दीपक: चंपा मे तुम्हारा एहसान कभी नही भूल सकता
चंपा: साहेब जी आप ऐसा मत बोले ,मैं तो आप को च..
बोलते -2 चंपा रुक गयी ,दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखे जा रहे थे ,तभी
दरवाज़े के खुलने की आवाज़ हुई ,चंदू अंदर आया
चंदू: ये ले तेरा समान अब यहा कोई ख़तरा नही है ,ना ही कोई आएगा आस पास के
लोगो को मेने ये बोल दिया है तू मेरी दूर की रिश्तेदार है
चंपा: आछा किया ,चल अब जा रात के 12:00 बज रहे है तेरी मा तेरी राह देख रही
होगी
चंदू: तू कब तक रहेगी यहा , अगर तेरे घर पे कोई आया तो क्या बोलू
चंपा: बोल दियो चंपा गाँव गयी ,और हां सोनी को बोल दियो के वो एक दो दिन
मेरे घरो का काम कर लेगी
चंदू: जैसे तेरी मर्ज़ी ,मैं चलता हू
चंदू बाहर निकला रिक्शा चला कर वाहा से निकल गया
चंपा : साहेब जी आप कुछ खाएँगे मे दलिया लाई हू साथ मे
दीपक: नही कुछ नही भूक नही है
चंपा ने दवाई के थेलि मे से दवाई निकाली और दीपक को पिलाई
चंपा: आप सो जाइए ,आप को आराम मिलेगा
थोड़ी देर बाद दोनो गहरी नींद मे थे
.......
अगली सुबह राणे पोलीस स्टेशन के बाहर खड़ा चाइ पी रहा था
राणे: बाबू राम यार हमको एक बात बताओ तुम्हे तुम्हारी दोनो बीवी मे से कौन
सी ज़यादा प्यारी है
हवलदार: सर दोनो ही अछी है
राणे: अरे बाबू राम पर दोनो मे से तुम्हे ज़यादा कौन प्यार करती है
हवलदार: सर पहली वाली , जब मेने दूसरी शादी करी तब भी वो मुझे छ्चोड़ के
नही गयी ,वो मुझे बहुत प्यार करती है
राणे: तो काहे दूसरी शादी किए
हवलदार: सर मेरी पहली बीवी से मुझे 2लड़की हैं ,पर दूसरी लड़की के बाद
डॉक्टर ने बताया के वो अब मा नही बन पाएगी ,
हवलदार: और सर मेरी मा ने मुझे समझाया के अगर मेरा कोई बेटा नही होगा तो
मेरा वंश आगे कैसे चलेगा,इसलिए मेने दूसरी शादी करली
राणे: तो दूसरी बीवी से तुम्हारे बेटा हुआ
हवलदार : नही सर उससे भी बेटी हुई है
राणे: (चाइ वाले को बोला) अरे भैया शादियो मे चाइ बनाते हो का
चाइ वाला: हां साहेब
राणे: अछा है ,चलो अब बाबू राम का 3सरी शादी मे तुम को ही चाइ बनाना है
,इनको बेटा चाहिए 3सरी शादी मे ज़रूर आना
वाहा खड़े सब लोग ज़ोर से हस पड़े
हवलदार भागता हुआ आया ,सर कमिशनर साहब का फोन आया था आपको याद किए है
राणे: हा ह्म्*म्म्म साला तुम तो चाइ भी चैन से नही पीने दोगे,ससुरा चाइ का
स्वाद छीन लिए तुम ,चलो हम आते है
राणे पोलीस स्टेशन के अंदर पहुचा , फोन उठाया और कमिशनर को फोन किया
राणे: जै हिंद सर राणे स्पीकिंग
कमिशनर : राणे कहा तक पहुचे
राणे: सर क्लू तो मिल गया है अपने आदमी भी लगा दिए है , नतीजा जल्दी मिलेगा
कमिशनर: राणे टुमरे पास टाइम कम है,7 दिन देता हू तुम्हे रिज़ल्ट दो वरना
फोन कमिशनर ने काट दिया
कमिशनर के फोन काट ते ही राणे ने हवलदार को आवाज़ दी ,हवलदार पास आया
राणे: हम कभी आज तक रिश्वत नही लिए , अब हमका ये बताओ एक हफ़्ता मे कितना
माल इकट्ठा हो सकता है
हवलदार: क्यू सर?
राणे: अरे हम जा रहे है
हवलदार: कहा सर
राणे: ऊ कमिशनर ने हमका आपना जॉब ऑफर दिया है ,अब हम एई छोटा सा पोलीस थाने
मे का करेंगे,अब तो हम कमिशनर हुए ना
हवलदार: मुबारक हो सर , सर मेरा पारमोशन भी
राणे: अरे एई मा कोई पूछने का बात है ,तुम तो हमार चहेते हो ,सबसे पहले तुम
का इस पोलीस थाने का इनस्पेक्टर बना देंगे
हवलदार: सर मे आपको बता नही सकता मे कितना खुश हू
राणे: अरे हम भी बहुत खुश है ,देखो हमार आँख मे खुशी का आँसू भी गया
हवलदार: सर फिर तो पार्टी होनी चाहिए
राणे: हां हां ज़रूर हम पार्टी का अरेजेमेंट करते है ,तुम अपनी दोनो बीवी
को ये खुश खबरी दे दो जाओ तुम्हे 1 घंटे की छुट्टी दी
हवलदार ये बात सुनते ही बाहर जाने लगा ,राणे ने पीछे से आवाज़ दी
राणे: आते हुए मिठाई लेते आना ,और हां 3सरी शादी का लिए लड़की ढूंड लो
हवलदार: जी सर मिठाई लेता आउन्गा
ये बोल कर वो पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ,राणे ने फोन उठाया नंबर डाइयल किया
राणे: पहचाने का ,(दूसरी तरफ वो डिटेक्टिव था)
डिटेक्टिव: जी सर
राणे: कहा तक पहुचे
डिटेक्टिव: सर उसी काम के लिए दूसरे शहेर आया हुआ हू
राणे: यार जल्दी करो कमिशनर ने एक हफ्ते का टाइम दिया है उसके बाद अगर तुम
कुछ ढूंड भी लिए ,तो हम तुमका इस थाने मे नही मिलेंगे समझे
डिटेक्टिव: सर एक दिन का टाइम दीजिए कुछ ढूँढ रहा हू ,पर पूरा पता नही कर
पा रहा, थोड़ा वक्त लगेगा
