दो भाई दो बहन compleet

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raj..
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Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 24 Dec 2014 06:27

रोमा ने सोफे पर लेटते हुए अपनी टाँगे जीत के बदन के नीचे डाली

और उसे अपने उपर खींच लिया....

"मुझे प्यार करो नाअ जीत...." रोमा फुसफुसा उठी.

रोमा के बदन की कंपन जीत को अछी लग रही थी.. वो उसकी गर्दन को

चूमते हुए नीचे खिसकने लगा... उसकी चुचियों को चूम उसने उसके

निपल को अपने मुँह मे ले चुलबुलाने लगा... रोमा और सिहर उठी....

"ओह्ह्ह" रोमा सिसक पड़ी....और उसने अपनी पीठ उठा अपनी चुचि को और

उसके मुँह मे दबा दी...." हां कितना अछा लग रहा है.."

जीत उसके निपल को चूस्ते हुए अपनी थूक से भरी जीब को उसकी

चुचियों के चारों तरफ फिराने लगा.... रोमा की उत्तेजना बढ़ने लगी

और वो अपनी जांघों को जीत की जांघों से रगड़ने लगी...

अपनी बाहों को उसकी पीठ पर कसते हुए रोमा सिसक पड़ी.."अब और मत

तड़पाव जीत.... मुझे प्यार करो.. प्लीज़."

जीत उसके बदन को बेतहाशा चूमने लगा.... "में तुम्हे पाने से

पहले इस सुन्दर बदन को जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ.."

जीत ने उसे चूमते हुए उसकी दूसरी चुचि के निपल को चूसना शुरू

किया...दूसरे हाथ से चुचि को मसल्ते हुए वो नीचे खिसक कर उसके

मुलायम पेट को चूमने लगा... अपने गालों को उसके पेट से रगड़ने

लगा..... फिर उसने जीब उसकी नाभि पर रख फिराने लगा......

"एम्म्म क्या कर रहे हो... गुदगुदी होती है..ना." रोमा चहक पड़ी..

रोमा जीत को पीठ को सहला रही थी..... उसकी सिसकियाँ तेज हो गयी

थी.... उसका शरीर जीत के लंड के लिए बेताब हो रहा था जो पॅंट के

अंदर उछल रहा था...मचल रहा था रोमा की चूत से मिलने के लिए....

जीत ने अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स के उपर रखा.... और खिसकते ही कमर

के उस हिस्से को चूमने लगा.....फिर अपनी उंगलियों को बटन मे फँसा

उसने बटन खोल दिया...और उसकी ज़िप को नीचे कर दिया..... उसके

नथुनो से चूत के महक टकराई तो काम अग्नि मे जलने लगा... उसके

कमर के नीचे के हिस्से को चूमते हुए नीचे खिसकने

लगा.....उसका लंड अब बुरी तरह मचल रहा था...

उसने अपनी उंगलियाँ शॉर्ट्स और पॅंटी मे फँसाकर दोनो को साथ साथ

नीचे खिसका दिया...रोमा ने अपनी टाँगो को फैला उन्हे बाहर निकाल

दी.....और अपनी टाँगो को फैला दिया....फिर अपने चेहरे को उपर उठा

मुस्कुराते हुए जीत को देखने लगी... उसकी नीली आँखों मे एक चमक

सी थी.......उसकी साँसे तेज हो गयी थी..... जीत उसकी उपर नीचे

बैठी चुचियों को देख रहा था....

रोमा ने देखा कि जीत उसकी बालों रही चूत को देख रहा था...

पिछली ही सुबह रिया ने उसकी झांटें सॉफ कर उसकी चूत को एक दम

चिकनी बना दिया था.... और उसकी चूत को जी भर कर प्यार किया था

और चूसी थी... और उसका शुक्रिया अदा किया था कि उसने उसे राज के

साथ बाहर जाने की इजाज़त दी थी जिसे उसने पूरी तरह राज के साथ

मस्ती मे गुज़ारी थी.

