Re: मौसी का गुलाम
Posted: 04 Nov 2014 15:18
मैं बच्चे जैसा पीता रहा और अपनी चुदासी के जोश में रश्मि और ज़्यादा चूची मेरे मुँह में ठूँसती गयी जब तक करीब करीब पूरा मम्मा मेरे मुँह में नहीं भर गया ललिता ने कुछ देर मेरा दुग्धपान देखा और फिर रश्मि को लिपटाकर अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया गहरे चुंबन में बँधी वे दोनों मुझे भोगती रहीं अब रश्मि की चुनमूनियाँ में चलते मेरे लंड के 'पा~म्सी-पा~म्सी-पा~म्सी' की आवाज़ के अलावा कमरे में सन्नाटा था मैं स्वर्ग में था पर उस असहनीय सुख से कोई मुझे बचाए यही प्रार्थना मैं कर रहा था
"मेरे भांजे को चोद रही हो दोनों मिलके! झड़ाया तो नहीं उसे?" मौसी की आवाज़ पर मुझे ज़रा धीरज बँधा कि अब तो मेरी कोई सुनेगा और मुझे झडने देगा ललिता चुंबन तोड कर खिलखिलाते हुए उठ बैठी "नहीं दीदी, आपके बिना कैसे झडाते इसे, अब आप जैसा बोलो वैसा करेंगे" रश्मि इतनी मस्ती में थी कि मौसी के आने के बाद भी मुझे चोदती रही, बस थोड़ा शरमा कर मौसी की ओर देखा और फिर उछलने लगी
मौसी ने मेरे मुँह में ठूँसा उसका उरोज देखा और समझ गयी कि मुझे दूध पिलाया जा रहा है खुश होकर रश्मि को चूमते हुई बोली "क्या मस्त चुदैल बिटिया है तेरी ललिता, बहुत प्यारी है एकदम सुंदर है आज तक इसे छिपाया क्यों मुझसे? पहले ही बता देती रश्मि बेटी, सारा दूध खतम कर दिया तूने या कुछ बचा है?"
ललिता अब तक मौसी को नंगा करने में जुट गयी थी "नहीं दीदी, बचा कर रखा है आप के लिए" मौसी ने भी बड़ी उत्तेजना से कपड़े उतार फेके और फिर रश्मि का दूसरा मम्मा हाथ में लेकर सहलाने लगी उसे उसने दबाया तो दूध निकलने लगा मौसी खुशी से उछल पडी "रश्मि बेटी, अभी इस चूची में दूध है, वाह मज़ा आ गया" और मौसी रश्मि का निपल मुँह में लेकर चूसने लगी
दो घुन्ट पीकर मौसी ने मुँह से चूची निकाली और प्यार से ललिता की कमर में हाथ डालकर बोली "साली, अब समझी तू क्यों अपनी बेटी के दूध की दीवानी है, इतना मीठा है जैसे शक्कर घुली हो, चल, वहाँ खडी खडी क्या कर रही है, मेरी चूत चूस" मौसी चढ कर पलंग पर मेरे बाजू में लेट गयी और फिर रश्मि का दूसरा स्तन मुँह में लेकर उसका दूध पीने लगी ललिता अब तक खुशी खुशी अपनी मालकिन की चुनमूनियाँ चूसने में लग गयी थी
मौसी ने घुन्ट घुन्ट करके धीरे धीरे स्वाद लेकर बहुत देर रश्मि का दूध पिया मम्मा खाली होने पर ही उठी उसे क्या था, वह तो दूध पीते हुए मस्त अपनी नौकरानी से चुनमूनियाँ चुसवाकर झडने का भी मज़ा ले रही थी कितना भी समय लगे, उसे उसकी परवाह नहीं थी यहाँ मैं मरा जा रहा था! पर मौसी ने मेरा तडपना नज़रअंदाज़ कर दिया और रश्मि को मुझे चोदने में मदद करती रही आख़िर रश्मि पूरी तृप्त होकर निढाल होकर मेरे शरीर पर गिर पडी तभी मौसी ने उसकी चूची छोडी
