कुछ ही देर बाद अब हम सिर्फ तीन ही रह गए थे.. यानि कि मैं
रूचि और माया क्योंकि विनोद अपना खाना समाप्त करके
टीवी देखने चला गया था।
इधर रूचि की हरकत से मैं इतना बहक गया था कि मेरे खाने की
रफ़्तार स्वतः ही धीमी पड़ गई थी।
शायद यही हाल उसका भी था.. क्योंकि वो खाना कम.. मेरे
पैरों को ज्यादा सहला रही थी।
मैं अपने सपनों में खोने वाला ही था.. या ये कह लो कि
लगभग स्वप्न की दुनिया में पहुँच ही गया था कि तभी माया
ने अपना खाना समाप्त कर पास बैठे ही मेरे तन्नाए हुए लौड़े
पर धीरे से अपने हाथ जमा दिए।
इस हमले से मैं पहले तो थोड़ा सा घबरा सा गया.. पर जल्द ही
सम्भलते ही बोला- अरे आंटी आपने तो अपना खाना बहुत
जल्दी फिनिश कर दिया?
तो वो बोली- हाँ.. इसी लिए तो बैठी हूँ.. ताकि तुम लोगों
को सर्व कर सकूँ।
वो निरंतर मेरे लौड़े को मनमोहक अंदाज़ में सहलाए जा रही
थी और उधर रूचि नीचे मेरे पैरों को सहला रही थी.. जिससे
मुझे जन्नत का एहसास हो रहा था।
मेरे मन में एक डर भी था कि दोनों में से कोई भी कहीं और आगे
न बढ़ जाए वरना सब गड़बड़ हो जाएगी.. क्योंकि अगर रूचि
आगे बढ़ती है.. तो माया का हाथ लगेगा और माया आगे
बढ़ती है.. तो रूचि का पैर..
फिर मैंने इसी डर के साथ अपने खाने को जल्दी फिनिश
किया और उठ कर मुँह धोने के बाद सीधा वाशरूम जाकर मुठ
मारने लगा.. क्योंकि इतना सब होने के बाद मैं अपने लौड़े पर
काबू नहीं रख सकता था।
शायद मेरी कामुकता बहुत बढ़ गई थी और खुद पर कंट्रोल रख
पाना कठिन था।
मुठ्ठ मारने के बाद जब मेरा लण्ड शांत हुआ.. तब जाकर मेरे दिल
को भी शान्ति मिली और इस सब में मुझे बाथरूम में काफी देर
भी हो चुकी थी.. तो मैंने झट से कपड़े ठीक किए और बाहर
निकल कर आ गया।
बाहर आकर देखा सभी टीवी देखने में लगे थे और जैसे ही मैं वहां
पहुँचा तो माया और रूचि दोनों ही मुझे देखकर हँसने लगीं..
जिसे मैं भी देखकर शरमा गया था।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जो मैंने अभी बाथरूम में किया.. वो
सब ये लोग समझ गईं शायद..
मुझे अपने ऊपर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं आखिर कंट्रोल
क्यों नहीं कर पाया।
मैं अभी इसी उलझन में था कि माया ने मुझे छेड़ते हुए बोला-
बड़ी देर लगा दी अन्दर.. सब कुछ ठीक है न?
तभी रूचि भी चुहल लेते हुए कहा- कहीं ऐसा तो नहीं मेरी पेट
वाली समस्या आपके पास ट्रांसफर हो गई?
तो मैं झेंपते हुए बोला- नहीं कुछ भी गड़बड़ नहीं है.. जैसा आप
लोग समझ रहे हैं।
रूचि हँसते हुए बोली- फिर कैसा है?
तो मैंने बोला- अरे मैं टॉयलेट गया था.. तभी मेरी आँख में
शायद कोई कीड़ा चला गया था.. तो मैं अपनी आँख धोकर
देखने लग गया था कि वो आँख के अन्दर है कि नहीं..
तभी रूचि मेरे पास आई उसने कातिलाना मुस्कान देते हुए
कहा- लाओ मैं अभी तुम्हारा कीड़ा चैक किए देती हूँ..
तो मैं बोला- अरे नहीं.. अब हो गया..
वो मेरे लौड़े को देखते हुए बोली- हाँ दिख तो रहा है.. कि
साफ़ हो गया।
फिर से चुहलबाज़ी में हँसने लगी।
तभी माया ने मेरा पक्ष लेते हुए कहा- तू उसे तंग मत कर.. बड़ा है
तेरे से..
तब कहीं जाकर रूचि शांत हुई.. फिर हम टीवी देखने लगे कि
तभी माया बोली- टीवी में आज कुछ अच्छा आ ही नहीं रहा
है..
रूचि भी बोली- हाँ.. माँ आप सच कह रही हो.. मैं भी बोर
हो रही हूँ।
तो मैंने भी उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाते हुए अपने प्लान को
सफल बनाने के लिए अपनी इच्छा प्रकट की- हाँ यार.. कुछ
मज़ा नहीं आ रहा है..
तो विनोद बोला- फिर क्या किया जाए?
रूचि बोली- कुछ भी सोचो.. जिससे आसानी से टाइम पास
हो सके।
वो बोला- अब सोचो तुम ही लोग.. मेरा क्या है.. मैं तो बस
शामिल हो जाऊँगा।
अब मुझे अपना प्लान सफल होता हुआ नज़र आने लगा जो कि
मैंने घर से आते ही वक़्त बनाया था.. जिसकी सम्पूर्ण
जानकारी सिर्फ रूचि को ही थी.. लेकिन प्लान क्या था..
इसके लिए अभी थोड़ा और इंतज़ार कीजिएगा.