जीत उसकी चिकनी चूत पर उंगलियाँ फिराने लगा.... फिर झुक कर उसने

अपनी जीब उसकी चूत पर रख दी... एक सनसनी सी मच गयी रोमा के

बदन मे... उसने उसे और कस कर भींच लिया....

जीत ने उसकी चूत को चूमते हुए उसकी पंदखुड़ियों को फैला लिया और

अपनी जीब के साथ अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर घुसा दी.....

वो अपनी उंगलियों से उसे चोदने लगा.... और जीब फिरा फिरा कर उसे

तड़पाने लगा.

"ऑश हाआअँ..." रोमा मस्ती मे सिसक पड़ी, "हाँ चूसो मेरी चूत को

श हां ऐसे ही चूसो ऑश और ज़ोर से तुम्हारी जीब कितनी अछी लग

रही है."

जीत ने अपना पूरा मुँह खोल उसकी चूत को मुँह मे लिया और ज़ोर ज़ोर से

चूसने लगा... साथ ही वो उंगलियों को तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा

था....

"अब प्लीज़ मत तड़पाव ना.... मुझे तुम्हारा लंड चाहिए..." रोमा ने

कहा तो जीत घूम कर रोमा के उपर 69 की अवस्था मे हो गया.... उसने

पॅंट को ढीला किया और अपने लंड को आज़ाद कर दिया.... रोमा ने उसके लंड

को अपने हाथों मे ले अपने मुँह मे लिया और अपनी जीब से उसे चाटने

लगी... उसने महसूस किया जीत का लंड उसके मुँह मे और तन रहा है..

और मोटा हो रहा है.. वो उसे मस्ती मे चूसने लगी.

रोमा को पूरी लगन से लंड चूस्ते देख जीत समझ गया कि वो इस खेल

मे नयी नही है... वो भी पूरी मस्ती से उसकी चूत को चूसने लगा.....

थोड़ी ही देर मे रोमा की चूत ने पानी छोड़ दिया.... जीत की इच्छा उसे

चोदने की हो रही थी वो अपने लंड को उसकी चूत मे घुसाना चाहता

था.. लेकिन जैसे ही रोमा की चूत ने पानी छोड़ा वो अपनी जीब से उस

रस को चाटने लगा....दोनो की साँसे उखाड़ने लगी थी.

थोड़ी देर बाद जीत रोमा के शरीर पर से हाथ के पास खड़ा

हो गया... फिर अपने हाथ उसकी कमर के नीचे डाल उसे गोद मे उठा

लिया और अपने बेडरूम के पलंग पर उसे ले जाकर लिटा दिया.... और

उसके बदन को निहारने लगा...

"अब ऐसे मुझे देखते ही रहोगे या चोदोगे भी...... देखो ना कितना

तड़प रही है ये..." रोमा ने अपनी टाँगे चौड़ी कर अपनी चूत को

फैलाते हुए कहा.

"हां मेरी जाअँ अभी लो..." कहकर जीत उस पर लेट गया और अपने लंड

को उसकी चूत पर घिसने लगा. फिर उसने उसकी चूत को फैलाया और एक

हल्का धक्का मारकर लंड को अंदर घुसा दिया. रोमा ने अपनी टाँगो को

उसकी कमर पर लपेट उसके लंड का अपनी चूत मे स्वागत किया.

raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 24 Dec 2014 06:28

"क्या तुम मेरे उपर आकर धक्के लगाना पसंद करोगी.. जिससे में

तुम्हारे इस सुन्दर बदन को देख सकूँ खेल सकूँ..." जीत ने अपने लंड

को अंदर घुसाते हुए कहा.

"मुझे खुशी होगी." रोमा ने अपनी टाँगो की गिरफ़्त और मजबूत करते

हुए जवाब दिया.

जीत ने उसे बाहों मे भींचे भींचे करवट बदली और रोमा उसके उपर

आ गयी.... वो थोड़ा सा सीधी हुई और उछल उछल कर उसके लंड को

अपनी चूत मे लेने लगी....उसकी चुचियाँ किसी गेंद की तरह उछलने

लगी.. उसके निपल पूरी तरह तन कर खड़े थे...

