कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet

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007
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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:44

हफ्फ़्ता हुआ चंदू खोली के अंदर घुसा , किचन मे बैठी चंपा खाना बनाने की
तय्यारी कर रही थी , कदमो की आहट से चंपा मूडी सामने चंदू को देखा

चंपा: क्या हुआ , तू इतना हाफ़फ़ क्यू रहा है

चंदू: प्प्पन्नि दे पहले

चंपा पानी लेकर आई

चंदू ने पानी गटका , हाफफ़्ते हुए बोला

चंदू: वो .. वो तेरे साहेब ने सत्या बोउ का खून कर दिया

चंपा: क्या ? साहेब जी कहा है (ज़ोर से बोली)

चंदू: मुझे नही पता वो कहा है , खून करके वो भाग गया वाहा से , मुझे तो डर
लग रहा है ,कही मे ना फस जाऊ

चंपा कुछ बोल नही पाई , खोली के बाहर गयी और दीपक की रह देखने लगी (परेशानी
उसके चेहरे पे जाहिर थी)

.......

राणे: अपने सारे स्टाफ को बुलाओ ( मॅनेजर को बोला)

10मिनट बाद सारा स्टाफ नीचे लाइन मे खड़ा था, राणे सीडियो से नीचे उतरता
हुआ स्टाफ के सामने आया

राणे: तुम लोगो मे से कोई इस खून के बारे मे कुछ जानता है

कोई कुछ नही बोला

राणे: तुम मे से लॉंडरी की ड्यूटी पे कौन था

एक आदमी लाइन मे से आगे आया , साहेब मे था लॉंडरी की ड्यूटी पे

राणे: आख़िरी बार छत पर कब गये थे

स्टाफ: सर कल सुबह गया था, हफ्ते मे तीन बार कपड़े धोए जाते है

राणे: ठीक है जाओ, तुम सब मे से आख़िरी बार उस रूम मे कौन गया था ( उसका
इशारा सत्या की लाश वाले रूम की तरफ था)

मॅनेजर: सर मे गया था (घबरा के बोला)
राणे: काहे गये थे भाई

मॅनेजर: सर वो सत्या सर की ड्रिंक्स ले कर मे खुद गया था ,वो हर शाम अपने
कमरे मे ही ड्रिंक करते थे

राणे: एक शराबी कम होगया (आराम से बोला) , तुम कुछ देखे रूम मे , कोई था
वाहा

मॅनेजर: सर जब गया सत्या सर अपने रूम मे नही थे , वो बाद मे रूम आए थे , जब
मे गया वाहा कोई नही था

राणे: (हवलदार को बुलाया) इन सब के बयान लो

स्टाफ के लोगो मे से एक लड़का बाहर निकल के आया , राणे के पास गया

स्टाफ: सर मुझे कुछ बताना है आपको

राणे: तुम खून किए हो का

स्टाफ: ना,,नही मेने कुछ नही किया , वो आज सुबह मेरा दोस्त सत्या साहब से
मिलना चाहता था

राणे: कहा है तुम्हारा दोस्त , तेरा नाम क्या है

स्टाफ: सर मेरा नाम किशन है, मेरा दोस्त चंदू है वो आज सत्या साहब से मिलना
चाहता था

राणे: वो मिलने आया था यहा

किशन: सर मुझे पता नही , साहब ने मुझे कही काम से भेज दिया था , उसने मुझे
बोला था के वो शाम को आएगा

राणे: तुम्हारा दोस्त रहता कहा है

किशन: सर यही पास मे रहता है ,आजकल मेरी खोली मे उसका कोई रिश्तेदार रह रहा
है

राणे: ( 2 हवलदरो को बुलाया) इसके साथ जाओ , और जो इसकी खोली मे मिले थाने
मे लेकर पहुचो , और हां कोई गड़बड़ी नही सब के सब मिलने चाहिए

हवलदार: जी सर

बोलकर किशन के साथ बार से बाहर हुए

फोरेन्सिक वालो ने सारे सबूत इकट्ठे किए , सत्या की लाश को आंब्युलेन्स मे
डाल दिया गया

राणे: इस की रिपोर्ट सुबह मेरी टेबल पर होनी चाहिए (फोरेन्सिक वाले को
बोला)

राणे बार से बाहर आया गाड़ी मे बैठा और पोलीस स्टेशन की तरफ हुआ

.....

