कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet

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007
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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:38

चंपा: चल अब तू जा ,नही तो तेरे मा सुबह मेरी जान खा जाएगी ,और सुन इस सब
के बारे मे किसी को मत बोलना ठीक है

लड़का गर्देन हां मे हिलाते हुए खोली से बाहर निकला ,चंपा ने खोली बंद की
और दीपक के पास आकर बैठी, दवाई की एक बोतल खोली चमच मे लेकर दीपक के मूह मे
डाल दी ,रात के 3:00 बज रहे थे

थोड़ी देर पट्टी करने के बाद चंपा भी ज़मीन पर ही सो गयी

सुबा 7:00 बजे दरवाज़े पर दूध वाले ने दस्तक दी तो चंपा की आँख खुली , दूध
लेने के बाद चंपा ने फिर दीपक की छाती पर कान लगाया धड़कन चल रही थी उसके
माथे पर हाथ लाया अभी भी बुखार था पर पहले से कम.

चंपा खोली से बाहर आई अपने सामने वाली खोली मे गयी ,सामने वाली खोली मे
उसकी तरहा ही लोगो के घरो मे काम करने वाली लड़की रहती थी जो चंपा की अछी
सहेली थी

चंपा ने उसे बोला के आज उसकी तबीयत ठीक नही है ,आज उसके घरो का काम वो कर
ले ये बात बोल कर चंपा वापस आई और घर का काम करने लगी.

...

पोलीस थाने मे राणे कुर्सी पर बैठा किसी का इंतेज़ार कर रहा था थोड़ी देर
बाद वो आदमी आया

प्राइवेट डिटेक्टिव: जै हिंद सर

राणे: आओ यार तुम्हारा फोन जब से आया है ,तुम्हारी राह देख रहा हू. क्या
लाए हो मेरे लिए

डिटेक्टिव ने दो काग़ज़ और कुछ फोटोस राणे को दिए

राणे: का बात यार तुम तो बहुत तेज हो यार का खाते हो , एक फाइल टेबल से
निकाली अरे ज़रा एई के बारे मे भी पता करो .

राणे: हम को एई का पूरा जनम कुंडली चाहिए ,जब से एई पैदा हुए है .

डिटेक्टिव: सर काम हो जाएगा .

राणे: बाबू राम अरे भाई यहा प्राइवेट बात हो रही है तुम लोग ज़रा बाहर जाओ.

सारे हवलदार पोलीस स्टेशन के बाहर आ कर खड़े हो गये.

राणे ने अपनी जेब से 5000रुपये निकाले और उस डिटेक्टिव को दिए .

डीटेक्टिव: अरे नही सर ,आप से कभी नही
राणे: अरे भैया तुम का सोचत हो एई हम किस लिए दे रहे है ,हम का तुम को
रिश्वत दे रहे है ,हम जानते है जिस लाइन मे तुम हो उहा पैसा खर्च होता है
एई तुम्हारे काम का इनाम है .

डिटेक्टिव: नही सर आप के नीचे ट्रैनिंग ली है ,आप से नही ले पाउन्गा ,सब
कुछ आपका ही सिखाया हुआ है.

राणे: अरे भाई एई हम नही दे रहे समझे ,एई तुहार काम का पैसा है ,रख लो

डिटेक्टिव ने राणे के हाथ से पैसे लिए और अपनी जेब मे डाल लिए.

डिटेक्टिव: सर आज तक आपको ऐसे किसी केस के लिए बेचैन होते नही देखा.

राणे : अरे भैया एई केस ने तो जान आफ़त मे डाल रखी है साला एक महीने मे
हमारे इलाक़े मे 4खून हो गये यार साला हमारा डैमोशन होने का चान्सस है .

डेटेटिव: सर आपको क्या लगता है जो आप सोच रहे है ,क्या वो सही है.

राणे: अरे यार हम का सोचत एई तो हम को भी नही पता ,साला कमिशनर बार बार फोन
कर के परेशान कर रहा है.

डीटेक्टिव: सर क्या ये केस उल्टा नही है

राणे: अरे केस उल्टा नही है ,हम पहले उल्टा सोचे अब उल्टे को सीधा करने का
टाइम है भाई

डीटेक्टिव: ओके सर मे चलता हू आप का काम जल्दी कर के आप को कॉल कर दूँगा.

राणे: सुनो पूरा जनम कुंडली चाहिए ,समझे एक भी पन्ना बाकी ना रह पाए नही तो
हमार डैमोशन और ट्रान्स्फर पक्का समझे का.

