incest "खून का असर" compleet

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raj..
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incest "खून का असर" compleet

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 09:10

चेतावनी ...........दोस्तो ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है





"खून का असर"--1

लेखक ==RKS

ले बिरजू मार सुत्टा, राजू अपने भाई बिरजू को बीड़ी देते हुए, आज तो नशा ही नही आ रहा है

और देसी दारू की बोतल जो कि आधी हो चुकी थी को उठाकर मूह से लगा कर गटकने लगता है,

रात के सन्नाटे मे दोनो भाई गाँव की एक पुलिया जो उनके घर से लगभग 200 मीटर की दूरी

पर थी वहाँ बैठ कर दारू का मज़ा ले रहे थे, और साथ मे बीड़ी के लंबे लंबे कस

मारते जा रहे थे, फिर राजू बोतल बिरजू को दे देता है और उससे बीड़ी ले कर कस मारने लगता

है, उनका घर उस पुलिया से साफ नज़र आता है, उनका घर खप्रेल वाला कच्चा मकान है

जिस पर एक बड़ा सा आँगन है और फिर एक पुराने जमाने का बड़ा सा दरवाजा है जो कि उन्हे

उस पुलिया से खुला दिखाई पड़ रहा था, दरवाजे के बाहर एक रास्ता है जिसे पूरा गाँव पास की

नदी पर जाने के लिए यूज़ करता है उस नदी का घाट भी राजू और बिरजू के घर से 200 मीटर की

दूरी पर ही है, उनका यह घर नदी की तरफ का आख़िरी मकान है, और जिस पुलिया पर ये दोनो

बैठे थे उसके पीछे की ओर आम का काफ़ी बड़ा बगीचा है, और उस बगीचे के पीछे

से थोड़ा बहुत जंगल शुरू हो जाता है, गाँव काफ़ी छ्होटा है लगभग 40-50 मकान बने

होंगे, बिरजू की उमर लगभग 25 साल के करीब है और राजू उससे 2 साल छोटा है लेकिन दोनो

भाई बचपन से ही दोस्तो की तरह रहते है और वह ऐसे लगते है जैसे जुड़वा हो दोनो हत्ते

कत्ते और मजबूत कद काठी के है,

यार बिरजू चूत मारने का इतना मन करता है लेकिन कोई चूत का जुगाड़ ही नही बनता है, राजू हाँ

यार बिरजू उस दिन थोड़े पैसे जोड़कर चूत के जुगाड़ मे शहर मे रंडी बाजार भी हो आए

लेकिन भोसड़ी की ने हम दोनो भाई से पैसा ले लिया और दो मिनिट मे ही बोल दिया कि चल हट रे

हो गया, मेरा तो लंड भी ठीक से खड़ा नही हुआ था और उस कुतिया ने दो दो कॉंडम मेरे

लंड पर लगा दिए थे, भला तू ही बता ऐसे दो मिनट मे क्या चुदाई हो पाती है, राजू यार

चोदने के लिए तो हमारे से मोटे लंड को कम से कम दो दो घंटे तो मिलना चाहिए, तभी

हम तृप्त हो पाएगे, बिरजू हाँ यार तू ठीक कहता है मैं जब भी सुधिया काकी की मोटी गंद को

सोच कर मूठ मारता हू तो कम से कम आधा घंटा तो काकी की मोटी मोटी गंद को सोच

सोच कर मुठियाने मे लग ही जाता है तब जाकर मेरा माल बाहर निकलता है, और तुझे भी तो

इतना ही टाइम लगता है ना, हाँ यार तूने कहाँ सुधिया काकी की बात कर दी मेरा तो लंड कड़क होने

लग गया है और लूँगी के उपर से दोनो भाई अपने अपने लंड को मसल्ने लगते है, सुधिया

काकी भोसड़ी की 50 के लगभग की होगी पर साली के मोटे चुचे और फैले हुए भारी भारी

चूतड़ देख कर तो ऐसा लगता है कि सीधे जाकर इसकी मोटी गंद मे लंड पेल दू, और दारू की

बोतल से बची हुई दारू गटकते हुए दोनो भाई अपना अपना लॅंड मसल रहे थे, यार राजू मेरा

लॅंड तो मोटी गंद का ही दीवाना है, बिरजू अरे मेरा भी यही हाल है कि मोटे मोटे चूतड़ मिल

