मौसी का गुलाम---21
गतान्क से आगे………………………….
साड़ियाँ और चोली तो तुरंत उतार दी गईं ललिता जो उनके नीचे कुछ नहीं पहनती थी, अब मादरजात नंगी थी उसके निपल खड़े हो गये थे और जांघें भी गीली थीं, साली बहुत गरमी में थी रश्मि अब ब्रेसियर और पैंटी में थी उसका अर्धनग्न गोल मटोल शरीर तो ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी कच्चा चबा जाऊ ख़ास कर के उसकी नुकीली शंकु जैसी ब्रेसियर में उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ समा नहीं रही थीं रश्मि की जांघें भी मोटी मोटी और चिकनी थीं पिंडलियों पर हल्के बाल थे
ललिता ने भी मानों मेरे मन की बात जानकर कहा "राज बेटे, रश्मि अभी अभी माँ बनी है ना, इसलिए देख क्या मस्त गोल मटोल हो गयी है, बड़ी स्वादिष्ट है, आज तू खुद ही चख कर देख लेना"
रश्मि की चड्डी के बीच के पत्ते के दोनों ओर घने काले बाल निकल आए थे इतनी बड़ी झांतें थीं की कच्छी में छूप नहीं रही थीं उसकी चड्डी सामने से गीली भी थी और चुनमूनियाँ की भीनी भीनी खुशबू कमरे में फैल गयी थी रश्मि मेरे पास आई और मुझे चूमते हुए कहने लगी "बोलो मेरे राजा भैया, पहले दूध पिएगा अपनी दीदी का या चूत चूसेगा?"
इन दो मस्त चीज़ों में से क्या चूमू यह मैं सोच रहा था तभी दुष्टा ललिता बोली "अभी कुछ मत दे उसे बेटी, पहले अपनी प्यासी माँ के साथ थोड़ा मज़ा कर ले, यह कहीं भागेगा थोड़े"
ज़मीन पर बैठते हुए उसने रश्मि को भी नीचे खींच लिया और चूमने लगी जल्द ही दोनों चुड़ेलें खिलखिलाकर हँसते हुए एक दूसरे को लिपटकर खूब चूमते हुए प्यार से कुश्ती खेलने लगीं ऐसा वह अपनी चुदासी और बढ़ाने को कर रही थीं रश्मि जल्द ही गरम हो गयी और सिसकने लगी "अम्मा, चल चूस ना अब, तंग मत कर, जल्दी मेरी चूत चूस ले"
ललिता ने रश्मि की पैंटी में से उभर कर दिख रही उसकी फूली चुनमूनियाँ को उंगली से सहलाया और रगडने लगी रश्मि ऐसे हाथ पैर मारने लगी जैसे मरने को हो आख़िर ललिता को अपनी बेटी पर दया आ गयी और उसने खींच कर रश्मि की चड्डी निकाल दी उसे उसने सूंघ कर देखा और फिर उठ कर मेरे पास आई पैंटी उसने मेरे सिर पर ठंड में पहनने वाली टोपी जैसे इस तरह पहना दी कि चड्डी का सामने का भाग मेरे मुँह पर रहे बोली "मुन्ना, ज़रा सूंघ के देख, क्या माल है मेरी बेटी की चुनमूनियाँ में"
वह वापस जाकर अपनी चुदैल बेटी के सामने उलटी दिशा में लेट गयी और जल्द ही माँ बेटी एक मस्त सिक्सटी नाइन के आसन में बँध गयीं कराहने, हँसने, चूसने और चाटने की आवाज़ों से कमरा गूँज उठा रश्मि अभी भी ब्रेसियर पहने थी इसलिए दो लिपटी हुई औरतों का वह दृश्य, एक पूरी नंगी और एक सिर्फ़ ब्रा पहनी हुई, बड़ा ही मादक था मैंने अपने मुँह के सामने वाला रश्मि की चड्डी का भाग सूँघा और फिर उतावला होकर उसे मुँह में लेकर चूसने लगा उस ज़रा से स्वाद से ही पता चल गया कि रश्मि की चुनमूनियाँ क्या रसीली होगी
मौसी का गुलाम compleet
Re: मौसी का गुलाम