राणे: ठीक है पर हमको अपनी नौकरी बहुत प्यारी है ,एई तुम जानत हो ,तो जल्दी
से जल्दी हमारे लिए गिफ्ट लाओ यार हमका यहा से कही नही जाना
डिटेक्टिव: सर मे पूरी रिपोर्ट लेकर ही आउन्गा एक दिन का वक्त और दीजिए
राणे ने फोन काटा, और पोलीस स्टेशन को गौर से देखने लगा उसे लग रहा था के
जैसे वो आख़िरी बार इसे देख रहा है
कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet
Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
सुबह चंपा जागी ,सामने दीपक पर नज़र डाली दीपक गहरी नींद मे सो रहा था ,आज
दो दिन बाद दीपक ऐसा सो रहा था ,उसके चेहरे पर एक खुशी थी
चंपा अपने काम मे लग गयी ,दीपक की नींद भी खुली ,बाथरूम जाने के लिए खड़ा
हुआ था के ज़मीन पर नीचे गिर पड़ा ,चंपा आहट सुन के भागते हुए उसके पास आई
,दीपक अपना पेट पकड़े ज़ोर से दबा रखा था
चंपा: दिखाइए क्या हुआ
चंपा ने शर्ट उपर की ,जहा टाँकें लगे हुए थे वाहा से खून बह रहा था
चंपा: आप खुद क्यू खड़े हुए मुझे आवाज़ दे देते
दीपक कुछ बोला नही , चंपा का सहारा लेकर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ
गया,बाथरूम से बाहर आया चंपा चाइ लेकर बेड के पास खड़ी थी
चंपा: अब कैसा लग रहा है साहेब जी
दीपक: पहले से ठीक हू , पर दर्द बहुत है
चंपा: साहेब जी आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,बस कुछ दीनो की बात है
दीपक: चंपा वही नही है मेरे पास ,मुझे जल्दी से कुछ करना है ,कही वो लोग
दूर भाग गये तो ज़िंदगी भर मुझे छिप छिप के रहना पड़ेगा, और मैं मरना पसंद
करूँगा छिपना नही
चंपा: साहेब जी आप ऐसी बाते क्यू करते है, अगर आपको कुछ होगया तो
दीपक: चंपा मर तो मे वैसे भी चुका हू ,ऐसा इल्ज़ाम है मुझ पर,
दीपक: चंपा अब जब तक वो लोग मेरे हाथ नही आते मे कैसे चैन लू , मैं उन्हे
जान से मार दूँगा
चंपा: साहेब जी मुझे आपको एक बात बतानी है
दीपक: बोलो चंपा क्या बात है
चंपा: वो दो दिन पहले आपके घर मे चोरी हुई थी
दीपक: क्या ? और तुमने मुझे बताया नही
चंपा: आप की ऐसी हालत मे ,मैं आपको और परेशान कैसे करती
दीपक चंपा की बात को समझते हुए शांत रहा थोड़ी देर बाद उसने पूछा
दीपक: क्या चोरी हुआ घर मे
चंपा: मे तो काम करने गयी नही ,मेरी सहली सोनी गयी थी ,उसी ने बताया के घर
से हीरे चोरी हुए है
दीपक: क्या ,मा को तो कुछ नही हुआ ना
चंपा: जब चोरी हुई मा जी घर मे नही थी
दीपक सोच रहा था के ये उनके साथ आख़िर हो क्या रहा है ,पहले वो हादसा और अब
घर मे चोरी,आख़िर ये कौन कर रहा है ,या फिर सिर्फ़ एक इतिफाक है
चंपा: आप मूह हाथ धो लीजिए मे आपके लिए नाश्ता बनाती हू
दीपक ने हामी भरी , वही बैठा अपने दिमाग़ पे ज़ोर डाल रहा था पुरानी बातों
को याद कर रहा था ,कैसे वो लोग खुश थे ,पूरा परिवार एक साथ था
दीपक अपनी सोच से तब बाहर आया ,जब दरवाज़ा खुला और चंदू अंदर आया ,सामने
दीपक को बैठा देख चंदू उसके पास गया
चंदू: अब कैसा लग रहा है
दीपक: ठीक हू
चंदू: मौत के मूह से वापस आए हो, उस रात अगर चंपा घर वापस आकर मुझे साथ ना
लाती तो तुम बच नही पाते
दीपक: शुक्रिया दोस्त
चंदू: अब आगे क्या करोगे ,तुम्हारे पीछे तो जैसे पूरी नज़र रखी है उन लोगो
ने
दीपक: वही सोच रहा हू ,उस रात मदन ने किसी अप्सरा बार के माल्लिक सत्या बोउ
का नाम लिया था उसी को ढूड़ना है
चंदू: सत्या बोउ (हैरानी से बोला)
दीपक: तुम जानते हो उसे
चंदू: जिस खोली मे तुम बैठे हो ये उसी की दी हुई है
दीपक: ये ,पर कैसे
चंदू: मेरा दोस्त किशन उसके बार मे काम करता है ,उसी ने उसको ये रहने के
लिए दी हुई है
दीपक: मुझे उसके पास ले कर चलो
चंदू: वो कोई मामूली आदमी नही समझा ,इस शहेर का नाम चिन आदमी है ऐसे थोड़ी
ना मिल जाएगा ,2 ,4 बॉडीगार्ड आस पास होते है ,सीधा माथे मे गोली मारेंगे
,उसके लिए तुझे थोड़ा रुकना पड़ेगा अपने दोस्त से बात करता हू मे
चंपा: तू कब आया
चंदू: अभी आया हू
चंपा:दूध वाला आए तो दूध तू अपने घर पे रख लेना
चंदू: रख लूँगा,ओर कोई काम है तो बता दे
दीपक: मुझे कुछ समान ला कर दो(चंदू से बोला)
चंपा: क्या साहेब जी
दीपक: रूई(कॉटन) पट्टी( बॅंडेजस)
चंपा: क्यू,क्या हुआ
दीपक: चंपा अगर यहा बैठा रहा , तो लोग कभी भी आ सकते हैं ,और मैं नही चाहता
के मैं अब उनकी नज़र मे आऊ
चंपा: पर साहेब जी आपका जखम तो अभी भरा नही
दीपक: चंपा तुम फिकर मत करो मुझे कुछ नही होगा ,मे तुम्हे वादा करता हू
दीपक: चंदू तुमने मेरी बहुत मदद की है ,अब थोड़ी और कर दो , मुझे उस सत्या
