नंबर वन माल compleet

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The Romantic
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नंबर वन माल compleet

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:30

नंबर वन माल

मैरा नाम शाकिर अली है. मेरी उमर 22 साल है और में लाहोर में रहता हूँ. जो वाक़िया आज आप को सुनाने जा रहा हूँ बिल्कुल सच्चा है और आज से 6 साल पहले पेश आया था. मेरे घर में माँ बाप के अलावा एक बहन और एक भाई हैं. मै सब से बड़ा हूँ. ये 2006 की बात है जब में दसवीं जमात में पढ़ता था. मै उन दिनों अपनी खाला जिन का नाम अम्बरीन है को बहुत पसंद करता था. खाला अम्बरीन मेरी अम्मी से दो साल छोटी थीं और उनकी उमर उस वक़्त क़रीबन 36 बरस थी. वो शादी शुदा थीं और उनके दो बेटे थे. उनका बड़ा बेटा राशिद तक़रीबन मेरा हम- उम्र ही था और हम दोनो अच्छे दोस्त थे. खाला अम्बरीन के शौहर नॉवज़ हूसेन की लाहोर की एक माशूर मार्केट में जूतों की दुकान थी.

खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं . तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग. उनके लंबे और घने बाल हल्के ब्राउन रंग के और आँखें भी हल्की ब्राउन थीं . उनका क़द दरमियाना था और बदन बड़ा गुन्दाज़ और सेहतमंद था. कंधे चौड़े और फारबा थे. मम्मे बहुत मोटे और गोल थे जिन का साइज़ 40/42 इंच से तो किसी तरह भी कम नही होगा और गांड़ गोल, चौड़ी, मोटी और गोश्त से भरपूर थी. गर्मियों के मौसम में जब खाला अम्बरीन पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा, सेहतमंद और गदराया हुआ बदन कपड़ों से झाँकता रहता था.

में गर्मियों में उनके घर बहुत ज़ियादा जाया करता था ताके उनके मोटे मम्मों और भारी भरकम चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ. खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का तकलूफ नही करती थीं इस लिये मुझे उनके मम्मे और गांड़ देखने का खूब मोक़ा मिलता था. कभी कभी उन्हे ब्रा के बगैर भी देखने का इतिफ़ाक़ हो जाता था. पतली क़मीज़ में उनके भारी मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे. काम काज करते वक़्त उनके मोटे ताज़े मम्मे अपनी तमाम तर गोलाइयों समैट मुझे साफ़ नज़र आते थे. उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होने ब्रा ना पहना होता तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हुए साफ़ दिखाई देते थे. ऐसे मोक़ों पर में आगे से और साइड से उनके मोम्मों का अच्छी तरह जाइज़ा लेटा रहता था. साइड से खाला अम्बरीन के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे. यों समझिये के मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे. मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बहुत मोटे और चौड़े थे. अक्सर जब वो नीचे झुक कर कुछ उठातीं तो उनकी क़मीज़ उनके चूतरों के बीच वाली दर्ज़ में फँस जाती और जब चलतीं तो दोनो गोल और जानदार चूतड़ अलहदा अलहदा हिलते नज़र आते. उस वक़्त मेरे जैसे कम-उमर और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िसम की सेहतमंद और शानदार गांड़ का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था.

खाला अम्बरीन के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.

मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं . बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं . मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.

में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं . उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं . जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया.

खाला अम्बरीन के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.

मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं . बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं . मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.

में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं . उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं . जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया.

खाला अम्बरीन शादी के लिये खूब बन संवर कर घर से निकली थीं . उन्होने सब्ज़ रंग के रेशमी कपड़े पहन रखे थे जिन में उनका गोरा गदराया हुआ बदन दावत-ए-नज़ारा दे रहा था. बैठे हुए भी उनके मोटे मम्मों के उभार अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ नज़र आ रहे थे. कुछ देर में हम लाहोर शहर से निकल कर मोटरवे पर चढ़े और अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हो गए. मै खाला अम्बरीन के साथ खूब चिपक कर बैठा था. मेरी रान उनकी रान के साथ लगी हुई थी जब के मेरा बाज़ू उनके बाज़ू से चिपका हुआ था. उन्होने आधी आस्तीनो वाली क़मीज़ पहन रखी थी और उनके गोरे सिडोल बाज़ू नंगे नज़र आ रहे थे. खाला अम्बरीन के नरम गरम बदन को महसूस करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने फॉरन अपने हाथ आगे रख कर अपने तने हुए लंड को छुपा लिया.

खाला अम्बरीन ने कहा के में राशिद को समझाऊं के मेट्रिक के इम्तिहान की तय्यारी दिल लगा कर करे क्योंके दिन थोड़े रह गए हैं. मैंने उनकी तवजो हासिल करने लिये उन्हे बताया के राशिद एक लड़की के इश्क़ में मुब्तला है और इसी वजह से पढने में दिलचस्पी नही लेटा. वो बहुत सीख-पा हुईं और कहा के में उस की हरकतें उनके ईलम में लाऊँ. इस तरह में ना सिरफ़ उनका राज़दार बन गया बल्के उनके साथ मर्द और औरत के ता’अलुक़ात पर भी बात करने लगा. वो बहुत दिलचस्पी से मेरी बातें सुनती रहीं. उन्होने मुँह बना कर कहा के आज कल की लड़कियों को वक़्त से पहले शलवार उतारने का शोक़् होता है. ये ऐसी कुतिया हैं जिन को गर्मी चढ़ी हो. ये बातें मुझे गरम कर रही थीं . मैंने बातों बातों में बिल्कुल क़ुदरती अंदाज़ में उनकी मोटी रान के ऊपर हाथ रख दिया. उन्होने क़िस्सी क़िसम का कोई रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नही किया और में उनके बदन का मज़ा लेटा रहा.

बिल-आख़िर साढ़े चार घंटे बाद हम पिंडी पुहँच गए. मै खाला अम्बरीन के साथ ही रहा. अम्मी, नानी जान और और कुछ और लोग मेस में चले गए. खाला अम्बरीन के दोनो बेटे भी मेस में ही रहना चाहते थे. मैंने खाला अम्बरीन से कहा के कियों ना हम होटेल में रहें. कमरे में और लोग भी नही हूँ गे, बाथरूम इस्तेमाल करने का मसला भी नही हो गा और अगले दिन बारात के लिये तय्यारी भी आसानी से हो जायेगी. खाला अम्बरीन को ये बात पसंद आई. उन्होने अपने बेटों को कुछ हिदायात दीं और मेरे साथ मुर्री रोड पर वाक़िया एक होटल में आ गईं जहाँ खानदान के कुछ और लोग भी ठहर रहे थे. मैंने अम्मी को बता दिया था के खाला अम्बरीन अकेली हैं में उनके साथ ही ठहर जाऊं गा. उन्होने बा-खुशी इजाज़त दे दी.

होटल दरमियाना सा था. कमरे छोटे मगर साफ़ सुथरे थे. उस में 2 बेड थे. खाला अम्बरीन काफ़ी तक चुकी थीं . उनके बदन में दर्द भी हो रहा था. फिर हम ने कपडे तब्दील किये. खाला अम्बरीन ने घर वाला पतली सी लॉन का जोड़ा पहन लिया जिस में से हमेशा की तरह उनका गोरा बदन नज़र आ रहा था. कपड़े बदलने के बावजूद उन्होने अपना ब्रा नही उतारा था. मुझे थोड़ी मायूसी हुई क्योंके बगैर ब्रा के में उनके मम्मों को ज़ियादा बेहतर तरीक़े से देख सकता था. खैर खाला अम्बरीन को अपने साथ एक कमरे में बिल्कुल तन्हा पा कर मेरे दिल में उन्हे चोदने की खाहिश ने फिर सर उठाया. लेकिन में ये कैसे करता? वो भला मुझे कहाँ अपनी चूत लेने देतीं. मै दिमाग लड़ाने लगा.

