raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ compleet

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rajaarkey
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raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ compleet

Unread post by rajaarkey » 11 Nov 2014 09:46

raj sharma stories

मस्त घोड़ियाँ--1

written by RKS

hindi font by me

मनोहर अपनी कार से नीचे उतरता है और सामने की बिल्डिंग मे जाकर सीधे लिफ्ट के अंदर पहुच कर 4 दबाता है

और कुछ देर मे लिफ्ट 4थ माले पर पहुच जाती है, सामने एक बंदा बैठा हुआ तंबाखू रगड़ रहा था और

मनोहर को देखते ही जल्दी से खड़ा होकर सलाम करता है,

मनोहर-सेठ जी अंदर है,

जी साहेब अंदर ही है, मनोहर सीधे दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल होते हुए अरे क्या यार रतन तू यहा ऑफीस

मे घुसा है और मैं दो दिन से ठीक से सो नही पा रहा हू,

रतन- अरे बैठो मनोहर तुम तो हमेशा ही जल्दी मे रहते हो जब कि हमारा काम है बिल्डिंग बनवाना और वह

काम तो आराम से ही होता है,

मनोहर- अरे मैं वह नही कह रहा हू जो तुम समझ रहे हो

रतन- मुस्कुराते हुए, अरे मेरे दोस्त मैं सब समझ रहा हू और मैने तेरा काम भी कर दिया है, अब कुछ देर

तो अपने लंड को संभाल कर रख, अब मैं तेरे लिए रोज-रोज तो 17-18 साल की कुँवारी लोंड़िया चोदने के लिए नही ला

सकता हू ना, फिर भी जुगाड़ करके एक मस्त माल का अरेंज किया है और फिर रतन बेल बजा कर चपरासी को बुलाता

है,

मनोहर- कही तूने उसे पहले ही चोद तो नही दिया

रतन- अरे नही बाबा वह तो मैने तेरे लिए ही बचा कर रखा है, तेरा काम हो गया है अब ज़रा धंधे की बात

कर ले,

मनोहर- बोल क्या करना है

रतन- मेरी तो एक ही इच्छा है और वह काम बस तू ही करवा सकता है

मनोहर-हाँ तो बोल ना

रतन- वो जो तेरा दोस्त मेहता है उसकी एक नई सड़क पर जो ज़मीन है वह कैसे भी मुझे दिलवा दे फिर देख उस

ज़मीन से मैं कहाँ से कहाँ पहुच जाउन्गा,

मनोहर- अबे सपने देखना छ्चोड़ दे मेहता उस ज़मीन को किसी कीमत पर नही बेचेगा

रतन-बेचेगा वह ज़रूर बेचेगा अगर एक बार तू उससे कह दे, मैं जानता हू वह तेरी बात कभी नही टालेगा क्यो कि

उसके उपर तूने एक ही इतना बड़ा एहसान कर रखा है कि वह जिंदगी भर तुझे अपना खुदा मानता रहेगा,

मनोहर- लेकिन रतन मैं इतना ख़ुदग़र्ज़ नही कि उस पर किए एहसान की कीमत मांगू, सॉरी दोस्त कोई और बात होती तो

मैं तेरे लिए कभी मना नही करता पर इस बात के लिए तू मुझे माफ़ कर दे,

तभी कॅबिन के अंदर एक 25 साल की मस्त खूबसूरत लोंड़िया आती है उसने एक स्कर्ट जो उसके घुटनो तक था और उपर एक

शर्ट पहन रखा था उसके दूध इतने बड़े और मोटे थे कि मनोहर का तो लंड खड़ा हो गया और जब वह

लोंड़िया थोड़ा आगे जाकर पलटी तो उसकी मोटी कसी गंद देख कर मनोहर ने टेबल के नीचे अपना हाथ लेजा कर अपने

लंड को सहलाते हुए उसकी गुदाज गंद देखना शुरू कर दी,

रतन- अरे सपना ज़रा जीवन को फोन लगा कर मेरी बात कर्वाओ

सपना- जी सर

ओर फिर सपना ने जीवन को फोन लगा कर रतन को दिया रतन ने फोन लेकर सपना से कहा ज़रा चपरासी को बोल

कर दो कॉफी का बंदोबस्त कर दो,

सपना को जाते हुए मनोहर पीछे मूड कर देखने लगा और उसके भारी फैले हुए चुतडो को बड़ी गौर से