दीपक एक अंधेरे कोने मे बैठा था, आस पास कुत्तो के भोकने की आवाज़्ज़ आ रही
थी, अपने आप से बाते कर रहा था

सत्या उसकी आँखों के सामने ही उपर उस कमरे मे गया था , पर जब वो वाहा पहुचा
उसकी लाश खून मे लथपथ बेड के उपर पड़ी थी , पर वाहा कोई था भी नही फिर वो
मरा कैसे , उसकी समझ मे आ चुका था के एक और खून का इल्ज़ाम उस पर लगने वाला
है, अब उसका चंपा के घर जाना ख़तरे से खाली नही था, पर उसे चंपा की फ़िक्र
होने लगी थी

दीपक: कही मेरी वजह से चंपा को कुछ हो गया तो , चंपा मुझे माफ़ कर देना
दीपक अंधेरे मे बैठा आगे की सोच रहा था के उसे अब क्या करना है ,रात घिर
गयी थी उसे अपने रात के रुकने का इंतज़ाम करना था

...

चंपा खोली के बाहर खड़ी बड़ी देर से दीपक का इंतेज़ार कर रही थी ,कुछ देर
बाद 3लोगो को अपनी तरफ आता देखा ,जब वो लोग पास आए उसमे से दो ने पोलीस की
वर्दी पहनी हुई थी,चंपा घबरा के खोली के अंदर भागी,सामने चंदू ने उसे
घबराया देख उससे पूछा

चंदू: क्या हुआ,इतना डर क्यू रही है

चंपा: पोलिसेवाले आ रहे है

ये सुनते ही चंदू की साँसें रुक गयी

चंदू: ये सब वो तेरे साहब की वजह से हुआ है,मुझे भी क्या ज़रूरत थी तुमलोगो
की मदद करने की ( गुस्से मे बोला)

इतना बोलते ही,पोलीस वाले भी किशन के साथ खोली मे घुसे

हवलदार ने क्षण किशन की तरफ देखा

किशन: ये चंदू है

पोलीस वालो ने आगे बढ़ कर उसे पकड़ा

चंदू: मुझे किस लिए पकड़ रहे हो मेने कुछ नही किया,जाने दो मुझे ( रोते हुए
बोला),किशन तू बचा ले मुझे मेने कुछ नही किया

हवलदार: आइ छोकरी चल हमारे साथ थाने

किशन वही खड़ा था पर कुछ बोला नही

हवलदार दोनो को खोली से बाहर ले कर आए , लोगो की भीड़ घर के बाहर थी , उसमे
से कुछ चंदू और चंपा को जानने वाले भी थे

....

दीपक रास्ते पे चल रहा था , जेब मे कुछ पैसे भी नही थे , किसी होटेल मे रात
भी कैसे गुज़ारता , कुछ सोचा और अपने कदम आगे को बढ़ा दिए

...

हवलदार दोनो को लेकर पोलीस स्टेशन मे पहुचे

हवलदार: साहेब ये चंदू है

राणे ने अपनी नज़रे फाइल से हटाते हुए , उपर करी , सामने चंदू और चंपा को
खड़ा देखा , चंपा उसे जानी पहचानी लगी

राणे: (हवलदार से पूछा) एई लड़की कौन है

हवलदार: साहब ये भी उसी खोली मे मिली हमे

राणे को याद आया के वही लड़की है जो उस चोर की प्रेमिका थी

राणे: तुम ऊ चोर की लवर है ना (चंपा से बोला)

चंपा चुप खड़ी रही कुछ बोली नही

राणे: लवर चेंज कर लिया का

चंपा ने गुस्से से राणे की तरफ देखा

राणे: अरे एई का तो टेमप्रिटर हाइ हो गया , ह्म्*म्म कम करना पड़ेगा उषा जी
इधर आइए

पास के बेंच से लेडी पोलीस खड़े हो कर राणे की टेबल के पास मे आई और चंपा
के बगल मे खड़ी हो गयी
राणे: हमरी बात का ठीक से जवाब दीजिए वरना एई जो उषा जी है ना बहुत गूंगी
लड़कियो की आवाज़ खुलवा दी है समझी का
चंपा ने पास खड़ी उषा की तरफ़ देखा , वो एक मोटी लंबी चौड़ी औरत थी

उषा जी: साहेब के सवाल का जवाब दे , वरना मे तुझे अभी ठीक करती हू

राणे: अरे उषा जी काहे इतना गुस्सा करती है , एई सब बोलेगी , अभी बोलेगी
पहले ज़रा एई इसके लवर से तो मिल ले