मैंने कुछ अरसे पहले एक फिल्म देखी थी जिस में एक आदमी एक औरत को शराब पीला कर चोद देता है. शराब की वजह से वो औरत नशे में होती है और उस आदमी से चुदवा लेतीं है. मगर में वहाँ शराब कहाँ से लता. फिर मैंने सोचा शायद होटेल का कोई मुलाज़िम मेरी मदद कर सके. मुझे दर भी लग रहा था लेकिन इस मोक़े से फायदा भी उठाना चाहता था.

बहरहाल में किसी बहाने से बाहर निकला तो 40/45 साल का एक काला सा आदमी जो होटेल का मुलाज़िम ही था मिल गया. वो बहुत छोटे क़द का और बदसूरत था. छोटी छोटी आँखें और अजीब सा फैला हुआ चौड़ा नाक. थोड़ी पर दाढ़ी के चन्द बाल थे और मूंछें भी बहुत छिडड़ी और हल्की थीं . वो हर तरह से एक गलीज़ शख्स लगता था.
में उस के साथ सीढियां उतर कर नीचे आया और उससे बताया के मुझे शराब की बोतल कहाँ मिल सके गी. उस ने पहले तो मुझे गौर से देखा और फिर कहने लगा के कौन सी शराब चाहिये. मुझे किसी ख़ास शराब का नाम नही आता था इस लिये मैंने कहा के कोई भी चल जाए गी. हम लोग शादी पर आए हैं ज़रा मोज मस्ती करना चाहते हैं. उससने शायद मुझे और खाला अम्बरीन को कमरे में जाते देखा था. कहने लगा के तुम तो अपनी माँ के साथ हो कमरे में शराब कैसे पियो गे. मै ये सुन कर घबरा गया मगर खुद को संभालते हुए उससे बताया के में अपनी खाला के साथ हूँ और उनके सो जाने के बाद पीना चाहता हूँ. उस ने मुझ से 1600 रुपय लिये और कहा के आधे घंटे तक शराब ले आए गा में उस का इंतिज़ार करूँ. उस ने अपना नाम नज़ीर बताया.

में कमरे में वापस आ गया. मेरा दिल धक धक कर रहा था. मै दर रहा था के नज़ीर कहीं पैसे ले कर भाग ही ना जाए मगर वो आध घंटे से पहले ही शराब की बोतल ले आया. बोतल के ऊपर वोड्का लिखा हुआ था और उस में पानी जैसी रंग की शराब थी. मुझे ईलम नही के वो वाक़ई वोड्का थी या किसी देसी शराब को वोड्का की बोतल में डाला गया था. खैर मैंने बोतल ले कर फॉरन अपने नैयफ़े में छुपा ली. उस ने कहा के बाथरूम के तौलिये चेक करने हैं. मै उससे ले कर कमरे के अंदर आ गया. उस ने बाथरूम जाते हुए खाला अम्बरीन को अजीब सी नज़रों से देखा. मै समझ नही पाया के उस की आखों में किया था. वो कुछ देर बाद चला गया.

मैंने अपने और खाला अम्बरीन के लिये 7-UP की बोतलें मँगवाईं जो नज़ीर ही ले कर आया. इस दफ़ा भी उस ने मुझे और खाला अम्बरीन को बड़े गौर से देखा. उस के जाने के बाद में उठ कर कोने में पड़ी हुई मेज़ तक आया और खाला अम्बरीन की तरफ पीठ कर के उनकी बोतल में से तीन चोथाई सेवेन उप ग्लास में डाली और उस की जगह वोड्का डाल दी. मैंने वो बोतल उनको दे दी. उन्होने बोतल से चन्द घूँट लिये और बुरा सा मुँह बना कर कहा के ये तो बड़ी कड़वी है बिल्कुल दवाई की तरह. ये पीने वाली नही. मेरा दिल बैठ गया के कहीं वो पीने से इनकार ही ना कर दें. मैंने कहा के उन्हे बोतल पी लानी चाहिये क्योंके इस से उनका दिल अच्छा हो जाए गा. वो इनकार करती रहीं मगर मेरे इसरार पर आख़िर पी ली.

रात के कोई साढ़े बरा बजे का वक़्त होगा. खाला अम्बरीन की हालत बदलने लगी थी. उनका चेहरा थोड़ा सा लाल हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं . वो मेरी बातों को ठीक से समझ नही पा रही थीं और बगैर सोचे समझे बोलने लगती थीं . उनकी आवाज़ में हल्की सी लरज़िश भी आ गई थी. वो वाज़ेह तौर पर अपने ऊपर कंट्रोल खोती जा रही थीं . कभी वो खामोश हो जातीं और कभी अचानक बिला वजह बोलने लगतीं. नशा उन पर असर कर रहा था. उन्होने ज़िंदगी में पहली दफ़ा शराब पी थी इस लिये उस का असर भी ज़ियादा हुआ था. उन्होने कहा के अब वो सोना चाहती हैं. वो एक कुर्सी पर बैठी हुई थीं . जब उठने लगीं तो लररखड़ा गईं. मैंने फॉरन आगे बढ़ कर उन्हे बाज़ून से पकड़ लिया. उनके गोरे, मोटे और नरम बाज़ू पहली दफ़ा मेरे हाथों में आये थे.

में उस वक़्त बहुत घबराया हुआ था मगर फिर भी उनके बदन के लांस से मेरा लंड खड़ा हो गया. मै उन्हे ले कर बेड की तरफ चल पारा. मैंने उनका दुपट्टा उनके गले से उतार दिया और उन से चिपक गया. फिर मैंने अपना एक हाथ उनके मोटे चूतड़ों से ज़रा ऊपर रख दिया और उन्हे बेड तक ले आया. मेरी उंगलियों को उनके तवाना चूतड़ों की आगे पीछे हरकत महसूस हो रही थी. मेरे सबर का पैमाना लब्राइज़ हो रहा था. मैंने अचानक अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हुए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उससे आहिस्ता से टटोला. उन्होने कुछ नही कहा. इस पर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया. बड़ी मज़बूत और ताक़तवर गांड़ थी खाला अम्बरीन की. उन्होने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपनी कमर की तरफ ले आईं लेकिन कहा कुछ नही.

उन्हे बेड पर बिठाने के बाद मैंने उन से कहा के वो बहुत तक गई हैं इसी लिये तबीयत खराब हो रही है में उनके कपड़े बदल देता हूँ ताके वो आराम से सो सकैं. उनके मुँह से अजीब सी भारी आवाज़ निकली. शायद वो समझ ही नही सकी थीं के में किया कह रहा हूँ. मैंने उनकी क़मीज़ पेट और कमर पर से ऊपर उठाई और उनका एक बाज़ू उठा कर उससे बड़ी मुश्किल से क़मीज़ की आस्तीन में से निकाल लिया. अब उनका एक मोटा और सूजा हुआ मम्मा सफ़ेद रंग के ब्रा में बंद मेरी आँखों के सामने था. उनका दूसरा मम्मा अब भी क़मीज़ के नीचे ही छुपा हुआ था. मैंने उनके मम्मे के नीचे हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उससे पकड़ लिया. खाला अम्बरीन का मम्मा भारी भरकम था और उससे हाथ लगा कर मुझे अजीब तरह का मज़ा आ रहा था. फिर मैंने दूसरे बाज़ू से भी क़मीज़ निकाल कर उन्हे ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया. उनके दोनो मम्मे ब्रा में मेरे सामने आ गए. मैंने जल्दी से पीछे आ कर उनके ब्रा का हुक खोला और उससे उनके बदन से अलग कर के उनके मम्मों को बिल्कुल नंगा कर दिया.

