सुष्मिता भाभी compleet

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The Romantic
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Re: सुष्मिता भाभी

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 16:50

शालु खिसकते हुवे मेरे नीचे आ गयी और मेरी गांद में पड़ते लंड के हर धक्के के असर से हिलती हुई मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चुभलाने लगी जिस से मेरा आनंद और भी बढ़ गया. वो लड़की अब भी शालु के चूत को चाते जा रही थी और शालु अपना पेरू सटका सटका कर उस से अपनी चूत चटवाए जा रही थी. शालु मेरी एक चूची को मुँह में लेकर चूस्ते हुवे मेरी दूसरी चूची की घुंडी को अपने उंगलियों में लेकर मसालते जा रही थी. इस तरह तुमहरी बीवी से अपना चूची चुस्वाते और मसलवाते हुवे उस का लंड अपनी गांद में पेल्वाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरा मन कर रहा था कि गांद में घुसते लंड की तरह ही एक और मोटा सा लंड कोई नीचे से मेरे चूत में पेल देता. मैं अपना हाथ नीचे लेजा कर अपनी चूत को मलने लगी थी. वो लड़की शायद मेरे मन की बात ताड़ गयी थी. वो उठकर वहीं पड़े टेबल के ड्रॉयर से दो मोटे नकली लंड निकाल लाई. एक लंड करीब 12 इंच लंबा था और दूसरे का साइज़ 14 इंच के आस पास था. छ्होटा वाला लंड शालु ने ले लिया और उसे मेरे चूत में पेलने लगी. दो तीन धक्कों में ही उसने पूरा लंड मेरी चूत में थेल दिया. अब एक तगड़ा लंड मेरी गांद में अंदर बाहर हो रहा था और उस से भी बड़ा एक लंड मेरे चूत में अंदर बाहर हो रहा था. मैने शालु से वो छ्होटा वाला लंड निकाल कर बड़ा लंड मेरी चूत में पेलने को कहा. उसने तुरंत मेरे चूत में ठुसे लंड को निकाल कर उस लड़की को थमाते हुए उसके हाथ से लंबा वाला लंड लेकर मेरे चूत में थेल दिया. वो लड़की मेरे चूत से निकाल कर दिए लंड को शालु के चूत में पेलने लगी. . अब मेरे चूत में 14 इंच लंबा और गांद में 10 इंच लंबा लंड सटा सॅट अंदर बाहर होने लगे थे. मैं तो अपने दोनो च्छेदों में घुसते निकलते लंडों के मज़े को पाकर स्वर्ग का सफ़र करने लगी थी. यूँ ही तेरी बीवी मेरे चूत में और वो जालिम मर्द मेरी गांद में अपना लंड पेलते रहे. मैं गांद हिला हिला कर अपनी गांद और चूत में एक साथ लंड पेल्वाति रही.

उधर वो लड़की शालु के छूट में 12 इंच लंबा आर्टिफिशियल लंड पेलकर हिलाते जा रही थी. मैं चरम बिंदु के करीब पहुँच चुकी थी की तभी उस ने अपने लंड का पानी मेरी गांद में उडेल दिया. मेरी चूत भी ठीक उसी वक़्त अपना पानी छ्चोड़ने लगी. वो अपना लंड कच कचाकर मेरी गांद में और शालु आर्टिफिशियल लंड को मेरे चूत में ठेले हुवे थी. मैने अपना चूत और गांद दोनो बड़ी ज़ोर से सिकोडे हुवे अपने दोनो च्छेदों में एक एक लंड को संभाली हुई थी. हमारा पहले राउंड की चुदाई ख़तम होते ही बाहर से दरवाजा नॉक हुवा. उस लड़की ने कौन है पुछ्ते हुवे दरवाजा खोल दिया. रूम में एक साथ 10 लड़के प्रविस्ट हुवे. हमें पहले से ही नंगा देख कर वी जल्दी जल्दी अपने कापरे खोलने लगे और कुच्छ ही देर में वी सब भी नंगे हो गये. उन में से हर एक का लंड ताना हुवा था. उन में से किसी का भी लंड 10 इंच से कम का नहीं था. वो दो ग्रूप में बाँट कर हम दोनो की तरफ बढ़ने लगे. मेरे पास आकर एक ने मेरी एक चूची को तथा दूसरे ने मेरी दूसरी चूची को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगे. एक ने मेरी चूत में तथा एक ने मेरी गांद में उंगली पेल डी और अंदर बाहर करने लगे, पाँचवे लड़के ने अपना लंड मेरे मुँह में पेल दिया जिसे मैने चूसना शुरू कर दिया. ठीक इसी तरह शालु के गांद तथा चूत में दो लड़के अपनी उंगली पेलने लगे तथा दो लड़के उसकी एक एक चूची अपने मुँह में लेकर चुभलाने लगे और पाँचवे ने अपना लंड उसके मुँह पे सटा दिया जिसे वो चूसने लगी थी. शालु उन दोनो लड़कों का लंड अपने दोनो हाथों में लेकर सहला रही थी जो उसकी चूचियों को चूस रहे थे. मेरे और शालु के गांद और चूत में जो लड़के अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर पेल रहे थे उनका लंड हमारे कमर के पास हिचकोले मार रहे थे. हम दोनो के साथ एक बार में पाँच पाँच लड़के भिड़े हुवे थे. वो पहले वाला मर्द जो अभी कुच्छ ही देर पहले तेरी बीवी को और फिर मुझे चोद चुक्का था वो अब उस लड़की को अपनी गोद में लेकर सोफे पे बैठा हमारा खेल देखता हुवा उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियों से खेल रहा था.

