कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:28

कौन सच्चा कौन झूठा

प्यारा के डोर बेल बजाते ही इंदु(प्यारा की बीवी) ने दरवाजा खोला. आज प्यारा बहुत खुश था .उसके चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी. सीडियो से उतरते हुए दोनो बच्चे नीचे आए प्यारा का बड़ा बेटा दीपक और बेटी निशा .. इंदु: प्यारा क्या बात है आज ऑफीस से जल्दी आ गये.
प्यारा: इंदु मे तुम्हे एक खुश खबरी देना चाहता हू . ये बात सुनते ही इंदु और बच्चो का चेहरा खिल सा गया .
इंदु: अब बता भी दो.
प्यारा : हाहाहा तुम आज भी नही बदली वही बच्पना है तुम मे.
दीपक : डॅड बता दो ना निशा अपने डॅड के बगल मे जा कर बैठ गयी.
प्यारा: अच्छा चलो चलते है. इंदु ने हैरानी से देखा बच्चे भी सोच मे पड़ गये .
प्यारा: अरे तुम लोग अमेरिका चलने के तैयारी करो मुझे हेड ऑफीस से प्रामोशन मिला हे .और अब 3महीने बाद हमे वही चलना है. ये बात सुनते ही तीनो खुश हो गये ..प्यारा ने दीपक से पूछा बेटा तुम्हारे एग्ज़ॅम कब ख़तम है .
दीपक: डॅड नेक्स्ट मोन्थ से स्टार्ट हे और 25 दिन के अंदर-2 ख़तम हो जाएँगे .
निशा : अगर तेरे एग्ज़ॅम ख़तम ना हुए तो हम तुझे यही पे छ्चोड़ जाएँगे ये बात सुनते ही सब हस पड़े इसी कहानी से............ जैल के दरवाज़े पर ज़ोर से डंडे की आवाज़ "ठक ठक ठक" तेज़ी से आती आवाज़ ने दीपक को नींद से जगाया और उसका सपना टूट गया"नवाब साब उठिए आज आपकी कोर्ट मे डेट है" "शम्भोनाथ जैल के मामूली से हवलदार दिखने मे एक भयानक रूप वाले लंबी लंबी मूच्छे मूह मे पान और मूह से आती आवाज़ "पच पच " . दीपक ने अपनी आँखें खोली और कमरे के रोशनदान से आती धीमी रोशनी ने सामने बैठे दो लोगो के दर्शन दिए . दीपक इन दोनो को करीब 20 दिन से जानता था पहला एक 55 साल का बुढ्ढा इंसान और दूसरा दीपक की उमर का "बिरजू" 23 साल की उमर मे 4 खून की सज़ा काट रहा है बिरजू .. बिरजू: आज तेरे डेट है
दीपक: हा .(दीपक एक दम गुम सूम था कम बोलने वाला)
बिरजू: कौशिश करना यहा वापस मत आना .और बिरजू ने आँखें घूमाते इधर उधर देखा और दीपक के हाथ मे कुछ थमा दिया आँख मारी और अपना बिडी पीने मे लग गया . एक दो तीन ...क़ैदियो की गिनती जारी थी वॅन मे .हर रोज़ यही होता था जिन कदियो को कोर्ट ले जाना होता था उनकी गिनती होती थी ..... सिर को झुकाए दीपक वॅन मे बैठा अपने पुराने दीनो को याद कर रहा था कैसे कुछ ही दिनो पहले उसका परिवार कितना खुश था उसको वो दिन भी याद है जब उसकी बेहन निशा ने उसको ये कहते हुए छेड़ा था के राखी आने वाली है क्या इस बार भी मुझ से ही पैसे लेकर मुझे ही गिफ्ट दोगे . चुर्र्र्र्र्ररर वॅन हाइह्कोर्ट के गेट के बाहर रुकती है . दीपक की मा(इंदु) अपने बेटे को देखने के लिए तड़प रही थी . पर पोलीस वालो ने मिलने नही दिया . आज डेपक की दूसरी पेशी थी हाइह्कोर्ट मे अगर आज भी दीपक को ज़मानत नही मिली तो क्या होगा. इंदु गेट के किनारे खड़ी थी वकिलो के दलील सुन रही थी दोनो तरफ के दलील सुन ने के बाद फ़ैसले के लिए आधे घंटे का टाइम लिया गया. पर आज दीपक के दिमाग़ मे कुछ और चल रहा था उसने कुछ फ़ैसला कर लिया था अगर आज उसे ज़मानत नही मिली तो वो कुछ भी कर सकता हे . ऑर्डर ऑर्डर जज ने अपना हधोड़ा पटकते हुए बोला "मुजरिम दीपक के बैल अपील कॅन्सल की जाती है" इंदु की आँखों से आँसू बह चले वो अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी . दीपक ने हवलदार को बोला के उसे बाथरूम जाना हे . एक हवलदार उसके साथ मे चल दिया . हवलदार बाहर खड़ा था दीपक जैसे ही बाथरूम मे घुसा उसने अपने पाजामे के नाडे से बँधी चाबी को निकाला जो उसे बिरजू ने जैल मे निकलने से पहले दी थी . चाबी को दो चार घुमाने से दीपक ने हाथो की हतकड़ी खोल ली लेकिन हतकड़ी को उतारा नही वैसे ही हतकड़ी पहन के बाहर आ गया . वॅन के नज़दीक पहुचते ही उसने अपनी मा को दूर खड़ा देखा थोड़ा आगे बड़ा और अपने वॅन के साथी को धक्का मार के गिरा दिया जैसे दो हवलदार उसे उठा रहे थे दीपक ने मौका देख कर अपनी हतकड़ी उतारी जो पहले ही उसने खोल दी थी . और दीवार की तरफ भागा पोलीस वालो ने सिट्टी बजा दी और दीपक के पीछे भागने लगे पर दीपक आज किसी के हाथ नही आने वाला था दीवार के पास पहुचते ही एक छलाँग लगा कर चढ़ गया और दूसरी तरफ मैं रोड था .