुझे कुछ राहत मिली और मेरी चूत चुदाई के लिए फिर तैय्यार होने लगी और चूतर हरकत करने लगे. ताव-ताव में इतना सब कुछ कर गयी लेकिन लेकिन अब आगे बढ़ने की हिम्मत नही पड़ रही थी लेकिन मुनिया (बुर) चुदवाने के लिए मचल रही थी.

मैं जीजाजी के होंठ चूम कर बोली, जीजाजी उपर आ जाओï¿1/2

क्या चोदोगी नहीï¿

नही चुदवाउन्गि अपने चुदक्कर राजा से

बिना बुर से लॉरा निकाले वे बरी सफाई से पलते और मैं नीचे और वे उपर और लंड मेरी बुर मे जो अब थोरी नरम हो गयी थी. उन्होने मेरे होंठ अपने होंठ में ले लिया और बुर से लॉरा निकाल कर एक जबारजस्ट शॉट लगा दिया. उनका पूरा लॉरा सरसराते हुए मेरी बुर में घुस गया. दर्द से मैं बहाल हो गयी. मेरी आवाज़ मेरे मूह में ही घुट कर रह गयी क्योकि मेरे होंठ तो जीजा जी के होंठो मे थे. होंठ चूसने के साथ वे मेरी चूंचियो को प्यार से सहला रहे थे फिर चूंचियों को एक-एक कर चूसने लगे जिससे मेरी बुर का दर्द कम होने लगा.

प्यार से उनके गाल को चूमते हुए मैं बोली, तुमने अपनी साली के बुर का कबाड़ा कर दिया नाï¿1/2

क्या करता साली अपनी बुर के झांट को साफ कर चुदवाने के लिए तैयार थीï¿1/2

जीजाजी आप को ग़लतफहमी हो गयी मेरे बुर पर बाल है ही नहीï¿1/2

यह कैसे हो सकता है तुम्हारी दीदी के तो बहुत बाल है, मुझे ही उनको साफ करना परता हैï¿1/2

हाँ! ऐसा ही है लेकिन वह सब बाद में पहले जो कर रहे हो उसे करोï¿1/2

मेरे बुर का दर्द गायब हो चुका था और मैं चूतर हिला कर जीजाजी के मोटे लंड को एडजुस्ट करने लगी थी जो धीरे-धीरे अंदर बाहर हो रहा था.

जीजाजी ने रफ़्तार बढ़ाते हुए पूछा, क्या करूँ?

rajaarkey
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Re: बिना झान्टो वाली बुर

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 07:08



मैं समझ गयी जीजाजी कुछ गंदी बात सुनना चाह रहे हैं मैं अपनी गान्ड को उच्छाल कर बोली, हाई रे साली चोद! इतना जालिम लॉरा बुर की जर तक घुसा कर पुंच्छ रहे हो क्या करूँ हाई रे बुर चोद अपने मोटे लौरे से मथ कर मेरी मुतनी का शुधा-रस निकालना है अब समझे चुदक्कर राजा मैने उनके होंठ चूम लिए.

अब तो जीजाजी तूफान मैल की तरह चुदाई करने लगे. बुर से पूरा लंड निकालते और पूरी गहराई तक पेल देते थे. मैं स्वर्ग की हवओ मे उरने लगी..

हाई राज्ज्ज्जा ! और ज़ोर सीईई बरा मज्ज़ज़ज्ज्ज्ज्जा एयाया आ रहा है और जूऊर्ररर सीई ओह माआ! हाईईईईई मेरी बुर्र्र्र्ररर झरने वाली है.मेरी बुर्र्र्र्ररर कीयेयी चितारे यूरा डूऊऊऊऊï¿. हाईईईईई मई गइईईई

रुक्कको मेरी चुदासी राआअनि मैं भीईए आआआआअ रहा हूँ जीजाजी ने दस बारह धक्के लगा कर मेरी बुर को अपने गरम लावा से भर दिया. मेरी बुर उनके वीर्य ईक-एक कतरे को चूस कर खुस हो गयी.

