Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
Posted: 13 Jan 2016 09:01
मेरी उम्र अब 28 है मेरा कद पांच फिट नौ इंच है और शरीर की बनावट औसत है।
मेरे लण्ड का नाप 6.5 इंच है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्नातकी के दूसरे वर्ष में था।
तभी मेरी मुलाकात मेरे कॉलेज में पढ़ने वाले विनोद से हुई, वो मेरी ही क्लास में पढ़ता था।
मुझे पता चला कि वो मेरे ही घर के पास, लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर रहता है।
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती गई और हम अक्सर साथ में मूवी देखने और घूमने जाने लगे।
जब हम स्नातक के तीसरे वर्ष में पहुँचे तो मेरे और उसके बीच की दोस्ती इतनी बढ़ गई कि लोग हमसे जलते थे।
एक दिन अचानक मेरी मुलाकात उसके घर के पास हुई और वो मुझे अपने घर चलने के लिए जिद करने लगा।
मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मैं इसके पहले कभी भी उसके घर नहीं गया था, तो मैं भी उसके घर वालों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक था।
जब हम घर पहुँचे तो दरवाजा आंटी जी ने खोला। जैसे ही गेट खुला वैसे ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
क्या सौंदर्य था उसका.. मैं उसे शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता।
तभी विनोद ने उनसे बोला- माँ.. यह राहुल है और हम काफी अच्छे दोस्त हैं।
तो उसकी माँ ने हमें अन्दर आने को बोला।
तब जाकर मुझे होश आया कि मैं अपने दोस्त के साथ हूँ और अपने सुनहरे सपनों से बाहर आते हुए मैंने बड़ी हड़बड़ाहट के साथ उनको ‘हैलो’ बोला और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ कर विनोद से बात करने लगा।
तभी अचानक मेरी नज़र उसकी बहन पर पड़ी जो कि मुझसे केवल 2 साल छोटी थी।
क्या बताऊँ.. उसकी माँ और उसकी बहन दोनों ही एक से बढ़ कर एक माल थीं।
फिर विनोद से मैंने उसके परिवार के बाकी लोगों के बारे में पूछा।
तो उसने बोला- हम चार लोग है मैं, बहन और मेरे माता-पिता।
उसके पिता का नाम घनश्याम है, माँ का नाम माया और बहन का नाम रूचि था।
ये सभी काल्पनिक नाम हैं।
तभी उसकी माँ मेरे और विनोद के लिए चाय लाई और मेरी तरफ कप बढ़ाने के लिए जैसे ही झुकी कि अचानक उसका पल्लू नीचे गिर गया, जिससे उसके 40 नाप के मखमली मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गए और मैं उन्हें देखता ही रह गया।
मेरा मन तो किया कि इन्हें पकड़ कर अभी इसका सारा रस चूस कर गुठली बना दूँ।
लेकिन मेरी इच्छा दबी रह गई क्योंकि मेरा दोस्त भी साथ में था और हम काफी अच्छे दोस्त थे।
मेरे दोस्त की माँ दिखने में बहुत ही आकर्षक और जवान हुस्न की मल्लिका थी।
उसकी उम्र उस समय लगभग 40 या 42 होगी, लेकिन वो अपने आपको इतना संवार कर रखे हुए थी कि लगता ही नहीं था कि वो दो बच्चों की माँ भी है।
वो तो बस 30 की ही लग रही थी।
उसके लम्बे काले बाल उसके नितम्बों तक आते थे और उसके नितम्ब इतने अच्छे आकार में थे कि अच्छे-अच्छों का लौड़ा खड़ा कर दे, फिर मैं क्या था?
