Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
Posted: 13 Jan 2016 09:04
फिर क्या था.. मैं भी माया को चोदने की इच्छा रखते हुए
बेसब्री के साथ उस दिन का इंतज़ार करने लगा।
इसी इन्तजार में धीरे-धीरे हफ्ता हो गया।
इस बीच मेरी और माया की लगभग रोज ही बात होती थी
और हम फ़ोन-सेक्स भी करते थे।
फिर एक दिन उसने मुझसे बोला- घर कल आना।
तो मैंने मना कर दिया और अपनी बात याद दिलाई कि जब
घर पर कोई नहीं होगा.. तभी मैं आऊँगा।
तो वो बोली- नहीं.. तुम कल ही आओ.. तुम्हें मेरी कसम।
मैं अब क्या करता.. उनका दिल तो रखना ही था.. तो मैंने
उन्हें आने को ‘हाँ’ बोल दिया।
दरअसल बात यह थी कि उनकी बेटी रूचि को बैंक का एग्जाम
देने के लिए अगले दिन दूसरे शहर जाना था..
तो वो और विनोद दोनों अगले दिन सुबह 9 बजे ट्रेन से दो दिन
के लिए जाने वाले थे.. जो मुझे नहीं मालूम था और माया मुझे
सरप्राइज़ देने के लिए यह बात नहीं बता रही थी कि कल से
वो 2 दिन के लिए घर पर अकेले ही रहेगी..
जो अगले दिन मुझे उनके घर जाने पर मालूम हुआ।
खैर.. जैसे-तैसे शाम हुई और मेरा मन उलझन में फंसता चला गया..
यह सोचकर कि अब कल क्या होगा..
मेरी इच्छा कल पूरी हो भी पाएगी या नहीं?
यही सोचते-सोचते कब रात हुई.. पता भी न चला।
मैं माया के ख्यालों में इस कदर खो जाऊँगा.. मुझे यकीन ही न
था।
फिर मैंने अपने परिवार के साथ डिनर किया और सीधे अपने
कमरे में जाकर आने वाले कल का बेसब्री के साथ इंतज़ार करते-
करते कब आँख लग गई.. पता ही न चला।
फिर मैं सुबह उठ कर अच्छे से तैयार होकर ढेर सारे अरमानों को
लिए उनके घर की ओर चल दिया।
मुझे क्या पता था कि आज मेरी इच्छा पूरी होने वाली है।
फिर थोड़ी ही देर में मैं उनके घर पहुँच गया.. तब तक मेरे फोन पर
विनोद की कॉल आ गई।
मैंने उससे बात की.. तो मुझे उसने बता दिया- आज मैं और रूचि
दो दिन के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं.. तुम माँ के हालचाल लेते
रहना.. अगर वो कोई मदद मांगें.. तो पूरी कर देना।
मैंने ‘ओके’ बोल कर फोन काट दिया और मन ही मन खुश हो
गया।
अब आगे मैंने सोचा कि मुझे कुछ मालूम ही नहीं है.. मुझे अब
ऐसी ही एक्टिंग करनी है।
देखते हैं… माया क्या करती है।
फिर मैंने दरवाजे की घन्टी बजाई…
तो थोड़ी देर बाद माया आई और उसने दरवाजा खोला।
जैसे ही दरवाजा खुला.. मेरा तो हाल बहुत ही खराब हो
गया।
वो आज इतनी गजब की लग रही थी जो कि मैंने सपने में भी
नहीं सोचा था।
बिल्कुल किसी एक्ट्रेस की तरह उसने आज काले रंग का
अनारकली सूट पहन रखा था..
बालों को खोल कर हेयरपिन से बाँधा हुआ था..
जो कि उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाने के लिए काफी
थे।
शायद आंटी काफी फैशनेबुल थीं.. बाकायदा मेकअप वगैरह सब
कर रखा था।
उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये 40 वर्ष की हैं और दो
बच्चों की माँ है।
मैं तो उनको आँखें फाड़े देखता ही रहा।
फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ते हुए.. मुझसे बोला- कहाँ खो
गए?
तो मैं अपने आपको सम्हाल.. नहीं पाया मेरी हालत ऐसी हो
गई.. जैसे मैं अभी नींद से जागा हूँ…
मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरा नया फ़ोन जो कि मेरी बर्थ-डे
पर मेरे पापा ने गिफ्ट किया था… अचानक गिर गया.. जिससे
उसका डिस्प्ले ख़राब हो गया, पर मैंने मन में सोचा होगा कि
इसे तो बाद में देखेंगे और जेब में डाल लिया।
फिर उन्होंने मुझे अपने कमरे में जाने को बोला और खुद चाय के
लिए रसोई की तरफ चल दी।
तो मैंने बोला- यहीं पर ही बैठता हूँ.. कोई आ गया तो मैं क्या
बोलूँगा?
