बीबी की सहेली compleet

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rajaarkey
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Re: बीबी की सहेली

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:25

बीबी की सहेली--4

गतान्क से आगे……………………….

मैने ललिता के मुँह के अंदर अपना जीव घुसा दिया, उसने भी जवाब दिया, हमारी जीव आपस मे खेलने लगी. क्यूंकी मैं भींग चुका था, तो मेरे से चिपकने से उसके कपड़े भी भींग गये. वो बोली, “आशीष, मेरी सारी भींग रही है.” ये सुनकर मैने कहा, “ऐसी बात है तो इसे उतार ही देता हूँ.” और मैं उसकी सारी उतार कर बाथरूम से बाहर फेंक दिया. फिर उसके ब्लौज और ब्रा को भी खोल दिया. ब्रा के खुलते ही उसके बड़े बड़े बूब्स आज़ाद हो गये. मैं उसके बूब्स को थोड़ी देर सहलाया और चूसा.

उसके बाद मैं नीचे बैठा और उसकी पेटिकोट के अंदर घुस गया और उसकी जांघों को सहलाने लगा. वो बोली, “अरे, आप कहाँ घुस गये, निकलिये गुदगुदी होती है.” मैने चुनमुनियाँ की ओर देखा तो मैं बहुत खुश हुआ. ललिता ने आज पैंटी नहीं पहना था, मतलब वो चुदने का मन बनाके आई थी. फिर उसकी पेटिकोट से बाहर निकला और पेटिकोट का नाडा खोल कर उसको भी नंगा कर दिया. अरे ये क्या!! उसकी चुनमुनियाँ पे आज एक भी बाल नहीं था!! उसकी चुनमुनियाँ एकदम चिकनी लग रही थी, पिछली बार की चुदाई के टाइम तो बाल थे उसकी चुनमुनियाँ पर!! मतलब वो पूरी तैयारी के साथ आई हुई है!! मैने पूछा, “भाभी यहाँ के जंगल कौन काट गया?” वो बोली, “मैने कल ही सॉफ कर दिया था हेर रिमूवर लगाके. ज़य जी को रिझाने के लिए, लेकिन उनको क्या फ़र्क पड़ता है, चुनमुनियाँ देवी के वो ठीक से दर्शन ही नहीं करते हैं!” जहाँ तक मेरी पसंद का सवाल है, मुझे बिना झांट वाली चुनमुनियाँ ज़्यादा आकर्षित करती है, ज़्यादा सुंदर लगती है और चिकनी, सॉफ-सुथरी चुनमुनियाँ की चटाई और चुदाई मे ज़्यादा आनंद आता है. ये सब पर्सनल टेस्ट होते हैं, किसी को झांतदार चुनमुनियाँ ज़्यादा भाती है. मैने कहा, “डॉली भी अपनी चुनमुनियाँ का बाल सॉफ करते रहती है, इसलिए मैं उसकी चुनमुनियाँ का पुजारी हूँ. सॉफ चुनमुनियाँ को चाटने और चोद्ने मे आसानी होती है.” उसने मेरे लंड की ओर इशारा करते हुए कहा, “तो आपके लंड के आस-पास ये हल्के बाल क्यूँ हैं?” मैने कहा, “भाभी, ऐसे तो मैं हमेशा झांट सॉफ करते रहता हूँ, रोज़ नहाते समय अपने रेज़र से सॉफ करता हूँ. सॉफ लंड ही अच्छा लगता है. लेकिन डॉली जब से गयी है, मैने सॉफ नहीं किया.” मैने दरवाजा खोला और वॉश बेसिन के पास से अपना सेविंग क्रीम लाया और झांतो मे लगा दिया. मैं अपना रेज़र ललिता को देते हुए कहा, “आज तो आप ही सॉफ कर दीजिए, लेकिन ज़रा संभलके, झांट के बदले लंड ना काट दीजिएगा!!” वो मुस्कुराइ और रेज़र हाथ मे ली और धीरे धीरे उसने मेरे झांट सॉफ कर दिए.

झांट की सफाई के बाद मैं उसके साथ फिर से चिपक गया. और मग से पानी लेकर उसके बदन पे डालने लगा. पानी की बूँदें उसके बदन पे चमकने लगी. मैने भी उसके बदन पे खूब साबुन लगाया, उसके बूब्स पे साबुन मलकर झाग-झाग कर दिया. उसने भी दूसरा साबुन पकड़ा और मेरे छाती पे साबुन लगाया. हमारे बाथरूम मे दो अलग साबुन रहते हैं. मैं उससे फिर लिपट गया, उसकी बूब्स और मेरी छाती चिपक गये और मैं अपनी छाती को उसके बूब्स पे रगड़ने लगा. फिर अपने हाथों से हौले हौले उसकी मांसल, गोल चूतड़ को सहलाने, दबाने लगा. फिर मैं नीचे बैठा और उसकी टाँगों पे भी साबुन लगाया. और फिर मैने उसकी चुनमुनियाँ पे साबुन लगाकर सॉफ किया.

मैने अपनी बीबी डॉली के साथ भी बाथरूम मे चुदाई किया है. ऐसा मैं डॉली के साथ हर वीकेंड मे नहाता हूँ, वो मुझे सॉफ करती और मैं उसको सॉफ करता. गर्मियों मे तो हम दोनों रात को भी साथ नाहकार चुदाई करते थे. फ्रेश होने के बाद चुदाई करना बहुत रेफ्रेशिंग सा लगता है. ओरल सेक्स का मज़ा दोगुना हो जाता है, एक दूसरे के बदन को किस करने, चाटने का भी मज़ा ज़्यादा हो जाता है.

औरत के कोमल शरीर से खेलना अच्छा लगता है, वो भी दूसरे की बीबी हो तो और अच्छा लगता है. चेंज सबको अच्छा ही लगता है. खाना चाहे जितना भी अच्छा हो, रोज़ वही खाना खाएँगे तो उतना अच्छा नहीं लगता, पर एक दिन आप दूसरे टाइप का खाना खाएँगे तो बेटर ही लगेगा. मेरी बीबी डॉली, ललिता से तो बेटर ही है हर लिहाज से, पर आज ललिता भी बहुत अच्छी लग रही थी. मैने ललिता की बूब्स और चूतड़ को भी सहला सहला कर सॉफ किया. उसने भी मेरे लंड पे साबुन लगाकर अच्छी तरहा सॉफ किया.