दीपक पागलो की तरहा भागे जा रहा था पोलीस वाले भी काफ़ी पीछे थे . एक सुनसान से गली मे जाकर दीपक एक अंधेरे कोने मे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा ..... अपने आप पर काबू रखते हुए दीपक अपने आप से बाते करने लगा. मैं नही रोउँगा अपने आँसुओ को अंगार बना दूँगा जिसने भी मेरे परिवार के साथ ये सब किया है उसे मार दूँगा. दीपक वो मनहूस दिन याद करने लगा .."उठ बे उठ जा " दीपक ने आँखें खोली सामने इनस्पेक्टर राणे खड़ा था .दीपक ने कमरे मे नज़र घुमा के देखा तो उसके पिता की लाश पड़ी थी थोड़ी दूर ही इंदु ऐसे बैठे थी मानो वो भी मर चुकी हो ,पर दीपक कुछ सोचता उससे पहले ही राणे ने एक ज़ोरदार चांटा दीपक के मूह पर मारा "अब आया होश या और दू" दीपक अभी तक नशे मे था उससे अभी तक पूरा कुछ नही पता चला था पोलीस दीपक को पोलीस स्टेशन ले आई थी .राणे ने अपने सीनियर हवलदार को इशारा करते हुए बुलाया ये "नाइफ" फोरेन्सिक जाँच के लिए भेज दो और इस नवाब जादे के उंगलियो के निशान लो पता तो करे जनाब नशे मे इतना गिर गये थे क्या. दीपक के सिर मे बहुत तेज़ दर्द था उसने चीखते हुए पानी माँगा राणे ने हवलदार को इशारा किया और एक ग्लास पानी दीपक को दिया . दीपक जैसे पहली बार पानी पी रहा हो ऐसा उस हवलदार को लगा एक ही सास मे सारा पानी दीपक के गले मे . दीपक की छाती मे जलन महसूस हुए थोड़ी मुँह से आवाज़ निकली "कहा हू मैं" मुझे कोई बताओ आँखों मे आँसू दीपक फिर बेहोश हो गया . राणे अपने ही आंदाज मे बैठा था हवलदार को इशारा किया नवाब जादे को ज़रा रेमांड रूम मे तो लाओ खातिरदारी तो करे "हवलदार हँसने लगा साहेब बड़े दिन से हाथ नही उठाए है आज कुछ खुजली मिटा ही लीजिए" पछ्ह्ह्ह.... पानी दीपक के मुँह पर मारा दीपक को कुछ होश आने लगा था .दीपक एक लकड़ी की कुर्सी पर बैठा था बार बार पानी और कुछ खाने के लिए माँग रहा था .
राणे : हां हां लाड़ साहेब को दो दो खून करने के बाद तो बहुत भूख लगी होगी हहा .
दीपक: कौन , क्या बात कर रहे हैं आप (दीपक अभी भी कुछ नशे मे था ) राणे: आछा जी साहेब को तो कुछ पता भी नही हवलदार ज़रा साहेब को पानी दो.... हवलदार ने दीपक को पानी दिया फिर उसने जल्दी -2 मे पानी पिया .
राणे: दीपक जी आप अपना जुर्म कबूलेंगे या हम आपकी सेवा करे .
दीपक: सर क्या जुर्म .मेने किया क्या है सर( रोते हुए बोला)
राणे: वाह ! हर मुजरिम यही डायलॉग बोलता है .साले हरामी दो दो खून किए है तूने .
दीपक: सर खून मेने (सकपका सा गया दीपक) .
राणे: अपने बाप का और बेहन का खून किया है तूने हमारे पास सारे सबूत है(गुस्से मे राणे आगे बढ़ा) दीपक: क्या ( दीपक की आँखों मे आँसू आ गये पर छलके नही)
राणे: जिस चाकू से तेरे बाप का खून हुआ उस पर तेरे उंगलियो के निशान थे. तेरे बेहन का गला घोंटा तूने उस पर भी तेरे उंगलियो के निशान मिले है तू ड्रग्स कब से ले रहा हे( गुस्से मे राणे ने पूछा)
दीपक: आँखों में आँसू आ गयेअपने पिता और बेहन की मौत के खबर सुनकर दीपक टूट सा गया . सकपकाते हुए रोने लगा पूरे रूम मे दीपक के रोने के चीखे थी ऐसे रो रहा था जैसे उसका सब कुछ लूट गया हो (और हुआ भी ऐसा ही था )
दीपक: सर मेरी मा कहा है रोते हुए दीपक ने पूछा.
राणे: तेरे साथ नही है मतलब सेफ है . अब मुझे सब कुछ बता सच-2 वरना पोलीस वाले का असली रूप दिखाता हू तुझे बोल .
दीपक : सर मे क्यू अपने डॅड को मारूँगा वो तो मुझे इतना प्यार करते थे .सर एक बार प्ल्ज़्ज़ मेरी मा से मेरे बात करा दीजिए राणा: ये बता के तू ड्रग्स कब से ले रहा था. दीपक: ड्रग्स बड़ी हैरत से दीपक ने राणे की तरफ देखा .
राणे: आबे ऐसा क्या देख रहा हे . ड्रग्स लेता है और मुझ से ऐसे पूछ रहा हे जैसे कभी ड्रग्स देखी भी ना हो.
दीपक: (रोते हुए) सर मे ड्रग्स नही लेता.
राणे: हरामी झूठ बोलता हे तेरे खून की जाँच करवाई है हमने और 1000एमजी ड्रग्स तेरे खून मे पाई गयी हे इतनी ड्रग्स ले कर अपने बाप बेहन का खून कर दिया और अब बोलता हे मेने कुछ नही किया .
दीपक : सर मे सच बोल रहा हू मेने कुछ नही किया दरवाजे पर दस्तक हुई
राणे:कौन है