डीटेक्टिव: ओके सर समझ गया पूरी हिस्टरी दूँगा.

राणे: ओर जाते -2 ऊ बाहर चाइ वाले को चाइ बोल देना ससुरा का पता कल को
डैमोशन के बाद चाइ भी ना मिले.

डीटेक्टिव पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ,सारे हवलदार अंदर आगाए,

राणे: बाबू राम का करत हो भैया .

हवलदार: कुछ नही सर.

राणे: अरे तो कुछ करो ना ,ज़रा देखो उओ फोरेन्सिक रिपोर्ट का क्या हुआ जो
उस घर मा चोरी हुआ था.

हवलदार थोड़ी देर बाद हाथ मे फोरेन्सिक रिपोर्ट ले कर पोलीस स्टेशन मे
घुसा,राणे के हाथ मे रिपोर्ट दी

राणे ने रिपोर्ट हाथ मे ली और पन्ने पलट ने लगा .

राणे: बाबू राम तुम एक ही बार दो ग़लती किए हो का.

हवलदार: हां सर किया हू.

राणे: का किए हो भाई.

हवलदार: सर मेने दो शादिया की है.

राणे: ह्म्*म्म. बाबू राम तुम पोलीस मे का कर रहे हो.

हवलदार: देश की सेवा सर.

राणे: बाबू राम एई सेवा नही मेवा है ,तीसरी भी कर लो ,तुहार और भला हो जाए
समझे का ,चलो अब निकालो गाड़ी थोड़ा घूम के आते हैं.

राणे गाड़ी मे बैठ कर सीधा दीपक के घर के बाहर रुका ,दरवाज़े की बेल
बजाई,इंदु ने दरवाज़ा खोला.

राणे: जिस रूम मे चोरी हुआ है ,उसका एक बार और छान बीन करना है हमे .

ये सुनते ही इंदु दरवाज़े से हटी राणे सीडिया चढ़ते हुए उपर कमरे मे पहुचा
सामने अलमारी के पास गया पूरे कमरे मे नज़र घुमाई,इधर उधर घूमने लगा नीचे
बेड के पास उसे कुछ गिरा नज़र आया,जो कुछ भी था राणे ने झट से उस चीज़ को
उठाया और अपनी जेब मे डाल लिया.

राणे ने बाहर खड़ी इंदु को आवाज़ दी) इंदु जी ज़रा एई अलमारी का दरवाज़ा तो
खोलिए हम चोर नही है.

ये सुनते ही इंदु ने चाबी लगा कर दरवाज़ा खोला
राणे ने पूरी अलमारी को गौर से देखा कोई निशान नही था , अलमारी मे कुछ फोटो
आलबम्स पड़ी थी.

राणे: इंदु जी चाइ पीला दीजिए बहुत दिन हुए आछे दूध का चाइ पिए.

इंदु नीचे किचन की तरफ हुई राणे ने आल्बम उठाई और देखने लगा ,सब घर के लोगो
की पिक्चर्स थी ,सब आल्बम देखने के बाद राणे नीचे आया ,उसके चेहरे पर कुछ
ऐसा भाव था के जैसे उसे कुछ समझ नही आया.

राणे: इंदु जी आप के घर मा कोई नौकरानी नही है का इतना बड़ा घर है

इंदु: है पर आज उसकी तबीयत ठीक नही है,वो नही आई ,दूसरी आई थी वो काम करके
जा चुकी है

राणे: आप का एई जो केस है ना वो बहुत उलझा हुआ है ,हमारा तो नौकरी पे बन
आया है

इंदु: आप क्या कहना चाहते है.

राणे: कुछ नही बस, एई जो चोर था बहुत चालू था.

इंदु: मतलब आप उसको पकड़ नही पाएँगे.

राणे: कुछ कह नही सकते ,आप चाइ बहुत आछा बनाते हो हम चलते है अगर आपका
ज़रूरत हुआ तो आप को थाने आना पड़ेगा.

इंदु: हां आप मुझे बुला लीजिएगा जब आप चाहे.

