अमेरिका रिटर्न बंदा compleet

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raj..
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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

Unread post by raj.. » 14 Dec 2014 09:59

अमेरिका रिटर्न बंदा--2

गतान्क से आगे…………………………..

"उहह, प्पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़. भाई" "चुम्मा लिए बगैर तो नहीं जाने दूँगा" कहते हुए पंकज झुका ओर उसके होन्टो को चूम लिया. "बोलो! दे रही हो चुम्मा, या यूँ ही हाथ फेरता रहूं अपनी सेक्सी बहन के बदन पर, " "आप ने ले तो लिया" प्रिया की निगाहे झुकी जा रही थी. एरपोर्ट का चुम्मा तो भाई के प्यार जताने का तरीका था लेकिन यह चुम्मा उसकी ज़िंद'जी का पहला चुम्मा था ओर वो उसकी सर'सराहट को महसूस कर रही थी. वो ना चाहते हुए भी इसे एंजाय कर रही थी. . "यह भी कोई चुम्मा था. चुम्मा तो वो होगा जो तुम खुद अपनी मर्ज़ी से दोगि ओर मैं जब तक जाम खाली ना कर दूं इन लबों को छोड़ने वाला तो नहीं" शरारत से कहते हुए दूसरा हाथ भी दरार से उठ कर चुतडो पर रखा ओर दोनो हाथों से टाइट स्क्वीज़ दी. प्रिया ने निकलती सिसकारी को होन्ठ दबा-कर रोका ओर कुच्छ कहने की कोशिश की लेकिन पंकज ने फिर बाधा दी. "प्यारी बहना! दे दो वरना यूँही हाथ फेरता रहूँगा ओर जहाँ दिल चाहा चुम्मा भी करूँगा, " यह कहते हुए एक कातिलाना मुस्कुराहट पंकज के चह'रे पर सज गयी थी और एक हाथ चुतड से हटा कर साम'ने की तरफ लाया ओर सीधा आगे से दोनो टाँगों के बीच मे पहूंचा दिया. अपनी चूत को बचाने के लिए प्रिया कुच्छ भी ना कर पाई सिवाए आउच कहने के. प्रिया ने पीछे हट'ना चाहा पर पीछे दीवार ही थी. जाती कहाँ सो कस मसा कर रह गयी. उसे इस खैल मैं अब मज़ा आने लगा था लेकिन साथ साथ डर भी लग रहा था के कोई आना निकले यहाँ. "ठीककक है. सिर्फ़ एक, " होल से शरमाते हुए कहा, "गुड. यह हुई ना बात!!" कहते हुए पंकज ने अपने दोनो हाथों के प्याले मे प्रिया का चेह'रा थाम लिया ओर उसके होन्टो पर झुक गया. पंकज अप'नी बहन के मस्ताने होन्ठो को ना जाने कित'नी देर चूस'ता रहा. प्रिया ने भी आँखें बंद कर ली थी. फिर अचानक प्रिया हड'बड़ा के पंकज से हटी और भाग कर अप'ने कम'रे में चली गई. इस घट'ना के बाद प्रिया पंकज के साम'ने अकेली पड़'ने से कत'राने लगी.