फिर मैने वहीं बाथरूम मे उसको नीचे लिटा दिया. उसकी टाँगों के पास बैठा और उसके पैरों को उठाकर उसके अंगूठे को किस करने लगा, मैं धीरे धीरे उपर जांघों की ओर जीव चलाता हुआ आया. वो लेटी रही. फिर उसकी चुनमुनियाँ के आस-पास जीव चलाने लगा. थोड़ी देर जांघों को, नाभि को हल्के हल्के चाटने के बाद मैने उसकी चुनमुनियाँ मे जीव घुसेडि. चुनमुनियाँ मे जीव लगते ही उसने मेरे सिर को पकड़ लिया. और उसके मुँह से आवाज़ निकली, “आ..ह आशीष, अच्छा लग रहा है. और चाटिये ना इसी तरहा.” मैं उसकी चिकनी चुनमुनियाँ को मज़े से चाट्ता रहा बहुत देर तक़. धीरे धीरे जीव फेरता रहा. क्यूंकी चुनमुनियाँ की सफाई अभी हुई थी इसीलिए कोई गंध नहीं आ रही थी.

मैने एक मग पानी लिया और उसकी चुनमुनियाँ पे डाल दिया, फिर अपनी उंगलियों से चुनमुनियाँ की पखुड़ियों को फैलाकर अपना जीव चुनमुनियाँ के अंदर डालकर लॅप-लापाने लगा. वो भी नीचे से कमर हिलाने लगी. 5-6 मिनट आराम से चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा लेने के बाद वो उठ कर बैठ गयी और मैं खड़ा हो गया. उसने मेरा लंड पकड़ लिया और हौले हौले मुठियाने लगी. और देखते ही देखते उसने मेरा लंड मुँह मे ले लिया और मुझे लंड चुसाई का मज़ा देने लगी. मैं चुप-चाप दीवार के सहारे खड़े होकर मज़ा लेने लगा. फिर मुझसे रहा नहीं गया, मैने उसका सिर पकड़ा और उसके मुँह को ही हौले हौले चोद्ने लगा.

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैने वहीं ललिता को फिर से लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ मे लंड लगाकर अंदर धकेलने लगा. ललिता ने लंड का सूपड़ा चुनमुनियाँ के सही जगह पे लगाया तो लंड चुनमुनियाँ के अंदर घुस गया. वैसे ही लंड चुनमुनियाँ मे डालकर थोडी देर उसके उपर लिपटा रहा. छाती को उसके बूब्स के उपर रगड़ते हुए उसके चुनमुनियाँ की गर्मी को लंड के सुपाडे के उपर महसूस करता रहा. फिर मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा. साथ साथ मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा. आज भी कोई जल्दबाज़ी नहीं, क्यूंकी मुझे चुदाई लीला लंबा खींचना था. 6-8 मिनट उसी पोज़िशन मे उसको चोदा.

क्यूंकी बाथरूम थोड़ा छोटा था, चोद्ने के लिए स्पेस कम पड़ रहा था, सो मैने भाभी से कहा, “भाभी, यहाँ थोड़ा अनकंफर्टबल लग रहा है, इसीलिए बेड रूम मे चलें क्या?” वो बोली, “ठीक है, मुझे क्या, चुद्ना ही है ना, यहाँ भी मज़ा आ ही रहा है.” मैने उसकी चुनमुनियाँ से लंड निकाला और पेसाब किया. उसने भी पेसाब किया वहीं. मैने साबुन लेकर अपना लंड और उसकी चुनमुनियाँ फिर से सॉफ की. दोनों के बदन पे फिर से पानी डाला और उसके साथ बेड रूम मे आ गया.

बेड रूम के वॉल क्लॉक मे 12 बज रहे थे. मतलब भाभी के साथ बाथरूम मे आधे घंटे की लीला चली. ललिता की कमर पे हाथ डालकर उसको अपने बराबर खड़ा किया और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो गये. और भाभी को सामने आईने मे दिखाते हुए कहा, “देखिए भाभी, हम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है?” वो मुस्कुराइ. वो क्या बोलेगी!! मेरी और भाभी ललिता की जोड़ी थोड़ी अजीब सी लग रही थी. उमर और वजन मे बड़ी ललिता और साधारण कद-काठी का जवान लड़का मैं!! लेकिन हमे इससे क्या, हम दोनों जानते थे कि ये जोड़ा जबरदस्त मज़ा ले चुका है और आज भी लेगा. मैने वहीं भाभी को अपनी ओर खींचा, लंड उसकी नाभि पे टच हो रहा था. मैने उसकी मुँह के अंदर अपनी जीव घुसेड दी और उसकी जीव को चाटने लगा. हमारी जीव थोड़ी देर सलाइवा का आदान-प्रदान करती रही.

इससे पहले कि मैं ललिता को बेड पे पटकता, उसने मुझे उठाया और बेड पर फेंक कर लिटा दिया और वो मेरे उपर झुक गयी. उसने मेरे बदन पे किस बरसाना फिर से शुरू किया. पूरे बदन को किस की, पूरे बदन पे जीव चलाई, अपने कोमल हाथों से सहलाती रही. बहुत सिर-सिरी हो रही थी मुझे. बस आँखें बंद करके उसकी इस हरकत का मज़ा लेता रहा.

इसी बीच मैने उसको पलटकर अपने नीचे लाया और मैं उसके उपर आ गया. उसके बूब्स को सहलाते हुए, पेट और नाभि को चाटते हुए, चुनमुनियाँ के चारों ओर जीव फेरा. मुझे पता है, ऐसा करने से औरतों को बहुत आनंद आता है. मैने उसकी मांसल जांघों को सहलाया. मैं उसके चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा, उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलने लगा और मैं चुनमुनियाँ के रस को चूस्ता गया. मेरी बीबी डॉली की बात कहु तो उसने मुझे कई बार कहा है कि चुनमुनियाँ चटवाना और चुसवाना, लंड से चुदने से भी ज़्यादा मज़ा देता है और उस समय ललिता की हालत देखके यही लग रहा था कि ललिता भी चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा ले रही है. खैर, मैं चिकनी चुनमुनियाँ के रस को 5-6 मिनट जैसा चाट्ता-चूस्ता रहा.

