कमसिन कलियाँ compleet

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The Romantic
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Re: कमसिन कलियाँ

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:15

कमसिन कलियाँ--25

गतान्क से आगे..........

राजेश: बेटा…हिम्मत रखो। सब ठीक हो जाएगा…लीना तुम बड़ी हो अब टीना की देखभाल की जिम्मेदारी तुम्हारी है। मै वकील साहिब से मिल कर आता हूँ। रास्ते में रेस्टोरेन्ट से खाना पैक करा कर भिजवा दूँगा तुम लोग खाना खा लेना…(कह कर घर से बाहर चला जाता है।)

लीना: टीना…अब क्या करें

टीना: दीदी तुम पापा के बेडरूम में जा कर आराम करो…मै कपड़े बदल कर आती हूँ।

लीना: मै भी कपड़े बदल लेती हूँ…

टीना: नहीं दीदी…आज यह तुम्हारे कपड़े तो पापा आ कर उतारेंगें

लीना: हिश्…श। तू पागल है…

टीना: नहीं दीदी…देख लेना

लीना: टीना तुझे तो पता है कि मुझे यह सब पसन्द नहीं है…

टीना: मै शर्त लगा सकती हूँ कि आज के बाद तुम्हें सिर्फ यही पसन्द होगा…बाकि कुछ नहीं।

लीना: तुझे कैसे पता…क्या पहले तूने किसी के साथ किया है।

टीना: हाँ…लेकिन यह मत पूछना कि किस के साथ क्योंकि उसका नाम मै नहीं बताने वाली। पर मुझे लगता है कि पापा तुम्हारे साथ आज रात कुछ नहीं करेंगें…

लीना: क्यों क्या मेरे में कोई खराबी है…

टीना: नहीं दीदी…परन्तु तुम जब तक खुद पहल नहीं करोगी तब तक वह कुछ नहीं करेंगें।

(दोनों बहनें इसी तरह की बातें करती हुई राजेश के आने का इंतजार करती है। दरवाजे की घंटी बजती है। टीना जा कर देखती है कि रेस्टोरेन्ट से खाने की डिलिवरी हुई है। दोनों बहने बातें करती हुई खाना खाती है और बचा हुआ खाना राजेश के लिए रख देती है।)

टीना: दीदी तुम पापा के बेडरूम में जा कर आराम कर लो…मै भी थक गयी हूँ मै भी सोने जा रही हूँ।

लीना: मै अकेली…नहीं मुझे डर लगता है।

(इस से पहले लीना कुछ और कहे, टीना तेजी से चलती हुई अपने कमरे में चली जाती है। लीना भी झिझकती हुई राजेश के बेडरूम मे जाती है…।)

(रात के ग्यारह बज रहें है। राजेश धीरे से लाक खोल कर घर में प्रवेश करता है। चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ है। राजेश आज की गहमागहमी से थक कर चूर हो गया है। वह सीधा अपने बेडरूम की ओर जाता है परन्तु भीतर घुसते ही ठिठ्क कर खड़ा हो जाता है। सामने लीना उसके बेड पर सुहाग की साड़ी पहने गहरी नींद में सोई हुई है। उसके सारे कपड़े अस्त वयस्त हालत में है। साड़ी सरक कर उपर हो गयी है और गोरी पिंडुलीयाँ नाईट्लैंम्प में चमक रही है। सीने का पल्लू भी हट गया है जिसकी वजह से लीना के गुदाज सीना लो-कट ब्लाउज के बाहर झाँक रहा है। धीरे-धीरे साँस लेने के कारण सीने के उभार एक लय के साथ उपर-नीचे होते हुए एक मादक निमन्त्रण देते हुए प्रतीत हो रहे है। उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान और अधखुले पंखुड़ियों से गुलाबी होंठ कुछ करने के लिए आमंत्रित करते हुए दिख रहे है। एक क्षण के लिए इतना लुभावना दृश्य देख कर राजेश कि धड़कन रुक गयी और फिर हिम्मत करके बेड के सिरहाने जा कर खड़ा हो गया)

राजेश: (हल्की आवाज में) लीना… लीना (कोई जवाब न मिलने पर) बेटा…(कहते हुए लीना के निकट लेट गया)…

(इतने हसीन दृश्य को देख कर राजेश की सारी थकान काफुर हो गयी और उसकी धमनियों में रक्त का प्रवाह तेज हो गया। बड़ी मुश्किल से अपने आप को काबू में करके नींद में खोने की प्रतीक्षा करने लगा। काफी देर तक करवटें बदलने के बाद जब रहा नहीं गया तो उठ कर जाने को हुआ…तभी लीना ने करवट ली और राजेश के सीने से लिपट कर फिर गहरी नींद में सो गयी। अब लीना के होंठ राजेश के सामने आ गये और सीने की कठोर पहाड़ियाँ राजेश के सीने में चुभने लगी। इससे पहले राजेश कुछ हरकत करता लीना ने अपनी एक टांग उठा कर राजेश की कमर पर रख दी।)

राजेश: (धीमे से लीना के कान के पास मुख ला कर) लीना…

लीना: (नींद में) हूँ…

राजेश: बेटा…

लीना: (अबकी बार थोड़े उनींदेपन में) हाँ…

(कहते है कि कामाग्नि के मारे हुए व्यक्ति का दिमाग सुन्न हो कर रह जाता है और शरीर के हरेक अंग का अपना दिमाग सक्रिय हो जाता है। राजेश के होंठ अपने आप की लीना के खुले हुए गुलाबी होंठों पर छा गये। लीना के निचले कोमल होंठ को अपने होंठों में थाम कर राजेश ने उनका रसपान आरंभ कर दिया। राजेश के हाथ भी अपने आप सरक कर लीना के नितंबों पर बेधड़क विचरने लगे।)

लीना: उ…ऊ…अ…आह

राजेश: लीना…(कहते हुए लीना की साड़ी के भीतर अपने हाथ को सरका दिया)

लीना: (तेज चलती साँसें लेती हुई नींद से जागते हुए) पा…आह…हा…य (कुछ और बोलती एक बार फिर से राजेश ने लीना के होंठों को अपने होंठों से सीलबन्द करते हुए करवट ले कर उसे अपने नीचे दबा लिया।)

(थोड़ी देर लीना के होठों का रसपान करने के बाद राजेश की निगाहें लीना के चेहरे पर आते-जाते भाव पर पड़ी। लीना आँखे मूंदे उत्तेजित हो कर अपना सिर इधर-उधर पटक रही है। अचानक लीना ने अपनी आँखे खोली तो राजेश की निगाहों से आँखें चार हो गयीं। बेचारी ने झेंप कर आँखे झुका ली।)

राजेश: (लीना के माथे को चूम कर) लीना…

लीना: (आँखे झुकाए) हूँ…

राजेश: आज हमारी सुहाग रात है…तुम्हें पता है न…

लीना: (उत्तेजना से तेज चलती साँसें लेती हुई) हूँ…

राजेश: अगर आज तुम्हें पसन्द नहीं है… तो फिर हम किसी और दिन अपनी सुहाग रात मना लेंगें।

