बदले की आग compleet

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rajaarkey
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बदले की आग compleet

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:08

बदले की आग- (भाग - 1 )
नहीं पिताजी ऐसी तो कोई बात नहीं. यहाँ किसी से इत'नी अभी जान पहचान भी नहीं हुई है. यहाँ सारा माहॉल कुच्छ नया नया लग'ता है. अभी 4 साल पह'ले ही मैं पहली बार इंग्लेंड गया था. उस'के बाद अभी अपने देश भारत में आना हुआ. आते ही अप'ने पूराने दोस्तों में ऐसे रम गया जैसे की यह कल की ही बात हो. यह तो पिताजी ने बहुत ज़ोर दिया तब मैं इस पार्टी में आ गया, नहीं तो मैं अप'ने कॉलेज के दोस्तों में ही सारा समय व्यतीत कर'ता था.

अच्च्छा कोई दोस्त बनाया की नहीं? चलो मैं तुम्हें अप'ने दोस्त के परिवार से मिलाता हून. मैं उन के पीच्चे चल परा. उन्हों'ने अप'ने दोस्त से मेरा परिच'य कराया.

बेटा यह अंकल यशपाल हैं और यह आंटी रागिनी हैं, इन की बीवी. अंकल और आंटी बऱे तपाक से मिले और फिर अंकल'ने आवाज़ दी..

कामिनी बेटी ज़रा इधर तो आओ. वह धीमी चाल से चलती हुई आई और मुझ पर एक नज़र डाल कर अप'ने चाचा की तरफ मुर कर देखा.

क्या बात है, चाचा आप'ने मुझे क्यों आवाज़ दी?

बेटा मैं तुम्हें अप'ने पुरा'ने दोस्त और इन के बेटे से मिलाना चाह'ता हून. उस'ने पिताजी और मुझे सलाम किया. फिर वापिस अप'ने दोस्तों की तरफ जेया'ने लगी तो अंकल'ने उसे कहा की,

Bएटी विशाल को अप'ने दोस्तों से मिलाओ और इन्हें कंपनी दो. मैने दिल में अंकल को दुआ दी. 'काश कुच्छ और भी माँग'ता तो मिल जाता आज'. वा मुझे अप'ने दोस्तों से मिला'ने ले गयी. उस के दोस्तों'ने मुझे बहुत पसंद किया. फिर हँसी मज़ाक होने लगा. उधर पता नहीं अंकल और पिताजी में क्या बातें होने लगी थी. वा हम दोनों को देख'ते और मुस्करा देते. वा तो घर वापिस आ के पता चला की पिताजी और अंकल'ने हमारा रिश्ता पक्का कर दिया है. , क्योंकि मुझे वापिस भी इंग्लेंड जाना था.

हमारी शादी अग'ले सप्ताह होनी थी. फिर शादी भी हो गयी. सुहाग रात आई. ( जहाँ से मेरी बदक़िस्मती शुरू हुई ) जब मैं कम'रे में आया तो वह बिस्तर पर बैठी थी. मैं दिल में अरमान लिए उस'के पास पाहूंचा और हमारे बीच 'हेलो हा'य' हुई और मैने उस'का घून्घट उठाया, वाउ! क्या नज़ारा था? जैसे आस'मान का चाँद ज़मीन पर उतर आया हो. मैने उसे मूँ'ह देखाई में एक सोने का सेट दिया जो की उसे बहुत पसंद आया.

उस'ने शुक्रिया के साथ सेट ले लिया और फिर हम बातें कर'ने लगे और साथ साथ मैं उस'के बदन पर हाथ फेर'ता रहा जिस'से वह गरम होने लगी. मैने उस'का चेह'रा अप'ने हाथों में ले कर उस'के होठोन पर एक चुंबन लिया और साथ ही अपनी जीभ उस'के मूँ'ह में घुसा दी. वा मेरी जीभ चूस'ने लगी. मेरे हाथ उस'की चूचियाँ पर चल'ने लगे और मैने उस'की चूचियाँ को दबाना शुरू कर दिया जिस'से उस'ने हल्की सी सिसकी ली..

मैने साथ ही उस'के कप'रे उतार'ने शुरू कर दिए. जब मैने उस'की कमीज़ उतारी तो पागल सा हो गया. उस'का कोरा बदन देख के, क्या बदन था? गोरा और उस'ने काली ब्रासियर पहनी हुई थी. मैने उसे उतार'ने में वक़्त नहीं लगाया और क्या नज़ारा था? उस'के 36 आकार के मुममें मेरे हाथों में थे. क्या मुममें थे. गुलाबी चूचुक और बऱे अंगूर के बराबर चूचुक का आकार था. देख'ते ही चूम'ने और चाट'ने का दिल कर रहा था. मैने वाक़त बर्बाद नहीं किया. उस'के चूचुकों को चूसना शुरू कर दिया जिस'से वह मस्त हो गयी. आहें भर'ने लगी.

ओह... ओह.... विशाल क्या कर रहे हो बहुत मज़ा आ रहा है. चूसो, काटो. चूसो, यह सब तुम्हारा है. विशाल. ऊईइ.... ओह.. और मैं वहाँ पर ही नहीं रुका मेरा हाथ बल्कि अब उस'की छूट पर पाहूंछ चुका था. वाउ! क्या चूत थी. बिल्कुल सॉफ एक भी बॉल नहीं था. जब मैने अंगुली उस'की चूत के होठों पर घुमाई तो वह सिस'कारी लेने लगी.

उः... विशाल ! मत छेऱो ना. मैने उस'की चूत के होठोन को दो अंगुलियों से खोला और मेरी बीच की अंगुल उस'के भगोष्ट पर फिरानी शुरू कर डी जिस'से वह और मस्त हो गयी. मुझ से कह'ने लगी.

विशाल डार्लिंग. क्या कर दिया है? तुम'ने मेरे सारे जिस्म में गरमी भर दी है.. मैने कहा की,

फिकर मत करो वह गरमी मैं ही निकालूँगा डार्लिंग! और मैने उस'की चूचियाँ को छोऱ कर उस'की चूत की तरफ जाना शुरू किया. बीच में उस'का पेट आया, जिस'को चाँद चुंबन दे के मेरे होत उस'की चूत पर पहूच गये. फिर क्या था? मैने ना आव देखा ना ताव. दोनों हाथों से उस'की चूत के होठोन को एक दूसरे से अलग किया. मेरी ज़ुबान से उस'की चूत को चाट्न शुरू किया. साथ ही उस'की सिसकियों का दौर शुरू हुआ.

विशाल क्या कर रहे हो? बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊईइ.... ओह.. और चूसो. विशाल मैं तुम्हें बहुत प्यार कर'ती हून.. चूसो, मैं पागल की तरह उस'की चूत चाट रहा था. चूत पर चुंबन देने लगा, क्या मज़ा था? फिर क्या था? कुच्छ की वाक़त में वह झऱ'ने लगी..

विशाल मैं झऱ रही हून. उस'ने मेरा सिर अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया. मुझे साँस लेने में मुश्'किल हो रही थी. वह अप'नी ही मस्ती में थी. मैं भी रुका नहीं और वह एक गहरी कराह के साथ ही स्खलित हो गयी. उस'का हाथ मेरे सिर पर ढीला पऱ तो मैने फॉरन अपना सिर वहाँ से हटाया और एक गहरी साँस ली. वा कुच्छ देर तक मस्ती में ही रही. मैने वाक़त नहीं बार'बाद कर'ते हुए अप'ने सारे कप'रे उतार दिए. मैं पूरी तरह नंगा हो गया. जब उस'की नज़र मेरे 9 ½ आकार के लौऱे पर पऱी तो उस'की आँखें खुल गयी. जब वह शॉक से बाहर निकली तो सिर्फ़ इतना ही बोल पाई.