इतने मे ललिता ने कहा, “आप अपना लंड मेरे चेहरे के उपर लाइए. आपने मुझे बहुत मज़ा दे दिया, मैं भी चुस्ती हूँ लंड को.” मैं घूमकर उसके उपर आ गया. इस तरहा उसका सिर मेरी जाँघो के नीचे आ गया और वो मेरे लंड से थोड़ी देर खेली, हल्का हल्का सहलाई, मुठियाई और फिर लंड को मुँह मे दुबारा ले लिया. ललिता नीचे लेट कर मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके उपर से चुनमुनियाँ चाट रहा था. बीच बीच मे 1-2 अंगुली भी घुसा देता था चुनमुनियाँ के अंदर. मैं अपनी उंगलियों के नाख़ून अक्सर काटते रहता हूँ. डॉली की अक्सर उंगली से चुदाई करता हूँ. इससे चुनमुनियाँ के अंदर नाख़ून से चोट लगने की संभावना नहीं रहती है. चुनमुनियाँ के अंदर का टेंपरेचर शरीर के बाकी अंगों से थोड़ा ज़्यादा रहता है, ये उंगली को चुनमुनियाँ के अंदर डालने से ही पता चलता है.

मैं सोच रहा था कि एक कन्सर्वेटिव फॅमिली मे पाली हुई औरत, जो दिखने मे भोली और शरीफ लगती है, जो अपने पति को बहुत प्यार करती है; वो भी इस तरहा खुलकर दूसरे मर्द से चुद्वा सकती है!! खुद दूसरे मर्द के घर चुदने के लिए आने लगी!! दूसरे मर्द का लंड बेशर्मी से चूस रही है!! लेकिन शायद ये उसकी अतृप्त वासना ही उसे ऐसा करने पे मज़बूर कर रही है. शायद ऐसा हर औरत चाहती होगी कि उसको प्यार और धन-दौलत के साथ चुदाई का भी भरपूर आनंद मिले.

ज़्यादा देरी तक लगातार लंड चूसने से कंट्रोल नहीं होता है, झाड़ जाता है. इसलिए मैने भाभी को रोका, “भाभी, ज़रा रुकिये.” उसने मुँह से लंड हटाया. तभी उसकी नज़र क्लॉक पे गयी, 12:20 बज रहे थे. वो बोली, “अरे बाप रे, टाइम बहुत हो गया! आशीष, अब अपना लंड मेरी चुनमुनियाँ मे पेलिए और जल्दी ख़तम कीजिए. खाना भी बनाना है. ज़्यादा लेट होगा तो भूक लगेगी.” मैने कहा, “कोई बात नहीं भाभी, आज हम यहीं खाना खा लेंगे. ज़य तो 4 बजे के बाद आएँगे ना!”

उसने कहा, “रुकिये थोड़ा कन्फर्म कर लेती हूँ. कहीं वो जल्दी काम निपटाकर घर आ जाएँगे तो गड़बड़ हो जाएगी.” उसने अपना मोबाइल उठाया और ज़य को फोन लगाया. उसने स्पीकर फोन चालू कर दिया था. “हेलो! ललिता बोल रही हूँ. कहाँ हैं आप? खाना खाने आएँगे ना आप? आपके लिए भी खाना बना लूँ?” उधर से ज़य की आवाज़ सुनाई थी, “अरे यार ऑफीस मे ही हूँ, काम बहुत ज़्यादा है, लगता नहीं कि 5 बजे से पहले आ पाउन्गा. तुम खाना खा लेना. मैं इधर ही लंच कर लूँगा.” ललिता बोली, “ठीक है, एक काम कीजिए, शाम को सब्जी लेते आईएगा.” ज़य बोला, “ठीक है, आके बात करेंगे, बाइ.” उसके बाद ललिता ने फोन रख दिया.

अब मैं निसचिंत हो गया. अब मैने सोच लिया कि आज ललिता की चुनमुनियाँ इतना चाटूँगा कि वो झाड़ जाए, फिर उसकी चुनमुनियाँ लंड पेल कर खुद झदूँगा. ये चुदाई सेशन कंप्लीट करने के बाद भाभी को यहीं खाना बनाकर खिलाउन्गा और फिर कुच्छ देर रिलॅक्स कर एक क्विक राउंड लगाउँगा. मैं फिर पेसाब करने गया और लंड धोकर लाया. बेड के बगल के टेबल पे रखा जग उठाया और पानी पिया. हम अपने बेड रूम मे पानी हमेशा रखते हैं. रात को जब भी प्यास लगती है पानी पीते हैं. मेरी और डॉली की चुदाई अक्सर लंबी ही चलती है तो बीच मे प्यास लगती ही है. ललिता ने भी पानी पिया.

मैने ललिता से पूछा, “भाभी, अब तो कोई दुविधा नहीं है ना! डर त्याग दीजिए और चुदाई का मज़ा लीजिए!” उसने अपनी बाँहे फैलाई और मुझसे लिपट गयी और मेरी गर्दन पे किस करने लगी. शायद वो भी निसचिंत हो गयी थी. वो बोली, “अब आराम से करते हैं, खाना लेट ही चलेगा.” मैने भी उसके माथे को किस किया, फिर गालों और गर्दन को किस किया.

मैने भाभी को बेड पे लिटाकर सीधा किया. उसके अंगूठे को फिर से किस करते हुए उपर आया, टाँगों को, जांघों को, पेट को, बूब्स को, गर्दन को किस करते हुए लिप्स तक़ आया. उसको पलट कर उसकी पीठ के चारों तरफ जीव चलाया, हाथों से बूब्स सहलाया, चूतड़ सहलाया. उसके चिकने, गोल चूतड़ को किस किया.

उसको वापस पीठ के बल लिटाया. मैं बेड से उतरा और डॉली की ड्रेसिंग टेबल का ड्रॉयर खोला और उसमे से शहद की सीसी ले आया और भाभी की टाँगे फैलाकर उन्हे घुटनों पे मोड़ा. मैने 2 चम्मच जैसा शहद निकाला और उसकी चुनमुनियाँ और चुनमुनियाँ के चारों ओर शहद लगाया. मैं उसकी जांघों के बीच आया और अपनी जीव से चुनमुनियाँ पे लगे शहद को चाटने लगा. शहद के स्वाद से चुनमुनियाँ चाटने और चूसने का मज़ा बहुत बाद गया. उसकी चुनमुनियाँ अब मीठी मीठी लगने लगी.

शहद लगाकर मैने डॉली की चुनमुनियाँ को भी बहुत बार चटा है, उसे चाटने वाले को भी मीठा और चटवाने वाली को मज़ा बहुत आता है. चुनमुनियाँ मे शहद लगाकर मैने डॉली को अक्सर इतना चाट्ता कि वो झाड़ जाती थी. ऐसे तो मार्केट मे ड्यूर्क्स एट्सेटरा के ओरल-सेक्स क्रीम मिलते हैं, लेकिन शहद ईज़िली अवेलबल होता है, सस्ता भी होता है.