राणे उठा और दरवाज़े की तरफ को हुआ गाड़ी मे बैठा और थाने की तरफ हुआ
चंपा अपने घर का काम कर रही थी ,दीपक की हल्की सी आवाज़ हुई ,चंपा भागते
हुए उसके पास गयी

चंपा: आप लेटे रहो उठो मत

दीपक ने कुछ बोलने की कोशिश की पर उसके मूह से बॅस थुक्क निकली वो बोल नही
पा रहा था साँस लेते हुए भी उसे दर्द हो रहा था

चंपा समझ रही थी के दीपक को बहुत दर्द हो रहा था . वाहा से उठी और रसोई की
तरफ गयी ,एक प्लेट मे दलिया ले कर आई ,दीपक को खिलाने लगी ,दीपक जब मूह
खोलता या दलिया खाने की कोशिश करता दर्द की आहें निकल जाती,खाना ख़तम होने
के बाद ,चंपा ने दीपक को दवाई पिलाई

चंपा: उपर वाला भी चाहता है के आप उन लोगो को सज़ा दे , रात को आप की हालत
मुझ से देखी नही जा रही थी ,अगर मा जी पता चला तो

दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ लिया और ना मे सिर हिलाया

चंपा: मैं नही बताउन्गी आप चिंता ना करे

दीपक ने सिर हिलाया और चंपा को अपने पास बुलाया चंपा अपना कान दीपक के पास
ले कर गयी

दीपक: मुझे या हा से निकालो पुलिस आ सक्त्ति है

चंपा: साहेब जी यहा कोई नही आएगा आप चिंता ना करे .दीपक ने फिर इशारा करके
चंपा को समझाया उसका यहा रहना ख़तरे से खाली नही है , चंपा भी ये समझती थी
,दरवाज़े पे दस्तक हुई चंदू अंदर आया

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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:39

चंपा: साहेब जी ये ही आपको यहा ले कर आया था ,इस की वजा से आप का इलाज टाइम
से हो सका.ये वही है जिसने मदन के आने की खबर दी थी

दीपक ये सुन रहा था पर कुछ बोल नही पा रहा था ,आँखों से आँसू निकल पड़े
दर्द की वजा से

चंपा: चंदू कोई ऐसी जगह है जहा साहेब जी को बिना कोई ख़तरे के रखा जा सके

चंदू: पता करना पड़ेगा ,अभी तो कोई ऐसे जगह खाली नही है ,मे अब चलता हू
तुझे ये बोलने आया था के पानी की बाल्टी मेरे घर पे है वही से ले लियो

चंपा: ठीक है तू जा मे ले आउन्गि ,और कोई जगह का पता कर लेना

ये बात सुनते ही चंदू खोली से बाहर हो गया

चंपा दीपक के पास आई दवाई की थेलि मे से दूसरी दवाई निकाली और चमच मे लेकर
दीपक के मूह मे डाली ,दीपक थोड़ी देर बाद नींद मे था ,चंपा अपने घर के कामो
मे लग गयी

थोड़ी देर बादचांपा की सहेली जो उसकी जगह काम करने गयी थी उसको मिलने आई

सोनी: आरी ओ चंपा कहा है(आवाज़ लगाते अंदर आई)

अंदर सामने बेड पे किसी मर्द को सोया देख सोनी वही रुक गयी

चंपा: अरे कौन है (ये बोलते हुए चंपा किचन से बाहर आई) अरे तू आ अंदर आ

सोनी ने आँखों से इशारा दीपक की तरफ किया

चंपा: मेरे दूर के रिश्तेदार है यहा इलाज करने आए ,तबीयत ठीक नही है तू
अंदर तो आ ,मेरे साथ ज़रा रसोई का काम करा दे

दोनो रसोई की तरफ हुई

सोनी: तुझे एक बात बतानी है

चंपा: हां बोल

सोनी: वो तेरी मल्लकिन है ना बड़े घर वा
ली

चंपा: वो बंगले वाली

सोनी: अरे हां वही,आज जब उसके घर गयी तो घर मे पड़ोसी थे सारे

चंपा: क्यू,क्या हुआ?

सोनी: चोरी

चंपा: क्या?

सोनी: अरे हां री कोई कल घर मे घुसा और अलमारी मे से समान चोरी कर गया

चंपा: क्या चोरी हुआ

सोनी: मुझे पता नही जब मे काम ख़तम करके घर से निकली तब भी पड़ोसी वही थे
इसलिए पता नही कर पाई,पर सब वाहा बात कर रहे थे तो मेरे कान बस यही सुन पाए
के कोई घर से हीरे ले उड़ा

चंपा: क्या ,हीरे?