लीना: पापा…

राजेश: (अपने जोश को काबू में करके) बेटा…तुम पहले तो अपने कपड़े ठीक करके बेड पर नई-नवेली दुल्हन की तरह घूंघट डाल कर बैठ जाओ…

लीना: पापा…क्या यह जरूरी है…

राजेश: बेटा…सुहाग रात जीवन में सिर्फ एक बार आती है… इस लिए यह ठीक से हो तो अच्छा है क्योंकि तुम अपने सारे जीवन में इसी रात की कल्पना सँजोए उस हर पल का सुख भोगोगी जो आगे चल कर तुम अपने पति के साथ गुजारोगी…

लीना: पापा…मुझे डर लगता है…

राजेश: बेटा डर कैसा… यह तो एक सुहागन की नियति है…

(राजेश लीना के उपर से हटता है और लीना भी उठ कर बैठ जाती है। लीना बेड से नीचे उतर कर अपनी अस्त-वयस्त साड़ी और ब्लाउज को ठीक करती है और फिर पहने हुए मुमु के जेवरों को ठीक से सेट करती है।)

राजेश: बेटा तुम बहुत सुन्दर हो… और आज तो जैसे कोई अप्सरा जमीन पर उतर आयी है…

(लीना घूंघट निकाल कर चुपचाप बेड के कोने पर बैठ जाती है। राजेश धीरे से लीना की ओर बढ़ता है और प्यार से घूंघट उपर करता है। लीना की धड़कन तेज हो जाती है। वह निगाहें नीची कर के अगले पल का इंतजार करती है। राजेश अपनी उँगलियों से लीना के चेहरे को उपर करता है। लीना की आँखे मुंदी हुई है और होंठ हल्के से खुले हुए हैं। राजेश धीमे से अपनी उँगली को लीना के अधखुले होंठों पर फिराता है।)

राजेश: लीना…अपनी आँखे खोलो

लीना: (गरदन हिला कर मना करती है)…

राजेश: प्लीज…(अभी भी लीना के कपकंपाते होंठों पर अपनी उंगली फिरा रहा है)

लीना: (आँखें खोलती हुई) पापा… (लीना की आँखों में लाल डोरे तैरते हुए दिखते है)

राजेश: लीना… आज से हमारा रिश्ता बदल जाएगा

(कहते हुए अपने गुड़िया सी बैठी हुई लीना को अपने आगोश में ले कर अपनी ओर खींच लेता है। लीना चुपचाप राजेश की गोद में सिमट कर आ जाती है। राजेश बड़े प्यार से लीना के माथे को टीका हटाता है और उसका माथा चूमता है। फिर नाक में पड़ी नथ को निकालता है और लीना के होंठों को चूमता है। लीना के होंठों को अपने होंठों में भर कर जी भर कर उनका रसपान करता है। फिर अपने हाथ पीछे ले जाकर गले से हीरों वाला पेन्डेन्ट और सोने की जंजीर को खोल कर पास ही सहेज कर रख देता है। उसी हाथ से पीछे लगे हुए ब्लाउज के हुक को टटोलता हुआ धीरे से खोलता है)

लीना: (अचकचाती हुई अपने को छुड़ाती हुई) पापा… यह क्यों…

राजेश: यह इस लिए कि पति-पत्नी के बीच में कोई भी बाधा न हो…(कहते हुए लीना के सुराहीदार गरदन पर अपने होंठ की मौहर लगाता हुआ बचे-कुचे हुक खोलता है)

लीना: (झिझकती हुई) उंह…

(हुक खुलने से पीठ नंगी होने के एहसास से लीना शर्म से अपना चेहरा राजेश के सीने में छिपा लेती है। राजेश धीरे से ब्लाउज को उतार कर सिरहाने रख देता है। लीना को अपने से अलग कर के राजेश की निगाह एक बार लीना के सीने पर पड़ती है। दूध सी सफेदी पर गुलाबीपन लिए लीना के सुडौल और उन्नत वक्ष और जाली वाली ब्रा मे से झांकते हुए गहरे बादामी रंग के उत्तेजना से फूले हुए अनछुए निप्पल बाहर निकलने के लिए बेचैन प्रतीत होते दिखते है। राजेश धीरे से लीना को बेड पर लिटा देता और उसको अपने नीचे दबा कर एक बार फिर से उसके होंठों के साथ खिलवाड़ करते हुए पीछे लगे हुए ब्रा के हुक को खोल देता है। लीना के चेहरे के हर हिस्से को राजेश अपने होंठों से नापता है। इस बार राजेश अपनी जुबान के अग्र भाग से लीना के होंठों को खोल कर उसकी जुबान के साथ छेडखानी आरंभ करता है। इस नये एहसास से लीना की कामाग्नि भड़क उठती है और वह राजेश को अपनी बांहों मे कस कर जकड़ लेती है। अब लीना भी बढ़-चढ़ कर राजेश का साथ देती है और अपनी जुबान से राजेश के मुख के साथ अठखेलियां खेलती है। कुछ देर एक दूसरे के साथ जुबान लड़ा कर राजेश अलग होता हुआ एक झटके के साथ ब्रा को शरीर से अलग कर देता है।)

लीना: नन…नहीं पापा… (कहते हुए अपने हाथों से अपने निर्वस्त्र वक्ष को ढकने की कोशिश करती है…)

राजेश: लीना… (उसके दोनों हाथों को अपने हाथों मे ले कर अलग करता है)… कितने सुन्दर कलश है… (एक पल एकटक देखते हुए) क्या तुम्हें पता है कि यह हूबहू मुमु के जैसे हैं… सिर्फ साईज में फर्क है…

(लीना इस से पहले कुछ और बोले राजेश झपट कर एक निप्पल को अपने मुख में ले कर उसका रस सोखने में लग जाता है। लीना को इस वक्त महसूस होता है कि एक स्त्री और मर्द के मुख में क्या फर्क होता है। लीना अजीब सी कश्मकश महसूस करती है उसके निप्पल से करन्ट उत्पन्न होते हुऐ पुरे शरीर में फैलता हुआ सीधे नीचे जाकर योनिद्वार पर दस्तक देता है। राजेश स्तनपान करते हुए महसूस करता है कि लीना अपने हाथों को राजेश के गले में डाल कर उसके सिर पर दबाव बना रही है।)

लीना: (सिसकारी भर कर) नहीं करो न…पापा

राजेश: आज की रात हमारे बीच पति-पत्नी का प्यार और भी प्रगाड़ हो जाएगा।

लीना: पापा…आह… मैं आपसे सब से ज्यादा प्यार करती हूँ। पर डर लगता है कि …

राजेश: आज तुम्हारे जीवन की वह रात है कि इन पलों को तुम सारे जीवन अपने दिल में सँजोए रखोगी… मेरी बात मान जाओ (लीना को अपने आगोश में लेकर कभी कान पर चूमता, तो कभी होंठ पर, कभी निशाने पर स्तन होते और कभी खड़े हुए दो निप्पल्स होते)…

लीना: प…अपा प्लीज न…हीं करो… न्… (बार-बार के राजेश के वारों से लीना के जिस्म के भीतर हलचल बढ़ा दी थी)