तो वो हँसती हुई बोली- तू डरता क्यों है.. कोई नहीं है घर पर…
जो कि अब मुझे पता था.. पर मैं नाटक कर रहा था।
फिर उन्होंने बोला- अब अन्दर जा.. मैं चाय ले कर आती हूँ।
फिर मैं अपनी दबी हुई ख़ुशी के साथ उनके कमरे की ओर चल
दिया..
जहाँ मैंने देखा काफी अच्छा और बड़ा सा डबल-बेड पड़ा
था.. उस पर डनलप का गद्दा और अच्छी सी कॉटन की चादर
बिछी हुई थी..
काफी अच्छा कमरा था। फिर बिस्तर के बगल वाली टेबल पर
बड़ा सा शीशा लगा था.. टेबल पर जैतून के तेल की बोतल देख
कर मैं समझ गया कि बेटा राहुल आज तेरी इच्छा जरूर पूरी
होगी।
फिर मैं उनके बिस्तर पर बैठ कर गहरी सोच में चला गया..
थोड़ी देर बाद माया आई और मुझे चाय देकर मेरे बगल में ही सट
कर बैठ गई.. जिससे उसके बदन की मादक महक मुझे तड़पाने
लगी।
उसके बदन की गर्मी से मेरा मन विचलित हो गया.. जिससे
मेरा लंड कब खड़ा हुआ.. मुझे पता ही न चला।
फिर मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वो हँसते हुए मुझे घूरे जा
रही थी।
तो मैंने बोला- तड़पा तो चुकी हो.. अब क्या मारने का
इरादा है?
इस पर वो मेरे मुँह पर ऊँगली रखते हुए बोली- ऐसा अब मत
बोलना.. क्योंकि जिससे प्यार होता है.. उसे कभी मारा
नहीं जा सकता।
इतना कह कर वो अपने मुलायम मखमली होंठों को मेरे होंठों
पर रख कर चूसने लगी।
मैं और वो दोनों कम से कम 10 मिनट तक एक-दूसरे को यूं ही
चूमते रहे।
फिर मैंने उससे अलग होते हुए कहा- आज नहीं.. कहीं कोई आ
गया
बेसब्री के साथ उस दिन का इंतज़ार करने लगा।
इसी इन्तजार में धीरे-धीरे हफ्ता हो गया।
इस बीच मेरी और माया की लगभग रोज ही बात होती थी
और हम फ़ोन-सेक्स भी करते थे।
फिर एक दिन उसने मुझसे बोला- घर कल आना।
तो मैंने मना कर दिया और अपनी बात याद दिलाई कि जब
घर पर कोई नहीं होगा.. तभी मैं आऊँगा।
तो वो बोली- नहीं.. तुम कल ही आओ.. तुम्हें मेरी कसम।
मैं अब क्या करता.. उनका दिल तो रखना ही था.. तो मैंने
उन्हें आने को ‘हाँ’ बोल दिया।
दरअसल बात यह थी कि उनकी बेटी रूचि को बैंक का एग्जाम
देने के लिए अगले दिन दूसरे शहर जाना था..
तो वो और विनोद दोनों अगले दिन सुबह 9 बजे ट्रेन से दो दिन
के लिए जाने वाले थे.. जो मुझे नहीं मालूम था और माया मुझे
सरप्राइज़ देने के लिए यह बात नहीं बता रही थी कि कल से
वो 2 दिन के लिए घर पर अकेले ही रहेगी..
जो अगले दिन मुझे उनके घर जाने पर मालूम हुआ।
खैर.. जैसे-तैसे शाम हुई और मेरा मन उलझन में फंसता चला गया..
यह सोचकर कि अब कल क्या होगा..
मेरी इच्छा कल पूरी हो भी पाएगी या नहीं?