वो लड़की उसकी गोड में बैठी अपनी चुटटर उस के लंड पे रगड़ रही थी. उस का लंड उसके चुटटर को स्प्रिंग की तारह उपर उठा रहा था. दस पंद्रह मिनिट तक हमारे साथ ऐसे ही खेलते खेलते वी लड़के काफ़ी गरम हो गये, हम दोनो का बदन तो पहले से ही गरम था ही उपर से दस दस लड़कों के तनतनाए हुवे लंड देख कर और अपने बदन पे उनके द्वारा की गयी च्छेदखानी के कारण हमारी चूतो में खुजली होने लगी थी. उन में से मेरी चूंचियों से खेलते लड़कों में से एक ने नीचे चित लेटते हुवे मुझे अपने उपर खींच लिया और अपना लंड मेरे चूत पे रखते हुवे मुझे उपर से धक्का मारने को बोला. जब मैं उपर से धक्का मारी तो उसने नीचे से अपना चुटटर उच्छल कर अपना पूरा लंड मेरे चूत में पेल दिया. मेरी दूसरी चूची से खेलता लड़का मेरे पिछे आकर मेरी गांद में अपना लंड पेल दिया. मेरी गांद में उंगली करते लड़के ने अपना लंड मेरे मुँह में रख दिया जिसे मैं चाटने लगी. बाकी दोनो लड़कों का लंड मैं अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी. उसी तरह एक लड़के के उपर चढ़ कर शालु ने उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और ठीक मेरी ही तरह एक लड़के ने अपना लंड उस की गांद में और दूसरे ने अपना लंड उस के मुँह में पेल दिया था. वो भी एक एक लड़के का लंड अपने हाथों में लेकर सहला रही थी. हम दोनो के चूत, गांद और मुँह में एक एक लंड एक साथ अंदर बाहर हो रहे थे और हम अपने हाथों में एक एक लंड पकड़े कभी उन्हें सहलाने लगती थी तो कभी सिर्फ़ ज़ोर से पकड़ कर अपनी चूत गांद और मुँह में लंड पेल्वाने का मज़ा लेने लगती थी. हमारे चूत और गांद में उनके लंडो के धक्के का स्पीड हर पल बढ़ता ही जा रहा था. चूत और गांद में जिस रफ़्तार से लंड घुस और निकल रहे थे उस से भी तेज गति से हमारे मुँह में लंड का धक्का पड़ रहा था. आनंद के मारे हम पागल हुवे जा रही थी. .. ऐसी जानदार चुदाई का खेल हम दोनो में से किसी ने भी आज से पहले नहीं खेला था. दस पंडरह मिनिट की शानदार चुदाई के बाद उन लड़कों ने अपना पोज़िशन चेंज किया. मेरी गांद में जो अब तक अपना लंड पेल रहा था वो अब अपना लंड मेरे मुँह में पेलने लगा. जिन दो लड़कों का लंड मैं अपने हाथों से सहला रही थी उन में से एक ने अपना लंड मेरी चूत में और दूसरे ने अपना लंड मेरी गांद में पेल, धक्का मारने लगा. शालु की चूत चोद्ते लड़के ने अपना लंड अब उस के मुँह में पेल दिया और जिन दो लड़कों का लंड वो हाथों से सहला रही थी उन में से एक ने अपना लंड उसकी चूत में और दूसरे ने अपना मोटा लंड उसकी गांद में पेल कर घचा घच चोदना शुरू कर दिया था. हमारे गिड गिदने से वो लड़के तो मान गये लेकिन हमें वान्हा लाने वाले मर्द ने कहा, अरे भाभियों आज मेरी वजह से तुम लोगों को इतने शानदार चुदाई का मौका मिला और तुम्हारी घंटों की जानदार चुदाई देख देख कर मेरा लंड तुम्हारे चूत और गांद के लिए पागल हो रहा है, कम से कम एक एक बार अपना चूत और गांद का रास्पान तो करा दो इसे. उसके आग्रह और उसके लपलपते लंड पे हमें तरस आ गया और फिर पहले शालु ने और उस के बाद मैने उसके लंड को एक एक बार अपनी चूत और गांद का रास्पान करा दिया. हमारे चूत और गांद से उनका वीर्या टपक टपक कर बाहर चू रहा था. हमारे बदन पे भी हर जगह उन का वीर्या लगा हुवा होने के कारण हमारा पूरा बदन चिप चिपा हो गया था. हमें लाने वाले मर्द ने हमे एक दूसरे के चूत और गांद से टपकते वीर्या को चाटने का और एक दूसरे के बदन पे लगे वीर्या को चाट चाट कर साफ करने का निर्देश दिया. हमने वैसा ही किया, फिर हम ने उस के बाथ रूम में जाकर पेशाब किया और नहाने लगे. हमारी चूत और गांद उन में पड़े उनके घंटों के धक्के के कारण दोनो फूल कर लाल लाल हो गयी थी. उसी तरह हमारी चूचियाँ भी सूज गयी तीन और वी भी लाल लाल हो गयी थी. . हमारे बदन के बिभिन्न हिस्सों पे भी उनके नाख़ून और दाँत के निसान दिख रहे थे जो चोद्ते वक़्त उन्होनें अपने नाखूनों तथा दाँतों से काट काट कर बना दिए थे. नहाने के बाद हमने अपने कापरे पहने, मॅक-अप ठीक किया और लड़खड़ते कदमों से अपना होंठ चबाकर चूत और गांद में उठते दर्द को पीते हुवे अपने घर की तरफ वापिस आ गये. हमने वहाँ से चलते वक़्त फिर से वहाँ आने का वादा किया था लेकिन वहाँ जाने के नाम से ही हमारी चूत और गांद दुखने लगती थी. इस लिए आज तक हम ने फिर कभी उन से संपर्क नहीं किया.

क्रमशः.................

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Re: सुष्मिता भाभी

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 16:50

सुष्मिता भाभी पार्ट--4

गतान्क से आगे..............

मैं एक लग्षुरी नाइट कोच से सुष्मिता के साथ काठमांडू से लौट रहा था.होटेल से निकलने के पहले सुष्मिता ने नहा कर काफ़ी आकरसाक मेकप किया था. उस ने गुलाबी रंग की सिल्क सारी और उस से मिलते रंग की ब्लाउस पहन रखा था. ब्लाउस का गला आगे और पिछे दोनो तरफ से काफ़ी बड़ा था जिस से उस के पीठ का अधिकांस हिस्सा खुला हुवा था. ब्लाउस के आगे के लो कट यू-शेप के गले से उस की चूचियों का कुच्छ हिस्सा झलक रहा था. ब्लाउस के अंदर पहने उसके ब्रा का पूरा नकसा ब्लाउस के उपर से साफ दिख रहा था. टाइट ब्लाउस में कसे होने के कारण उस की चूचियों के बीच एक लाइन बन गयी थी. सारी और ब्लाउस में कसमसाती उस की चूंचिया काफ़ी सुडौल और आकरसाक लग रही थी. उन्हें देख कर किसी भी मर्द का मन उन्हें कपड़ो के बाहर देखने को तडपे बिना नहीं रह सकता. गले में उसने सोने का चैन और चैन में एक आकरसाक लॉकेट पहन रखा था जो उस की चूचियों के उपर लटक रहा था. कानों में सुंदर सोने की बलियाँ और नाक में सोने का नथ उस की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे. उसने अपनी दोनो बाँहों में सारी से मॅच करते रंग की सुंदर चूड़ीयाँ पहन रखी थी. उस की दोनो हथेली आकरसाक डिज़ाइन में लगी मेहंदी से सजी हुवी थी और उस के हाथों और पाँवों के नाखूनों पर गुलाबी नाइल पोलिश लगी हुवी थी. उस ने अपने पाओं में घुंघरू दार चाँदी की पायल पहन रखी थी. इस तरह चलते वक्त उस की पायल के घुंघरुओं से छम छम का मधुर संगीत बज उठता था और जब कभी वो अपने हाथों को हिलाती थी तो उस की बाँहों की चूड़ीयाँ खनक कर वातावरण को मधुर तरंगों से भर देती थी.उसने मेक-अप भी काफ़ी आकरसाक ढंग से किया था. उस के गोरे गाल महँगा क्रीम लगा होने से और सुंदर लग रहे थे तो वहीं होंठों पे लगा लिपस्टिक उस के होंठों की सुंदरता को और बढ़ा रहा था. .. उस के माथे पे लगी बिंदी और माँग में सजी सिंदूर उस के रूप को ऐसे चमका रहे थे जिसे देखने के बाद उसके सुंदर मुखड़े को छुने और चूमने को कोई भी व्याकुल हो जाए. जब वो अपनी बलखाती चाल के साथ टॅक्सी से उतर कर अपनी कमर मतकती बस में सवार हुई तो लोग उसे देखते रह गये. मुझे पूरी उम्मीद है कि आसपास के सभी मर्द उसे छुने और कम से कम एक बार उसे चोदने की लालसा ज़रूर किए होंगे. आस पास की औरतों और लड़कियों को उस के हुस्न से ज़रूर जलन हुई होगी.