(दोनों के जिस्म कामोत्तेजना से जल रहे है। राजेश धीरे से लीना से अलग होता है और उसे बेड पर खड़ा करता है। लीना प्रश्नवाचक नजरों से राजेश की ओर देखती है। लीना के सीने पर जगह-जगह लाली उभर आयी है। दोनों शिखर कलश और कलश बार-बार चूमने और चूसने की वजह से लाल हो गये है। एक गिफ्ट रैपर को खोलने की तरह राजेश धीरे से साड़ी को लीना के बदन से अलग करता है। अन्दर लगी हुई आग को बुझाने के लिए लीना भी अनजानी राह पर चलने को तैयार है।)

लीना: (उपर से निर्वस्त्र पेटीकोट में खड़ी हुई) पापा…

राजेश: (पेटीकोट के नाड़े को पकड़ कर एक झटके के साथ खींचते हुए) बस यह आखिरी दीवार है हम दोनों के बीच में इसे भी हटना होगा…(नाड़ा खुलने से पेटीकोट बेड पर सरक कर गिर जाता है।)

लीना: नहीं करो…पापा…प्लीज (कहते हुए अपने हाथ से कटिप्रदेश को ढक लेती है।)

राजेश: अरे अभी एक दीवार और बाकी है…(लीना की पैन्टी की ओर इशारा करते हुए) खैर अब तुम लेट जाओ…(लीना धम्म से बेड पर बैठ जाती है। राजेश एक बार फिर से लीना को बेड पर लिटा देता है।)

लीना: पापा…प्लीज

(राजेश ने लीना को नीचे लिटा कर उसके थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमना आरंभ किया। दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों सामने पा कर, राजेश के हाथ भी अपने कार्य मे लग गये। कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निप्पल को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए लीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।

राजेश: लीना अब आगे का सफर शुरु करें…

लीना: हुं….उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...न्…हई…आह.....

(राजेश का एक हाथ दाएँ वक्ष के मर्दन में लग जाता है और दूसरे हाथ से पैन्टी से ढकी योनिमुख को छेड़ता है। लीना का उत्तेजना से जलता हुआ नग्न जिस्म बेड पर राजेश की आँखों के सामने तड़पता है। राजेश पैन्टी से ढके बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलता है।)

लीना: उई....पअ.पआ....…उ.उ.उ..न्…हई…क्या कर आह.हो....(लीना अपने दोनों हाथों से राजेश का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, पर राजेश की उँगलियों सरका कर नाइलोन की पैन्टी में छिपी जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करती है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़े हुए बीज पर जा टिकती है।)

लीना: .उई...माँ….पा.……प…उफ.उ.उ.पा..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों से लीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है, अपने एक हाथ से कभी उत्तेजित खड़े हुए निप्पलों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर खींचता, कभी एक पहाड़ी को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। लीना की असीम आनंद से भरी हुई सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (लीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) लीना…कैसा महसूस कर रही हो…

लीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं… (एक सिसकारी भरती हुई)…ठीक हूँ…

(एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निपल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है)।

लीना: (राजेश को ढकेलती हुई) .उई....अ.पआ...पा.…उ.उ.उ.न्…हई…आह.....

(बार-बार कसमसाती हुई लीना को स्थिर करने के लिए लीना के नग्न जिस्म को अपने शरीर से ढक देता है। अब राजेश नीचे की ओर अपना ध्यान लगाता है। दोनों पहाड़ियों के बीच चूमता हुआ नीचे की ओर सरकता है। नाभि पर रुक कर राजेश अपनी उँगलियों को पैन्टी की इलास्टिक मे फसाँ कर एक झटके से नीचे की ओर घुटनों तक सरका देता है। हल्की रोशनी में राजेश के सामने सफाचट और फूले हुए पाव की भाँति जुड़ी हुई संतरे की फाँकें विद्दमान होती है। इस नजारे को देख कर राजेश की उत्तेजना भी चरम-सीमा पर पहुँच जाती है।)

लीना: पापा…नहीं प्लीज…

(राजेश से अब रुका नहीं जा रहा है। बहुत देर से उसके तन्नायें हुए लिंगदेव अब सिर उठाने के लिए तड़प रहें है। लीना को वासना की आग में जलते हुए छोड़ कर राजेश बेड से उतर कर एक तरफ खड़ा हो जाता है।)

राजेश: लीना…एक मिनट के लिए मेरी ओर देखो… (लीना अपनी गरदन मोड़ कर राजेश की ओर देखती है)

लीना: क्या हुआ…पापा

राजेश: (अपनी शर्ट के बटन खोलता हुआ)… बेटा तुम ने तो अपना जिस्म मेरे हवाले कर दिया परन्तु अब मेरा भी फर्ज है कि मै अपनी पत्नी के हवाले अपना जिस्म कर दूँ…(कहते हुए अपनी शर्ट निकाल कर फेंक देता है।)

लीना: पापा…

राजेश: (पैन्ट उतारते हुए) लीना अपनी आँखे बन्द कर लो…एक सरप्राइज है, क्योंकि आज मै तुम्हें पति-पत्नी के बीच की दूरी बिलकुल मिटा देना चाहता हूँ… (पैन्ट और जांघिये को एक साथ उतार कर जमीन पर फेंक कर अपने लिंगदेव को कैद से आजाद कर के लीना की बढ़ता है। लीना कनखियों से राजेश की ओर देखती है तो उसकी निगाहें एक गोरे रंग का सर उठाए एक लम्बा सा, परन्तु बहुत मोटा, अजगर कि भाँति झूमता हुए लिंग पर पड़ती है।)

लीना: पापा… यह क्या है…(एक ट्क देखती हुई जड़वत रह जाती है)।

राजेश: (लिंगदेव को अपनी मुठ्ठी में लेकर हिलाते हुए) लीना… यह मेरा लंड है…इसको लौड़ा भी कहते है…इससे मिलो यह आज से सारे जीवन के लिए तुम्हारे गुलाम है… इसको प्यार करो…

(राजेश बेड पर चढ़ कर (69) पोजीशन बना कर अपने कसरती नग्न जिस्म से लीना का बदन ढक देता है। बड़े प्यार से जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका कर बहता हुआ लीना का रस सोखता है।)

लीना: .उई...माँ….पअपा..न्हई…आह.....

क्रमशः


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Re: कमसिन कलियाँ

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:16

कमसिन कलियाँ--26

गतान्क से आगे..........

(राजेश अपनी जुबान से ऐंठी हुई घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। लीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। नादान टीना और करीना के मुखों के सुख से कहीं ज्यादा एक खेले खाये मर्द की लपलपाती हुई जुबान का सुख लीना को पागल कर देता है। राजेश अपने होठों से लीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को योनिच्छेद के भीतर डालने का प्रयास करता है।)

राजेश: बेटा… (उधर राजेश के हिलने से लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार लीना के चेहरे और होंठों पर चोट मारते है। लीना अपना चेहरा बचाने की कोशिश में राजेश के लंड को अपने हाथ में ले लेती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक जिवित गर्म लोहे की सलाख में तब्दील हो जाते है।)

लीना: …आह....पापा

(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और लीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, राजेश दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर करीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार लीना के लिए एक नया अनुभव है जिसको लीना बरदाश्त नहीं कर पायी और झटके खाते हुए झरझरा कर बहने लगी। असीम आनंद को महसूस करते हुए लीना के होंठ खुल गये। राजेश इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से लीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)

लीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....