राणे अपनी सीट से खड़ा हुआ , और चंदू के पास गया

राणे : तुम सत्या का खून किए ना

चंदू: (रोते हुए बोला) नही साहब मेने कुछ नही किया

राणे: तो का हम किए , अरे बाबूराम मेहमान आए है खातिरदारी करो भाई

हवलदार ने आगे बाद कर चंदू के बॉल पकड़े और टेबल पे ज़ोर से मार दिया ,
चंदू के मूऊ से चीखे निकल पड़ी और वो नीचे गिर पड़ा , उसका माथा एक दम लाल
पड़ चुका था

राणे: चंदू भाई और सेवा करे

चंदू , राणे के पाँवो मे गिर पड़ा

चंदू: (रोते हुए बोला) साहब मेने कुछ नही किया , वो खून इसके साहब ने किया
है (चंपा की तरफ इशारा किया)

चंपा ने अपना चेहरा नीचे कर लिया और कुछ बोली नही
राणे: कौन सा साहब

चंदू : साहब वो जिसके घर मे कुछ दिन पहले उसने खुद अपने बाप और बेहन का खून
किया था

राणे: दीपक

चंदू: हां साहब

चंपा अभी भी अपना सिर झुखाए खड़ी थी

राणे: अब सब जल्दी-2 बोल वरना तेरी सेवा करना शुरू करू

चंदू ने सब कुछ बताना शुरू किया

राणे आराम से बैठा सब कुछ सुन रहा था , उसको अपने कुछ सवालो का जवाब भी मिल
रहा था , जिसकी वो तलाश मे था

चंदू ने सब कुछ बताया जितना वो जानता था,

राणे : खाना खाए का (चंदू से पूछा)

चंदू बड़ी हैरानी से देख रहा था

राणे: अरे खाना खाए का

चंदू : ना...नही

राणे: बाबूराम खाना खिलाओ भाई , भूखे पेट है बेचारा

हवलदार के चेहरे पे हल्की सी हसी थी , पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ खाना लाने
के लिए

राणे: तुहार नाम का है (चंपा से बोला)

चंपा

राणे: तुम का पता है , तुम इतने दिन जैल से भागे कैदी को अपने साथ रखे ,
तुझे सज़ा भी होसकती है

चंपा: मेरे साहब जी ने कुछ नही किया , वो बेकसूर है

राणे: तुहार कहने से मान ले का , कोई सबूत
चंपा: अगर वो खूनी होते तो उनको जान से मारने की कोशिश किसने की

राणे: बच तो गया , और ऐसे लोगो के दुश्मन भी तो हो सकता है

चंपा: कोई उनका पीछा कर रहा था

राणे: पर ऊ तो तुहार पीछे था , उसका का होता

चंपा ने अपनी आँखें उपर की और राणे की तरफ देखा

चंपा: सब जानते है , पोलीस सिर्फ़ बेकसूरो को ही पकड़ती है

राणे: उषा जी इसे हवालात मे डालो

उषा जी उसे अपने साथ खिचते हुए हवालात के अंदर ले गयी

हवलदार: सर इनकी एंट्री करू रिपोर्ट मे

राणे: नही यार , अभी रूको

राणे अपने दिमाग़ पर ज़ोर देने लगा था , घड़ी के तरफ नज़र डाली रात के
10:30 बज रहे थे , फोन उठाया नंबर डाइयल किए

राणे: कहा तक पहुचे भाई

डीटेक्टिव: सर कुछ मिला है , पर वो यहा शहेर मे नही है , आस पास के लोगो से
कुछ पता लगा है

डीटेक्टिव ने कुछ और बाते राणे को बताई और फोन काट दिया

राणे ने हवलदार को अपने पास बुलाया
राणे: एक स्लिप हवलदार को दी , इस फोन नंबर की कॉल डीटेल चाहिए जल्दी और
हां इस नंबर की सारी कॉल टॅप करो समझे

दीपक एक बंगल के सामने पहुचा , डोरबेल बजाई , दरवाज़ा खुला नौकर बाहर निकल
के आया

दीपक: मयूर साहब है

नौकर: नही वो नही है

दीपक: आंटी होंगी

नौकर: आप कौन

दीपक: दीपक

नौकर: रुकिये पूछ के आता हू

नौकर अंदर गया वीना को दीपक के आने की खबर दी , वीना अपने कमरे से भागते
हुए दरवाज़े के पास पहुचि, सामने दीपक को खड़ा देख वो खुश थी