बोउ से एक बार मिलवा दो
चंदू: मिलवा तो दूँगा ,पर थोड़ी देर रुकना होगा ,अभी मेरा दोस्त वही बार मे
होगा ,मैं कई बार उसको मिलने वाहा जाता हू,और मुझे पता के सत्या बोउ शाम
को ही वाहा पर आता है गल्ला(पैसे) इकट्ठा करने
चंपा: तू वाहा जाएगा साहेब जी के साथ,वाहा कोई ख़तरा तो नही
चंदू: हां मैं इनके साथ चला जाउन्गा ,तू चिंता मत कर ,किशन मेरा अछा दोस्त
है और अपने माल्लिक का वफ़ादार
चंदू खोली से बाहर गया और 5मिनट बाद रूई और पट्टी ले कर आया
चंदू: अब मे चलता हू ,तुम शाम को मेरा इंतेज़ार करना मे किशन से बात करके
आउन्गा फिर हम चलेंगे
दीपक: ठीक है, पर किशन को ये मत बताना के मेने किस सिलसिले मे मिलना है
चंदू: तुम चिंता मत करो वो मेरा काम है
ये बोल कर वो खोली से बाहर हुआ
चंपा: मुझे बहुत डर लग रहा है , अगर कुछ अनहोनी होगयि तो
दीपक: कुछ नही होगा ,अब उन लोगो के घबराने की बारी है (गुस्से मे बोला)
दीपक ने अपनी शर्ट उतारी ओर पट्टी बाँधने की कोशिश करने लगा पर ठीक से बाँध
नही पा रहा था,चंपा उसके पास आई
चंपा: लाइए मे लगा देती हू
चंपा ने कॉटन के पॅकेट को खोला और ज़ख़्म पे रख दिया ,दीपक ने चंपा को एक
और कॉटन पॅकेट वही लगाने को बोला
दीपक: अब पट्टी बांधो थोड़ा सख़्त बांधना
चंपा पट्टी को पूरे पेट की गोलाई मे बाँध रही थी ,बार बार उसका हाथ ,दीपक
के शरीर पर स्पर्श कर रहा था ,पट्टी बाँधने के बाद चंपा सीधी खड़ी हुई
,दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे 5मिनट तक कोई नही बोला
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे ,दीपक ने अपना एक हाथ उठाया और
चंपा के कंधे पर रख दिया,चंपा ने अपनी आँखें नीचे कर ली(मानो शर्मा गयी हो)
दीपक ने चंपा का चेहरा अपने हाथो मे लिया और उसे देखे जा रहा था , धीरे से
अपने होंठ उसके होंठो के पास लेकर गया और उसके होंठो से मिला दिया ,चंपा
कुछ बोली नही ना हिली पर उसे विश्वास नही हो रहा था ,दीपक तो उसे छू रहा था
पर चंपा की हिमत नही हो पा रही थी उसे छूने की
दीपक ने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किए ,चंपा की आँखें बंद थी, वो अपनी
आँखें खोल पाने की हिमत नही कर पा रही थी,मानो जैसे वो कोई सपना देख रही हो
दीपक: (धीरे से बोला) चंपा आँखें खोलो
पर चंपा आँखें खोलना ही नही चाहती थी ,उसको लग रहा था मानो वो कोई सपना देख
रही हे, अगर आँखें खोलेगी तो सपना भी ख़तम हो जाएगा
दीपक ने चंपा के कंधे को हिलाया ,चंपा जैसे नींद से जागी हो , हल्की सी
आँखें खुली सामने दीपक खड़ा था ,चंपा की आँखों से आँसू बह गया ,जैसे वो ये
कब से चाहती हो
चंपा की आँखें खुलते ही,दीपक ने उसके आँसू सॉफ किए,,दीपक ने अपने होंठ एक
बार फिर चंपा के होंठो से मिला दिए ,इस बार चंपा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर
रखा और अपनी तरफ ज़ोर से खिचने लगी (मानो जैसे वो अब ये होंठ कभी छ्चोड़ना
नही चाहती)
दीपक अपने दोनो होंठो को बार-2 चंपा के होंठो पर फिरा रहा था ,पर चंपा अभी
हिम्मत कर नही पा रही थी, उसको तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था, दीपक
ने अपना एक हाथ चंपा की बाई चुचि पे रख दिया हल्का सा दवाब दिया
चंपा की आँखें खुली और वो पीछे हो गयी ( जैसे उसे 440 वॉल्ट का करेंट लगा
हो) चंपा ने दीपक को देखा और अपनी आँखें नीचे करके वही खड़ी रही
दो दिन बाद दीपक ऐसा सो रहा था ,उसके चेहरे पर एक खुशी थी
चंपा अपने काम मे लग गयी ,दीपक की नींद भी खुली ,बाथरूम जाने के लिए खड़ा
हुआ था के ज़मीन पर नीचे गिर पड़ा ,चंपा आहट सुन के भागते हुए उसके पास आई
,दीपक अपना पेट पकड़े ज़ोर से दबा रखा था
चंपा: दिखाइए क्या हुआ
चंपा ने शर्ट उपर की ,जहा टाँकें लगे हुए थे वाहा से खून बह रहा था
चंपा: आप खुद क्यू खड़े हुए मुझे आवाज़ दे देते
दीपक कुछ बोला नही , चंपा का सहारा लेकर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ
गया,बाथरूम से बाहर आया चंपा चाइ लेकर बेड के पास खड़ी थी
चंपा: अब कैसा लग रहा है साहेब जी
दीपक: पहले से ठीक हू , पर दर्द बहुत है
चंपा: साहेब जी आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,बस कुछ दीनो की बात है
दीपक: चंपा वही नही है मेरे पास ,मुझे जल्दी से कुछ करना है ,कही वो लोग
दूर भाग गये तो ज़िंदगी भर मुझे छिप छिप के रहना पड़ेगा, और मैं मरना पसंद
करूँगा छिपना नही