(साँस घुटती हुई लगी तो लीना को मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने थोड़ा सा और भीतर सरका दिया। बेबस लीना जितना राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, राजेश अपने लंड पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। राजेश का लंड सरकते हुए अपनी जगह बनाते हुए लीना के गले में जा कर बैठ गया। राजेश ने पूरा लंड धँसा कर बाहर निकाल लिया क्योंकि अब वह भी ज्यादा देर ज्वालामुखी को फटने से रोक नहीं सकता था।) राजेश ने सीधे हो कर लीना को अपने आगोश में ले कर बेड पर लेट गया।)

राजेश: (धीरे से कन्धा हिलाते हुए) लीना…लीना…

लीना: (शर्माती हुई) हुं…

राजेश: तुम्हें यह कैसा लगा?

लीना: पापा… बहुत बड़ा है (अपना गाल सहलाते हुए और मुँह खोल कर बन्द करते हुए)…

राजेश: बेटा तुम्हें इसकी आदत नहीं है…(बात करते हुए अपने अन्दर उफनते हुए लावा को शान्त करते हुए)…आज के बाद तो तुम्हें इसको रोज ही अपने मुख से नहलाना पड़ेगा…आखिर पत्नी धर्म की लाज तो रखनी है।

लीना: प्लीज, पापा यह नहीं…

राजेश: बेटा अभी तो तुम्हें मेरी पूरी तरह से पत्नी बनना है… (कहते हुए राजेश एक बार फिर से लीना के उपर छा जाता है।)

(राजेश अपने तन्नायें हुए हथियार को मुठ्ठी में लेकर धीरे से एक-दो बार हिलाता है और फिर लीना के योनिमुख पर टिका देता है। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही लीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपने फनफनाते हुए अजगर से रगड़ता है और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता है)

लीना: …आह... …आह..... …आह..... (आँखें मूदें एक गर्म सलाख को सिर उठाती घुन्डी के सिर पर बढ़ते हुए दबाव और योनिच्छेद से उठती हुई तरंगों को महसूस करती हुई एक सिस्कारी भरती है)

(राजेश अपनी जुबान से करीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। ऐठीं हुई घुन्डी के उपर लिंगदेव का घिसाव अन्दर तक लीना को विचलित कर देता है। बेबस लीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश तन्नाये हुए लिंगदेव को योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती लीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है। गीली होने की वजह से अकड़ी हुई घुन्डी और भी ज्यादा संवेदनशील हो चुकी थी और राजेश का लंड सतह पर आराम से फिसलने लगता है।)

लीना: आह.....

(राजेश अपने लंड का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों की गिरफ्त में लीना के होंठों को ले लेता है। एक हाथ से कभी उन्नत उरोजों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर तरेड़ता, कभी एक कलश को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। लीना भी एक बार फिर से असीम आनंद में लिप्त होती जा रही हैं।)

राजेश: (लीना के होंठ को चूसते हुए) लीना… अब द्वार खोलने का टाइम आ गया है… रेडी

(राजेश प्यार से अपने तन्नायें हुए लंड को योनिच्छेद के मुख पर लगा कर ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा सिर फिसल कर जगह बनाते हुए भीतर घुस जाता है।)

लीना: …उ.उई.माँ..…पा.…पा…उफ.उ.उन्हई…आह.....

(राजेश कुछ देर अपना लंड अटका कर लीना के कमसिन उरोजों के साथ खेलता है ताकि योनिच्छेद इस नये प्राणी की आदि हो जाए। धीरे-धीरे आगे पीछे होते हुए सिर का घिसाव अन्दर तक लीना को विचलित कर देता है। इधर योनिच्छेद मे फँसा हुआ लंड अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाता है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती हुई लीना के होंठों को राजेश अपने होंठों से सीलबंद कर देता है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लंड लीना के प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन और रुकावट को खोलता हुआ जड़ तक जा कर फँस जाता है। लीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)

लीना: उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…लीना…ली…ना

लीना: पापा…निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.

राजेश: लीना…बस अब सारा दर्द खत्म…।

(लीना की चूत भी राजेश के लंड को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ कर दोहना आरंभ करती। क्षण भर रुक कर, राजेश ने लीना के सुडौल नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर लीना की बच्चेदानी के मुहाने पर चोट मार कर खोलने पर आमादा है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता हुआ लीना के पूरे शरीर में आग लगा देता है। लंड को गरदन तक निकाल कर एक बार फिर से राजेश अन्दर की ओर धक्का देता है। लीना की योनि भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी है।)

राजेश: (गति कम करते हुए) लीना अब दर्द तो नहीं हो रहा है…

लीना: हाँ …बहुत दर्द हो रहा है…

राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)

लीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, पापा अभी नही…

(धक्कों की बाढ़ आते ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया और धीरे-धीरे वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले राजेश एक जबरदस्त आखिरी वार करता है और उसका लंड लीना की बच्चेदानी का मुख खोल कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस जाता है। इस करारे वार की मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करती है। लीना का शरीर धनुषाकार लेते हुए तनता हुआ बेड की सतह से उपर उठता है और एक झटके के साथ लीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगे और एकाएक राजेश के लंड को गरदन से जकड़ कर लीना की चूत झटके लेते हुए दुहना शुरु कर देती है। इस एहसास से सारे बाँध तोड़ते हुए राजेश का लंड भी बिना रुके लावा उगलना शुरु कर देता है। लीना की चूत को प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लंड को अन्दर फँसाये रखता है। लीना को अपने नीचे दबाये राजेश एक और नई-नवेली संकरी चूत को खोलने का लुत्फ लेता है। लीना का शरीर रजेश के नीचे शिथिल पड़ा हुआ है।)

राजेश: (उपर से हटते हुए) लीना…लीना…

लीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (होश मे आकर अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…

राजेश: (लीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) क्या हुआ लीना… क्या आँखों के आगे अंधेरा छा गया था।

लीना: (पल्कें झपकाती हुई) हाँ कुछ ऐसा ही हुआ था… आपको कैसे पता चला…

राजेश: तुम अपने प्यार की सातवीं सीढ़ी पर पहुँच गयी थी… जब मेरा हथियार तुम्हारी सुरंग को भेद कर पूरी तरह से भर देता है तो वही स्तिथि को फाईनल सीड़ी या प्रेममिलन के सातवें आसमान पर पहुंचना कहते हैं। हर नारी कामक्रीड़ा मे लीन हो कर इस स्तिथि से गुजरना चाहती है पर कुछ ही नारियों अपने जीवन मे इस स्तिथि का बोध कर पाती है। तुमने तो अपनी सुहाग रात पर ही इस स्तिथि का स्वाद चख लिया।