क्या यह लंड किसी गढ़े या घोरे का है. इतना बरा, मेरी चूत तो आज फॅट जाएगी. क्या इतना बऱ मेरी चूत में घुस जाएगा? नहीं यह बहुत बऱ है नहीं बाबा यह तो मेरी चूत में बिल्कुल नहीं जाएगा. मैने कहा की,

फिकर मत करो मैं घुसा लूँगा और तुम्हारी छूट इसे पूरा अप'ने अंदर ले भी लेगी.

विशाल यह अगर मेरे अंदर गया तो मैं तो मर जवँगी. इतना बऱ, हे भगवान मेरी रख्श करो! मेरी चूत का क्या होगा? मैने कहा की,

फिकर क्यों करती हो? मैं बहुत आराम से करूँगा. तुम्हें पता भी नहीं चलेगा. अभी तो तुम मेरे लौऱे को चूसो. इसे तैयार करो, फिर देखना यह कैसे तुम्हारी चूत की चुदाई करता है. मैने अपना लंड उस'के मूँ'ह में दिया. लेकिन मेरा लुन्ड बहुत बऱ था. उसे तकलीफ़ हुई, शुरू में. पर फिर उस'ने तकरीबन आधा लंड मून'ह में ले लिया और उसे चूस'ने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. क्या चूस'ती थी. कभी वह मेरे लौऱे को मूँ'ह से बाहर निकाल'ती और उस पर ज़ुबान फेर'ती और फिर मून'ह में ले लेती. कुच्छ देर के बाद मैने उस'के मून'ह से लंड बाहर निकाला और उस'को बिस्तर पर लिट दिया. मैने साइड तबले से सरसों का तेल लिया और कुच्छ अप'ने लौऱे पर और कुच्छ उस'की चूत पर लगाया और जब मैने अप'ना लंड उस'की चूत पर रगड़ा तो उस'ने सिस'कारी ली..

विशाल शाबास ! बहुत आराम से करना, तुम्हारा बहुत बऱ है. मेरी चूत नन्ही मुनी सी है.

फिकर मत करो कामिनी डार्लिंग और मैने अप'ने लौऱे का सिर उस'की चूत के होठोन में पहंसा के आहिस्ता आहिस्ता दबाव डालना शुरू किया. जैसे ही मेरा लंड का टोपा अंदर हुआ उस'की चीख निकल गयी. वह तो अच्च्छा हुआ की मेरा कमरा ऊपर था. वरना सब ही जमा हो जाते की क्या हो गया है. मैने उसे तस्सल्ली डी की,

बस कामिनी डार्लिंग सबर से काम लो, अब चीख नहीं मार'ना. मैने इस'के साथ ही ज़रा सा और दबाव दिया. उस'की एक और चीख निकल गयी. मैने फॉरन उस'के मूँ'ह पर हाथ रख दिया. साथ ही लंड उस'की चूत में घुसाना शुरू कर दिया. वह मेरे नीचे तऱप रही थी. पर मैने सोचा की विशाल बेटा अब पूरा घुसा के ही दम लेना वरना यह फिर काबू में नहीं आएगी. मैने कुछेक ज़ोर दार झटके मारे जिस'से मेरा लंड अब तकरीबन पूरा उस की चूत में घुस चुका था.

मैने उस'की आँखों में आँसू देखे. मुझे तरस भी आया पर क्या करता लंड तो घुसाना था. जब मैने लंड ज़रा सा उस'की चूत से बाहर निकाला और फिर एक ज़ोरदार झट्क मारा तो वह मेरे नीचे तऱप'ने लगी. वा सिर को दाएँ बाएँ घुमा रही थी. दर्द के मारे उस'की जान निकल रही थी. मेरा पूरा लंड अब उस'की चूत में घुस चुका था. मैने उसे अंदर ही रह'ने दिया. जब 5 मिनिट के बाद वह शांत हो गयी तो मैने उस'के मूँ'ह से हाथ हटा लिया.. उस'ने जो पहला लफाज़ कहा वह था.

तुम बहुत ज़ालिम हो विशाल. तुम'ने मेरी चूत का सत्या नास कर दिया है. मेरी चूत तो फट गयी हो जी. आह्ह्ह क्या दर्द हो रहा है. मैं तो समझी की मैं मर जवँगी. मैने उसे कहा की,

कामिनी डार्लिंग बस जो होना था हो गया. अब तुम्हें दर्द नहीं होगा सिर्फ़ मज़ा ही आएगा और मैने उस'के होठोन पर चुंबन की बार'सात शुरू कर दी. साथ ही साथ उस'की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया जिस'से उसे मज़ा आ'ने लगा और उस'की सिस'कारियाँ निकल'ने लगी..

हम और जब वह फिर से गरम हो गयी तो मैने आहिस्ता से लंड बाहर निकाला लेकिन टोपा अंदर ही रह'ने दिया. फिर आहिस्ता से उस'की चूत में अंदर तेल दिया. उस'ने हल्की सी दर्द में डूबी सिस'कारी ली. मैं यह अमल कुछ देर तक करता रहा. अब मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. कुच्छेक मिनिट के बाद उसे भी मज़ा आ'ने लगा. उस'ने अप'ने होठों को मेरे होठों पर कस के लगा लिया की जैसे यह अब अलग नहीं हो. जब मैने उस'की चूत मार'ना शुरू किया तो वह अब मस्ती भारी सिस'कारियाँ ले रही थी.

ओउउउउउइ. विशाल और चोदो मेरी चूत का कचूमर निकाल दो. आह क्या लंड पाया है तुम ने. विशाल बहुत मज़ा एयेए रहा है.. विशाल मेरी चूत पर रहम नहीं करना. इसे इतना चोदो की इस की प्यास बुझ जाए. चोदो. ऊईइ.... ओह.. और मैने तेज गति से उस'की चूत चोदना शुरू कर डी जिस'से उसे और भी मज़ा आ'ने लगा और उस'की सिस'कारियाँ और भी तेज़ हो गयी थी.

विशाल मेरे पति देव, मेरे यार, मेरे सब कुछ तुम्ही हो. मेरी चूत रोज ऐसे ही चोद'ना. मेरा सारा बदन तुम्हारा है. तुम इसे जैसे चाहो इस्तेमाल करना. उः.. विशाल मैं झऱ'ने वाली हून. शाबास ! रुकना नहीं, बस चोद'ते रहो. आह आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो और फिर उस'ने अपनी टाँगों को मेरी कमर पर कस लिया.. वा झऱ'ने लगी और फिर वह शांत हो गयी. लेकिन मैं भी झऱ'ने वाला था. कुच्छ झटकों के बाद मैने कहा की ,

आआआ... कामिनी मेरी डार्लिंग. मैं झऱ'ने वाला हून. मैं तुम्हारी चूत में ही झऱून्ग. क्या तुम मेरा वीर्य अपनी इस चूत में भर लो जी. हा'य मेरी रानी! और मैने एक गहरा झट्क दिया. लंड उस'की चूत में आख़िर तक घुसेऱ कर पूरा वीर्य उस'की चूत में छोऱ दिया. फिर उस'के जिस्म पर गिर गया. क्या मज़ा आया था? संकरी चूत का मज़ा ही कुच्छ और होता है. 10 मिनिट के बाद जब मैने अपना लंड उस'की चूत से निकाला तो पहला झट'का मुझे वहाँ ही लगा.

