अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

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The Romantic
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Re: अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:24



अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता --06

संगीता ने अब ज़्यादा नाटक करना मुनासिब नही समझा.अफ़रोज़ का लंड सहलाते उससे प्यार से चूमते उसने लंड मूह मई डालते चूसना शुरू किया.कभी पूरा लंड मूह मई लेक चूस्ते फिर उससे बाहर निकलके झेब से पूरा चाटने लगी वो.अफ़रोज़ प्यार से उसके बालो से हाथ फेरते अपना लंड चुस्वके लाने लगा था****से संगीता को दिखना था की जब वो अफ़रोज़ के साथ होगी तो सिर्फ़ अफ़रोज़ की ही बात फाइनल होगी,उससे कोई बहस नही चाहाए थी इसलिए उसने संगीता से आइसा बर्ताव किया था.अपना लंड और गोतिया संगीता से अकचे से चुसवाने के बाद अफ़रोज़ ने उससे बेड पे सुलके उसकी जंघे खोलते उसमे बैठ गया****के सामने संगीता बिल्कुल नंगी लेती थी****के गोरा नंगा सिने पे खड़े दोनो मम्मो को एक हाथ से मसालते दूसरे हाथ से उसकी झतो भारी चूत सहलाते अफ़रोज़ बोला,"मया कसम, संगीता,तेरी जैसे जवानी से भारी लड़की नही देखी कभी.तुझे चोद्के मई अपनी तक़दीर पे खुश हो जायूंगा की उसने इतनी मस्त लड़की को मारे नीचे सुलने का मौका दिया." संगीता भी अपनी जवानी अफ़रोज़ के हाथो लुटवने तय्यार थी. उठके बैठते अफोर्ज़ का मूह अपने सिने पे दबाते और उसकी पीठ सहलाते संगीता बोली, "अफ़रोज़ राजा,मई भी अपनी किस्मत पे खुश हून की उसने तुझे मेरी ज़िंदगी मई लाया.अब मई भी तुझसे सब कुछ करवके लाने तय्यार हून.इतने दीनो तारे हाथ से गर्म होके घर जाती थी और उंगली डालके शती करके लेती थी पर आज असली लंड से चुड़वा के लूँगी तुझसे."संगीता की इस अदा पे खुश होके अफ़रोज़ ने उससे चूम लिया.अफ़रोज़ देखता है की संगीता अब एकद्ूम गर्म थी.संगीता को सुलके उसकी टाँगे फैलते अफ़रोज़ ने अपना लंड उसकी चूत के सामने रखा.संगीता के हूथो पे अपने हूथ रखते उससे किस करने लगा हू.एक हाथ से उसके माममे दबाते अफ़रोज़ ने एकद्ूम से लंड एक झटके के साथ लंड चूत पे दबाते अपना आधा लंड उसकी चूत मई डालते बोला, "साली अब देख इतने दीनो की भादस कैसे निकलता हून.अब तू मेरी रांड़ बान ही गयी,आजसे तू मेरी रांड़ है, इस लंड की रांड़ है.आज उंगली की जगह मेरा लंड लेगा और तुझे चोद्के पूरी खुशी देगा.तय्यार हो जेया मेरी जान पहली बार अपनी चूत चुड़वाके लड़की से औरत बनने."अचानक आधा लंड चूत मई घुसने से संगीता का सील टूट जाता है और वो ज़ोर्से चिल्लती है पर इसका कोई असर अफ़रोज़ पे नही होता****के नीचे संगीता चटपटती है और अफ़रोज़ को अपने बदन से हटा दाने की नाकाम कोशिश करते रोते चिल्लाते बोली,"न्‍न्न्नाआआअहहिईीईई माआआआआआअ मैईईईईई माआआररररर गइई,हहाआअराअंम्मिईिइ साअलीए धूओक्ककककक्क्ीएबब्बाआआज़्ज़्ज़्ज़्ज़,प्लीज़,भगवान के लिए मुझे जाने दो आइसा मत करो,मार मारी जेया रही हून दर्द से,निकालो अपना लंड अफ़रोज़.