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:29

बाहर से हवलदार ने बोला साहेब इसकी मा आई है कोर्ट का ऑर्डर साथ मे लाई है इसको मिलने के लिए . जैसे ही इंदु ने दीपक को देखा दोनो की आँखों मे आँसू थे पोलीस के साइरन ने दीपक को नींद के आगोश से जगा दिया . सिर उठा के उपर आसमान की तरफ देखा तो सूरज बिल्कुल सिर के उपर था गली के पीछे भी उपर जाने का रास्ता था . जैसे ही दीपक सीडिया चढ़ा उपर बैठे कुत्ते ने भोकना शुरू कर दिया. दीपक जानता था के अगर ये कुत्ता चुप ना हुआ तो कोई ना कोई यहा देखने पहुच जाएगा .दीपक ने पास मे पड़े मोटे से पत्थर को उठाया और उपर सीडियो पर चल दिया .उपर पहुचते ही देखा कुत्ता चैन से बँधा हुआ था दीपक ने ज़ोर से पत्थर को कुत्ते के सिर पर मार दिया सब कुछ शांत हो चुका था. धीरे से दीपक ने रस्सी पर से कपड़े लिए और बदल लिए वो जानता था कि अगर वो जैल के कपड़ो मे रहेगा तो कोई ना कोई उसे पहचान लेगा . आगे बढ़ते ही दीपक को घर जाने का ख़याल आया पर वो जानता था कि उसके भागने की खबर सुनते ही पोलीस उसके घर की घेराबंदी कर चुकी होगी. ट्रिन्न्न ट्रिन्न हेलो इनस्पेक्टर राणे हियर क्या कब. तुम एक काम करो उसे वही ढुंढ़ो मे उसके घर जा कर दबिश देता हू. राणे ने अपनी टोपी पहनी गाड़ी मे चल दिए दीपक सोच रहा था कहाँ जाए उसे अपने पिता और बेहन के खूनी से बदला भी तो लेना था .घर जा नही सकता था पड़ोसियो मे शर्मा अंकल पर उसे भरोसा था मगर किसी ने पोलीस को बता दिया तो .दीपक के दिमाग़ मे कुछ सूझा वो आगे बढ़ गया . दीपक अपने घर की नौकरानी चंपा के घर पर जा रहा था घरवालो के बाद एक वही थी जो पिछले6साल से उनके घर मे काम कर रही थी उसे उस पर भरोसा था. जैसे ही दीपक चंपा के घर के बाहर पहुचा अंडर से आवाज़्ज़्ज़ आई "आह दीपक हैरान हुआ और छुप गया .चंपा की खोली बहुत छोटी थी दीपक ने अंदर झाँकने की कौशिश की उसको एक छेद मिला जो अंदर का नज़ारा बयान कर रहा था. दो जिस्म चिपके हुए थे एक के उपर एक. चंपा को तो दीपक ने पहचान लिया पर वो आदमी कौन था दीपक को नही पता था .
चंपा: डाल ना क्यू तड़पाता है जागया. दीपक को उस शक्स का नाम तो पता चल गया था. अंदर से फिर आवाज़ "आई आह " चंपा: साले हरामी तडपा मत डाल ना जागया: अभी नही तुझे तड़पाने मे मुझे बहुत मज़ा आता है. चंपा: आछा ! तुझे बताती हू अभी दीपक को बड़ी हैरानी हो रही थी के शरीफ से दिखने वाली चंपा बिस्तर पे ऐसा भी करती है. चंपा: ये ले .(चंपा ने नीचे हाथ ले जा कर ज़ोर से लंड को दबा दिया )
जागया : साआआअल्ल्ल्ल्ल्ल� �ईई आह !
चंपा: चिल्लाता क्यू है तड़पाने मे मज़ा आता हे ह्म्*म्म्म.... चंपा हस पड़ी. जागया गुस्से मे था अपने एक हाथ से चंपा के दोनो हाथो को पकड़ लिया .अपने लंड को चॅंप के पिंक चूत के मूह पर रखा .लंड के एहसास से ही चंपा आहे भरने लगी . एक हल्का सा दबाव लंड पर और चंपा की चूत के द्वार खुलते हुए .
चंपा: रहम कर आराम से डाल. आआहह.......साले चोद दे . जागया: साली आज तो तेरी फाड़ दूँगा जागया ने धक्को के स्पीड तेज कर दी .चंपा के मुम्मे उपर नीचे उछल रहे थे .जब जागया लंड और अंदर घुसा देता चंपा की सिसकी निकल जाती