मेरे लौऱे पर सिरफ़ वीर्य था. उस'के खून का कहीं नामो निशान नहीं था. तो क्या यह कुँवारी चूत नहीं थी. हन जब मेरा लंड उस'की चूत में जा रहा था तो किसी चीज़'ने उसे रोका नहीं, सिर्फ़ चूत संकरी थी. लेकिन सील नहीं थी. खून भी नहीं है. क्या मेरे साथ फिर वह ही हुआ है. जो कुच्छ साल पहले हुआ था जब मैने जूली नाम की एक विलायती लऱ'की को चोदा था. वा भी कुँवारी नहीं थी. अब मेरी बीवी, श गोद! मैने कामिनी से कहा,

कामिनी, तुम कुँवारी नहीं हो क्या? तुम्हारी ज़िंद'जी में कोई और भी आया था तो प्लीज़ बता दो. आज हमारी ज़िंद'जी की शुरुआत है. मैं तुम से कुच्छ नहीं छुपऊन्गा ना तुम कुच्छ छुपाना. आज सच सच बता दो. लेकिन वह कहाँ मान'ने वाली थी. वा रो'ने लगी. यह ही कहती रही की मैं कुँवारी ही हून. मैने कुच्छ नहीं कहा. मैने कहा की,

मैने तुम्हारी बात को मान लिया.. मैने देखा की उस'की आँखों में मगरमच्छ के आँसू हैं. लेकिन मैने सोच रखा था की अगर वह कुँवारी नहीं भी है तो क्या हुआ. अगर मुझे सच बोल दे'जी तो मैं उसे माफ़ कर दूँगा पर वह झूट पर झूट बोलती जा रही थी. जिस का मुझे बहुत गुस्सा था. लेकिन मैने जाहिर नहीं होने दिया. मैने उसे बाहों में ले कर चूमना शुरू कर दिया. वा भी समझी के मैं उस'के झाँसे में आ गया. मैने सोचा की चलो मैं कौन सा कुँवारा था. भूल जाओ बेट विशाल और नई ज़िंद'जी की शुरुवत करो और उस रात मैने उसे 4 बार चोदा.

आग'ले दिन पिताजी'ने कहा की वह वापिस इंग्लेंड जा रहे हैं और क्योंकि मेरी 2 महीने की छुट्टी है तो मैं बाद में आ जौन. मैने उन्हें एर पोर्ट पर छोड और वापिस घर आ गया. कामिनी मेरा इंत'ज़ार कर रही थी. हम'ने खाना खाया और फिर चुदाई शुरू हो गयी. हम'ने ना दिन देखा और ना रात, बस चुदाई कर'ते रहे. फिर एक दिन क्या हुआ उस'के चाचा'ने हमें डिन्नर पर बुलाया. हम जब वहाँ पाहूंचे तो उन सब'ने हमारा शानदार इस्तक्बाल किया. उस'की दो चचेरी बहनें थी और एक चचेरा भाई भी. अंकल ज़्यादा उमर के थे. आंटी बहुत खूबसूरत और सेक्सी थी. लगता नहीं था की 3 बच्चों की मा है.

दोनों चचेरी बहनें तो क्या माल थी. देख'ते ही लौऱे में हरकत शुरू हो गयी. पर मैने काबू पा लिया.. लौऱे पर और थपकी दे'कर सुला दिया की बेट अब सब मा बहन है. जब हम सब का परिचा'य हुआ तो पता चला के एक चचेरी बहन की शादी हो चुकी है. एक बच्चा भी है, 3 महीने का. दूसरी छ्छो'ती वाली अभी कुँवारी है. भाई शाब जो है वह जॉब कर'ते हैं और अभी शादी नहीं हुई है. हम सब खाना खा चुके तो सब टीवी लौंगे में आ गये. कॉफी वहाँ ही माँगा ली. कुच्छ देर बाद कामिनी अपनी चचेरी बहनों के साथ उन की मदद कर'ने चली गयी. फिर कौशल उस'का चचेरा भाई, वह भी कुच्छ काम का बहाना कर के चला गया. अब मैं अंकल और आंटी ही रह गये.

हम बातें कर'ने लगे, मुझे टाय्लेट जाना था. मैने अंकल से एक्सक्यूस किया. टाय्लेट का रास्ता पूचछा जो की साथ ही था. टीवी लौंगे से बाहर निकल के दूसरा दर'वाजे में टाय्लेट के लिए चल दिया. जब मैं टाय्लेट से फारिग हो के बाहर आया तो मुझे बगल के कम'रे में कुच्छ बताओं की आवाज़ आई. मैने गौर किया तो वह कामिनी और कौशल की आवाज़ें थी जो की बहुत ही धीमी आवाज़ में बातें कर रहे थे. मैने सोचा की पता नहीं क्या बातें हो रही हैं और वक़्त भी बहुत हो गया है. मैने सोचा कामिनी से कह कर अंकल से घर जेया'ने की इजाज़त लेते हैं और मैने आहिस्ता से जब दरवाज़ा खोला तो क्या देखता हून की कामिनी कौशल की बाँहों में थी. कौशल उस'पर चुंबन की बार'सात कर रहा है. मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन निकल'ती जा रही थी. मैने दर'वाजे को थोऱ सा खुला किया और अंदर का नज़ारा देख'ने लगा.

rajaarkey
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Re: बदले की आग

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:09

बदले की आग (भाग - 2)

मैं कमरे को थोरा सा खोल के अंदर का नज़ारा देख रहा था. कामिनी कौशल की बाँहों में थी लेकिन वह खुद को छुराने की कोशिश कर रही थी. वह छट'पटा रही थी और लग'ता था की वह आप'नी इच्च्छा से आप'ने चचेरे भाई कौशल की बाँहों में नहीं थी. तभी मैने कामिनी की आवाज़ सुनी.

कौशल मुझे छोड़ दो तुम यह क्या कर रहे हो? मैं अब शादी शुदा हून. छ्होऱ दो मुझे. लेकिन वह तो मस्त हो गया था. उस'ने आप'ने दोनों हाथ ज्योन्ी मेरी बीवी के मुम्मों पर दबाए तो कामिनी'ने गुस्से में उसे कहा की,

कुत्ते छोऱ मुझे, वरना मैं तेरी जान ले लूँगी. उस'ने पास परा हुआ गुल्दान उठा लिया.. कौशल'ने डर कर उसे छोऱ दिया. ज़रा सा पीच्चे हट गया. अब कामिनी गुस्से में उसे गालियाँ निकाल रही थी.

हरामी तुम'ने पहले मुझे नींद की गोलियाँ दे'कर मेरा बलात्कार किया था. तुम्हारी इसी कमिनी हरकत से मेरी ज़िंद'जी खराब हो जाती लेकिन मेरा पति मेरी बात पर यक़ीन कर लिया की मैं कुँवारी थी. मुझे पता है की वह सब समझ गये हैं लेकिन उन्हों'ने मुझे कुच्छ नहीं कहा वह बहुत अच्च्चे हैं. अब कभी तुम'ने दुबारा मेरी तरफ गंदी नज़र से देखा तो मैं तुम्हें मार दूँगी. कुत्ते इंसान! पहले जो कुच्छ भी हुआ वह बलात्कार था. मुझे पता है, इस में तुम्हारी बहनें भी शामिल थी. उन्हों'ने ही तुम्हारी मदद की थी.

साले तुम'ने आप'नी दोनों बहनों की मुझे बर्बाद कर'ने में मदद ली थी. उन'के पास भी तो वह सब कुच्छ था, तो फिर उन'पर ही क्यों नहीं चढ गये. यही तो सगे और पराए में फ़र्क़ है. वह तो मैं परिवार का इज़्ज़त का ख़याल कर'के चुप रह गई. मुझे शक़ है तुम्हारी मा भी तुम नालायक औलादों जैसी कमिनी है. शायद उसे भी इस बात का पता है. लेकिन अब तुम कुच्छ भी नहीं कर सकोगे मेरा विशाल एक एक को देख लेगा. मैं दरवाज़े से हट गया. वापिस टीवी लाउंज में चला गया.