फिर उन्होंने पल्लू सही करते हुए मेरी ओर कप लेने का इशारा किया तो मैंने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया, उनका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया।
हाय… क्या मुलायम हाथ थे।
उनके स्पर्श मात्र से मेरे बदन में एक बिजली सी दौड़ गई और अचानक मेरा लौड़ा तनाव में आने लगा।
खैर.. जैसे-तैसे मैंने खुद पर संयम किया लेकिन उसकी माँ ने मेरे खड़े लण्ड को देख लिया और एक मुस्कान छोड़ कर वहाँ से चली गई।
फिर मेरी और विनोद की बातचीत सामान्य तरीके से होने लगी।
उसने बताया उसके पिता सरकारी नौकरी करते हैं और हफ्ते में कभी-कभार ही अपने परिवार के साथ रह पाते हैं।
उसकी बहन जो बारहवीं क्लास में पढ़ रही थी।
मैं आपको रूचि के बारे मैं बताना ही भूल गया।
आज तो उसकी शादी को दो साल हो गए, पर उस समय वो केवल 19 साल की थी।
जब मैंने उसे पहली बार देखा था और देखता ही रह गया था।
वो परी की तरह दिखती थी उसके लम्बे बाल, कमर तक थे।
उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, उस समय उसके स्तन 32 इंच के रहे होंगे।
मतलब उसका हुस्न क़यामत ढहाने के लिए काफी था।
उसका साइज 32-27-32 था।
उसको मैंने कैसे चोदा, यह बाद में बताऊँगा।
फिर हमने चाय खत्म की और मैं उसके घर से सीधे अपने घर की ओर चल दिया।
मेरे लण्ड का नाप 6.5 इंच है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्नातकी के दूसरे वर्ष में था।
तभी मेरी मुलाकात मेरे कॉलेज में पढ़ने वाले विनोद से हुई, वो मेरी ही क्लास में पढ़ता था।
मुझे पता चला कि वो मेरे ही घर के पास, लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर रहता है।
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती गई और हम अक्सर साथ में मूवी देखने और घूमने जाने लगे।
जब हम स्नातक के तीसरे वर्ष में पहुँचे तो मेरे और उसके बीच की दोस्ती इतनी बढ़ गई कि लोग हमसे जलते थे।
एक दिन अचानक मेरी मुलाकात उसके घर के पास हुई और वो मुझे अपने घर चलने के लिए जिद करने लगा।
मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मैं इसके पहले कभी भी उसके घर नहीं गया था, तो मैं भी उसके घर वालों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक था।
जब हम घर पहुँचे तो दरवाजा आंटी जी ने खोला। जैसे ही गेट खुला वैसे ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
क्या सौंदर्य था उसका.. मैं उसे शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता।
तभी विनोद ने उनसे बोला- माँ.. यह राहुल है और हम काफी अच्छे दोस्त हैं।
तो उसकी माँ ने हमें अन्दर आने को बोला।
तब जाकर मुझे होश आया कि मैं अपने दोस्त के साथ हूँ और अपने सुनहरे सपनों से बाहर आते हुए मैंने बड़ी हड़बड़ाहट के साथ उनको ‘हैलो’ बोला और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ कर विनोद से बात करने लगा।
तभी अचानक मेरी नज़र उसकी बहन पर पड़ी जो कि मुझसे केवल 2 साल छोटी थी।
क्या बताऊँ.. उसकी माँ और उसकी बहन दोनों ही एक से बढ़ कर एक माल थीं।
फिर विनोद से मैंने उसके परिवार के बाकी लोगों के बारे में पूछा।
तो उसने बोला- हम चार लोग है मैं, बहन और मेरे माता-पिता।
उसके पिता का नाम घनश्याम है, माँ का नाम माया और बहन का नाम रूचि था।
ये सभी काल्पनिक नाम हैं।
तभी उसकी माँ मेरे और विनोद के लिए चाय लाई और मेरी तरफ कप बढ़ाने के लिए जैसे ही झुकी कि अचानक उसका पल्लू नीचे गिर गया, जिससे उसके 40 नाप के मखमली मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गए और मैं उन्हें देखता ही रह गया।
मेरा मन तो किया कि इन्हें पकड़ कर अभी इसका सारा रस चूस कर गुठली बना दूँ।
लेकिन मेरी इच्छा दबी रह गई क्योंकि मेरा दोस्त भी साथ में था और हम काफी अच्छे दोस्त थे।
मेरे दोस्त की माँ दिखने में बहुत ही आकर्षक और जवान हुस्न की मल्लिका थी।
उसकी उम्र उस समय लगभग 40 या 42 होगी, लेकिन वो अपने आपको इतना संवार कर रखे हुए थी कि लगता ही नहीं था कि वो दो बच्चों की माँ भी है।
वो तो बस 30 की ही लग रही थी।
उसके लम्बे काले बाल उसके नितम्बों तक आते थे और उसके नितम्ब इतने अच्छे आकार में थे कि अच्छे-अच्छों का लौड़ा खड़ा कर दे, फिर मैं क्या था?
फिर उन्होंने पल्लू सही करते हुए मेरी ओर कप लेने का इशारा किया तो मैंने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया, उनका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया।
हाय… क्या मुलायम हाथ थे।
उनके स्पर्श मात्र से मेरे बदन में एक बिजली सी दौड़ गई और अचानक मेरा लौड़ा तनाव में आने लगा।
खैर.. जैसे-तैसे मैंने खुद पर संयम किया लेकिन उसकी माँ ने मेरे खड़े लण्ड को देख लिया और एक मुस्कान छोड़ कर वहाँ से चली गई।
फिर मेरी और विनोद की बातचीत सामान्य तरीके से होने लगी।
उसने बताया उसके पिता सरकारी नौकरी करते हैं और हफ्ते में कभी-कभार ही अपने परिवार के साथ रह पाते हैं।
उसकी बहन जो बारहवीं क्लास में पढ़ रही थी।
मैं आपको रूचि के बारे मैं बताना ही भूल गया।
आज तो उसकी शादी को दो साल हो गए, पर उस समय वो केवल 19 साल की थी।
जब मैंने उसे पहली बार देखा था और देखता ही रह गया था।
वो परी की तरह दिखती थी उसके लम्बे बाल, कमर तक थे।
उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, उस समय उसके स्तन 32 इंच के रहे होंगे।
मतलब उसका हुस्न क़यामत ढहाने के लिए काफी था।
उसका साइज 32-27-32 था।
उसको मैंने कैसे चोदा, यह बाद में बताऊँगा।
फिर हमने चाय खत्म की और मैं उसके घर से सीधे अपने घर की ओर चल दिया।