अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:19

अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता --01


उस सोसाइटी का नाम अमन सोसाइटी था और रियल मै वहाँ से सब धरम के लोग अमन शांति से रहते थे .सब लोग एकदुसरे के काम आते थे,सब फेस्टिवल्स मिलके धूम धाम के साथ मानते थे. जब कोई भी डिस्प्यूट होती तो सब लोग एक साथ मिलके सल्यूशन ढूनडते और प्राब्लम का फ़ैसला करते. इससे कोई भी बात हाथ से ज़्यादा बाहर नही जाती**** सोसाइटी के 3र्ड फ्लोर पे अपनी बीवी और बेटी के साथ रहते थे मिस्टर प्रमोद भोसले. वो सुशील स्वाभाव के पति पत्नी जॉब करते थे. उनकी बेटी संगीता, अब सीनियर कॉलेज जाने लगी थी. संगीता एक अछी लड़की थी जिसपे उमर के साथ-साथ जवानी भी आये थी.17-18 के उमर होने से जिस्म अब भरने लगा था उसका .दिखने मै कोई हूर तो नही थी संगीता पर जिस्म सही जगहो पे भरने और बढ़ने से वो काफ़ी खूबसूरत लगती थी. कॉलेज के लड़के उसपे कॉमेंट्स मारते थे और संगीता को वो अक्चा भी लगता थ.ईन सबके बावजूद वो क़िस्सी को लिफ्ट नही देती थी क्योंकि उसका दिल मै तो उसके सोसाइटी मई रहनेवाले अफ़रोज़ के लिए प्यार जाग गया था. अफ़रोज़ रहीम ख़ान, जो 2न्ड फ्लोर पे रहता अपनी मा बाप की दूसरी औलाद था अफ़रोज़ की बड़ी बेहन, सलमा का निकाह पिछले साल हुआ था अफ़रोज़के मया बाप भी नौकरी करते थे. अफ़रोज़ 25 साल का था, पढ़ाई पोरी करके अब जॉब ढ़ूंड रहा था. दिखने मई एकद्ूम स्मार्ट और बतो मई किसको भी अपना बनाने मै वो एकद्ूम माहिर था . आcचि नौकरी मिलने तक कोई आइसे वैसे नौकरी नही करना चाहता था वो. अफ़रोज़ गये कई दीनो से देख रहा था की संगीता उससे आते जाते देखती थी. जब वो किसी के साथ बिल्डिंग के नीचे खड़ी होके बात करती थी और अफ़रोज़ बालकोनी मई आता तो वो नज़र चुराते उससे देखती. अफ़रोज़ भी संगीता को देखने लगा थ.ज़ब संगीता स्टेरकेस से नीचे या उप्पर जाती तो वो ज़रूर अफ़रोज़ के डोर मई झाँकती. अफ़रोज़ को भी संगीता पसंद थी. कई दीनो तक यह सिलसिला चलता रहा. अफ़रोज़ अब संगीता को देखके स्माइल भी करने लगा और धीरे-धीरे संगीता भी अब उसके स्माइल का जवाब दाने लगी. अफ़रोज़ संगीता से बात करना चाहता था पर मौका ही नही मिल रहा था. संगीता भी अफ़रोज़ से बात करना चाहती थी पर शर्म से वो कर नही पा रही थी. आख़िर मै संगीता को मिलने की अफ़रोज़ ने पोरी प्लांनिंग की. वो जनता था की दोफर को सोसाइटी मई एकदम सन्नाटा रहता है. घर के मर्द काम पे जाते है और उनकी बीवी घर का काम पूरा करके ज़रा आराम करती है. 3-4 बार अफ़रोज़ ने संगीता को डूफर को घर आते देखा था. संगीता को डूफर के वक़्त मिलने का उसने फ़ैसला किया अफ़रोज़ दिन अफ़रोज़ बाल्कनी मई खड़ा था जब उससे संगीता बिल्डिंग के गाते से अंदर आती दिखी. जल्दी से अफ़रोज़ घर से निकलते जाके स्टेर केस पे खड़ा हुआ. 2 मिनिट बाद उससे संगीता के आने की आहत हुई.1स्ट फ्लोर की सीढ़िया चढ़के जैसे संगीता उप्पर आए तो उसने अफ़रोज़ को देख.शन्गित की धड़कन अब तेज़ हुई. जिस अफ़रोज़ के लिए वो तड़प रही थी वो आज जब खुद उसके सामने खड़ा था तो संगीता कुछ बोल ही नही पा रही थि.