जाए तो फाड़ कर रख दू, मोटे चूतादो को देख कर तो मेरे मूह से लार टपकने लगती है,

इन दोनो भाई का यह रोज का काम था दिनभर अपने घर के बाहर लूँगी पहनकर बैठ जाते

थे और अपने गाँव की सारी नदी की ओर जाने वाली औरतो के मटकते चूतड़ देख देख कर अपना

लंड मसल्ते बैठे रहते और जब कोई औरत नही दिखाई देती तो पड़ोस मे रहने वाली सुधिया

काकी के आँगन की ओर नज़र गढ़ा कर उसके आने जाने का इंतजार करने लगते और सारे गाँव की

औरतो के गदराए अंगो की चर्चा के अलावा इन दोनो भाइयो के पास कोई काम नही था, इतफाक

से दोनो के विचार भी बिल्कुल एक जैसे थे, शायद ये इनके खून का असर था,

सुधिया काकी इन दोनो के सगे ताऊ (अंकल) की औरत थी लेकिन सुधिया काकी, इन दोनो की मा

कमला की लड़ाई काफ़ी पुराने समय से थी जिसके चलते दोनो परिवार के लोगो का आपस मे

बोलचाल नही था, इन दोनो की मा कमला थोड़ी मोटी और भरे भरे बदन की एक 45 साल की औरत

थी, उसके दूध और मोटे मोटे चूतादो के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत के दूध

और चूतड़ नही थे, हण सुधिया काकी ज़रूर थोड़ा बहुत टक्कर ज़रूर देती थी लेकिन सुधिया

काकी अगर 19 थी तो कमला 20 थी, कमला का पति मनोहर लाल जो कि दिन और रात शराब के नशे

मे ही रहता था और उसका अधिकतर समय दारू के ठेके पर ही बीत जाता था, मनोहर लाल के

बारे मे गाँव मे एक बात फेमस थी कि काफ़ी साल पहले नदी के किनारे के एक पेड़ के पीछे

अपनी मा गोमती जो की अब मर चुकी है को चोद रहा था जिसे गाँव के कुछ लोगो ने देख लिया

था. कमला अपने बेटो के साथ पास के जंगल से लकड़िया काट कर अपना घर चलाती थी, वह रोज

सुबह सुबह घर का सारा काम करके दोपहर का खाना बाँध कर अपने साथ ही जंगल ले जाती

थी फिर वाहा दोनो बेटे लकड़िया काटने लगते और कमला उन लकड़ियो के तीन गथ्थे बना लेती थी

फिर शाम तक ये लोग लकड़िया लेकर घर आ जाते थे, कमला की एक बेटी थी जो राजू से 2 साल छोटी

थी, अभी तीन महीने पहले ही उसका गोना हुआ था सो अभी वह अपने ससुराल मे थी, सुधिया

काकी का एक ही बेटा था मदन जिसकी शादी हो चुकी थी वह शहर मे किसी कारखाने मे रोज की

मज़दूरी करके वही रहता था और उसकी बीबी संध्या अपने सास ससुर के पास गाँव मे रहती

थी वह करीब 28 साल की उमर की रही होगी

इनके घर के सामने ही एक हॅंडपंप था जो कि कई साल पहले इनके बाप मनोहर और काका

किशन लाल (सुधिया का पति) ने मिलकर लगवाया था सो इनकी लड़ाई होने के बाद भी दोनो घर की

औरते उसी से पानी भरती थी और वही खुले मे नहा भी लेती थी, और आसपास की कुछ औरते जिनकी

पटरी या तो सुधिया या कमला से खाती थी आकर वही नहा लेती थी. राजू और बिरजू अपने घर के

सामने लूँगी पहने कुर्सी लगाकर सुबह सुबह वही बैठकर घर के सामने से नदी की ओर

जाती औरतो या हॅंडपंप पर नहती औरतो को देख देख कर बस चूत लंड की बाते करते और

लूँगी के उपर से अपना लंड मसलते रहते थे, और दोपहर होने पर अपनी मा के साथ जंगल

चले जाते और शाम को आकर फिर घर के सामने कुर्सी डाल कर बैठ जाते और जब रात हो जाती तो

दोनो भाई पुलिया पर जाकर दारू पीने लगते और जब रात के सन्नाटे मे खाना खाने के लिए

आवाज़ लगाती तो दोनो उठ कर घर की ओर आ जाते थे बस इसी तरह इनकी जिंदगी आगे बढ़ रही

थी.