प्लीज़ मुझे जाने दो,मुझे नही चुड़वाना तुमसे."अफ़रोज़ संगीता के बॉल पकड़के खिचते बोला,"हरामज़ादी कुतिया साली रंडी.तू बनी ही इसलिए है की मुझ जैसे मर्द की रांड़ बने.अब तू क्या नही,तेरी मा भी चूड़ेगी मुझे मदरचोड़." अफ़रोज़ एक और धक्का देते अपना पूरा लंड संगीता की चूत मई घुसा देता है.फिर बेरहमी से अपना लंड अंदर बाहर करते वो बोला,"साली अब जहा जाना है जेया,मई तो तुझे अcचे से चोद्के लूँगा और फिर जाने दूँगा." एक हाथ से एक मम्मा ज़ोर्से मसालते दूसरे हाथ से संगीता के बॉल खिचते अफ़रोज़ दूसरे माममे को चूस्ते,काटते बोला,"साली आजसे तू मेरे लंड की गुलाम है,मई तुझे कुतिया बनके चोदुन्गा,सबके सामने रोड पे चोदुन्गा मई तुझे.अब तेरी यह जिस्म पे सिर्फ़ मेरा ही हक है समझी?" कुछ टाइम के लिए कोई कुछ नही बोला.संगीता दर्द से करहा रही थी और अफ़रोज़ बेरहमी से उसको चोद रहा था.सिर्फ़ करहाने और चुदाई की आवाज़ आ रही थी. संगीता समझी की अफ़रोज़ उसकी कोई बात नही सुनेगा इसलिए उसने अपने टांगे और फैलाई जिससे अफ़रोज़ का लंड बिना ज़्यादा दर्द दिए उसकी चूत मई जेया सके.अब अफ़रोज़ के धक्के पे वो करहाने के साथ-साथ हल्के से मोन भी करने लगी.जब उससे भी लंड का मज़ा आने लगा तब संगीता ने अफ़रोज़ को जंगो मई टाइट पकड़ते अपने गाड़ उठाके चूत उसके लंड से सटके रखते बोली,"आआहह, उूउउफफफफ्फ़ सालीए चोद्द्द मुझे और चोद्द्द,मारे रजाअ आइसे ही चोद्ते चोद्ते मुझे अपनी रांड़ बना,मई तेरी रखैल बनना ही चाहती थी और आज मौका मिला तेरी रांड़ बनने का.हन अफ़रोज़ मई तारे लंड की रॅंड हून, तेरा आइटम हून,तेरी प्रॉपर्टी हून जो करना है कर मुझसे.तू कहेगा तो मई रोड पे भी छुड़ा के लूँगी तुझसे राजा जो इतना मस्त लंड मिलेगा तो मई कुछ भी करने तय्यार रहूंगी तारे लिए,यह बदन अब तेरी अमानत है,जैसा चाहे वैसे इस्तामाल कर मुझे."अब मस्ती से संगीता को छोड़ते अफ़रोज़ बोला,"कुटिया,बहुत नाटक किए तूने,अब बोल की की तू ही हमेशा मुझसे चुड़वके लेगी ना?जो मई कहूँगा वो मानेगी ना हरामी?" संगीता लंड पे अपनी चूत रगड़ते बोली,"हन अफ़रोज़,मेरा बदन तारे जैसे मस्त मर्द के लिए है,तू मेरा मलिक है और मई तेरी रांड़. अफ़रोज़ आजसे तेरा लंड ही मारे लिए सब कुछ है." अफ़रोज़ संगीता के जवाब पे खुश होके और मस्ती से उससे चोदने लगा.बारी-बारी उसके माममे चूस्ते,निपल बीते करते वो बोला,"साली हरमज़ड़ी रंडी अब तू मुझसे रोज़ चुड़ाएगी.अब मई तेरा मलिक हू और तू मेरी रखैल,अबसे तू सिर्फ़ मुझे खुस करने का काम करेगी समझी हरमज़ड़ी?"संगीता अफ़रोज़ को पूरा झखड़ के उसके जिस्म से अपना पसीने से भरा जिस्म रगड़ते अपनी गर्म चूत को और मस्ती से चुड़वाते बोली,"हन अफ़रोज़ अबसे तू जब कहेगा जहा कहेगा जिसे कहेगा और जिसके सामने कहेगा मई तुझसे चुड़ा लूँगी,तेरी खुशी मई ही मेरी ख़ुसी है अफ़रोज़.अफ अफ़रोज़ ऐसे ही चोद्ता रह मुझे. ऊऊुुऊउक्कककचह प्ल्ीएआास्स्स्सीए आइसे मत कतो मारे निपल अफ़रोज़,दर्द होता है,क्यों अपनी रांड़ को इतना दर्द दे रहे हो?" संगीता के निपल उंगली मई पकड़के खिचते अफ़रोज़ उसके माममे काटने लगा.