सोनी: तेरी मालकिन तो मालदार है ,उसे कौन सा फ़र्क पड़े है

चंपा: अरे पगली चोरी बड़े घर मे हो या छोटे घर मे नुकसान तो नुकसान होते है

सोनी: ये बड़े लोगो के पास बहुत पैसा होता है इन्हे कुछ फ़र्क नही पड़ता
समझी ,सागर मे से दो बाल्टी पानी निकाल लिया तो कौन सा सागर खाली हो गया

सोनी: अगर ये मेरी मालकिन होती ना ,और मुझे पता होता के घर मे इतना माल है
,तो मैं खुद ही माल सॉफ कर देती

ये बात सुनते ही दोनो हस पड़े

चंपा: एक काम कर चंदू की खोली मे पानी की बाल्टी पड़ी है जा ज़रा उठा के
देती जा मुझे

सोनी वाहा से खड़ी हुई ,दरवाज़े के पास पहुच कर दीपक की तरफ देखा और फिर
बाहर हो गयी

चंपा दीपक के पास आई ,उसको हल्का सा हिलाया

चंपा: साहेब जी उठिए ,साहेब जी

दीपक ने अपनी आँखें खोली और चंपा की तरफ देखा

चंपा: साहेब जी बहुत देर हो गयी है आपने कुछ खाया भी नही है,आँखें खोल
लीजिए मे खिला देती हू

दीपक ने अपनी आँखें झपका कर हामी भरी

चंपा किचन से दलिया ले कर आई, उसको खिलाने लगी.बाहर से आवाज़ हुई

सोनी: ओ चंपा ले बाल्टी उठा ले मे जा रही हू

दुपहेर के 4बज रहे थे राणे पोलीस थाने मे बैठा मज़े से चाइ की चुस्की के
मज़े ले रहा था, फोन की घंटी बजी,फोन पर किसी ने खबर दी के गोली बारी हो
रही है.

राणे फटाफट हथ्यार बाँध पोलीस वालो के साथ मौके वारदात की तरफ पहुचा.

सामने शीशे बिखरे पड़े थे,पता चल रहा था कि घोड़े दौड़े है यहा, सामने खड़ी
गाड़ी पे गोलियो के बहुत सारे निशान थे.

राणे: पता करो क्या हुआ है.

हवलदार फटाफट आस पास के लोगो से पता करने लगे, दो लोग हवलदार के साथ राणे
के पास आए.

राणे: कौन कबड्डी खेला इधर.

बार मॅनेजर: पता नही सर ,हमारे साहेब की गाड़ी बार के आगे यहा पर आके रुकी
दो लोग मोटरसाइकल पे आए और ताबाद तोड़ गोली बारी गाड़ी पर की और भाग गये.

राणे: तेरे साहब की लाश कहा है.

बार मॅनेजर: सर वो ज़िंदा हैं ,अंदर बैठे हैं.

राणे: अरे एई का बात कम से कम 20 राउंड फाइयर हुआ है ,एक गोली भी नही लगा
साला गोली चलाने वाला कौन ससुरा था.

मॅनेजर: सर ये गाड़ी बुलेट प्रूफ है,हमारे साहब बहुत बड़े आदमी हैं ये बार
भी उनका ही है.

राणे बार के अंदर को हुआ

सामने कुर्सी पर बैठा आदमी फोन पर बात कर रहा था,राणे को सामने पोलीस की
ड्रेस मे खड़ा देख उसने अपना फोन कांटा और खड़ा हुआ

राणे ने हाथ आगे बढ़ाया और अपना इंट्रोडक्षन दिया , उस आदमी ने हाथ मिलाया
और अपना नाम सत्या बताया

राणे: ये बार आपका है

सत्या: जी मेरा है

राणे: कौन किया

सत्या: क्या?

राणे: आप पर हमला,आपका कोई दुश्मन होगा जो इतना गोली बर्बाद किया.

सत्या: नही,मेरी किसी से दुश्मनी नही है,मैं अपने दुश्मनो को भी दोस्त बना
लेता हू.

राणे: "गजब बात करी" हम याद रखेंगे, किसी पे शक

सत्या: मे बोला तो सही आपको जब मेरा कोई दुश्मन ही नही तो शक किस पर

राणे: अंडरवर्ल्ड से कोई धमकी तो नही मिली आपको

सत्या: देखिए सर अगर ऐसा होता तो पहले मे आपके पास आता

राणे: ह्म्म्म, चलिए जैसी आपकी मर्ज़ी जान आपकी है ,पर हां अगर आपको कुछ
हुआ तो हम नही मिल पाएँगे आपको.