सुबह सुबह दोनो भाई घर के बाहर बैठे बैठे यार राजू देख संध्या भाभी लाल घाघरा चोली मे क्या मस्त लग रही, बिरजू यार इसकी चूत भी मस्त लाल होगी, मदन तो शहर मे लंड पकड़ता रहता है, और यह बेचारी यहाँ लंड के लिए तरसती रहती है, यार बिरजू अपना लंड मसल्ते हुए इसकी ही चूत मारने को मिल जाए तो हमारा भी काम बन जाएगा और इस बेचारी की चूत को भी ठंडक मिल जाएगी और यह बेचहरी हमे दुआए भी देगी की कोई तो इसकी चूत के बारे मे सोचता है,

गाँव मे सभी औरते ज़्यादातर लहगा और चोली ही पहनती थी और आप तो जानते है पॅंटी या ब्रा गाँव की संस्कृति मे नही है, संध्या पानी भरने के लिए हॅंडपंप के पास आ जाती है और दोनो भाई उसकी मोटी मोटी चूचियाँ और उसके चिकने पेट और नाभि को घूर घूर कर अपना लंड मसलने लगते है, संध्या ने अपना घाघरा नाभि के काफ़ी नीचे बाँधा हुआ था जिससे उसकी नाभि और पेट ऐसा नज़र आ रहा था जैसे कुवारि लोंदियो का पेट नज़र आता है उनकी कुर्सी से हॅंडपंप लगभग 20 मीटर की दूरी पर था, यार बिरजू इसको एक बार अपना काला और मोटा लंड निकालकर दिखा दू क्या साली अभी पानी भरते भरते पानी पानी हो जाएगी, देख क्या मस्तानी चुचिया उपर नीचे होती है जब ये हॅंडपंप चलाती है, राजू हंसते हुए बिरजू अगर इसको हम यह बता दे कि जिस हॅंडपंप के डंडे को इसने पकड़ रखा है वह बिल्कुल हमारे लंड की मोटाई का है तो यह डर के मारे हॅंडपंप का डंडा छ्चोड़ देगी और फिर कभी पानी भरने नही आएगी, बिरजू हंसते हुए हा हा हा तू ठीक कहता है राजू इतना मोटा डंडा तो सुधिया काकी ही पकड़ सकती है पर भोसड़ी की जाने कहाँ गंद मरवा रही है नज़र नही आ रही है,

तभी संध्या पानी की बाल्टी लेकर अपने आगन मे चली जाती है और फिर इतने मे सुधिया काकी अपने मोटे मोटे चूतड़ मतकते हुए बाहर बरामदे की झाड़ू लगाने लगती है, सुधिया काकी के मोटे मोटे चूतड़ देख कर राजू और बिरजू का लंड झटके मारने लगा हे मेरी रानी कितनी मोटी और चौड़ी गंद है तेरी, हाय बिरजू एक बार इस घोड़ी की मोटी गंद मिल जाए तो साली की गंद मार मार कर लाल कर देंगे, तभी सुधिया काकी उनकी ओर मूह करके झाड़ू लगाने लगती है जिससे उसके मोटे मोटे थन आधे से ज़्यादा उसकी चोली से बाहर गिरे आ रहे थे, और उसका चर्बी वाला लटका हुआ पेट और गहरी नाभि और पेट के मसल उठाव को देख कर दोनो भाई का हाथ अपने लंड पर तेज तेज चलाने लगता है, राजू सुधिया काकी नंगी कैसी लगती होगी रे मेरा तो यह सोच सोच कर पानी ना निकल जाए,

raj..
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Re: incest "खून का असर"

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 09:11

चिंता मत कर बिरजू अभी थोड़ी देर मे भोसड़ी की नहाने आएगी तब आधी नंगी तो हो ही जाएगी और चुपचाप अपने लंड को मसलने लगते है, थोड़ी देर बाद सुधिया काकी अपनी चोली और घाघरा लेकर हॅंडपंप पर आ जाती है, वह अपने घाघरे को अपने घुटनो के उपर करके बैठ कर कपड़े धोना शुरू कर देती है उसकी गदराई पिंदलियो और मोटी मोटी गोरी जाँघो को देख कर राजू और बिरजू के मूह मे पानी आ जाता है, जब सुधिया काकी कपड़े को ब्रश से घिसती है तो उसकी बड़े बड़े पपितो जैसी चुचिया बहुत तेज़ी से उपर नीचे होती है यार बिरजू मथेर्चोद 50 साल की है पर इसका गदराया शरीर देखकर लंड लूँगी फाड़ कर बाहर आया जा रहा है,