लेकिन मैं सोच रहा था की कामिनी के साथ बहुत बुरा हुआ. मेरे दिल में उस'के लिए प्यार और भर गया. उस में कामिनी की क्या गाल'ती थी. उसे तो अंजाने में नींद की गूलियन खिला कर उस'का बलात्कार किया गया था. मेरा गुस्सा बढ़'ता जा रहा था. मेरा दिल कर रहा था की कौशल का खून कर दूँ पर मैं होश खोना नहीं चाह'ता था, ना ही इतनी आसानी से उसे छोऱ देना चाह'ता था. मैं उसे ऐसी सज़ा देना चाह'ता था की वह सारी ज़िंद'जी याद रखे. मैं आप'ने ख़यालों में ही खोया था की कामिनी कम'रे में आई वह नॉर्मल लग रही थी लेकिन उस'की आँखों में अभी भी गुस्से की झलक थी. वह मेरे पास आई और बोली,

विशाल चलो घर चल'ते है. बहुत देर हो गयी है. मैने वक़्त नहीं ज़ाया कर'ते हुए अंकल और आंटी से इज़ाज़त माँगी और निकल पऱे. रास्ते में मुझे कामिनी पर बहुत प्यार आ रहा था. मैने उस'का हाथ पकऱ कर होठों से लगाया तो वह चौंक उठि. मैने फिर उस'के हाथ पर चूमा तो वह बोली ,

क्या बात है? विशाल आज बहुत प्यार आ रहा है. मैने कहा की,

मुझे तो हमेशा तुम पर प्यार आता है. तुम हो ही इतनी खूब'सूरत के दिल करता है तुम्हें दुनियाँ की नज़रों से च्छूपा लून और साथ ही मैने झुक कर उस'के होंठों को चूमा तो वह बोली,

मेरे प्यारे पति देव शाब आप अभी बहक रहे हैं., नज़र रास्ते पर रखें और घर जाके आप खूब अरमान निकाल लीजिएगा और मैने फिर रास्ते पर नज़र कर ली. हम थोऱी देर में घर पाहूंछ गये. मैने उतार कर कार बाँध की और कामिनी की तरफ आया और कुच्छ कहे बगैर मैने उसे अपनी बाँह में उठा लिया और उस'के होंठों पर चूमा. वह बोली ,

क्या बात है? आज आप को क्या हो गया है? घर के अंदर तो चलें कोई देख लेगा. आप क्या कर रहे हैं.. मुझे नीचे उतारएं.

नहीं मैं तुम्हें नीचे नहीं उतारूँगा और अगर किसी'ने देख लिया तो क्या, तुम मेरी बीवी हो और मैं उसे उठाए हुए घर के अंदर चला गया. मैं उसे सीधे आप'ने बेड रूम में ले गया. रास्ते भर मैने उस'के होंठों को चूमता रहा. बेड रूम में मैने उसे बिस्तर पर लिटय और मैं उस'के ऊपर हो गया. वह अब मेरे नीचे थी. मैं पागलों की तरह उस'पर चुंबन की बार'सात कर रहा था. वह भी काफ़ी गरम हो चुकी थी. उस'ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी. वह बोली,

मुझे कप'रे तो चेंज कर'ने दें.

नहीं कामिनी आज मैं तुम्हें ऐसे ही प्यार करूँगा, सारी रात और मैने फिर आप'ने होठों से उस'के होठों को चूम लिया.. मेरे हाथ उस'की चूचियों को मसल रहे थे. मैने फिर आप'ने हाथ से उस'की साड़ी को ऊपर उठाय और अब मेरे हाथ उस'की पनटी पर थे. उस'ने एक सिस'कारी ली.. मैने उस'की पनटी के ऊपर से ही उस'की चूत को मसलना शुरू कर दिया जिस'से वह गरम हो गयी. कामुक सिस'कारी पर सिसकारी ले रही थी..

ऊह.. विशाल. आप को आज क्या हो गया है.. मेरे घर पर ऐसा क्या हो गया की आप एक दम से बदल गये. फिर मैने अपना हाथ उस'की पनटी में डाल दिया. मेरा हाथ उस'की चूत पर था. अब मैने सहज होने के लिए उस'की पनटी को उतार दिया. पनटी को ज़मीन पर फेंक दिया. मैं उस'की गुलाबी रंगत की चूत पर हाथ फ़ायर रहा था. वह सिसक रही थी. फिर मैने उस'की चूत के होठों को अपनी बीच की अंगुल से मसाला और फिर उस'के भगोष्ट पर जब मेरी अंगुली गयी तो वह मदहोश हो गयी. मुझे अपनी बाँह में कस लिया और बोली.

ऊह.. विशाल आप आज मुझे पागल कर देंगे.. आह.... विशाल छोऱो ना, और मैने कुच्छ देर उस'के भगोष्ट को अपनी अंगुल से मसला. फिर मैने अपनी अंगुल उस'की चूत में डाल'नि शुरू की. वाउ! उस'की चूत बहुत ज़्यादा गीली हो गयी थी. मेरी अंगुल जैसे मक्खन में गरम च्छुरी जाती है वैसे ही चली गयी. उस'ने फिर एक ज़ोरदार सिस'कारी ली..

विशााआल! आप'ने मुझे पागल कर दिया है. . अब मुझ से रहा नहीं गया. मैने अपनी पॅंट को खोला, लंड बाहर निकाला और पॅंट को उतारे बगैर मैने अपना लंड उस'की गीली चूत पर रख दिया. एक ज़ोरदार धक्का दिया. मेरा लंड 4इंच तक उस'की चूत में घुस गया. उस'ने एक गहरी कराह ली..

विशाल आज तो तुम मुझे मार ही डालोगे. तुम्हारा जोश तो दिन प्रति दिन बढ़'ता ही जा रहा है. और मैने एक और धक्का दिया. मेरा लॉरा 6" तक चूत के अंदर घुस गया. मुझे इतना जोश आया हुआ था की मैं चाह'ता था की पूरा लंड एक ही धक्के से उस'की चूत में डाल कर ज़ोर ज़ोर से उसे चोदून लेकिन लंड कुच्छ बऱ था. इस'लिए एक धक्के में अंदर नहीं जा रहा था. तकरीबन 5 या 7 धक्कों के बाद मेरा पूरा लंड कामिनी की चूत में था क्योंकि उस'की चूत बहुत गीली हो चुकी थी. लंड आसानी से पूरा चला गया. उसे ज़्यादा दर्द भी नहीं हुआ और वह भी बहुत जोश में थी.

बस फिर क्या था? हम ऐसे एक दूसरे में खो गये जैसे दो जान'वार आपस में संभोग में लिप्त होते हैं.. वह अपनी चूत को ऊपर उठा उठा के मेरे धक्कों का स्वागत कर रही थी. मैने उस'के होंठों को चूम'ना शुरू कर दिया. साथ ही साथ ज़ोरदार तरीके से उसे छोड़ रहा था. मैने जोश में आ के उस'का ब्लाउस फाऱ दिया. साथ ही उस'की ब्रा भी फाऱ दी. अब उस'की चूचियाँ मेरे मूँ'ह में थे. उस'के गुलाबी चूचुकों को चूसना शुरू किया. वह सिसक रही थी..

विशाल.... आप'ने मुझे पागल कर दिया है. मैं तुम्हें बहुत प्यार कर'ती हून. विशाल तुम मुझे कभी नहीं छ्होरना वरना मैं मार जवँगी. मैं तुम्हारे बिना अब एक पल भी अकेली नहीं रह सक'ती. तुम्हें पहले दिन देख'ते ही मैं तुम पर दिल हार चुकी थी. मैं तुम्हें बहुत चाह'ती हून. विशाल.... उस'की बातों'ने मुझे मदहोश कर दिया था. फिर थोऱी देर के बाद ही वह झऱ'ने वाली थी.