चंपा: साहेब जी आप ऐसी बाते क्यू करते है, अगर आपको कुछ होगया तो
दीपक: चंपा मर तो मे वैसे भी चुका हू ,ऐसा इल्ज़ाम है मुझ पर,
दीपक: चंपा अब जब तक वो लोग मेरे हाथ नही आते मे कैसे चैन लू , मैं उन्हे
जान से मार दूँगा
चंपा: साहेब जी मुझे आपको एक बात बतानी है
दीपक: बोलो चंपा क्या बात है
चंपा: वो दो दिन पहले आपके घर मे चोरी हुई थी
दीपक: क्या ? और तुमने मुझे बताया नही
चंपा: आप की ऐसी हालत मे ,मैं आपको और परेशान कैसे करती
दीपक चंपा की बात को समझते हुए शांत रहा थोड़ी देर बाद उसने पूछा
दीपक: क्या चोरी हुआ घर मे
चंपा: मे तो काम करने गयी नही ,मेरी सहली सोनी गयी थी ,उसी ने बताया के घर
से हीरे चोरी हुए है
दीपक: क्या ,मा को तो कुछ नही हुआ ना
चंपा: जब चोरी हुई मा जी घर मे नही थी
दीपक सोच रहा था के ये उनके साथ आख़िर हो क्या रहा है ,पहले वो हादसा और अब
घर मे चोरी,आख़िर ये कौन कर रहा है ,या फिर सिर्फ़ एक इतिफाक है
चंपा: आप मूह हाथ धो लीजिए मे आपके लिए नाश्ता बनाती हू
दीपक ने हामी भरी , वही बैठा अपने दिमाग़ पे ज़ोर डाल रहा था पुरानी बातों
को याद कर रहा था ,कैसे वो लोग खुश थे ,पूरा परिवार एक साथ था
दीपक अपनी सोच से तब बाहर आया ,जब दरवाज़ा खुला और चंदू अंदर आया ,सामने
दीपक को बैठा देख चंदू उसके पास गया
चंदू: अब कैसा लग रहा है
दीपक: ठीक हू
चंदू: मौत के मूह से वापस आए हो, उस रात अगर चंपा घर वापस आकर मुझे साथ ना
लाती तो तुम बच नही पाते
दीपक: शुक्रिया दोस्त
चंदू: अब आगे क्या करोगे ,तुम्हारे पीछे तो जैसे पूरी नज़र रखी है उन लोगो
ने
दीपक: वही सोच रहा हू ,उस रात मदन ने किसी अप्सरा बार के माल्लिक सत्या बोउ
का नाम लिया था उसी को ढूड़ना है
चंदू: सत्या बोउ (हैरानी से बोला)
दीपक: तुम जानते हो उसे
चंदू: जिस खोली मे तुम बैठे हो ये उसी की दी हुई है
दीपक: ये ,पर कैसे
चंदू: मेरा दोस्त किशन उसके बार मे काम करता है ,उसी ने उसको ये रहने के
लिए दी हुई है
दीपक: मुझे उसके पास ले कर चलो
चंदू: वो कोई मामूली आदमी नही समझा ,इस शहेर का नाम चिन आदमी है ऐसे थोड़ी
ना मिल जाएगा ,2 ,4 बॉडीगार्ड आस पास होते है ,सीधा माथे मे गोली मारेंगे
,उसके लिए तुझे थोड़ा रुकना पड़ेगा अपने दोस्त से बात करता हू मे
चंपा: तू कब आया
चंदू: अभी आया हू
चंपा:दूध वाला आए तो दूध तू अपने घर पे रख लेना
चंदू: रख लूँगा,ओर कोई काम है तो बता दे
दीपक: मुझे कुछ समान ला कर दो(चंदू से बोला)
चंपा: क्या साहेब जी
दीपक: रूई(कॉटन) पट्टी( बॅंडेजस)
चंपा: क्यू,क्या हुआ
दीपक: चंपा अगर यहा बैठा रहा , तो लोग कभी भी आ सकते हैं ,और मैं नही चाहता
के मैं अब उनकी नज़र मे आऊ
चंपा: पर साहेब जी आपका जखम तो अभी भरा नही
दीपक: चंपा तुम फिकर मत करो मुझे कुछ नही होगा ,मे तुम्हे वादा करता हू
दीपक: चंदू तुमने मेरी बहुत मदद की है ,अब थोड़ी और कर दो , मुझे उस सत्या
बोउ से एक बार मिलवा दो
चंदू: मिलवा तो दूँगा ,पर थोड़ी देर रुकना होगा ,अभी मेरा दोस्त वही बार मे
होगा ,मैं कई बार उसको मिलने वाहा जाता हू,और मुझे पता के सत्या बोउ शाम
को ही वाहा पर आता है गल्ला(पैसे) इकट्ठा करने
चंपा: तू वाहा जाएगा साहेब जी के साथ,वाहा कोई ख़तरा तो नही
चंदू: हां मैं इनके साथ चला जाउन्गा ,तू चिंता मत कर ,किशन मेरा अछा दोस्त
है और अपने माल्लिक का वफ़ादार
चंदू खोली से बाहर गया और 5मिनट बाद रूई और पट्टी ले कर आया
चंदू: अब मे चलता हू ,तुम शाम को मेरा इंतेज़ार करना मे किशन से बात करके
आउन्गा फिर हम चलेंगे
दीपक: ठीक है, पर किशन को ये मत बताना के मेने किस सिलसिले मे मिलना है
चंदू: तुम चिंता मत करो वो मेरा काम है
ये बोल कर वो खोली से बाहर हुआ
चंपा: मुझे बहुत डर लग रहा है , अगर कुछ अनहोनी होगयि तो
दीपक: कुछ नही होगा ,अब उन लोगो के घबराने की बारी है (गुस्से मे बोला)
दीपक ने अपनी शर्ट उतारी ओर पट्टी बाँधने की कोशिश करने लगा पर ठीक से बाँध
नही पा रहा था,चंपा उसके पास आई
चंपा: लाइए मे लगा देती हू
चंपा ने कॉटन के पॅकेट को खोला और ज़ख़्म पे रख दिया ,दीपक ने चंपा को एक
और कॉटन पॅकेट वही लगाने को बोला
दीपक: अब पट्टी बांधो थोड़ा सख़्त बांधना
चंपा पट्टी को पूरे पेट की गोलाई मे बाँध रही थी ,बार बार उसका हाथ ,दीपक
के शरीर पर स्पर्श कर रहा था ,पट्टी बाँधने के बाद चंपा सीधी खड़ी हुई
,दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे 5मिनट तक कोई नही बोला