तभी सुधिया काकी अपने दोनो हाथो से अपनी चोली के हुक खोलने लगती है और फिर अपने दोनो हाथ उपर करके अपनी चोली निकालती है उसकी बालो से भरी बगल देख कर दोनो भाई आ हा मज़ा आ गया और उसकी पहाड़ जैसे मोटे मोटे दूध दोनो भाई के सामने आ जाते है, अब सुधिया काकी पालती मार कर बैठ जाती है उसका गदराया उठा हुआ पेट, गहरी नाभि और मोटे मोटे चुचे, मतलब प्रा पेट और दूध नंगे करके जब वह पालती मार कर बैठ जाती है तो इतनी मस्तानी लगती है कि कोई बेटा भी अपनी मा को इस हालत मे देख ले तो वह अपनी मा के ऐसे मस्ताने नंगे बदन से पूरा नंगा होकर चिपक जाए, यही हाल बिरजू और राजू का था उनका मोटा लंड हल्की हल्की पानी की बूँदो से चिपचिपाने लगा था,

सुधिया काकी ने दो चार मग पानी अपने नंगे जिस्म पर डाला और फिर साबुन से अपनी चुचिया और पेट पर साबुन मलने लगी, जब वह अपने मोटे पपीते जैसे दूध पर साबुन लगा कर रगड़ती तो उसके दूध उसके हाथ मे पूरा समा नही पाते थे, और साबुन की मस्लाई से इधर उधर छतक जाते थे, और फिर अपने उभरे उए पेट पर साबुन मलने लगी, बिरजू ये भोसड़ी अपने पेट को ऐसे सहला रही है जैसे कह रही हो आ मेरी चूत मे लंड डाल डाल कर मेरा पेट और उठा दे, हाय राजू क्या मदमस्त घोड़ी है रे मेरा तो पानी छूटने के कगार पर है, तभी सुधिया काकी एक टांग लंबी करके अपने घाघरे को जाँघ की जड़ो तक चढ़ा लेती है उसकी जंघे भरपूर मसल और गोरी गोरी बिल्कुल कसी हुई लग रही थी,

राजू इसकी मोटी जंघे तो दो हाथो मे भी ना समाए तो फिर इसके चूतड़ पकड़ने के लिए कितने हाथ लगाना पड़ेंगे, अरे बिरजू एक बात तूने देखा है कि औरत की उमर ढल जाती है पर उसकी गंद और जाँघो की चिकनाहट वैसी ही रहती है, क्या मस्त चोदने लायक माल है, इसे छ्होटा मोटा चुड़क्कड़ चोद ही ना पाए इस मस्तानी घोड़ी की चूत और गंद तो हमारे जैसा मोटा काला लंड ही मस्त कर पाएगा, तभी सुधिया काकी ने एक घुटने की जाँघो की जड़ो तक साबुन लगाने के बाद उस जाँघ को मोड मोड दूसरे पैर की जंगो से भी अपना घाघरा हटा कर मोड़ कर साबुन लगाने लगी अब सुधिया काकी उपर से लेकर पेट और कमर तक तो नंगी थी ही साथ ही उसका घाघरा उसकी चूत और जाँघो की जड़ो तक सिमट कर रह गया था और वह अपनी दोनो जाँघो को फैलाए अपनी आइडिया पत्थर से घिस रही ही, देख बिरजू ऐसे जंघे फैला कर बैठी है जैसे कह रही हो की आके घुस जा मेरे मस्ताने भोस्डे मे,