लीना: (राजेश से लिपटते हुए) पापा…कल क्या होगा… आपको पुलिस पकड़ कर ले जायगी क्या…

राजेश: (अपने सीने से लगाते हुए) न बेटा… अगर हम पति-पत्नी है तो कोई ताकत हमें एक दूसरे से अलग नहीं कर सकती है… चलो अब सो जाओ……क्या टाइम हो गया है…ओफ्फो सुबह के चार बज रहे है…

लीना: पापा… मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ

(राजेश ने आगे बढ़ कर लीना को अपने आगोश में ले कर बेतहाशा चूमना शुरु कर देता है। लीना भी राजेश का पूरा साथ देती है। कुछ देर एक दूसरे के साथ प्रेमालाप के बाद, राजेश लीना को अपने आगोश में भर कर सो जाता है…।)

(सुबह के ग्यारह बज रहे हैं। टीना अपने कमरे से अलसायी सी नीचे ड्राइंगरूम में आती है। सब कुछ शान्त देख कर राजेश के बेडरूम की ओर बढ़ती है। दरवाजा खुला हुआ पा कर धीरे से कमरे प्रवेश करती है। सामने बेड पर निर्वस्त्र अवस्था में राजेश और लीना एक दूसरे के साथ बेल की तरह लिपटे हुए गहरी नींद में सो रहे है। टीना दबे कदमों से बेड के सिरहाने खड़े हो कर रात के प्रेमालाप का जायजा लेती है।)

टीना: (लीना के कन्धे को हिलाती हुई) दीदी…दीदी… पापा…उठ जाओ… ग्यारह बज रहे है

(आवाज सुन कर राजेश चौंकते हुए उठता है… लीना नींद में कसमसाती हुई करवट लेती है।)

राजेश: (टीना को देख कर झेंपता हुआ) टीना… आज बहुत देर हो गयी

टीना: हाँ पापा… यह देखो दीदी को… दीदी…दीदी

लीना: (उनींदी आँखों से उठती हुई) क्यों परेशान कर रही है… (आँखे खोलती हुई)

टीना: आप दोनों कपड़े पहन लो… क्योंकि अब कोई भी आ सकता है…

(इतना सुनते ही दोनों को अपने निर्वस्त्र होने का एहसास होता है। दोनों झेंप जाते है और उठने का प्रयास करते है। लीना पास ही पड़ी साड़ी को अपने उपर ढक लेती है और राजेश के उपर बची हुई साड़ी डाल देती है)

लीना: टीना की बच्ची अब से हमारे कमरे में खटखटा करके आया कर… आखिर एक पति-पत्नी के कमरे में ऐसे ही नहीं चले आते… क्यों पापा

टीना: अच्छा जी… दीदी तुमसे पहले मैं पापा की आधी घरवाली हूँ…इन पर मेरा भी उतना हक है जितना तुम्हारा… क्यों पापा

राजेश: (बेड से उतर कर बाथरूम की ओर बढ़ता हुआ) हां बिलकुल… मै जा कर तैयार होता हूँ कभी भी वकील साहिब आ सकते है… (कहते हुए बाथरूम में घुस जाता है)

टीना: दीदी…कैसी रही सुहाग रात… अजगर को पूरा निगल गयीं या नहीं…

लीना: एक बार अजगर को जगह दी तो उसने तो मेरा कचूमर निकाल दिया… सच टीना यह रात तो मै जीवन भर नहीं भूल पाऊँगी… शायद मै अब पापा के बिना नहीं रह पाऊँगी…

टीना: मैनें कहा था न… कि एक बार सुहाग रात होने दो फिर तुम हम सबको भूल जाओगी…

लीना: हाँ…चल अब मुझे तैयार होने दे… और तू भी जा कर तैयार हो जा… फिर देखती हूँ कि क्या करना है…

टीना: दीदी…प्लीज रात की कहानी सुनाओ न…

लीना: अभी नहीं… (उठते हुए)

टीना: दीदी तुम बहुत सुन्दर हो… लगता है कि पापा ने तुम्हारे अंग-अंग को अपने प्यार से लाल कर दिया… (लीना के नग्न सीने और गरदन की ओर इशारा करते हुए)

लीना: चल हट… बेशर्म

(बात करते हुए दोनों बहनें अपने-अपने कमरे में चली जाती है। कुछ देर के बाद राजेश तैयार हो कर ड्राइंगरूम में आता है।)

राजेश: लीना… टीना… तैयार हो कर नीचे आ जाओ… मैं नाश्ता की तैयारी करता हूँ (कहते हुए रसोई की ओर बढ़ जाता है)

लीना: पापा… मै तैयार हो कर आपकी मदद करने के लिए आती हूँ…

(लीना तैयार हो कर अपने कमरे से निकल कर टीना को आवाज दे कर नीचे रसोई की तरफ़ जाती है।)

लीना: टीना…जल्दी से तैयार हो कर नीचे आ जाओ…

(राजेश नाश्ते की तैयारी में लगा हुआ है। पीछे कुछ आहट सुन कर मुड़ता है तो रसोई के अन्दर लीना घुसती हुई दिखती है। लीना के चेहरे पर संतुष्टि आभा और नई नवेली दुल्हन की चमक देख कर राजेश खुशी से फूला नहीं समाता है। टाइट वेस्ट और स्कर्ट लीना के जिस्म के उभार और कटावों को निखार कर दिखाते हुए राजेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। गले में पड़ा मंगलसूत्र लीना के हर कदम पर दोनों पहाड़ियों के बीच झूलता हुआ राजेश को गयी रात का एह्सास दिलाता है।)

लीना: पापा… मै कुछ मदद करूँ

राजेश: (लीना को अपनी बाहों मे भर कर) नहीं बस तुम यह सब मेज पर सजा दो…(कहते हुए लीना के होंठ चूम लेता है)… मेरा तो नाश्ता हो गया।

लीना: (शर्म से लाल होती हुई) पापा…

राजेश: (लीना के उभारों को सहलाते हुए) लीना तुम बहुत सुन्दर हो… (कहते हुए एक बार फिर से लीना के होंठों का रसपान करता है)

टीना: (अन्दर आ कर) पापा… मेरा नम्बर कब आएगा।

राजेश: (लीना को छोड़ कर) आजा…(टीना को अपनी बाँहों मे ले कर)…तेरा नम्बर आ गया (कहते हुए टीना के होंठों को चूम लेता है।)

लीना: पापा… चलिए नाश्ता लग गया है। अगर ऐसे ही नम्बर चलता रहा तो नाश्ता ठंडा हो जाएगा।

(तीनों हँसते हुए डाईनिंग टेबल पर करीने से लगे नाश्ते पर टूट पड़ते है। इधर-उधर की बातें करते हुए नाश्ता करते हैं। दरवाजे की घंटी बजती है। टीना हाथ में ब्रेड ले कर दरवाजा खोलने जाती है। गेट पर आभा को कुछ पुलिस वालों के साथ देख कर ठिठ्क जाती है और राजेश को पुकारती है)

टीना: पापा…पापा…

राजेश: कौन है…

टीना: आप बाहर आइए… (राजेश दरवाजे पर आता है)