क्रमशः…………………….


rajaarkey
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Re: बीबी की सहेली

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:26

BIBI KI SAHELI--4

gataank se aage……………………….
Maine Lalita ke munh ke andar apna jeev ghusa diya, usne bhi jawab diya, hamaare jeev aapas me khelne lage. Kyunki main bhing chuka tha, to mere se chipakne se uske kapde bhi bhing gaye. Wo boli, “Ashish, meri saree bhing rahi hai.” Ye sunkar maine kaha, “Aisi baat hai to ise utar hi deta hun.” Aur main uski saree utar kar bathroom se bahar fenk diya. Phir uske blouj aur bra ko bhi khol diya. Bra ke khulte hi uske bade bade boobs azad ho gaye. Main uske boobs ko thodi der sahlaya aur chusa.

Uske baad main niche baitha aur uski peticoat ke andar ghus gaya aur uski janghon ko sahlane laga. Wo boli, “Arey, aap kahan ghus gaye, nikaliye gudgudi hoti hai.” Maine chunmuniyaan ki or dekha to main bahut khush hua. Lalita ne aaj panty nahin pahna tha, matlab wo chudane ka munn banake aayi thi. Phir uski petticoat se bahar nikla aur petticoat ka nada khol kar usko bhi nanga kar diya. Arey ye kya!! Uske chunmuniyaan pe aaj ek bhi baal nahin the!! Uski chunmuniyaan ekdum chikni lag rahi thi, pichle baar ki chudaai ke time to baal the uske chunmuniyaan par!! Matlab wo poori taiyari ke saath aayi hui hai!! Maine puchaa, “bhabhi yahan ke jangal kaun kaat gaya?” Wo boli, “Maine kal hi saaf kar diya tha hair remover lagake. Jay ji ko rijhane ke liye, lekin unko kya fark padta hai, chunmuniyaan devi ke wo theek se darshan hi nahin karte hain!” Jahan tak meri pasand ka sawal hai, mujhe bina jhant wali chunmuniyaan jyada akarshit karti hai, jyada sundar lagti hai aur chikni, saaf-suthri chunmuniyaan ki chatayi aur chudaai me jyada aanand aata hai. Ye sab personal taste hote hain, kisi ko jhantdaar chunmuniyaan jyada bhata hai. Maine kaha, “Dolly bhi apne chunmuniyaan ka baal saaf karte rahti hai, isliye main uske chunmuniyaan ka pujari hun. Saaf chunmuniyaan ko chatne aur chodne me asaani hoti hai.” Usne mere lund ki or ishara karte hue kaya, “to aapke lund ke aas-paas ye halke baal kyun hain?” Maine kaha, “Bhabhi, aise to main hamesha jhant saaf karte rahta hun, roz nahate samay apne razor se saaf karta hun. Saaf lund hi achcha lagta hai. Lekin Dolly jab se gayi hai, maine saaf nahin kiya.” Maine darwaja khola aur wash basin ke paas se apna saving cream laya aur jhanto me laga diya. Main apna razor Lalita ko dete hue kaha, “Aaj to aap hi saaf kar dijiye, lekin zara sambhalke, jhant ke badle lund na kaat dijiyega!!” Wo muskurayi aur razor hath me li aur dhire dhire usne mere jhant saaf kar diye.
Jhant ki safai ke baad main uske saath phir se chipak gaya. Aur mug se pani lekar uske badan pe dalne laga. Pani ki bundein uske badan pe chamakne lagi. Maine bhi uske badan pe khoob sabun lagaya, uske boobs pe sabun malkar jhag-jhag kar diya. Usne bhi dusra sabun pakada aur mere chhati pe sabun lagaya. Hamaare bathroom me do alag sabun rahte hain. Main use phir lipat gaya, uski boobs aur meri chhati chipak gaye aur main apni chhati ko uske boobs pe ragadne laga. Phir apne hathon se haule haule uski maansal, gol chuttad ko sahlane, dabane laga. Phir main niche baitha aur uski tangon pe bhi sabun lagaya. Aur phir maine uski chunmuniyaan pe sabun lagakar saaf kiya.

Maine apni bibi Dolly ke sath bhi bathroom me chudaai kiya hai. Aisa main Dolly ke saath har weekend me nahata hun, wo mujhe saaf karti aur main usko saaf marta. Garmiyon me to hum donon raat ko bhi saath nahakar chudaai karte the. Fresh hone ke baad chudaai karna bahut refreshing sa lagta hai. Oral sex ka maza doguna ho jata hai, ek dusre ke badan ko kiss karne, chatne ka bhi maza jyada ho jata hai.

Aurat ke komal shareer se khelna achcha lagta hai, wo bhi dusre ki bibi ho to aur achcha lagta hai. Change sabko achcha hi lagta hai. Khana chaye jitna bhi achcha ho, roz wahi khana khayenge to utna achcha nahin lagta, par ek din aap dusre type ka khana khayenge to better hi lagega. Meri bibi Dolly, Lalita se to better hi hai har lihaj se, par aaj Lalita bhi bahut achchi lag rahi thi. Maine Lalita ki boobs aur chuttad ko bhi sahla sahla kar saaf kiya. Usne bhi mere lund pe sabun lagakar achchi tarha saaf kiya.

Phir maine wahin bathroom me usko niche lita diya. Uski tangon ke paas baitha aur uske pairon ko uthakar uske anguthe ko kiss karne laga, main dhire dhire upar janghon ki or jeev chalata hua aaya. Wo leti rahi. Phir uski chunmuniyaan ke aas-paas jeev chalane laga. Thodi der janghon ko, nabhi ko halke halke chatne ke baad maine uski chunmuniyaan me jeev bidaya. Chunmuniyaan me jeev lagate hi usne mere sir ko pakad liya. Aur uske munh se awaj nikali, “A..h Ashish, achcha lag raha hai. Aur chatiye na isi tarha.” Main uski chikni chunmuniyaan ko maze se chatta raha bahut der taq. Dhire dhire jeev pherta raha. Kyunki chunmuniyaan ki safai abhi hui thi isiliye koi gand nahin aa rahi thi.

