दो भाई दो बहन compleet

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raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 25 Dec 2014 17:14

रोमा सिसक पड़ी और उसके हाथ खूदबा खुद जीत के सिर के पीछे और

उसने उसके सिर को अपनी चूत पर दबा दिया... और अपनी कमर हिला

चूत को और उसके मुँह मे देने लगी.. जीत पूरी वेग से उसकी चूत

को चाटने लगा....फिर उसने अपनी दो उंगलिया उसकी चूत के अंदर डाल

दी.. रोमा का बदन ज़ोर से फड़फदा कर कांप गया.

"ऑश हाआँ और ज़ोर से श ज़ोर से.." वो चिल्ला पड़ी.

जीत और ज़ोर से उसकी चूत को अपनी जीब से और उंगलियों से चोदने

लगा... वो अपनी जीब को कभी अंदर गोल गोल घूमता तो कभी उपर

से नीचे तक चाटता... रोमा तो जैसे पागल हो गयी थी.. वो अपनी

कमर हिला उसके मुँह पर धक्के मारने लगी...

रोमा की चूत जैसे जैसे झड़ने के करीब हो रही थी. वैसे वैसे

उसकी कमर की हरकत तेज हो रही थी......अचानक उसका बदन जोरों

से आकड़ा और उसकी कमर थोड़ी उपर को उठ गयी.. उसकी चूत जीत के

मुँह पर दब सी गयी..... जीत समझ गया कि वो झड़ने वाली है.

"ऑश हां और और ज़ोर से ओ हां खा जाओ ऑश और ज़ोर से

चूसूओ." रोमा ने सिसकते हुए उसके सिर को और दबा दिया.... उसकी

चूत ने पानी छोड़ा और जीत चाटता गया... उसकी चूत पानी छोड़ती

गयी.. छोड़ती गयी और वो चाट्ता रहा.

रोमा पीछे को लुढ़क गहरी गहरी साँसे लेने लगी... जीत ने अपना

चेहरा उठाया और उसके पसीने से भरे सुंदर मुखड़े को देखने

लगा.... खुशी और उत्तेजना मे उसका चेहरा चमक रहा था... जीत

ने उसे गोद मे उठाया और अपने बेबरूम मे ले आया.

रोमा अपने बाकी कपड़े खोलने लगी और जीत भी कपड़े उतारने लगा.

पलंग पर लेटे वो जीत को कपड़े उतारते देखती रही.... वो उसके

बदन के हर हिस्से को बड़ी गौर से देख रही थी...जब उसने पॅंट

उतारी तो वो उसके खड़े लंड को देखने लगी...उसकी फूली हुई चूत

हरकत करने लगी.

"कैसे चाहोगी?" उसने पूछा..

रोमा को आसन की नही पड़ी थी... "कैसे भी चलेगा.. बस अंदर तक

घुसा कर ज़ोर ज़ोर से चोदो." रोमा ने जवाब दिया.

जीत ने रोमा को घुटनो के बल घोड़ी बना दिया.. और खुद उसके पीछे

आ गया... रोमा ने अपनी टाँगे फैला दी...जीत ने अपने लंड को उसकी

चूत पर रख अंदर घुसाने लगा... रोमा को लगा कि उसकी चूत और

फैल रही है.. एक हल्की सिरहन सी दौड़ गयी गयी उसके बदन मे ...

"श हाआँ... हां.. मुझे तुम्हारे लंड की कितनी ज़रूरत है..."

रोमा सिसक पड़ी.

जीत अपने लंड को अंदर बाहर कर उसे चोदने लगा... वो अपने लंड को

बाहर खींचता और पूरा अंदर तक घूसा देता... वो उसके कुल्हों को

पकड़ धक्के मारने लगा....

रोमा को मज़ा आ रहा था.. अंदर बाहर होता जीत का लंड उसे अछा

लग रहा था... वो भी अपनी कमर हिला उसका साथ दे रही थी.. उसका

बदन पर पसीने की बूंदे चमकने लगी..

"ऑश हाआँ ऑश" उसके हर धक्के पर वो सिसक पड़ती.

रोमा ने अपना पसीने से भीगा चेहरा नीचे झुका चादर मे छुपा

लिया.. उसके कूल्हे और हवा मे उठ गये.. उसने दोनो हाथो से चदडार

को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से जीत के धक्कों पर कराह उसका साथ

देने लगी. उसका पूरा बदन अकड़ने लगा.... और उसकी चूत झड़ने

लगी..

रोमा झाड़ गयी तो जीत थोड़ी देर के लिए अपनी साँसे संभालने के

लिए रुक गया... उसका लंड अभी भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था.

"तुम किसी भी लड़के को थका सकती हो?" उसने मज़ाक मे कहा.

"अगर अपने से आधी उम्र की लड़की को चोदेगा तो यही होगा... " रोमा

ने भी मज़ाक मे जवाब दिया.

"क्यों ना थोड़ी देर के लिए रुक जाएँ." जीत अपना लंड बाहर निकाल

उसके बगल मे लेट गया.


raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 25 Dec 2014 17:14

जीत रोमा की गुलाबी चूत को देखने लगा... उसमे से रस की बूंदे

टपक रही थी... वो उसके खूबसूरत बदन को निहारने लगा... फिर

उठकर वापस उसके पीछे हुआ और अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा

दिया..

"तुम्हारी चूत कितनी प्यारी और मुलायम है रोमा." जीत ने उसकी

तारीफ करते हुए कहा.

