ससुराल में सुहागरात compleet

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raj..
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Re: ससुराल में सुहागरात

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 19:28

“ठीक है जीजू,” कह कर डॉली चली गयी और फिर थोड़ी देर मे एक कटोरी मे तेल लेकर वापस आ गयी. वो बिस्तर पर बैठ गयी और मेरी दाहिनी टाँग से लूँगी घुटने तक उठा कर मालिश करने लगी. अपनी साली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर मेरा लॅंड तुरंत ही कठोर होकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद मैने कहा, “. डॉली ज़्यादा दर्द तो जाँघो मे है. थोड़ा घुटने के उपर भी तेल मालिश कर दे.” “जी जीजू” कह कर डॉली ने लूँगी को जाँघो पर से हटाना चाहा. तभी जानबूझ कर मैने अपना बाया पैर उपर उठाया जिससे मेरा फुनफूनाया हुआ खड़ा लॅंड लूँगी के बाहर हो गया. मेरे लॅंड पर नज़र पड़ते ही डॉली सकपका गयी. कुछ देर तक वा मेरे लॅंड को कनखियो से देखती रही.. फिर उसे लूँगी से ढकने की कोशिश करने लगी. लेकिन लूँगी मेरी टाँगो से दबी हुई थी इसलिए वो उसे धक नही पाई. मैने मौका देख कर पूछा, “क्या हुआ डॉली?” “जी जीजू. आपका अंग दिख रहा है.” डॉली ने सकुचाते हुए कहा “अंग, कौन सा अंग?” मैने अंजान बन कर पूच्छा. जब डॉली ने कोई जवाब नही दिया तो मैने अंदाज से अपने लॅंड पर हाथ रखते हुए कहा, “अरी! ये कैसे बाहर निकल गया?” फिर मैने कहा, “साली जब तुमने देख ही लिया तो क्या शरमाना, थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो.” मेरी बात सुन कर डॉली घबरा गयी और शरमाते हुए बोली, “जीजू, कैसी बात करते है, जल्दी से ढाकिये इसे.” “देखो डॉली ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुछ सेवा होनी चाहिए ना.इसमे ही तो काफ़ी दर्द है? इस की भी मालिश करदो. मैने इतनी बात बड़े ही मासूमियता से कह डाली. “लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हू. मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,” “ठीक है डॉली, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नही समझ सकती और पाप – पुन्य की बात करती हो तो जाने दो.” मैने उदासी भरे स्वर मे कहा. मैं आपको दुखी नही देख सकती जीजू. आप जो कहेंगे, मैं कारूगी.” मुझे उदास होते देख कर डॉली भावुक हो गयी थी.. उसने अपने हाथो मे तेल चिपॉड कर मेरे खड़े लॅंड को पकड़ लिया. अपने लॅंड पर डॉली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर, वासना की आग मे जलते हुए मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी दौड़ गयी. मैने डॉली की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया. ” बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो. बहुत आराम मिल रहा है.” मैने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा.. थोड़ी ही देर मे मेरा पूरा जिस्म वासना की आग मे जलाने लगा. मेरा मन बेकाबू हो गया. मैने डॉली की बाह पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया. उसकी दोनो चूचिया मेरी छाती से चिपक गयी. मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियो मे लेकर उसके होंठो को चूमने लगा. डॉली को मेरा यह प्यार शायद समझ मे नही आया.