चंपा: आज के बा आद तुउउउउझे घाररर मे आने नही दूँगी आआअहह .. जागया के धक्के जारी थे चंपा ठीक से बोल नही पा रही थी. जागया: ठीक है मत आने देना आहह. पर तेरी चूत के प्यास कौन मिटाएगा ह्म्म.. जागया धक्के बजा रहा था. आह...माआअ . जागया: मा तुझे बचाने नही आएगी हहा. चंपाने एक दम से जागया के कंधे ज़ोर से पकड़ लिए . जागया आगे पीछे नही हो पा रहा था . चंपा जागया के कान के पास अपना मून ले गयी और ज़ोर से उसका कान काट लिया
जागया : आआहह! क्या कर रही है इतना ज़ोर से . चंपा: आराम से कर मुझे भी दर्द हो रहा हे . जागया चंपा के मुँह के पास हुआ और अपनी जीब निकाल के चंपा के होंठो पर फिरा दी .
चंपा: आअहह ज़ालिम (मुस्कुरा दी) दोनो पूरे जोश मे आ चुके थे .जागया ने धक्के लगाने शुरू कर दिए बाहर दीपक ये सब नज़ारा देख गर्म था वो नही भी देखना चाहता था और देखना भी .
चंपा: मेरा निकलने वलाआआअ है.... जागया: हा (धक्को के स्पीड बढ़ा दी) चंपा शरीर की हवस मे पागल हो चुकी थी. चंपा ने अपनी टाँगो को थोड़ा फैलाया जागया के पीठ पर अपने नाख़ून गाढ दिए और झाड़ गयी...... जागया भी 5,6 धक्को के बाद चंपा की चूत मे ही पानी छोड़ दिया जागया खड़ा हुआ नीचे पड़े एक कपड़े अपना लंड सॉफ किया और कपड़े पहनने लगा.चंपा वही बिस्तर पर लेटी हुई उसे देख रही थी. अगया ने पॅंट के ज़िप्प बंद की तभी चंपा ने उसे अपनी तरफ खिचा जागया संभाल नही पाया सीधा चंपा के उपर गिरा . जागया की पॅंट की जेब से 1000 के नोटो के गद्दी गिरी . चंपा ने उठ के देखा तो जागया पैसे छुपा रहा था पर चंपा पहले ही नज़र मार चुकी थी.
चंपा: क्या रे तू क्या कर रहा है आज कल. जागया हड़बड़ा गया) कुछ नही वही जो पहले करता था.
चंपा: ज़यादा शान पॅंटी मत दिखा तेरे पास इतने पैसे कहा से आए.
जागया: एक सेठ का अपुन कुछ काम किया था उसी ने दिए थे.
चंपा: ऐसा कौन सा काम जो तुझे इतने पैसे मिले .कोई मर्डर किया क्या?
जागया: (घबरा गया) न ही नही तो .अरे तुझे पता है अपुन चोरी चाकरी वाले है अपुन लोग मर्डर कहा.
चंपा: पर चोरी के इतने पैसे.
जागया: ये अपुन के हाथ का कमाल है जिसके घर काम किए उसका ताला भी नही तोड़ा और काम हो गया. चंपा ने कपड़े पहन लिए थे जागया के पास आते ही उसने जागया का हाथ अपने हाथ मे लिया और बोली मेरे सिर की कसम खा के बोल तू कोई ऐसा काम नही करेगा जो हम दोनो को जुदा कर दे.
जागया: हां तेरे कसम. इनस्पेक्टर राणे दीपक के घर के बाहर खड़ा था मेन रोड से आने जाने वाले रास्ते पर नज़र डाल रहा था . हवलदार को इशारा करके बुलाया पूछा कुछ समझे .हवलदार असमंजस मे पड़ गया के साहेब किस बारे मे बात कर रहे है . राणे: अरे बताइए समझे कुछ.
हवलदार: गर्देन हिलाते हुए ना मे हामी भरी.
राणे: आप का समझेगे अगर समझते होते तो आप हमारे साहेब होते . जीप मे बैठा हवलदार हस पड़ा . राणे ने गर्देन घुमा के उसकी तरफ देखा जीप मे बैठे हवलदार की सिट्टी पिटी गुल हो गयी थी .
राणे: 4 स्पेशल ओफीसर को बुलाओ 24 घंटे घर के पास निगरानी रखनी पड़ेगी. टिग्टॉंग घर की बेल बजते ही इंदु ने दरवाज़ा खोला राणे गेट पे खड़ा था .
राणे: इंदु जी अंदर आने को नही पूछेंगी?
इंदु: हां आइये इनस्पेक्टर. राणे बहुत समझदार था उसे पता था के जिसके घर मे हाल ही मे दो मौत हुई हो वो बेचैन तो होगी.
राणे: (आराम से पूछा) आपको पता तो चल गया होगा इंदु जी .
इंदु: क्या? राणे: आपका बेटा दीपक कोर्ट से फ़र्रार हो गया हे.
इंदु: ह्म्*म्म. जी हां.
दोस्तो उधर दीपक की तरफ चलते है............ जागया के जाते ही दीपक ने अंदर झाँक के देखा चंपा चादर को ठीक कर रही थी जिस पर वो थोड़ी देर पहले कब्बड़ी खेल रहे थे.