Maine ek mug paani liya aur uski chunmuniyaan pe daal diya, Phir apni ungliyon se chunmuniyaan ki pakhudiyon ko failakar apna jeev chunmuniyaan ke andar dalkar lap-lapane laga. Wo bhi niche se kamar hilane lagi. 5-6 minat aaram se chunmuniyaan chatwane ka maza lene ke baad wo uth kar baith gayi aur main khada ho gaya. Usne mera lund pakad liya aur haule haule muthiyane lagi. Aur dekhte hi dekhte usne mera lund munh me le liya aur mujhe lund chusayi ka maza dene lagi. Main chup-chap deewar ke sahare khade hokar maza lene laga. Phir mujhse raha nahin gaya, maine uska sir pakada aur uske munh ko hi haule haule chodne laga.

Thodi der aisa karne ke baad maine wahin Lalita ko phir se litaya aur uske chunmuniyaan me lund lagakar andar dhakelne laga. Lalita ne lund ka supada chunmuniyaan ke sahi jagah pe lagaya to lund chunmuniyaan ke andar ghus gaya. Waise hi lund chunmuniyaan me daalkar thoda deri uske upar lipta raha. Chhati ko uske boobs ke upar ragadte hue uske chunmuniyaan ki garmi ko lund ke supade ke upar mahsus karta raha. Phir main dhire kamar hilane laga. Sath sath main uski gardan ko chamne laga. Aaj bhi koi jaldbazi nahin, kyunki mujhe chudaai leela lamba khinchna tha. 6-8 minat jaisa usi position me usko choda.

Kyunki bathroom thoda chhota tha, chodne ke liye space kam pad raha tha, so maine bhabhi se kaha, “Bhabhi, yahan thoda uncomfortable lag raha hai, isiliye bed room chalein kya?” Wo boli, “Theek hai, mujhe kya, chudna hi hai na, yahan bhi maza aa hi raha hai.” Maine uske chunmuniyaan se lund nikala aur pesab kiya. Usne bhi pesab kiya wahin. Maine sabun lekar apna lund aur uska chunmuniyaan phir se saaf kiya. Donon ke badan pe phir se pani dala aur uske sath bed room me aa gaya.
Bed room ke wall clock me 12 baj gahe the. Matlab bhabhi ke sath bathroom me andhe ghante ki leela chali. Lalita ki kamar pe hath dalkar usko apne barabar khada kiya aur dressing table ke samne khade ho gaye. Aur bhabhi ko samne aine me dikhate hue kaha, “Dekhiye bhabhi, hum donon ki Jodi kaisi lag rahi hai?” Wo muskurayi. Wo kya bolegi!! Meri aur bhabhi Lalita ki jodi thodi ajeeb si lag rahi thi. Umar aur wajan me badi Lalita aur sadharan kad-kathi ka jawan ladka main!! Lekin humhe isse kya, hum donon jante the ki ye joda jabardast maja le chuka hai aur aaj bhi lega. Maine wahin bhabhi ko apni or khincha, lund uski navhi pe touch ho raha tha. Maine uski munh ke andar apni jeev ghused diya aur uske jeev ko chatne laga. Hamaare jeev thodi der saliva ka adan-pradan karte rahe.

Isse pahle ki main Lalita ko bed pe patakta, usne mujhe uthaya aur bed par fenk kar lita diya aur wo mere upar jhuk gayi. Usne mere badan pe kiss barsana phir se shuru kiya. Pure badan ko kiss ki, pure badan pe jeev chalayi, apne komal hathon se sahlati rahi. Bahut sir-siri ho rahi thi mujhe. Bas ankhen band karke uski is harkat ka maza leta raha.

Isi bich maine usko palatkar apne niche laya aur main uske upar aa gaya. Uske boobs ko sahlate hue, pet aur nabhi ko chatte hue, chunmuniyaan ke charon or jeev phera. Mujhe pata hai, aisa karne se auraton ko bahut aanand aata hai. Maine uske mansal janghon ko sahlaya. Main uske chunmuniyaan ko phir se chatne laga, uske chunmuniyaan se ras nikalne laga aur main chunmuniyaan ke ras ko chusta gaya. Meri bibi Dolly ki batahun to usne mujhe kai baar kaha hai ki chunmuniyaan chatwana aur chuswana, lund se chudane se bhi jyada maza deta hai aur us samay Lalita ki halat dekhke yahi lag raha tha ki Lalita bhi chunmuniyaan chatwane ka maza le rahi hai. Kair, main chikni chunmuniyaan ke ras ko 5-6 minat jaisa chatta-chusta raha.

Itne me Lalita ne kaha, “Aap apna lund mere chehre ke upar layiye. Aapne mujhe bahut maza de diya, main bhi chusti hun lund ko.” Main ghumkar uske upar aa gaya. Is tarha uska sir mere jaghon ke niche aa gaya aur wo mere lund se thodi der kheli, halka halka sahlayi, muthiyai aur phir lund ko munh me dubara le li. Lalita niche let kar mera lund chus rahi thi aur main usko upar se chunmuniyaan chat raha tha. Bich bich me 1-2 anguli bhi ghusa deta tha chunmuniyaan ke andar. Main apni ungliyon ke nakhun aksar katte rahta hun. Dolly ko aksar ungli se chudaai karta hun. Isse chunmuniyaan ke andar nakhun se chot lagne ki sambhavna nahin rahti hai. Chunmuniyaan ke andar ka temperature shareer ke baki angon se thoda jyada rahta hai, ye ungli ko chunmuniyaan ke andar dalne se hi pata chalta hai.

Main soch raha tha ki ek conservative family me pali hui aurat, jo dikhne me bholi aur shareef lagti hai, jo apne pati ko bahut pyar karti hai; wo bhi is tarha khulkar dusre mard se chudwa sakti hai!! Khud dusre mard ke ghar chudane ke liye aane lagi!! Dusre mard ka lund besharmi se choos rahi hai!! Lekin shayad ye uski atript vasna hi use aisa karne pe mazboor kar rahi hai. Shayad aisa har aurat chahti hogi ki usko pyar aur dhan-daulat ke sath chudaai ka bhi bharpoor anand mile.
Jyada deri tak lagatar lund chusane se control nahin hota hai, jhad jata hai. Isliye maine bhabhi ko roka, “Bhabhi, zara rukiye.” Usne munh se lund hataya. Tabhi uski nazar clock pe gayi, 12:20 baj rahe the. Wo boli, “Arey baapre, time bahut ho gaya! Ashish, ab apna lund mere chunmuniyaan me peliye aur jaldi khatam kijiye. Khana bhi banana hai. Jyada late hoga to bhook lagegi.” Maine kaha, “Koi baat nahin bhabhi, aaj hum yahin khana kha lenge. Jay to 4 baje ke baad aayenge na!”