शन्गित ने सलवार कमीज़ पहनी थि.शन्गित को इस दुविधा मई देखके अफ़रोज़ हल्के से स्माइल करके बोला,"हेलो संगीता,कैसे हो तुम?"संगीता शरमाते बोली,"हेलो अफ़रोज़,मई ठीक हून,तुम कैसे हो?"अफ़रोज़ संगीता के पास आते बोला,"जब तक तुझे नही देखा ठीक नही था पर अब तुझे देखके जान मई जान आई मेरि.शन्गित मुझे तुमसे एक बात कहनी है, मई तुमसे बहाड़ मोहब्बत करता हून और तुमको मेरी माशुका बनाना चाहता हून,क्या तुम भी मुझे चाहती हो संगीता?"अफ़रोज़ की बात सुनके संगीता शरमाये अफ़रोज़ ने आइसा सीन आजतक सिर्फ़ हिन्दी मूवीस मई देखा था. अफ़रोज़ की बात से उसकी धड़कन तेज हुई. अब नीचे देखते बोली,"अफ़रोज़ यह तुम क्या बोल रहे हो?मुझे कुछ समझ मई नही आ रहा है."अफ़रोज़ संगीता के और पास आते उसका हाथ हल्के से थमते बोला,"संगीता आईसी नादान मत बनो,तुम भी तो मुझे चुप-चिपके देखती हो ना?मुझे मालूम है की तुम भी मुझे चाहती हो है ना?"अफ़रोज़ के हाथ पकड़ने से संगीता डर गयी. अफ़रोज़ की हिम्मत देखके उस्से अछा भी लगता है पर क़िस्सी के आने का डर भी थ.Wओह अफ़रोज़ को चाहती थी पर ऐसे अचानक अपने प्यार का इज़हार कैसे करती?अपना हाट चुराने की कोशिश करते वो बोली, "प्लीज़ अफ़रोज़ तुम मेरा हाथ चोरो ना,यह मेरा हाथ क्यों पकड़ा है तूने?देखो कोई भी आ सकता है यहाँ. मेरा हाथ छोरो."अफ़रोज़ को पता था की इस वक़्त कोई नही आता इसलिए वो बिंडास्ट थ.शन्गित जैसे हाथ चुराने की कोशिश करने लगी अफ़रोज़ उसका हाथ और कासके पकड़ते उसके और पास आया और अब उसकी कमर मई एक हाथ डालते बोला,"आरे हाथ क्यों खिच रही है तू?क्या तू मुझसे प्यार नही करती?मई तेरा दीवाना हो गया हूँ संगीता अब तू ही मेरी ज़िंदगी है.शन्गित तेरा हाथ ज़रूर चूर दूँगा लेकिन पहले मेरी बात का जवाब दे और मेरा प्यार कबूल कर."संगीता अब पूरी तरह डर गये.आप्ने आपको अफ़रोज़ की गिरफ़्त से डोर करते, हाथ चुराने की कोशिश करते वो बोली,"अफ़रोज़ यह क्या कर रहे हो तुम?देख प्लीज़ मुझे जाने दो.Mऐ मनती हून की मुझे तू पसंद है पर अब सोचा तो समझी की मई तारे सामने कितनी छोटी हून."अफ़रोज़ फिर संगीता की कमर मई हाथ डालके उससे अब अपने से चिपकता है. चिपकने से अब संगीता का सीना अफ़रोज़ के सिने पे दबा है.ईधर उधर देखके अफ़रोज़ बोला,"संगीता तू मुझे प्यार करती है तो उसमे छोटा बड़ा क्या करना है. वैसे माना की उमर मई तू छोटी है, बाकी देखो तुम्हारा बदन कैसे एक जवान लड़की के जैसा है. देख जबतक तू हन मई बोलती तुझे जाने नही दनेवाला मई."संगीता अब कोई जवाब नही दे पाई. पहला प्यार जिसे किया वोही लड़के के बहो मई वो अब थी पर डर गये थि.Wऐसे संगीता ज़रा भोली और शर्मीली लड़की थी पर अपनी सहेलियो की चुदाई की बाते सुनके उसके दिल मई भी अपनी चूत चुड़वा लाने की उमंग जाग उठी थी. अफ़रोज़ के हॅंडसम लुक्स पे वो फिदा थी और इसलिए उससे बार-बार देखती. अफ़रोज़ उमर और एक्सपीरियेन्स मई संगीता से काफ़ी बड़ा था. वो संगीता जैसे भोली लड़की को फसके मस्ती करने के मूड मई था. जबसे उससे समझा की संगीता उससे देखती है उसने भी संगीता को देखना शुरू किया था. अफ़रोज़ ने इस संगीता की कोरी जवानी को मसल्ने का पोरा प्लान बनाया था. संगीता के मुहसे कोई जवाब ना पके अफ़रोज़ हल्के से संगीता के मम्मे पे हाथ फेरते बोला,"संगीता, मई तुझसे शादी करना चाहता हून.