दीपक: (धीरे से) चंपा तुम हो अंदर.
चंपा कमरे से बाहर झाँकते ही दंग रह गयी बोली "साहेब आप" चंपा: अंदर आइये साहेब . चंपा कुछ सोच मे पड़ गयी
दीपक: चंपा ज़यादा मत सोचो मैं जैल से भाग के आया हू. चंपा: क्या? दीपक: चंपा मुझे डॅड और दीदी के झूठे खून मे फँसाया गया हे .तुम तो मुझे जानती हो तुम बताओ क्या मे अपने ही पिता का खून कर सकता हू.
चंपा : नही साहेब मे आपको जानती हू मे उस घर मे कितने साल से हू सब बोलते है छोटे साब ने बड़े साहेब का नशे मे खून कर दिया पेर मेरा दिल कभी नही माना .
दीपक: चंपा मा केसी है. चंपा: साहेब मा जी तो ठीक नही हे टाइम से खाना नही खाती रात भर जागती रहती है उन को आपकी चिंता लगी हुई है . दीपक: चंपा मुझे मा से मिलना है लेकिन मे घर नही जा सकता तुम मा को कल मंदिर मे सुबा 11:00 ले कर आना मैं तुम्हे वही मिलूँगा. दीपक रुका कुछ बोलना चाहता था पर रुक गया . दीपक को कुछ अजीब सा लग रहा था वो जैसे ही चंपा के घर से बाहर निकला दो मिनिट बाद वापस चंपा के पास आया. चंपा: क्या हुआ साहेब आप मुझे परेशान लग रहे है. दीपक: चंपा वो. दीपक सोच रहा था के जिस औरत को हम पिछले 6साल से हर महीने पैसे देते थे उससे पैसे कैसे माँगे क्यूकी उसे आज रात कही तो गुज़ारनी थी. चंपा: कुछ चाहिए साहेब? दीपक: चंपा मुझे कुछ पैसे चाहिए. चंपा: ओह हां साहेब . चंपा ने अपने बेड के नीचे से 100 के 5नोट निकाल के दीपक की तरफ बड़ा दिए. दीपक: शुक्रिया चंपा. चंपा: साहेब शुक्रिया मत बोलिए आप ये सब आपलोगो की वजह से ही है ये खोली ले थी मेने .3साल पहले बड़े साहेब जी ने मुझे ये खोली ले कर दी थी अपनी बेटी समझते थे बड़े साहेब मुझे. और चंपा रो दी. दीपक: चंपा मेरे यहा आने की बात किसी से मत करना .और मा को लेकर सुभह आजाना मैं चलता हू मेरा कही भी ज़यादा देर रुकना ठीक नही है . चंपा: साहेब आप मुझ पर विश्वास रखे ज़बान कट जाएगी पर खुलेगी नही. दीपक तेज़ी से कमरे से बाहर हुआ और आगे बढ़ गया. दीपक गलियो के अंदर से गुज़रता हुआ आगे बढ़ने लगा. थोड़ा सा आगे पहुचा था कि दिव्या के घर पे नज़र पड़ी. दिव्या दीपक की गर्ल फ्रेंड थी.दीपक का मन तो हुआ मिलने का पर वो अपने आप को किसी मुश्किल मे डालना नही चाहता था . शाम ढल चुकी थी रहने के लिए कोई सेफ इंतज़ाम करना था .दीपक को याद आया के थोड़ी दूर मे एक धर्मशाला है वाहा जगह खाली होती हे और लोग भी यहा के नही बाहरी इलाक़े के होते है. धर्मशाला मे घुसते ही एक बुड्ढे से आदमी जो सामने काउंटर पे खड़ा था. दीपक: कोई कमरा मिलेगा एक रात के लिए. मॅनेजर: हां पूरी धर्मशाला ही खाली पड़ी है. दीपक ने 40रुपये मे कमरा बुक करा लिया और मॅनेजर के साथ कमरे की ओर चल दिया. थोड़ी देर बाद दीपक बाहर निकला और कमरे के आजू बाजू की खबर लेने लगा .अब दीपक एक प्रोफेसससिओनल जैल रिटर्न के तरह सोचने लगा था हर प्लान का बॅक अप प्लान अपने दिमाग़ मे सोच के रखता था . दीपक ने बाहर जा कर खाना खाया और अपने कमरे मे चल दिया . कमरे मे घुसते ही चटकनी लगाई और बेड पर लेट गया..... दीपक बेड पे लेटा था शाम को दिव्या के घर दिव्या को ना मिल पाने का दुख था उसे . पुराने दिन याद करने लगा .