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे ,दीपक ने अपना एक हाथ उठाया और
चंपा के कंधे पर रख दिया,चंपा ने अपनी आँखें नीचे कर ली(मानो शर्मा गयी हो)
दीपक ने चंपा का चेहरा अपने हाथो मे लिया और उसे देखे जा रहा था , धीरे से
अपने होंठ उसके होंठो के पास लेकर गया और उसके होंठो से मिला दिया ,चंपा
कुछ बोली नही ना हिली पर उसे विश्वास नही हो रहा था ,दीपक तो उसे छू रहा था
पर चंपा की हिमत नही हो पा रही थी उसे छूने की
दीपक ने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किए ,चंपा की आँखें बंद थी, वो अपनी
आँखें खोल पाने की हिमत नही कर पा रही थी,मानो जैसे वो कोई सपना देख रही हो
दीपक: (धीरे से बोला) चंपा आँखें खोलो
पर चंपा आँखें खोलना ही नही चाहती थी ,उसको लग रहा था मानो वो कोई सपना देख
रही हे, अगर आँखें खोलेगी तो सपना भी ख़तम हो जाएगा
दीपक ने चंपा के कंधे को हिलाया ,चंपा जैसे नींद से जागी हो , हल्की सी
आँखें खुली सामने दीपक खड़ा था ,चंपा की आँखों से आँसू बह गया ,जैसे वो ये
कब से चाहती हो
चंपा की आँखें खुलते ही,दीपक ने उसके आँसू सॉफ किए,,दीपक ने अपने होंठ एक
बार फिर चंपा के होंठो से मिला दिए ,इस बार चंपा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर
रखा और अपनी तरफ ज़ोर से खिचने लगी (मानो जैसे वो अब ये होंठ कभी छ्चोड़ना
नही चाहती)
दीपक अपने दोनो होंठो को बार-2 चंपा के होंठो पर फिरा रहा था ,पर चंपा अभी
हिम्मत कर नही पा रही थी, उसको तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था, दीपक
ने अपना एक हाथ चंपा की बाई चुचि पे रख दिया हल्का सा दवाब दिया
चंपा की आँखें खुली और वो पीछे हो गयी ( जैसे उसे 440 वॉल्ट का करेंट लगा
हो) चंपा ने दीपक को देखा और अपनी आँखें नीचे करके वही खड़ी रही
Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक: माफ़ कर दो मुझे
चंपा ने अपनी आँखें उपर करी ,और दीपक को देखने लगी ,धीर से उसके पास आई
चंपा: साहेब जी मे आपसे बहुत प्यार करती हू( ये कहते हुए भी उसकी नज़रे
नीची थी वो अपनी आँखें बंद किए हुई थी,उसका गला सुख चुका था बोलने की
हिम्मत नही कर पा रही थी)
दीपक चंपा के करीब आया उसका चेहरा अपने हाथो मे लेकर
दीपक: (धीरे से बोला) जो तुमने मेरे लिए किया है ,शायद ही कोई किसी के लिए
करता , पिछले कुछ दीनो मे मुझे तुम से प्यार हो गया ,पर मैं कह नही पाया ,
कहने के लिए जब कोशिश करता तब मेरी हिमत जवाब दे जाती
चंपा उसकी आँखों मे देखे जा रही थी, बोलना चाहती थी पर रुक जाती थी
दीपक ने उसके माथे को चुम्मा , अपने हाथो को उसके पेट पे घुमा रहा था,चंपा
की साँसे तेज़ हो रही थी,बार-2 अपनी आँखें बंद कर लेती
चंपा ,दीपक के गले लग पड़ी (मानो एक शरीर ही था वाहा दोनो एक दूसरे से
चिपके हुए थे)
दीपक चंपा की पीठ पर हाथ फैरे जा रहा था, चंपा उसके बालो मे उंगलिया कर रही
थी ,और उसे अपनी तरफ खींचे जा रही थी ,दीपक ने चंपा के गले पर चूमा ,चंपा
एक दम से ढीली पड़ गयी एक बार फिर उसके शरीर मे बिजली दौड़ पड़ी थी
चंपा: साहेब जी मे भी आपसे बहुत प्यार करती हू ,पर मे एक छोटे घर से, घरो
मे काम करने वाली नौकरानी और आप इतने बड़े आदमी
दीपक ने एक बार फिर उसके गले को चूमा और अपनी जीभ उसके कंधे से लेकर कान तक
फिरा दी
दीपक: चंपा मे नही मानता ये उच नीच (ये बोलते हुए चंपा के गालो को चूम
लिया)
चंपा को मानो इतनी गर्मी मे भी ठंड लगने लगी थी ,वो काँप रही थी
दीपक: इधर देखो
दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा ,दीपक ने अपने लब चंपा के लबो पर लगा
दिए ,इस बार चंपा ने भी होंठो को चूस्ते हुए अपनी हामी भरी
दीपक ने एक बार फिर अपना हाथ चंपा की बाई चुचि पे रखा ,चंपा एक दम से ठंडी
पड़ी पर वाहा से हटी नही ,दीपक ने चंपा के शरीर मे झटका महसूस किया ,और
अपना हाथ खुद ही हटा लिया
दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस्ते जा रहे थे ,पर दीपक अब फिर अपने हाथो को
पेट पर घुमा रहा था ,उसकी हिमत नही हो पा रही थी अपना हाथ दुबारा उपर ले
जाने की ,चंपा उसका पूरा साथ दे रही थी
चंपा समझ रही थी के दो बार उसकी हामी ना मिल पाने के वजा से दीपक अब आगे
नही बढ़ रहा ,चंपा ने दीपक के लबो को अपने लबो से अलग किया ,उसके हाथ को
अपने हाथ मे लिया उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया घुसा ,उपर हाथ उठाया और खुद
ही अपनी चुचि पे रख दिया