और फिर सुधिया दोनो पैरो के बल बैठ कर बाल्टी का पानी एक साथ अपने सर से डाल कर खड़ी हो जाती है और बिरजू और राजू की ओर अपनी गंद करके हॅंडपंप चलाने लगती है उसका पूरा घाघरा गीला होकर उसकी गंद से चिपक जाता है और उसकी मोटी गंद की दरार मे फँस जाता है जिससे उसकी मोटी गंद साफ झलकने लगती है ऐसा लगता है जैसे दो मोटे मोटे तरबूज थोड़े थोड़े गॅप मे लगा दिए हो, बिरजू अपना लंड मसलते हुए जा के फँसा दू क्या अपना लंड इसकी मोटी गंद मे, हाय रे क्या चूतड़ है रे ये तो मदर्चोद हमारी जान लेने पर तुली है, यार राजू इसको हमने हमेशा हर तरह से नंगी नहाते देखा है लेकिन इसका भोसड़ा और इसकी मोटी गंद नंगी देखने को कभी नही मिली, यार कुछ चक्कर चला कर इसकी मोटी गंद और उसका छेद देखने का बड़ा दिल कर रहा है,

बिरजू एक आइडिया है मेरे दिमाग़ मे, राजू हाँ तो बता ना यार, सुन यह रोज पुलिया के पीछे के खेत मे संडास करने जाती है बस यही एक तरीका है इसकी गंद देखने का वहाँ आसपास काफ़ी पेड़ भी है वही छुप कर हम इसकी गंद देखने कल चलते है, ठीक है कल ही इसकी गंद का भरपूर मज़ा लेकर इसकी गंद देखते हुए वही पर मूठ मारेंगे, गाँव मे अक्सर औरते अपनी चोली खोलकर वही नहा लिया करती है, सुधिया काकी ने अपने उपर अब मग से पानी डालना शुरू कर दिया और फिर अपना घाघरा ढीला करके एक दो मग पानी अपने घाघरे के अंदर चूत के उपर भी डाला तभी गाँव की एक दो औरते और आ गई और वो भी वही कपड़े धोने लगी और अपनी अपनी चोलिया उतार कर नहाने लगी, उनके दूध और गंद का भरपूर आनंद लेने के बाद जब हॅंडपंप पर कोई नही बचा तब राजू अभी लंड हिला ले क्या, बिरजू नही यार जब तक मा को नंगी हम दोनो नही देख लेते तब तक हमारा माल निकलता ही कहाँ है और उन दोनो ने अपनी गर्दन अपने घर के दरवाजे की ओर घुमा दी और अपने घर के आँगन मे देखने लगे,

कमला घर के आँगन मे झाड़ू मार रही थी कमला की मोटी गंद के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत की गंद नही थी, मोटी मोटी केले के तनो जैसे मसल जाँघो के उपर उसके मोटे चूतड़ ज़रूरत से ज़्यादा बाहर की ओर उठे हुए और बिल्कुल गोल शॅप लिए हुए उसकी गंद के पाट और गंद के बीच की दरार इतनी ज़्यादा विपरीत दिशा मे फैली हुई थी कि खड़े खड़े लंड गंद मे घुस सकता था जब वह झुक कर झाड़ू मार रही थी तो उसके विशाल मोटे चूतड़ और ज़्यादा बाहर की ओर निकालकर उसके चलने के साथ थिरक रहे थे, राजू अपनी मा की मोटी गंद जैसी गंद तो इस दुनिया मे कही नही होगी, इन मोटे मोटे चूतादो को देख कर तो लगता है मेरे लंड की नशे फॅट जाएगी, बिरजू मुझे तो लगता है कि अभी जाकर मा का घाघरा उठा कर अपना मोटा काला लंड सीधे गंद मे फसा दू, यार राजू मा के ये मोटे मोटे चूतड़ देख देख कर मेरा लंड लगता है लूँगी मे च्छेद कर देगा, हाँ यार बिरजू तू ठीक कहता है मुझे तो मा की मोटी गंद मे अपना मूह भरने का बहुत मन होता है, अगर यह नंगी होकर हमारे सामने आ जाए तो इसको दिन रात चोदते ही रहे, बिरजू यह नंगी कैसी दिखती होगी रे मैं तो मा को पूरी नंगी करके देखने के लिए मरा जा रहा हू,

कमला झाड़ू मार कर सीधी उनकी ओर मूह करके खड़ी हुई तो उसका पेट दोनो भाइयो के सामने आ गया कमला अपनी फूली हुई चूत से बस दो इंच उपर अपना घाघरा बाँधती थी,

क्रमशः....................

raj..
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Re: incest "खून का असर"

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 09:14

"खून का असर"--2

गतान्क से आगे........................