टुझे दुनिया की सब खुशी दूँगा,अcचे ड्रेसस दूँगा और तुझे हमेशा खुश रखूँगा. देख संगीता,आगर तूने फिर भी इनकार किया तो मई जान दे दूँगा तारे नाम से."अपने सिने पे पहले बार और वो भी आइसे खुले जगह मई मर्द का हाथ महसूस करते ही संगीता हड़बड़ाई अफ़रोज़ का जिस्म मई एक करेंट दौड़ते जिस्म मई सरसराहट फैलि.शन्गित पे एक अजेब मस्ती छा गये और वो उससी मस्ती मई बोली है,"अफ़रोज़ देख मई भी तुझे प्यार करती हून और मुझे यकीन है की तू मुझे खुश रखेगा पर शादी कैसे कर सकती हून तुझसे?एक तो हमारा धर्म अलग है और हमारी उमर मई भी कितना फ़र्क है ना?प्लीज़ अब मुझे जाने दे अफ़रोज़,कोई हमे यहाँ देखेगा तो मेरी बड़ी बदमानी होगी."अफराज़ जनता था की कोई नही आता है उस डूफर के वक़्त इसलिए वो बींदस्त थ.ःअल्के से संगीता के सिने पे हाथ घूमते वो बोला,"संगीता अगर तुझे मुझसे प्यार नही तो क्यों मारे आते जाते तू मुझे देखती रहती है?क्यों बार बार मारे सामने से आते जाते तड़पति हो?अगर तू जानती है की मई तुझे खुश रखूँगा तो क्यों खुले दिल से मेरा प्यार नही आक्सेप्ट करती है तू? और यह धरम की बात तूने तब सोचनी चाहाए थी जब तू मुझे देखने लगी. आरे मुस्लिम हुआ तो क्या मई भी तो इंसान हून ना?" अचानक संगीता का लेफ्ट मम्मा दबाते असलम बोला,"जैसे तारे इधर एक दिल है वैसे मुझे भी दिल है. मुझमे नेया पसंद की यह क्या बात है संगीता?"मम्मा दबने से संगीता को मज़ा आता है पर वो बहुत शरमाती भी है. अफ़रोज़ की दरिंग पे संगीता खुश हुई पर डर से उसका दिल और ज़ोरो से धड़कने लगता है. मम्मा दबने से वो हकले से चीकते बोली,"आह,अफ़रोज़ दर्द हो रहा है,क्यों दबा रहे हो आइसा?देखो मई कुछ नही जानती यह सब,मुझे प्लीज़ तुम जाने दो अफ़रोज़."अफ़रोज़ समझा की संगीता शर्म से इनकार कर रही थि.शन्गित का सीना हल्के मसालते उसका गाल किस करते अफ़रोज़ बोला, "संगीता तुझे तेरा दिल दिखाने मैने सीना दबय.डेखो मुझे पता है है तू भी मुझे चाहती है तो क्यों इतना तडपा रही है मुझे? एक बार प्यार का इज़हार तू कर तो तुझे जाने दूँगा मई."अफ़रोज़ के किस से संगीता पूरी तरह हड़बड़ा गये.आफ्रोz को धक्के डाके डोर करते वो बोली,"उम्म्म मुझे छोरो प्लीज़ अफ़रोज़,यह सब क्या है?मुझसे दूर रहो तुम." अफ़रोज़ से दूर होके संगीता जैसे जाने लगती है अफ़रोज़ उसका हाथ पकड़ते बोला, "अच्छा संगीता एक काम करो,मुझे आज श्याम को मारे घर मई मिलके बताओ की तुझे मई क्यों पसंद नही ओक?मुझे मिलने तू आएगी ना मेरी जान?प्लीज़ आओ ना,एक बार सिर्फ़ एक बार . नही तो मई आज जान दे दूँगा और देअथ नोट मई तेरा नाम लिखूंगा,तब तो आओगी ना रानी मुझे मिलने?"अफ़रोज़ से हाथ चुराते संगीता बोली,"नही मई नही आयूंगी अफ़रोज़ तुमसे मिलने." पर अफ़रोज़ की जान दाने की धमकी से डरके उसने आगे कहा,"नही अफ़रोज़ ऐसा मत करना प्लीज़,नही मुझे कुछ सोचने का समय दो,मै तुमको सोचके बतौँगी पर तब तक तुम अपने आप को कुछ मत करना,मेरी कसम है तुमको.