रोमा अपनी चूत की मांसपेशियों को कसते हुए उसके लंड पर उठ बैठ

रही थी.... "तुम्हारा मोटा लंबा लंड कितना अच्छा लग रहा है.."

रोमा ने देखा कि जीत उसकी चुचियों को देख रहा है तो वो अपने

हाथो के ज़ोर से थोड़ा आगे को हुई और उसकी चुचियाँ उसके चेहरे से

रगड़ खाने लगी... अब जब रोमा उसके लंड पर उठती बैठती तो उसकी

चुचि जीत के चेहरे से रगड़ कर गुज़रती... एक अज़ीब सा नशा भर

रहा था दोनो के बदन मे.... जीत ने अपनी जीब बाहर निकाल दी थी

जिससे उसके निपल पर रगड़ जाती... रोमा और उन्माद मे भर उठी.. वो

और तेज़ी से उसके लंड पर उछलने लगी..

जीत ने रोमा को कमर से पकड़ा और उसे अपनी छाती पर लीटा लिया...

रोमा अब भी धक्के लगा रही थी और जीत नीचे से अपनी कमर उठा

उसका साथ दे रहा था.... रोमा को इस तरह जीत की बाहों मे लेटकर

चुदाई मे बड़ा मज़ा आ रहा था... हर गुज़रते लम्हे के साथ वो जीत

से और ज़्यादा प्यार करने लगी थी.. उसकी और इज्ज़ात करने लगी थी...

जीत ने एक बार फिर करवट बदली और रोमा के उपर आ गया और ज़ोर ज़ोर

से धक्के मारने लगा... वो अपने लंड को धीरे से बाहर खींचता और

एक ज़ोर का धक्का लगा पूरा अंदर घुसा देता... रोमा की सिसकिया और तेज

होने लगी.. वो कमर उछाल उसका साथ देने लगी.. जीत उसे वैसे ही

चोद रहा था जैसी उसे ज़रूरत थी.

"हां चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ घूसा दो पूरा लंड

मेरी चूत मे ऑश और ज़ोर से ऊहह. हां मेरा छूटने वाला है."

रोमा सिसक रही थी.

जीत ने उसकी चुचियों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा...

"श हाआँ ऐसे ही ऑश हन्न्न में तो गयी..." सिसकते हुए उसकी चूत

ने पानी छोड़ दिया.

जीत का लंड भी पूरी तरह उबाल पर था.. उसका दिल तो कर रहा था कि

पूरी रात रोमा की चूत को चोद्ता रहे लेकिन उसका लंड था कि उसका

साथ देने को तैयार नही था.. वो झड़ने ही वाला था.. जीत ने एक ज़ोर

का धक्का मारा और अपने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया.

जीत रोमा के उपर से हट उसके बगल मे लेट गया... "तुम बहोत अछी हो?

इतना अछा मुझे कभी नही लगा..." जीत ने उसे चूमते हुए कहा.

"तुम भी बहोत अच्छे हो जीत.. तुमने मेरी जिंदगी मे फिर एक बार खुशी

ला दी.. थॅंक्स." रोमा ने उसके होठों को चूमते हुए जवाब दिया.

"क्या तुम रात को रुकना पसंद करोगी?" जीत ने पूछा.

रोमा थोड़ा हिचकिचाई... दिल मे जीत के लिए प्यार जाग रहा था

लेकिन वो आज भी राज के लिए तड़प रही थी... उससे दूर रहकर तड़प

और बढ़ गयी थी.," अगर तुम कहो तो थोड़ी देर रुक जाती हूँ...

लेकिन रात को मुझे घर जाना होगा." रोमा ने जवाब दिया.

क्रमशः..................


raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 25 Dec 2014 17:11

26

गतान्क से आगे.......

राज ने अपनी पसंद की किताबे लाइब्ररी से पसंद की और बाहर निकल

आया.. तभी उसने महसूस किया कि एक सुंदर लड़की उसके बगल से गुज़रते

हुए मुस्करा रही है..... राज भी उसे देख मुस्कुरा दिया... और उसके

गोरे सुडौल बदन को देख उसके लंड मचलने लगा.