जब रश्मि ने मेरा लंड अपने भोसडे से निकाला तो वह सूज कर लाल लाल गाजर जैसा हो गया था मौसी ने तुरंत झपटकर मेरे लंड पर लगे और पेट पर बह आए रश्मि की चुनमूनियाँ के पानी को चाटा और फिर ललिता को बधाई दी "ललिता रानी, तेरी बेटी की चुनमूनियाँ तो एकदम मस्त है, रस की ख़ान है, साली इसीलिए तू बचपन से इसकी चूत चूसती है रश्मि बेटी आ, मेरी बाँहों में आ जा, मैं भी तेरी माँ जैसी हूँ, अपनी मालकिन को भी अपनी चुनमूनियाँ चुसवा, अम्मा तो रात को भी चूस लेगी"
"मेरे भांजे को चोद रही हो दोनों मिलके! झड़ाया तो नहीं उसे?" मौसी की आवाज़ पर मुझे ज़रा धीरज बँधा कि अब तो मेरी कोई सुनेगा और मुझे झडने देगा ललिता चुंबन तोड कर खिलखिलाते हुए उठ बैठी "नहीं दीदी, आपके बिना कैसे झडाते इसे, अब आप जैसा बोलो वैसा करेंगे" रश्मि इतनी मस्ती में थी कि मौसी के आने के बाद भी मुझे चोदती रही, बस थोड़ा शरमा कर मौसी की ओर देखा और फिर उछलने लगी
मौसी ने मेरे मुँह में ठूँसा उसका उरोज देखा और समझ गयी कि मुझे दूध पिलाया जा रहा है खुश होकर रश्मि को चूमते हुई बोली "क्या मस्त चुदैल बिटिया है तेरी ललिता, बहुत प्यारी है एकदम सुंदर है आज तक इसे छिपाया क्यों मुझसे? पहले ही बता देती रश्मि बेटी, सारा दूध खतम कर दिया तूने या कुछ बचा है?"
ललिता अब तक मौसी को नंगा करने में जुट गयी थी "नहीं दीदी, बचा कर रखा है आप के लिए" मौसी ने भी बड़ी उत्तेजना से कपड़े उतार फेके और फिर रश्मि का दूसरा मम्मा हाथ में लेकर सहलाने लगी उसे उसने दबाया तो दूध निकलने लगा मौसी खुशी से उछल पडी "रश्मि बेटी, अभी इस चूची में दूध है, वाह मज़ा आ गया" और मौसी रश्मि का निपल मुँह में लेकर चूसने लगी
दो घुन्ट पीकर मौसी ने मुँह से चूची निकाली और प्यार से ललिता की कमर में हाथ डालकर बोली "साली, अब समझी तू क्यों अपनी बेटी के दूध की दीवानी है, इतना मीठा है जैसे शक्कर घुली हो, चल, वहाँ खडी खडी क्या कर रही है, मेरी चूत चूस" मौसी चढ कर पलंग पर मेरे बाजू में लेट गयी और फिर रश्मि का दूसरा स्तन मुँह में लेकर उसका दूध पीने लगी ललिता अब तक खुशी खुशी अपनी मालकिन की चुनमूनियाँ चूसने में लग गयी थी
मौसी ने घुन्ट घुन्ट करके धीरे धीरे स्वाद लेकर बहुत देर रश्मि का दूध पिया मम्मा खाली होने पर ही उठी उसे क्या था, वह तो दूध पीते हुए मस्त अपनी नौकरानी से चुनमूनियाँ चुसवाकर झडने का भी मज़ा ले रही थी कितना भी समय लगे, उसे उसकी परवाह नहीं थी यहाँ मैं मरा जा रहा था! पर मौसी ने मेरा तडपना नज़रअंदाज़ कर दिया और रश्मि को मुझे चोदने में मदद करती रही आख़िर रश्मि पूरी तृप्त होकर निढाल होकर मेरे शरीर पर गिर पडी तभी मौसी ने उसकी चूची छोडी
जब रश्मि ने मेरा लंड अपने भोसडे से निकाला तो वह सूज कर लाल लाल गाजर जैसा हो गया था मौसी ने तुरंत झपटकर मेरे लंड पर लगे और पेट पर बह आए रश्मि की चुनमूनियाँ के पानी को चाटा और फिर ललिता को बधाई दी "ललिता रानी, तेरी बेटी की चुनमूनियाँ तो एकदम मस्त है, रस की ख़ान है, साली इसीलिए तू बचपन से इसकी चूत चूसती है रश्मि बेटी आ, मेरी बाँहों में आ जा, मैं भी तेरी माँ जैसी हूँ, अपनी मालकिन को भी अपनी चुनमूनियाँ चुसवा, अम्मा तो रात को भी चूस लेगी"