ये मेरी ज़िंदगी का सब से हसीन लम्हा था. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. खाला अम्बरीन के मम्मे बे-पनाह मोटे, गोल और बाहर निकले हुए थे. उनके दोनो मम्मों के ऊपर और साइड में ब्रा की वजह से हल्की लकीरें पड़ी हुई थीं . सुर्खी मा'आइल गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े बड़े और बाहर निकले हुए थे. निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था जिस पर छोटे छोटे दाने उभरे हुए थे. मैंने उनका एक मम्मा हाथ में ले कर दबाया तो उस का निप्पल मेरी हतैली में धँस कर दब गया. उन्होने मेरा हाथ अपने मम्मे से डोर किया और दोनो मम्मों के दरमियाँ में हाथ रख कर अजीब अंदाज़ से हंस पड़ीं. शायद नशे ने उनकी सोचने समझने की सलाहियत पर असर डाला था.

मैंने अब उनके दूसरे मम्मे को हाथ में लिया और उस के मुख्तलीफ़ हिस्सों को आहिस्ता आहिस्ता दबाता रहा. मैंने ज़िंदगी में कभी किसी औरत के मम्मों को हाथ नही लगाया था. खाला अम्बरीन के मम्मे अब मेरे हाथ में थे और मेरी जेहनी कैफियत बड़ी अजीब थी. मेरे दिल में खौफ भी था और ज़बरदस्त खुशी भी के खाला अम्बरीन मेरे सामने अपने मम्मे नंगे किये बैठी थीं और में उनके मम्मों से खेल रहा था. उन्होने उंगली उठा कर हिलाई के में ऐसा ना करूँ. उनका हाथ ऊपर की तरफ आया तो शलवार में अकड़े हुए मेरे लंड से टकराया लेकिन शायद उन्हे एहसास नही हुआ के में उनकी चूत में अपना लंड डालने को बेताब था. मै उसी तरह खाला अम्बरीन के मम्मों को हाथों में ले कर उनका लुत्फ़ उठाता रहा.
अचानक कमरे का दरवाज़ा जो मैंने लॉक किया था एक हल्की सी आवाज़ के साथ खुला और नज़ीर अंदर आ गया.



नज़ीर ने फॉरन दरवाज़ा लॉक कर दिया. उस के हाथ में मोबाइल फोन था जिस से उस ने मेरी और खाला अम्बरीन की उसी हालत में तस्वीर बना ली. ये सब पलक झपकते हो गया. मै *फॉरन खाला अम्बरीन के पास से हट गया और उनकी क़मीज़ उठा कर उनके कंधों पर डाल दी ताके उनके मम्मे छुप जायें. नज़ीर के बदनुमा चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी. उस ने अपनी जेब से 6/7 इंच लंबा चाक़ू निकाल लिया मगर उससे खोला नही. खौफ से मेरी टांगें काँपने लगीं. नज़ीर ने कहा के वो जानता था मुझे शराब क्यों चाहिये थी मगर में फ़िक्र ना करूँ वो किसी से कुछ नही कहे गा. उससे सिर्फ़ अपना हिस्सा चाहिये. हन अगर हम ने उस की बात ना मानी तो वो होटेल मॅनेजर को बताय गा जो पोलीस को खबर करे गा और आगे फिर जो होगा हम सोच सकते हैं. उस ने कहा के शराब पीना भी जुर्म है और अपनी खाला को चोदना तो उस भी बड़ा जुर्म है. मुझ से कोई जवाब ना बन पड़ा. खाला अम्बरीन नशे में *थीं *मगर अब खौफ उनके नशे पर हावी हो रहा था और वो हालात को समझ रही *थीं . मेरा दिल भी सीने में ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.

मुझे सिर्फ़ पोलीस के आने का खौफ ही नही था. होटेल में खानदान के और लोग भी ठहरे हुए थे और अगर उन्हे पता चलता के में खाला अम्बरीन को शराब पीला कर चोदना चाहता था तो किया होता? खाला अम्बरीन की कितनी बदनामी होती. खालू नॉवज़ किया सोचते? उनका बेटा राशिद मेरा दोस्त था. उस पर किया गुज़रती अगर उससे पता चलता के में उस की माँ की चूत मारना चाहता था? मेरे अब्बू ने सुबह पिंडी पुहँचना था. उन्हे पता चलता तो किया बनता? बड़ी खाला के बेटे की शादी अलग खराब होती. मेरा दिल डूबने लगा. खाला अम्बरीन ने हल्की सी लड़खड़ाई हुई आवाज़ में कुछ कहा. नज़ीर उनकी तरफ मुड़ा और उन्हे मुखातिब कर के बड़ी बे-बाकी से बोला के अगर वो उससे अपनी चूत मारने दें तो कोई मसला नही हो गा लेकिन अगर उन्होने इनकार किया तो पोलीस ज़रूर आए गी. खाला अम्बरीन चुप रहीं मगर उनके चेहरे का रंग ज़र्द पड़ गया. उन्होने अपनी क़मीज़ अपने नंगे ऊपरी बदन पर डाली हुई थी.*




नज़ीर ने मुझ से पूछा के किया मैंने पहले कभी किसी औरत को चोदा है. मैंने कहा नही. वो बोला के औरत नशे में हो तो उससे चोदने का मज़ा नही आता. वो खाला अम्बरीन के लिये तेज़ कॉफी ले कर आता है जिससे पी कर उनका नशा कम हो जाए गा और चूत मरवाते हुए वो मज़ा दें गी भी और लेंगीं भी. उस ने अपना मोबाइल जेब में डाला और तेज़ तेज़ क़दम उठाता हुआ कमरे से निकल गया. खाला अम्बरीन ने उस के जाते ही अपनी क़मीज़ ब्रा के बगैर ही पहन ली.*




जब उन्होने क़मीज़ पहन’ने के लिये अपने हाथों को हरकत दी तो उनके मोटे मोटे मम्मे बुरी तरह हिलने लगे. लेकिन इन हालात में मेरे सर से उन्हे चोदने का भूत उतार चुका था और उनके हिलते हुए नंगे मम्मों को देख कर भी मुझे कुछ महसूस नही हुआ. उनके नशे पर भी खौफ घालिब आ रहा था. उन्होने कहा के शाकिर तुम ने ये किया कर दिया? अब किया हो गा? ये कमीना तो मुझे बे-आबरू करना चाहता है. उनकी परैशानी बजा थी. अगर हम नज़ीर को रोकते तो वो हमें जान से भी मार सकता था या कोई और नुक़सान पुहँचा सकता था. अगर हम होटेल में मोजूद अपने रिश्त्यदारों को खबर करते तो हुमारे लिये ही मुसीबत बनती क्योंके नज़ीर के फोन में हुमारी तस्वीर थी. मैंने खाला अम्बरीन से अपनी हरकत की माफी माँगी. वो कुछ ना बोलीं. **
कुछ देर में नज़ीर एक बरे से मग में कॉफी ले आया जो खाला अम्बरीन ने पी ली. उनका नशा कॉफी से वाक़ई कम हो गया और वो बड़ी हद तक नॉर्मल नज़र आने लगीं. नज़ीर ने मुझे कहा के में आज तुम्हे भी मज़े कराओं गा क्योंके तुम अपनी खाला पर गरम हो. वैसे तुम्हारी खाला है नंबर वन माल. इस कुतिया का नाम किया है? मुझे उस की बकवास सुन कर गुस्सा तो आया मगर किया करता. मैंने कहा - अम्बरीन. उस ने होठों पर ज़बान फेर कर खाला अम्बरीन की तरफ देखा. वो अपना ब्रा उठा कर *बाथरूम चली गईं. जब वापस आईं तो उन्होने अपना ब्रा पहन रखा था. उनके आते ही नज़ीर ने अपने कपड़े उतारे और अलिफ नंगा हो गया.*