संगीता उछलके देख अफ़रोज़ अब और मस्ती से बोला,"साली हरमज़ड़ी पहले कितनी नौटंकी कर रही थी की मई एक शरीफ लड़की हून,प्लीज़ मुझे बर्बाद मत करो.और अब देख बहनचोड़ साली कैसे गांद उठाके लंड ले रही है.अब देख कैसे साली मज़े ले रही है.आख़िर बन ही गयी ना तू इस लंड की रांड़?साली तू मेरी रांड़ है और मारे जैसा मर्द अपनी रंडी को ऐसे ही बेरहमी से चोद्ते है समझी हरमज़ड़ी कुतिया?"अफ़रोज़ का पूरा चहेरा चूमते,संगीता उसके गाल चटके बोली,"अफ़रोज़,आज मई तुझसे चुडाने के इरादे से आए थी.तूने जो मारे जिस्म मई आग लगाई उससे आज शांत करके लेना मेरा भी इरादा था. पर तूने जो मुझपे हमला बोल दिया उससे मई डर गये और मुझे लगा जैसे मैने कोई ग़लती की है इसलिए मैने तुझे इतना रेज़िस्ट किया.पर जब चूत का दर्द कम होके माज़ा आने लगा मई अपने आप को रोक ना सकी और तुझे पूरी तरह साथ दाने लगी.दूसरी बात यह की मेरी सहेली ने बताया था की मर्द को जितना रेज़िस्ट करो वो उतना ही बेरहम बनता है और फिर आइसे चोद्ता है की लड़की बहाल होती है उसके सामने और यही मेरा हाल हुआ है.तुझे तंग किया तो तू मुझे देख कैसे बेरहमी से चोद रहा है,मुझे ज़्यादा गलिया देके.इतने दिन तारे हाथ से खेलके असल मई तुझसे बेरहमी से चुड़के लेना चाहती थी इसलिए बार बार तुझे बेइज़्ज़त किया और तुझे गल्लिया दी.लेकिन यह भी उतना की सच है की मई तुझे बहुत प्यार करती हून और अब अपने आप को तारे हवाले किया है."संगीता की बात सुनके अफ़रोज़ भी उससे चूमते चोद्ने लगा.10 मिनिट तक संगीता की चूत की ठुकाई करने के बाद जब वो ज़दने के करीब आया तो उसने संगीता को ज़ोर्से बहो मई दबोचते अपना लंड उसकी चूत मई पूरा घुसके कमर पे कमर रगड़ते कहा,"अहह साअलल्ल्ल्लीइीईई रर्रांन्ँद्दद्डिईई कचहुउऊउउत्त्त्तत्त, लीईई मीईईररर्ाआ पााअन्णननिईीईईई.उउउफफफफफफफफफ्फ़ साली क्या अक्चा लग रहा है तेरी चूत मई ज़दंन्‍न्णनीईईई सस्स्स्साआअन्न्‍नननगगगगगगीइइत्त्त्ताआआअ."अपने लंड का पानी संगीता के चूत मई डालते अफ़रोज़ उसपे लेट लगा.संगीता भी अपने चूत से अफ़रोज़ के लंड का पोरा पानी निचोड़ के ले रही थी.जब पूरा पानी निकाला अफ़रोज़ संगीता के बाजू मई लेट गया.शांत होने के बाद अफ़रोज़ संगीता को लेके बाथरूम गया और उसकी खून और लंड से भरे चूत को गर्म पानी से ढोने लगा.चूत धोके वही अफ़रोज़ ने संगीता की चूत चटके उससे आराम दिया.अफ़रोज़ का यह रूप उसके चुदाई से पहले रूप से एकद्ूम अलग था.15-20 मिनिट आइसा करने के बाद अफ़रोज़ ने संगीता को गोड मई उठाके लेक बिस्तर पे लिटाया और बोला,"मेरी जान,तू हैरान है मुझे इस बदले रूप मई देखके यह मई जनता हून पर वो चुदाई मई मस्ती लाने मई इतना बेरहम बनता हून पर चुदाई के बाद मई कोई बेरहमी नही करूँगा तुझसे यह वादा रहा."अफ़रोज़ की बात सुनके संगीता ने उससे चूम लिया****से यकीन हुआ की उसका लवर दुनिया का सबसे अक्चा लड़का है.फिर श्याम को अफ़रोज़ के पेरेंट्स आने तक अफ़रोज़ ने और 2 बार संगीता को छोड़ा और फिर उससे घर जाने दिया.