वीना: आओ बेटा अंदर आओ

वीना ,दीपक को अंदर ले कर आई

वीना: बेटा तुम्हे बहुत दिन बाद देखा है

दीपक: आंटी आप तो सब जानती है के मुझ पर क्या इल्ज़ाम है

वीना: बेटा मे नही मानती , मे तुम्हारे परिवार को 25 साल से जानती हू , और
मे कभी नही मान सकती के तुम ऐसा पाप करोगे

दीपक: आंटी आज रात मुझे छिपने के लिए कोई जगह चाहिए

वीना: बेटा ये तुम्हारा ही घर है , जब तक चाहो तब तक रहो यहा

वीना ने नौकरो को खाना लगाने के लिए बोला

वीना: चलो बेटा खाना खा लो , मे जानती हू तुम किस स्तिथि से गुज़र रहे हो ,
पर तुम्हे अपनी सेहत का ख़याल रखना चाहिए चलो आओ
दोनो टेबल पर बैठे

दीपक: आंटी , अंकल कहा है

वीना: बेटा वो काम के सिलसिले मे बाहर गये है , कल वापस आ जाएँगे , चलो अब
खाना शुरू करो

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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:45

उधर राणे 11:00 बजने पर भी घर नही गया था , उसे इस केस को जल्दी अंजाम तक
पहुचाना था , उसकी नौकरी भी ख़तरे मे थी

रात को 11:00 बजे राणे ने किसी से फोन पर बात की , और उसे कुछ काम दिया

हवलदार: सर आज घर नही जाएँगे क्या

राणे: नही भैया अब तो घर तभी जाएँगे ,जब तक ऊ कातिल लोग एई थाने मे नही आते

..

दीपक खाना ख़तम करके टेबल से खड़ा हुआ

वीना: बेटा एक बात कहू

दीपक: जी आंटी

वीना: बेटा तुम यहा से चले क्यू नही जाते,मतलब कही किसी और जगह , यहा तुम
पर ख़तरा बहुत है

दीपक: नही आंटी मे नही जाउन्गा , जब तक उनलोगो को नही सज़ा देता जिन्होने
मेरी दुनिया मे आग लगा दी है

वीना: बेटा अगर तुम्हे कुछ हो गया तो ,तुम्हारी मा वैसे ही सब कुछ खो
चुकी,और अब बस तुम ही उसका सहारा हो

दीपक: आंटी मे जानता हू माँ के लिए ये वक्त सबसे मुश्किल है पर मे भाग कर
कही नही जाउन्गा

वीना : चलो अब रात बहुत होगयि उपर कमरे मे सो जाओ

वीना ,दीपक को अपने साथ लेकर कमरे के अंदर गयी

वीना: रूको बेटा मे एक मिनट मे आती हू

वीना सीडियो से नीचे उतरी , मंदिरवाले कमरे मे गयी , हाथ मे थाली ले कर
दीपक के पास पहुचि

वीना: बेटा सोने से पहले भगवान का आशीर्वाद लो

दीपक ने दोनो हाथो को आगे बढ़ाया , आरती ली

वीना: चलो तुम अब सो जाओ , बहुत थके लग रहे हो

वीना सीडिया उतर के नीचे मंदिर वाले कमरे मे आई , भगवान के सामने बैठ के
पूजा करने लगी , मानो भगवान से दीपक की रक्षा के लिए दुआ करने लगी हो

.....

हवलदार: सर,, सर्र

हवलदार ने राणे को आवाज़ दी , राणे रात को अपनी कुर्सी पे ही सो गया , उसे
पता नही चला उसकी आँख कब लगी

राणे: हां , का हुआ भाई

हवलदार: सर ये कल जो खून हुआ था , उसकी फोरेन्सिक रिपोर्ट

राणे: हां रखो , हम ज़रा अपना हुलिया ठीक करके आते है ,

राणे कुर्सी से उठा , बाथरूम की तरफ हुआ , वाहा से फ्रेश हो कर आया , टेबल
पर पड़ी रिपोर्ट को उठाया और पढ़ने लगा

राणे हल्का सा हँसा , और अपने आप से बोला ,(हम भी तो यही सोच रहे थे)

राणे: बाबू राम भाई चाइ तो बोलो , का सुबह सुबह मूड खराब कर रहे हो

हवलदार: सर मेने कौन सा मूड खराब किया

राणे: बाबूराम तुहार को इनस्पेक्टर बनना है ना

हवलदार: जी सर

राणे: चाइ बोलो फटाफट

हवलदार थाने से बाहर हुआ

राणे ने फोन मिलाया

राणे: हां भैया कहा तक पहुचे

डीटेक्टिव: सर सबूत ला रहा हू , बस पहुचने वाला हू आपके पास

राणे: का बात है सबाश जल्दी लाओ यार , बहुत कम टाइम है

बात करके फोन कांटा

राणे ने एक और मिलाया

राणे: कुछ मिला का भाई

हवलदार: नही सर अभी तक तो कुछ नही

राणे: काम पर लगे रहो , कुछ मिले तो हमरे पास लेकर आना

.....