वो कसमसा कर मुझसे अलग होते हुए बोली. “जीजू ये आप क्या कर रहे है?” डॉली आज मुझे मत रोको. आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो.” देखो तुम भी प्यासी हो मैं जानता हूँ.तुम भी अपने पति से काफ़ी समय से दूर रहेती हो. ” लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?” डॉली ने आश्चर्या से पूछा. “साली तो आधी घर वाली होती है और जब तुमने घर सम्हाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो. मैं औरो की बात नही जानता, पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हू. तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हू. प्लीज़ आज मुझे मत रोको डॉली.” मैने अनुरोध भरे स्वर मे कहा. ” मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है”, डॉली ने कहा. “पाप-पुन्य सब बेकार की बाते हैं साली. जिस काम से दोनो को सुख मिले और किसी का नुकसान ना हो वो पाप कैसे हो सकता है? ” वो बोली पर जीजू अगर किसी को पता चल गया तो गजब हो जाएगा.मैने कहा “यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा”, मैने उसे भरोसा दिलाया. डॉली कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैने पूछा, “बोलो साली, क्या कहती हो?” “ठीक है जीजू, आप जो चाहे कीजिए. मैं सिर्फ़ आपकी खुशी चाहती हू.” मेरी साली का चेहरा शर्म से और मस्ती से लाल हो रहा था. डॉली की स्वीक्रति मिलते ही मैने उसके नाज़ुक बदन को अपनी बाहो मे भींच लीया और उसके पतले पतले गुलाबी होंठो को चूसने लगा. मैं अपने एक हाथ को उसके टी-शर्ट के अंदर डाल कर उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियो को हल्के हल्के सहलाने लगा. फिर उसके निप्पल को चुटकी मे लेकर मसलने लगा. थोड़ी ही देर मे डॉली को भी मज़ा आने लगा और वो शी….शी. .ई.. करने लगी. “मज़ा आ रहा है जीजू…. आ… और कीजीए बहुत अच्छा लग रहा है.” अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया. हल्के विरोध के बावजूद मैने डॉली की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मूह मे लेकर चूसने लगा. दूसरी चूची को मैं हाथो मे लेकर धीरे धीरे दबा रहा था. डॉली को अब पूरा मज़ा आने लगा था. वह धीरे धीरे बुदबुदाने लगी. “ओह. आ… मज़ा आ रहा है जीजू..और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूची को चूसिए.. अयाया…आपने ये क्या कर दिया? ओह… जीजू.” अपनी साली को पूरी तरह से मस्त होती देख कर मेरा हौसला बढ़ गया. मैने कहा, “डॉली मज़ा आ रहा है ना?” “हा जीजू बहुत मज़ा आ रहा है. आप बहुत अच्छी तराहा से चूची चूस रहे है.ईईईई हाय्ी ललिता तो पागल है हेय बड़ा मज़ा आ रहा हाईईईईईई.” डॉली ने मस्ती मे कहा. “अब तुम मेरा लॅंड मूह मे लेकर चूसो, और ज़्यादा मज़ा आएगा”, मैने डॉली से कहा. “ठीक है जीजू. ” वो मेरे लॅंड को मूह मे लेने के लिए अपनी गर्दन को झुकाने लगी तो मैने उसकी बाह पकड़ कर उसे इस तरह लिटा दिया कि उसका चेहरा मेरे लॅंड के पास और उसके चूतड़ मेरे चेहरे की तरफ हो गये. वो मेरे लॅंड को मूह मे लेकर आइसक्रीम की तरह मज़े से चूसने लगी. उसने पहेले ही अपनी सोतेली मा को इस मूसल से चुद्ते हुए देखा था इस लिए उसे डर नही लग रहा था.मेरे पूरे शरीर मे हाई वोल्टेज का करंट दौड़ने लगा.