देख-देख कर अपना लंड मसल रहा था,

रतन- ओये बस कर और इधर देख

मनोहर- वाह रतन क्या माल है साले कितनी मस्त लोंड़िया को तूने अपनी पीए बना रखी है,

रतन- बहुत मस्त है क्या

मनोहर- खुदा कसम एक बार तू तो इसकी दिलवा दे साली को रात भर पूरी नंगी करके चोदुन्गा,

रतन- हेलो जीवन शाम को उस लोंड़िया को साथ लेकर मेरे फार्महाउस पर आ जाना

रतन- ले तेरा काम हो गया है और अब शाम को वह अपने ठिकाने पर आ जाएगी,

मनोहर- अरे रतन उसको छ्चोड़ तू तो तेरी इस पीए को एक बार मेरी बाँहो मे भेज दे कसम से कितनी मस्त चुचिया

और गंद है उसकी,

रतन- अबे साले वह मेरी बेटी सपना है और उसने MBआ कर लिया है इसलिए उसे अपने साथ ही बिजनेस मे लगा लिया है

अब मेरे सारे काम को धीरे-धीरे वह संभाल रही है,

मनोहर का मूह एक दम से सुख गया उससे कुछ बोलते नही बन रहा था पर फिर वह रतन को देख कर

मुस्कुराते हुए अपने कान पकड़ कर सॉरी यार मुझे ज़रा भी नही मालूम था कि वह तेरी बेटी है,

रतन- मुस्कुराते हुए इसीलिए तो मैने तेरी बात का बुरा नही माना तभी उनकी कॉफी आ जाती है और मनोहर और

रतन चुस्किया लेने लगते है, मनोहर का लंड अभी तक खड़ा हुआ था तभी सपना एक बार फिर से अंदर आती है

और कुछ फिलो को उठा कर वापस जाने लगती है तभी

रतन-सुनो बेटी

सपना- जी पापा

रतन- ये मेरे खास दोस्त है मनोहर और मनोहर यह मेरी एक्लोति बेटी सपना है

सपना- नमस्ते अंकल

मनोहर नमस्ते बेटा


rajaarkey
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Re: raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ

Unread post by rajaarkey » 11 Nov 2014 09:47

सपना की नशीली नज़रो और गुलाबी रस से भरे होंठो को देख कर मनोहर का लंड फिर से उसकी पेंट मे तन

चुका था, मनोहर फिर से सपना के हुस्न मे खोने वाला था तभी रतन ने कहा अच्छा सपना बेटी तुम जाओ

मुझे ज़रा मनोहर से कुछ बाते करनी है और फिर सपना वहाँ से चली जाती है,

मनोहर- यार एक बात बता रतन तेरी बेटी की उम्र करीब 25 साल तो होगी और तेरी उम्र को देख कर लगता नही है कि

तेरी कोई 25 बरस की बेटी होगी,

रतन- क्यो भाई मैं भी तो 50 टच करने वाला हू और तू भी साले बुढ्ढा होने की कगार पर ही है

मनोहर- हाँ हाँ ठीक है लेकिन तुझसे तो दो साल अभी छ्होटा ही हू, पर रतन पहले कभी तेरी बेटी को यहाँ देखा

नही,

रतन- मुस्कुराते हुए लगता है तुझे मेरी बेटी बहुत पसंद आई है,

मनोहर- मुस्कुराते हुए नही यार वह बात नही है,

रतन-अच्छा सुन शाम को समय से आ जाना फिर बाकी बाते मेरे फार्महाउस पर ही करेगे,

मनोहर-अच्छा ठीक है और फिर मनोहर वहाँ से उठ कर चल देता है

मनोहर की कार मार्केट के ट्रॅफिक से धीरे-धीरे गुजर रही थी, तभी थोडा आगे रतन को दो मस्त लोंड़िया स्कर्ट और

वाइट शर्ट पहने रोड से अपने भारी भरकम चूतड़ मतकते हुए जाते दिखी,

मनोहर ने जब गाड़ी थोड़ा करीब

लाकर उन्हे देखा तभी एक लड़की पास के सब्जी के ठेले पर रुक कर अपनी गंद खुजलाते हुए सब्जियो के भाव

पूछने लगी, मनोहर का लंड उसकी मोटी गंद को देख कर खड़ा हो गया और जब वह उसके बिल्कुल पास से गुजरा तो

उसके होश उड़ गये वह लड़की कोई और नही बल्कि उसकी अपनी बेटी संगीता थी,

संगीता 18 साल की मस्त भरे बदन

की लोंड़िया थी,

मनोहर- अरे यह तो संगीता है, पर इसकी गंद कितनी मस्त हो गई है मैने तो आज तक कभी इस पर गौर ही नही

किया,

मनोहर ने अपनी कार साइड से लगा कर अपनी बेटी की गुदाज जाँघो और उसकी गदराई गंद को अपना लंड मसल-

