बिन बुलाया मेहमान compleet

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raj..
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बिन बुलाया मेहमान compleet

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 08:38

बिन बुलाया मेहमान-1

लेखक- अंजान


दोस्तो एक और कहानी पेशे खिदमत है आपके लिए तो दोस्तो पढ़ते रहो कमेंट देते रहो

गगन से मेरी शादी एक साल पहले हुई थी. शादी के बाद कुछ दिन हम गगन के पेरेंट्स के साथ ही रहे भोपाल में. मगर 2 महीने बाद ही हमें देल्ही आना पड़ा क्योंकि गगन का ट्रान्स्फर देल्ही हो गया था. हमने मुखर्जी नगर में एक घर रेंट पर ले लिया और तब से यही पर हैं. मैं भी किसी जॉब की तलाश में हूँ पर कोई आस पास के एरिया में सूटेबल जॉब मिल नही रही और देल्ही जैसे सहर में घर से ज़्यादा दूर जॉब मैं करना नही चाहती.

मैने गगन का नंबर डाइयल किया. फिर से वो आउट ऑफ कवरेज एरिया आया. पता नही कहाँ घूम रहा है गगन. मैं इरिटेट हो कर अपने बेडरूम में आ गयी. मैं बहुत हताश थी. कोई जब भी घूमने का प्रोग्राम बनाओ कुछ अजीब ही होता है मेरे साथ. घर की चार दीवारी ही मेरी दुनिया बन गयी है. मैं इन ख़यालो में खोई थी कि अचानक डोर बेल बाजी. मेरे चेहरे पर ख़ुसी की लहर दौड़ गयी. मगर मैने गगन को गुस्सा दीखाने के लिए अपने चेहरे पर आई ख़ुसी छुपा ली. मैने भाग कर दरवाजा खोला.

गगन सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था.

"थोड़ा और लेट आना चाहिए था तुम्हे ताकि मूवी जाने का स्कोप ही ख़तम हो जाए."

गगन अंदर आया और दरवाजा बंद करके मुझे बाहों में भर लिया. उसके हाथ मेरे नितंबो पर थे.

"क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे."

"बहुत प्यारी लग रही हो इस साड़ी में. क्या इरादा है आज." गगन ने मेरे नितंबो को मसल्ते हुए कहा.

"बाते मत बनाओ मुझे आज हर हाल में मूवी देखनी है." मैने गुस्से में कहा.

"मूवी भी देख लेंगे पहले अपनी खूबसूरत बीवी को तो देख लें."

"हम लेट हो रहे हैं गगन..."

"ओह हां..."गगन ने घड़ी की ओर देखते हुवे कहा. "मैं 2 मिनिट में फ्रेश हो कर आता हूँ. बस 2 मिनिट."

"अगर मेरी मूवी छूट गयी ना तो देखना. मुझसे बुरा कोई नही होगा."

गगन वॉश रूम में घुस गया और 2 मिनिट की बजाए पूरे 5 मिनिट में बाहर निकला.

"सॉरी हनी...चलो चलते हैं."

हमने दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाया ही था कि डोर बेल बज उठी.

"कॉन हो सकता है इस वक्त?" मैने पूछा.

"आओ देखते हैं" गगन ने कहा.

गगन ने दरवाजा खोला.

हमारे सामने एक कोई 40 साल की उमर का हॅटा कट्ट व्यक्ति खड़ा था. उसके कपड़ो से लगता था कि वो देहाती है. गर्दन में एक गमछा डाल रखा था उसने और सर पर पगड़ी थी उसके. बड़ी बड़ी मूच्छे थी उसकी. हम दोनो की तरफ वो कुछ ऐसे मुस्कुरा रहा था जैसे कि बरसो की जान पहचान हो. मुस्कुराते वक्त उसके पीले दाँत सॉफ दीखाई दे रहे थे.

"जी कहिए...क्या काम है."

"अरे गग्गू पहचाना नही का अपने चाचा को."

"जी नही कॉन है आप और आप मेरा नाम कैसे जानते हैं."

"अरे बेटा तुम्हारे पापा तुम्हे काई बार हमारे गाँव लेकर आए थे. तुम बहुत छोटे थे. भूल गये क्या वो आम की बगिया में आम तोड़ना छुप छुप कर. अरे हम तुम्हारे राघव चाचा हैं."