लेकिन इन बातों से बेख़बर वो अपनी कमर मतकती हुई बलखाती चल से चलती हुई बस में सॉवॅर हो कर अपनी सीट पे बैठ गयी और उस के पिछे पिछे चलते हुवे मैं भी उस के बगल वाली सीट पे बैठ गया. बस के अंदर भी हमारी सीट के आस पास बैठे लोग एक दूसरे की नज़र बचा कर अपनी आँखों से उस की सुंदरता के जाम को पी रहे थे. हमारी सीट से आगे के रो में बैठे लोग बार बार पिछे मूड कर उसे देख लेते थे, मानो ऐसा करने से उन की आँखों और दिलों को ठंढक पहुँच रही हो. हमारी रो में ऑपोसिट साइड की सीट पे दो सुंदर लड़कियाँ बैठी हुई थी और वो भी कभी कभी मूड कर सुष्मिता और मेरी तरफ देख लेती थी. बस अपने निर्धारित समय से रात के 9 बजे चल पड़ी. बस चलने के बाद करीब एक घंटे तक बस के अंदर की लाइट जलती रही और इस बीच लोग बार बार उस की सुंदरता को अपनी आँखों से पीते रहे. करीब दस बजे कंडक्टर ने बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी जिस से बस के अंदर अंधेरा च्छा गया. अंधेरे में कुच्छ देर तक लोगों की बात चीत के आवाज़ आती रही और करीब 10 बजते बजते बस के अंदर बिल्कुल खामोसी च्छा गयी. . मैं इसी मौके के इंतजार में था. मैने सुष्मिता को अपने पास खींच लिया और खुद भी थोडा खिसक कर उस से सॅट गया. मैने अपने दाहिने हाथ में उसका बायां हाथ ले लिया और उसके हाथ को अपने हाथों से सहलाने लगा. मेरे अंदर इस से सनसनी बढ़ती जा रही थी. मैने उसे अपनी गोद में खींच कर उसके मुखड़े पे एक चुंबन जड़ दिया. अब मैने अपने दाए हाथ को उस के कंधे पे रख कर उस के कंधे और नंगे पीठ को सहलाने लगा. थोड़ी देर में मेरा हाथ फिसलता हुवा उस की दाहिने चूची पे पहुँच गया और मैं उसे ब्लाउस के उपर से ही सहलाने लगा. चूची को सहलाते सहलाते कभी कभी मैं उसे जोस से दबा देता था. अब मेरा लंड पॅंट के अंदर पूरी तरह खड़ा हो कर तेज़ी से फुदकने लगा था. मैने उसके बाएँ हाथ को अपने बाएँ हाथ से पकड़ कर अपने लंड पे खींच लाया. वो अपने हाथ से पॅंट के उपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी. मैं अपने बँये हाथ को उस की जांघों पे रख कर उन्हे सहलाने लगा. मेरा दाहिना हाथ लगातार उस की चूंचियों पे फिसल रहा था. मैं सुष्मिता की चूचियों और जांघों को सहला रहा था और वो मेरे लंड को अपने हाथों से मसल रही थी. रात अब काफ़ी बीत चक्का था और मार्च का महीना होने के कारण अब हल्का ठंड महसूस हो रहा था जिस का फ़ायडा उठाते हुवे बॅग से हमने एक चदडार निकाल कर उसे अपने जिस्मों पर डाल लिया. हमारे जिस्म अब चदडार से पूरी तरह धक गये थे. जिस्म पे चदडार डालने के पिच्चे ठंड तो सिर्फ़ एक बहाना था क्योंकि इतना ज़्यादा ठंड भी नहीं पड़ रहा था की बिना चदडार के काम ना चल सके. हमने तो चदडार का इस्तेमाल सिर्फ़ खुल कर एक दूसरे के बदन का लुत्फ़ उठाने के लिए किया था.

चदडार डालने के बाद मैने सुष्मितकी सारी और पेटिकोट को उसके कमर तक उठा दिया और उसके ब्लाउस के हुक और ब्रा के हुक को खोल कर उस की चूचियों को इन के बंधन से मुक्त कर दिया. अब मैं अपने एक हाथ से उसकी नंगी चूचियों को मसालते हुवे दूसरे हाथ से उस की नंगी जांघों और चूत को सहला रहा था. सुष्मिता ने मेरे पॅंट का ज़िपर खोल कर मेरे खड़े लंड को बाहर निकाल लिया था और वो उसे अपने हाथों में लेकर बड़े प्यार से सहला रही थी. मैं उस की चूचियों को मसालते मसालते कभी कभी उस की चूचियों की घुंडी को ज़ोर से दबा देता. वो मेरे लंड को तेज़ी के साथ सहलाने लगी थी. मेरे कड़े लंड से थोडा थोड़ा पानी (प्र-कम) निकालने लगा था जो लंड पे चिकनाई का काम कर रहा था. अब उसके हाथ मेरे पूरे लंड पे तेज़ी के साथ चल रहे थे. वो मेरे लंड पर सुपरे से लेकर जड़ तक और कभी कभी मेरे अंडकोस तक अपने हाथ को घुमाने लगी थी. उत्तेजना हर पल बढ़ती जा रही थी और हम अब तेज़ी से एक दूसरे के बदन को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे थे. मैने उसकी जांघों को थोडा फैला कर, अपना हाथ उसकी चूत पे रख कर, उस की चूत की फांको को अपनी उंगली से फाइयला कर, उस की चूत की दरार में अपने हाथ की बिचली उंगली घुसा डी. मेरी उंगली उस की चूत के अंदर के दाने को टिक टिक कर के सहला रही थी. अब उत्तेजना के मारे वो अपना कमर हिलाने लगी थी. उस की चूत के दाने को काफ़ी देर तक सहलाने के बाद मैं अपनी उंगली चूत के छेद पे रख कर अंदर की तरफ ठेलने लगा. मेरी उंगली बड़ी आसानी से उसकी चूत में समा गयी क्यों की काफ़ी लंबे समय से सहलाए और मसले जाने के कारण उस की चूत पानी छ्चोड़ने लगी थी. मैं उस की चिकनी चूत में गाचा गछ उंगली पेले जा रहा था. मेरी उंगली तेज़ी से उस की चूत में अंदर बाहर होने लगी थी. उस ने अपने होंठो को ज़ोर से दबा रखा था. शायद वो अपने मुँह से निकल पड़ने को व्याकुल सेक्सी उत्तेजक सिसकियों को रोकने के लिए ऐसा किया थी.