कुच्छ दिन फिर यूँही बीत गये. पर प्रिया के साथ जो भी पंकज ने किया था उस'से उस'की हिम्मत और बढ़ गयी. एक दिन पंकज जैसे ही अपने बेडरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर घुसा नीता को अंदर ही पा कर अपनी आँखे गोल गोल घुमाने लगा. नीता बेड पर झुकी झुकी पंकज के सूट केस को खाली कर रही थी. उसे यह अहसास ही ना हो सका के उसका अमेरिका में बिग'ड़ा हुवा देवर अंदर आन पहूंचा है. पंकज कुच्छ देर खड़ा खड़ा अप'नी मस्त भाभी की सुडोल गान्ड का नयन सुख लेता रहा. फिर वा अपने कदम भाभी की ओर बढ़ाने लगा. बाज़ाहिर तो नीता सूट केस से कप'ड़े निकालने मे ही मगन थी लेकिन उसका ज़हन पंकज मे ही खोया हुवा था और होन्टो पर हल्की सी मुस्कुराहट जमी हुई थी. चुतडो ओर चूचियों पर पंकज के हाथ की शैतानियत उसके दिल को गुद गुदाये दे रही थी ओर इसी दोरान पंकज उसके पीछे आ खड़ा हुवा ओर उसे पता ही ना चला के कब पंकज कम'रे मे अंदर आया ओर कब उसके पीछे आकर खड़ा हो गया. झुकने की वजह से नीता की गान्ड कुच्छ आगे को बाहर निकल आई थी और यह देख कर पंकज के हाथ बे-क़ाबू से हो गये ओर सीधे हाथ से फूले हुए चुतडो पर एक धप सी रसीद कर दी ओर नीता सहमी हुई आवाज़ के साथ उच्छल सी पड़ी. और हड'बड़ा कर जैसे ही पलटी पंकज को अपने साम'ने पा कर उसके हाथों के तोते उड़ गये. आख़िर हिम्मत बटोर के उस'ने कहा,"यहाँ क्यों आए हो, बाहर जाओ. अभी मैं काम कर रही हूँ. " "नोप!!! मैं नहीं जाऊँगा, यहीं बैठा हूँ आप अपनी सफाई जारी रखिए" शरारत से पंकज ने कहा ओर नीता की साइड से निकल कर वहीं बिस्तर पर सीधा लेट गया ऑर शरा'रत से नीता को देखते हुए सीटी बजाने लगा. अचानक पंकज एक दम से उठा ओर लपक कर दरवाज़ा बंद कर दिया. "यह क्या बद-तमीज़ी है ओर अभी तुम ने यह पीछे से क्या किया था" झूट मूट का गुस्सा दिखाते हुए नीता ने कहा, "बद-तमीज़ी?, बद-तमीज़ी कहाँ थी. मेरी मस्तानी भाभी, मैने तो प्यार किया था. " पंकज ने दाँत निकाले ओर कदम नीता की तरफ बढान शुरू कर दिए, "देखो!!! बद-तमीज़ी की नहीं हो रही है, हां, शराफ़त से यहाँ बगल में बैठ जाओ मैं तुम्हारे सूट केस से कपड़े निकाल कर हॅंगर मे सेट कर देती हूँ." बोखलाते हुए नीता ने पीछे खिसकना शुरू किया. "ओके, ओके, बैठ जाता हूँ भाई साइड पे. डर क्यों रही हैं. " यह कहते हुए पंकज सूट केस के बरा बर मे ही बैठ गया.