दोनो एक ही स्कूल मे थे 11थ स्ट्ड मे दीपक ने दिव्या को प्रपोज किया और दिव्या क्लास के सबसे हंडसम लड़के को केसे मना कर पाती वो भी दीपक को पसंद करती थी. 12थ स्ट्ड के बाद दोनो ने एक ही कॉलेज मे एक साथ अड्मिशन लिया . दीपक रोज़ दिव्या को अपनी बाइक पर कॉलेज ले जाना और शाम को ड्रॉप करना डेली रूटिन था. एक शनिवार के दिन दीपक ,दिव्या को कोलोज के जगह एक घने पार्क मे ले गया . दोनो एक पेड के झुंड के पीछे जा के बैठ गये .दीपक ने अपना सिर दिव्या की गोद मे रख उसके गालो पर गुलाब का फूल उपर नीचे कर रहा था.
दिव्या: आज तुमने फिर कॉलेज मिस करवा दिया.
दीपक: जानू तुम्हे कॉलेज पसंद है या मेरी ये बाहें .
दिव्या: (हुस्ते हुए) ह्म्*म्म्मम.. कॉलेज.
दीपक: अछा ! तो फिर यहा मेरे साथ क्या कर रही हो जाओ अपने कॉलेज.
दिव्या : चलो अपना सिर उठाओ मुझे जाने दो फिर मे तो चली कलाज .दिव्या खड़ी हुए और आगे जाने लगी. दीपक: सोच लो !!!! दिव्या: क्या मतलब? दीपक: अगर तुम चली गयी तो मे तुमसे कभी बात नही करूँगा .
दिव्या: पास आ गई और वही बैठे गयी . मे अब कभी कॉलेज ही नही जाउन्गी ठीक है.
दीपक: बुरा मान गयी.
दिव्या: बात ही तुमने ऐसी कही थी. मे सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी . दीपक: मे भी तो मज़ाक कर रहा था .
दिव्या: दीपक के हाथ पर चुटकी काटते हुए बोली ऐसा मज़ाक होता है ना समझ. दीपक ने दिव्या को अपनी तरफ खींचा दोनो के सीने एक दूसरे से टकरा गये. दीपक उपर को हुआ अपने लब दिव्या के लब से मिला दिए . दोनो तरफ से एक मिनिट के लिए कोई हरकत नही हुई . दीपक ने अपने निचले होठ को बंद करते हुए दिव्या के लब को ज़ोर से चुस्स्स लिया...दिव्या ने अपनी आँखें और ज़ोर से बंद कर ली. दोनो की धड़कने दोनो सुन सकते थे . दीपक पीछे को हुआ दिव्या के आँखें अभी भी बंद थी .
दीपक: आइ लव यू . दिव्या ने अपनी आँखें खोली और सामने बैठे दीपक ने आँख मार दी .दिव्या शर्मा गयी.
दीपक ने अपने हाथ की उंगली दिव्या के चेहरे पर ले जा कर उसके होंठो पर रख दी.दिव्या ने अपने लबो से उंगली को चूम लिया दीपक: हा . दिव्या: क्याआअ . दीपक आगे हाथ बढ़ते हुए दिव्या के छाती पर रख दिया और दाए निपल को कपड़े के उपर से ही उंगकी के बीच पीस दिया.
दिव्या: आअहह ! नही दीपक.
दीपक: ओके. थोड़ी देर ऐसे हे बात करते -2 दीपक ने फिर अपना सिर दिव्या की गोद मे रख लिया उसके बालों मे उंगली करने लगा . धीरे से दीपक अपना बाया हाथ दिव्या की गर्देन के पीछे ले गया और दिव्या को अपने और खीचने लगा.
जैसे ही दिव्या के होंठ दीपक के करीब आए दीपक ने अपनी जीब निकाली और दिव्या के होंठो पर फिराने लगा .दिव्या गरम होने लगी .झट से दिव्या ने अपना मुँह खोला और दीपक के जीभ चूसने लगी आहह.. दो तीन मिनट. तक यही खेल चलता रहा . धीरे से दीपक दिव्या की कमर पर हाथ ले गया और उसके टॉप को उपेर करने लगा दिव्या ने जीभ चूसना बंद किया पर दीपक ने अपनी जीभ और अंदर कर दी. दीपक ने किस तोड़ी और उठ के बैठ गया अब दोनो आमने सामने बैठे थे. दीपक ने दिव्या के दोनो हाथ अपने हाथ मे लिए और जाकड़ लिया .
दिव्या: दीपक कोई देख लेगा.....