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Re: अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:25

अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता --07

पहली चुदाई के बाद अब संगीता के ज़हन मई अफ़रोज़ पूरी तरह बस गया था. वो अफ़रोज़ की दीवानी बान गये थी.अफ़रोज़ के लंड ने जो उसके चूत मई आग लगाई थी वो बुझाने अब वो बार-बार उससे मिलने जाती.संगीता जैसे अफ़रोज़ की रंडी बान गये थी****से अफ़रोज़ से चुड़वाने का इतना शौक लगा था की वो कई बार तू कॉलेज बंक करके अफ़रोज़ के दोस्त सलीम के घर आके दिनभर अफ़रोज़ से अपनी चूत चुड़वति थी.यह चुदाई का सिलसिला शुरू होके अब 2-3 महीने हो गये थे जिसमे संगीता ने खूब चुदाई करके ली अफ़रोज़ से.यह सब बाते सलीम देख रहा था.जब अफ़रोज़ संगीता को उसके घर लेक चोद ता तब सलीम हॉल मई रहता.आते जाते वो संगीता से बाते करता था.चुडाने के बाद जब संगीता चली जाती थी तब वो और अफ़रोज़ संगीता के बारे मई बाते करते रहते.आइसे ही एक दिन सलीम ज़रा मज़ाक मई अफ़रोज़ से बोला,"यार अफ़रोज़,तू बड़ा हरामी है.मारे घर मई संगीता को चोद्ता है पर मुझे क्या मिलता है उससे?तेरा तो लंड शांत होता है पर आते जाते संगीता को देखके मेरा लंड खड़ा होता है उससे तो मुझे मूठ मरके शांत करना पड़ता है." सलीम के बात सुनके अफ़रोज़ बेशर्मी से बोला,"तो भद्वे तू भी चोद ना संगीता को.तूने उससे चोदा तो मारे बाप का क्या जाएगा?साली है मस्त माल,अब मई तो उससे शादी नही करनेवाला तो कोई और भी उससे चोदे मुझे कोई फराक नही पड़ता." अफ़रोज़ की बात सुनके सलीम खुश हुआ और फिर दोनो ने प्लान बनाया की सलीम कैसे संगीता को चोद सके.अफ़रोज़ ने अब धीरे-धीरे सलीम के सामने ही संगीता से खेलना शुरू की.वो सलीम के सामने उसका जिस्म हल्के सहलाता,गाल चूमता,पीठ और गांद पे हाथ घूमता.संगीता ने पहले उससे रोका था पर कुछ दीनो बाद उससे आदत पद गये.अब तो अफ़रोज़ उसके माममे भी मसलता था और किस्सिंग भी करने लगा था. संगीता बेशार्मो जैसे अफ़रोज़ को सब करने देती.वो समझी की सलीम को तो पता है की वो उसके घर अफ़रोज़ से चुड़वके लाने आती है तो अब उससे क्या शरमाना****से यह भी देखा की अब सलीम उससे हवस भारी नज़रो से देखने लगा था.संगीता ने यह बात अफ़रोज़ को बताई पर अफ़रोज़ ने हेस्ट उसकी बात ताल दी.संगीता को डर था की कही सलीम उससे ना पकड़ ले पर उससे यह यकीन था की सलीम अफ़रोज़ के सामने होते ऐसा कुछ नही करेगा और इससे विश्वास पे वो निश्चिंत हो गये.अफ़रोज़ संगीता को सलीम के सामने बेशर्म करने लगा था और अंजाने मई संगीता वैसे ही कर रही थी जैसा अफ़रोज़ चाहता था.अफ़रोज़ संगीता को सलीम से चुड़वाना चाहता था और सलीम भी संगीता की कमसिन जवानी चोद्नना चाहता है.संगीता का भरोसा जेटने अफ़रोज़ सलीम को उससे दूर रखता था पर सलीम के सामने उससे खूब खेलता.संगीता को अब उससे डर नही लगता क्योकि उससे सलीम पे भरोसा हुआ था की सलीम उससे कुछ नही करेगा.