दीपक ने अपने हाथ का दबाव उसकी चुचि पे बनाया ,चंपा के मूह से आहह निकल
पड़ी,कमीज़ के उपर से ही निप्पेल को पकड़ने की कौशिश की पर हाथ मे नही
आया,चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,दीपक के गले लग गयी ज़ोरो से दोनो एक दूसरे
को जकड़े हुए थे ,आज दोनो एक दूसरे से अलग नही होना चाहते थे
दीपक: (कान मे बोला) मे तुम से बहुत प्यार करता हू
ये सुनते ही चंपा दीपक से अलग हुई, उसकी और देखने लगी ,जैसे उसने कुछ नही
सुना हो ,दीपक ने एक बार फिर बोला
दीपक: मे तुमसे बहुत प्यार करता हू
चंपा ,दीपक से अलग हुई ,दीपक की खुली शर्ट को उसके कंधे से उतारा ,दीपक के
गोरे शरीर को घुरे जा रही थी ,चंपा अपने लब्ब दीपक की छाती पर ले कर गयी और
उसकी छाती के दाए निपल पे अपने लब्ब लगा दिए , दीपक की आँखें बंद हो गयी
दीपक अपने हाथ चंपा के पेट पर घुमा रहा था, चंपा बारी बारी दीपक के निपल्स
को काट रही थी उसको उतेज़ित कर रही थी ,दीपक का लंड उसकी जीन्स मे उभरा हुआ
सॉफ नज़र आ रहा था
दीपक ने चंपा को रोका उसका चेहरा हाथो मे लिया
चंपा का चेहरा अपने पास लाया ,उसके गालो को चूमा ,अपना हाथ चंपा के पेट पे
घूमते हुए कमीज़ को उपर करने लगा चंपा उसे अब रोकना भी नही चाहती थी
चंपा ने अपने हाथ खुद ही उपर कर लिए दीपक कमीज़ को उपर करता हुआ गले तक
लाया,दीपक की आँखों के सामने काले ब्रा मे दोनो चुचिया थी ,गले से कमीज़ को
निकाल कर पास पड़े ट्रंक के उपर डाल दी
चंपा शर्मा रही थी ,अपनी आँखों को नीचे किए,अपने दोनो हाथो को पकड़ के खड़ी
थी,दीपक ने चंपा के दोनो हाथो को अलग करके अपने हाथो मे लिया
दीपक: चंपा मेरी तरफ देखो
चंपा के चेहरे पे एक खुशी थी, जैसे ही उसने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने चंपा
की कमर पकड़ के उसे अपने करीब खींचा,होंठ से होंठ मिल चुके थे
चंपा का हाथ एक दम से दीपक के पेट पर गया,और जखम के उपर लगा ,दीपक ने होंठो
को चूसना छ्चोड़ दिया, चंपा को उसकी आँखों मे उसका दर्द महसूस हुआ
चंपा ने दीपक के गालो को चूमा ,दीपक अपना दर्द थोड़ी देर के लिए भूल जाना
चाहता था, चंपा ने अपना हाथ दीपक की बेल्ट पर रखा
चंपा की शरम अब जाते जा रही थी,दीपक की जीन्स की बेल्ट को खोलने लगी ,उसके
हाथो का स्पर्श दीपक के लंड पे हुआ ,दोनो ने फिर एक दूसरे को देखा ,दीपक
अपने हाथ चंपा की कमर के पीछे ले कर गया और ब्रा खोलने की कोशिश की ,ब्रा
का पिन दीपक की उंगली मे लगा ,उसने अपना हाथ हटाया
चंपा ने बेल्ट खोली खड़ी हुई सामने दीपक की उंगली से हल्का सा खून निकल रहा
था ,अपने हाथो मे उसका हाथ लिया ,उसकी उंगली को अपने मूह मे डालकर चूसने
लगी ,दीपक भी अपनी उंगली को उसके मूह मे घुमा रहा था जीभ का स्पर्श उसे
आच्छा लग रहा था ,चंपा अपना हाथ अपनी कमर पर ले कर गयी और खुद ही अपना ब्रा
खोल दिया
ब्रा खुलते ही सामने ब्रा ढीला पड़ा ,दीपक की उंगली अभी भी चंपा के मूह मे
थी ,दूसरे हाथ से दीपक ने चंपा के कंधे से ब्रा का स्ट्रॅप नीचे किया ,ब्रा
लटक गया एक चुचि साफ नज़र आ रही थी निपल का मूह एक दम सीधा खड़ा था ,दीपक
ने अपनी उंगली उसके मूह से बाहर निकाली
चंपा इतनी गरम हो चुकी थी ,उसने खुद ही अपने ब्रा को उतारा को नीचे ज़मीन
पे डाल दिया
दीपक की आँखों के सामने चंपा की बड़ी चुचिया लटक रही थी , दीपक ने अपना हाथ
बढ़ाया दाई चुचि को मसल दिया अपने दाँत चंपा के कंधे मे गाढ दिए..चंपा के
मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी
चंपा ,दीपक की जीन्स खोलने मे लगी थी बटन टाइट था खुल नही पा रहा था ,दीपक
थोड़ा पीछे हुआ जीन्स का बटन खोला ज़ीप नीचे करी ,अंडरवेर मे लंड तना हुआ
था ,दीपक ने चंपा को अपनी और खींचा और चुचियो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा
चंपा की साँसे तेज़ होती जा रही थी , दीपक चुचिया चूस्ते हुए अपना हाथ उसकी
सलवार तक ले गया ,नाडे का सिरा ढूँडने लगा नाडा अंदर की तरफ था दीपक ने
उपर से ही अपना हाथ सलवार के अंदर डाल दिया ,नाडा तो हाथ मे आया नही ,पॅंटी
गीली हो चुकी थी उसका एहसास दीपक को उसका हाथ पॅंटी पे लगने के बाद हुआ
चंपा एक दम सीधी खड़ी थी,वो इंतेज़ार कर रही थी के दीपक सारी ज़ंज़ीरे तोड़
दे ,नाडे को हाथ मे पकड़ा और उसे खींच के खोल दिया ,नाडा खुलते ही सलवार
झट से नीचे चंपा के पैरो मे जा गिरी,
चंपा ने दीपक के कंधे का सहारा लिया और अपने पैरो मे से सलवार निकाल दी