उसका पेट काफ़ी चर्बी के कारण उठा हुआ था ऐसा नंगा पेट देख कर अच्छे अच्छे तपस्वी मुतने लग जाए, कमला की नाभि इतनी बड़ी और गहरी थी कि किसी भी जवान लंड के टोपे को अगर नाभि मे डाला जाय तो उसका टोपा नाभि मे फिट हो जाए, यार बिरजू मा का उठा हुआ पेट देख कितना गदराया हुआ लगता है ऐसा लगता है जैसे 6 माह की गर्भवती हो, सोच बिरजू जब अपनी मा का पेट और नाभि इतनी मस्त और विशाल है तो इसका भोसड़ा कितना फूला हुआ और बड़ा होगा, बिरजू अरे अपनी मा के दूध भी कितने मोटे मोटे और बिल्कुल तने हुए है एक एक दूध 5-5 किलो का होगा और निप्पल कितने तने हुए और बड़े बड़े, उस दिन जब हमने मा को हॅंडपंप पर नहाते देखा था तब इसके मोटे दूध और निप्पल देख कर मन करने लगा कि दोनो भाई एक एक दूध को अपने दोनो हाथो से पकड़कर भी दबाएगे तो हमारे दोनो हाथो मे नही समाएगे, और निप्पल तो इतने मोटे मोटे है जैसे बड़े बड़े आकर के बेर होते है, अभी भी इसके दूध मे कितना रस भरा हुआ है, अरे बिरजू जब ये कल नहा रही थी तो इसकी जाँघो के पाट देख कर मेरे मूह मे पानी आ गया था ऐसी मोटी मोटी केले के तने जैसे गोरे गोरे जाँघो के पाट को अपने हाथो से मसल्ने और दबाने मे मज़ा आ जाएगा. चिंता मत कर राजू अब इसके नहाने का टाइम हो रहा है आज फिर हम दोनो इसके मस्ताने नंगे बदन को देख कर लूँगी मई ही अपना पानी निकलेंगे, बिरजू मुझे तो याद भी नही है की हमने अपनी मा की मासल जवानी का मादक रूप देख देख कर कितनी बार अपना पानी छ्चोड़ा होगा, बिरजू अपनी मा की गंद और चूत सूंघने और चाटने का बड़ा मन करता है यार, मा की फूली हुई चूत और मोटी गंद की क्या मदमस्त खुश्बू होगी, मैं तो इसको नंगी करके इस पर चढ़ने के लिए मरा जा रहा हू, और दोनो भाई के काले और मोटे लंड अपनी मा की गदराई जवानी देख देख कर लार टपका रहे थे.

तभी कमला कुछ कपड़े लेकर हॅंडपंप की ओर आ गई, और बिरजू और राजू से क्यो रे तुम दोनो नही नहाओगे, चलो जल्दी नहा लो फिर हमे जंगल भी चलना है, और हॅंडपंप के पास आकर कपड़े रख कर बैठ जाती है और कपड़े धोना शुरू कर देती है, बिरजू और राजू दोनो के लंड खड़े थे वो दोनो सोच रहे थे कि कैसे लूँगी उतार कर केवल कछे मे जाए हमारा मोटा लंड तो खड़ा है, बिरजू अरे चल आज अपनी मा को भी अपने मोटे लंड के दर्शन करवा देते है, शायद इसकी भी फूली हुई चूत हमारे काले डंडे को देख कर फड़कने लगे और अगर यह हम दोनो से चुदवा ले तो फिर घर मे ही मोटी गंद और चूत का जुगाड़ हो जाएगा और दोनो भाई एक साथ रात भर अपनी गदराई मा को चोद्ते पड़े रहेंगे, और दोनो भाई अपनी अपनी जगह से उठ कर हॅंडपंप के पास आकर पानी भरने लगे और वही मा के सामने खड़े हो गये, कमला अपने कपड़े धो चुकी थी और उसने बिरजू और राजू से कहा लाओ तुम्हारी बनियान और लूँगी भी दे दो धो देती हू, तब दोनो भाइयो ने अपनी अपनी बनियान और लूँगी खोल दी अब तक उनका लंड थोड़ा ढीला पड़ चुका था, कमला ने उनकी लूँगी और बनियान धो दी और दोनो मुस्टांडो को को कहा कि अब खड़े क्या हो चलो जल्दी से नहा लो और अपनी चोली के हुक खोलने लगी और जैसे ही उसने अपने दोनो हाथ उठाकर अपनी चोली खोली उसके मोटे मोटे पपीते एक दम से बाहर आ गये अपनी मा के मोटे मोटे पपितो और गदराए उठे हुए पेट देखाकर बिरजू और राजू का लंड एक दम से खड़ा हो गया और कमला की नज़र अपने दोनो बेटो के मोटे मोटे लंबे डंडे पर पड़ी तो उसका मूह खुला का खुला रह गया क्यो कि दोनो भाई अपनी नंगी मा को देख कर अपने लंड को खड़ा होने से रोक नही सके और उनका लंड फुल अवस्था मे आकर झटके मारने लगा कमला एक तक बड़े गोर से उन दोनो के मोटे डंडे को देखे जा रही थी, तभी दोनो भाई जल्दी से पालती मार कर बैठ गये और अपनी मा की मोटी चुचियो और उठे हुए पेट को देखते हुए उसका चेहरा देखने लगे जो कि उनके मोटे लंड के दर्शन से लाल हो चुका था