गगन को कुछ ध्यान आया और उसने तुरंत चाचा जी के पाँव छू लिए. मेरे तो सीने पर जैसे साँप ही लेट गया. मुझे मूवी का प्रोग्राम बिगड़ता नज़र आ रहा था.

"चाचा जी ये मेरी बीवी है निधि....निधि पाँव छुओ चाचा जी के."

मेरा उनके पाँव छूने का बिल्कुल मन नही था पर गगन के कहने पर मुझे पाँव छूने पड़े.

"आओ चाचा जी अंदर आओ"

देहाती मेरी तरफ हंसता हुवा अंदर घुस गया. उसकी हँसी कुछ अजीब सी थी.

मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि क्या हो रहा है. मैं गुस्से से तिलमिला रही थी. मैं बिना एक शब्द कहे अपने बेडरूम में आ गयी. 2 मिनिट बाद गगन कमरे में आया और बोला,"सॉरी डार्लिंग आज का प्रोग्राम कॅन्सल करना होगा. अब हम घर आए मेहमान को अकेला छ्चोड़ कर तो नही जा सकते ना"

"मुझे पता था पहले से की आज भी कोई ना कोई मुसीबत आ ही जाएगी. वैसे है कॉन ये देहाती. ना हमारी शादी में देखा इसे ना ही कभी घर चर्चा सुनी इसके बारे में. ये तुम्हारा चाचा कैसे बन गया अचानक."

raj..
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Re: बिन बुलाया मेहमान

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 08:41

"अरे सागा चाचा नही है. डॅडी इसे भाई की तरह ही मानते थे. केयी बार गया हूँ इनके गाँव. इन्हे चाचा ही कहता था बचपन में."

"मतलब बहुत दूर की रिश्तेदारी है...वो भी नाम मात्र की. ये यहाँ करने क्या आया है."

"उसके बाल झाड़ रहे हैं. उसी के इलाज के लिए देल्ही आया है. किसी ने इन्हे हमारा पता दे दिया इसलिए यहाँ चला आए"

"इसी वक्त आना था इनको...सारा मूड कराब कर दिया मेरा. कब जाएगा ये वापिस."

"ये पूछना अच्छा नही लगेगा निधि....जस्ट रिलॅक्स. घर आए मेहमान की इज़्ज़त करनी चाहिए. मैं उनके पास बैठता हूँ तुम चाय पानी का बंदोबस्त करो."

"मैं कुछ नही करूँगी"

"देख लो तुम्हारी अच्छी बहू की इमेज जो तुमने घर पर बनाई थी वो खराब हो जाएगी. इनका डॅडी से मिलने जाने का भी प्लान है." गगन ने मुझे बाहों में भर कर कहा.

"ठीक है ठीक है जाओ तुम मैं चाय लाती हूँ." मैने खुद को गगन की बाहों से आज़ाद करते हुए कहा.

मैं चाय और बिस्कट ले कर गयी तो वो देहाती तुरंत मुझे घूरते हुए बोला,

"बड़ी सुंदर बहू मिली है तुम्हे बेटा. भगवान तुम दोनो की जोड़ी सलामत रखे."

"शुक्रिया चाचा जी. जो कोई भी निधि को देखता है यही कहता है." गगन ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

"आओ बेटा तुम भी बैठो....तुम्हारी शादी में नही आ पाया था. उस वक्त एक मुसीबत में फँसा हुआ था वरना मैं ज़रूर आता." उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

"मुझे काम है आप दोनो बाते कीजिए." मैं कह कर वहाँ से चल दी.

"बड़ी शर्मीली दुल्हनिया है तुम्हारी. अच्छी बात है. बेटा बहुत थक गया हूँ. नहा धो कर आराम करना चाहता हूँ."

"बिल्कुल चाचा जी. आप नहा लीजिए. तब तक खाना तैयार हो जाएगा. आप खा कर आराम कीजिएगा."

सोचा था कि आज बाहर खाएँगे मगर इस बिन बुलाए मेहमान के कारण मुझे रसोई में लगना पड़ा.