,उधर दीपक अपनी जीन्स उतार चुका था , कछे मे उसका लंड एक दम तना हुआ था
,चंपा बार बार उसे घुरे जा रही थी , गला सुख चुका था पर दीपक का लंड देख कर
उसके मूह मे पानी आ चुका था
दोनो एक दूसरे को घुर्रे जा रहे थे ,दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ा ओर कछे के
उपर से ही लंड पर रख दिया ,चंपा ने अपनी आँखें बंद कर ली और एक ज़ोर से
साँस ली
चंपा बहुत गरम हो चुकी थी ,उसका खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था दीपक चंपा
के पीछे गया और कमर मे हाथ डाल के पीछे से चुचियो को ज़ोर से दबा दिया
,चंपा थोड़ी पीछे हुई लंड चंपा की गंद मे सॅट गया , चंपा वही रुक गयी उसे
दीपक के लंड का पूरा-2 एहसास हो रहा था
दीपक ने चुचियो को छ्चोड़ा अपने हाथो को नीचे ले गया पॅंटी पे हाथ पहुचते
ही दोनो हाथो की दो उंगलियो को पॅंटी के अंदर किया और नीचे कर दिया पॅंटी
सीधा सरकते हुए चंपा के पैरो मे अटक गयी
चंपा ने अपनी आँखें उपर करी ,और दीपक को देखने लगी ,धीर से उसके पास आई
चंपा: साहेब जी मे आपसे बहुत प्यार करती हू( ये कहते हुए भी उसकी नज़रे
नीची थी वो अपनी आँखें बंद किए हुई थी,उसका गला सुख चुका था बोलने की
हिम्मत नही कर पा रही थी)
दीपक चंपा के करीब आया उसका चेहरा अपने हाथो मे लेकर
दीपक: (धीरे से बोला) जो तुमने मेरे लिए किया है ,शायद ही कोई किसी के लिए
करता , पिछले कुछ दीनो मे मुझे तुम से प्यार हो गया ,पर मैं कह नही पाया ,
कहने के लिए जब कोशिश करता तब मेरी हिमत जवाब दे जाती
चंपा उसकी आँखों मे देखे जा रही थी, बोलना चाहती थी पर रुक जाती थी
दीपक ने उसके माथे को चुम्मा , अपने हाथो को उसके पेट पे घुमा रहा था,चंपा
की साँसे तेज़ हो रही थी,बार-2 अपनी आँखें बंद कर लेती
चंपा ,दीपक के गले लग पड़ी (मानो एक शरीर ही था वाहा दोनो एक दूसरे से
चिपके हुए थे)
दीपक चंपा की पीठ पर हाथ फैरे जा रहा था, चंपा उसके बालो मे उंगलिया कर रही
थी ,और उसे अपनी तरफ खींचे जा रही थी ,दीपक ने चंपा के गले पर चूमा ,चंपा
एक दम से ढीली पड़ गयी एक बार फिर उसके शरीर मे बिजली दौड़ पड़ी थी
चंपा: साहेब जी मे भी आपसे बहुत प्यार करती हू ,पर मे एक छोटे घर से, घरो
मे काम करने वाली नौकरानी और आप इतने बड़े आदमी
दीपक ने एक बार फिर उसके गले को चूमा और अपनी जीभ उसके कंधे से लेकर कान तक
फिरा दी
दीपक: चंपा मे नही मानता ये उच नीच (ये बोलते हुए चंपा के गालो को चूम
लिया)
चंपा को मानो इतनी गर्मी मे भी ठंड लगने लगी थी ,वो काँप रही थी
दीपक: इधर देखो
दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा ,दीपक ने अपने लब चंपा के लबो पर लगा
दिए ,इस बार चंपा ने भी होंठो को चूस्ते हुए अपनी हामी भरी
दीपक ने एक बार फिर अपना हाथ चंपा की बाई चुचि पे रखा ,चंपा एक दम से ठंडी
पड़ी पर वाहा से हटी नही ,दीपक ने चंपा के शरीर मे झटका महसूस किया ,और
अपना हाथ खुद ही हटा लिया
दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस्ते जा रहे थे ,पर दीपक अब फिर अपने हाथो को
पेट पर घुमा रहा था ,उसकी हिमत नही हो पा रही थी अपना हाथ दुबारा उपर ले
जाने की ,चंपा उसका पूरा साथ दे रही थी
चंपा समझ रही थी के दो बार उसकी हामी ना मिल पाने के वजा से दीपक अब आगे
नही बढ़ रहा ,चंपा ने दीपक के लबो को अपने लबो से अलग किया ,उसके हाथ को
अपने हाथ मे लिया उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया घुसा ,उपर हाथ उठाया और खुद
ही अपनी चुचि पे रख दिया
दीपक ने अपने हाथ का दबाव उसकी चुचि पे बनाया ,चंपा के मूह से आहह निकल
पड़ी,कमीज़ के उपर से ही निप्पेल को पकड़ने की कौशिश की पर हाथ मे नही
आया,चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,दीपक के गले लग गयी ज़ोरो से दोनो एक दूसरे
को जकड़े हुए थे ,आज दोनो एक दूसरे से अलग नही होना चाहते थे
दीपक: (कान मे बोला) मे तुम से बहुत प्यार करता हू
ये सुनते ही चंपा दीपक से अलग हुई, उसकी और देखने लगी ,जैसे उसने कुछ नही
सुना हो ,दीपक ने एक बार फिर बोला
दीपक: मे तुमसे बहुत प्यार करता हू
चंपा ,दीपक से अलग हुई ,दीपक की खुली शर्ट को उसके कंधे से उतारा ,दीपक के
गोरे शरीर को घुरे जा रही थी ,चंपा अपने लब्ब दीपक की छाती पर ले कर गयी और
उसकी छाती के दाए निपल पे अपने लब्ब लगा दिए , दीपक की आँखें बंद हो गयी
दीपक अपने हाथ चंपा के पेट पर घुमा रहा था, चंपा बारी बारी दीपक के निपल्स