"थोड़ा उधर हो कर बैठो या वहाँ चेर पर जा कर बैठो, " मून-मूनाते हुए नीता ने कहा. "अब हर बात नहीं मानूँगा भाभी वैसे भी आप ने कुच्छ दिखाने का कहा था अपनी. " अपनी आँखे नीता की चूत की तरफ फोकस करते हुए कहा, हाय रे मैने ककब कहा बेशरम, मारूंगी एक हाथ" नीता एक दम बोखला सी गयी."बेशरम थोड़ी सी भी लज्जा नहीं आती इस तरह से बात करते हुए" गुस्सा दिखाते हुए वो एक बार फिर सूट केस पर झुक गयी ओर पंकज उसे सिर से पैर तक खा जाने वाली निगाहों से घूर्ने लगा ओर इन निगाहो की तपिश नीता अपने पूरे जिश्म पर महसूस कर रही थी और बोख'लाहट मे जो कपड़े निकाल चुकी थी; उन्हे फिर सूट केस मे ठूँसने लगी ओर जब अहसास हुवा तो झुँ'झला सी गयी. "क्या है पंकज, काम क्यों नहीं करने दे रहे" गुस्सा दिखाते हुए नीता ने सीधे हो कर कहा, "कुच्छ दिखा दें. चला जाऊँगा, " यह कहते हुए पंकज ने जीभ निकाल दी. "बेशरम, ठहरो तुम एक मिनिट, अभी बताती हूँ तुम्हें" यह कहते हुए नीता उसे झूट मूट मारने के लिए झुकी ओर पंकज जैसे इसी मोक़े की तलाश मे था. एक झटका ही देना था ओर नीता चारों खाने उसकी छाती पर चित थी. पंकज का एक हाथ फॉरन नीता के चुतडो पर गया ओर दूसरा हाथ ब्लाउस के खुल्ले हिस्से पर, "ककक्किया कर रहे हो, छोड़ो, लोफेर कहीं के. " एक दम से कस'मसाते हुए नीता ने बा-मुश्किल कहा, ओर पंकज की गिरफ़्त से आज़ाद होने के लिए मचलने लगी. किसी चिकनी मछलि की तरह. भाभी को हाथों से निकलते देख कर पंकज ने बाँहों मे लिए लिए ही एक करवट ली ओर अब नीता पंकज के नीचे आचुकी थी और कस'मसाहट मे उस'में पहले जैसी ज़िद-ओ-जहद बाकी ना रही. "कुच्छ नहीं करूँगा मेरी गरमा गरम भाभी, सिर्फ़ प्यार करूँगा ओर आपकी यह रसीली सी चूत देखूँगा. " साऱी के ऊपर से ही चूत को अपने लौडे से रगर्ते हुए कहा. लौडे की चुभन नीता ने भी फॉरन महसूस कर ली ओर उस पर पंकज की सॉफ इशारा कर'ती बाते, जिस'से नीता एक दम लाल सी हो गयी. हट जाओ हां देवर जी, अब चीखूँगी ना तो देवर जी इतने जूते पड़ेंगे ना , सारी चू. . . " ओर एक दम से अपनी जीभ दाँतों तले दाब ली, पंकज भी समझ चुका था के यह 'चू' सिर्फ़ चू नहीं था बलके चूत की तरफ इशारा किया जा रहा था. "चीखैंगी तो आप बिल्कुल भाभी, अमेरिका मे काफ़ी लौन्डियो की ली है ओर जिसे भी चोदा वो चीखती ज़रूर थी. , " यह कह'ते ही पंकज झुका ओर नीता के दहक'ते लबों पर अपने होन्ठ रख दिए ओर मज़ा ही आगया, सीधे दोनो हाथ अपनी भाभी के जोबन पर थे ओर होन्ठ अपनी प्यास बुझा रहे थे. नीता के अंदर एक तूफान सा बरपा हो रहा था. पंकज के हाथ ओर होन्ठ दोनो अपना कमाल दिखा रहे थे. "वंडरफुल!! आह भाभी क्या रसीले होन्ठ हैं आप के. दिल चाहता है यह जम पीता ही रहूं" एक हाथ से उनकी चूची को दबाते हुए कहा. "जी तो दिखाएँ अब अपनी प्यारी प्यारी चूत." गालों को चूमते हुए पंकज ने कहा. "बेशरम ना हो तो." शरम से लाल होते हुए नीता सिर्फ़ यही कह पाई. "मैं कल ही तुम्हारे भैया से कककहती हूँ के तुम्हारे लिए कोई लड़की देखे, बब्बेशरररम. आहह, " मम्मो पर पंकज के हाथों का दबाव कुच्छ ज़्यादा बढ़ गया तो सिसकारियों को नीता रोक ना पाई.

raj..
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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

Unread post by raj.. » 14 Dec 2014 10:00

"हुह!!, आप होती तो शादी का फॉरन हां कर देता, हां अलबत्ता आप की कोई बहन हो आप जैसी तो मोस्ट वेलकम" कहते हुए अपना एक हाथ चूची से हटा कर नॅफ की तरफ ले गया, अंघूठे को नाभी मे घुसा कर दबाते हुए थोड़ा नीचे की तरफ खींचा तो नीता के होन्ठ ओ शेप मे खुल से गये जिसे पंकज देख कर मुस्कुरा दिया. हाथ की हरकत को जारी रखते हुए कुच्छ और नीचे ले गया. साऱी 2 इंच नाभी के नीचे थी और उसकी यह सेट्टिंग मुनासिब नहीं लग रही थी. एक उंगली साऱी ओर पेटिकोट दोनो के कोनों मे घुसा कर हाथ के सफ़र को फिर जारी रखा ओर नाभी से नीचे की तरफ साऱी को खींचा .