जब अफ़रोज़ को यकीन हुआ की संगीता सॅकी मई उसकी रंडी बान गये और सलीम से नही शरमाती तब एकदिन संगीता को सलीम से चुड़वाने का प्लान रंग लाया.अफ़रोज़ एक वीक से संगीता से मिला नही.संगीता जब-जब उससे फोन करती वो कोई ना कोई बहाना बना लेता और उससे नही मिलता.आख़िर 10 दिन बाद उससे संगीता को कल सलीम के घर मिलने बुलाया.अफ़रोज़ ने यह भी बताया की कल सलीम नही होगा इसलिए वो पुर घर मई चुदाई कर सकते है.यह बात सुनके संगीता बड़ी खुश हुई.पहले चुदाई के बाद यह अफ़रोज़ से उसकी सबसे लंबी जुदाई थी और दूसरे दिन दिल खोलके चुदाई करके इस जुदाई को मिटाने वो बेकरार हुई.संगीता स्कर्ट और शर्ट पहंके अफ़रोज़ से मिलने सलीम के घर गये और डोर नॉक किया.सलीम को दरवाज़ा खोलते देख वो ज़रा चॉक गये.सलीम स्माइल करते उससे उप्पर से नीचे देखते बोला,"आरे संगीता तुम,आओ आंदार." संगीता आंदार आके हैरानी से बोली,"सलीम,अफ़रोज़ आज मिलने वाला था,आया नही क्या वो अभी?" दरवाज़ा बंद करते सलीम बोला,"अफ़रोज़ आनेवाला है संगीता, उसने तुझे रुकने बोला है,वो आधे घंटे मई आएगा,आओ बैठो तो सही अफ़रोज़ आने तक." संगीता सोफे पे बैठ गये.यहा-वाहा की बाते करते-करते सलीम बोला,"वैसे अफ़रोज़ तेरी बहुत तारीफ करता है संगीता.अब तो अफ़रोज़ कहता है की संगीता मेरी जान है और वो तुझे बहुत चाहता है,तू उससे कितना चाहती है?बता ना संगीता,तारे दिल मई उसके लिए क्या है?" सलीम के मूह से यह बात सुनके संगीता बड़ी शरमाते बोली,"सलीम तुम भी ना कुछ भी पूछते हो?अब तुझे सब पता है फिर भी मारे दिल मई उसके लिए क्या है यह पूछना ज़रूरी है क्या?" फिर सलीम का ध्यान उस बात से हटाने संगीता जाके बाल्कनी मई खड़ी होते बोली, "उफ़फ्फ़,यह अफ़रोज़ कब आनेवाला है?"संगीता बाल्कनी की रेलिंग पे झुकके खड़ी थी,उसकी गंद बहार आए थी यह देखके सलीम खुश हुआ.उठके वो भी बाल्कनी मई संगीता के पास खड़े होते बोला,"क्या हुआ संगीता जो इतनी डिस्टर्ब्ड लगती हो?यह तो बता की अफ़रोज़ से मिलने तू इतनी बेताब क्यों है?" संगीता ने सलीम की तरह देखते सोचा की सलीम कैसे ओपन्ली बात कर रहा है****से ज़रा सलीम की नज़र मई खोट लगी इसलिए वो जल्दी पर शरमाते बोली,"नही आइसा कुछ नही,वो बहुत दीनो से मिला नही था इसलिए उससे मिलना था पर लगता है आज भी नही मिलेगा वो.मई जाती हून सलीम,अफ़रोज़ आए तो उससे बोल मुझे फोन करे." संगीता मुदके आंदार जाने देखती है तब सलीम उससे वही रुकते सीना घूरते बोला,"आरे तू उससे बिना मिले जाएगी तो अफ़रोज़ नाराज़ होगा संगीता,ज़रा रुक जेया वो बस आता ही होगा अब. वैसे तुम दोनो इतने बार मारे फ्लॅट पे मिलके बेडरूम का दरवाज़ा बंद करके क्या करते हो यह तो बताओ?"सलीम के इस सवाल से संगीता एकद्ूम शर्मा गये****से समझ मई नही आया की इस सवाल का क्या जवाब दे.ज़रा हड़बड़ते वो बोली,"सलीम कैसे सवाल पूच रहे हो?क्या तू नही जनता हम क्या करते है? अक्चा मई अब जाती हू तुम अफ़रोज़ को बोलना वो मुझे घर पे फोन ले." संगीता जैसे ही जाने मूडी सलीम ने उसका हाथ पकड़के उससे सोफे पे ले जाके बिताते बोला,"आरे संगीता तुझे अफ़रोज़ का गुस्सा पता है ना?