मसल कर देखने लगा, थोड़ी देर बाद संगीता उस लड़की के साथ आगे चलने लगी और मनोहर ने अपनी कार अपने

घर की ओर चला दी,

मनोहर की आँखो के सामने अभी तक उसकी बेटी की गदराई मोटी गंद नज़र आ रही थी और

उसका लंड पूरी तरह तना हुआ था वह जब घर पहुचा तब उसकी बहू संध्या ने दरवाजा खोला, संध्या जो कि

23 साल की मस्त लोंड़िया थी, दरवाजा खोलते ही संध्या ने अपने ससुर को देखा और जैसे ही अपना सर झुकाया अपने

ससुर के पेंट मे बने बड़े से तंबू को देख कर वह सन्न रह गई और जल्दी से दबे पाँव अपने रूम मे चली

गई,

संध्या- अरे सुनते हो तब रोहित ने उसके दूध अपने हाथो से मसल्ते हुए क्या है मेरी रानी क्यो बोखलाई हुई

हो,

संध्या- लगता है तुम्हारे पापा सुबह-सुबह किसी कुँवारी लोंड़िया की उठी हुई गंद देख कर आ रहे है जाकर

देखो उनका लंड उनके पेंट को फाड़ कर बाहर आने को बेताब है,

रोहित- क्या बक रही हो रानी बेचारे पापा के बारे मे

संध्या- तुम्हारी कसम रोहित मैने सच मैने उनका लंड खड़ा देखा है,

रोहित- अच्छा ठीक है अब खड़ा देख लिया तो क्या तुम्हारी चूत भी फूलने लगी है और फिर रोहित ने संध्या की

चूत को उसकी साडी के उपर से दबोच लिया, संध्या ने नाभि के नीचे से साडी बँधी हुई थी और रोहित उसके गुदाज पेट

को सहलाते हुए उसके मोटे-मोटे दूध को दबा कर

रोहित- संध्या कही पापा की नज़र तुम्हारे इन कसे हुए चुचो पर तो नही पड़ गई, पापा से बच के रहना तुम

नही जानती वह कितने बड़े चुड़क्कड़ है, अभी जब बुआ मम्मी के साथ बाजार से लॉट कर आएगी तब देखना पापा

का हाल,

संध्या- तुम्हारी बुआ भी तो छीनाल कितनी बड़ी रंडी लगती है हर दो महीने मे अपनी मोटी गंद उठा कर चली

आती है, कहती है बेटे को तो हॉस्टिल मे डाल दिया है और पति दुबई चला गया है अब घर मे कोई नही है तो

सोचा भैया भाभी के यहाँ थोड़ा समय गुज़ार लू,

रोहित- अब छ्चोड़ो भी और क्या तुम जब देखो कही कपड़े धोने का काम कही उन्हे उठा कर फिर जमा-जमा कर

रखने का काम तुम्हे मेरे लिए तो टाइम ही नही मिलता है

संध्या- अच्छा तुम यह कपड़े उस अलमारी मे डाल दो मैं पापा को पानी दे कर आती हू और फिर संध्या बाहर

चली जाती है,

रोहित बैठे-बैठे धोए हुए कपड़े घड़ी करने लगता है और उसकी नज़र एक गुलाबी कलर की छ्होटी सी पेंटी पर

चली जाती है, तभी संध्या रोहित के हाथ मे वह पेंटी देख लेती है,

रोहित - अरे संध्या यह छ्होटी सी पेंटी किसकी है

संध्या- मुस्कुराते हुए अब जान बुझ कर अंजान मत बनो जैसे अपनी बहन संगीता की पेंटी नही पहचानते हो

रोहित - यह संगीता की पेंटी है, कितनी छ्होटी सी है ना

संध्या- संगीता की पेंटी को थोड़ा फैला कर रोहित को दिखाते हुए लो देख लो अपनी बहन की पेंटी और सोचो

कैसी लगती होगी तुम्हारी बहन इस पेंटी मे

रोहित- मुस्कुराते हुए तुम भी ना संध्या

संध्या- रोहित का लंड उसकी लूँगी के उपर से पकड़ लेती है जो पूरी तरह तना हुआ था, क्यो यह मोटा डंडा अपनी

बहन की पेंटी देख कर इस तरह तन गया है ना, बोलो बोलो

रोहित- संगीता का मूह पकड़ कर चूमते हुए मेरी रानी लगता है तुमने पापा का लंड सचमुच खड़ा देख

लिया है तभी इतनी चुदासी हो रही हो,

क्रमशः......................