कुछ देर बाद वे अपने मुँह पोछती हुई अलग हुईं ललिता बोली "रश्मि बेटी, तेरी चूत तो आज ज़्यादा ही रसीली है, लगता है इस चिकने छोकरे को देखकर तू और मस्त हो रही है"
रश्मि मुस्करा कर मेरी ओर खा जाने वाली नज़र से देखते हुए बोली "चलो ना माँ, मैं इस मुन्ना को चोदना चाहती हूँ"
ललिता बोली "पहले इसे कुछ खिला पिला दे बेटी, भूखा होगा बेचारा, अब इस लडके को ज़्यादा मत तडपा" मुझे वैसे ही बँधा हुआ उन्होंने एक गुड्डे की तरह उठाया और लाकर बिस्तर पर पटक दिया
रश्मि की ब्रेसियर की दोनों नोकें अब गीली हो गई थीं ललिता बोली "दूध टपक रहा है तेरा, अब पिया नहीं तो सब बेकार जाएगा बेटी" रश्मि की नज़र अब मेरे लंड पर थी वह झुक कर उसे चूसने लगी ललिता ने उसे रोकना चाहा जब रश्मि ने एक ना सुनी तो उसे सावधान करते हुए ललिता बोली "बेटी, धीरे चूस नहीं तो यह झड जाएगा" रश्मि ने अनसुना करके मेरा पूरा शिश्न मुँह में भर लिया और गन्ने जैसा चूसने लगी
ललिता ने उसकी इस हरकत पर मुस्काराकर आख़िर हार मान ली और मेरे मुँह पर चढते हुए बोली "राज राजा, यह भूखी है, अब चूस के ही छोडेगी, चल तब तक तू मेरी चूत चूस ले" उसकी गीली चुनमूनियाँ में मुँह छुपा कर मैं चूसने लगा रश्मि ने उधर ऐसा ज़ोर से मुझे चूसा कि ललिता की चुनमूनियाँ में ही एक हल्की चीख निकालकर मैं झड गया
रश्मि ने ऐसे मेरा वीर्य निगला जैसे आइसक्रीम हो बूँद बूँद निकालकर ही उसने मुझे छोड़ा उठकर एक तृप्ति की डकार लेकर उसने अपनी माँ का चुंबन लिया "अम्मा, बहुत मज़ा आया, तू सच कहती थी, इस बच्चे की मलाई में जादू है" ललिता ने शायद पहले ही उसे हमारे चलाने वाले कामकर्म के बारे में सब बता दिया था अब तक ललिता मेरे मुँह में झडकर मुझे अपनी चुनमूनियाँ का पानी पिला चुकी थी वह नीचे उतरी और रश्मि मेरे होंठों को वासना से चूसने लगी
तब तक ललिता ने अपनी बेटी की ब्रेसियर उतार दी थी उसकी बड़ी बड़ी तोतापरी आमों जैसी चुचियाँ ब्रेसियर से ही अपने वजन से डोलने लगीं उनके बीच में रश्मि का मंगलसूत्र फंसा हुआ था जो उसने नहीं उतारा था उनके मोटे मोटे भूरे निपलो से अब सफेद बूँदें टपक रही थीं ललिता ने एक निपल मुँह में लिया और चूसने लगी मैं गुस्से से चिल्ला उठा मेरे हिस्से का दूध कोई पी जाए यह मुझे सहन नहीं हो रहा था "रश्मि, मुझे पीने दे ना, देख तेरी अम्मा ही पिए जा रही है" अब तक ललिता ने दूसरा निपल मुँह में ले लिया था
रश्मि ने हँसकर मुझे शांत किया "घबरा मत भैया, माँ तो बस इसलिए चूस रही है कि टपकाना बंद हो जाए नहीं तो इसे तो दिन रात मेरा दूध मिलता है अभी अभी सुबह पेट भर पिलाया था मैंने इसे"
ललिता अपने होंठ चाटते हुए सीधी हुई और मेरे लंड को चूमते हुए बोली "अब इसे खड़ा कर जल्दी जिससे मेरी बेटी इसे चोद सके जब चोदने लायक हो जाएगा तो तुझे चोदते हुए फिर अपना दूध पिलाएगी" दोनों मिलकर मेरे लंड को खड़ा करने में जुट गयी साली चुदैलो ने मेरे लाख कहने पर भी मेरे हाथ पैर नहीं खोले, उन्हें एक बँधे हुए किशोर से खेलने में इतना मज़ा आ रहा था जैसे बच्चों को गुड्डे से खेलने में आता है