दीपक सुबह नीचे आया , सामने वीना मंदिर मे पूजा कर रही थी , वीना बाहर आई
पूजा की थाली दीपक के आगे करी , दीपक ने आरती ली

वीना: चलो बैठो नाश्ता कर लो

दीपक: नही आंटी अब मुझे जाना होगा , एक जगह रहना ख़तरा खड़ा कर देता है

वीना: बेटा कुछ खा लो फिर चले जाना , मे मना नही करूँगी

थोड़ी देर बाद एक हवलदार पोलीस स्टेशन मे आया हाथ मे कुछ पेपर्स थे

हवलदार: सर ये उस नंबर की कॉल डीटेल्स

राणे ने पेपर अपने हाथ मे लिया, कॉल डीटेल्स मे नंबर के साथ उन नंबर्स के
आड और डीटेल्स थी

राणे ने हवलदार की तरफ इशारा किया, उसे नंबर दिखाया

राणे: एई जो नंबर है, एई के पास अभी जाओ,पता करो काहे फोन किए,पूरा डीटेल
समझे

हवलदार: जी सर (कहता हुआ बाहर हुआ)

राणे: बाबूराम ऊ चमेली और चानू को बाहर निकालो चाइ पिलाओ

हवलदार ने दोनो का सेल से बाहर निकाला,दोनो को राणे के सामने ले कर आया

राणे: रात को नींद कैसा आया

दोनो मे से कोई नही बोला

राणे: अभी भी सो रहे हो का

चंदू: नही साहब, साहब हम दोनो ने कुछ नही किया हमे छ्चोड़ दीजिए

राणे: हम जानत है तुम कुछ नही किए , पर तुम्हे छ्चोड़ नही सकते ,अगर हमे
असली कातिल नही मिले ना तो हम तुमका फँसा देंगे समझे का

ये सुनते चंदू और चंपा एक दूसरे को देखने लगे,चंदू की तो हालत ही खराब हो
चुकी थी

...

दीपक ने नाश्ता ख़तम किया , वीना से इज़ाज़त ले और घर से बाहर हुआ

दीपक खोली की तरफ जा रहा था, खोली के पास पहुचते ही , देखा सामने खोली पे
ताला लगा पड़ा था

दीपक ने सोचा शायद चंपा वापस अपनी खोली मे चली गयी हो , दीपक आगे बढ़ा

चंपा की खोली के बाहर भी ताला था , उसने कुछ आवाज़ सुनी , बगल मे चंदू की
खोली के बाहर भीड़ इकट्ठी थी, दीपक उस भीड़ मे जा खड़ा हुआ

चन्दू की मा:: अरे कोई मेरे बेटे को बाहर लाओ , पोलीस वाले उसे उठा के ले
गये

भीड़ मे से ही एक आदमी और बोला

चाची , चंदू और चंपा को खून के केस मे अंदर लेकर गये हैं , मुझे अभी किशन
ने बताया है

चंदू की मा:: अरे कोई मेरे बेटे को बचा लो , वो किसी का खून केसे करेगा

ये सुनते ही दीपक के होश उड़ गये , वो अपने आप को ही कौसने लगा , ये सब उसी
की वजह से हुआ है

ना वो चंपा के पास आता और ना ही वो ख़तरे मे आती , दीपक उस भीड़ से निकलता
हुआ , बेसूध आगे को हुआ , उसे अब कुछ सूझ नही रहा था के वो कहा जाए

......