उससे बिना मिले गये तो वो तुझसे कभी बात नही करेगा तू रुक तोड़ा टाइम,चल यहा पे बैठके बात करते है.सच मई मुझे नही मालूम तुम बेडरूम मई क्या बाते करते रहते हो तो अब तू ही बता इतनी क्या बाते करते हो तुम दोनो संगीता?" संगीता को सलीम का हाथ अफ़रोज़ के हाथ से ज़्यादा कड़क लगा****के हाथ की रफनेस उससे अपने गेंतले स्किन पे महसूस होते ही कुछ अक्चा भी लगा पर शरमाते वो बोली,"नही सलीम कुछ खास नही बस मई उसको अपने कॉलेज की बात बता ती हू और वो आपनी बात बस और कुछ नही


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Re: अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:26



अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता --08

संगीता की चूत अब इतने दिन से प्यासी थी और अफ़रोज़ की बातो ने उससे और रसीली बनाया.वो अब ज़रा बेशर्मी से बोली,"हन अफ़रोज़ इसी लिए मई तुझे मिलने आए क्योंकि मुझे भी तेरी बहुत याद आ रही है.ठीक है अफ़रोज़ मई रुकती हून पर तू जल्दी आ." अफ़रोज़ अपना प्लान कमियाब होते देख खुश होके बोला,"श मेरी प्यारी जान,मेरी चिकनी रंडी,तू वही रुक,मई जल्दी आता हून तुझे चोदने.तब तक सलीम से बात करो और सुनो उसकी कोई बात से इनकार मत करना नही तो तेरी चूत चोदने उसका घर हमे नही मिलेगा कभी और मेरा लंड नही मिला तो तू क्या करेगी?समझी ना मेरी बात रंडी?"संगीता झट से बोली,"हन रुकती हून पेर अगर वो...." संगीता आगे कुछ बोल ही नही पाती शर्म से इसलिए टॉपिक चेंज करते बोली,"अफ़रोज़ तुमको कितना और टाइम लगेगा?" अफ़रोज़ संगीता की रुकी बात पकड़ते बोला,"हन अगर वो क्या रखैल, बोल ना आगर वो क्या?मुझे आधा घंटा और लगेगा" सलीम के संगीता उसकी बुराई नही कर सकती इसलिए बोली,"तुम जल्दी आओ ना अफ़रोज़,मई बेचेन हून तुमसे मिलने." पर अफ़रोज़ ज़िद पकड़ते बोला,"देख संगीता अगर तू नही बताएगी सलीम के बारे मई क्या कहना चाहती है तो मई आयुंगा ही नही समझी?अब बोल अगर सलीम क्या?" संगीता अफ़रोज़ की बातो से गरम हुई और अब उसके दिल मई सलीम का क्या डर है,वो क्या कर सकता है उसके साथ यह सब अफ़रोज़ को बताने के इरादे से हल्की आवाज़ मई बोली,"अफ़रोज़ प्लीज़ समझो तुम,सलीम मुझे घूर रहा है,उसकी नज़र ठीक नही है अफ़रोज़.कही उसने कुछ गड़बड़ की तो?इसलिए मई बोलती हू मुझे जाने दो या फिर तुम जल्दी आओ यहा.तुम जल्दी आओ देखो मई यहा और नही रुक सकती हून."संगीता की बात सुनके अफ़रोज़ हेस्ट बोला,"आरे रंडी कुछ नही होगा,उसके बारे मई शक भी मत कर, वो बड़ा अछा लड़का है,तुझे भाभी मानता है वो समझी?चल अब एक पप्पी दे मुझे जल्दी से ताकि तेरी याद मुझे बेकरार करे और मई जल्दी आउ तुझे चोद्नेने,एक किस दे मुझे रंडी जल्दी." अफ़रोज़ की डिमॅंड सुनके संगीता बोली,"नही अफ़रोज़,तुम यहा आओ फिर जहा चाहो किस दूँगी पर अभी कुछ नही." अफ़रोज़ गुस्से से बोला,"नही रंडी,अभी किस दे तो जल्दी आयुंगा." इस्पे संगीता ने धमकी दी की,"अफ़रोज़ तूने आइसे कुछ भी माँगा सलीम के सामने तो देख मई चली जायूंगी." इस धमकी से अफ़रोज़ एकद्ूम गुस्सा होके बोला, "मदरचोड़ रंडी,तेरी मा की चूत,साली मुझे धमकी देती है?