मेरा लंड अब काफ़ी कड़ा हो गया था ललिता उसे अपनी चुनमूनियाँ में घुसेड कर मुझपर चढ बैठी और चोदने लगी "पहले मैं चोदती हूँ अपने प्यारे मुन्ना को बेटी, तू तब तक इसे अपनी चुनमूनियाँ तो चटवा" ललिता ने मुझे चोदते चोदते ही रश्मि को मेरे मुँह पर चढ़ने में सहायता की रश्मि की चुनमूनियाँ मौसी की तरह घने बालों से घिरी थी इसलिए उसने उंगलियों से बाल बाजू में करके फिर अपने भगोष्ठ मेरे होंठों से लगाए
मैंने उस रसीली मसालेदार चुनमूनियाँ को खूब चूसा अलग टेस्ट था पर रस बहुत था, पानी की तरह बह रहा था आख़िर जवान छोकरी थी जीभ भी मैंने अंदर डाली बड़ी मुलायम चुनमूनियाँ थी पर थोड़ी ढीली थी, अभी अभी आठ महने ही तो हुए थे उसे बच्चा जने
मैंने मन भर के चूसा और तब तक ललिता ने चोद कर मेरा लंड फिर तन्ना दिया दोनों ने अपनी जगहें बदल लीं रश्मि की ढीली ढाली गीली चुनमूनियाँ में मेरा लंड ऐसा समाया कि मुझे पता ही नहीं चला रश्मि जब मुझे चोदने लगी तो ललिता ने उसे समझाया "ढीला है ना बेटी, बच्चा छोटा है अभी पर तू भी तो अपना भोसडा लेकर आई है ज़रा कस ले अपना भोसडा, चुनमूनियाँ सिकोड और फिर चोद"
रश्मि ने अपनी चुनमूनियाँ सिकोडी तो ऐसे मेरे लंड को पकड़ा कि मैं सुख से सिहर उठा मैंने नहीं सोचा था कि उसकी ढीली चुनमूनियाँ इतने ज़ोर से मेरे लंड को पकड़ सकती है मेरे आश्चर्य पर मुस्काराती हुई ललिता बोली "तंदुरुस्त मेहनती बेटी है मेरी, चूत को कसना जानती है"
क्रमशः……………………
रश्मि मुस्करा कर मेरी ओर खा जाने वाली नज़र से देखते हुए बोली "चलो ना माँ, मैं इस मुन्ना को चोदना चाहती हूँ"
ललिता बोली "पहले इसे कुछ खिला पिला दे बेटी, भूखा होगा बेचारा, अब इस लडके को ज़्यादा मत तडपा" मुझे वैसे ही बँधा हुआ उन्होंने एक गुड्डे की तरह उठाया और लाकर बिस्तर पर पटक दिया
रश्मि की ब्रेसियर की दोनों नोकें अब गीली हो गई थीं ललिता बोली "दूध टपक रहा है तेरा, अब पिया नहीं तो सब बेकार जाएगा बेटी" रश्मि की नज़र अब मेरे लंड पर थी वह झुक कर उसे चूसने लगी ललिता ने उसे रोकना चाहा जब रश्मि ने एक ना सुनी तो उसे सावधान करते हुए ललिता बोली "बेटी, धीरे चूस नहीं तो यह झड जाएगा" रश्मि ने अनसुना करके मेरा पूरा शिश्न मुँह में भर लिया और गन्ने जैसा चूसने लगी
ललिता ने उसकी इस हरकत पर मुस्काराकर आख़िर हार मान ली और मेरे मुँह पर चढते हुए बोली "राज राजा, यह भूखी है, अब चूस के ही छोडेगी, चल तब तक तू मेरी चूत चूस ले" उसकी गीली चुनमूनियाँ में मुँह छुपा कर मैं चूसने लगा रश्मि ने उधर ऐसा ज़ोर से मुझे चूसा कि ललिता की चुनमूनियाँ में ही एक हल्की चीख निकालकर मैं झड गया
रश्मि ने ऐसे मेरा वीर्य निगला जैसे आइसक्रीम हो बूँद बूँद निकालकर ही उसने मुझे छोड़ा उठकर एक तृप्ति की डकार लेकर उसने अपनी माँ का चुंबन लिया "अम्मा, बहुत मज़ा आया, तू सच कहती थी, इस बच्चे की मलाई में जादू है" ललिता ने शायद पहले ही उसे हमारे चलाने वाले कामकर्म के बारे में सब बता दिया था अब तक ललिता मेरे मुँह में झडकर मुझे अपनी चुनमूनियाँ का पानी पिला चुकी थी वह नीचे उतरी और रश्मि मेरे होंठों को वासना से चूसने लगी