अपनी चूत में घुसते निकलते उंगली की तेज गति के साथ ले मिलकर वो अपना कमर हिलाए जा रही थी. वो मेरे लंड को भी ज़ोर ज़ोर से मसालने लगी थी. हम दोनो स्वर्ग का आनंद उठा रहे थे. सुष्मिता ने एका एक मेरे लंड को कस के पकड़ कर अपनी जाँघो की तरफ खींचना शुरू किया. मैने अपना दाहिना पैर सीट के उपर किया और थोड़ा तिरच्छा होकर अपनी कमर को उस की नंगी जाँघो से सटा दिया. अब मेरा लंड उस के जांघों से टकरा रहा था. उस ने भी अपने दाहिने पैर को सीट पे मोड़ कर रख लिया और मेरे ऑपोसिट डाइरेक्षन में झुकते हुवे अपने चुटटर को मेरे लॅंड पे सटा दिया. अब मेरा लंड उस के चुटटर के बीच के दरार पर बस की रफ़्तार के साथ ही हिचकोले खा रहा था. मैं अपनी कमर को हिलाते हुवे उस के चुट्त्रों के बीच के दरार में अपने लंड का धक्का लगाने लगा. मेरा लंड उस के चुटटरों के बीच आगे पिछे घूमते हुवे पूरी मस्ती में उसकी गांद के बीच सफ़र कर रहा था. सफ़र में कभी मेरा लंड उस के गांद के छेद से टकरा जाता तो कभी उस की चूत तक पहुँच जाता. वह अपने चूतदों को थोड़ा और तिरच्छा करते हुवे थोडा और झुक गयी. मैने भी अब अपने चुटटर को थोडा और तिरच्छा कर लिया जिस से मेरा लंड अब उसके फुददी के छेद से सॅट गया.

उस की जांघों को अपने हाथ से पकड़ कर मैने अपना लंड उस की चूत में ठेलने की कोशीष की लेकिन अंदर जाने के बजाय मेरा लंड फिसल कर उस की चूत पे आगे बढ़ गया. मैं आंगल बदल बदल कर उस की चूत में अपना लंड घुसाने की कोशीष करता रहा और आख़िर मुझे कामयाबी मिल ही गयी. मेरा लंड उस की चूत के अंदर समा गया. अब मैं उस की चूत में अपना कमर हिलाते हुवे लंड को धकेलने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा. लेकिन प्रायापत स्थान के अभाव में धक्के लगाते वक्त बार बार मेरा लंड उस की चूत के बाहर आ जाता था. लंड के चूत से बाहर निकलते ही वो अपने हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लेती थी और मैं फिर से धक्के लगा कर उस की चूत को चोदने लगता था. उस की चूत को इस तरह चलती बस में चोदने में मुझे बड़ा अनोखा मज़ा मिल रहा था. ऐसा मज़ा उसे या किसी और को चोदने में मुझे कभी नहीं मिला था. वो भी पूरी मस्ती में अपना चूत चुड़वाए जा रही थी. उस की चूत को चोद्ते हुवे एका एक मेरे मन में सरारत सूझी. मैने सोचा की चूत से बार बार लंड बाहर निकल जा रहा है. उस की चूत के बनिस्पात गांद का आंगल लंड पेलने के लिए ज़्यादा सूबिधा जनक है, इस लिए क्यों ना गांद में ही लंड घुसा कर गांद मारने की कोसिस की जाए. ये सोच कर मैं एक दम रोमांचित हो गया और अपने हाथ से लंड पकड़ कर मैने उसे सुष्मिता के गांद पर टीका कर एक ज़ोर दार धक्का लगा दिया. मेरे लंड का सुपारा सुष्मिता के गांद में फँस गया. मैने तुरंत बिना समय गँवाए दो तीन धक्के उस के गांद में जड़ दिए. मेरा समुचा लंड उस की गांद में समा गया. जैसा मैने सोचा था वैसे ही चूत की बनिस्पात गांद में लंड पेलने में ज़्यादा आसानी हो रही थी. लेकिन इस का उल्टा असर सुष्मिता पे पड़ा. .अचानक गांद में लंड के घुसने से वो एकाएक चीख पड़ी. उस की चीख से हमारे ऑपोसिट रो में बैठी लड़की की आँख खुल गयी और हमे इस पोज़ में देख कर उस की आँखें हैरत से फटी रह गयी. लेकिन मैं इतना ज़्यादा उत्तेजित हो चुक्का था की उस के देखने का परवाह किए बगैर मैं दनादन सुष्मिता के गांद में अपना लंड पेलता रहा. सुष्मिता के गांद में घुसता निकलता लंड तो वो नहीं देख सकती थी क्यों कि हमारा जिस्म चदडार से ढाका हुवा था लेकिन हमारे हिलते चूतदों की गति से वो समझ चुकी थी की चलती बस में हम चुदाई में भिड़े हुवे हैं. उस के लगातार हमारे तरफ देखते रहने से हम और अधिक उत्तेजित हो गये और मैं तेज़ी से सुष्मिता के गांद में अपना लंड आगे पिछे ठेलने लगा. मुझ से भी ज़्यादा सुष्मिता उत्तेजित हो चुकी थी और वो काफ़ी बोल्ड भी हो गयी. उस ने धीरे से चदडार हमारे बदन से सरका दी. अब वो लड़की और हैरत से हमारी तरफ देखने लगी थी. .. सुष्मिता के ब्लाउस और ब्रा खुले हुवे थे और उसकी सारी कमर तक उठी हुवी थी जिस से उसकी नंगी गोरी और सुडौल चिकनी जंघें बस के भीतर की हल्के लाइट में चमक रही थी. मैं उस लड़की के आँखों के सामने सुष्मिता के गांद में सटा सॅट अपना लंड पेले जा रहा था. गांद मराने में सुष्मिता भी अपनी कमर हिला हिला कर मेरी मदद कर रही थी. और हमारे चुदाई का खेल वो लड़की आँखें फारे देख रही थी. करीब पंडरह मिनिट के धक्कों के बाद मैं सुष्मिता के गांद में ही झार गया. फिर हम सीधे होकर बैठ गये.