सत्या: ऐसा क्यू?

राणे: अरे अगर आपको कुछ हुए तो हमार ट्रांसफर पक्के है ,पहले ही 4 खून का
कातिल गायब है ,और हुए तो कमिशनर सीधा ट्रेन हमारे घर भेजेंगे समझे आप
सत्या: देखिए सर ,मुझे अपनी जान प्यारी है मेरे छोटे बच्चे है ,अगर मुझे
ऐसा लगता के मेरी जान को ख़तरा है तो मैं खुद आपके पास आता

राणे: ठीक है आप की बात मे मान लेता हू ,पर जब आपका कोई दुश्मन नही फिर आप
बुलेट प्रूफ गाड़ी मे काहे घूमते हैं

सत्या: देखिए सर वो गाड़ी मुझे यहा के म.एल.ए कृष्णा जी ने दी थी उपहार मे
वो मेरे बड़े करीबी दोस्त है,आप चाहे तो मे आपकी उन से बात करा देता हू

राणे को लगा के ये सच बोल रहा है, हवलदार को इशारा करके अपने पास बुलाया

राणे: सत्या जी आप एफ.आइ.आर लिखवा दीजिए बाकी हमारा काम है

सत्या ने रिपोर्ट लिखवाई ,थोड़ी देर बाद राणे बार से बाहर को आया गाड़ी की
तरफ को हुआ ,बार की तरफ नज़र डाली वाहा उपर बार का नाम अप्सरा लिखा हुआ था
,गाड़ी सीधा पोलीस स्टेशन की तरफ हुई

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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:39

चंपा पानी की बाल्टी अंदर ले कर आई किचन मे रखी,दीपक ने चंपा को अपने पास
बुलाया

चंपा: कुछ चाहिए साहेब जी

दीपक: मा कैसी है

चंपा: अछी है साहेब जी,सब ठीक है आप चिंता ना करे

चंपा ने दीपक को घर मे हुई चोरी के बारे मे नही बताया
थोड़ी देर बाद चंदू खोली मे आया

चंदू: एक जगह खाली है ,यही पास मे है ,जो उसमे रहता था वो आज दुपहेर को
गाओं चला गया,पर अपना समान ले कर नही गया,तू बोले तो इसको वही ले चले

चंपा ने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने अपनी आँखें झपका के हामी भरी

चंपा: थोड़ी देर रुक जा ,अंधेरा होने दे फिर ले कर चलेंगे

चंदू: ठीक है मे रात को आउन्गा ,अभी मे चलता हू

चंपा: एक काम और कर ,वो सोनी के पति का रिक्शा ले कर आना साहेब जी को ले कर
जाने के लिए

चंदू: ठीक है

ये बोल के चंदू खोली से बाहर हुआ ,चंपा रात के खाना बनाने मे लग गयी

.....

मिस्टर.मयूर और उनकी बीवी वीना दोनो इंदु के पास बैठे थे ,इंदु की आँखों से
आँसू नही रुक रहे थे ,दोनो घर मे हुई चोरी के खबर सुन के आए थे.

मयूर: भाभी चोर अंदर आया कैसे.

इंदु: पता नही भाई साहब कोई लॉक भी टूटा नही था , और ना ही अलमारी को कोई
नुकसान हुआ था

मयूर: आपके घर की नौकरानी ही होगी , ऐसा काम तो वो बड़ी आसानी से कर सकती
है

इंदु: नही भाई साहब वो क्या करेगी ,हमारे घर

इंदु: हमारे घर मे ही पली बढ़ी है ,उसकी मा भी यही काम करती थी

वीना: हां मे जानती हू उन्हे वो ऐसा नही कर सकती,मेने देखा है उसे इस घर की
सेवा करते हुए उसकी मा भी यही काम करती थी ,राज ने ही उसकी मा के ऑपरेशन
के पैसे दिए थे

मयूर: तो फिर कौन होगा, चुप चाप आया और चोरी कर के चला गया

इंदु: लगता है मेने ही बहुत पाप किए है ,पहले राज और निशा चले गये और अब ये
हो गया ,अगर उस दिन राज की जगह मे होती तो अछा होता( ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी)

वीना उठ के इंदु के पास आई

वीना: आप तो मेरी दीदी है ,अपनी छोटी बेहन के लिए मत रोइए ,अगर आप हिमत हार
गयी तो दीपक का क्या होगा ये तो सोचिए ,

ये बात सुन के इंदु ने अपने आप को संभाला.