The Romantic
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Re: नंबर वन माल

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:30

नंबर वन माल--2

उस का क़द बहुत छोटा था मगर जिसम बड़ा घुटा हुआ और मज़बूत था. उस का लंड इन्तहाई मोटा था जो उस वक़्त भी आधा खड़ा हुआ निसफ दायरे की तरह उस के टट्टों पर झुका हुआ था. उस के लंड का सर छ्होटा था मगर पीछे की तरफ इन्तहाई मोटा हो जाता था. उस की झांतों के बाल घने थे और उन के अलावा उस के जिसम पर कहीं बाल नही थे. टटटे बहुत मोटे मोटे थे जिन की वजह से उस का लंड और भी बड़ा लगता था. खाला अम्बरीन नज़ीर के लंड को देख कर हैरान रह गईं. वो एक घरैलू औरत *थीं *और उन्होने इतनो मोटा लंड पहले कभी नही देखा था. मुझे यक़ीन था के अपने शौहर के अलावा उन्हे कभी किसी ने नही चोदा था.*




नज़ीर ने जान लिया के खाला अम्बरीन उस के लंड को हैरत से देख रही हैं. उस ने अपना लंड हाथ में ले कर उससे ऊपर नीचे हरकत दी और मुस्कुरा कर खाला अम्बरीन से पूछा के किया उन्हे उस का लंड पसंद आया? वो खामोश रहीं. वो फिर बोला के अब ये लंड तेरी फुद्दी मारे गा और तुझे बहुत मज़ा दे गा. खाला अम्बरीन ने जल्दी से अपनी नज़रें झुका लीं. नज़ीर ने अपना फोन और चाक़ू बेड के साथ पड़ी हुई छोटी सी मेज़ पर रखे और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा. मै *खौफ के आलम में सेक्स का कैसे सोच सकता था. मैंने इनकार कर दिया.*




वो खाला अम्बरीन के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हे बेड से उठाने लगा. उन्होने अपना हाथ छुड़ाना चाहा तो नज़ीर उन्हे गलीज़ गालियाँ देने लगा. कहने लगा तेरी चूत मारूं कुतिया अब शरीफ बनती है. तारे फुडे में लंड दूँ हरामजादी, कंजड़ी, बहनचोद. तेरी बहन को चोदुं अभी कुछ देर पहले तू अपने भानजे से चुदवा रही थी और अब नायक बन रही है. इस बे-इज़्ज़ती पर खाला अम्बरीन का चेहरा लाल हो गया और आँखों में बे-साख्ता आँसू आ गए. मै *भी अंदर से हिल कर रह गया. उस वक़्त मुझे एहसास हुआ के में नादानी में किया गज़ब कर बैठा था. *




नज़ीर ने खाला अम्बरीन को खड़ा किया और उन से लिपट गया. उस का क़द खाला अम्बरीन से 2 इंच छोटा तो ज़रूर होगा. वो उनके दिलकश चेहरे को चपड़ *चपड़ *चूमने लगा. उस का लंड अब पूरी तरह खड़ा हुआ था और खाला अम्बरीन की चूत से नीचे उनकी रानों में घुस रहा था. मै *जो थोड़ी देर पहले तक खाला अम्बरीन को चोदने के लिये बे-ताब था अब खौफ और पशहाईमानी की वजह से सूब कुछ भूल चुका * था. मुझे अपना दिल पसलियों में धक धक करता महसूस हो रहा था.

नज़ीर ने खाला अम्बरीन के होठों को मुँह में ले कर चूसा तो उन्होने अपना मुँह कुछ ऐसे दूसरी तरफ फेरा जैसे उन्हे घिन आ रही हो. इस पर नज़ीर ने उनकी शलवार के ऊपर से ही उनकी चूत को हाथ में पकड़ लिया और कहा बाज़ आ जा तेरी फुद्दी मारूं. कुतिया अगर मुझे रोका तो तेरी इस मोटी फुद्दी के बाल नोच लूं गा. खाला अम्बरीन तक़लीफ़ में *थीं जिस *का मतलब था के नज़ीर ने वाक़ई उनकी चूत के बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ रखे थे. उन्होने फॉरन अपना चेहरा उस की तरफ कर लिया. नज़ीर ने दोबारा अपने होंठ उनके होठों पर जमा दिये. उस का काला बदसूरत चेहरा खाला अम्बरीन के गोरे हसीन चेहरे के साथ चिपका हुआ अजीब लग रहा था.


नज़ीर उनका मुँह चूमते हुए कपड़ों के ऊपर से ही उनके मोटे मम्मों को मसलने लगा. कुछ देर बाद उस ने मेरी तरफ देखा और कहा के इधर आ चूतिया मादरचोद अपनी खाला की क़मीज़ उतार और इस की बाड़ी खोल. वो ब्रा को बाड़ी कह रहा था. मैंने फिर इनकार कर दिया. सिर्फ़ एक घंटा पहले में खाला अम्बरीन के मम्मों की एक झलक देखने के लिये बे-ताब था मगर अब बिल्कुल ठंडा पड़ चुका * था.*


मेरे इनकार पर नज़ीर खाला अम्बरीन को छोड़ कर मेरी तरफ आया. क़रीब आ कर उस ने अचानक एक ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पर रसीद कर दिया. मै *इस के लिये तय्यार नही था. मेरा सर घूम गया. उस ने एक और तमाचा मेरे मुँह पर लगाया. मेरा निचला होंठ थोड़ा सा फॅट गया और मुझे अपनी ज़बान पर खून का ज़ा’इक़ा महसूस हुआ. खाला अम्बरीन घबरा गईं और नज़ीर से कहा के इससे मत मारो बस जो करना है करो और यहाँ से चले जाओ. नज़ीर गुस्से में उनकी जानिब पलटा और कहा चुप तेरी बहन की चूत मारूं रंडी. अभी तो मुझे तेरी फुद्दी का पानी निकालना है. फिर मुझे देख कर कहने लगा तेरी माँ की चूत में लंड दूँ तू अब नायक बन रहा है. मै *तेरी हरकतें देख चुका * हूँ. तेरी माँ को अपने लंड पर बिताऊँ वो भी तेरी इस गश्ती खाला ही की तरह फिट माल हो गी. चल बता किया नाम है तेरी माँ का? में चुप रहा तो उस ने एक घूँसा मेरी गर्दन पर मारा.*




इस पर खाला अम्बरीन बोलीं के इस की माँ का नाम यासमीन है. नज़ीर ने कहा के में इस की माँ को भी चोदुं गा. मैंने बे-बसी से उस की तरफ देखा तो कहने लगा के तेरी माँ यासमीन की चूत में भी ज़रूर अपनी मनी डालूँगा कुतिया के बच्चे. उस की वो फुद्दी जिस से तू निकला है तारे सामने ही मेरा ये मोटा लंड ले गी. चल जो कह रहा हूँ वो कर वरना मार मार कर हड्डियाँ तोड़ दूँ गा. तेरी यासमीन का फुड़दा मारूं. मुझे बाद में एहसास हुआ के नज़ीर गाली गलोच और मार पीट से मुझे और खाला अम्बरीन को डरा रहा था ताके हम उस की हर बात मान लें. ये नफ्सीयाती हर्बा बड़ा कामयाब भी था क्योंके हम दोनो वाक़ई डर गए थे. उस ने फिर मुझे कपड़े उतारने को कहा. मै *इल्तिज़ा-आमीज़ लहजे में बोला के मेरा दिल नही है में सेक्स नही करना चाहता. लेकिन वो बा-ज़िद रहा के में वोही करूँ जो वो कह रहा है. मुझे डर था के कहीं वो फिर मेरी और खाला अम्बरीन की और नंगी तस्वीरें ना ले ले.