पीछले एक हफ्ते से वो और रोमा दोनो इतने व्यस्त थे अपने काम और

पढ़ाई मे कि उन्हे फ़ुर्सत ही नही मिली थी चुदाई करने की....पर उसने

निस्चेय कर लिया था कि उसे रोमा के लिए वक्त निकालना होगा... और रोमा

को भी उसके लिए वक्त निकालना होगा.. अगर वो साथ साथ रहेंगे तो फिर

रिया को अड्जस्ट करना होगा जिंदगी मे... आने वाले साप्ताह के आख़िर मे

काफ़ी छुट्टियाँ थी.. तभी उसके दिल मे एक ख़याल आया.

"क्यों ना हम सब छुट्टियों मे फिर एक बार उसी तालाब के किनारे चले

जाएँ जहाँ से सब शुरू हुआ था..." उसने अपने आप से कहा.

रोमा अब अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय घर के बाहर रहकर जीत के साथ

पढ़ाई मे बिताती... उसका कहना था कि घर मे रह कर उसका मन नही

लगता और फिर अगर पढ़ाई के बीच उसे कुछ पूछना हो तो जीत के

होने से उसका हल तुरंत मिल जाता था.

वहीं राज रोमा के इस बदलते व्यवहार को महसूस कर रहा था.. पर

समस्या एक नही कई थी... बॅंक मे पैसे ख़तम होते जा रहे थे...

इसलिए उसने पढ़ाई के अलावा पार्ट टाइम नौकरी भी कर ली जिससे कि

पैसे की तंगी महसूस ना हो. ..

अक्सर काम की वजह से उसे घर पहुँचने मे देरी हो जाती थी.. एक

शाम जब वो घर से कुछ ही दूरी पर था उसने देखा कि रोमा कंधे

पर काले रंग का बॅग लटकाए कहीं जा रही थी.... रोमा को इस तरह

कहीं जाते देख राज कुछ शक़ हुआ... वो धीरे धीरे उसका पीछा

करने लगा.

उससे दूरी बनाए राज काफ़ी देर तक उसका पीछा करता रहा... रोमा

पैदाल ही कहीं जा रही थी... शाम ढाल चुकी थी और हवा मे

थोड़ी ठंडक हो गयी थी.... सर्दियाँ आने वाली थी.. दिन थोड़े

छोटे हो चले थे.... सूरज डूबने ही वाला था..

राज अपनी नज़रों को ज़मीन पर टीकाए पेड़ों के सहारे चल रहा

था.. वो नही चाहता था कि भूल से भी रोमा की नज़र उसपर पड़े...

जब भी उसके पैर किसी सूखे पत्ते पर पड़ते तो एक चरमराहट की

आवाज़ हो जाती जिससे रोमा पीछे मूड कर देखने लगती और राज को

तुरंत किसी पेड़ के पीछे छिप जाना पड़ता....... वो देख रहा था कि

रोमा को शायद किसी का पीछे करने का शक हो गया था.

अपनी बेहन का पीछा करते हुए कई सोचों ने उसके दीमाग को घेर

लिया था.... हवा मे थोड़ी ठंडक थी फिर भी रोमा ने एक छोटा

स्कर्ट पहन रखा था जिससे उसकी सुडौल टाँगे और भरे कूल्हे सॉफ

दिखाई दे रहे थे... जब रोमा ने अपना चेहरा पीछे घूमाया तो

उसने देखा कि उसने चेहरे पर अछा मेक अप किया हुआ था.... उसकी

बेहन काफ़ी सुंदर लग रही थी.. पर आज ऐसा क्या था.. वो इतना बन

संवर कर कहाँ जा रही थी... किसके लिए? यही सोच उसके दीमाग

मे थी.

उसके मन की जिगयासा बढ़ती गयी.. उसने देखा कि रोमा के सड़क को

क्रॉस किया तो वो एक पेड़ के पीछे छिप कर देखने लगा.. उसने देखा

कि रोमा ने एक मकान के दरवाज़े की घंटी बज़ा डी... एक हॅंडसम

मर्द ने दरवाज़ा खोला.


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