वीना: दीदी मुझे पता है दीपक जैल से भाग चुका है ,और मैं ये कभी नही मान
सकती के एक बेटा अपने बाप और बेहन को मार सकता है,और वो बेटा जो उन्हे इतना
प्यार करता था

मयूर: आप दीपक से दुबारा मिली थी

इंदु: नही मिल पाई ,पोलीस हर वक्त घर के बाहर रहती हे ,अगर कही बाहर भी
जाती हू तो पीछा करते हैं,कैसे मिलती

दोनो थोड़ी देर वाहा रुके और फिर जाने के लिए उठे.

वीना: दीदी अगर आपको दीपक की कोई भी खबर मिले हमे बता दीजिएगा

इंदु: बता दूँगी

दोनो दरवाज़े की तरफ हुए और गाड़ी मे बैठ के वाहा से चले गये

बाहर खड़े पोलीस वाले ने गाड़ी का नंबर नोट कर लिया

......

चंपा काफ़ी देर से चंदू का इंतेज़ार कर रही थी , सामने घड़ी पर नज़र डाली
रात के 11:00 बज रहे थे,चंपा सोच रही थी के चंदू अभी तक आया क्यू नही
,दरवाज़े पर दस्तक हुई ,चंपा ने दरवाज़ा खोला सामने चंदू खड़ा था

चमाप: कहाँ था तू ,कितनी देर से मे तेरी राह देख रही हू ,तेरी मा से भी
पूछा पर तू घर पे कुछ बोल के नही गया

चंदू: अरे अपने दोस्तो के साथ था ,उन्होने आने नही दिया और जब सोनी के घर
पहुचा उसका पति नही था रिक्शे की चाबी उसके पास थी

चंपा: कमरे की चाबी लाया

चंदू: हां मेरी मा लाया हू ,जिस काम के लिए गया था वो तो करना था ,तू क्या
मुझे पागल समझती है

चंपा: चल आ अंदर आ ,खाना खाया तूने

चंदू: हां खा लिया ,चल अब इसे यहा से लेकर चले

दोनो ने दीपक को मिल के उठाया और बाहर रिक्शे मे डाल दिया

चंपा: तू चला मे इन्हे पकड़ के रखती हू ,आराम से चलना

थोड़ी देर बाद वो लोग उस कमरे के बाहर थे , दीपक को होश था ,उसको अब पहले
से अछा लग रहा था शाम को उसने खाना भी ठीक से खाया था

चंपा: यही है क्या

चंदू: हां चल उठाने मे मदद कर
चंपा: रुक जा पहले दरवाज़ा खोल दे

चंदू ने दरवाज़ा खोला और दोनो दीपक को खोली के अंदर ले गये ,सामने बिस्तर
पर दीपक को लिटा दिया

चंपा: चंदू ये खोली तो अपनी खोली से बड़ी है ,किसकी है ये

चंदू: ये अपने दोस्त के मालिक की है ,उनके वही काम करता है उन्होने ही उसकी
ईमानदारी का इनाम दिया उसे

चंपा: एक काम कर मेरी खोली मे जा ,वाहा बिस्तर के पास दवाइयाँ और मेरा समान
पड़ा है जा ले कर आ

चंदू: तू यही रुकेगी

चंपा: हां ख़याल तो रखना पड़ेगा कुछ दिन ,एक काम कर ये ले चाबी जब समान ले
कर आना खोली को ताला मार देना ध्यान से जा अब और जल्दी आना

चंदू खोली से बाहर हुआ

चंपा दीपक के पास गयी

चंपा: साहेब जी अब ये जगह ठीक है



दीपक ने अपनी आँखें झपकाते हुए हामी भरी

दीपक: मे तुम्हे त क्लिफ दे रहा हू ,इतना तो कोई किसी के लिए नही करता चंपा
जो तुमने मेरे लिए किया है

चंपा: साहेब जी आप ऐसा ना बोले , मैं छोटे घर की हू आप की सेवा करना मेरा
धर्म है

दीपक: चंपा जो तुमने किया है ,शायद ही मेरे लिए कोई करता , मेरे पास आओ

चंपा दीपक के पास गयी ,दीपक ने चंपा के चेहरे को पकड़ा और माथे को चूम लिया

चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,और हैरानी भी

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