अभी भी हम में से किसी ने अपना कपड़ा दुरुस्त नहीं किया था. अभी तक शायद वह लड़की सुष्मिता की चूत या मेरा लंड नहीं देखा पायी थी. ठीक उसी समय आगे से कोई गाड़ी आई जिस के हेडलाइट में हमारा नंगा जिस्म, मेरा लंड और सुष्मिता की चूत और चूची चमक पड़ी. मेरा लंड और सुष्मिता की चूत और चूची को देख कर पता नहीं उस लड़की पे क्या असर पड़ा लेकिन मेरे मन में उसे चोदने की इच्छा जाग उठी. मैं इसी ख्याल में सुष्मिता के होंठों को उस लड़की के सामने चूमते हुवे उस की चूचियों को ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा. साथ ही मैने अपने एक हाथ की उग्लियों से सुष्मिता की चूत फैला कर उस में उंगली घुसेड दी. सुष्मिता मेरे मुरझाए लंड को अपने हाथों में लेकर उस के सामने ऐसे हिलाने लगी मानो वो उस लड़की को चुद्वाने का निमंत्रण दे रही हो. ऐसा करते वक्त सुष्मिता ने उस लड़की की तरफ देखते हुवे आँख मार दी. इस पे वो लड़की अपना आँख बंद कर के अपना मुँह दूसरी तरफ फेर ली. लेकिन हम देख सकते थे कि उस की साँसें बड़ी तेज़ी से चल रही थी. कुच्छ देर तक ऐसे ही हम दोनों चलती बस में नंगा बैठे रहे फिर हमने अपना काप्रा ठीक कर लिया. इस घटना के करीब एक घंटा बाद बस एक सुनसान जगह पे लोगों के पेशाब करने के लिए रुकी.मैं बस से उतार कर पेशाब करने चला गया. मेरे बाद सुष्मिता भी उतर कर एक तरफ चल पड़ी. उसके बाद वो लड़की भी उसी तरफ चल पड़ी जिधर सुष्मिता गयी थी. मैं उन्हें ही देख रहा था. पेशाब कर के आते वक्त वी दोनो आपस में कुच्छ बातें कर रही थी. बस चलने के बाद मैने धीरे से सुष्मिता से पुचछा की तुम्हारी क्या बातें हुई. उसने बाद में बताने को कह के बात ताल दी.

घर पहुँच कर उस ने कहा कि वो लड़की बंद कमरे में हमारी चुदाई का खेल अपनी आँखों से देखना चाहती है. उसने इसके लिए अपना टेलिफोन नंबर भी दिया है. मैने अपनी पिच्छले कहानी में बस में सुष्मिता को चोद्ते वक्त हमें देखने वाली जिस लड़की की बात की थी आज मैं उसकी चुदाई की कहानी यहाँ लिख रहा हूँ. उम्मीद है आप को ये कहानी पहले की कहानियों की तरह ही पसंद आएगी. अब मैं आप को ज़्यादा इंतेजर नहीं कराना चाहता अब कहानी पढ़ने के लिए मेरे पुरुष मित्रा अपने पॅंट से अपना अपना लंड निकाल कर अपने हाथों में ले लें और मेरी महिला मित्रा अपनी चूचियों और चूतो को उघेद कर अपने हाथों को उन पर जमा लें. आगे क्या करना है आप खुद समझ गये होंगे. हमारे सफ़र वाले दिन के बाद के नेक्स्ट सॅटर्डे को करीब 12 बजे दिन में बस वाली लड़की के द्वारा दिए गये नंबर पे सुष्मिता ने उसे फोन किया. उस से संपर्क हो जाने के बाद सुष्मिता ने उसे हमारे यहाँ आने का निमंत्रण दिया, जिसे उस ने स्वीकार करते हुवे हमारा अड्रेस पुचछा. सुष्मिता ने हमारे घर के पास के एक पार्क में मिल कर उसे साथ लाने की बात बताकर संपर्क बिच्छेद कर दिया. अब हम उस लड़की के बारे में बातें करते हुवे पार्क की तरफ चल पड़े. रास्ते में सुष्मिता ने बताया की बस से उतरकर पेशाब करने जाते समय उस लड़की ने उसे गाली बकते हुवे कहा था, " तुम्हे और तुम्हारे सौंदर्या को देख कर तुम मुझे कितनी अच्छी लगी थी लेकिन तुम तो बिल्कुल रंडी ही निकली, कैसे हिम्मत के साथ तुमने बस में चूड़ा लिया, मेरे जागने का भी तुम्हें कोई ख्याल नहीं हुवा, मुझे तो तुम्हारे रंडी होने का पूरा यकीन तब हुवा जब तूने चुड़वाने के बाद मेरे सामने अपनी चूचियों को और अपनी चूत को पसार कर दिखा दिया. ऐसे बस में चुड़वाने में वो भी मेरे सामने तुम्हे शरम भी नहीं आई. क्या घर में भी तुम दूसरों के सामने ऐसे ही चुदवा कर दिखाती हो ?" . ऐसा मौका आज तक तो नहीं आया लेकिन अगर तुम देखना चाहो तो मैं तुम्हे अपनी चुदाई का खेल दिखा सकती हूँ. देखना हो तो बोलो ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता. मुझे चुड़वाते देख कर तुम्हारी भी चूत मस्त हो जाएगी. ठीक है लेकिन ये होगा कैसे, मेरी तो चूत अभी से ही चुलबुला रही है. चिंता मत करो तुम अपना फोन नंबर देदो मैं तुम से संपर्क कर लूँगी. और उसने अपना फोन नंबर दे दिया था. यही बातें करते हम पार्क में पहुँच गये. करीब आधे घंटे के बाद वो दूर से ही आती हुवी दिख गयी. हम उस की तरफ गये. पास आते ही सुष्मिता उस से हाथ मिलाई और हम सब साथ साथ अपने घर के तरफ चल पड़े. घर पहुँच कर सुष्मिता उसे सीधे अपने बेडरूम में ले गयी और घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दी. तुम्हारा नाम क्या है और तुम क्या करती हो - सुष्मिता ने पुचछा. मेरा नाम पिंकी है और मैं 12थ क्लास में पढ़ रही हूँ. तुम्हारे साथ जो बैठी थी वो कौन थी. वो मेरी भाभी थी. क्या हमारे उस दिन के खेल के बारे में तुमने उसे बता दिया है. हन, वो बोल रही थी कि मैने उसे क्यों नहीं जगाया वो भी देखना चाहती है उसे भी ये सब देखने का मौका नहीं मिला है. ठीक है आज तुम ठीक से देख लो फिर किसी दिन उसे भी लेते आना हम उसे भी दिखा देंगे. उस के बाद सुष्मिता मेरे पास खिसक आई. मैने सुष्मिता को सोफे पे खींच लिया और उसकी सारी के पल्लू को उस की छाती से हटा कर उसकी चूचियों को ब्लाउस के उपर से ही मसालने लगा. सुष्मिता मेरे कप्रदो को हल्का करने में जुट गयी. कुच्छ देर बाद मैं बिल्कुल नंगा पड़ा था. मेरा अर्ध उत्तेजित लंड जो मेरी जाँघो के बीच लटक रहा था, उसी पे पिंकी की आँख टिकी हुवी थी. सुष्मिता को नंगा किए बगैर ही मैं उसकी चूचियों को अब भी मसालते जा रहा था. सुष्मिता मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखती हुई सहला रही थी. लंड अब धीरे धीरे तन कर खड़ा होने लगा था. सुष्मिता ने मेरे लंड पे अपना मुँह रख कर अपने होठों से उसे चूमने लगी. वो अपनी जीभ निकाल कर मेरे लंड पर रगड़ने लगी. कभी कभी वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती थी. अब मेरा लंड पूरे फुलाव में आ गया था.