वो खाला अम्बरीन को ले कर बेड पर चढ़ गया और उनके होठों के बोसे लेने लगा. वो भूकों की तरह उनका गदराये हुए बदन को अपने हाथों में ले ले कर टटोल रहा था. उस ने मुझे घूर कर देखा और अपनी तरफ बुलाया. मै *बेड पर चढ़ कर खाला अम्बरीन के पीछे आया तो वो सीधी हो कर बैठ गईं. मैंने उनकी क़मीज़ को दोनो तरफ से ऊपर उठा कर सर से उतार दिया.*




उनके लंबे बाल उनकी गोरी कमर पर पड़े थे जिन के नीचे उनके ब्रा का हुक था. मैंने उनके बाल कमर पर से हटा कर ब्रा का हुक खोला और उससे उनके मम्मों से अलग कर दिया. नज़ीर ने फिर कहा के में कपड़े उतारून. मैंने जवाब दिया के में सेक्स नही कर पाऊंगा वो मेहरबानी कर के मुझे कुछ ना कहे. वो ज़ोर से हंसा और कहा जा मादरचोद नमार्द तू भला किया किसी औरत को चोदेगा. चल जा वहाँ बैठ और देख में तेरी खाला को कैसे चोदता हूँ. मै *सख़्त शर्मिंदगी के आलम में बेड से उतरा और सामने पड़ी हुई एक कुर्सी पर जा बैठा.




नज़ीर खाला अम्बरीन के मोटे मोटे नंगे मम्मों पर टूट पड़ा. उस ने उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर मुँह में लिया और उससे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. कमरे में लपर लपर की आवाजें गूंजने लगीं. खाला अम्बरीन होंठ भींच कर नाक से तेज़ तेज़ साँस लेने लगीं. उनका चेहरा सुर्ख हो गया. मम्मे चुसवाने से वो गरम हो गई *थीं . उनके भारी मम्मे चूसते चूसते नज़ीर की साँस भी उखड़ गई मगर वो उनके मम्मों से चिपका ही रहा उन्हे चूसने के दोरान उन्हे मसलता रहा. उस ने खाला अम्बरीन को कहा के वो उस के लंड पर हाथ फेरें. उन्होने उस का लंड हाथ में लिया और *अपने मम्मे चुस्वाते हुए उस पर हाथ फेरने लगीं. उनकी हालत अब और ज़ियादा खराब हो गई थी. मै *ये सब कुछ देख रहा था.*




नज़ीर ने कहला अम्बरीन के दोनो मम्मों को चूस चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. फिर उस ने खाला अम्बरीन को शलवार उतारने को कहा. उन्होने अपनी शलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया. मुझे उनकी चूत नज़र आई जिस पर हल्के सियाह बाल थे. नज़ीर ने उनकी नंगी चूत पर अपना हाथ फेरा. कई दफ़ा उनकी चूत को सहलाने के बाद उस ने उन्हे बेड की तरफ धकेल दिया. जब वो बेड पर लेट गईं तो नज़ीर उन से फिर लिपट गया और उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उस ने उनकी कमर, चूतड़ों, पेट और रानों को मुठियों में भर भर कर टटोला. फिर उनकी मज़बूत टांगें खोल कर उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.

मैंने देखा के वो अपनी ज़बान खाला अम्बरीन की चूत पर फेर रहा था. उस ने दोनो हाथ नीचे कर के उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत चाटने लगा. खाला अम्बरीन क़ाबू से बाहर हो रही *थीं *और उनके मोटे चूतड़ बार बार अकड़ जाते थे. वो नज़ीर के जिसम को हाथ नही लगाना चाहती *थीं *इस लिये उन्होने अपने हाथ सर से पीछे बेड पर रखे हुए थे. नज़ीर ने उनकी चूत से मुँह उठाया और कहा के तेरा भोसड़ा मारूं अभी ना खलास हो जाना मेरा लंड अपनी चूत में ले कर खलास होना. खाला अम्बरीन शर्मिंदा सी हो गईं. वो ये छुपाना चाहती *थीं *के अपनी चूत पर नज़ीर की फिरती हुई ज़बान उन्हे मज़ा दे रही थी. मगर वो इंसान *थीं *और मज़ा तो उन्हे बहरहाल आ रहा था.*




इसी तरह कुछ देर उनकी चूत चाटने के बाद नज़ीर सीधा लेट गया और खाला अम्बरीन से कहा के वो उस का लंड चूसें. उस का मोटा लंड किसी डंडे की तरह सीधा खड़ा हुआ था. खाला अम्बरीन ने कहा के वो लंड चूसना नही जानतीं. नज़ीर हंस कर बोला के ये कौन सा मुश्किल काम है तुझ जैसी औरतें तो होती ही चुदवाने के लिये हैं. तुझे तो कोई मसला नही होना चाहिये लंड चूसने में. उस ने उनके हाथ की बड़ी उंगली अपने मुँह में डाली और उससे चूस कर उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा बताया. फिर अपना लंड उनके मुँह की तरफ बढ़ा दिया. खाला अम्बरीन ने झुक कर उस का लंड अपने मुँह में ले लिया और उससे चूसने लगीं. उन्हे इतने मोटे लंड को मुँह के अंदर कर के चूसने में दुश्वारी हो रही थी. उनके दाँत नज़ीर के लंड को चुभ रहे थे जिस पर उस ने उन्हे कहा वो उस के लंड पर ज़बान फेरें दाँत ना मारें. वो उस का लंड चूसती रहीं.*




लेकिन जब दोबारा खाला अम्बरीन ने उस के लंड को दाँत लगये तो उस ने नीचे से उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया. खाला अम्बरीन ने तेज़ सिसकी ली. नज़ीर ने कहा के अगर तू मेरे लंड को दुखायेगी तो में तेरे मम्मे को दुखाओंगा. इस के बाद हैरत-अंगैज़ तौर पर खाला अम्बरीन नज़ीर का लंड बड़ी एहतियात और सलीक़े से चूसने लगीं. नज़ीर ने अपनी टांगें फैला दीं और वो उस के लंड को हाथ में ले कर चूसती रहीं. मुझे उनके मोटे सेहतमंद मम्मे दिखाई दे रहे थे जिन्हे नज़ीर मुसलसल मसल रहा था.