पोलीस स्टेशन मे डीटेक्टिव अपने बढ़ते कदमो के साथ राणे के सामने पहुचा

डीटेक्टिव: सर जै हिन्द
राणे: आओ भाई बड़ी देर से तुम्हारी राह देख रहा था , क्या लाए हो हमारे लिए
ज़रा दिखाओ

डीटेक्टिव ने एक फाइल आगे करी

राणे ने फाइल्स को खोला , ख़ूलते ही सामने एक ब्लॅक वाइट फोटो थी , उसमे से
एक को तो राणे ने पह चान लिया पर दूसरा कौन था डीटेक्टिव के आगे फोटो रखी

राणे: कौन है एई

डीटेक्टिव: जिसका अड्रेस दिया था आपने

राणे: ह्म्म और कुछ

डीटेक्टिव ने अपनी जेब से एक स्लिप निकाली , और राणे को दी

राणे ने स्लिप ख़ूली , और हैरानी से बोला

राणे: क्या बात है भाई , बहुत तेज़ हो गये हो

डीटेक्टिव: सर मेने वाहा इसका पता किया , पर ये वाहा नही था , तो मेने आते
समये एरपोर्ट से डीटेल निकलवाई तो मुझे पता चला के ये जनाब यही पर है

राणे: ह्म्म यार पर हमका अभी विश्वास नही होता

डीटेक्टिव : सर मुझे भी नही हो रहा , पर सबूत इनके खिलाफ है

फोन की घंटी बजी राणे ने फोन रिसीव किया ,फोन की दूसरी तरफ जो कोई भी था ,
उसने एक बहुत अछी खबर दी थी

राणे: जल्दी से थाने मे आओ , ज़रा सुने तो सही क्या मिला तुम्हे

राणे ने फोन काटा

हवलदार एक आदमी के साथ पोलीस स्टेशन मे पहुचा

हवलदार: सर ये वाहा का माल्लिक है , इसी ने फोन पर उसके साथ बात की थी

राणे: हां भाई का बात किए , तुमको पता है एई खून का केस है , और तुम बिना
पोलीस की जानकारी के ये काम कर रहे हो , तुहार तो हम लाइसेन्सस बंद करवा
देंगे

वो आदमी थोड़ा घबराया , सर मेने कुछ नही किया , हमारा तो काम ही जासूसी का
है , बस काम की इन्फर्मेशन दी उसके पैसे मिले बस

जासूसी की बात सुन कर , राणे के साथ बैठा डीटेक्टिव ने पलट कर उस आदमी की
तरफ देखा , वो उसको जानता था

डीटेक्टिव: अरे तू , यहा कैसे

उस आदमी ने भी उसे पहचान लिया

राणे: लो करो भारत मिल्लप

डीटेक्टिव: सर ये भी अपना भाई है , हमने कई केस मिल कर निपटाए है

राणे: ह्म्म तो इसको बोलो , जो कुछ पता है फटाफट बोले , वरना

डीटेक्टिव: अरे तुझे जो कुछ पता है बता दे साहब को , वरना तुझे कोई नही बचा
सकता

वो आदमी और घबरा गया

सर मे आपको सब कुछ बता देता हू, उस आदमी ने राणे को सब कुछ बताया जितना वो
जानता था

दीपक चलते चलते थक चुका था , उसे कुछ समझ नही आ रहा था के वो कहा जाए , और
कोने मे जा कर दीवार के किनारे बैठ गया , कुछ दिन पहले तक सब कुछ ठीक था ,
पर अब सब कुछ बदल चुका था

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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:48

सब लोग पोलीस स्टेशन मे झुंड बना के खड़े थे

राणे: चलो करो भाई देखे क्या लाए हो

हवळ्डाऱ ने जो फोन टॅप किया था उसकी रेकॉर्डिंग ऑन की , जैसे -2 आवाज़
सुनाई देने लगी वाहा खड़े लोगो के होश उड़ गये , राणे खुद बहुत हैरान था ,

रेकॉर्डिंग सुनने के बाद

राणे: बहुत बढ़िया काम किए तुम , जाओ अपना काम चालू रखो , अगर और कुछ मिले
तो ले कर आना

हवलदार वाहा से बाहर हुआ

राणे: ये उसकी आवाज़ है ना ( राणे ने दूसरे डीटेक्टिव से पूछा)

जी सर ये वही है

डीटेक्टिव: सर अब तो सबकुछ आईने जैसा सॉफ हो गया हे , मेरे हिस्साब से आप
को अब आक्षन लेना चाहिए

राणे: पर हमका लागत हैं के एक कड़ी कही गुम है , कुछ समझ नही आ रहा

राणे: बाबूराम दीपक के केस की फाइल ले कर आओ

हवलदार फाइल ले कर आया

राणे ने फाइल ओपन करी , और उसको अपनी खोई हुई कड़ी मिल गयी

राणे फाइल खोलते ही , थोडा सोच मे पड़ गया , हवलदार को आवाज़ दी उसे कुछ
समझाया और वाहा से जाने को कहा