The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:20

इतना कहते संगीता वहाँ से निकल गये.Wओह अफ़रोज़ को बहुत चाहती थी और जब अफ़रोज़ ने उससे बहो मै लिया तो उससे बड़ा अक्चा लगा पर ऐसे ओपन जगह मै यह सब करने से वो डर गये थी****दिन संगीता अफ़रोज़ के बारे मै सोचने लगि.ज़ब अफ़रोज़ ने उसके मम्मे दबाए तब अपनी मस्ती की फीलिंग के बारे मै सोचके संगीता बहुत शरमाये****से डर भी लगता है की अब अफ़रोज़ उससे कही और भी अकेले मै ना पक्दे.आब उसके दिमाग़ मै अफ़रोज़ बस गया था.2-3 दिन जब वो अफ़रोज़ को देखती तो अफ़रोज़ उससे आँख मरता और इससे संगीता सर्मति.आब अफ़रोज़ हफ्ते मै 2-3 बार संगीता को आइसे पकड़ते उसका जिस्म मसालते प्यार का इज़हार माँगता और संगीता हर बार कोई ना कोई बहाना बनके वहाँ से भाग जति.Yएह सिलसिला करीब 2 हफ्ते चला पर संगीता कोई जवाब नही दे रही थि.आअखिर मै इस बात का फ़ैसला करने का इरादा अफ़रोज़ ने बनय.आफ्रोz भी संगीता के मस्त जिस्म के बारे मै सोचके अपना लंड सहलाता थ.एक श्याम जब वो घर आ रहा था तो उससे बिल्डिंग के पीछे वाली रोड से संगीता को आते देखा. बिल्डिंग के पीछे अंधेरा था,लोग आते थे उस शॉर्टकट से पर ज़्यादा नही**** रोड के साइड्स मै काफ़ी झाड़िया थि.शन्गित अपने आप से कुछ सोचते आ रही थी और अफ़रोज़ अचानक उसके सामने खड़ा हुअ.आफ्रोz को देखके वो एकद्ूम रुक गये****का दिल ज़ोर्से धड़कने लग.श्मिले करते अफ़रोज़ बोला,"आरे संगीता, कैसे हो तुम?"इस वीरान जगह मै अफ़रोज़ को देखके संगीता कुछ बोल ही नही पये.आप्ने जिस्म पे अफ़रोज़ का स्पर्श क्या करता है वो जानती थि.आब वो यहा रुकी तो अफ़रोज़ क्या कर सकता था कोई भरोसा नही था इसलिए अफ़रोज़ को साइड स्टेप करके अफ़रोज़ की बात का कोई जवाब दिए बिना संगीता जल्दी-जल्दी वाहा से चलने लगि.आफ्रोz भी कचा खिलाड़ी नही था****ने संगीता का हाथ पकड़ते रोड के साइड मै ले जाते कहा, "आरे संगीता,इतना क्यों डर रही है तू?देख मै तुझसे सुकचा प्यार करता हून डियर, मुझसे क्यों भाग रही है तू?"संगीता अब और भी डरते छूटने की कोशिश करते बोली,"मुझे जाने दो अफ़रोज़,मै तुमसे बात नही करना चाहती हून,प्लीज़ मुझे जाने दो."संगीता को बहो मै भरते अफ़रोज़ बोला,"क्यों लेकिन संगीता,मेरा गुनाह क्या है यह तो बताओ?मई तुझे दिलो जान से प्यार करता हून,तू भी मुझे चाहती है तो इकरार करने से क्यों डरती हो?"संगीता को वैसे अक्चा लगा अफ़रोज़ की बहो मै आने से,उसकी बतो से और उसका हाथ अपने जिस्म पे लगा ने से पेर शर्म और डर से वो बोली,"मुझे चोरो ना प्लीज़ अफ़रोज़,यह क्या कर रहे हो?मैने बोला ना अफ़रोज़ मै कितनी छोटी हून तुमसे और इसलिए मुझे डर लगता है.आब मुझे जाने दो." अफ़रोज़ संगीता को और अंदर ले जाता है.ज़ह वो अब खड़े है वो जगा कोई नही देख सक्त.शन्गित को बहो मै भरते अफ़रोज़ उसके गाल चूमते बोला, "संगीता, मै तुझपे प्यार बरसा रहा हून और तू मुझसे दूर भाग रही है.शन्गित,तारे दिल मै कितना प्यार है मारे लिए यह मुझे जानना है आज."गाल चूमने से संगीता हड़बड़ते अफ़रोज़ को हल्का सा धक्का डाके उससे दूर करते बोली,"उम्म्म प्लीज़ चोरो मुझेँअहि अफ़रोज़ यह नही हो सकता की हमारी शादी हो क्योकि मै तुमसे छोटी हून और तुम एक मुस्लिम हो.डूर रहो ना प्लीज़,अफ़रोज़ मुझे डर लगता है.शन्गित के धक्के से अफ़रोज़ ज़रा तोड़ा दूर होता है पर फिर उससे पकड़के गाल किस करते करते अब संगीता के भरे सिने पे हाथ रखते बोला,"संगीता इसमे धरम को क्यों लाती है,देख प्यार दो दिलो का मिलन होता है.Mऐ जनता हून की तू भी मुझे प्यार करती है पर बताने शर्मा रही है. संगीता अभी प्यार की शुरूर्वात ही हुई की तू सीधे शादी की बात तक पौच्ी,क्या सुहग्रात मानने का इरादा है तेरा?"