मेरे चूंचियों के बीच सर रख कर मेरे उपर थोरी देर परे रह कर अपने सांसो को शांत करने के बाद मेरे बगल में आकर लेटने के बाद मेरी वीर्य से सनी बुर पर हाथ फेरते हुए बोले हाँ! अब बताओ अपनी बिना बाल वाली बुर का राज

मैं इस राज को जल्दी बताने के मूड में नही थी, मैने बात को टालते हुए कहा, अरे ! पहले सफाई तो करने दो, बुर चिपचिपा रही है. इस साले लौरे ने पूरा भीगा दिया है मैं उठ कर बाथरूम में चली आई

....बाथरूम में मेरे पिछे-पिछे जीजाजी भी आ गये. मैने पहले जीजाजी के
लौरे को धो कर साफ किया फिर अपनी बुर को साफ करने लगी. जीजाजी गौर से
देखा रहे थे, शायद वे बुर पर बाल ना उगाने का राज जानने के पहले यह
यकीन कर लेना चाह रहे थे कि बाल उगे नही हैं कि उन्हे साफ किया गया है.
उन्होने कहा "लाओ मैं ठीक से साफ कर दूं" वे बुर को धोते गुए अपनी तसल्ली
करने के बाद उसे चूमते हुए बोले, "वाकाई तुम्हारे बुर का कोई जवाब नही है"
और वे मेरी बुर को चूसने लगे. मैने अपने पैरो को फैला दिया और उनका सर
पकर कर बुर चुसवाने लगी. "ओह जीजाजी... क्य्ाआअ कार्रर्ररर रहीईई हैं....
ओह ...."

तभी कॉल-बेल बज उठा. मैने जीजा से अपने को च्छूराते हुए बोली, "बर्तन
माँजने वाली चमेली होगी" और उल्टे सीधे कपरे पहन कर नीचे दरवाजा
खोलने के लिए भागी. दरवाजा खोला तो देखा चमेली ही थी. मैने राहत की
सांस ली.

अंदर आने के बाद चमेली मुझे ध्यान से देख कर बोली, "क्या बात है दीदी! कुछ
घ्हबराई कुच्छ सरमाई, या खुदा ये माजरा क्या है" फिर बात बदल कर बोली
"सुबह जीजाजी आए थे, कहाँ हैं" मैं बोली, "उपर सो रहे हैं मैं भी सो गयी
थी"

"जीजाजी के साथ?" हसते हुए वह बोली.

"तू भी सोएगी" मैने पलट वॉर किया लेकिन वह भी मंजी हुई खिलाड़ी थी बोली,
"हे दीदी! हमारा इतना बरा भाग्य मेरा कहाँ?"

उससे पार पाना मुश्किल था, बात बढ़ाने से कोई फ़ायदा भी नही था, क्योकि वह
हमराज़ थी, इस लिए बोली, "जा अपना काम कर, काम ख़तम कर जीजाजी के लिए
चाय बना देना, मैं देखती हूँ कि जीजाजी जागे कि नही"

नीचे का मैन गेट (दरवाजा) बंद कर उपर आ गयी, चमेली से मैं निसचिंत
थी वह बचपन से ही इस घर में आ रही है और सब कुछ जानती और समझती
है.

दीदी के कमरे में लूँगी पहन कर बैठे जीजाजी मेरा इंतजार कर रहे थे,
जैसे ही मैं उनके पास गयी मुझे दबोच लिया. मैं उनसे छूटने की नाकाम
कोशिस करते हुए बोली, "चमेली बर्तन धो रही है अब उसके जाने तक इंतजार
करना परेगा"

जीजाजी बोले, "अरे! उसे समय लगेगा तब तक एक बाजी क्या दो (टू) बाजी हो
सकती है" वे मेरी बूब्स को खोलकर एक बूब के निपल को मूह में लेकर चूसने
लगे और उनका एक हाथ मेरी बुर तक पहुँच गया. बाथ-रूम में जीजाजी बुर
चूस कर पहले ही गरमा चुके थे. अब मैं अपने को ना रोक सकी और लूँगी को
हटा कर लौरे को हाथ मे ले लिया. मैं बोली, "जीजाजी यह तो पहले से भी
मोटा हो गया है"

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