शाम हो चुकी थी राणे अब तक कफफी सबूत इकट्ठे कर चुका था , चंपा और चंदू अभी
तक थाने मे ही थे

और वो जासूस्स भी वही था जिसे हवलदार अपने साथ ले कर आया था,

थोड़ी देर ऐसे ही वक्त बीत जाने के बाद , राणे घर जाने के लिए निकला

जासूस: सर मुझे जाने दीजिए

राणे: अभी नही भैया , आज तुम यही रुकोगे , तुम्हारी ज़रूरत है हमे

हवलदार को जाने से पहले राणे

राणे: इन सब का खायल रखना , कल रात हमका ठीक से नींद नही आई हम घर जा रहे
है , और कोई खबर मिले तो हमका फोन कर देना

हवलदार: जी सर

राणे पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ गाड़ी मे बैठा , अपने घर के बाहर उतरा गाड़ी
आगे बढ़ गयी , राणे गेट के पहुचा ही था के किसी ने पीछे से हमला कर दिया

राणे की चीख निकल पड़ी

अगली सुबह जासूस ने फोन किया

कातिल: बोलो

जासूस: दीपक ने इनस्पेक्टर राणे का खून कर दिया वो अभी शिव मंदिर मे है ,
मेरी आँखों के सामने

कातिल : ठीक है तुमहरे पैसे तुम्हारे पास पहुच जाएँगे

उसने फोन कांटा


कुछ देर बाद कातिल ने किसी को फोन किया ,

कातिल : दीपक को ख़तम कर दिया , उसकी लाश यहा शिव मंदिर मे पड़ी हे, आकर
देख लो

फोन कांटा


....


मंदिर की सीढ़ियो से चढ़ता हुए उपर पहुचा , सामने नीचे दीपक की लाश पड़ी थी
, और मारने वाला सामने खड़ा था

(ज़ोर से हंसते हुए बोले) सब ख़तम हो गया अब सब कुछ हमारा है

पीछे से तालियो की आवाज़ आई , उसने मूड के देखा सामने इनस्पेक्टर राणे खड़ा
था

राणे: क्या बात है , मान गये आपको इंदु जी , एई हमार ज़िंदगी का सबसे
मजेदार केस था

इंदु घबरा गयी , चारो तरफ से पोलीस वाले निकल खड़े हुए जो च्छूपे हुए थे

राणे: दीपक बाबू खड़े हो जाइए

इंदु हैरानी से पीछे मूडी , दीपक नीचे से खड़ा हो रहा था,चंदू और चंपा उसके
पास आए

चंपा: ये कैसी मा है अपने ही पति बेटी को मार दिया और अब अपने बेटे को
मारना चाहती थी

राणे: नाहहिईीईई(ज़ोर से बोला) एई दीपक की मा नही एई सौतेली मा है,दीपक की
माता जी का देहांत हो चुका है

राणे: इंदु जी मज़ा आगेया , आज ज़िंदगी मे पहली बार राणे किसी के दिमाग़ की
दाद देगा , अगर आप पोलीस मे होती ना तो राणे आपको सल्यूट मारता

इंदु अपना सिर नीचे झुकाए खड़ी थी , कुछ बोल नही रही थी

राणे: इंदु जी आप शायद भूल गयी हम आप से आपके घर आके बोले थे " ये जो चोर
है बहुत चालू है" और आपने हमे बोला था के " क्या आप उसे ढूंड नही पाएँगे"
उस वक्त आप हमारा मतलब नही समझी थी ,पर हम उसी वक्त आप पर नज़रे डाल दिए थे


राणे: अब सब कुछ बता दीजिए काहे किए ये सब कुछ वरना हम लेडी पोलीस भी साथ
मे लाए है उषा जी

उषा जी पीछे से आगे सामने की तरफ आई , और ज़ोर से थप्पड़ मारा इंदु के मुँह
पर

इंदु: (रोते हुए बोली) सब कुछ बताती हू

इंदु : सब कुछ राज के पैसो के लिए किया था

दीपक: पैसा ही सब कुछ था , अगर डॅड से पैसे माँग लेती तो वो क्या मना करते
(गुस्से मे बोला)

इंदु: मैं राज के ऑफीस मे काम करती थी, दीपक की मा के देहांत के बाद , राज
से मेने नज़दीकिया बढ़ा ली, मुझे उसका पैसा चाहिए था और वो मुझसे प्यार
करने लगा था