ऑश विशाल मैं झऱ'ने वाली हून.. ऊह.. विशाल और ज़ोर से छोड़ो अपनी कामिनी को और वह झऱ गयी. अब मैं भी झऱ'ने वाला था. मैने कहा,

कामिनी मैं भी झऱ'ने वाला हून और उस'ने अपनी दोनों टाँगों से मेरी कमर को पकऱ लिया और अपनी चूत को ऊपर की तरफ धक्का देने लगी. मैने एक ज़ोरदार दाहका लगाया. मेरा लंड उस'की चूत में गहराई तक उतार गया. मैने उस'की चूत में सारा वीरया छोऱ दिया. फिर मैं उस'के बदन पर गिर गया. हम दोनों गहरी साँसें ले रहे थे जैसे कुत्ते हाँप'ते हों. मैं उस'की नंगी छ्चाटी पर परा हुआ था. उस'की चूचियाँ मेरी छ्चाटी से डब रही थी. हमें कुच्छ होश नहीं था. शादी के इन 10 दिनों में यह पहली बार हुआ था की हम'ने इतनी ज़ोरदार चुदाई की थी की होश भी नहीं रहा और हमें पता भी नहीं चला कब हम सो गये. सुबह जाके हम दोनों की आँख खुली. वह अब भी मेरे नीचे ही थी. मेरा लंड उस'की चूत में था. मैं उस'के ऊपर से हट गया. उस'ने मेरी आँखों में देख'ते हुए कहा,

विशाल आप'ने क्या जादू कर दिया था. रात को मुझे होश ही नहीं रहा. मैने उस'के होठों को चूमा और बोला,

कामिनी डार्लिंग तुम'ने भी तो मुझे मदहोश कर दिया था. अब जाके होश आया है.

अच्च्छा, अब ज़्यादा मस्का नहीं लगाना. चलो उठेन,

कितना वक़्त हो गया है? मेरी नज़र जब घऱी पर पऱी तो दिन के 11 बाज'ने वाले थे. मैं एक झट्के से उठा तो वह भी उठ गयी लेकिन जब उस'की नज़र अपनी साड़ी पर पऱी तो उस'की तो हालत खराब थी. (शाडी की बात कर रहा हून.) वह बोली,

आप'ने मेरी कीमती साड़ी फाऱ डी है. पूरे 20,000 र्स की थी. मैने कीट'नी चाहत से खरीदी थी.

कोई बात नहीं डार्लिंग मैं तुम्हें इस से भी अच्च्ची साऱियान ले के दूँगा और मैने उस'के होठों को चूमा. हम'ने साथ ही शवर लिया और वह रसोई में चली गयी नाश्ता बना'ने को और मैं फिर गहरी सोच में गिर गया. सोच'ने लगा की मुझे कामिनी की चचेरी बहनें और उस हरामी कौशल के परिवार से कामिनी का बदला लेना है. प्लान सोच'ने लगा की इट'ने में मुझे कामिनी की आवाज़ आई और मैं अपनी सोचों से बाहर आया. वह मुझे नाश्ते के लिए बुला रही थी. मैं नीचे डाइनिंग हॉल को चल परा. वह मेरा इंत'ज़ार कर रही थी. मैं उस'के पास बैठ गया. हम'ने नाश्ता किया. फिर मैने कामिनी से कहा की,

चलो शॉपिंग के लिए चल'ते हैं तो वह बोली,

मैं तो मज़ाक कर रही थी. शाडी का मेरे पास बहुत स्टॉक है. आप फिकर नहीं करें.

नहीं कामिनी मैं आज तुम्हें अपनी पसंद का तोहफा देना चाह'ता हून. हम लोग शॉपिंग के लिए निकल पऱे. जब हम शॉपिंग कर रहे थे तो मेरी नज़र एक सोने की सेट पर पऱी. मैने फ़ौरन वह खरीद लिया और कामिनी को उप'हार में दिया. वह बोली,

आप भी पागल हैं., इतना कीमती सेट लेने की क्या ज़रूरत थी.

कामिनी तुम्हारे लिए तो मैं जान भी दे सक'ता हून. यह सेट क्या चीज़ है तो वह फ़ौरन बोली,

आप को मेरी उमर भी लग जाए. आप फिर कभी ऐसी बात नहीं करना प्लीज़.

अच्च्छा बाबा नहीं करूँगा, चलो माफ़ कर दो. हम जब शॉप से बाहर निकले और फिर मैने दो अच्च्ची सी साऱियान कामिनी को दिलवाई. हम'ने सोचा की चलो पहले कामिनी के चाचा के घर जाते हैं जो पास ही था और फिर लंच किसी अच्च्चे से रेस्टोरेंट में कर'ते हुए घर वापिस जाएँगे. अंकल आंटी'ने हमारा बऱे तपाक से इस्टाकबाल किया. अंकल ने कहा,

विशाल बेटे जब तक यहाँ हो, आते रहो. अब तो तुम्हारे पिताजी भी इंग्लेंड वापस चले गये हैं. कामिनी बेटी के चले जाने से घर सूना सूना लग'ता है. तुम दोनों को देख लेने से ही दिल खुश हो जाता है. चलो खाना तो खाओगे ना हमारे साथ तो कामिनी फ़ौरन बोली,

नहीं चाचजी, हम लोगों'ने आज खाना बाहर खा'ने का सोचा है. हन चाय ज़रूर ले लेंगे और वह चाची के साथ रसोई में चली गयी. मैं और अंकल बातें कर'ने लगे. कुच्छ वक़्त के बाद कामिनी और आंटी चाय ले कर आई और हम सब'ने चाय पी और फिर हम रेस्टोरेंट के लिए निकल पऱे. रेस्टोरेंट में हम'ने कोने वाली तबले ली. खा'ने का ऑर्डर दे'ते हुए जब मेरी नज़र दर'वाजे पर पऱी तो कामिनी की चचेरी बहनें रेस्टोरेंट में दाखिल हो रही थी. लग'ता है वह भी शॉपिंग कर के आई थी. कामिनी की नज़र उन पर गयी तो बोली,

ये दोनों यहाँ क्या कर रही हैं? और उन दोनों'ने हमें देख लिया और हमारी तबले पर आ गयी थी. हम'ने उन्हें बैठ'ने के लिए कहा और दोनों'ने बैठ'ने में दायर नहीं लगाई. मैने उन के लिए भी खा'ने का ऑर्डर दिया. खा'ने के बाद जब हम सब रेस्तूरंत से बाहर आए तो मैने पूचछा,

क्या कार लाई हो या टॅक्सी में आई हो तो वह बोली की टॅक्सी पर आई थी. मैने कहा की,

चलो हम तुम्हें छोऱ देंगे घर पर. मैं उन दोनों के करीब होना चाह'ता था की कामिनी का बाद'ला भी तो लेना था. दोनों बहनों को मैं कुच्छ ज़्यादा ही भाव दे रहा था. वह खुश हो रही थी. जब उन को घर उतारा तो बऱी वाली बहन बोली,

आप चाय हमारे साथ पीएन. हम'ने बहूत माना किया पर वह दोनों नहीं मानी और हमें खींच कर घर में ले गयी. अब मैं आप लोगों का दोनों बहन से परिचा'य करा दूँ. Bअऱी वाली का नाम रूचि, आगे 26 साल, फिगर 38 30 36, रंग गोरा और एक बच्चे की मा. इसी लिए उस'की चूचियाँ भारी भारी थी. आकार भी अच्च्छा था. अब छोटी वाली की आगे 19 थी. गोरा रंग और वह भी बहुत सेक्सी थी. Bअऱी बहन के मुकाब'ले च्चर'हरी थी. फिगर 34 28 32 होगा. नाम मधु था. दोनों का परिचा'य इस'लिए करवाया के आप को कहानी में मज़ा आए.