क्रमशः........................

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The Romantic
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Re: सुष्मिता भाभी

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 16:51

सुष्मिता भाभी पार्ट--5 लास्ट

गतान्क से आगे.................

मैं सुष्मिता के ब्लाउस को खोल कर उस के बदन से निकाल दिया और ब्रा में कसी उस की चूचियों को मसल्ने लगा. मैने ब्रा के उपर से ही उसकी चूचियों को चूम लिया और फिर उस के ब्रा के हुक को खोल दिया. अब उसकी चूंचिया मेरे मुँह के पास झूल रही थी. मैने बारी बारी से पहले दोनो चूचियों को चूम लिया फिर उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. एक चूची को चूस्ते हुवे मैं उस की दूसरे चूची को अपने हाथों से मसलता जा रहा था. पिंकी हमारे खेल को हैरत भारी निगाहों से चुप चाप देखे जा रही थी. मैं करीब पंडरह मिनिट तक सुष्मिता की चूचियों से इसी तरह खेलता रहा. उस के बाद मैने सुष्मिता की सारी और पेटिकोट खोल दिया. अब उस के बदन पे कप्रों के नाम पर सिर्फ़ पॅंटी ही रह गयी थी. मैं सुष्मिता की जांघों को अपने हाथों से, फिर होंठों से सहलाने लगा. मैं सुष्मिता की दोनो जांघों और राणो को अपने होंठों और हाथों से सहलाता रहा. वो हमें ही देखे जा रही थी. उस के सामने ये सब करते हुवे हम दोनो काफ़ी रोमांचित हुवे जा रहे थे. उसे दिखा दिखा कर ये सब करने में हमें बड़ा मज़ा आ रहा था. करीब पाँच सात मिनूट तक उसकी जांघों से खेलने के बाद मैने सुष्मिता की पॅंटी उतार दी. अब पिंकी बड़े गौर से सुष्मिता की चूत को निहार रही थी. सुष्मिता ने अपने दोनो हाथों से अपनी चूत को दबाना शुरू किया और अंत में उस ने उंगलियों से पिंकी की तरफ अपना चूत कर के, चिदोर कर उसे अपनी चूत की अन्द्रुनि लाली को दिखाया. वो अपनी उंगलियों से अपनी चूत को बार बार फैला और सिकोर रही थी. मैं अपने ही हाथों से अपने लंड को सहलाए जा रहा था. सुष्मिता की फैलती और सिकुद्ती चूत और मेरे लंड पे फिसलते मेरे हाथ को देख देख कर पिंकी गरम होने लगी थी. कमीज़ के उपर से ही वो खुद अपने ही हाथों से अपनी चूचियों को मसलना शुरू कर चुकी थी. कभी कभी वो अपने ही हाथों से सलवार के उपर से अपनी चूत को भी खुजलने लगती थी. उस को मस्ती में आते देख कर हम दोनो भी मस्त हो रहे थे. सुष्मिता ने मुझे खींच कर बेड पर चिट लेटा दिया और मेरे उपर झुक कर अपनी चूचियों को मेरे पूरे बदन पे रगड़ने लगी. उस ने अपनी चूचियों को मेरे पैर से सटा कर रगड़ना शुरू किया था और धीरे धीरे उपर की तरफ बढ़ रही थी. मेरे पैर से होते हुवे उसकी चुचियाँ मेरी जाँघो के उपर से होते हुवे मेरे लंड तक पहुँच गयी थी. मेरे लंड पे कुच्छ देर तक अपनी चूचियों को रगड़ने के बाद उस ने फिर उपर की तरफ बढ़ते हुवे अपनी चूचियों को मेरे पेरू, पेट और छ्चाटी के उपर से घूमती हुई अब वो चूचियों को मेरे गालों पे घुमा रही थी. मैने अपना मुँह खोल लिया था और वह दोनो चूचियों के निपल्स को बारी बारी से मेरे मुँह में थेल रही थी. मैं उस के चूचियों के निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था. कुच्छ देर तक इसी तरह चूचियों को चुसवाने के बाद वो अपनी चूत मेरे मुँह पे रख कर बैठ गयी. मैं उस की चूत पे अपनी जीभ रगड़ने लगा. सुष्मिता ने पिंकी से कहा, साली क्या देख रही है अपने हाथों से मेरा चूत फैला ताकि ये मेरे चूत के भीतर तक अपनी जीभ घुसा के चाट सके. सुष्मिता की बातों ने उस के उपर जादू सा असर किया और उसने अपने हाथों से सुष्मिता की चूत को कस के फैला दिया. .. चूत फैलते ही सुष्मिता की चूत के गुलाबी च्छेद में मैने अपनी जीभ घुसा दी और उस की चूत के भीतर जीभ को घुमाने लगा. सुष्मिता ने उस की चूचियों को पकड़ कर कमीज़ के उपर से ही दबाना शुरू कर दिया.

वो काफ़ी उत्तेजित हो चुकी थी, उस ने कहा, मुझे मेरे कापरे अब खोल लेने दो और मेरी चूत भी अपने यार से चाटवा दो. प्लीज़ मेरे चूचियों को भी अपनी ही तरह चुस्वा दो, प्लीज़ अब मुझ से बर्दास्त नहीं हो रहा है. ठीक है अपने काप्रा उतार लो, सुष्मिता ने कहा. उस ने अपना कमीज़ उतार दिया, अब ब्रा में कसी उसकी छ्होटी छ्होटी चूंचियाँ बिल्कुल तनी हुई दिख रही थी. कमीज़ के बाद उसने अपना सलवार उतारा, उसकी जंघें बिल्कुल चिकनी थी. उस की चूचियाँ और चूत अब भी ब्रा और पॅंटी में च्छूपी हुवी थी. उसने पहले अपने ब्रा का हुक खोल कर अपनी चूचियों को नंगा किया. ब्रा के बंधन से मुक्त होते ही उसकी नन्ही चूचियाँ बिल्कुल अकड़ कर हमारी आँखो के सामने चमकने लगी थी. उस की चूचियों का निपल्स भी उस की चूचियों के समान ही हल्के गुलाबी रंग के थे. उस के निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके थे.