इंदु::कुछ वक्त बाद हमने शादी कर ली , राज की पहली बीवी (शीला) और उसकी
बेहन वीना दोनो उस कंपनी की माल्लिक थी जहा मे नौकरी करती थी , शादी के बाद
मुझे पता चला के सारी जायदाद दीपक के नाम कर दी गयी थी बस उसके बालिग होने
की देर थी

मुझे ये पता चला के , वीना मा नही बन सकती और उसने भी अपनी सारी जायदाद
दीपक के नाम ही कर दी थी वो और मयूर दीपक से बहुत प्यार करते थे

मेने सिर्फ़ पैसे के लिए राज से शादी की थी , पर वो पैसा मुझे मिल नही पाया
, 19 साल इंतेज़ार किया पर कोई फ़ायदा नही हुआ (रोते हुए बोली)

राणे: अपने पति और बेटी का खून क्यू किए

इंदु: एक दिन राज ने मुझे बताया कि , हम लोग अब अमेरिका जाने वाले है ,
उसने मुझे ये भी बताया की हम यहा कभी लौट के नही आएँगे और सारी कंपनीज़
वीना और मयूर के नाम कर देंगे, राज को पैसे से प्यार नही था अपनी कंपनी मे
ही नौकरो की तरहा काम करता था


बस उसी वक्त मेने राज को मारने की सोच ली थी

राणे: दीपक को काहे नही मारे

इंदु: उसके बालिग होने मे एक महीना बाकी था और अगर उसकी मौत

इंदु: और अगर उसकी मौत हो जाती तो सारा पैसा वीना का हो जाता , मेने अपने
भाई सुनील को जैल से बाहर निकलवाया

राणे: इसके उपर तो और भी केस है , एक केस की ज़मानत तो राज साहेब ने ही दी
थी

इंदु: जी हां मेरी शादी होने के बाद ये खून के केस मे पकड़ा गया और राज ने
ही इसकी बैल कराई थी

राणे: अपनी बेटी और पति को मारे केसे


इंदु: मेने और सुनील ने मिल के ये प्लान बनाया , उस दिन मे घर से सब्जी
लेने के लिए निकली , घर मे दीपक, निशा थे और राज थोड़ी देर मे आने वाले थे ,
सुनील ने एक चोर से घर का लॉक खोल वाया , ताकि किसी को ये शक ना हो के
बाहर से किसी ने आकर खून किया है , सब यही सोचे ये काम दीपक ने किया है ,
मेने दीपक को दूध दिया था घर से निकलने से पहले उसमे ड्रग्स की 4 टॅब्लेट्स
मिला दी जो सुनील ने मुझे ला कर दी थी


राज और निशा का खून करने के बाद , सुनील और उसके साथी ने दीपक के हाथो के
निशान चाकू और निशा के गले पर दिए और वाहा से निकल गये


राणे: घर मे चोरी केसे हुई

इंदु: कोई चोरी नही हुए थी , मेने ही अलमारी का लॉक तोड़ा था

इंदु: सुनील मुझसे पैसो की डिमॅंड करने लगा था, मुझे धमका रहा था, मेने
अलमारी का लॉक खुद ही तोडा मे जानती थी के सुनील का मूह कैसे बंद करना है ,
इसलिए मेने घर से चोरी की और झूठी रिपोर्ट की

राणे: झूठी रिपोर्ट ही नही , आपने तो अपने बेटे पर नज़र भी रखवाई इंदु:

हां दीपक जैल से भाग चुका था, हमने पहले ये सोचा था के दीपक के जैल जाने

के बाद उसे जैल मे ही मरवा देंगे पर दीपक पहले ही जैल से भाग निकला , अगर

उसके बालिग होने से पहले उसे मार देते तो सारा पैसा वीना का हो जाता , एक

दिन उस जासूस ने दीपक की खबर दी , सुनील और उसका साथी उसे मारने गये पर

गोली लगने के बाद भी दीपक बच गया राणे: का दिमाग़ पाए हो , अब चलो पोलीस

थाने , बहुत दिन से खातिरदारी नही किए किसी की पोलीस वाले , इंदु , सुनील

और उसके साथी को लेकर वाहा से चले गये राणे: दीपक बाबू हमारी भी ग़लती है

, अगर हम पहले ही ठीक से काम करते , तो तुहार को ये सब नही झेलना पड़ता

दीपक: सर कौन सच्चा कौन झूठा ये पता करना मुश्किल होता है दोस्तो कैसी

लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा समाप्त दा एंड.

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