हम दोनों जब बैठक मान गये तो छोटी वाली रसोई में घुस गयी, चाय बना'ने के लिए और बऱी वाली हम से बातें कर'ने लगी. मैने देख लिया की यह तो आराम से छुड़वा ले'जी क्योंकि वह मुझे बार बार देख रही थी. उस'के होंठों पर शरारती सी मुस्कान थी. मैने भी उस'की आँखों में देखा था, कामिनी से नेज़र बचा के. कामिनी कुच्छ देर बाद रसोई में चली गयी. मैने वक़्त नहीं बार'बाद किया और रूचि से कहा की,

आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं, सलवार कमीज़ में. उस'ने शर्मा'ने की आक्टिंग की और बोली,

शुक्रिया, आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हैं और कामिनी और आप की जोऱी बहुत खूबसूरत है. मैने थॅंक्स किया और बोला,

वैसे अगर आप भी होती तो भी खूबसूरत जोऱी होती वह शर्मा गयी और बोली,

मैं तो अब एक बच्चे की मा हून. मैने दर'वाजे की तरफ देखा कोई है तो नहीं. किसी को नहीं पा के मैं अपनी सीट से उठा और उस'के करीब गया. उस'को हाथ से पकऱ कर उठाय और साथ ही उस'के गालों को हाल'के से चूम लिया.. साथ ही मुझे कामिनी की आवाज़ आई, रसोई से. वह बाहर ही आ रही थी. मैं फॉरन अपनी सीट पर वापिस आ गया. रूचि अब भी मुझे देख रही थी. जब हम वापिस घर के लिए निकले तो मैने उस'के करीब हो'ते ही कहा की,

मैं कल तुम्हारा इंत'ज़ार करूँगा. कामिनी आप'नी किसी सहेली को मिल'ने जाएगी. मैं घर में अकेला होऊँगा. तुम 10 बजे आ जाना. वह कुच्छ नहीं बोली. घर पाहूंछ कर मैने कामिनी को सारी रात चोदा और सुबह 9 बजे वह अपनी सहेली के घर चली गयी और बोली,

रात को आप मुझे लेने आना. डिन्नर सहेली के बच्चे की बर्त दे पार्टी में साथ करेंगे. वह मुझे चूम'ते हुए चली गयी. मैने घऱी देखी तो रूचि'के आ'ने में 30 मिनिट बाकी थे. मैं फ़ौरन बेड रूम में गया. अपना हॅंडी कॅमरा सेट किया. लोंग प्ले पर सेट किया. वापिस बैठक में आ गया और टेलिविषन देख'ने लगा.

वक़्त गुजर रहा था. अब 10:15 पर जब दर'वाजे पर घन्टी बाजी तो मैने भाग कर दरवाज़ा खोला तो रूचि को दर'वाजे पर खऱे पाया. मैने उसे अंदर आ'ने को बोला और उसे बैठक में ले आया तो बोली,

आप'ने मुझे क्यों 10.00 बजे आ'ने को बोला था? क्या कोई काम था आप को? मैने उस'की आँखों में देखा और बोला,

हन काम था तुम से और वह काम तुम अच्च्ची तरह करो'जी, मुझे मालूम है.

अच्च्छा वह क्या काम है? मैने कहा,

rajaarkey
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Re: बदले की आग

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:09

बदले की आग (भाग - 3)

चलो, फिर पहले तुम्हें काम बता देता हून. उसे लिए मैं बेड रूम में चला आया और साथ ही उसे कहा की,

ठहरो मैं तुम्हें आवाज़ दूँगा तो अंदर आना. वह बेड रूम के दर'वाजे पर खऱी थी. मैने बेड रूम में जाते ही कॅमरा ओं कर दिया. साथ ही उसे आवाज़ दी. रूचि आ जाओ वह जब अंदर आई तो बोली,

यह तो आप का बेड रूम है. यहाँ क्या काम है, आप'को. मैने उस'की आँखों में देखा. वह गुलाबी हो रही थी. वह गरम थी. बस आक्टिंग कर रही थी. मैने कहा की,

वह काम इस बिस्तर पर ही तो करना है तुम'हें तो बोली,

ऐसा कौन सा काम है जो मुझे इस बिस्तर पर करना है.

रूचि डार्लिंग अब शादी शुदा होके इट'नी अंजान भी मत बनो. सुन'ना ही चाह'ती हो तो सुनो, तुम्हें इसी बिस्तर पर चुद'वाना है.

आप'ने क्या समझा के मैं ऐसी वैसी लऱ'की हून जो लोगों से कर'वती फिरती है. मैं जा रही हून. वह दर'वाजे की तरफ चली तो मैने उस'का हाथ पकऱ कर उसे बिस्तर पर ले गया और उसे बिस्तर पर तेल दिया. वह बिस्तर पर गिरी और मुझे देखे'ने लगी. मैने कहा की,

णाटक बंद करो, मुझे पता है की तेरा शोहार काई महीने से आप'ने देश से बाहर है. तुम्हें चुदाई की ज़रूरत है. अब नाटक नहीं, चलो और एक अच्च्ची साली साहिबा की तरह कप'रे उतारो और आप'ने नये जमाई राजा को खुश करो और साथ ही मैने भी आप'ने कप'रे उतारना शुरू कर दिया. वह बिस्तर से उठि और झिझक दिखाते हुए कप'रे उतार'ने लगी. साथ साथ मुझे भी देख रही थी. मैने कहा की,

जल्दी करो रानी, जब से तुम्हें देखा है साला काबू में ही नहीं है. आज मैं तुम्हारी ऐसी चुदाई करूँगा की तुम्हें ज़िंद'जी भर नहीं भूले'जी. चलो, देखो मेरी तरफ, जब मुझे बऱी साली की शरम नहीं तो तुम्हें छोटे जमाई की क्या शरम? अब वह मेरे साम'ने बिल्कुल नंगी खऱि थी. जब उस'की नज़र मेरे लौऱे पर गयी तो उस'की आँखें खुली की खुली रह गयी. वह बोली,

बाप रे बाप इट'ना बऱ भी होता है और फिर उस'ने मेरी आँखों में देखा. उस'की आँखों में डर था. साथ ही साथ मेरा लंड देख कर वह गरम भी हो गयी थी. मैने मान का कऱ किया और कामिनी के बारे में सोच'ने लगा. जैसे जैसे मैं उस मासूम के बारे में सोच रहा था मेरे मान में बाद'ले की आग जल'ने लगी. मैने जाके उसे बॉल से पाक'रा और उस'के होठों पर चुंबन की बार'सात करना शुरू कर दिया. मेरा हाथ उस'के 38 आकार की चूची को दबा रहा था. अब उस'ने सिस'कारी ली..

विशाल..... धीरे धीरे, अब तो मैं आ ही गयी हून और भाग के कहाँ जवँगी. मैने और ज़ोर से उस'की चूचियों को दबाया तो उन में से दूध निकलना शुरू हो गया. मैने उस'के होठों को छोऱ दिया. उस'की चूचियों को मूँ'ह में ले कर चूस'ना शुरू किया. वाउ! एक बच्चे की मा होने से उस'की चूची में काफ़ी दूध था. मैं भूखे बच्चे की तरह उस'का दूध पी रहा था. वह सिसक रही थी..

विशाल क्या मेरे स्तन को आज खाली कर दोगे. वह तो अच्च्छा हुआ के मैने आप'ने बच्चे को चूची पिलानी छोऱ दी. वरना वह तो भूखा ही रह जाता. विशाल पी लो सारा दूध. मैं एक चूची खाली कर'ने के बाद दूसरे स्तन को भी खाली कर दिया. वह सिसक रही थी. जब मैं उस'के दूध कलश खाली कर चुका तो मैने उसे बिस्तर पर तेल दिया. अब वह बिस्तर पर लेटी थी. मैने उस'की टाँगों को वी शेप में किया. उस'की चूत को चाट्न शुरू किया. जब मेरी ज़ुबान उस के चूत दाने पर गयी तो वह एक दूं से मेरे सर को पकऱ कर अपनी चूत पर दबा दिया. मैने भी अपनी पूरी ज़ुबान उस'की चूत में घुसा दी. उस'ने फिर सिस'कारी ली.