अब वा अपने हाथ को पॅंटी पर रख कर, पॅंटी को धीरे धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी. उस की पॅंटी में चूत के पास का हिस्सा गीला हो चुक्का था. शायद हमारे खेल को देख देख कर उस की चूत पनिया गयी थी. उस ने अंततः अपनी पॅंटी को भी उतार फेंका. उसकी नन्ही सी चूत बिल्कुल चिकनी लग रही थी. उस ने शायद आज ही अपनी चूत पे उगी झांतों को साफ किया था. उस की चूत से धीरे धीरे पानी रिस रिस कर बाहर आ रहा था. अपने जिस्म को कप्रों की क़ैद से आज़ाद करने के बाद इठलाती हुई वो फिर हमारे करीब आ गयी. सुष्मिता ने उस की चूचियों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. मैं अब भी सुष्मिता की चूत को चाट रहा था. अब सुष्मिता मेरे उपर से उतार कर बेड पे चौपाया बन गयी और मुझे पिछे से आकर अपनी चूत में लंड डालने को कही. मैने सुष्मिता के पिछे आकर उस की चूत में लंड डाल कर धक्के मारना शुरू किया. सुष्मिता अपनी गांद हिला हिला कर चोदने में मुझे सहयोग करने लगी. मैं दाना दान सुष्मिता की चूत में अपना लंड ठेलने लगा. अब सुष्मिता भी पूरी मस्ती में आ चुकी थी. वो उत्तेजना के मारे बड़बड़ाने लगी थी. अरे साले आज तुम्हारे लंड को क्या हो गया है? ज़ोर ज़ोर से धक्के मार ना. साले और्र्ररर कस्स के चोद. हायययी ज्ज्जल्लददिईई जल्लद्दई ढ़हाक्के म्मार. प्युरे त्टकककत से अप्प्पंा ल्लान्न्द म्‍म्मीरररी कक्च्छुत मींणन तहील सेल. ओउर जाल्दीीई जल्लदीीई ढ़हकक्क्की मररर. . सुष्मिता की उत्तेजित आवाज़ से मेरी उत्तेजना भी और बढ़ती जा रही थी और मैं उसकी चूत में और तेज़ी से अपना लंड पेलने लगा था. मैं बड़ी तेज गति से सुष्मिता की चुदाई कर रहा था. पिंकी सुष्मिता की चूत में घुसते निकलते मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थी. करीब दस मिनिट तक पिछे से सुष्मिता की चूत में धक्के मारने के बाद वो मुझ से अलग हो गयी और खींच कर मुझे चिट सुला दी और खुद मेरे उपर चढ़ कर अपनी चूत मेरे लंड पे रख कर बैठ गयी. उस की गीली चूत से सट्टे ही मेरा लंड फिसल कर उस की चूत में समा गया. अब सुष्मिता ने उपर से धक्के मारना शुरू कर दिया. इस पोज़ में हमें चुदाई करते हुवे, पिंकी बड़े गौर से देख रही थी. सुष्मिता की फैली हुवी चूत में मेरा लंड बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. सुष्मिता के धक्कों के साथ ही मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर लंड चूत में ठेले जा रहा था. दस पंडरह मिनिट तक इसी तरह चुड़वाने के बाद सुष्मिता चिट हो कर लेट गयी और मुझे अपने उपर चढ़ कर चोदने को कही. मैं सुष्मिता की जांघों को फैला कर उसके बीच बैठते हुवे उसकी चूत में लंड डाल कर ताबर तोर धक्के मारने लगा. अब राज़धनी एक्सप्रेस के पिस्टन के तरह मेरा लंड सुष्मिता की चूत में चल रहा था. पिंकी हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी. वो अपने हाथों से अपनी चूचियों और चूत को माल भी रही थी. अब मैं झड़ने के करीब था इस लिए सुष्मिता की चूत में घुसते निकलते मेरे लंड की गति और भी बढ़ गयी थी. मैं दाना दान उस की चूत में अपने लंड से जोरदार धक्के मारे जा रहा था. करीब तीन चार मिनिट में ही मेरा लंड भालभाला कर सुष्मिता की चूत में अपना रस छ्चोड़ दिया जो उस की चूत से रिस रिस कर बाहर फैलता जा रहा था. झड़ने के बाद दस पन्दरह धक्के और लगाने के बाद मैं सुष्मिता के उपर से हट गया. सुष्मिता की चूत पर मेरे लंड और उस की चूत के पानी को मेरे लंड द्वारा फेंट जाने के कारण फेन सा बन कर फैल गया था.

कुच्छ देर तक शांत रहने के बाद सुष्मिता ने पिंकी को पकड़ कर अपने उपर खींच लिया और उसके गालों को चूमते हुवे उसकी चूचियों को दबाने लगी. उसने पिंकी से पुचछा, कैसी लगी हमारी चुदाई. बहुत अच्छा, ऐसे करीब से चुदाई का खेल मैने नहीं देखा था. तुम्हारी चुदाई देख कर मेरी चूत भी चुड़वाने के लिए बेचैन हो गयी है. अब इसे भी चुदवा दो ना. ठीक है लेकिन पहले तुम मेरी चूत चातो और मैं तुम्हारी चूत चाट ती हूँ. ये देख कर मेरे राजा का लंड तुम्हे चोदने के लिए तैयार हो जाएगा. नहीं मुझे घिन लग रही है. प्लीज़ मुझे अपनी चूत चाटने के लिए नहीं कहो. . बिना चाते काम नहीं चलेगा, ऐसा करो अपनी सलवार से मेरी चूत पोंच्छ कर साफ कार्लो फिर चातो. उसने ऐसा ही किया और पिंकी और सुष्मिता एक दूसरे से 69 पोज़िशन में भीड़ गये. वो एक दूसरे की चूत फैला फैला कर चाट रहे थे. पिंकी की चूत बड़ी टाइट लग रही थी. सुष्मिता की चूत तो चोद्वाते चोद्वाते फैल कर भोंसदा बन गयी थी.