ठीक है रॅंड तो तू घर जेया और देख तेरी क्या हालत होगी बाद मई.तारे बाप को तेरी सब करतूत बतौँगा,उसके बाद तू क़िस्सी को मूह दिखाने के काबिल नही रहेगी.आखरी बार पूच रहा हून,किस देगी या नही."इस धमकी से डारके संगीता बिना बोले सीधे फोन रिसीवर किस करती है. सलीम उससे रिसीवर किस करते देखके स्माइल करता है.किस करके संगीता बोली,"अफ़रोज़ देख अब तेरी बात मान ली अब प्लीज़ जल्दी आओ ना." खुश होके अफ़रोज़ बोला,"अहह जनंनणणन् तू मेरी रंडी है,अक्चा अब मई जल्दी आता हून.छमिया अब नाराज़ मत हो,अभी आके तुझे इतमीनान से चोदुन्गा ठीक है?" संगीता हन बोलती है और अफ़रोज़ फोन डिसकनेक्ट करता है.सलीम उठके संगीता के हाथ से रिसीवर लेक रखते बोला,"अक्चा हो गये अफ़रोज़ से बात कूशबू?क्या बोला अफ़रोज़,कब आ रहा है वो?" संगीता शर्माके कुछ नही बोली तो सलीम आगे बोला,"संगीता तू बार-बार मारे बारे मई क्यों बोल रही थी अफ़रोज़ से?तुझे क्या मुझसे डर लगता है जो तू अफ़रोज़ को जल्दी आने कह रही थी?क्या मई बुरा आदमी हून?" संगीता तोड़ा शरमाते बार-बार नज़र बचा के सलीम को देखते बोली,"नही-नही ऐसे बात नही है सलीम,बस वो आइसे ही अफ़रोज़ को जल्दी आने बोल रही थी." सलीम आँख मरते बोला,"तो क्या बात है संगीता जो तू अफ़रोज़ से मिलने बड़ी बेताबी हो रही है?बहुत याद आ रही है क्या उसकी?" संगीता शर्माके सिर झुकते बोली,"ऐसा कुछ भी नही है सलीम,बस बहुत दीनो से उससे मिली नही इसलिए जल्दी आने बोल रही थी.""ठीक है लेकिन इसमे इतना शरमाना क्या संगीता?अक्चा आ इधर बैठ,अफ़रोज़ आने तक हम कुछ बाते करंगे." सलीम संगीता का हाथ पकड़के उससे सोफे पे अपने पास बिताते बोला,"वैसे संगीता अभी तूने अफ़रोज़ को किस दिया क्या फोन पे?" संगीता सलीम से अपना हाथ चुराते उसके सवाल ककोई जवाब नही देती.सलीम फिर उसका हाथ पकड़ते बोला,"बोल ना संगीता,इसमे शरमाना कैसे?" संगीता फिर हाथ चुराने की कोशिश करते बोली,"प्लीज़ मेरा हाथ चोरो सलीम,मुझे टच मत करो.मई अफ़रोज़ की गर्ल फ्रेंड हून तेरी नही." इस्पे सलीम संगीता के दोनो हाथ पकड़ते बोला,"पता है तू अफ़रोज़ का माल है पर मेरी बात का जवाब दिए बिना हाथ नही चोरँगा तेरा." संगीता गुस्से पे अपना हाथ खिचते बोली,"यह क्या?हाथ चोरो ना मेरा सलीम.और यह क्या तुम बोलते हो की मई अफ़रोज़ का माल हून?क्या मतलब है इसका?"संगीता इतने ज़ोर्से अपना हाथ खिचती है की उससे सलीम भी उसकी तरफ खिछा चला आते उसके सिने से टकराता है.अपना सीना वैसे ही संगीता के सिने से लगाके सलीम बोला,"आरे इतना क्यों गुस्सा होती है तू संगीता?मैने सिर्फ़ यही पूछा ना की अफ़रोज़ को फोन पे किस दिया क्या तूने?और तू अफ़रोज़ की गर्लफ्रेंड है इसलिए मैने तुझे उसकी माल बताया." संगीता पीछे होके आख़िर बोली,"हन किया था उससे फोन पे मैने किस,प्लीज़ अब मेरा हाथ चोरो ना,नही तो अफ़रोज़ को बोलूँगे की तुम मुझे इतना तंग करते हो." इस्पे सलीम अब ज़रा स्टाइल बदलके बोला,"क्या बोलेगी अफ़रोज़ को तू संगीता?