राजेश: हाँ बताइए आप लोगों को क्या काम है…

आभा: इन्स्पेक्टर साहिब यही वह कमीना है जिसने मेरी भतीजियों को बंधक बना रखा है…।

राजेश: आभा… क्या बक रही हो…पागल हो गयी हो।

आभा: इन्स्पेक्टर आप इस आदमी को अभी अरेस्ट किजीए…

इन्स्पेक्टर: सर, इन्होंने हमारे पास कम्प्लेंट लिखाई है कि आपने इनकी नाबलिग भतीजियों को बहला फुसला कर अपने पास बंधक बना रखा है…हम इधर तफतीश के लिए आये है…

राजेश: देखिए इन्स्पेक्टर साहिब… आप लोग अन्दर आइए… बैठ कर भी हम बात कर सकते हैं…।

(सब लोग अन्दर आ जाते है और ड्राइंगरूम में बैठ जाते है।)

राजेश: देखिए…(लीना की ओर इशारा करते हुए) यह मेरी पत्नी लीना है और (टीना की ओर इशारा करता हुआ) यह मेरी छोटी साली टीना है… और जिसने शिकायत दर्ज कराई है वह मेरी बड़ी साली स्वर्णाभा है… इसको कई सालों से पागलपन का दौरा पड़ता जिस वजह से यह अपनी याददाश्त खो देती है। पता नहीं अबकी बार इसे क्या हुआ है…

आभा: (गुस्से से बिफरती हुई) यह कमीना झूठ बोल रहा है…

राजेश: तो ठीक है… यह कहती है कि मैनें जबरदस्ती इन दोनों को बंधक बना रखा है…आप इन्हीं से क्यों न पूछ लेते…

इन्स्पेक्टर: (लीना की ओर रुख करके) हाँ बेटा बताओ…

लीना: यह यह मेरे पति है… (गले में लटकते हुए मंगलसूत्र को दिखाते हुए)

टीना: यह मेरे जीजू है…

इन्स्पेक्टर: परन्तु अभी तो तुम इन्हें पापा कह रही थी…

टीना: हाँ… यह मेरे पापा से भी ज्यादा है क्योंकि यह मेरे पिताजी से भी ज्यादा मेरा ख्याल रखतें हैं… और यह जो खुद को मेरी मौसी बता रही है…कल यह एक गुंडे को लेकर आयी थी मेरी बड़ी बहन को अगवा करने के लिए…

इन्स्पेक्टर: बेटा आप लोगों की क्या उम्र है…

लीना: सत्रह साल

टीना: तेरह साल

इन्स्पेक्टर: सर… आप दोनों के विवाह का कोई गवाह या प्रमाण है?

राजेश: हाँ क्यों नहीं… हमारे विवाह की गवाही मिस्टर एलन और उनकी पत्नी मिसेज डौली या फिर आर्य समाज मन्दिर के पंडित शास्त्री दे सकते है… प्रमाण के लिए मै फोटो दिखा सकता हूँ और अगर आप चाहें तो हमारा मैरिज सर्टिफिकेट दिखा सकता हूँ…

आभा: यह बहुत बहुत झूठा आदमी है… यह हरामी मेरी बच्चियों की जिन्दगी बर्बाद कर देगा…

इन्स्पेक्टर: (थोड़ी कठोरता से) चुप… हम तफतीश कर रहें है न… अगर आप औरत न होती तो अब तक पुलिस के पास झूठी रिपोर्ट लिखाने के जुर्म में आपको बन्द कर दिया होता। जनाब क्या आप अपने विवाह के हमें प्रमाण दिखा सकते है?

राजेश: हाँ क्यों नहीं…(कहते हुए मेज पर रखी एलबम इन्स्पेक्टर को देता है)… जब तक आप इसे देखिए मै सर्टिफिकेट ले कर आता हूँ (कहते हुए अपने बेडरूम की ओर रुख करता है)

इन्स्पेक्टर: देखो बेटा आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं है… अगर यह आदमी आपको जबरदस्ती अपने यहाँ रखे हुए है तो अब बता दो… यह आदमी तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा।

लीना: अंकल… क्या कोई लड़की ऐसे ही किसी भी आदमी को अपना पति कह सकती है… यह मेरे पति है… मैं इनसे बहुत प्यार करती हूँ

टीना: अंकल अगर यहाँ कोई गलत है वह यह हमारी मौसी हैं… इन से पूछिए कि यह हमें कब से जानती है… इन को आज मिला कर हम सिर्फ तीन बार मिले है…

आभा: इन्स्पेक्टर साहिब… उस ने इन्हें मेरे खिलाफ बरगला दिया है…

लीना: अच्छा… तो यह बता दो कि अब तक हम तुम्हारे पास कहाँ रहते थे…

क्रमशः


The Romantic
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Re: कमसिन कलियाँ

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:16

कमसिन कलियाँ--27

गतान्क से आगे..........

(राजेश कमरे में दाखिल होता हुआ)

राजेश: इन्स्पेक्टर साहिब यह रहा हमारा मैरिज सर्टिफिकेट…

इन्स्पेक्टर: (सर्टिफिकेट देखते हुए)… हाँ ठीक है (वापिस लौटाते हुए) अगर आपको एतराज न हो तो कृपया आप इसकी कापी दे सकते है… यह केस को फाइल करने में हमारी मदद करेगी… और अगर अपने गवाहों के नाम और पते भी दे दें…

राजेश: बिल्कुल… मै आपके थाने में यह दोनों चीजें कुछ देर में पहुंचा दूंगा…

इन्स्पेक्टर: सर… हम चलते है…(कहते हुए आभा को छोड़ कर सब उठ खड़े हुए) क्यों मैडम चलना नहीं है… चलिए

राजेश: रहने दिजीए… आखिर यह भी मेरी रिश्तेदार ठहरी… आपका बहुत थैंक्स (कहते हुए पुलिस पार्टी को गेट से विदा किया)

(आभा आँखें झुकाए चुपचाप सोफे पर बैठी हुई। लीना और टीना बहुत क्रोधित निगाहों से आभा को घूरती हुई।)

टीना: पापा… इन्हें क्यों रोक लिया…इनको हमारे घर से बाहर निकाल दो इसी वक्त…

राजेश: न बेटा, ऐसे नहीं बोलते। तुम भूल रही हो कि यह तुम्हारी मम्मी की छोटी बहन है… नहीं तुम्हारी बड़ी बहन है… क्या हमने आप को ऐसी शिक्षा दी है…

लीना: परन्तु पापा… कल देखा था इन्हें… फिर भी

राजेश: (आभा के नजदीक बैठ कर) बेटा तुम भूल रही हो कि इन्हीं के कहने पर मंगल ने तुम्हें कल छोड़ा था… अगर यह नहीं कहती तो वह तुम्हें कोई चोट भी लगा सकता था… आभा आज मैं तुम से अपना समझ कर कह रहा हूँ कि अब इस दुश्मनी को खत्म करो… क्या मुझे नीचा दिखाने के चलते तुम अपनों को नुक्सान पहुँचाओगी… लीना और टीना आखिर तुम्हारा अपना खून है…तुम्हारी भतीजी और तुम्हारी अपनी सगी बहनें है…