को काट रही थी उसको उतेज़ित कर रही थी ,दीपक का लंड उसकी जीन्स मे उभरा हुआ
सॉफ नज़र आ रहा था
दीपक ने चंपा को रोका उसका चेहरा हाथो मे लिया
चंपा का चेहरा अपने पास लाया ,उसके गालो को चूमा ,अपना हाथ चंपा के पेट पे
घूमते हुए कमीज़ को उपर करने लगा चंपा उसे अब रोकना भी नही चाहती थी
चंपा ने अपने हाथ खुद ही उपर कर लिए दीपक कमीज़ को उपर करता हुआ गले तक
लाया,दीपक की आँखों के सामने काले ब्रा मे दोनो चुचिया थी ,गले से कमीज़ को
निकाल कर पास पड़े ट्रंक के उपर डाल दी
चंपा शर्मा रही थी ,अपनी आँखों को नीचे किए,अपने दोनो हाथो को पकड़ के खड़ी
थी,दीपक ने चंपा के दोनो हाथो को अलग करके अपने हाथो मे लिया
दीपक: चंपा मेरी तरफ देखो
चंपा के चेहरे पे एक खुशी थी, जैसे ही उसने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने चंपा
की कमर पकड़ के उसे अपने करीब खींचा,होंठ से होंठ मिल चुके थे
चंपा का हाथ एक दम से दीपक के पेट पर गया,और जखम के उपर लगा ,दीपक ने होंठो
को चूसना छ्चोड़ दिया, चंपा को उसकी आँखों मे उसका दर्द महसूस हुआ
चंपा ने दीपक के गालो को चूमा ,दीपक अपना दर्द थोड़ी देर के लिए भूल जाना
चाहता था, चंपा ने अपना हाथ दीपक की बेल्ट पर रखा
चंपा की शरम अब जाते जा रही थी,दीपक की जीन्स की बेल्ट को खोलने लगी ,उसके
हाथो का स्पर्श दीपक के लंड पे हुआ ,दोनो ने फिर एक दूसरे को देखा ,दीपक
अपने हाथ चंपा की कमर के पीछे ले कर गया और ब्रा खोलने की कोशिश की ,ब्रा
का पिन दीपक की उंगली मे लगा ,उसने अपना हाथ हटाया
चंपा ने बेल्ट खोली खड़ी हुई सामने दीपक की उंगली से हल्का सा खून निकल रहा
था ,अपने हाथो मे उसका हाथ लिया ,उसकी उंगली को अपने मूह मे डालकर चूसने
लगी ,दीपक भी अपनी उंगली को उसके मूह मे घुमा रहा था जीभ का स्पर्श उसे
आच्छा लग रहा था ,चंपा अपना हाथ अपनी कमर पर ले कर गयी और खुद ही अपना ब्रा
खोल दिया
ब्रा खुलते ही सामने ब्रा ढीला पड़ा ,दीपक की उंगली अभी भी चंपा के मूह मे
थी ,दूसरे हाथ से दीपक ने चंपा के कंधे से ब्रा का स्ट्रॅप नीचे किया ,ब्रा
लटक गया एक चुचि साफ नज़र आ रही थी निपल का मूह एक दम सीधा खड़ा था ,दीपक
ने अपनी उंगली उसके मूह से बाहर निकाली
चंपा इतनी गरम हो चुकी थी ,उसने खुद ही अपने ब्रा को उतारा को नीचे ज़मीन
पे डाल दिया
दीपक की आँखों के सामने चंपा की बड़ी चुचिया लटक रही थी , दीपक ने अपना हाथ
बढ़ाया दाई चुचि को मसल दिया अपने दाँत चंपा के कंधे मे गाढ दिए..चंपा के
मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी
चंपा ,दीपक की जीन्स खोलने मे लगी थी बटन टाइट था खुल नही पा रहा था ,दीपक
थोड़ा पीछे हुआ जीन्स का बटन खोला ज़ीप नीचे करी ,अंडरवेर मे लंड तना हुआ
था ,दीपक ने चंपा को अपनी और खींचा और चुचियो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा
चंपा की साँसे तेज़ होती जा रही थी , दीपक चुचिया चूस्ते हुए अपना हाथ उसकी
सलवार तक ले गया ,नाडे का सिरा ढूँडने लगा नाडा अंदर की तरफ था दीपक ने
उपर से ही अपना हाथ सलवार के अंदर डाल दिया ,नाडा तो हाथ मे आया नही ,पॅंटी
गीली हो चुकी थी उसका एहसास दीपक को उसका हाथ पॅंटी पे लगने के बाद हुआ
चंपा एक दम सीधी खड़ी थी,वो इंतेज़ार कर रही थी के दीपक सारी ज़ंज़ीरे तोड़
दे ,नाडे को हाथ मे पकड़ा और उसे खींच के खोल दिया ,नाडा खुलते ही सलवार
झट से नीचे चंपा के पैरो मे जा गिरी,
चंपा ने दीपक के कंधे का सहारा लिया और अपने पैरो मे से सलवार निकाल दी
,उधर दीपक अपनी जीन्स उतार चुका था , कछे मे उसका लंड एक दम तना हुआ था
,चंपा बार बार उसे घुरे जा रही थी , गला सुख चुका था पर दीपक का लंड देख कर
उसके मूह मे पानी आ चुका था
दोनो एक दूसरे को घुर्रे जा रहे थे ,दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ा ओर कछे के
उपर से ही लंड पर रख दिया ,चंपा ने अपनी आँखें बंद कर ली और एक ज़ोर से
साँस ली
चंपा बहुत गरम हो चुकी थी ,उसका खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था दीपक चंपा
के पीछे गया और कमर मे हाथ डाल के पीछे से चुचियो को ज़ोर से दबा दिया
,चंपा थोड़ी पीछे हुई लंड चंपा की गंद मे सॅट गया , चंपा वही रुक गयी उसे
दीपक के लंड का पूरा-2 एहसास हो रहा था
दीपक ने चुचियो को छ्चोड़ा अपने हाथो को नीचे ले गया पॅंटी पे हाथ पहुचते
ही दोनो हाथो की दो उंगलियो को पॅंटी के अंदर किया और नीचे कर दिया पॅंटी
सीधा सरकते हुए चंपा के पैरो मे अटक गयी