देर तक यही सिलसिला चलता रहा. फिर नज़ीर ने खाला अम्बरीन को कमर के बल लिटा दिया और खुद ऊपर आ कर अपना लंड हाथ में ले कर उनकी मोटी चूत के अंदर डालने लगा. मेरे दिल की धडकनें तेज़ हो गई. जब नज़ीर के लंड का अगला हिस्सा खाला अम्बरीन की चूत में घुसा तो उनके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली. नज़ीर ने कहा के तेरी चूत तो बड़ी टाइट है बेहेंचोद और उनके होठों पर अपना मुँह रख दिया. कुछ लम्हो तक वो इसी हालत में अपने जिसम की बॅलेन्स करता रहा रहा और फिर अचानक उनकी चूत में पूरी ताक़त से घस्सा मारा. उस का अकड़ा और फूला हुआ लंड खाला अम्बरीन की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया. खाला अम्बरीन ने ज़ोर से आऐईई….. कहा और उनका पूरा बदन ज़ोर से लरज़ कर रह गया. अब उस ने फॉरन ही तावातूर के साथ उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये. कुछ ही देर बाद वो खाला अम्बरीन को बड़ी महारत से चोदने लगा. उस के मोटे लंड ने खाला अम्बरीन की चूत को फैला दिया था और जब भी घस्सों के दोरान वो अपना लंड उनके अंदर करता तो उनकी चूत जैसे चिर जाती.




हर घस्से के साथ नज़ीर के भारी टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से टकराते. खाला अम्बरीन की टांगें नज़ीर की कमर के दोनो तरफ थीं और उनके पांव मेरी जानिब थे. उनकी चूत से पानी निकल रहा था और उस के आस पास का सारा हिस्सा अच्छा ख़ासा गीला हो चुका था. चूत देते हुए उन के मुँह से मुसलसल ऊऊऊंं….. ऊओनह…….ऊऊन्न्नह की आवाजें निकल रही थीं . उनकी आँखें बंद थीं . खाला अम्बरीन की चूत में बड़े ज़ोरदार और ताबड़ तोड़ घस्से मारते हुए नज़ीर ने अपने दोनो हाथों में उनके हिलते हुए मम्मे दबोच लिये और अपने घस्सों की रफ़्तार और भी बढ़ा दी. खाला अम्बरीन ने अपनी आँखें खोल कर नज़ीर की तरफ अजीब तरह की हैरानगी से देखा. उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था.




अचानक खाला अम्बरीन ने अच्छी ख़ासी तेज़ आवाज़ में आऊओ….आअहह……..आऊ…..आआहह…….आऊ…..आआहह की करना शुरू कर दिया. लगता था जैसे वो अपने आप को ऐसा करने से रोक ना पा रही थीं . वो अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा कर नज़ीर के घस्सों का जवाब देने लगी थीं और उनके मोटे ताज़े चूतड़ों की हरकत में तेज़ी आती जा रही थी. नज़ीर समझ गया के खाला अम्बरीन खलास होने वाली हैं. वो उन्हे चोदते हुए कहता रहा के चल अब निकाल अपनी चूत का पानी मेरी जान शाबाश निकाल….हाँ हाँ ……….चल मेरी कुतिया खलास हो जा…..तेरा फुदा मारूं…..ये ले…..ये ले. कोई एक मिनिट बाद खाला अम्बरीन के बदन को ज़बरदस्त झटके लगने लगे और वो खलास हो गईं. मुझे नीचे से उनकी चूत में घुसा हुआ नज़ीर का लंड दिखाई दे रहा था. जब वो छूटने लगीं तो उनकी चूत से और ज़ियादा गाढ़ा पानी निकला जो उनकी गांड़ के सुराख ती तरफ बहने लगा. खाला अम्बरीन ने अपना मुँह सख्ती से बंद कर लिया और उनका बदन ऐंठ गया. मै समझ गया के खलास हो कर उन्हे बहुत मज़ा आया था.

खाला अम्बरीन के खलास हो जाने के बाद भी नज़ीर इसी तरह उनकी चूत में घस्से मारता रहा. अभी कुछ ही देर गुज़री थी के खाला अम्बरीन ने बेड की चादर को अपनी दोनो मुठियों में पकड़ लिया और फिर निहायत तेज़ी से अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे हरकत देने लगीं. ये देख कर नज़ीर ने उनकी चूत में अपने घस्सों की रफ़्तार कम कर दी. जब उस ने घस्से मारना तक़रीबन रोक ही दिये तो खाला अम्बरीन खुद नीचे से काफ़ी ज़ोरदार घस्से मारने लगीं. वो एक बार फिर खलास हो रही थीं और चाहती थीं के नज़ीर उनकी चूत में घस्से मारना बंद ना करे. वो बिल्कुल पागलों की तरह नज़ीर के लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर रही थीं .




नज़ीर ने अब उनका मम्मा हाथ में ले लिया. उन्होने अपना एक हाथ नज़ीर के उसी हाथ पर रखा जिस में उनका मम्मा दबा हुआ था और दूसरा हाथ अपने पेट पर ले आईं. फिर उनके बदन ने तीन चार झटके लिये और वो दोबारा खलास होने लगीं. चंद सेकेंड तक वो इसी हालत में रहीं. नज़ीर ने उनके मम्मे पर ज़बान फेरी और पूछा के किया उन्हे चुदने का मज़ा आया. खाला अम्बरीन की साँसें बे-रब्त और उखड़ी हुई थीं . वो चुप रहीं. नज़ीर ने एक झटके से अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया. मैंने देखा के खाला अम्बरीन की चूत से निकालने वाला गाढ़ा पानी उस के सारे लंड पर लगा हुआ था और वो रोशनी में चमक रहा था.

फिर वो बेड पर लेट गया और खाला अम्बरीन को अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा. खाला अम्बरीन अपने मोटे मम्मे हिलाते हुए बेड से उतर गईं. उन्होने नज़ीर के लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर बैठने लगीं तो उनकी नज़रें मुझ से मिलीं. मैंने महसूस किया के ये नज़रें पहली वाली खाला अम्बरीन की नही थीं . आज के वहशत-नाक तजरबे ने मेरे और उनके दरमियाँ एक नया ता’अलूक़ कायम कर दिया था. शायद अब हम भी पहले वाले खाला भानजे नही बन सकते थे. खैर खाला अम्बरीन ने नज़ीर के लंड पर अपनी फुद्दी रख दी और उस का लंड अपने अंदर ले लिया. उस ने खाला अम्बरीन को कमर से पकड़ कर अपने ऊपर झुकाया और अपनी मज़बूत रानों को उठा उठा कर उनकी फुद्दी में घस्से मारने लगा. खाला अम्बरीन की मोटी और चौड़ी गांड़ अब मेरी तरफ थी.

नज़ीर की रानें बड़ी वर्ज़िशी और ताक़तवर थीं और वो खाला अम्बरीन की चूत में नीचे से भरपूर घस्से मार रहा था. फिर उस ने उनके मोटे और भारी चूतड़ों को दोनो हाथों से गिरफ्त में ले लिया और उन्हे पूरी तरह क़ाबू कर के चोदने लगा. उस के हलक़ से अजीब आवाजें निकल रही थीं . खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत औरत थीं . मुझे यक़ीन था के नज़ीर जैसे आदमी ने कभी उन जैसी किसी औरत को नही चोदा होगा. उस के चेहरे के नाक़ूश बिगड़ गए थे. वो अब शायद छूटने वाला था.


The Romantic
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Re: नंबर वन माल

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:31

नंबर वन माल--3

उस ने खाला अम्बरीन को अपने लंड से नीचे उतारा और दोबारा उन्हे कमर के बाल लिटा कर उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया. अब उस के घस्से बहुत तेज़ थे और वो बड़ी बे-रहमी से उनकी चूत ले रहा था. हर घस्से के साथ उस के चूतड़ों के पाट अकड़ते और फैलते थे. उस ने खाला अम्बरीन के मम्मों में अपना मुँह दे दिया और उस का लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगा. कोई एक मिनिट के बाद नज़ीर किसी पागल भैंसे की तरह डकराने लगा और उस ने खाला अम्बरीन की चूत में खलास होना शुरू कर दिया.