यही सोचते-सोचते कब रात हुई.. पता भी न चला।
मैं माया के ख्यालों में इस कदर खो जाऊँगा.. मुझे यकीन ही न
था।
फिर मैंने अपने परिवार के साथ डिनर किया और सीधे अपने
कमरे में जाकर आने वाले कल का बेसब्री के साथ इंतज़ार करते-
करते कब आँख लग गई.. पता ही न चला।
फिर मैं सुबह उठ कर अच्छे से तैयार होकर ढेर सारे अरमानों को
लिए उनके घर की ओर चल दिया।
मुझे क्या पता था कि आज मेरी इच्छा पूरी होने वाली है।
फिर थोड़ी ही देर में मैं उनके घर पहुँच गया.. तब तक मेरे फोन पर
विनोद की कॉल आ गई।
मैंने उससे बात की.. तो मुझे उसने बता दिया- आज मैं और रूचि
दो दिन के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं.. तुम माँ के हालचाल लेते
रहना.. अगर वो कोई मदद मांगें.. तो पूरी कर देना।
मैंने ‘ओके’ बोल कर फोन काट दिया और मन ही मन खुश हो
गया।
अब आगे मैंने सोचा कि मुझे कुछ मालूम ही नहीं है.. मुझे अब
ऐसी ही एक्टिंग करनी है।
देखते हैं… माया क्या करती है।
फिर मैंने दरवाजे की घन्टी बजाई…
तो थोड़ी देर बाद माया आई और उसने दरवाजा खोला।
जैसे ही दरवाजा खुला.. मेरा तो हाल बहुत ही खराब हो
गया।
वो आज इतनी गजब की लग रही थी जो कि मैंने सपने में भी
नहीं सोचा था।
बिल्कुल किसी एक्ट्रेस की तरह उसने आज काले रंग का
अनारकली सूट पहन रखा था..
बालों को खोल कर हेयरपिन से बाँधा हुआ था..
जो कि उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाने के लिए काफी
थे।
शायद आंटी काफी फैशनेबुल थीं.. बाकायदा मेकअप वगैरह सब
कर रखा था।
उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये 40 वर्ष की हैं और दो
बच्चों की माँ है।
मैं तो उनको आँखें फाड़े देखता ही रहा।
फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ते हुए.. मुझसे बोला- कहाँ खो
गए?
तो मैं अपने आपको सम्हाल.. नहीं पाया मेरी हालत ऐसी हो
गई.. जैसे मैं अभी नींद से जागा हूँ…
मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरा नया फ़ोन जो कि मेरी बर्थ-डे
पर मेरे पापा ने गिफ्ट किया था… अचानक गिर गया.. जिससे
उसका डिस्प्ले ख़राब हो गया, पर मैंने मन में सोचा होगा कि
इसे तो बाद में देखेंगे और जेब में डाल लिया।
फिर उन्होंने मुझे अपने कमरे में जाने को बोला और खुद चाय के
लिए रसोई की तरफ चल दी।
तो मैंने बोला- यहीं पर ही बैठता हूँ.. कोई आ गया तो मैं क्या
बोलूँगा?
तो वो हँसती हुई बोली- तू डरता क्यों है.. कोई नहीं है घर पर…
जो कि अब मुझे पता था.. पर मैं नाटक कर रहा था।
फिर उन्होंने बोला- अब अन्दर जा.. मैं चाय ले कर आती हूँ।
फिर मैं अपनी दबी हुई ख़ुशी के साथ उनके कमरे की ओर चल
दिया..
जहाँ मैंने देखा काफी अच्छा और बड़ा सा डबल-बेड पड़ा
था.. उस पर डनलप का गद्दा और अच्छी सी कॉटन की चादर
बिछी हुई थी..
काफी अच्छा कमरा था। फिर बिस्तर के बगल वाली टेबल पर
बड़ा सा शीशा लगा था.. टेबल पर जैतून के तेल की बोतल देख
कर मैं समझ गया कि बेटा राहुल आज तेरी इच्छा जरूर पूरी
होगी।
फिर मैं उनके बिस्तर पर बैठ कर गहरी सोच में चला गया..
थोड़ी देर बाद माया आई और मुझे चाय देकर मेरे बगल में ही सट
कर बैठ गई.. जिससे उसके बदन की मादक महक मुझे तड़पाने
लगी।
उसके बदन की गर्मी से मेरा मन विचलित हो गया.. जिससे
मेरा लंड कब खड़ा हुआ.. मुझे पता ही न चला।
फिर मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वो हँसते हुए मुझे घूरे जा
रही थी।
तो मैंने बोला- तड़पा तो चुकी हो.. अब क्या मारने का
इरादा है?
इस पर वो मेरे मुँह पर ऊँगली रखते हुए बोली- ऐसा अब मत
बोलना.. क्योंकि जिससे प्यार होता है.. उसे कभी मारा
नहीं जा सकता।
इतना कह कर वो अपने मुलायम मखमली होंठों को मेरे होंठों
पर रख कर चूसने लगी।
मैं और वो दोनों कम से कम 10 मिनट तक एक-दूसरे को यूं ही
चूमते रहे।
फिर मैंने उससे अलग होते हुए कहा- आज नहीं.. कहीं कोई आ
गया