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:29

दिव्या: कोई देख लेगा...
दीपक: कोई नही देखेगा .इतनी धूप हे कौन आएगा यहा .

दिव्या: चलो ना यहा से .

दीपक: अभी चलते है यार .धीरे से अपना हाथ दिव्या की चुचियो पर ले गया और
आराम से सहलाने लगा.

दिव्या : आहह इससस्स .

दीपक थोड़ा आगे हुआ और दिव्या के होंठो से होंठ मिला दिए. दिव्या भी उसका
पूरा साथ दे रही थी .ऐसा लगता था मानो वो भी आज ये सब करना चाहती थी.

दीपक ने खड़े होकर नज़र इधेर उधेर घुमाई दूर तक कोई नही दिखा दीपक नीचे
वापस पेड़ो के झुँढ मे हो लिया.

दीपक: आइ लव यू दिव्या .मैं तुम से बहुत प्यार करता हू. मेने मम्मी को भी
तुमहरे बारे मे बता दिया हे अब मे तुम्हारे बिना नही जी सकता.

ये बात सुनते ही दिव्या ,दीपक के गले लग गयी .

दिव्या: सच.

दीपक : हां यार . मम्मी तुझ से मिलना भी चाहती हे .सही टाइम देख के मे तुझे
मिलवा भी दूँगा.

दिव्या: ओह दीपक आइ लव यू ....दोनो एक दूसरे के बाहों मे थे .

दीपक बार-2 दिव्या के मम्मो को दबा रहा था .

दीपक: यार आज मुझे ये(चुचियो की तरफ इशारा करते हुए) दिखा दो ना ( बच्चे के
आंदाज मे बोला)

दिव्या: नही.

दीपक: यार बस एक बार तो दिखा दो .

दिव्या: नाह्ह्ही! तुम कपड़ो के उपर से ही देख लो ( हंसते हुए) हेहे.

दीपक अपना हाथ दिव्या की कमर पर ले गया और टॉप को उपेर करने लगा .दिव्या ने
उसके हाथ को पकड़ लिया. दीपक ने झट से अपने होंठ फिर उसके होंठो पे रख
दिए.

धीरे -2 टॉप को उपेर करने लगा दिव्या और गरम हो गयी थी उसे मज़ा आने लगा था
.उसने अब विरोध करना भी छ्चोड़ दिया था.

पूरा टॉप अब दिव्या के गर्देन पर था दीपक की आँखों के सामने ऐसा नज़ारा था
वो खुशी मे पागल हो रहा था.स्टाइलिश ब्लॅक ब्रा उपर से दोनो आध नंगे मम्मे
मदमस्त लग रहे थे.

धीरे धीरे दीपक हाथ को पीछे ले गया और ब्रा खोलने लगा .पर वो अनाड़ी था
ब्रा नही खुला.

दीपक: यार तुम खोल दो ना

दिव्या : नही मे क्यू खोलू तुमने सब कुछ किया है तुम ही खोलो और अगर ना खुल
पाए तो हम यहा से चलते हे( आँखों मे एक अजीब सा नशा था)

दीपक उठ के पीछे गया और ब्रा का स्टर्प खोलने लगा . ब्रा के खुलते ही दीपक
फट से आगे को आया .दोनो गोलाइयाँ साफ नज़र के सामने थी .

दीपक ने आगे हाथ बढ़ाया और ब्रा को नीचे की और धकेलने लगा.

दीपक: दिव्या तुम बहुत सुन्दर हो.

हाथ आगे बढ़ा दाए निपल पर जा लगा दिव्या के आहहें छूट रही थी . लब से लब
जुड़ चुके थे और नीचे दीपक के हाथ अपना काम कर रहे थे .प्यार से दोनो मम्मो
को सहलाता धीरे से दबा के अपनी उंगली और अंगूठे के बीच निपल को लेकर पीस
देता.

दिव्या: मत करो .

दीपक: मेरे तरफ तो देखो जानू ...दिव्या सिर झुकाए नीचे देख रही थी उसकी
साँसे तेज चल रही थी जिस वजह से उसकी चुचिया उपर नीचे हो रही थी .

दिव्या ने धीरे से अपना चेहरा उपर किया उसकी आँखों मे भी वासना सॉफ देखी जा
सकती थी . दोनो एक दूसरे के गले लग गये .

दीपक का सिर फिर से दिव्या के गोद मे हो लिया . सिर उसकी जाँघ पे रखते ही
दोनो गोलाइयाँ मुँह को छू रही थी बाए निपल पर जीभ का स्पर्श पाते ही दिव्या
थोड़ा हिल सा गयी . दीपक ने निपल मुँह मे लिया और चूसने लगा दूसरे निपल को
हाथ से सहला रहा था .


दिव्या बहुत गरम हो चुकी थी नीचे पानी बह रहा था अगर दीपक 2मिनट मे ना हटा
तो ......
दिव्या: आहह दीपक रूको

दीपक सुनने के मूड मे तो था नही .और ज़ोर से निपल को चूसे जा रहा था दिव्या
ने दीपक के बालो को ज़ोर से पकड़ा और अपनी छाती मे दीपक के सिर को ज़ोर से
दबा दिया .

दिव्या झाड़ चुकी थी सांसो की आवाज़ तेज़ी से आ रही आवाज़धीरे हो रही थी
.दीपक समझ चुका था के दिव्या ठंडी पड़ चुकी है .


दीपक एक बार फिर उठा और चारो तरफ देखा दूर तक फिर कोई नज़र नही आ रहा था .
दीपक खड़े खड़े ही पलटा तो नीचे बैठे दिव्या के सामने दीपक का लंड जीन्स की
अंदर ही खड़ा था . दीपक ने नीचे देखा दिव्या के नज़रे सामने ही थी.

दीपक नीचे बैठा दिव्या को ब्रा पहनाने मे मदद की पर अभी तक दीपक का तंबू
खड़ा ही था . दिव्या के जीन्स पे पानी का छोटा सा धब्बा बन चुका था .

दीपक नेअपने होंठ फिर दिव्या केहोंठो पर रखे इस बार दिव्या ने अपना हाथ
दीपक की गरम सल्लाख पर रख दिया था दीपक होंठो को चुस्से जा रहा था दिव्या
ने जीन्स की ज़िप नीचे करी .