"ओह ओह, ककक्किया , क्या करर्र रहे हो यह, हटो. " हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन जिस क़दर साऱी खीच सकती थी, वो खिच चुकी थी और इस क़दर खिच चुकी थी कि पंकज अगर अंघूठे के सहारे साऱी को थोड़ा ऊपर उठाता तो चूत बिल्कुल नीचे ही होती.

पंकज जवाब मे नीता के होन्टो पर फिर झुक गया ओर एक भरपूर चूम्मा लिया. साथ ही अपने हाथ की हरकत को जारी रखते हुए एक अंगूठा तो साऱी मे घुसाए रखा ओर हाथ को बलिश्त नापने के अंदाज़ मे शेप दी. चूके साऱी इस क़दर नीचे थी तो वो बलिश्त कुच्छ इस तरह आई के पूरी चूत को ओक्कुपी कर लिया. नीता हाथ को हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी; चुम्मे के दोरान भी लेकिन हाथ की शैतानियत जारी थी.

अब पंकज सिर उठा कर नीता के पूरे बदन को भूकि निगाहों से देखने लगा. जब के नीता अपनी साँसों को काबू करने के साथ साथ पंकज को हटाने की कोशिश भी करने लगी.

"सस्शह, कुच्छ नहीं सुनूँगा, चूत देखे बगैर नहीं जाऊँगा प्यारी सेक्सी भाभी जान" ओर अपने हाथ को जो बलिश्त नापने के अंदाज़ मे चूत पर फैला हुवा था वो हाथ एक दम मुट्ठी की शकल मे बना ओर इतनी टाइट स्क्वीज़ दी के नीता खुद पर काबू ना रख सकी ओर दोनों हाथों से पंकज के कंधे को भींच लिया.

"ओह्ह्ह्ह, औचह." हाथ कुच्छ इस स्थिति मे था के चार उंगलियाँ चूत को नीचे से ऊपर की तरफ भींचने की कोशिश कर रही थी जब के अंगूठा जो के साऱी मे अडसा हुवा था वो ऐंगल दे कर कुच्छ इस तरह शेप मे आया के अंगूठा जहाँ फँसा हुवा था वहाँ से साऱी कुच्छ ऊपर को उठ गयी. अंदर का नज़ारा कर के ही पंकज मस्त हो गया ओर पंकज ने झुक कर अपने होन्ठ मम्मो पर रखने चाहे. तभी पंकज की गिरफ़्त कुच्छ हल्की पड़ी ओर नीता ने पंकज को ऊपर से धकैला ओर जैसे ही उठ कर भागने की कोशिश की पंकज ने जल्दी से नीता का एक हाथ पकड़ कर एक लहर सी जो उसे दी तो घूमती हुई वो अपने ही ज़ोर मे आकर पंकज की गोद मे धम से गिरी. "औकचह!!आह मार डाला.

"क्या छीना झपटी लगाई हुई है भाभी. कहा ना चूत देखे बगैर तो बिल्कुल भी नहीं जाने दूँगा" शरारत भरे अंदाज़ मे पंकज ने कहा. नीता के सीने से साऱी हट चुकी थी; घूमने के दोरान ओर पंकज का एक हाथ नीता के बाएँ मम्मे पर था जब के दूसरा हाथ से उस'ने फिर साऱी को नीचे सरकाने की कोशिश की थी. लेकिन बैठे होने की वजह से अब वो पहले जितनी नीचे ना जा सकी. यह महसूस कर के पंकज ने नीता की नाभी मे अपना अंगूठा ओर एक उंगली डाल दी ओर उसे मुख्तलिफ तरीक़ों से मसल रहा था. कभी नाभी के दोनो कॉर्नर्स अंगूठा ओर उंगली रख कर इस तरह मसल'ता के गहरी नाभी बंद सी हो जाती ओर कभी अपनी उंगली डाल कर ड्रोलिंग सी कर देता.