Usne kaha, “Rukiye thoda confirm kar leti hun. Kahin wo jaldi kaam niptakar ghar aa jayenge to gadbad ho jayegi.” Usne apna mobile uthaya aur Jay ko phone lagaya. Usne speaker phone chalu kar diya tha. “Hello! Lalita bol rahi hun. Kahan hain aap? Khana khane aayenge na aap? Aapke liye bhi khana banahun?” Udhar se Jay ki awaj sunayi thi, “Arey yaar office me hi hun, kaam bahut jyada hai, lagta nahin ki 5 baje se pahle aa pahunga. Tum khana kha lena. Main idhar hi lunch kar lunga.” Lalita boli, “Theek hai, ek kaam kijiye, sham ko sabji lete ayiyega.” Jay bola, “Theek hai, aake baat karenge, bye.” Uske baad Lalita ne phone rakh diya.

Ab main nischint ho gaya. Ab maine soch liya ki aaj Lalita ki chunmuniyaan itna chatunga ki wo jhad jaye, phir uski chunmuniyaan lund pel kar khud jhadunga. Ye chudaai session complete karne ke baad bhabhi ko yahin khana banakar khilahunga aur phir kuchh der relax kar ek quick round chalahunga. Main phir pesab karne gaya aur lund dhokar laya. Bed ke bagal ke table pe rakha jug uthaya aur pani piya. Hum apne bed room me pani hamesha rakhte hain. Raat ko jab bhi pyas lagti hai pani pite hain. Meri aur Dolly ki chudaai aksar lambi hi chalti hai to bich me pyaas lagta hi hai. Lalita ne bhi pani piya.

Maine Lalita se puchaa, “Bhabhi, ab to koi duvidha nahin hai na! Darr tyag dijiye aur chudaai ka maza lijiye!” Usne apni bhahen failayi aur mujhse lipat gayi aur meri gardano pe kiss karne lagi. Shayad wo bhi nischint ho gayi thi. Wo boli, “Ab aaram se karte hain, khana late ho chalega.” Maine bhi uske mathe ko kiss kiya, phir galon aur gardan ko kiss kiya.

Maine bhabhi ko bed pe litakar sidha kiya. Uske anguthe ko phir se kiss karte hue upar aaya, tangon ko, janghon ko, pet ko, boobs ko, gardan ko kiss karte hue lips taq aaya. Usko palat kar uski peet ke charon taraf jeev chalaya, hathon se boobs sahlaya, chuttad sahlaya. Uske chikni, gol chuttad ko kiss kiya.
Usko wapas peet ke bal litaya. Main bed se utra aur Dolly ki dressing table ka drawer khola aur usme se shahad ki sisi le aaya aur bhabhi ki tanghen phailakar unhe ghutnon pe moda. Maine 2 chammach jaisa shahad nikala aur uski chunmuniyaan aur chunmuniyaan ke charon or shahad lagaya. Main uski janghon ke bich aaya aur apni jeev se chunmuniyaan pe lage shahad ko chatne laga. Shahad ke swad se chunmuniyaan chatne aur chusne ka maza bahut bad gaya. Uska Chunmuniyaan ab mitha mitha lagne laga.

Shahad lagakar maine Dolly ki chunmuniyaan ko bhi bahut baar chata hai, use chatne wale ko bhi meeta aur chatwane wali ko maza bahut aata hai. Chunmuniyaan me Shahad lagakar maine Dolly ko aksar itna chata ki wo jhad jati thi. Aise to market me durex etc ke oral-sex cream milte hain, lekin shahad easily available hota hai, sasta bhi hota hai.
kramashah…………………….


rajaarkey
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Re: बीबी की सहेली

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:27

बीबी की सहेली--5

गतान्क से आगे……………………….

मैं भाभी की चुनमुनियाँ को बहुत देर तक़ चाटा. एक तो उसकी चुनमुनियाँ बिना झांट के थी, उपर से मीठी शहद का चिकनापन. जीव चुनमुनियाँ के उपर आराम से फिसल रही थी. बीच-बीच मे चुनमुनियाँ की पंखुड़ियों को होंठों से खींच लेता. उसने भी मेरे सिर को चुनमुनियाँ मे दबाए रखा. 10-12 मिनट मे वो शहद ख़तम हो गया था. मैने फिर से उसकी चुनमुनियाँ पे शहद लगाया और खुद नीचे लेट गया और कहा, “भाभी, अपना चुनमुनियाँ मेरे मुँह के उपर लगाइए.” वो तुरंत अपने चुनमुनियाँ को मेरे मुँह पे लगा दी और मैं सुरूफ़-सुरूफ़ चाटने लगा. वो पोज़िशन उतना कन्वीनियेंट नहीं लगा क्यूंकी उसके नीचे मैं दब रहा था.

मैने उसको फिर से नीचे लिटाया और फिर से शहद भरे चुनमुनियाँ को चूसने का आनंद लेने लगा. वो भी जोश मे आने लगी, अपनी चुनमुनियाँ उपर नीचे करने लगी, कमर हिलाने लगी. 4-5 मिनट के बाद लगा कि उसकी उत्तेजना चरम पे पहुँचने लगी है. मैं तेज़ी से जीव और होंठ चलाने लगा. और अगले 2-3 मिनट मे ऐसा लगा कि शहद के साथ उसके चुनमुनियाँ से कुच्छ गरम गरम लिक्विड रिसने लगा. मैं उस लिक्विड को चूस्ता गया और उसने भी मेरे सिर को दोनों हाथों से चुनमुनियाँ पे दबा दिया. और वो थोड़ी ढीली हो गयी. मैं समझ गया कि वो झाड़ गयी है. उसने कहा, “आशीष, ये आपने क्या कर दिया, ऐसा भी मज़ा मिल सकता है!” वो थोड़ी देर चित लेटी रही. करीब 12:40 बज चुके थे.

अब भाभी ने मुझे नीचे लेटने का इशारा किया. उसने भी शहद निकाल कर मेरे लंड, अंडकोष और सूपदे पे लगाया. और वो उस शहद को चाटने लगी. फिर सूपदे को मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैने भाभी से कहा, “भाभी बहुत अच्छा लग रहा है, पर धीरे कीजिए नहीं तो आपके मुँह मे ही झाड़ जाउन्गा.” 2 मिनट चुसवाने के बाद मैने उसको रोका.