इस लिए सुष्मिता की चूत में पिंकी की पूरी जीभ चली जाती थी लेकिन सुष्मिता पिंकी की चूत के दरार में ही अपनी जीभ की नोख फिरा फिरा कर उस की चूत चाट रही थी. मैने अपने एक हाथ से सुष्मिता की और दूसरे हाथ से पिंकी की एक एक चूची पकड़ कर मसलना शुरू किया. सुष्मिता ने अपनी जीभ पिंकी की चूत से निकाल कर उस की जगह चूत में अपनी एक उंगली थेल दी. उंगली तो उस की चूत में चली गयी लेकिन वो छितक कर बोली, मेरी चूत में तूने क्या डाल दिया. चूत में जलन हो रही है. सुष्मिता ने कहा, घबराओ नहीं मैं तुम्हारी चूत में लंड के आने जाने का रास्ता साफ कर रही हूँ. जब इस में लंड जाएगा तो देखना कितना मज़ा आता है. तूने कभी किसी से चुडवाया है या नहीं. नहीं मैने आज तक किसी से नहीं चुडवाया है. लो तो अब मैं ज़्यादा देर नहीं करना चाहती हूँ. अब अपनी चूत में लंड डलवा कर चुदाई का मज़ा ले, कहती हुई सुष्मिता पिंकी के उपर से हट गयी और उसे चोदने के लिए मुझे इसारा किया. .. मैने पिंकी की जांघों के बीच बैठ कर उस की चूत को अपनी उंगलियों से फैलाया और उस की चूत के मुँह पर अपना लंड रखते हुवे कहा, सम्भालो अब मैं तुम्हारी चूत में लंड थेल रहा हूँ. ठीक है ठेलो लेकिन पहले धीरे धीरे घुसाना, मैने पहले कभी नहीं चुड़वाया है. मैने धीरे से अपने लंड पे दबाव बढ़ाया, लंड का सुपारा पिंकी की कसी चूत में चला गया. मैं उस की चूत में धीरे धीरे अपने लंड का सुपारा रगड़ने लगा. उस की चूत काफ़ी देर से पानी छ्चोड़ रही थी इस लिए चूत काफ़ी चिकनी हो गयी थी. लंड पे बढ़ते दबाव से मेरा लंड धीरे धीरे पिंकी की चूत के अंदर दाखिल होते जा रहा था. अब मेरा लंड करीब दो इंच तक पिंकी की चूत के भीतर समा चुक्का था. मैने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और पिंकी की चूत में एक जोरदार धक्का लगा दिया. मेरा लंड करीब चार इंच तक उसकी चूत में समा गया. मैने थोडा भी वक्त गँवाए बगैर अपने लंड को थोडा बाहर खींच कर दाना दान 4-5 धक्के और लगा दिए. अब मेरा पूरा लंड पिंकी की चूत में समा चुक्का था, लेकिन दर्द के मारे वो चाटपाटा रही थी. मेरा मोटा लंड उसकी चूत के पतले छेद में अंडश गया था. मैं उसकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाने लगा. मेरी कमर अपने आप हिल कर उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर करने को उतावली हो रही थी. लेकिन इसे रोके रख कर मैं उसकी चूचियों को सहलाते हुवे उसके होंठों को चूम चूम कर उसे धादस बांधता रहा. थोड़ी देर में जब वो कुच्छ नॉर्मल होती दिखी तो मैने धीरे धीरे उसकी चूत में जकड़े अपने लंड को चूत में हिलाना शुरू किया. वो अपने होंठों को अपने ही दाँतों से दबा कर दर्द को बर्दस्त करने की कोसिस करती रही. इधर मैं अपने लंड को अब आधा बाहर खींच कर फिर उसे उसकी चूत में थेल देता. इसी तरह प्यार से उसकी चूचियों को सहलाते और उसके होंठों को चूमते हुवे मैं उसकी चूत में अपने लंड की स्पीड अब धीरे धीरे बढ़ाता गया. अब मेरा लंड उसकी चूत में अपने आने जाने का रास्ता बना चुक्का था और बड़ी तेज़ी से उसकी चूत में गोते मार रहा था. अब पिंकी को भी मज़ा आने लगा था, ये बात मैं इस लिए कह सकता हूँ की अब उसके चुटटर मेरे लंड के साथ ही हिलने लगे थे. अब वो अपनी गांद उठा उठा कर अपनी चूत में मेरा लंड पेल्वा रही थी. मैं अपना लंड सटा सॅट उसके चूत में पेल रहा था. मेरा लंड गपगाप उसकी चूत में धुक रहा था. मेरी कमर की स्पीड हर पल बढ़ती जा रही थी और उसी के साथ मेरा लंड भी पिंकी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. पिंकी अब पूरी मस्ती में आकर गंदी बातें बड़बड़ाने लगी थी. उस के मुँह से निकालने वाली बातें बेहद सेक्सी थी. पहली बार लंड खा कर उसकी चूत ऐसी मस्ती दिखा रही थी की उस की आवाज़ मेमियाते हुवे उसके मुँह से निकली ही जा रही थी. सुष्मिता उस के पास ही खड़ी होकर चुप चाप हम लोगों की चुदाई देखते हुवे, अपनी चूत में अपनी ही उंगलियों को पेल कर, अपनी चूत की गर्मी को कम करने की नाकाम कोसिस कर रही थी. पिंकी सुष्मिता की तरफ देखती हुई बोली, अरे भोंसड़ी की रंडी हमारी चुदाई देख कर इतना पनिया गयी की अपनी चूत अपनी ही उंगलियों से चोदने लगी, उस रात बस में तुम्हें चोद्वाते देख कर मेरा क्या हाल हुवा होगा कभी सोची थी, अरे साली तुम तो रंडी हो ही लेकिन आज अपने भरतार से चोद्वाकर मुझे भी रंडी बना दी. है आब्ब्ब्बब कक्ककया हुवा आरीए रायंडियियी की भंडुवव उई ससाललेली कच्चोड़ न्नाना जजाल्द्दीदी जल्ल्दी हाय्यी मेमररियर्रईयियी चुचुत्त्त्त जा जा जल्ल्ल रराहि हॅयायियी च चोद च... चोद कारर इस की गररगार्र्र्मीी मितादी. उउउइइ म्माआ म्माइ पगगाल हूओ जौउनगिइइ अर्ररी हररममज़ाड़े और हुउंम्माचछ हुमच्छ कीए हुन्नको ना उन्न ओउउर्र्ररर क्काअस्स क़ास्स्स की पेलू अप्प्प्नॅ लॅंड ..... हाययययी अभिइ इश्स बहन्स्ड्डियी रॅयंडियियी का छुत्त्त काईईसीए छूओद्द्द्द रहहाअ थाआ .... उउस्स ससी भीइ तीजी सी चूड्दद छ्छूऊद्दद कार्रर्र्ररर मीररीए चुउउत्त्त्त कूओ भीई आअज्जजज्ज्ज्ज्ज हिन्न भूंसस्सदा बना डालूऊ. उसकी आवाज़ को सुन कर मैने और भी अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी लेकिन उसे अब भी अपनी चूत में पड़ते मेरे लंड के ढकों का स्पीड कम ही लग रहा था. मैं और जल्दी जल्दी उसकी चूत चोदने लगा. मेरे धक्कों के साथ ही उसी रफ़्तार में वो अपनी चूत को उचका उचका कर चोदवा रही थी. उस की चूत में लंबे समय तक ढके लगाते लगाते मेरा लंड बौखलाकर उस की चूत में ही अपना घी उडेल दिया. हम दोनो हानफते हुवे एक दूसरे से अलग हुवे. हमारे अलग होते ही सुष्मिता हमारे बीच आ गयी और पहले उसने पिंकी की चूत चाट कर साफ की और फिर मेरा लंड चाट कर उस पे लगे उसकी चूत और मेरे लंड से निकले क्रीम को चट करती चली गयी. उस के बाद मैने उस दिन फिर से सुष्मिता को एक बार और पिंकी को एक बार चोदा. अंत में घर जाने के लिए पिंकी जब अपने कापरे पहन कर तैयार हुई और सुष्मिता के ड्रेसिंग टेबल पे जाकर अपना मेक-उप ठीक की तो चोद्वाने के बाद इस रूप में वो इतनी आकरसाक लग रही थी कि मेरा तो हाल ही मत पुछो. सुष्मिता भी अपने आप को नहीं रोक सकी और उस से लिपट कर उसके तमतमाए गालों और लपलपाते होंठों को चूम ली. मैं कप्रों के उपर से ही उसके हर अंग को चूम कर, उसकी चुन्चिओ को मसलकर तथा उस की चूत और गांद में अपनी उंगलियों से खोद कर, उस से आते रहने का वादा करा कर, उसे बीदा कर दिया. उसके बाद सुष्मिता और मेरी चुदाई के ग्रूप में वो अक्सर सामिल होने लगी.

एंड
आपका दोस्त
राज शर्मा

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