सुहग्रात की बात सुनके और सिने पे अफ़रोज़ का हाथ पके संगीता का चहेरा शर्म से लाल हो गया. वो कुछ बोल ही नही पये.शन्गित के दुविधा का फ़ायदा उठाते अफ़रोज़ उसके शर्ट के 2 बटन ओपन करके मम्मो से भरे ब्रा पे हाथ रखते बोला,"और तुझे कैसा डर संगीता?देख मै तुझसे बहुत प्यार करता हून रनि.शन्गित रानी देख तेरा दिल मारे लिए कितना ज़ोर्से धड़क रहा है,तारे इस दिल मै मारे लिए प्यार है लेकिन तू इसलिए डार्ती है क्योंकि मै मुसलमान हून और तू हिंदू है ना?"अपने शर्ट के अंदर ब्रा के उप्पर अफ़रोज़ का स्पर्श होते ही संगीता का दिल और ज़ोर से धड़कता है. उससे गुदगुदी भी होती है और उसका जिस्म कापने लगता है.आब भी जब संगीता कोई जवाब नही देती तो अफ़रोज़ को बड़ा गुस्सा आता है.Wओह क़िस्सी भी तरह इस कमसिन लड़की को छोड़ना चाहता था इसलिए दिल मै संगीता को गलिया डटे पर संगीता का क्लीवेज मसालते वो बोला,"संगीता रानी देखो क्यों मारे प्यार से इनकार कर रही हो तुम? तुझे मारे मुसलमान होने पे तक़लीफ़ है ना तो मै तारे लिए तो धर्म बदल दूँगा,फिर तुझे कोई तक़लीफ़ नही होगी ना?"इस बात से संगीता खुश होती है****से यकीन होता है की अफ़रोज़ उससे सॅकी मै प्यार करता है. वो अफ़रोज़ की मीठी बातो मै आती है.आप्ने जिस्म पे चल रहा अफ़रोज़ का हाथ उससे बड़ा अक्चा लगता है और वो कहती है,"ऑश अफ़रोज़ उफ़फ्फ़ क्या कर रहे हो तुम?अफ़रोज़ मुझे कुछ नही मालूम प्यार के बारे मै पेर उस्दीन के बाद से तुम्हारा ख़याल बार-बार आया था अफ़रोज़****दिन से मै हर पल तुमको याद करती हून."संगीता के इस जवाब से अफ़रोज़ समझा की संगीता उसकी बतो मै फस गये**** दिन का उसके जिस्म के साथ किया खेल संगीता को अछा लगा था यह जानके अफ़रोज़ अब संगीता के शर्ट के सब बटन खोलते झुकके क्लीवेज चूमते और लेफ्ट मम्मा हल्के से दबाते बोला,"संगीता,मुझपे भरोसा रख रानी,मै तुझे कभी धोका नही दूँगा, ज़िंदगी भर तेरा साथ दुन्ग.आब तो बोल क्या तुझे भी मुझसे उतना ही प्यार है जितना मुझे तुझसे है?क्या तारे इस दिल मै मारे लिए प्यार है संगीता?"संगीता अफ़रोज़ को ना शर्ट खोलने से रुकती है और ना ही अपने मम्मे मसल्ने से.आप्न जिस्म अफ़रोज़ से सहलाने उससे अक्चा लग रहा था****से बस डर था की कोई उनको ना देखे इसलिए अफ़रोज़ को दूर करने की नाकाम कोशिश करते वो बोली,"मुझे नही मालूम अफ़रोज़,प्लीज़ मुझे चोरो,कोई देख लेगा हुमको.""कोई नही देखेगा संगीता,यहा इस वक़्त कोई नही आता है.टु मेरी बात का जवाब दे,क्या तारे दिल मै मारे लिए उतना ही प्यार है जितना मारे दिल मै तारे लिए है?" ब्रा के उप्पर से संगीता के मम्मे वो दबा रहा है जिसे संगीता गर्म होती है और उससे अफ़रोज़ टच अछा लगता है.एक मोटे पेड़ से संगीता को सटके अफ़रोज़ अब उसके मम्मे मसालते अपना लंड उसकी चूत पे हल्के-हल्के रगड़ते बोला,"संगीता मै तुझे बहुत प्यार दूँगा मेरी रानी,ज़िंदगी भर तुझपे प्यार की बरसात करता रहूँगा मै."संगीता को बहुत मज़ा आता है बार-बार अफ़रोज़ से मम्मे दबाने से और गुदगुदी भी होती है.आफ्रोz से अपनी चूत पे गर्म लंड रगड़ने से अब वो और गरम होते बोली,"उम्म्म अफ़रोज़,यह क्या कर रहा है? प्लीज़ मुझे जाने दो,कोई देखलेगा प्लेअसे.Mऐ तुमसे बाद मै मिलूँगा,प्लीज़ मुझे अभी जाने दो."अफ़रोज़ भी सोचा की इससे अब ज़्यादा तंग किया तो कही नाराज़ ना हो.ळेकिन फिर भी उसके जिस्म से खेलते वो बोला,"ठीक है चोरँगा रानी तुझे लेकिन उसके पहले तुझे भी मुझसे तू प्यार करती है यह सुनने के बाद,तुझसे प्यार का इज़हार होने के बाद तुझे जाने दुन्ग.