"छोड़ो" अपने नाज़ुक हाथों से पंकज के हाथों की शैतानियाँ रोकने की कोशिश करते हुए नीता मून'मुनाई. "चूत" पंकज चूची से हाथ हट कर साऱी के ऊपर से ही चूत पर रखते हुए कहा ओर होले होले सहलाने लगा. "बिल्कुल नहीं" नीता ने शरम से लाल होते हुए कहा ओर पंकज के हाथों को हटाने की नाकाम कोशिश जारी रखी. "ह्म तो भाभी आप को भी मज़ा आरहा है इस छेड़'खानी मे हां, वरना अब तक तो अपनी रसीली चूत दिखा कर जान छुड़ा चुकी होतीं" गालों को चूमते हुए पंकज ने शरारत से कहा.

"बद-तमीज़!!, " नीता बुरी तरह से शर्मा गयी. "बेशरम! तुम्हारे भाई को पता चला ना के तुम मेरे साथ क्या क्या कर रहे हो ओर क्या माँग रहे हो तो इतनी मार लगाएँगे के सारी मस्तियाँ अंदर रह जाएँगी, "एक भरपूर कोशिश कर के नीता उठ्ने मे कामयाब हुई थी कि पंकज ने फिर गोद मे गिरा लिया. "अरे, भाई को क्या प्राब्लम होगी भाभी, जो चीज़ वो देख चुके है मैं भी तो वही देखने को कह रहा हूँ" यह कहते हुए पंकज ने अपनी गिरफ़्त कुच्छ हल्की छोड़ी ओर नीता मोक़ा गनीमत जानते हुए फॉरन उठि. लेकिन पंकज ने गिरफ़्त हल्की की ही इसी लिए थी कि वो उसे सिड्यूस करना चाह रहा था. जैसे ही वो उठि पंकज भी उठ खड़ा हुवा ओर लपक कर नीचे झुकते हुए नीता को अपनी बाँहों मे उठा लिया. चूके साऱी पहले ही अपनी जगह से हट कर नीचे आन पाहूंची थी सो नाभी पंकज के होन्टो के बिल्कुल साम'ने ही अपने जोबन पर थी. पंकज अपने सुलगते होन्ठ अपनी भाभी की नॅफ पर होले से अभी रख ही पाया था के नीता को जैसे एक करेंट सा लगा ओर अजीब अंदाज़ मे निकलने की कोशिश की जिस'से स्थिति कुच्छ इस तरह बनी की नीता का पेट तो होन्टो से हट गया लेकिन नितंब पीछे को हो कर पंकज के हाथों को मज़ा देने लगे. पंकज नीता को ऐसे ही उठाए हुए घूम कर बेड पर खड़ा कर दिया ओर खुद नीचे ही खड़ा रहा. एक हाथ नीता की कमर के बॅक पर दूसरा चुतडो पर रखते हुए. जब के नीता उसे सिर से थामे उसे दूर करने की कोशिश कर रही थी. वो समझ चुकी थी कि पंकज उसकी नाभी को चूम'ना चाहता है ओर नीता अच्छी तरह जानती थी कि यह उसकी काफ़ी सेनसटिव जगह है. वो अपने जज़्बात पर नियंत्रण नहीं कर पाएगी. लेकिन पंकज एक मूँ'ह ज़ोर तूफान था. आख़िर उस'ने अपने होन्ठ नीता की नॅफ पर रख दिए.


raj..
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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