विशाल मेरे पति देव'ने कभी मेरी चूत नहीं चूसी. मुझे क्या पता था की इस में इतना मज़ा है.. मेरी चूत को खा जाओ.. मेरी चूत को खूब चूसो और थोऱी ही देर में वह झऱ'ने लगी..

विशाल मैं झऱ'ने वाली होन्न. यह पहली बार है के मैं सिर्फ़ छूसा से झार्ररर रही हूंन. ऊह... विशाल तुम तो जादूगर निक'ले. और वह मेरे मूँ'ह में झऱ गयी. मैने भी उस'का चूत रस पी लिया.. वह आप'ने होश खो चुकी थी. अब भी वह कह रही थी की ,

क्या मज़ा है चूत छूसा में, मुझे पता ही नहीं था. मैने उसे कहा की,

अभी तो तुम्हें मैने और भी काई मज़े देना हैं और आख'री मज़ा तो तुम कभी नहीं भूलो'जी. अभी देखती जाओ मैं तुम्हारे साथ क्या क्या कर'ता हून. और मैने उसे फिर बॉल से पकऱ कर अपना लंड उस'के मूँ'ह में दे दिया. बोला की,

'कुटिया इस लौऱे को पूरा मूँ'ह में लेके चूस' अगर और मज़ा लेना है तो चूस इस मस्ताने लंड को. वह मेरी आँखों में देखती हुई मेरा लंड चूस'ना शुरू कर दी. मैने उस'के बॉल दोनों हाथों मीयन पकऱ कर अब उस'के मुख को छोड़ रहा था. साथ ही साथ उसे कह रहा था की,

साली चल जल्दी चूस. आह... तू तो एक नंबर की रन्डी है. मैं तुझे सारा दिन एक रन्डी की तरह चोदून्गा. चल रन्डी, चूस मेरे लंड को और वह रन्डी की तरह मेरा लंड छूसा कर रही थी. 5 मिनिट के बाद मैने कहा की.

रन्डी, मैं तेरे मूँ'ह में आप'ना फ़ायदा झाऱ'ने वाला हून.. मेरा वीरया पी जा. ऊह.. चुदैल सालीजी चूसो ज़ोर लगा के.... मैने लंड जितना उस'के मूँ'ह में घुस सक'ता था घुसा दिया. अपना सारा माल उस'के मूँ'ह में छोऱ दिया. वह भी किसी चालू रन्डी की तरह मेरा सारा माल पी गयी. वह मेरी आँखों में देख रही थी. मैने कहा की,

अभी चल और मेरे लिए कॉफी बना के ला. मैने उसे रसोई का बताया और कहाँ पर सारा सामान रखा है, यह भी बताया. उसे कहा की कॉफी बिना दूध के लाना. वह चली गयी. मैं वहीं बिस्तर पर इंत'ज़ार कर'ने लगा. वह 10 मिनिट बाद कॉफी ले कर आई और मुझे दी. मैने कॉफी लेते हुए कहा की,

अब इस में दूध डालो तो वह बोली,

दूध तो मैं नहीं लाई. तुम'ने ही कहा था की कॉफी में दूध नहीं डालना. मैने उस'का स्तन पकऱ'ते हुए कहा की,

गेया'य के दूध के लिए बोला था नहीं डालना. तुम्हारा दूध चाहिए मुझे. डालो इस में और मैं कप उस'की चूचियाँ के पास ले गया और उस'की चूचियों को दबाया तो दूध की धार निकल्ली और कप में जेया'ने लगी. उस'ने दर्द में डूबी एक सिस'कारी ली. मैने फिर ज़ोर से उस'की चूची दबाया. ऐसे ही कुच्छेक बार किया तो मेरा कप दूध से भर गया. मैने उस'का स्तन छोऱ दिया. उसे कहा की ,

मैं कॉफी पीटा हून. तब तक तुम मेरा लंड खूब चूसो फिर मैं तुम्हें ऐसा छोड़ूँगा की तुम्हें नानी याद आ जाएगी. चलो चूसो मेरा लंड और वह मेरा लंड चूस'ने लगी. मैं कॉफी पीटा रहा. जब कॉफी ख़तम हुई तो मैने उसे कहा की,

बिस्तर पर लेट जाओ और आप'नी टाँगों को खोलो, अब तुम्हारी चुदाई हो'जी. चलो, अब एक अच्च्ची साली बन के दिखाओ. वह रन्डी की तरह मेरा हुकाँ मान रही थी. वह फ़ौरन बिस्तर पर लेट गयी. उस'ने आप'नी टाँगों को मेरे लिए फैलाया और मैं उन दोनों टाँगों के बीच आ गया. उस'की आँखों में ख़ौफ़ था. जब मैने अपना लंड उस'की चूत पर रखा तो वह बोली,

विशाल आप'ने लंड पर तेल या क्रीम तो लगा लो. मैं तुम्हारा सारा कहा तो मान रही हून पर तुम ऐसे कैसे पेश आ रहे हो. मैने कहा की ,

हम सक्सेना लोग सेयेल सालियों की ऐसे ही गान्ड मार'ते हैन.ठीक है, तुम कह'ती हो तो मैं तेल लगा लेता हून. पर हम तो सुखी ही मार'ते हैं. मैने अपनी बीवी का बदन पर लगाने वाला तेल लिया और कुच्छ आप'ने लौऱे पर और उस'की चूत पर लगाया और फिर से उस पर आ गया. जब मैने लंड उस'की चूत पर रख कर धक्का लगाया तो वह चीख पऱी,

ओई माआअ मेरिइईई चूत फॅट गाइ. मैने परवाह नहीं की और एक ज़ोर दार धक्का और लगाया और उस'की फिर से चीख निकल गयी. उस'की आँखों में आँसू थे. मेरे दिल को कुच्छ सकूँ मिला. मेरी कामिनी को धुख देने वालों में यह भी शामिल थी. मैने धक्के पर धक्के दिए. तब तक मेरा लंड पूरा उस'की चूत में घुस गया था. फिर मैने उस'की आँखों में देखा वह अब भी रो रही थी. मैने किसी सांड़ की तरह उसे छोड़ना शुरू कर दिया. वह बहुत चीखी चिल्लई पर मैने चुदाई नहीं छोऱी. तकरीबन 5 मिनिट बाद वह सिसक'ने लगी..

विशाल अब मज़ा आ रहा है.. ऊह और छोड़ो. हाय मेरी चूत फाऱ दो. विशाल क्या मज़ा है.. ऊह.. इतना बऱ लंड मेरी चूत में है.. मुझे यक़ीन नहीं हो रहा है.. ओई माआ मेरी चूत में घोरे का लंड है.. मुझे चोदो इस लौऱे से. ऊह.. मैने भी अपनी गति बढ दी. फिर कुच्छेक मिनिट बाद ही वह झऱ'ने वाली थी..

ऊह.. विशाल मैं झऱ रही हून.. उस'की चूत सन्कऱी हो गयी. मेरे लौऱे को कस लिया और वह झऱ'ने लगी..

ऊह.. विशाल मैं झऱ रही हून. हाय... मेरे राजा. तुम्हारे साथ जो कोई भी एक बार कर'वा लेगी वह तुम्हारी दासी बन जाएगी. तभी तो मैं खामोश तुम्हारे सारे हुकाँ मान रही हून. मेरे पति की तो हिम्मत ही नहीं होती मुझ पर हुकुम चलाने की और वह शांत हो गयी. पर मैं रुका नहीं कुच्छ ही समय बाद वह फिर से साथ देने लगी. चुदाई में वह अपनी गान्ड को उठा उठा के मेरे लंड का साथ दे रही थी. वह फिर से पूरी उत्तेजित हो गई थी. मैने अपनी गति को काफ़ी बढ दिया. वह फिर से चिल्ला'ने लगी..