तभी कमला ने देखा कि दोनो भाई अपनी मा के गदराए बदन को घूर रहे है तो वह अपने बेटो के चेहरो को देख कर कि कैसे अपनी खुद की मा को अधनंगी देख कर इनका लंड खड़ा हो गया है, उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई,

कमला को चुदे हुए एक जमाना बीत गया था मनोहर लाल अपनी जवानी मे ही शराब के प्रति समर्पित हो गया था इस लिए वह कमला की जवानी को केवेल सुलगा कर छ्चोड़ चुका था और कमला अपनी फूली चूत की प्यास अपने मन मे दबा कर ही अपनी जिंदगी गुजारने लगी थी, पर आज कुछ ऐसा हुआ था कि अपने दोनो हत्ते कत्ते बेटो के मोटे झूलते हुए लंड को देख कर उसकी फूली हुई चूत मे कुछ कुलबुलाहट सी होने लगी थी, और वह अपना संयम खोने लगी थी, ना चाहते हुए भी उसका हाथ एक बार अपनी चूत को घाघरे के उपर से थोड़ा खुरेदने के लिया चला गया और दोनो भाई उसकी इस हरकत को देख कर उसके मन की इस्थिति को भाँप चुके थे उनका मोटा लंड बैठे उए भी उनके कछे मे तंबू की तरह तना हुआ था, और वह बिना कमला की परवाह किए अपने शरीर पर साबुन मलते हुए अपनी मा की मोटी मोटी गदराई चुचियो को देख देख कर मज़ा ले रहे थे, कमला की नज़रे अपने बेटो के मोटे लंड पर बार बार जाकर टिक जाती थी और वह भी अपने आप को रोक ना सकी और अपने गोरे गदराए बदन पर पानी डाल कर अपनी मोटी चुचियो पर साबुन लगा कर उन्हे कस कस कर रगड़ने लगी और अपनी चुचियो को अपने हाथो से दबा दबा कर कहने लगी सारा दिन झाड़ फुक कर कर के कितना मैल शरीर पर जमा हो जाता है, और अपने हाथो को उठा कर अपनी बगल मे हाथ फेरने लगी, राजू और बिरजू ने जब अपनी मा की बालो से भरी बगल देखी तो उनका लंड झटके दे दे कर हिलने लगा, दोनो भाई साबुन लगाते लगाते बीच बीच मे अपने लंड को भी मसल देते थे जो कि कमला की चूत से पानी बहाने के लिए काफ़ी था,