की मैने तेरा हाथ पकड़ा था यही ना?आरे मैने तो तुझे भाभी मान के तेरा हाथ पकड़ा था,क्योकि तू अब अफ़रोज़ की बीवी बननेवाली है ना संगीता?" यह बोलते सलीम फिर उससे आँख मरते हाथ पकड़ा. खुद को सलीम की भाभी और अफ़रोज़ की बीवी के रूप मई मान ही मान मई देखते अब संगीता शर्ंके बोली,"हन मई तो तय्यार हून उसकी बीवी बनने पेर उसने अभी तक बोला नही की वो कब मुझसे शादी करेगा.सलीम प्लीज़ मुझे अककचा नही लगता तुमारे आइसे मुझे हाथ लगाना,तुम ज़रा दूर रहो ना,मई अफ़रोज़ की अमानत हून."अब संगीता हाथ चुराने की कोशिश नही कर रही थी यह देखके सलीम उसके हाथ मसालते बोला, "आरे वो मुझसे बोला की वो तुझे बहुत चाहता है और तुझसे ही शादी करेगा,और तो और उसने तुम्हारे लिए एक अछा फ्लॅट पे देख रखा है शादी के बाद रहने के लिए.अब तुझे भाभी बोला तो भी क्यों अपने देवर से इतना शरमाना?अब तो फ्री हो मारे सामने." संगीता अब भी सपने मई थी और बिना सोचे बोली,"प्लीज़ चोरो ना मेरा हाथ अफ़रोज़,यह क्या कर रहा है तू?" संगीता की इस ग़लती को पकड़ते सलीम बोला,"आरे संगीता मई अफ़रोज़ नही सलीम हून.लगता है तुझे अफ़रोज़ की बहुत याद आ रही है.वैसे और क्या-क्या करते हो तुम दोनो अकले मेरी बेडरूम मई संगीता?सिर्फ़ किस्सिंग ही या और कुछ भी करते हो?" सलीम के हाथ रगड़ना,सिने पे नज़र रखना और अफ़रोज़ के बारे मई सवाल सुनके संगीता परेशन होके अब ज़रा डरते बोली,"प्लीज़ मुझसे तुम और कुछ बाते मॅट करो सलीम, मुझे टच मॅट करो और ऐसे बात मॅट पूछो."सलीम अब संगीता के शर्म और डर का फ़ायदा उठाते बोला,"आरे आइसा मत बोलो संगीता,तुझे देखा तो मुझे मारे गर्लफ्रेंड नीता की बड़ी याद आती है.वो यहा होती तो ना जाने मई क्या-क्या करता उसके साथ.बेडरूम मई उससे ले जाके पुर दिन भर आइश् करते हम जैसा तू और अफ़रोज़ करते है."संगीता सलीम के मूह से इतनी ओपन बाते सुनके और शर्माके कुछ बोलने बोली,"ऑश तो तुम्हारी गर्ल फ्रेंड भी है सलीम?देख अब तो तू समझा होगा ना की मारे दिल मई क्या होता है जब अफ़रोज़ से मिलने आती हून?इसलिए अब तू आगे कुछ मत पूच मुझसे.अब यह अफ़रोज़ को कितना टाइम लगेगा और?" सलीम ने अब संगीता की कमर मई हाथ डालते संगीता से और ओपन्ली बात करने का फ़ैसला करने का इरादा करते बोला,"हन संगीता मेरी भी लवर है,जैसे तू अफ़रोज़ का माल है नीता मेरा माल है,और तो और नीता तारे जैसे शर्मीली नही है.वो एकद्ूम बींदस्त ओपन लड़की है,मई जो बोलू करती है और तुझे पता है कभी-कभी अफ़रोज़ भी उससे किस करता है.पहली बार ना-ना किया पर जब मैने उससे समझाया तब वो अफ़रोज़ जब चाहये उससे किस देती है.हन आएगा अफ़रोज़ जल्दी,वैसे तू चाहे तो वो आने तक मई उसकी कमी पोरी करू?अफ़रोज़ आके जो करनेवाला है उसकी शुरुवत मई करू संगीता? वैसे अफ़रोज़ ने मुझे बोला है की अगर मई चाहू तो मई तुझे किस कर सकता हून,तो बोल देती है क्या एक किस मुझे?..


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