तब तक ललिता ने अपनी बेटी की ब्रेसियर उतार दी थी उसकी बड़ी बड़ी तोतापरी आमों जैसी चुचियाँ ब्रेसियर से ही अपने वजन से डोलने लगीं उनके बीच में रश्मि का मंगलसूत्र फंसा हुआ था जो उसने नहीं उतारा था उनके मोटे मोटे भूरे निपलो से अब सफेद बूँदें टपक रही थीं ललिता ने एक निपल मुँह में लिया और चूसने लगी मैं गुस्से से चिल्ला उठा मेरे हिस्से का दूध कोई पी जाए यह मुझे सहन नहीं हो रहा था "रश्मि, मुझे पीने दे ना, देख तेरी अम्मा ही पिए जा रही है" अब तक ललिता ने दूसरा निपल मुँह में ले लिया था
रश्मि ने हँसकर मुझे शांत किया "घबरा मत भैया, माँ तो बस इसलिए चूस रही है कि टपकाना बंद हो जाए नहीं तो इसे तो दिन रात मेरा दूध मिलता है अभी अभी सुबह पेट भर पिलाया था मैंने इसे"
ललिता अपने होंठ चाटते हुए सीधी हुई और मेरे लंड को चूमते हुए बोली "अब इसे खड़ा कर जल्दी जिससे मेरी बेटी इसे चोद सके जब चोदने लायक हो जाएगा तो तुझे चोदते हुए फिर अपना दूध पिलाएगी" दोनों मिलकर मेरे लंड को खड़ा करने में जुट गयी साली चुदैलो ने मेरे लाख कहने पर भी मेरे हाथ पैर नहीं खोले, उन्हें एक बँधे हुए किशोर से खेलने में इतना मज़ा आ रहा था जैसे बच्चों को गुड्डे से खेलने में आता है
मेरा लंड अब काफ़ी कड़ा हो गया था ललिता उसे अपनी चुनमूनियाँ में घुसेड कर मुझपर चढ बैठी और चोदने लगी "पहले मैं चोदती हूँ अपने प्यारे मुन्ना को बेटी, तू तब तक इसे अपनी चुनमूनियाँ तो चटवा" ललिता ने मुझे चोदते चोदते ही रश्मि को मेरे मुँह पर चढ़ने में सहायता की रश्मि की चुनमूनियाँ मौसी की तरह घने बालों से घिरी थी इसलिए उसने उंगलियों से बाल बाजू में करके फिर अपने भगोष्ठ मेरे होंठों से लगाए
मैंने उस रसीली मसालेदार चुनमूनियाँ को खूब चूसा अलग टेस्ट था पर रस बहुत था, पानी की तरह बह रहा था आख़िर जवान छोकरी थी जीभ भी मैंने अंदर डाली बड़ी मुलायम चुनमूनियाँ थी पर थोड़ी ढीली थी, अभी अभी आठ महने ही तो हुए थे उसे बच्चा जने
मैंने मन भर के चूसा और तब तक ललिता ने चोद कर मेरा लंड फिर तन्ना दिया दोनों ने अपनी जगहें बदल लीं रश्मि की ढीली ढाली गीली चुनमूनियाँ में मेरा लंड ऐसा समाया कि मुझे पता ही नहीं चला रश्मि जब मुझे चोदने लगी तो ललिता ने उसे समझाया "ढीला है ना बेटी, बच्चा छोटा है अभी पर तू भी तो अपना भोसडा लेकर आई है ज़रा कस ले अपना भोसडा, चुनमूनियाँ सिकोड और फिर चोद"
रश्मि ने अपनी चुनमूनियाँ सिकोडी तो ऐसे मेरे लंड को पकड़ा कि मैं सुख से सिहर उठा मैंने नहीं सोचा था कि उसकी ढीली चुनमूनियाँ इतने ज़ोर से मेरे लंड को पकड़ सकती है मेरे आश्चर्य पर मुस्काराती हुई ललिता बोली "तंदुरुस्त मेहनती बेटी है मेरी, चूत को कसना जानती है"
क्रमशः……………………
Re: मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---22
गतान्क से आगे………………………….