मैने उसको बेड पे लिटाया और उसके बगल मे खुद लेट कर उसकी चुचि और नाभि और जगहों को सहलाया. ऐसा करते हुए मैं रेस्ट ले रहा था. अब आगे के लिए तैयार था. मैं उठा, उसकी जांघों के बीच आया, चुनमुनियाँ को एक किस दिया और चुनमुनियाँ पे निशाना लगाकर अपने कमर को एक झटका मारा. मेरा लंड चुनमुनियाँ मे आराम से पूरा घुस गया. 5.5” लंबा लंड और बड़ी चुनमुनियाँ हो तो ऐसा होना ही था! ये पोज़िशन सबसे कामन होता है, लेकिन सबसे कंफर्टबल भी, और इस पोज़िशन मे लंड भी अंदर तक़ जाता है. मैं एकदम आराम से आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाने लगा. धीरे धीरे उसकी चुनमुनियाँ चिकनी और रसीली होती गयी.

4-5 मिनट बाद मैने अपना दायां पैर उसकी बायें पैर के नीचे सरकाया, अपना बाईं टाँग उसकी टाँगों के बीच लगाई और उसकी दाईं पैर को मेरे कमर के उपर रख दिया. वो पीठ के बल लेटी थी और मैं अपने बाएँ साइड पे. मैने फिर से अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे फिर से पेल दिया. ये पोज़िशन भी काफ़ी कंफर्टबल होता है, लेकिन इसमे डीप पेनेट्रेशन नहीं होता, लेकिन मज़ा डीप पेनेट्रेशन से नहीं होता, लंड का सिर्फ़ सूपड़ा सेन्सिटिव होता है और चुनमुनियाँ का सिर्फ़ बाहर के और 1-2 इंच अंदर वाले हिस्से ही सेन्सिटिव होते हैं. उसी पोज़िशन मे 40-50 स्लो मूव्स लगाया. उस समय मैं उसकी दाईं जाँघ को सहलाता रहा.

इसी बीच वो उठी और उसने मुझे लिटा दिया. उसने थोड़ी देर लंड को फिर से चूसा और वो मेरी तरफ मुँह करके लंड को चुनमुनियाँ से लगाकर उसके उपर बैठ गयी और लंड उसकी चुनमुनियाँ मे समा गया. वो लंड को किसी राजगद्दी की तरहा समझ रही थी शायद, तभी तो वो उसी अवस्था मे 1-2 मिनट बैठी रही, “आशीष जी पूरा घुस गया आपका लंड महाराज तो!!” मैने कहा, “आपको ये बात समझना चाहिए कि तरबूज चाकू पे गिरेगा, तब भी क़ाटना तो तरबूज ही को है ना!” वो बोली, “हां ये तो है.” वो मुझे उपर से 4-5 मिनट चोदि. मैं भी बीच-बीच मे नीचे से झटके मार लेता था, उसकी बूब्स को सहला देता था. वो मेरा छाती सहलाती रही. कभी कभी झुक कर मुझे किस करने लगी. वो मुझसे भारी थी लेकिन तब मुझे उसका वजन महसूस नहीं हो रहा था. वो लंड को चुनमुनियाँ मे लेकर ही पीछे घूम गयी और फिर लंड के उपर नीचे होने लगी. मैं तब उसकी पीठ सहला रहा था. किसी औरत से इस तरहा चुद्वाना, उसको चोद्ने से ज़्यादा संतूस्ती देता है. ये उन्ही लोगों को पता होगा, जिन्होने अपनी गर्लफ्रेंड या बीबी से इस तरहा चुद्वाया हो. पीछे से उसकी गोल गोल गांद को देखना बड़ा अच्छा लग रहा था.

फिर मैने उसको फिर से नीचे किया और उसको इस तराहा घुमाया कि उसकी चुनमुनियाँ बेड के बगल मे रखे आईने की तरफ हो गयी. मैं उसको फिर से चोद्ने लगा. और उसे कहा, “भाभी, आप अपने चुनमुनियाँ को आईने मे देखिए कि मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसे अंदर-बाहर हो रहा है.” मैने भी मूड के देखा. बहुत सुंदर द्रिश्य था. एक दुबला सा युवक का लंड, गोरी मांसल जाँघ वाली की चिकनी चुनमुनियाँ मे आराम से अंदर बाहर हो रहा था और चुनमुनियाँ के चारों ओर सफेद सा लिक्विड फैला हुआ था. वो बोली, “चुनमुनियाँ तो मेरी बहुत लस्लसि दिख रही है, और आपका लंड चुनमुनियाँ को कैसे चीरते हुए अंदर चला जा रहा है!” फिर मैने अपने पैरों को उसकी कमर के साइड मे रखा और अपना लंड उसकी गीली चुनमुनियाँ मे फिर से पेल कर चुनमुनियाँ के उपर ही बैठ गया. थोड़ा देरी इसी पोज़िशन मे बैठा रहा और उसको चोद्ने लगा. उसके बाद मैने उसकी टाँगे सटा कर सीधी कर दी और लंड फिर से चुनमुनियाँ मे घुसा दिया. अब लंड थोड़ा टाइट जा रहा था. लेकिन मैं जानता था कि इस पोज़िशन मे ज़्यादा कंटिन्यू करना मतलब लंड का झड़ना है. मैने 15-20 हल्के धक्के के बाद लंड निकाला.

घड़ी मे 12:55 हो गये थे. मैने भाभी को बेड से उठाकर बगल के टेबल पे बैठने का इशारा किया. वो इशारा समझ गयी और चुनमुनियाँ सामने कर के टाँगें फैलाकर आराम से बैठ गयी. वो मेरा फॅवुरेट पोज़िशन है और अक्सर मैं चुदाई के लास्ट स्टेज के लिए बचा के रखता हूँ. उस टेबल की हाइट मेरी कमर के बराबर है. पिछली बार भी भाभी को उसी पोज़िशन मे चोद कर झाड़ा था. वो पोज़िशन बहुत कंफर्टबल लगता है. चुदवाने वाली भी आराम से बैठी रहती है और चोद्ने वाला भी आराम से खड़े होके चोद सकता है.

मैने भाभी की चुनमुनियाँ मे फिर से शहद लगाया और उसको दुबारा चाटना शुरू किया. 8-10 मिनट तक़ चपर-चपार करके खूब चाटा, शहद और चुनमुनियाँ रस का खूब चूसा. उसको शायद कुच्छ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, तभी तो उसने मेरे सिर को ज़ोरों से जाकड़ रखा था. वो बहुत उत्तेजित सी लग रही थी, बोली, “आशीष, अब लंड चुनमुनियाँ मे पेलिए ना!”