शन्गित मुझे तुझसे अकले मै मिलके बहुत सी बाते करनी है,कब मिलेगी मुझे फ़ुर्सत मै?"संगीता अब अफ़रोज़ के हाथ से छूटने की कोशिश करने लगी****से असल मै अफोर्ज़ से जिस्म मसल्ने मै माज़ा आ रहा था पर फिर भी वो बोली,"नही अफ़रोज़ मै तुमसे नही मिलुन्गि.Mउझे डर लगता है तुमसे अकेले मिलने,प्लीज़ अब जाने दो मुझे."संगीता का यह नाटक देख अफोर्ज़ को गुस्सा आय.Pअर अपने आप पे काबू रखते वो ब्रा कप उठाके संगीता के मम्मे नंगे करता है.शन्गित के गोरे टाइट मम्मे देखके अफ़रोज़ खुश होके निपल मसालते बोला,"संगीता अगर तूने प्यार का इज़हार और कल मिलने का वादा नही किया तो मै तुझे अब यही नंगी करूँगा, अब सूच तुझे क्या चाहाए रानी,नंगी होना है या प्यार का इज़हार करोगी?"इतना कहते अफ़रोज़ एक निपल चूसने लग.शन्गित को निपल चुसवाने से गुदगुदी होती है पर अब उसका जिस्म और गर्म होता है.Wओह सिसकारिया लाते बोली,"उम्म आह अफ़रोज़्ज़,नहिी प्लीज़ मुझे चोरो न.आफ्रोz मै हार गये,हन मै तुमसे प्यार करती हून अफ़रोज़,ई लोवे यौ.Pलेअसे देख मैने तेरी बात मान ली अब जाने दे मुझे अफोर्ज़."संगीता की बात सुनके अफ़रोज़ खुश होता है पर अब तड़पने की बारी उसकी होती है.आब वो संगीता को तब ही जाने दनेवाला था जब उसका दिल हो.Mअम्मे लीक करके एक निपल चूस्ते अफ़रोज़ बोला,"ओह थॅंक्स डार्लिंग,मै भी तुझसे बहुत प्यार करता हून.Pअर संगीता यह बता तू कितना प्यार करती है मुझसे?और मुझसे फुरस्त मै कब मिलेगी मारे घर यह भी बताओ रानी?संगीता को बड़ा अक्चा लग रहा थ.Wओह अफोर्ज़ के सिर पे हाथ रखते बोली, "आह अफ़रोज़्ज़्ज़्ज़ मै तुमसे बहुत प्यार करती हून,बहुत प्यार करती हून,मारे दिल मै सिर्फ़ तुम ही तुम है.आफ्रोz मै कल तुमसे मिलुन्गि.Mऐ डूफर को 2 बजे आयूंगी तारे घर.Pलेअसे अफ़रोज़ अब मुझे चोरो ना प्लीज़,कोई देखेगा हुमको तो बड़ी मुश्किल होगी मुझे."


The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता

Unread post by The Romantic » 13 Dec 2014 10:21

अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता - 02
संगीता के मम्मे,सीना मसलके चूमते अफ़रोज़ अब उसके होठ चूमने लगता है. संगीता भी गर्म होके अपना सीना अफ़रोज़ के हाथ पे दबाते उसके गले मै हाथ डालके किस का जवाब दाने लगती है.शन्गित की चूत पे लंड रगड़ते अफ़रोज़ उसको चूमते उसका जिस्म खूब मसालते बोला,"संगीता,तू कल शॉर्ट रेड त शर्ट और उसके नीचे वो मिनी ब्लॅक स्कर्ट पहंके आजा जो तूने लास्ट सनडे पहना था. तू उस ड्रेस मै बड़ी सेक्सी लगती है,आएगी ना रानी वोही ड्रेस पहंके?"संगीता को अफोर्ज़ से यह सब करवाने बड़ा माज़ा आ रहा था इसलिए वो अब जाने की कोई बात नही कर रही थि.आप्न जिस्म अफ़रोज़ के हाथो मै ढीला चोर्ते फिर भी नाटक करती बोली,"हन अओयूंगी मै ज़रूर अफ़रोज़ लेकिन प्लीज़ अब चोरो ना मुझे.घ्हर लाते गये तो मया चिल्लाएगी."अफ़रोज़ संगीता को आज इतना गर्म करना चाहता था की कल संगीता अपना जिस्म मसलवाने ज़रूर आए. इस लिए अभी भी संगीता के नंगे मम्मो से खेलते अब स्कर्ट के नीचे से उसकी नंगी झांग सहलाते वो बोला,"अछा रानी अब एक गुड नाइट किस दो मुझे,जिसके सहारे आज की रात गुज्रे.टु अपनी तरफ से एक किस मुझे दे फिर तुझे जाने दूँगा यहाँ से."संगीता को अब यहा बहुत डर लग रहा है पेर मज़ा भी बहुत आरहा था. वो असल मै चाहती थी की अफ़रोज़ और मसले उसका जिस्म.आफ्रोz को किस करने की बात से शरमाते वो बोली,"उम्म अफ़रोज़,ज़िद मात करो,मुझे जाने दो न.डेखो किस कल दूँगी तारे घर आके.Mउझे अभी जाने दे प्लीज़."