जैसे जैसे मैं चुदता गया, मेरी वासना बढ़ती गयी, मैं भी नीचे से चुतड उछाल कर उसे चोदने की कोशिश करने लगा रश्मि ने मेरे इस उतावलेपन पर धमकी दी "अगर झडा तो दूध नहीं पिलाऊंगी साले, घंटे भर चोदना है मुझे" ललिता उसके बाजू में बैठकर उसे चूमते हुए उसके स्तन मसलने लगी साली अपनी उंगली से अपने क्लिट को सहलाती हुई दो उंगलियाँ चुनमूनियाँ में डालकर मुठ्ठ भी मारने लगी मुझसे ना रहा गया "ललिता बाई, चूत मुझे चूसने दे ना, मुठ्ठ क्यों मारती है?"
सुख से सिसकती हुई वह बोली "नहीं बेटे, मुझे इसमें भी मज़ा आता है, मैं तो उंगली से ही करूँगी, दो दिन हुए सडका लगाए" पर मुझ पर तरस खा कर बीच बीच में वह अपनी उंगलियाँ चुनमूनियाँ से निकालकर मुझे चटाने लगी
पर अपनी बेटी पर वह ज़्यादा मेहरबान थी एक बार मुठ्ठ मार कर वह पलंग पर रश्मि के सामने खडी हो गयी और अपनी चुनमूनियाँ उसके मुँह में दे दी रश्मि बड़े प्यार से अपनी माँ की चुनमूनियाँ चूसते हुए मुझे चोदती रही वह भी बदमाश अपनी माँ की तरह एक्स्पर्ट थी, मुझे झडने के कगार पर लाकर अपनी चुनमूनियाँ ढीली कर देती और उस बड़े भोसडे में घर्षण ना मिलने से मैं फिर झडने से बच जाता
आधे घंटे मुझे तडपा तडपा कर चोदने के बाद और रश्मि के कई बार स्खलित होने के बाद आख़िर उन्होंने मेरी भूख बुझाने का निश्चय किया ललिता ने मेरे कंधे के नीचे दो बड़े तकिये रखकर मेरा सिर उँचा किया और रश्मि मेरे उपर झुक गयी उसके मम्मे अब मेरे मुँह के उपर लटक रहे थे
साली ने फिर मुझे तडपाना शुरू किया निपल मेरे मुँह के पास लाती और जब मैं वह मुँह में लेने को करता तो हँस कर दूर हो जाती ललिता ने मुझे मुँह खोलने को कहा और फिर रश्मि की चूची दबाकर कुछ दूध की बूँदें मेरे मुँह में निचोड़ दीं इतना मीठा और मादक दूध था कि मैं उसे फटाफट पी गया मेरे इस उतावलेपन पर दोनों को मज़ा आ गया
रश्मि ने आख़िर मुझ पर तरस खाया और झुक कर एक चूची मेरे मुँह में दे दी उसके चमडीले लंबे निपल को चूसता हुआ मैं उस अमृत जैसे मीठे दूध को घुन्ट घुन्ट पीने लगा रश्मि ने आवेश में आकर ज़ोर लगाकर करीब आधी चूची मेरे मुँह में भर दी मैं आँखें बंद करके मदहोश होकर अपने बचपन के बाद के पहले दुग्धपान का मज़ा लेता रहा जब रश्मि ने देखा कि मैं ठीक से पी रहा हूँ तो वह फिर मुझे चोदने लगी पर मुझे जता दिया "राज भैया, झडना मत, नहीं तो दूध पिलाना बंद कर दूँगी"
गतान्क से आगे………………………….