जब मैं खाना सर्व कर रही थी डाइनिंग टेबल तो राघव चाचा मुझे घूर कर देख रहा था. उसकी नज़रे मुझे ठीक नही लग रही थी.

?अरे तुम भी आ जाओ ना.? गगन ने कहा.

हां बेटा तुम भी आ जाओ...? चाचा ने घिनोनी सी हँसी हंसते हुए कहा.

?नही आप लोग खाओ मैं बाद में खा लूँगी. अभी मुझे भूक नही है.? मैं कह कर किचन में आ गयी.

मैने चुपचाप किचन में ही खाना खा लिया और खाना खा कर नहाने चली गयी.

बाथरूम में चाचा ने हर तरफ गीला कर रखा था.

?बदतमीज़ कही का. हर तरफ पानी बिखेर दिया. फर्श पर साबुन भी पड़ा हुआ है. कोई गिर गया तो.? मैं बड़बड़ाई.

नहा कर चुपचाप मैं बेडरूम में घुस गयी. गगन ने चाचा के सोने का इंतज़ाम दूसरे कमरे में कर दिया था.

मैं गुस्से में थी और चुपचाप आकर बिस्तर पर लेट गयी थी. मेरी कब आँख लग गयी मुझे पता ही नही चला.

मेरी आँख तब खुली जब मुझे अपनी चूचियों पर कसाव महसूस हुवा. मैने आँखे खोल कर देखी तो पाया कि गगन मेरे उभारों को मसल रहा है.

?छोड़ो मुझे नींद आ रही है.?

?आओ ना आज बहुत मूड है मेरा.?

?पर मेरा मूड नही है. तुम्हारे चाचा ने मेरा सारा मूड खराब कर दिया. इन्हे जल्दी यहा से दफ़ा करो.?

?छ्चोड़ो भी निधि ये सब. लाओ इन्हे चूमने दो.? गगन ने मेरे उभारों को मसल्ते हुए कहा.


raj..
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Re: बिन बुलाया मेहमान

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 08:41

मैने कुछ नही कहा और अपनी आँखे बंद कर ली. गगन ने मेरे उभार बाहर निकाल लिए और उन्हे चूमने लगा. मैं खोती चली गयी. उसने मुझे बहकते देख मेरा नाडा खोल कर मेरी टांगे अपने कंधे पर रख ली और एक झटके में मुझ में समा गया. मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी. मैं बहुत धीरे धीरे आवाज़ कर रही थी क्योंकि अब घर में हम अकेले नही थे. जब गगन ने स्पीड बहुत तेज बढ़ा दी तो मैं खुद को रोक नही पाई और मैं ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी

?आहह....गगन...यस.....? गगन ने मेरे मूह पर हाथ रख लिया और बोला.

?ष्ह्ह क्या कर रही हो. चाचा जी को सब सुन रहा होगा.?

?सॉरी... सब तुम्हारी ग़लती है. मुझे पागल बना देते हो तुम.?

कुछ देर और गगन मेरे अंदर अपने लंड को बहुत तेज़ी से रगड़ता रहा और फिर अचानक मेरे उपर निढाल हो गया. मेरा भी ऑर्गॅज़म उसी वक्त हो गया. कुछ देर हम यू ही पड़े रहे. कब हमें नींद आ गयी पता ही नही चला.

कोई 12 बजे मेरी आँख खुल गयी. गगन मेरे बाजू में पड़ा खर्राटे भर रहा था. मुझे बहुत ज़ोर का प्रेशर लगा हुआ था. मैने कपड़े पहने बेडरूम से बाहर आ कर दबे पाँव टाय्लेट में घुस गयी.

जब मैं बाहर निकली तो मेरे होश उड़ गये. टाय्लेट के दरवाजे पर चाचा खड़ा था.

?आप यहाँ?? मैने गुस्से में कहा.

?माफ़ करना बेटी...मुझे लगा कि गगन अंदर है. इसलिए यही खड़ा हो गया.? चाचा ने कहा.

मैं नाक...मूह सिकोड कर वहाँ से चल दी.

?आआहह....खि..खि..खि? चाचा ने हंसते हुए कहा ओए टाय्लेट में घुस गया.

क्रमशः…………………………………


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