क्रमशः…………………………….

raj..
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Re: ससुराल में सुहागरात

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 19:29

ससुराल में सुहागरात --3

गतान्क से आगे............……………………………….

मैं मस्ती मे बड़बड़ाने लगा. “हां डॉली, हां.. शाबाश.. बहुत अच्छा चूस रही हो, ..और अंदर लेकर चूसो.” डॉली और तेज़ी से लंड को मूह के अंदर बाहर करने लगी. मैं समझ गया वो कितनी प्यासी होगी.मैं मस्ती मे पागल होने लगा. मैने उसकी स्कर्ट और चड्धी दोनो को एक साथ खींच कर टाँगो से बाहर निकाल कर अपनी साली को पूरी तरह नंगी कर दिया और फिर उसकी टाँगो को फैला कर उसकी चूत को देखने लगा. वाह! क्या चूत थी, बिल्कुल मक्खन की तरह चिकनी और मुलायम. उसकी चूत पर झांन्टो का नामो निशान नही था.लगता था कल कि चुदाई देख कर वो मतवाली हो चुकी थी ओर अपनी चूत को नहाते वक्त ही क्लीन की होगी. मैने अपना चेहरा उसकी जाँघो के बीच घुसा दिया और उसकी नन्ही सी बुर पर अपनी जीभ फेरने लगा. चूत पर मेरी जीभ की रगड़ से डॉली का शरीर गनगना गया. उसका जिस्म मस्ती मे कापने लगा. वह बोल उठी. “हाय जीजू…. ये आप क्या कर रहे है… मेरी चूत क्यो चाट रहे है…आह… मैं पागल हो जाऊंगी… ओह…. मेरे अच्छे जीजू… हाय…. मुझे ये क्या होता जा रहा है.” डॉली मस्ती मे अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करते हुए मेरे लंड को चूस रही. उसके मूह से थूक निकल कर मेरी जाँघो को गीला कर रहा था. मैने भी चाट-चाट कर उसकी चूत को थूक से तर कर दिया था. करीब 10 मिनट तक हम जीजा- साली ऐसे ही एक दूसरे को चूसते चाटते रहे. हम लोगो का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था. अब मुझसे सहा नही जा रहा था. मैने कहा. ” डॉली साली अब और बर्दाश्त नही होता.. तू सीधी होकर, अपनी टांगे फैला कर लेट जा. अब मैं तुम्हारी चूत मे लंड घुसा कर तुम्हे चोदना चाहता हू.” मेरी इस बात को सुन कर डॉली डर गयी.. उसने अपनी टांगे सिकोड कर अपनी बुर को च्छूपा लिया और घबरा कर बोली. “नही जीजू, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए. मेरी चूत अभी बहुत छ्होटी है और आपका लंड बहुत लंबा और मोटा है. मेरी बूर फट जाएगी और मैं मर जाऊंगी. “मैने कहा डर क्यों रही हो तुम तो शादी शुदा हो.अपने पति का लंड खा चुकी हो. वो डरते हुए बोली जीजू उनका इतना बड़ा नही था आप का तो.मैने कहा बड़ा छ्होटा कुछ नही होता लंड अपनी जगह खुद बना लेता है. “प्लीज़ इस ख़याल को अपने दिमाग़ से निकाल दीजिए. डरने की कोई बात नही है डॉली. मैं तुम्हारा जीजा हू और तुम्हे बहुत प्यार करता हू. मेरा विश्वास करो मैं बड़े ही प्यार से धीरे धीरे चोदुन्गा और तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा”, मैने उसके चेहरे को हाथो मे लेकर उसके होटो पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए कहा.. “लेकिन जीजू, आपका इतना मोटा लंड मेरी छ्होटी सी बुर मे कैसे घुसेगा? ” डॉली ने घबराए हुए स्वर मे पूछा. “इसकी चिंता तुम छोड़ दो डॉली और अपने जीजू पर भरोसा रखो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा.” मैने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया.” “मुझे आप पर पूरा भरोसा है जीजू, फिर भी बहुत डर लग रहा है. पता नही क्या होने वाला है.” डॉली का डर कम नही हो पा रहा था. मैने उसे फिर से धाँढस दिया. “मेरी प्यारी साली, अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ. मैं तुम्हे बहुत प्यार से चोदून्गा. बहुत मज़ा आएगा.” “ठीक है जीजू, अब मेरी जान आपके हाथो मे है”, डॉली इतना कहकर पलंग पर सीधी होकर लेट गयी लेकिन उसके चेहरे से भय सॉफ झलक रहा था. मैने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठाई. फिर उसकी दोनो टाँगो को खींच कर पलंग से बाहर लटका दिया. डॉली डर के मारे अपनी चूत को जाँघो के बीच दबा कर छुपाने की कोशिश कर रही थी. मैने उन्हे फैला कर चौड़ा कर दिया और उसकी टाँगो के बीच खड़ा हो गया. आब मेरा तना हुआ लंड डॉली की छ्होटी सी नाज़ुक चूत के करीब हिचकोले मार रहा था. मैने धीरे से वैसलीन लेकर उसकी चूत मे और अपने लंड पर चिपॉड ली ताकि लंड घुसाने मे आसानी हो. सारा मामला सेट हो चुका था.. अपनी कमसिन साली की मक्खन जैसी नाज़ुक बूर को चोदने का मेरा बरसो पुराना ख्वाब पूरा होने वाला था. मैं अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा. कठोर लंड की रगड़ खाकर थोड़ी ही देर मे डॉली की फुददी (क्लाइटॉरिस) कड़ी हो कर तन गयी. वो मस्ती मे कापने लगी और अपने चूतड़ को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी. “बहुत अच्छा लग रहा है जीजू……. ओ..ऊ… ओ..ऊओह ..आ बहुत मज़ा आआअरहा है… और रगड़िए जीजू…तेज तेज रगड़िए…. ” वो मस्ती से पागल होने लगी थी और अपने ही हाथो से अपनी चूचियो को मसलने लगी थी. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था. मैं बोला, “मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है साली. बस ऐसे ही साथ देती रहो. आज मैं तुम्हे चोदकर पूरी औरत बना दूँगा.” मैं अपना लंड वैसे ही लगातार उसकी चूत पर रगड़ता जा रहा था. वो फिर बोलने लगी. “हाय जीजू जी….ये आपने क्या कर दिया……ऊऊओ….मेरे पूरे बदन मे करंट दौड़ रहा है……..मेरी चूत के अंदर आग लगी हुई है जीजू…. अब सहा नही आता… ऊवू जीजू जी… मेरे अच्छे जीजू…. कुछ कीजिए ना.. मेरे चूत की आग बुझा दीजिए….अपना लंड मेरी बुर मे घुसा कर चोदिए जीजू…प्लीज़… जीजू…चोदो मेरी चूत को.” “लेकिन डॉली, तुम तो कह रही थी कि मेरा लंड बहुत मोटा है, तुम्हारी बुर फट जाएगी. अब क्या हो गया?” ” मैने यू ही प्रश्न किया.