आभा: (धीरे से सिसकते हुए)… क्या यह मेरी किस्मत है कि पिताजी के लिए मै ही अपने को जलाऊँ…

राजेश: (आभा के सिर पर हाथ फेरते हुए) नहीं हम सब का फर्ज है परन्तु हम सब को सही और गलत का एहसास होना चाहिए… अगर कोई बात पिताजी की गलत है तो वह हमेशा गलत ही रहेगी… और गलत बात का साथ देने वाला भी गलत होता है… मुझे पूरा विश्वास है कि यह तुम्हारा असली रूप नहीं है… किसी कोने में तुम मुझसे आज भी उतना ही प्यार करती हो जितना तुम तनवी के रहते करती थीं… क्या तुम भूल गयी कि बचपन में तनवी को मेरे पास छोड़ने के लिए मेरी उँगली पकड़ कर आइस्क्रीम खाने की जिद्द करती थी और जब मै मना करता था तो तुम मुझसे रूठ जाती थीं। और फिर मै और तनवी तुम्हारे आगे-पीछे भागते थे कि तुम हमारे बारे मे अपने पिताजी से नहीं बताना… क्या उस वक्त भी तुम मुझसे इतनी नफरत र

आभा: (फफक कर रो पड़ती है) मै क्या करूँ… एक तरफ पिताजी और हमारी बर्बादी… दूसरी ओर तुम और फिर तुम्हारी वजह से तनवी दीदी की मौत… और फिर तुम्हारे कारण मुमु दीदी का हमसे मुँह फेरना… क्या करती…

राजेश: कुछ नहीं करती… जब मै तुम्हें लेने आया था तो मेरे साथ आ कर यहाँ रह कर देखती… अगर मै गलत होता तो मुझे सजा देती परन्तु अपने ही खून को उस जालिम मंगल के हवाले करने की सोचती भी नहीं…।

आभा: (राजेश के सीने से लग कर रोते हुए) हाँ तुम्हारे पास सब कुछ था परन्तु मेरे पास कुछ भी नहीं था जब मेरे पिताजी ने मुझे मंगल के हवाले कर दिया था… पहले पिताजी ने मेरा शोषण किया फिर मुझे उस कसाई के हाथ मे दे दिया था… तब तुम कहाँ थे…

(लीना और टीना अचरज से दोनों की बातें चुपचाप सुनती है। आभा की बातें सुन कर दोनों बहनों की आँखे नम हो गयीं।)

राजेश: तुम अब मंगल की चिन्ता छोड़ दो… वह अब कभी भी तुम्हें परेशान करने के योग्य नहीं रहेगा। कल रात को मैनें उसका इंतजाम कर दिया है… मुझे सिर्फ तुम्हारी चिन्ता थी क्योंकि मै तुम्हें कोई भी नुक्सान नहीं पहुँचा सकता था…

राजेश: क्या तुम दुबारा से मेरी सुन्दरी नहीं बन सकती… पीछे का सब भूल जाओ और अब हमारे साथ रहो… सौरी परन्तु पहले मुझे अपनी पत्नी से पूछना पड़ेगा… क्यों लीना

लीना: (भर्रायी हुई आवाज से) पापा… प्लीज इन्हें यहीं रोक लिजीए…

टीना: हाँ पापा… मौसी यहीं रुक जाइए… (कहते हुए आभा से लिपट कर रोने लगी)

आभा: राजेश क्या तुम मुझे आभा के रुप में स्वीकार नहीं सकते…

राजेश: अरे पगली… तुम मेरे लिए पहले भी आभा थीं और जब तुम सुन्दरी थी तब भी तुम मेरे लिए आभा थी… लेकिन पहले नाश्ता कर लें बहुत भूख लग रही है।

(सब डाईनिंग टेबल पर इकट्ठे हो जाते है और हँसी-खुशी नाश्ता करते है। लीना, टीना और आभा, तीनों बातों मे लीन है। दरवाजे की घंटी बजती है, राजेश जाकर दरवाजा खोलता है…)

राजेश: आईए वकील साहिब… सब दुरुस्त हो गया है (कहते हुए दोनों अन्दर आते हैं। सामने आभा को हँसते हुए लीना और टीना से बात करते हुए देख वकील साहिब अचरज भरी निगाहों से राजेश की ओर देखते है।)

वकील: अरे यह क्या देख रहा हूँ…

राजेश: यह एक परिवार है…सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उस को भूला नहीं कहते… आभा, लीना और टीना… नाश्ता हो गया हो तो इधर आ जाओ…वकील साहिब आये है।

(तीनों उठ कर ड्राइंगरूम में आ कर सामने बैठ जाते है। कुछ ही देर में तीनों बहने की तरह हिल-मिल गयी है। बहुत दिनों के बाद आभा के चेहरे पर खुशी के भाव दिखाई दे रहें है।)

वकील: राजेश सबसे पहले तो आभा जी की शिकायत वापिस लेनी होगी… आभाजी आप को कुछ नहीं करना (एक कागज बढ़ा देता है)… इस पर साइन कर दें… बाकि मेरा दफ्तर देख लेगा…

राजेश: वकील साहिब मै चाहता हूँ कि आप ठाकुर साहिब की तरफ से पैरवी करें कि ज्यादा उम्र हो जाने कि वजह से उन्हें फाँसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो जाए… और मै अपनी वसीयत लिखवाना चाहता हूँ…

वकील: अब आपका विवाह हो चुका है…जायज बात है कि आप नयी वसीयत बनाना चाहेंगे… मुझे सिर्फ नाम दे दिजिएगा बाकी मै देख लूँगा… अच्छा चलता हूँ…

(वकील साहिब को छोड़ने राजेश बाहर चला गया और फिर से तीनों बहनें अपनी बातों मे तल्लीन हो गयीं…।)

(शाम का समय। सब ड्राइंगरूम में गपशप में मस्त है। टीना और आभा किसी गहन चर्चा में मशगूल है। लीना राजेश की गोदी में लेटी हुई है और राजेश अपनी उँगलियॉ लीना के बालों में फिराता हुआ सबकी बातें सुन रहा है।)

राजेश: मुझे लीना को कुछ बताना है… बेटा पिछले दिनों इतना कुछ हो गया कि तुम्हें सारी बात नहीं बता सका… पहले तुम अपनी छुट्टियॉ बिताने श्रीनगर गयी हुई थी, वहाँ से वापिस आयीं तो अपनी मम्मी को खो दिया… फिर तुम्हारी झटपट में मेरे साथ शादी हो गयी… कुछ भी बताने का समय नहीं मिल सका…

लीना: (राजेश के गले में बाँहे डाल कर) कोई बात नहीं पापा…

राजेश: न… आज हमें सारी बात साफ कर लेनी चाहिए… क्यों आभा… क्यों टीना…

आभा: राजेश क्यों बेचारी को उम्र से बड़ी बना रहे हो… इसके खेलने-खाने के दिन है…धीरे-धीरे इसे सब समझ में आ जाएगा…