rajaarkey
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Re: raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ

Unread post by rajaarkey » 11 Nov 2014 09:47

MAST GHODIYAN--1

manohar apni car se niche utarta hai aur samne ki building mai jakar sidhe lift ke andar pahuch kar 4 dabata hai

aur kuch der mai lift 4th male par pahuch jati hai, samne ek banda betha hua tambakhu ragad raha tha aur

manohar ko dekhte hi jaldi se khada hokar salam karta hai,

manohar-sethji andar hai,

ji saheb andar hi hai, manohar sidhe darwaja khol kar andar dakhil hote huye are kya yaar ratan tu yaha office

mai ghusa hai aur mai do din se thik se so nahi pa raha hu,

ratan- are betho manohar tum to hamesha hi jaldi mai rahte ho jab ki hamara kam hai building banwana aur vah

kam to aaram se hi hota hai,

manohar- are mai vah nahi kah raha hu jo tum samajh rahe ho

ratan- muskurate huye, are mere dost mai sab samajh raha hu aur maine tera kam bhi kar diya hai, ab kuch der

to apne land ko sambhal kar rakh, ab mai tere liye roj-roj to 17-18 sal ki kunwari londiya chodne ke liye nahi la

sakta hu na, phir bhi jugad karke ek mast mal ka arange kiya hai aur phir ratan bell baja kar chaprasi ko bulata

hai,

manohar- kahi tune use pahle hi chod to nahi diya

ratan- are nahi baba vah to maine tere liye hi bacha kar rakha hai, tera kam ho gaya hai ab jara dhandhe ki bat

kar le,

manohar- bol kya karna hai

ratan- meri to ek hi ichcha hai aur vah kam bas tu hi karwa sakta hai

manohar-ha to bol na

ratan- vo jo tera dost mehta hai uski ek nai sadak par jo jameen hai vah kaise bhi mujhe dilwa de phir dekh us

jameen se mai kaha se kaha pahuch jaunga,

manohar- abe sapne dekhna chhod de mehta us jameen ko kisi keemat par nahi bechega

ratan-bechega vah jarur bechega agar ek bar tu usse kah de, mai janta hu vah teri bat kabhi nahi talega kyo ki

uske upar tune ek hi itna bada ehsan kar rakha hai ki vah jindagi bhar tujhe apna khuda manta rahega,

manohar- lekin ratan mai itna khudgarj nahi ki us par kiye ehsan ki kimat mangu, sorry dost koi aur bat hoti to

mai tere liye kabhi mana nahi karta par is bat ke liye tu mujhe maf kar de,

tabhi cabin ke andar ek 25 sal ki mast khubsurat londiya aati hai usne ek skirt jo uske gutno tak tha aur upar ek

shirt pahan rakha tha uske doodh itne bade aur mote the ki manohar ka to land khada ho gaya aur jab vah

londiya thoda aage jakar palti to uski moti kasi gand dekh kar manohar ne table ke niche apna hath lejakr apne

land ko sahlate huye uski gudaj gand dekhna shuru kar di,

ratan- are sapna jara jeevan ko phone laga kar meri bat karwao

sapna- jee sir

or phir sapna ne jeevan ko phone laga kar ratan ko diya ratan ne phone lekar sapna se kaha jara chaprasi ko bol

kar do coffee ka bandobast kar do,

sapna ko jate huye manohar piche mud kar dekhne laga aur uske bhari phaile huye chutado ko badi gaur se

dekh-dekh kar apna land masal raha tha,

ratan- oye bas kar aur idhar dekh

manohar- wah ratan kya mal hai sale kitni mast londiya ko tune apni PA bana rakhi hai,

ratan- bahut mast hai kya

manohar- khuda kasam ek bar tu to iski dilwa de sali ko rat bhar puri nangi karke chodunga,

ratan- hello jeevan sham ko us londiya ko sath lekar mere farmhouse par aa jaana

ratan- le tera kam ho gaya hai aur ab sham ko vah apne thikane par aa jayegi,

manohar- are ratan usko chhod tu to teri is PA ko ek bar meri banho mai bhej de kasam se kitni mast chuchiya

aur gand hai uski,

ratan- abe sale vah meri beti sapna hai aur usne MBA kar liya hai isliye use apne sath hi busines mai laga liya hai

ab mere sare kam ko dhire-dhire vah sambhal rahi hai,

manohar ka muh ek dam se sukh gaya usse kuch bolte nahi ban raha tha par phir vah ratan ko dekh kar

muskurate huye apne kan pakad kar sorry yaar mujhe jara bhi nahi malum tha ki vah teri beti hai,


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