अफ़रोज़ अब ज़िद पकड़के बैठा थ.शन्गित की झांग और नंगे मम्मे मसालते उससे और गर्म करते अफ़रोज़ बोला,"जाने दूँगा रानी पहले तुझसे प्यार तो जताने दो मुझे,तारे जैसे गर्लफ्रेंड तो नसीब्वलो को मिलती है.Zअर तारे इस जिस्म पे प्यार तो बरसाने दे मुझे जान."संगीता फिर अफ़रोज़ का हाथ पकड़ते बोली,"अफ़रोज़ अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो प्लीज़ मुझे जाने दो.डेखो मुझे बहुत डर लग रहा है.Mऐने तेरी बात मानी ना,तो प्लीज़ मुझे जाने दे."संगीता की झंगो पे हाथ फेरते अब उसकी चूत को पनटी के उप्पर से हल्के सहलाते अफ़रोज़ बोला, "आरे रानी दारगी तो मज़ा कैसे पावगी?देखो मै हू ना तो डरना नही समझी?तूने मेरी सब बाते कहा मानी जान,मैने बोला मुझे किस करके कल आने का वादा करके जा,पर तू किस ही नही कर रही मुझे तो तुझे जाने कैसे डून?कविता मै तुमको जाने नही देना चाहता हू रानी,मुझे तेरा साथ हमेशा के लिए चहये.टुम रूको तोड़ा टाइम और,आज पहले बार तुमसे प्यार की बाते कर रहा हू मै.टुझे क्यों इतने जल्दी जाना है?क्या मेरा हाथ अक्चा नही लग रहा तुझे?"अफ़रोज़ चूत सहलाते अब मम्मे बार-बार चूसने लगता है.शन्गित को अपनी चूत गिल्ली होने का अहसास होता है****के जिस्म मै बड़ी गर्म भर जाती है.आफ्रोz के मसल्ने से उसपे एक नशा सा छा जाता है और वो अफ़रोज़ को बाहू मै भरते बोली,"उम्म अफ़रोज़्ज़्ज़,बड़ा अक्चा लग रहा है मुझे.Mऐ भी नही चाहती तुमसे दूर होना पर अगर घर लाते गये तो मया चिल्लएगि.Mऐने वादा किया है ना तुझे की कल आयूंगी तो ज़रूर आयूंगी,अभी मुझे जाने दे अफ़रोज़."संगीता की चूत से हाथ निकलते अफ़रोज़ अब लंड चूत पे रगड़ते बोला,"संगीता क्या तुझे मेरा साथ अक्चा नही लगता रानी जो तू बार-बार जाने की बात कर रही है?क्या मारे साथ प्यार की बाते नही करनी तुझे?क्या तारे जिस्म से कर रहा प्यार तुझे अक्चा नही लग रहा?"संगीता तो गर्म थी ही पर अफ़रोज़ की हरकटो से वो डर रही थी की कही अफ़रोज़ उससे यही नंगी ना करेऑहुत पे रग़ाद रहे लंड की दीवानी हो गये थी वो. अफ़रोज़ को अपने बदन पे और खिचते संगीता मादक स्वर मै बोली,"हन अफ़रोज़, मै भी तारे साथ बहुत सारा वक़्त गुज़रना चाहती हून,मै तुमको बहुत प्यार करने लगी हून अफ़रोज़ पेर मुझे अब घर जाना है.Pलेअसे मेरी मजबूरी साँझ आफ्रोz.Mउझे बहुत लाते हो रहा है,मया ने पूछा तो क्या जवाब दूँगी?"अफ़रोज़ समझा की संगीता नाटक कर रही है.Wओह चाहती है की अफ़रोज़ उसका जिस्म और मसले,और खेले उसके साथ पर क़िस्सी के आने का डर था उस्से.झुक्के संगीता के मम्मो की दरार चूमते अफ़रोज़ बोला, "अगर तू मुझसे इतना प्यार करती है तो क्यो जल्दी जाना है तुझे मुझसे दूर संगीता?मई हमेशा के लिए तुझे मेरी बाहू मै भरके रखना चाहता हून रनि.शन्गित,प्लीज़ रूको ना तोड़ा टाइम मेरा दिल भरा नही रानी." अफ़रोज़ अब संगीता के मम्मे और निपल्स पिंच करता है जिससे संगीता और गर्म हो रही है.डिल ही दिल मै वो कहता है,'साली हरामी लड़की एक बार मारे हाथ से नंगी हो जेया फिर देख तुझसे क्या क्या करवाता हून मै.' निपल पिंच होने से और मज़ा आता है संगीता को और वो आहे भरते अफ़रोज़ से ज़्यादा चिपकते बोली,"अफ़रोज़ मुझे भी तुमसे दूर होने का दिल नही होता है पेर यहा डर लग रहा है किसी के आने का और घर लाते जाने का भी."संगीता का स्कर्ट पूरा उप्पर करके उसकी नंगी झांगे और छोटी पनटी देखके अफ़रोज़ और खुश होके नीचे बैठके झांग चटके बोला,"आरे रानी कोई नही आता यहाँ,आया तो भी हम कोने मै खड़े है तो दिखाने ही नही,तू घबरा मत. बस जवानी का माज़ा लेती रह मारे साथ." अफ़रोज़ ने सोचा की साली बहुत नाटक कर रही है अभी यह,लेकिन कल देख तुझे कैसे रंडी जैसे नाचता हून सालि.