विशाल मैं आस'मान में उऱ रही हून और वह ढेर हो गयी. मैने उसे लगातार 45 से 50 मिनिट तक चोदा. जिस में वह 3 बार झऱ चुकी थी. अब मैं भी झऱ'ने वाला था. मैने कहा की,

मैं झार'ने वाला हून और सारा माल इस रन्डी साली की चूत में डालूँगा. उस'ने कहा,

विशाल मेरी चूत में नहीं झऱ्न. मैं सेफ नहीं हून. मेरे स्तन पर गिरा दो या मेरे मूँ'ह में झऱ दो लेकिन मेरी चूत में नहीं. मैने कहा की,

चुप बे भोस'री की, मैने इट'नी देर बाहर माल गिराने के लिए तेरा भोस्ऱ घोट था क्या? मैं तो तेरी चूत में ही झऱून्ग.

अगर बच्चा हो गया तो, नहीं, विशाल बाहर झाऱो. मैने उस'की एक नहीं सुनी और अपना सारा माल उस'की चूत में झाऱ दिया. उस पे गिर गया. हम 10 मिनिट तक ऐसे ही पऱे रहे वह मेरे नीचे थी. मेरा लंड उस'की चूत में था. फिर. मैं उस'के ऊपर से हट गया तो वह बोली,

विशाल तुम'ने मेरी चूत में क्यों झाऱ दिया. मैं गर्भ'वाती हो गयी तो मेरे पति देव भी आप'ने देश से बाहर है. मैं क्या जबाब दूँगी?

अरे तुम क्यों घबराती हो? क्या इस शहर के सारे डॉक्टर मार गये हैं? बच्चा गिरा देना, नहीं तो आप'ने जैसी ही एक रन्डी और पैदा कर लेना. जब तुम ढाल जाओगी तो काम आएगी. चलो शवर लेते हैं.. फिर अभी तो तुम्हारी बहुत चुदाई होनी है. आज का सारा दिन तुम्हें छोड़ूँगा. जी भर कर तुम्हारी चूत मारूँगा. चलो स्नान घर. जब वह उठि तो उस से चला नहीं जा रहा था. मैं उसे शहारा दे'कर स्नान घर ले कर गया. शवर खोल दिया. हम'ने खूब गरम पानी से शवर लिया और एक दूसरे का बदन माल माल के खूब मज़ा लिया. फिर हम वापिस बिस्तर पर आ गये. दिन के 2 बाज चुके थे. मैने उसे कहा की,

खाना खा लेते हैं. फिर तुम्हारी चुदाई करूँगा. चलो रसोई में और खाना गरम करो. वह कप'रे पहन'ने लगी तो मैने कहा की,

नहीं ऐसे ही रहो, कप'रे नहीं पहन'ना. आज तुम मेरे पास नंगी ही रहो'जी. सिर्फ़ जब घर जाओ'जी तो कप'रे पहन'ने की इजाज़त हो'जी और वह नंगा ही रसोई को चली गयी. मैं कुच्छ देर के बाद रसोई में गया तो वह खाना तबले पर लगा चुकी थी. मैने देखा की उस'का नंगा बदन बऱ ही शान'दार है. जब वह चल रही थी तो उस'की चूचियाँ तार'बूज जैसी हिल रही थी. फूली गान्ड तो देख'ते ही अपना लंड घुसा'ने को दिल करता था. पर मैने थोरा सबर किया की आज साली की खूब चुदाई करूँगा. घान्ड तो मारीनी ही है, लेकिन वह आख़िर में मारूँगा. मैं जाके तबले पे बैठ गया. वह भी मेरे साम'ने वाली कुर्सी पर बैठ गयी. खाना खा'ने के बाद मैने उसे कहा की,

तबले से बर्तन उठा लो और रसोई में रख कर आओ. उस'ने फ़ौरन ही मेरी बात पर अमल किया. कुच्छेक मिनिट में तबले को सॉफ कर दिया. जब वह वापिस आई तो मैने उसे हाथ से पकऱ कर तबले पर बैठ दिया. उसे कहा की ,

अपनी टांगीण खोलो. वह जो मैं कह'ता वह ही करती जा रही थी. एक रन्डी की तरह मेरा हर हुकुम मान रही थी. मैने फिर उस'की चूत के होठों को आप'ने हाथों से खोला और उस'की चूत को चूस'ने लगा. जब मेरी जीभ उस'के भगोष्ट पर गयी तो वह सिस'कारी लेने लगी..

विशाल बहुत मज़ा आ रहा है. मैने उस'के भगोष्ट को आप'ने दाँतों से हल्का सा काट तो उस'ने एक और कामुक सिस'कारी दी. माआआ. मैने कुच्छ देर उस'की चूत को छा'ता फिर मैं उस'की टाँगों के बीच में खऱ हो गया. अपना लंड उस'की चूत के होठों में फँसा के एक ज़ोरदार झट्क दिया. मेरा लंड उस'की चूत में गहराई तक उतार गया. उस'के मूँ'ह से एक चीख निकल गयी..

मैं मार गैइइ मेरिइइ चूत फॅट गयी. विशाल. . मैने कहा की,

ज़रा सबर करो अभी कहाँ फटी है. अभी तो इसे फॅट'ना है.

तुम मुझे बेरहमी से चोद रहे हो, सुबह से. हाय, उस'की चीख जब भी मैं सुनता था, मुझे सकूँ मिलता था. मेरा बदला पूरा हो रहा था. मैं उसे तऱप तऱप और बेइज्जत करते हुए चोदना चाह रहा था. मैने अब अपनी पूरी ताक़त से उस'की चूत मार'नी शुरू कर दी. वह उत्तेजना और दर्द के मारे सिसक रही थी. साथ ही साथ अपनी गान्ड को मेरे लंड की तरफ धकेल रही थी. अब साली रन्डी को मज़ा आ रहा था. उस'ने ज़ोर ज़ोर से कामुक सिस'कारी लेना शुरू कर दिया था. साथ ही साथ मुझे और तीज़ी से चोद'ने का बोल रही थी..

विशाल और छोड़ो मेरी चूत को. विशाल फाऱ दो मेरी चूत. मेरे ऊपर रहम नहीं करना. ऊह.. मेरी चूत कब से प्यासी थी. मेरा पति जो विदेश में बैठ है साला भऱुअ है. और कुच्छ ही देर में वह झऱ गयी. मैने उसे उठाय और अपना लंड उस'के मूँ'ह में दे दिया. वह भी किसी रन्डी की तरह मेरा लंड चूस'ने लगी. मैने उस'के सिर को आप'ने हाथों में लिया और उसके मुख को छोड़'ने लगा और कुच्छ ही देर में उस'का मूँ'ह आप'ने वीरया से भर दिया. उस'ने एक बूँद भी ज़या नहीं जेया'ने दिया. सारा माल पी गयी. फिर मैने उसे कहा की,

चलो रसोई में सारे बर्तन धो कर और रसोई को सॉफ करके जल्दी से बेड रूम में आओ. उस'ने मेरी तरफ देखा जैसे कह रही हो. मैं कोई नौकरानी तो नहीं पर वह जो मैं कह'ता वही करती जा रही थी. मैं उसे रसोई में ही छोऱ के बेड रूम में आ गया क्योंकि मुझे थोऱी सी रेस्ट चाहिए थी. रात भर मैने कामिनी को चोदा था. अब इस रन्डी को भी काई बार चोद चुका था. अभी और भी चोदना था. अभी तो इस'की गान्ड भी मार'नी थी. वह भी कॅमरा के साम'ने. मैने कॅमरा को देखा वह नज़र से च्छूपा हुआ था. वह उसे नहीं देख सक'ती थी. मैने उसे बिस्तर पर ज़ूम किया हुआ था. फिर कोई 20 मिनिट के बाद वह बेड रूम में आई......

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