राजेश: नहीं आभा… इसे सब कुछ जानने का हक है… लीना तुम मेरी दूसरी ब्याहता पत्नी हो…मेरी पहली पत्नी का नाम तनवी है (तनवी की याद आते ही राजेश की आँख नम हो गयी) जो अब इस दुनिया में नहीं है… तो कानूनन आज तुम मेरी पहली पत्नी हो…

लीना: तो क्या हुआ पापा…

राजेश: इसी लिए यह जरूरी है कि तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ पता हो… अगर सब कुछ जानने के बाद तुम्हें लगता है कि मै तुम्हारा पति बनने के लायक नहीं हूँ…तो मै तुम्हें तलाक दे कर आजाद कर दूँगा… लेकिन तुम्हारे लिए मेरे प्यार पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा…

लीना: पापा मै आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ…मै सोच भी नहीं सकती आप से दूर जाने की…

राजेश: बेटा क्या तुम मेरी पत्नी हो कर मुझे कुछ और लोगों के साथ बाँट सकती हो…

लीना: पापा…मुझे पता है कि आप आभा दीदी से बहुत प्यार करते हो… और आपके सम्बंध करीना के साथ भी हैं… इस से क्या फर्क पड़ता है…मुझे कोई तकलीफ नहीं है जब तक आप मुझसे प्यार करते हो…

राजेश: बेटा… यह बात नहीं है…आखिर इन को भी तो मेरे सहारे की जरूरत पड़ेगी… अगर इनमें से कोई सिर्फ मेरी पत्नी बनना चाहे तो बिना तुम्हारी रजामन्दी के मै कुछ भी नहीं करना चाहूँगा… ऐसे वक्त में तुम्हें कुछ तकलीफ हो यह मै नहीं कर सकता…

लीना: पर अगर इन को मालूम है कि मै आपकी पत्नी हूँ और फिर भी अगर यह आपके साथ रहना चाहें तो मुझे क्या आपत्ति होगी…

आभा: (बीच में बात काटती हुई) राजेश… लीना अभी छोटी और नासमझ है। मेरा तो यह विचार है कि इसे समय के साथ अपने विचार रखने की आजादी देनी होगी… पढ़ाई के बाद यह जैसा जीवन जीना चाहें इस को अपनी सारी अभिलाषाऐं पूरी करने की छूट देनी चाहिए। इसको ही क्यों, मेरा ख्याल है कि वह सब जो तुमसे प्यार करते तुम्हें उनको भी पूरी छूट देनी चाहिए…

राजेश: आभा… तुम सही कह रही हो… लीना तुम दुनिया की नजरों में मेरी पत्नी हो परन्तु तुम मेरी प्यारी गुड़िया भी हो जिसको अपनी मम्मी की सारी उम्मीदों को पूरा करना है… टीना यह मै तुम्हारे लिए भी कह रहा हूँ… मुमु चाहती थी उसकी दोनों बेटियाँ अपने जीवन की राह खुद तय करें… तो प्लीज अपनी मम्मी की इच्छा को पूरा करो…। आभा मै तुम से भी यही कहूँगा कि अपने भविष्य को बनाओ… अपनी छूटी हुई पढ़ाई को दुबारा शुरु करो… मै तुम सब के सपने पूरे करने मे अपना बिना हिचक साथ दूँगा…

टीना:…पापा…… सिर्फ आप दीदी के पति नहीं है, मेरे भी है…

लीना: क्या… (अचरज भरे स्वर में)

राजेश: हाँ… यह सच है। टीना शारीरिक सम्बंध और जीवन भर का साथ, दोनों में बहुत अन्तर है। तुम्हें जल्दी करने की जरूरत नहीं है… समय आने पर तुम अपना निर्णय लेना… मैं तुम्हारे निर्णय का आदर करूँगा और तुम्हारा साथ भी दूँगा।

टीना: नहीं पापा…इस मामले में आपकी नहीं चलेगी…आप मुझसे दीदी की तरह ही विवाह करेगें।

राजेश: बेटा इधर आओ… (टीना को अपने पास बिठा कर) जैसे तुम चाहोगी वैसे ही होगा, बस… लेकिन जब तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लोगी तब…

टीना: (जिद्द पकड़ते हुए) नहीं पापा… जैसे ही मै सोलहवें साल मे लगूँगी मुझे आपसे तब शादी करनी है…

राजेश: (हार मान कर) ठीक है…

आभा: तो मेरे बारे में क्या सोचा…

राजेश: अरे आज सब ही मेरे पीछे पड़ गये हो…(तभी दरवाजे की घंटी बजती है)

लीना: मै देखती हूँ… (कहते हुए गेट की ओर जाती है)

टीना: मुझे लगता है कि… (लीना और करीना बातें करती हुई अन्दर आती हैं)

राजेश: आओ करीना…

टीना: करीना…आज पापा को हम सब ने घेर रखा है… अच्छा हुआ तू भी आ गयी क्योंकि तेरे को भी पापा के साथ रहने का निर्णय करना है…

राजेश: हाँ… आभा मुझको लगता है कि मेरा हरम पूरा हो गया है…

आभा: (खिलखिला कर हँसते हुए) हाँ हम सब तुमको छोड़ेंगी नहीं…तुम सोच लो कि तुम्हें हम सब का ख्याल रखना है… कैसे रखोगे…।

राजेश: (हँसते हुए) हाँ मै आज वचन देता हूँ कि मै तुम सब का पूरी तरह ख्याल रखूंगा…

आभा: तनवी और मुमु आज जहाँ भी होंगी… आज तुम्हें देख कर उन्हें बहुत शान्ति मिलेगी।

लीना: आभा दीदी… यह तनवी की क्या कहानी है…

आभा: लीना… तनवी मेरी बड़ी बहन थी (राजेश की ओर देख कर) राजेश मै समझ सकती हूँ कि तुम करीना से क्यूँ इतना लगाव रखते हो… वाकई में चेहरे और शरीर की बनावट में हुबहू करीना बिल्कुल तनवी की कापी है…

राजेश: हाँ आभा…तुम सही कह रही हो। जब करीना को मैने पहली बार देखा था तो मुझे लगा था कि तनवी वापिस आ गयी है… यह तब मेरे ख्याल से आठ वर्ष की होगी… फिर जब भी यह टीना के साथ घर पर आती थी तो मेरी निगाह इस पर जा कर टिक जाती थीं… कई बार मुझे आत्मग्लानि होती थी…पर दिल था कि मानता नहीं…

करीना: अंकल… तनवी कौन थी…

आभा: उसी के बारे में तो बता रही थी…वह मेरी बड़ी बहन थी… लीना की मम्मी से छोटी… तुम्हारे प्रेमी की पहली पत्नी… बहुत सुन्दर और मिलनसार थी। तनवी और राजेश की प्रेम कहानी तब शुरु हुई थी जब राजेश स्कूल पास करके अमेरिका जाने से पहले अपने घर आया था। अमेरीका जाने की पूर्व रात को इन दोनों ने गाँव के मन्दिर में विवाह कर लिया था।

क्रमशः

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