इस दफ़ा खाला अम्बरीन उस के घस्सों का जवाब नही दे रही थीं मगर जब उस की मनी उनकी चूत के अंदर जाने लगी तो शायद वो खुद पर कंट्रोल ना रख सकीं और फिर उस का साथ देनें लगीं. नज़ीर ने अपनी सारी मनी उनकी चूत के अंदर छोड़ दी. मुझे उनके चूतड़ों की हरकत से लगा के खाला अम्बरीन भी एक दफ़ा फिर खलास हुई थीं .

थोड़ी देर बाद वो खाला अम्बरीन के ऊपर से हटा और बेड से उतार आया. खाला अम्बरीन ने जल्दी से अपने कपड़े उठाये और बाथरूम की जानिब चल पड़ीं. उनका ब्रेसियर वहीं बेड पर रह गया. नज़ीर ने उनका ब्रा उठाया और उस से अपने लंड को जिस पर खाला अम्बरीन की चूत का पानी और उस की अपनी मनी लगी हुई थी साफ़ किया. फिर ब्रा उनकी तरफ फैंक दिया लेकिन वो रुकी नहीं और बाथरूम में चली गईं. मेरा खून खोल गया.

नज़ीर भी कपड़े पहन’ने लगा. कुछ देर बाद खाला अम्बरीन ने बाथरूम से बाहर आ कर अपना ब्रा एक चुटकी में उठा कर साइड पर रख दिया. नज़ीर ने हंस कर उन से कहा के अभी तो तुम्हारी चूत ने मेरे लंड की सारी मनी पी है और अब तुम नखरे कर रही हो. फिर मेरी तरफ देख कर कहने लगा के यार तुम्हारी खाला को चोद कर बड़ा मज़ा आया. तुम ठीक इस कुतिया पर गरम थे क्योंके ये तो माल ही चोदने वाला है. अब बताओ के तुम लोग कब तक यहाँ हो? में बेवकूफों की तरह खड़ा उस की बातें सुन रहा था. लेकिन मेरे ज़हन में चूँके खाला अम्बरीन की ज़बरदस्त चुदाई और उनकी बे-इज़ती के मंज़र घूम रहे थे इस लिये में उससे फॉरन कोई जवाब नही दे सका. इस पर वो बोला के मुँह से कुछ फूटो ना गांडू तुम्हारी माँ को चोदुं चूतियों की तरह चुप क्यों खड़े हो. मैंने कहा हम कल वापस चले जायेंगे. वो बोला के में तुम्हारी माँ यासमीन से मिलना चाहता हूँ कैसे मिलवओ गे? उस की तो गांड़ भी मार कर दिखाओं गा तुम्हे. मज़े करवा सकता हूँ तुम्हे अगर तुम अपनी माँ के दल्ले बनना क़बूल करो.

में पिछले 2 घंटे से ज़िल्लत बर्दाश्त कर रहा था. नज़ीर की मार पीट, गालियों और तंज़िया बातों ने मुझे इंताहै मुश्ता’इल कर दिया था. मेरे सामने उस ने खाला अम्बरीन की चूत ज़बरदस्ती ली थी और अब अम्मी को चोदने की बात कर रहा था. उन के बारे में उस का ये जुमला सुन कर में होश-ओ-हवास खो बैठा और मेरे खौफ पर गुस्सा घालिब आ गया. मैंने आओ देखा ना ताओ सामने मेज़ पर पारा हुआ शीशे का जग उठाया और पूरी ताक़त से उस के मनहूस सर पर दे मारा. जग का निचला मोटा हिस्सा नज़ीर के सर से टकराया और धाब की तेज़ आवाज़ निकली. खाला अम्बरीन के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई. नज़ीर किसी मुर्दा छिपकली की तरह फ़रश पर गिरा और उस के सर से खून बहने लगा.

मैंने फॉरन उस का मोबाइल फोन और चाक़ू उठाये और फिर उस के मुँह पर एक ज़ोरदार लात रसीद की. नज़ीर के मुँह से गूं गूं की आवाज़ बरामद हुई और उस ने अपना सर अपने सीने पर झुका लिया. मैंने चाक़ू खोला तो खाला अम्बरीन ने मुझे रोक दिया और कहा के इस कुत्ते को यहाँ से दफ़ा हो जाने दो. उन्होने नज़ीर से कहा के वो चला जाए वरना में उसे मार डालूं गा. वो मुझ से कहीं ज़ियादा ताक़तवर था लेकिन शायद सर की चोट ने उससे हवास-बाख्ता कर दिया था. मेरे हाथ में चाक़ू और आँखों में खून उतरा देख कर उस ने इसी में आफियत जानी के वहाँ से चला जाए. वो करहता हुआ उठा और अपने सर के ज़ख़्म पर हाथ रख कर कमरे से निकल गया.

मैंने उस के मोबाइल से अपनी और खाला अम्बरीन की तस्वीर डिलीट की और फिर उस की सिम निकाल ली. अब वो हरामी हमें ब्लॅकमेल नही कर सकता था. मुझे अफ़सोस हुआ के मैंने खाला अम्बरीन के चुदने से पहले ही ये हिम्मत क्यों ना कर की. लेकिन वो खुश थीं . उन्होने मुझे शाबाश दी और कहा के मैंने बड़ी बहादुरी दिखाई. मैंने कहा के ये सब कुछ मेरी वजह से ही हुआ है जिस के लिये में बहुत शर्मिंदा हूँ. वो कहने लगीं के बस अब किसी को इस बात का पता ना चले और जो हुआ वो सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहना चाहिये. मैंने कहा में पागल तो नही हूँ जो किसी को कुछ बताओं गा.

उन्होने जल्दी जल्दी कमरे के क़ालीन पर गिरा हुआ नज़ीर का खून अच्छी तरह धो कर साफ़ कर दिया और दोबारा बाथरूम में चली गईं. मै हैरान था के मैंने उनके साथ इतनी बुरी हरकत की जिस का नतीजा बड़ा खौफनाक निकला था मगर उन्होने मुझे कुछ नही कहा. मैंने बाहर निकल कर इधर उधर नज़र दौड़ाई लेकिन नज़ीर का कोई पता नही था. मै वापस कमरे में आ गया. जब खाला अम्बरीन बाथरूम से निकल आईं तो हम सोने के लिये लेट गए.

सुबह मैंने होटेल के रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटेल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वापस नही आया. उस ने मेज़रात की और बताया के उस का नाम नज़ीर था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया. था तो वो पंजाब का मगर सारी उमर कराची में रहा था. शायद वहीं चला गया हो. मैंने सुख का साँस लिया.

शादी की तक़रीब में मेरा और खाला अम्बरीन का आमना सामना नही हुआ. हम उसी दिन बारात ले कर लाहोर रवाना हुए. वापसी पर में अब्बू की कार में बैठा और खाला अम्बरीन से कोई बात ना हो सकी. रास्ते में हम लोग भेरा इंटरचेंज पर रुके तो वो मुझे मिलीं और कहा के में कल स्कूल से छुट्टी करूँ और उनके घर आ’ओं लेकिन इस का ज़िक्र अम्मी से ना करूँ. मैंने हामी भर ली. उनके चेहरे पर कोई बहुत ज़ियादा परैशानी के आसार नही थे. वो अच्छे मज़बूत आसाब की औरत साबित हुई थीं वरना इतना बड़ा वाक़िया हो जाने के बाद किसी के लिये भी नॉर्मल रहना मुश्किल था. लेकिन शायद उन्हे इस वक़िये को सब से छुपाना था और इस के लिये ज़रूरी था के वो अपने आप पर क़ाबू रक्खें. जब उन्होने मुझे अपने घर आने का कहा तो में डरा भी के ऐसा ना हो खाला अम्बरीन अब मेरी हरकत पर गुस्से का इज़हार करें. लेकिन अगर वो ऐसा करतीं भी तो इस में हक़-बा-जानिब होतीं. मैंने सोचा अब जो हो गा कल देखा जाए गा.