लंड बाहर था दिव्या ने चुंबन जारी रखते हुए लंड पर नज़र डाली और उतेजेति हो
गयी ....

"ठक ठक" दरवाज़े पर दस्तक हुई बाहर खड़ा धर्मशाला का मॅनेजर ज़ोर ज़ोर से
दरवाज़ा खड़का रहा था . दीपक बेड से खड़ा हुआ गेट की चटकनी नीचे करी .

मॅनेजर: अरे बाबू कब से जगा रहा हू पर तुम तो घोड़े बेच के सो रहे हो.

दीपक: वो रात को नींद ठीक से नही आई सुबह आँख लगी तो उठना मुश्किल हो गया
माफ़ कीजिए.

मॅनेजर: आछा,बाबू तुम्हारा कमरा खाली करने का टाइम हुआ ,आगे कमरा रखना है .

दीपक: नही मे अभी खाली करता हू बस नहा लू.


दीपक ने घड़ी के तरफ देखा 9:30ए.एम बज रहे थे उसे आज अपनी मा से मंदिर मे
मिलना था .

धर्मशाला से बाहर निकलते ही दीपक मंदिर के रास्ते पे हो लिया पर उसको भूख
भी लगी थी. एक ठेले पे जा कर दीपक खड़ा हुआ .

दीपक: भैया दो पाव देना .

बगल मे गद्दी से नीचे उतरते दो लोग एक लड़का एक लड़की . दीपक को चेहरा चमका
वो थोड़ा छुपा .

लड़की उसकी गर्ल फ्रेंड दिव्या थी लड़का गाड़ी से दूसरी तरफ घूमते हुए
दिव्या के करीब आया कमर मे हाथ डाला और बोला "डार्लिंग" चलो अंदर चले सामने
एक रेस्टोरेंट था .दीपक की भूक मिट चुकी थी.

दीपक मंदिर मे खड़ा मा का इंतेज़ार कर रहा था . दूर से उसने अपनी मा और
चंपा को मंदिर की सीडिया चढ़ते देखा .दीपक ने अपनी मा को इतने दिन बाद देखा
था जैल मे भी मा को मिलने नही दिया था .

दीपक जैसे ही आगे बड़ा मंदिर की सीडियो के पास दो लोग सादी पॅंट शर्ट मे
बाइक से उतरे दीपक रुका .वो दोनो लोग शक्ल से ही पोलीस वाले लग रहे थे
.उसमे से एक ने दूसरे को उपेर जाने का इशारा किया दूसरा पोलीस वाला सीडिया
चढ़ते हुए मंदिर का मुआयना करने लगा .

चंपा हर तरफ देख रही थी पर दीपक का कोई पता नही था . इतने मे ही चंपा को
दीपक ने दीवार के पीछे की तरफ खींचा चंपा के मुँह पर अपना हाथ रख दिया
सस्स्शह.

चंपा चुप खड़ी हो गयी बड़ी हैरानी से देख रही थी.

दीपक: पोलीस भी है यहा .

चंपा: क्या. कहा पर .

चंपा पीछे मुड़ने लगी दीपक ने चंपा का हाथ खींचा और साइड मे ले गया ...वो
मुझे ढूंड रहे है .

चंपा: पर मा जी को कैसे मिलोगे .

दीपक: एक काम करो .

चंपा: क्या?

दीपक चंपा के कान मे कुछ बोला और चंपा चुपके से वाहा से चल दी.

चंपा उस लंबे कद के पोलीस वाले के पास जा कर खड़ी हो गयी . चंपा ने अपने
कुर्ते के उपर से चुन्नी को नीचे कर दिया ताकि पोलीस वाले को खाई दिख सके
और हुआ भी वही चंपा हाथ मे थाली लिए वही खड़ी थी और उपर से पोलीस वाला
आँखें फाड़ रहा था.

इंदु: भगवान मेने कौन से पाप किए थे जो तुम मुझे ये सज़ा दे रहे हो ( आँखों
मे आँसू छलक पड़े)

इंदु को एहसास हुआ के किसी ने उसके पैर को छुआ था . इंदु पीछे मूडी दीपक को
देखा मा बेटे अपने को रोक नही पाए दोनो एक दूसरे के गले लग के फुट पड़े.

दीपक इंदु को मंदिर के पीछे ले गया.

दीपक: मा तुम केसी हो.

इन्दुरोते हुए) दीपु बेटा तेरी मा बस तेरे लिए ज़िंदा हे अगेर तू नही होता
तो तेरी मया कब का ज़हेर खा के मर जाती.

दीपक: नही मा अब तुम्हारे सिवा मेरा कौन हे अगेर तुम ऐसा सोचोगी तो मैं तो
वैसे ही मर जाउन्गा .

इंदु: बेटा मेने ऐसे कौन से पाप किए थे जो हमारे साथ ऐसा हुआ .मेरा बच्चा
जैल मे वो भी अपने पिता और बेहन के खून के केस मे ( इंदु रोते जा रही थी
उसकी तबीयत ठीक नही थी )

इंदु ने अपने आँसू पोंछे और अपनी सारी का कोना पकड़ के दीपक के आँखों के
पानी को सॉफ किया

Post Reply