जैसे जैसे मैं चुदता गया, मेरी वासना बढ़ती गयी, मैं भी नीचे से चुतड उछाल कर उसे चोदने की कोशिश करने लगा रश्मि ने मेरे इस उतावलेपन पर धमकी दी "अगर झडा तो दूध नहीं पिलाऊंगी साले, घंटे भर चोदना है मुझे" ललिता उसके बाजू में बैठकर उसे चूमते हुए उसके स्तन मसलने लगी साली अपनी उंगली से अपने क्लिट को सहलाती हुई दो उंगलियाँ चुनमूनियाँ में डालकर मुठ्ठ भी मारने लगी मुझसे ना रहा गया "ललिता बाई, चूत मुझे चूसने दे ना, मुठ्ठ क्यों मारती है?"
सुख से सिसकती हुई वह बोली "नहीं बेटे, मुझे इसमें भी मज़ा आता है, मैं तो उंगली से ही करूँगी, दो दिन हुए सडका लगाए" पर मुझ पर तरस खा कर बीच बीच में वह अपनी उंगलियाँ चुनमूनियाँ से निकालकर मुझे चटाने लगी
पर अपनी बेटी पर वह ज़्यादा मेहरबान थी एक बार मुठ्ठ मार कर वह पलंग पर रश्मि के सामने खडी हो गयी और अपनी चुनमूनियाँ उसके मुँह में दे दी रश्मि बड़े प्यार से अपनी माँ की चुनमूनियाँ चूसते हुए मुझे चोदती रही वह भी बदमाश अपनी माँ की तरह एक्स्पर्ट थी, मुझे झडने के कगार पर लाकर अपनी चुनमूनियाँ ढीली कर देती और उस बड़े भोसडे में घर्षण ना मिलने से मैं फिर झडने से बच जाता
आधे घंटे मुझे तडपा तडपा कर चोदने के बाद और रश्मि के कई बार स्खलित होने के बाद आख़िर उन्होंने मेरी भूख बुझाने का निश्चय किया ललिता ने मेरे कंधे के नीचे दो बड़े तकिये रखकर मेरा सिर उँचा किया और रश्मि मेरे उपर झुक गयी उसके मम्मे अब मेरे मुँह के उपर लटक रहे थे
साली ने फिर मुझे तडपाना शुरू किया निपल मेरे मुँह के पास लाती और जब मैं वह मुँह में लेने को करता तो हँस कर दूर हो जाती ललिता ने मुझे मुँह खोलने को कहा और फिर रश्मि की चूची दबाकर कुछ दूध की बूँदें मेरे मुँह में निचोड़ दीं इतना मीठा और मादक दूध था कि मैं उसे फटाफट पी गया मेरे इस उतावलेपन पर दोनों को मज़ा आ गया
रश्मि ने आख़िर मुझ पर तरस खाया और झुक कर एक चूची मेरे मुँह में दे दी उसके चमडीले लंबे निपल को चूसता हुआ मैं उस अमृत जैसे मीठे दूध को घुन्ट घुन्ट पीने लगा रश्मि ने आवेश में आकर ज़ोर लगाकर करीब आधी चूची मेरे मुँह में भर दी मैं आँखें बंद करके मदहोश होकर अपने बचपन के बाद के पहले दुग्धपान का मज़ा लेता रहा जब रश्मि ने देखा कि मैं ठीक से पी रहा हूँ तो वह फिर मुझे चोदने लगी पर मुझे जता दिया "राज भैया, झडना मत, नहीं तो दूध पिलाना बंद कर दूँगी"