कमला ने अब अपनी दोनो जाँघो को थोड़ा फैला कर अपने घाघरे को घुटनो की जड़ो तक चढ़ा कर अपनी गोरी गोरी पिंदलियो और गदराई जाँघो पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, दोनो भाई का मन कर रहा था कि अपनी मा को यही लिटा कर उसके नंगे बदन पर चढ़ कर उसे अभी चोद दे, बीच बीच मे कमला अपने घाघरे को जो कि दोनो जाँघो के बीच उसकी चूत के पास सिमट गया था अपनी चूत पर दबा कर अपनी जाँघो को अपने दोनो बेटो को दिखा दिखा कर रगड़ रही थी, फिर अपनी जाँघो पर जब उसने पानी डाला तो उसकी गोरी मोटी मोटी जंघे चमकने लगी, तभी कमला ने कहा अरे राजू ज़रा मेरी पीठ तो रगड़ दे, राजू अच्छा मा कहता हुआ खड़ा हो गया और उसका मोटा डंडा उसकी मा के सामने तन गया जिसे कमला देख कर सिहर गई और उसकी चूत बहने लगी, राजू जल्दी से अपनी मा की नंगी पीठ के पीछे अपने दोनो पैरो के पंजो पर बैठ कर अपनी मा की गोरी पीठ को बड़े प्यार से सहला सहला कर उसकी जवानी का मज़ा लेने लगा, कमला अरे बेटा थोड़ा तगड़ा हाथ लगा कर मसल बड़ा मैल हो जाता है पीठ पर, राजू अपनी मा की पीठ से बिल्कुल लिपट कर तगड़े तरीके से उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा और उसका खड़ा लंड उसकी मा की कमर पर चुभने लगा, अपने बेटे के मोटे लंड की इतनी गहरी चुभन को महसूस करते ही कमला का हाथ अपने बस मे नही रहा और एक बार फिर उसने अपने हाथो के पंजो से अपनी चूत को दबोच लिया, राजू अपनी मा की पीठ रगड़ता हुआ उसके बगल तक अपना हाथ भरने की कोशिश करने लगा जिससे कमला ने अपने हाथो को थोड़ा फैला दिया और राजू अपनी मा की उठी चुचियो को भी साइड से महसूस करने लगा, कुछ देर की पीठ रागड़ाई के बाद कमला ने कहा चल अब जल्दी से नहा लो बेटा फिर हमे जंगल भी चलना है और कमला खड़ी होकर अपना नाडा खोलने लगी और फिर मग से पानी भर कर अपने बेटो के सामने अपने घाघरे के अंदर एक दो मॅग पानी डाल कर घाघरे के उपर से खड़े खड़े अपनी चूत को एक दो बार मसला और फिर दूसरा घाघरा उठा कर अपने सर से डाल कर भीगा हुआ घाघरा छ्चोड़ दिया, दोनो भाई नीचे बैठे होने के कारण दोनो को दो सेकेंड के लिए अपनी मा की कमर से लेकर पेरो तक पूरी नंगी चूत, मोटी जंघे सब कुछ एक पल के लिए उनकी आँखो के सामने आ गया और अपनी मा की ऐसी गदराई जवानी और फूली हुई चूत देख कर उनके लंड झटके मारने लगे,

कमला दोनो के चेहरे देखकर थोड़ा मुस्कुरई और फिर कपड़े उठाने के लिए जैसे ही झुकी उसकी मोटी गंद दोनो के मूह से सिर्फ़ 4 इंच की दूरी पर थी जिसे दोनो आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहे थे तभी कमला ने अपना हाथ अपनी गंद के पीछे लाकर अपनी गुदा को अपनी चारो उंगलियो से रगड़ा जैसे गीली गंद का पानी पोछ रही हो और कपड़े उठा कर खड़ी होकर अपने घर के दरवाजे की ओर चल दी, कमला द्वारा अपनी गंद के छेद का पनी पोछने के कारण उसका घाघरा उसकी मोटी गंद की दरार मे फस गया और वह अपने बड़े बड़े मोटे तरबूज से चूतड़ मतकाती हुई अपने दरवाजे की ओर जाने लगी, दोनो भाई का हाल बहाल हो चुका था और दोनो अपनी मा के मटकते मोटे गदराए मसल चूतादो और उसमे फँसे उसके घाघरे और उसकी मोटी दरार को देख कर बर्दाश्त नही कर सके और अपना लंड हिलाने लगे और घर के अंदर तक कमला के मोटे मोटे मटकते चूतादो को देख देख कर अपना पानी छ्चोड़ने लगे, दोनो भाई अपनी मा के मोटे चूतादो को देख कर तबीयत से झाडे और फिर एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते हुए यार आज तो मज़ा आ गया , और फिर नहा कर तैयार होकर अपनी लूँगी पहनकर अपनी मा के साथ जंगल की ओर कुल्हाड़ी और रस्सिया लेकर चल पड़े.

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