ओह जीजू, मुझे क्या मालूम था कि चुदाई मे इतना मज़ा आता है. आआआः अब और बर्दाश्त नही होता.” डॉली अपनी कमर को उठा-उठा कर पटक रही थी. “हाई जीजू….. ऊऊऊः… आग लगी है मेरी चूत के अंदर .. अब देर मत कीजिए…. अब लंड घुसा कर चोदिए अपनी साली को… घुसेड दीजीये अपने लंड को मेरी बुर के अंदर… फट जाने दीजिए इसको ….कुछ भी हो जाए मगर चोदिए मुझे ” डॉली पागलो की तरह बड़बड़ाने लगी थी. मैं समझ गया, लोहा गरम है इसी समय चोट करना ठीक रहेगा.” मैने अपने फनफनाए हुए कठोर लंड को उसकी चूत के छोटे से छेद पर अच्छी तरह सेट किया. उसकी टाँगो को अपने पेट से सटा कर अच्छी तरह जाकड़ लिया और एक ज़ोर दार धक्का मारा.अचानक डॉली के गले से एक तेज चीख निकली. “आआआआः. ….बाप रीईईई… मर गयी मैं…. निकालो जीजू….बहुत दर्द हो रहा है….बस करो जीजू… नही चुदवाना है मुझे….मेरी चूत फट गयी जीजू… छोड़ दीजिए मुझे अब…मेरी जान निकल रही है.” डॉली दर्द से बेहाल होकर रोने लगी थी. मैने देखा, मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत को फाड़ कर अंदर घुस गया था. और अंदर से खून भी निकल रहा था. अपनी दुलारी साली को दर्द से बिलबिलाते देख कर मुझे दया तो बहुत आई लेकिन मैने सोचा अगर इस हालत मे मैं उसे छोड़ दूँगा तो वो दुबारा फिर कभी इसके लिए राज़ी नही होगी. मैने उसे हौसला देते हुए कहा. “बस साली थोड़ा और दर्द सह लो. पहली बार चुदवाने मे दर्द तो सहना ही पड़ता है. एक बार रास्ता खुल गया तो फिर मज़ा ही मज़ा है.” मैं डॉली को धीरज देने की कोशिश कर रहा था मगर वो दर्द से छटपटा रही थी. “मैं मर जाऊंगी जीजू… प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए…बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है.. प्लीज़ जीजू…..निकाल लीजिए अपना लंड”, डॉली ने गिड़गिदाते हुए अनुरोध किया. लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुमकिन नही था. मेरी साली डॉली दर्द से रोती बिलखती रही और मैं उसकी टाँगो को कस कर पकड़े हुए अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा. थोड़ी थोड़ी देर पर मैं लंड का दबाव थोड़ा बढ़ा देता था ताकि वो थोड़ा और अंदर चला जाए. इस तरह से डॉली तकरीबन 15 मिनट तक तड़पती रही और मैं लगातार धक्के लगाता रहा. कुछ देर बाद मैने महसूस किया कि मेरी साली का दर्द कुछ कम हो रहा था. दर्द के साथ साथ अब उसे मज़ा भी आने लगा था क्योकि अब वह अपने चूतड़ को बड़े ही लय-ताल मे उपर नीचे करने लगी थी. उसके मूह से अब कराह के साथ साथ सिसकारी भी निकलने लगी थी. मैने पूछा. “क्यो साली, अब कैसा लग रहा है? क्या दर्द कुछ कम हुआ?” “हां जीजू, अब थोड़ा थोड़ा अच्छा लग रहा है. बस धीरे धीरे धक्के लगाते रहिए. ज़्यादा अंदर मत घुसाईएगा. बहुत दुखता है.” डॉली ने हान्फ्ते हुए स्वर मे कहा. “ठीक है साली, तुम अब चिंता छोड़ दो. अब चुदाई का असली मज़ा आएगा.” मैं हौले हौले धक्के लगाता रहा. कुछ ही देर बाद डॉली की चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी.. मेरा लंड भी अब कुछ आराम से अंदर बाहर होने लगा. हर धक्के के साथ फॅक-फॅक की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. मुझे भी अब ज़्यादा मज़ा मिलने लगा था. डॉली भी मस्त हो कर चुदाई मे मेरा सहयोग देने लगी थी. वो बोल रही थी, “आअब अच्छा लग रहा है जीजू, अब मज़ा आ रहा है.