Unread post by raj.. » 14 Dec 2014 10:00

"उम्म.पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़, देवरररर जी." उसकी साँस जैसे अंदर ही कहीं रुक गयी थी और टूट्ति, बिखरती सांसो से बेतरतीब यह अल्फ़ाज़ पंकज को मज़ीद उकसा रहे थे. "ब्स्स्स. आब्ब्ब, छोड़ो पंकज" वो उसे छोड़ने का कह रही थी. लेकिन अपने हाथों से पंकज के सिर को अंदर की तरफ दबाए जा रही थी, जज़्बात के मारे. "उम, क्या मस्त माल हो भाभी, मज़ा आगेया." पंकज ने अपना सिर उठाया ओर जीभ फेरते हुए कहा ओर गान्ड पर रखे हाथ को चूत एरिया पर लाते हुए एक बार फिर साऱी को पेटिकोट के साथ नीचे को खींचा. साऱी पहले से भी ज़्यादा नीचे आगयी ओर नीता अचानक होश मे आगयी. अल'ता के गहरी नाभी बा "क्यों, जी दिखा रही हैं चूत अपनी, अपने देवर को .भाई जब साली आधी घर वाली हो सकती है तो देवर क्यों नहीं, हां. ?, भैया आप की चूत देख सकते हैं तो हमें भी कुच्छ हक़ मिलना चाहिए ना जी." नीता की गान्ड को पिंच करते हुए पंकज ने कहा. बहुत कुच्छ हो चुका था. अब नीता को डर लग रहा था के कोई अंदर ना आजाए. पंकज काबू मे ही नहीं आरहा था ओर उसे लग रहा था के वो चूत देखे बगैर उसे जाने भी नहीं देगा, लेकिन इस ख़याल से ही उसे शरम आरहि थी कि वो अपने देवर को खुद चूत का नज़ारा करवाए. तभी डोर बेल बजी और नीता हड'बड़ा के उठी. दरवाजा खोला तो काम कर'ने वाली बाई थी. उस दिन तो भाभी की पंकज से जान छुट गई. दूस'रे ही दिन की बात है. पंकज रोज की तरह नहाने वाला था. भाभी ने आवाज़ दी और बोली .

तेरे नहाने का पानी तैयार है" पंकज बाथ रूम में गया. तभी भाभी को याद आया के उसने पंकज को बहुत ही गरम पानी दिया है. भाभी ने कहा " अरे, थोड़ी देर रुक में तुझे ठंडा पानी परोसती हूँ". भाभी ने साऱी पहनी थी. बाथरूम बहुत छोटा था. दो आदमियों से भी वह भर जाता है. पंकज अंदर था और भाभी बाथरूम में आगाई. पंकज नंगा ही नहाता था पर भाभी आने वाली थी इस'लिए टवल बाँध के रखा था. भाभी अंदर आई, पंकज भाभी के पीछे खड़ा था. भाभी पंकज के साम'ने झुकी. उसका मूँ'ह दूस'री तरफ था और उसकी गान्ड पंकज की तरफ थी. वह ठंडा पानी गरम पानी में डाल रही तही. तभी उसकी गान्ड पंकज के लंड को लगी. पंकज को करेंट सा लगा और लंड 180 डिग्री खड़ा हो गया. भाभी को भी चुभन महसूस हुई. भाभी ने पानी डाला और वह फ़ौरन कुच्छ मुस'कराती सी बाहर चली गई. उसी रात पंकज भाभी के कम'रे में पहूंचा और आश्चर्य की भाभी का कम'रा अंदर से बंद नहीं था. भाभी दूस'री तरफ मूँ'ह कर'के सोई हुई थी. पंकज पलंग पर बैठ गया और भाभी की कमर पर हल'के से हाथ रख दिया. भाभी जब हिली भी नहीं तो पंकज भी नीता के पीछे लेट गया और भाभी को चिपका लिया. अब लंड भाभी की गान्ड को छूने लगा. धीरे धीरे पंकज ने हाथ भाभी की चूचियों पर रखे और उन्हे सहलाने लगा. उसे लगा भाभी सो गई है लेकिन वह सोने का नाटक कर रही थी. पंकज ने धीरे धीरे हाथ भाभी के पेट से घुमा के भाभी की साऱी में डाला. अचानक, भाभी ने हाथ पकड़ा और बोली.

क्रमशः..........................


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