जीत रोमा के साथ हर पल का पूरा आनंद और मज़ा लेना चाहता था..

वो एक यथार्थ वादी इंसान था.. उसे नही पता था कि रोमा के साथ

रिश्ता कितने दिनो तक निभेगा... उसे इस बात का अंदाज़ा था कि रोमा

अपनी जिंदगी मे कहीं किसी से भाग रही थी... वो तो सिर्फ़ वकति तौर

पर उसकी जिंदगी मे आ गया था.....

जीत बड़े प्यार से और धीमे धीमे धक्के मार उसे चोदने लगा...

उसे लगा कि रोमा को शायद इस तरह के प्यार की ज़रूरत है.. और

वो उसे हर खुशी देना चाहता था जो वो चाहती थी...जब भी उसके

धक्को से रोमा का बदन कांप उठता तो उसे उसे अच्छा लगता.

क्रमशः..................


raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 26 Dec 2014 09:53

27

गतान्क से आगे.......

जीत से भी अब रुका नही जा रहा था.... उसने उसके कुल्हों को जोरों

से पकड़ा और एक ज़ोर का धक्का मार अपने लंड को अंदर तक घुसा कर

अपना पानी छोड़ दिया... थोड़ी देर बाद उसने अपने लंड को बाहर

खींचा और उसके बगल मे लेट गया.

दोनो एक दूसरे को बड़ी गहरी नज़रों से देख रहे थे.. तभी उसे

अहसास हुआ कि रोमा की आँखे कुछ कह रही है.. ना जाने उसे ऐसा

क्यों लगने लगा कि शायद आज का मिलन उनकी रिश्ते की आखरी रात

है.. दोनो की आँखे एक दूसरे से बिना कुछ कहे भी बहोत कुछ कह

रही थी...

* * * * * * * * * *

जीत ने रोमा को उसके घर के बाहर छोड़ा और और आखरी बार उसने

उसके होठों को चूम लिया.. रोमा ने अपना कीताबों वाला बॅग उठाया

और गाड़ी से उतर गयी.. थोड़ी देर बाद वो अपने फ्लॅट मे दाखिल हो

रही थी कि उसने देखा क़ि राज और रिया दोनो हॉल मे ही सोफे पर चुदाई

मे लगे हुए थे.... रिया ने अपनी टाँगे फैला रखी और राज उछल

उछल कर उसे चोद रहा था.. उसके चोदने का ढंग ऐसा था जैसे कि

वो अपने दिल का गुस्सा रिया की चूत पर निकाल रहा हो...

रिया की नज़रें रोमा पर पड़ी तो उसने कहा, "रोमा मेने राज को आज

से पहले कभी इतने जोरों से चोदते नही देखा.. सही मे मज़ा आ

जाएगा.. क्या तुम साथ देना पसंद करोगी?"

आँखों मे आते आँसुओं को बड़ी मुश्किल से रोमा ने रोका और अपनी

गर्दन हिला उसे ना मे जवाब दिया... रोमा को महसूस हुआ कि राज जान

बुझ कर ऐसा कर रहा है..उन्हे पता था कि दोनो किए बीच जिस्मानी

रिश्ता है लेकिन क्या इस तरह खुले आम करना जायज़ था.. के

बेडरूम का दरवाज़ा बंद कर नही कर सकते थे..... गुस्से मे वो अपने

कमरे मे आई और ज़ोर से दरवाज़ा बंद कर दिया.. और अंदर से लॉक

भी कर दिया... दोनो रिया के बेडरूम मे साथ साथ सो सकते थे.

रोमा बिस्तर पर पेट के बल गिर कर रोने लगी.. जिंदगी क्यों इतनी

कंजरफ और पीड़ा दायक है.

दरवाज़े पर होती आवाज़ से उसकी नींद खुली तो उसने महसूस किया कि वो

कपड़े पहेन ही सो गयी थी और कमरे की लाइट भी अभी तक जल रही

थी.

"रोमा मुझे अंदर आने दो."

"तुम रिया के साथ सो जाओ," उसने ज़ोर से गुस्से मे चिल्ला कर

कहा, "वैसे भी तुम दोनो के बीच कोई परदा नही है."

"तुम कहना क्या चाहती हो?"

"अब इतने भी भोले मत बनो.. में कोई बेवकूफ़ नही हूँ सब

समझती हूँ... तुम्हे पता है कि में क्या कहना चाहती हूँ."

राज ने ज़ोर से दरवाज़ा खटकाया.. "हाँ.. लेकिन बेवकूफ़ में भी

नही हूँ."

"तुम्हारा कहने का मतलब क्या है?"

"दरवाज़ा खोलो फिर में तुम्हे बताता हूँ." राज ने जवाब दिया.

पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाई.. फिर उठा कर उसने दरवाज़ा खोल दिया

और वापस पलंग पर आ कर किनारे पर बैठ गयी... राज ने दरवाज़े

को धकेला और अंदर आकर उसके बगल मे बैठ गया.

रोमा की आँखों मे फिर आँसू आ गये.. "में अब और सहन नही कर

सकती.. एक तो कॉलेज की परेशानी और तुम्हारा हर वक्त रिया के साथ

रहना में सहन नही कर सकती... आज हमारा जैसे तय हुआ था घर

पर साथ साथ समय बिताना था.. लेकिन हुआ क्या मुझे अकेले खाना

खाना पड़ा.. तुम्हारा कही पता ही नही था.. "

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