ओह जीजू…ऐसे ही चोदते रहिए….और अंदर घुसा कर चोदिए जीजू….आह आपका लंड बहुत मस्त है जीजू जी….बहुत सुख दे रहा है.” डॉली मस्ती मे बड़बदाए जा रही थी. मुझे भी बहुत आराम मिल रहा था. मैने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. तेज़ी से धक्के लगाने लगा. अब मेरा लगभग पूरा लंड डॉली की चूत मे जा रहा था मैं भी मस्ती के सातवे आसमान पर पहुच गया और मेरे मूह से मस्ती के शब्द फूटने लगे. ” हाई डॉली, मेरी प्यारी साली, मेरी जान….आज तुमने मुझ से चुदवा कर बहुत बड़ा उपकार किया है…हां….साली…तुम्हारी चूत बहुत टाइट है….बहुत मस्त है…तुम्हारी चूची भी बहुत कसी कसी है.ओह्ह…बहुत मज़ा आ रहा है.” डॉली अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदाई मे मेरी मदद कर रही थी. हम दोनो जीजा साली मस्ती की बुलंदियो को छू रहे थे. तभी डॉली चिल्लाई, “जीजू…. मुझे कुछ हो रहा है…..आ हह…जीजू….. मेरे अंदर से कुछ निकल रहा है….ऊहह….जीजू….मज़ा आ गया….ह….उई… माअं….” डॉली अपनी कमर उठा कर मेरे पूरे लंड को अपनी बूर के अंदर समा लेने की कोशिश करने लगी. मैं समझ गया कि मेरी साली का क्लाइमॅक्स आ गया है. वह झाड़ रही थी. मुझ से भी अब और सहना मुश्किल हो रहा था. मैं खूब तेज-तेज धक्के मार कर उसे चोदने लगा और थोड़ी ही देर मे हम जीजा साली एक साथ स्खलित हो गये. मेरा ढेर सारा वीर्य डॉली की चूत मे पिचकारी की तरह निकल कर भर गया.. मैं उसके उपर लेट कर चिपक गया. डॉली ने मुझे अपनी बाँहो मे कस कर जाकड़ लिया. कुछ देर तक हम दोनो जीजा-साली ऐसे ही एक दूसरे के नंगे बदन से चिपके हान्फ्ते रहे. जब साँसे कुछ काबू मे हुई तो डॉली ने मेरे होटो पर एक प्यार भरा चुंबन लेकर पूछा, “जीजू, आज आपने अपनी साली को वो सुख दिया है जिसके बारे मे मैं बिल्कुल अंजान थी. अब मुझे इसी तरह रोज चोदियेगा. ठीक है ना जीजू?” मैने उसकी चूचियो को चूमते हुए जबाब दिया, “आज तुम्हे चोद्कर जो सुख मिला है वो तुम्हारी अम्मा को चोद्कर भी नही मिला….तुमने आज अपने जीजू को तृप्त कर दिया.” वह भी बड़ी खुश हुई और कहने लगी, “आप ने मुझे आज बता दिया कि औरत और मर्द का क्या संबंध होता है.”मनोज(उसका पति ) ने मुझे कभी ये सुख नही दिया.वो तो अपने छ्होटे लंड से कुछ ही देर मे झाड़ जाता था. वह मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मैं उसकी रेशमी ज़ुल्फो से खेल रहा था. डॉली ने मेरा लंड को हाथ से पकड़ लिया. उसके हाथो के सपर्श से फिर मेरा लंड खड़ा होने लगा, फिर से मेरे मे काम वासना जागृत होने लगी.