आप्नि झांगे चत्वाके लाते संगीता भी मज़ा लाते अफ़रोज़ से और छिपकने लगी. उससे यह फीलिंग बड़ी अची लगती है,ऐसा कभी फील नही हुआ था उस्से.ज़ब अफ़रोज़ पनटी के उप्पर से उसकी चूत चूमता है तो संगीता बहाल होके कमर आयेज करके,चूत अफ़रोज़ के मूह पे दबाते बोली,"अफ्फरूज़्ज़ ऊओ उम्म्म्ममम यह क्या कर रहे हो?मुझे अजीब सा लग रहा है तारे उधर चूमने से आफ्रोz.Pअर अब बस करो अफ़रोज़, मुझे जाने दो,कल मै आयुगी ना,अभी तो जाने दो मुझे."अफ़रोज़ खड़ा होके अब संगीता को पीछे से पकड़के उसकी गंद पे लंड रगड़ते दोनो हाथ से उसके मम्मे दबाते बोला,"संगीता,क्या तू सिर्फ़ अफ़रोज़-अफ़रोज़ बोलेगी या आयेज भी कुछ कहेगी रानी?" माममे मसालते वो सोचा की साली तारे जिस्म मै आज इतनी आग लगौँगा की कल तू बेचैन होके आएगी मारे पास अपनी चूत चुद्वन.आफ्रोz की इस हरकत से संगीता और ही मदहोश होके आँखे बंद करके बोली, "उउंम्म,हन अफ़रोज़,ई लोवे यौ.टु मुझे आज बहुत खुशी दे रहा है अफ़रोज़. आइसा माज़ा तो पहले कभी नही मिला था मुझे."अपना तगड़ा लॉडा अब संगीता की गंद पे घिसते उसके मम्मे ज़ोर्से दबाने लगता है अफ़रोज़ जिससे संगीता के कमसिन बदन मै आग बढ़ती जाती है.खस्के संगीता को पकड़के अफ़रोज़ ने सोचा की साली कल इससे छोड़के इसके सब नाटक बंद करुन्ग.Bअहुत इतराती है साली यह चुतँइप्प्लेस को उंगलिओ से पकड़के उन्हे हल्का सा खिचते वो बोला,"संगीता,मुझसे कितना प्यार करती है यह तो बताओ ना?"अफ़रोज़ की हरकटो से संगीता को बहुत अक्चा लग रहा था****के जिस्म पे नशा चाड रहा थ.आफ्रोz के लंड के टच होने से सारी बॉडी मै आग लगी थी और दूध मसल्ने से और भी बढ़ रही था आग. अपने मम्मो पे लगे अफ़रोज़ के हाथ वही मम्मो पे थमते वो बोली,"अफ़रोज़ मै बहुत प्यार करती हून. मारे दिल मै,ज़हन मै सिर्फ़ तुम ही तुम हो.आअज दुनिया मै तुमसे बढ़के कोई नही है मारे लिए." इस जवाब दे अफ़रोज़ का दिल नही भर.Wओह और ज़्यादा कुछ सुनना चाहता था संगीता से,इसलिए अब पीछे से उसने संगीता का स्कर्ट उठाके पनटी के उपर से अपना लंड संगीता गंद पे रगड़ते संगीता को और ही ज़्यादा गर्म करते सोचा की साली कैसे तड़प रही है यह कमसिन लड़की?इसकी चूत छोड़के इससे औरत बनाने मै बड़ा माज़ा आयेग.श्किर्त उठाने और अफ़रोज़ का लंड सिर्फ़ पनटी के उप्पर से गांद पे टच होने से संगीता चमकते स्कर्ट नीचे करती है.Wओह तुर्न होते घबराहट से बोली,"अफ़रोज़ यह क्या कर रहे हो?मेरा स्कर्ट क्यो उठा रहे हो पीछे से?प्लीज़ अब मुझे जाने दो,अब मुझे बहुत डर लग रहा है." रियल मै संगीता को उस मोटा लंड के टच से बहुत मज़ा आता है.Wओह कड़क लंड अपनी नरम गांद पे दबने से उससे करेंट लगता है.आफ्रोz उससे तुर्न नही होने देता और फिर स्कर्ट पीछे से उप्पर करके लंड रगाते बोला,"तुझे मेरा प्यार दिखा रहा हून रानी,क्योकि तू मुझे नही बता रही है की तू मुझसे कितना प्यार करती है मै दिखा रहा हून की मुझे तुझसे कितना प्यार है." संगीता बार-बार स्कर्ट को नीचे करने की कोशिश कर रही थि.Pअर अफ़रोज़ उससे कमियाब नही होने दे रहा था इस कोशिश मै.आअखिर मै संगीता की कमर तक स्कर्ट उठाके जान अफ़रोज़ संगीता की गांद पे लंड रगड़ने लगता है.आब संगीता रेज़िस्टेन्स कम करते बोली,"उम्म नही अफ़रोज़,स्कर्ट आइसे उप्पर मत करो,तू बता मै प्यार का इज़हार कैसे करू?अफ़रोज़ साची मै तुमको बहुत प्यार करती हून मै पर अब प्लीज़ ऐसा मात करो,कोई आयेग.Mउझे डर लग रहा है क़िस्सी के भी आने का.


Post Reply