मैं उठा और लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे घुसेड दिया और हौले हौले चोद्ने लगा. 40-50 स्लो मूव्स के बाद मैने स्पीड बढ़ाई. मैं भी अब जोश कंट्रोल से बाहर हो रहा था. ढप-डप चोद्ने लगा. कभी कभी लंड पूरा खींच कर निकाल कर तेज़ी से घुसेड देता, लंड पूरा समा जाता, ऐसा लग रहा था कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी दीवार पे टकरा रहा है. वो मुझसे ज़ोर से चिपक गयी और चिल्लाने लगी, “आशीष, आपने मुझे चुदक्कड बना दिया, चोदिये… चोदते रहिए.” मैने पूछा, “भाभी आपका पीरियड ख़तम हुए 3-4 दिन हुए है ना!!” वो बोली, “ठीक 4 दिन. लेकिन आप को कैसे मालूम?” मैने कहा, “कॅल्क्युलेशन करके भाभी.”

ऐसे पीरियड के 6 दिन तक प्रेग्नेन्सी का ज़्यादा चान्स नहीं होता, फिर भी मैने सोचा कि यहाँ रिस्क नहीं लेना चाहिए. कहीं बच्चा ठहर गया तो हम दोनों के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होता.

मैं ललिता भाभी को चोद्ता रहा. मेरे अंडकोष उसकी गांद और थाइ से टकरा रहे थे, धप-धप की आवाज़ उसी से आ रही थी. वो बोली, “ये कैसी आवाज़ आ रही है!!” वो मुझे बेतहासा चूमने लगी. मैं उसकी चुनमुनियाँ मे धक्के मारता रहा. लेकिन चूँकि चुनमुनियाँ काफ़ी गीली और गीली हो गयी थी, घर्सन कम होने से आनंद तो आ ही रहा था, लेकिन लंड झाड़ ही नहीं रहा था. इसी बीच ऐसा लगा कि चुनमुनियाँ से रस बहुत निकल रहा है. वो फिर से झाड़ गयी थी. वो मुझसे चिपक गयी. मैं थोड़ी देर शांत रहा. उसकी चुनमुनियाँ की ओर इशारा करते हुए बोला, “देखिए भाभी, मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसा धन्सा है.” ट्यूब लाइट की रोशनी मे गीली चुनमुनियाँ चमक रही थी.

मैं फिर से धक्के मारने लगा. उच्छल उछल कर धक्के मारता रहा. मैं भी अब बहुत थक गया था. बड़ी मेहनत के बाद 4-5 मिनट मे मेरा अल्टिमेट सिचुयेशन आने को हुआ. मैने अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से खींच लिया और अपना सारा लंड-रस उसकी चुनमुनियाँ के उपर नाभि और पेट पे गिरा दिया.

हम दोनों उसी अवस्था मे थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की साँसे लंबी लंबी चलने लगी. 1:15 बज चुके थे. मैने भाभी के होंठो को किस किया और अलग हुए. ललिता टेबल से उतर कर नगी ही बाथरूम की ओर चली. मैने पीछे से उसकी चाल देखी, उसके गोल-गोल चूतड़ बड़े शानदार अंदाज़ मे हिल रहे थे. मैं भी उसके पीछे नंगा ही बाथरूम मे गया. बाथरूम मे दोनों दुबारा नहाए और नंगे ही बाहर निकले. उसने बाथरूम के दरवाजे के पास पड़ी अपनी सारी और ब्लौज उठाया और पहन लिए. ब्रा ज़्यादा भींग गयी थी, इसीलिए उसने ब्रा नहीं पहना. मैने भी टी-शर्ट और लोंग निकर पहन लिया. मैने भाभी से कहा, “भाभी आज मैं आपको खाना बनाके खिलाता हूँ.” वो बोली “ठीक है.”

मैं किचन मे गया, चावल और दाल चढ़ा कर आया. हम टीवी देखने लगे. फिर मैं किचन मे गया. चावल, दाल तैयार हो गये थे. 4 अंडे (एग्स) बचे हुए थे रेफ्रिजरेटर मे, मैने सबका एग-बुरजी बनाया. और हम दोनों ने साथ खाया. मैने भाभी को बोला, “जैसा भी है, खा लीजिए. बस इतना ही जानता हूँ खाना बनाना. मसाला, आयिल ज़्यादा नहीं यूज़ करता हूँ मैं.” वो खाते हुए बोली, “खराब भी तो नहीं बनाया आपने, अच्छा ही लग रहा है. आप मसाला और आयिल ज़्यादा नहीं खाते ये तो आपको और डॉली को देखके ही पता चलता है.” खाना 2:15 मे कंप्लीट हो गया. ललिता ने बर्तन मांझ दिए.

वो थोड़ी देर बैठने के बाद बोली, “आशीष मैं अब जाती हूँ.” मैने तुरंत कहा, “घर जाकर क्या कीजिएगा अभी. थोड़ा बैठिए, बातें करते हैं, फिर ना जाने मौका मिलेगा कि नहीं, क्यूंकी अगले साप्ताह तो डॉली आ जाएगी.” वो रुक गयी. मैने पूछा, “ज़य जी तो बहुत स्वस्थ दिखते हैं, उसका लंड भी मोटा-तगड़ा होगा!!” मैने यूँ ही कहा था, जबकि मुझे हक़ीकत मालूम था, मैं बस उसके मुँह से सुनना चाहता था. उसने बताया, “क्या बताऊ, आशीष! हमारी लव मॅरेज है, इन फॅक्ट आज भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, आदमी वो बहुत अच्छे हैं, बहुत ध्यान रखते हैं मेरा, सभी सुख-सुविधाएँ हैं हमारे पास, लेकिन वो बस चुदाई करने मे मार खा गये. वो बहुत कन्सर्वेटिव वे मे चोदते हैं, जबकि आप तो बड़े सलीके से चुदाई करते हैं. कहाँ से सीखा आपने? ज़य जी तो कपड़े भी पूरा नहीं खोलते, लगता है वो चुदाई सिर्फ़ फॉरमॅलिटी के लिए करते हैं, सहलाते भी नहीं हैं, सारी उपर सरका कर लंड चुनमुनियाँ मे जल्दी से डाल देते हैं और मेरे जोश मे आने से पहले ही जल्दी ही झाड़ जाते हैं. और मैं तड़प्ती रहती हूँ. और आगे भी मैं ऐसे ही तड़प्ते रहूंगी.”

क्रमशः…………………….


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