क्रमशः……………………….

raj..
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Re: ससुराल में सुहागरात

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 19:29

ससुराल में सुहागरात --4

गतान्क से आगे............……………………………….

जब फिर उफान पर आ गया तो मैने अपनी साली से कहा “पेट के बल लेट जाओ.” उसने कहा, “क्यूँ जीजू? मैने कहा, “इस बार तेरी गांद मारनी है.” वह सकपका गयी और कहने लगी, “कल मार लेना.” मैने कहा, “आअज सब को मार लेने दो कल पता नही में रहूं कि ना आ रहूं.” यह सुनते ही उसने मेरा मूह बंद कर लिया और कहा, “आप नही रहेंगे तो मैं जीकर क्या करूँगी?” वह पेट के बल लेट गयी. मैने उसकी चूतर के होल पर वसलीन लगाया और अपने लंड पर भी, और धीरे से उसकी नाज़ुक गांद के होल मे डाल दिया. वह दर्द के मारे चिल्लाने लगी और कहने लगी, “निकालिए बहुत दर्द हो रहा है”. मैने कहा, “स्सबर करो दर्द थोड़ी देर मे गायब हो जाएगा.” उसकी गांद फॅट चुकी थी और खून भी बह रहा था. लेकिन मुझपर तो वासना की आग लगी थी. मैने एक और झटका मारा और मेरा पूरा लंड उसकी गांद मे घुस गया .. मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. उसका दर्द भी कम होने लगा. फिर हम मस्ती मे खो गये. कुछ देर बाद हम झाड़ गये. मैने लंड को उसकी गांद से निकालने के बाद उसको बाँहो मे लिया और लेट गया . हम दोनो काफ़ी थक गये थे. बहुत देर तक हम जीजा साली एक दूसरे को चूमते-चाटते और बाते करते रहे और कब नींद के आगोश मे चले गये पता ही नही चला. सुबह जब मेरी आँखें खुली मैने देखा साली मेरे नंगे जिस्म से चिपकी हुई है. मैने उसको धीरे से हटा कर सीधा किया, उसकी फूली हुई चूत और सूजी हुई गांद पर नज़र पड़ी, रात भर की चुदाई से दोनो काफ़ी फूल गयी थी. बिस्तर पर खून भी पड़ा था जो साली की चूत और गांद से निकाला था. मैं समझ गया वो शादी के बाद भी वर्जिन ही थी. मेरी साली अब वर्जिन नही रही. नंगे बदन को देखते ही फिर मेरी काम अग्नि बढ़ गयी. धीरे से मैने उसके गुलाबी चूत को अपने होटो से चूमने लगा. चूत पर मेरे मूह का स्पर्श होते ही वह धीरे धीरे नींद से जागने लगी. उसने मुझे चूत को बेतहासा चूमता देख शरम से आँखें बंद कर ली और कहा, “समझ गयी फिर रात का खेल होगा फिर जीजा साली का प्यार होगा. मैं उसे फिर चोदने लगा.इस बात से अंजान की द्वार पर खड़ी मेरी सास ओर बीवी दोनो इस चुदाई को देख रही थी.इस बार मैने करीबन1 घंटे उसकी जबरदस्त चुदाई की तब कही मेरा वीर्य निकल पाया. उसकी चूत ओर गांद दोनो सूज कर लाल हो चुकी थी.ललिता मस्ती से इस चुदाई को देख रही थी.मैं जब झाड़ कर उसके उपर से उठा तो वो बिल्कुल लस्त पड़ी हुई हाँफ रही थी.उसकी उठने की हिम्मत नही हो रही थी. मैं उठ कर बाथरूम चला गया.रूपा अपनी बेटी को समझा रही थी पर वो अब भी डर रही थी.ललिता बे सक डॉली से नाज़ुक थी ओर उमर भी क्या थी? अभी वो कमसिन ही तो थी.जब मैं लौटा बाथरूम से तो वो ललिता की चूंचियों को दबाते हुए उसे चूम रही थी.मैने कहा ये क्या कर रही हो? वो बोली राज तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवी को तैयार कर रही हूँ.इसे पहेले ओरल सेक्स का मज़ा दूँगी फिर जब उसका डर निकल जाएगा तब तुम दोनो की सुहागरात करवाउंगी.अभी तुम डॉली को ही.. मैं वापस अंदर आ गया.वो दोनो भी अंदर आकर बैठ गए ओर हम दोनो की चुदाई देखने लगे.ललिता काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी.मैने उन दोनो के सामने बहोत बुरी तरह से डॉली को चोदा.उसकी किल्कारी ओर मस्ती से ललिता का डर दूर होता जा रहा था.वो भी मस्ती मे आकर रूपा की चुन्चिओ को चूसने लगी. रूम मे हम चारों की मस्ती भरी किलकरियाँ गूंजने लगी.ललिता ओर रूपा दोनो झार कर थक चुकी थी ओर अपने कमरे मे चली गई पर मैं अब भी डॉली को चोद रहा था.उसकी हालत बहोत बुरी हो चुकी थी.फिर भी उसमे अजीब सी मस्ती थी.आख़िर हम एक दूसरे से लिपट कर सो गए.दो दिन तक मैं डॉली ओर ऱूपा को ही चोद्ता रहा ओर ललिता हमारी चुदाई देखती रही.पर अब भी वो मेरे हलब्बी लंड को लेने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी. अचानक 3सरे दिन मुझे पिताजी ने बुलवा लिया.मुझे कुछ दिनो के लिए दूसरे शहर जाना था ओर वहाँ एक बड़ी कंपनी का एक्सपोर्ट का ऑर्डर मिलने वाला था.पिताजी जा नही सकते थे इस लिए मुझे जाना था.मैं उस दिन ही चला गया ओर जाते हुए मैं ललिता से मिला.वो मुझसे लिपट कर रोने लगी.मैने कहा रानी मैं 15-20 दिन मे ही लौट आउन्गा.तब तक अपने आप को तैयार कर लेना.नही तो तेरे बदले तेरी बहन को ले जाउन्गा समझी.रूपा ने भी कहा दामाद जी मैं हू ना टेन्षन मत रखना.काफ़ी समय है. मैं वान्हा 20 दिन रहा.सारा काम अच्छे से पूरा हो चुका था.इस बीच मैने ललिता से भी बात की ओर रूपा से भी.डॉली को म्सी नही आई थी.उसे शायद मेरा गर्भ रह गया था.उसके पति ने अपना इलाज करवा लिया था ओर जब रूपा को सन्तुस्ति मिली कि वो डॉली को खुस रखेगा तो उसे जाने दिया.जो कि डॉली ने मुझे बताया कि उसे सेक्स मे वो मज़ा नही आता जो के मेरे साथ आया था पर ओर कोई चारा भी नही. मैने उसे आस्वासन दिया मैं हू ना जब मन करे आ जाया करना.ललिता भी अब नही रोकेगी.रूपा ने कहा ललिता मेरा बेसब्री से वेट कर रही है.मैं आने के साथ फ़ौरन अपने ससुराल चला आया.20 दिन से मैं प्यासा था.मुझे देखते ही रूपा मुझ पर टूट पड़ी.ललिता घर पर नही थी.मैने उसे बहोत बुरी तरह से चोदा ओर गांद भी मारी.वो बहोत खुस हो गई. मैने उनके मम्मे चूमते हुए कहा मेरी प्यारी सासू अब तो इनाम देंगी नाआअ. या अब भी इंतेजर करना होगा तुम्हारे इस भक्त को? वो बोली हां मेरे प्यारे जमाई राजा ललिता बस अभी आती ही होगी.वो अपनी सहेली की शादी मे गई हुई है.आज उसे जी भर कर चोद्लेना.इस वजह से तो मैने अभी चुदवा लिया तुमसे.वो कुछ नखरे करेगी.पर मैं सहयता करूँगी.ओर जो भी करना हो कर लेना. मन चाहे वैसे चोदना.उसके रोने धोने की कोई फिकर मत करना.वैसे चुदवाते हुए वो अब ज़्यादा नही रोएगि हां उसकी नाज़ुक गांद मे लंड घुसेगा तब वो ज़रूर चीखेगी चिल्लाएगी.उसकी बातों से मेरा लंड फिर से तन गया ओर रूपा को चोदने के लिए तड़पने लगा पर उसने रोक दिया ओर कहा राजा आज रात तुम्हारी सुहागरात है.इसे मस्त रखना.आख़िर कुँवारी चूत चोदनि है बहोत कसी हुई होगी. मैने कहा ओर सासू गांद भी तो मारनी है ? वो मेरे लंड पर हल्की थप्पी लगाते हुए बोली हां राजाआ उसके लिए भी तो कड़ा लंड चाहिए.खैर तुम जवान ओर ताक़त वर भी हो..तुम्हारा लंड वैसे भी कड़ा ही रहेता है.मार लेना गांद भी लौंडिया की अलत पलट कर जैसे भी.फिर वो कपड़े पहेन कर उपर के कमरे मे जाने लगी.उपर दूसरे माले पर रूम बाँध ही रहेता था.मैने कहा उपर क्यों जेया रही हो? वो बोली लड़की बहोट चीखेगी चिल्लाएगी इस लिए उपर वाला कमरा सही रहेगा.उसने उपर जाकर रूम सज़ा दिया.शाम पड़ने वाली थी.

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