रात को में सोने के लिये लेटा तो मेरे ज़हन में हलचल मची हुई थी. खाला अम्बरीन के साथ नज़ीर ने जो कुछ किया उस ने मुझे हिला कर रख दिया था और में जैसे एक ही रात में नौ-उमर लड़के से एक तजर्बा-कार मर्द बन गया था. बाज़ तजरबात इंसान को वक़्त से पहले ही बड़ा कर देते हैं. खाला अम्बरीन वाला वाक़िया भी मेरे लिये कुछ ऐसा ही था. मुझे भी अब दुनिया बड़ी मुख्तलीफ़ नज़र आने लगी थी.

उस रात जब नज़ीर खाला अम्बरीन को चोद रहा था तो मैंने फैसला किया था के अब कभी उनके बारे में कोई गलत बात नही सोकचों गा. मै इस फैसला पर कायम रहना चाहता था. मैंने बहुत ब्लू फिल्म्स देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला अम्बरीन की चूत लेते हुए देखना एक नया ही तजर्बा था जिस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया था. अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे इस में कोई ज़ियादा मुश्किल पेश ना आती. सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उस ने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था.

ये तो में जानता ही था के अम्मी भी खाला अम्बरीन की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था. आख़िर वो मेरी माँ थीं और में उन पर बुरी नज़र नही डाल सकता था. लेकिन ये भी सच था के अम्मी और खाला अम्बरीन में जिस्मानी ऐतेबार से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नही था. बल्के अम्मी खाला अम्बरीन से थोड़ी बेहतर ही थीं . उनकी उमर 38 साल थी और वो भी बहुत मज़बूत, भरे हुए और भरपूर बदन की मालिक थीं .

उनका बदन बड़ा जोबन वाला, मोटा ताज़ा और कसा हुआ था. इस उमर में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका बदन लटक जाता है लेकिन अम्मी का बदन तंदुरस्त और तवाना होने के साथ साथ बड़ा कसा हुआ भी था. अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े बड़े गोल उभारों वाले थे जो खाला अम्बरीन के मम्मों से भी एक आध इंच मोटे ही हूँ गे. अपने मोटे और भारी मम्मों को अम्मी रात दिन ब्रा में छुपा कर रखती थीं . वो अपने मम्मों पर बड़ा टाइट ब्रा पहनती थीं जो उनके मोटे मम्मों को अच्छी तरह बाँध कर रखता था और उन्हे हिलने नही देता था. मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद और काले ब्रेसियर देखे थे.

चूँके वो कभी अपना ब्रा नही उतारती थीं इस लिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इतिफ़ाक़ कम ही हुआ था. जब में 12 साल का था तो मैंने उनके बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था. एक दिन में अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं . उन्होने शलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं . उनके हाथ में एक काले रंग का झालर वाला ब्रा था जिससे वो उलट पुलट कर देख रही थीं . शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं .

मेरी नज़र उनके मोटे ताज़े मम्मों पर पड़ी जो उनके हाथों की हरकत की वजह से आहिस्ता आहिस्ता हिल रहे थे. मुझे देख कर उन्होने फॉरन अपनी पुष्ट मेरी तरफ कर ली और कहा के में कपड़े बदल रही हूँ. मै फॉरन उल्टे क़दमों बेडरूम से बाहर आ गया. वैसे भी वो अपने बदन के बारे में बड़ी हस्सास थीं और ख़ास तौर पर बाहर के लोगों के सामने हमेशा दुपट्टा या चादर ओढ़े रखती थीं . अम्मी की गांड़ मोटी लेकिन टाइट थी. चूतड़ भारी, काफ़ी चौड़े और गोश्त से भरे हुए थे. अम्मी की कमर हैरत-अंगैज़ तौर पर पतली थी और ये बात उनके बदन को सेक्स के लिये गैर-मामूली तौर पर पूर-कशिश बनती थी.

मुझे अचानक एहसास हुआ के अम्मी के बारे में सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है. मैंने फॉरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा. मुझे अगले दिन खाला अम्बरीन ने घर बुलाया था मगर में नदमत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नही करना चाहता था. मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हे फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है में आज उनके घर नही आ सकता.

स्कूल में मुझे खाला अम्बरीन का बेटा राशिद मिला. वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था. उस से मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया. वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उस की माँ को चोदने की कोशिश की थी. मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसे घटिया आदमी ने उस की माँ की चूत ली थी. खैर अब जो होना था हो चुका था.

उस दिन मेरी जेहनी हालत ठीक नही थी लहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया. हम दसवीं के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में कोई मसला नही होता था. मै खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पुहँच कर मैंने बेल बजाई मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नही खोला. तक़रीबन 11/30 का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिरफ़ अम्मी होती थीं . अब्बू सरकारी मुलाज़िम थे और उनकी वापसी शाम पाँच बजे होती थी. मेरे छोटे बहन भाई तीन बजे स्कूल से आते थे. खैर कोई 6/7 मिनिट के बाद अम्मी ने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया.

अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी. लेकिन एक चीज़ जिस का एहसास मुझे फॉरन ही हो गया ये थी के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नही पहना हुआ था. जब हम दोनो दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दोपटे के नीचे उनके भारी मम्मों को हिलते हुए देखा. जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नही हिलते थे. ऐसा भी कभी नही होता था के वो ब्रा ना पहनें. मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तय्यारी कर रही हूँ. खैर मैंने उन्हे बताया के मेरी तबीयत खराब थी इस लिये जल्दी घर आ गया.

अभी में ये बात कर ही रहा था के एक कमरे से राशिद निकल आया. अब हैरानगी की मेरी बारी थी. मै तो उससे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मोजूद था. उस ने कहा के वो खाला अम्बरीन के कपड़े लेने आया था. उस का हमारे घर आना कोई नई बात नही थी. वो हफ्ते में तीन चार बार ज़रूर आता था. मै उससे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद चाय ले कर आ गईं. मैंने देखा के अब उन्होने ब्रा पहन रखा था और उनके मोटे मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नही कर रहे थे. मुझे ये बात भी कुछ समझ नही आई. कोई आध घंटे बाद राशिद चला गया.

मुझे ये सब बड़ा अजीब लगा. राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में यों हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशां होना. और फिर उनका बगैर ब्रा के होना. वो तो शदीद गर्मी में भी कभी अपने मम्मों को खुला नही रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होने ब्रा उतारा हुआ था. पता नही किया मामला था. मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद अम्मी की फुद्दी तो नही लेना चाहता. आख़िर में भी तो खाला अम्बरीन पर गरम था बल्के उन्हे चोदने की कोशिश भी कर चुका था. वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था. मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रक्खा था? किया वो राशिद को अपनी मर्ज़ी से चूत दे रही थीं ? मेरे ज़हन में कई सावालात गर्दिश कर रहे थे.

लेकिन फिर मैंने सोचा के चूँके में खुद खाला अम्बरीन को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में घिलज़ात भारी हुई थी इस लिये राशिद के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था. मुझे यक़ीन था के अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उससे अपनी चूत देने पर राज़ी ना होतीं. वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं . मै ये सोच कर कुछ पूर-सकूँ हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी. मैंने सोचा के अब राशिद पर नज़र रखूं गा.

हमारे घर मैं बड़े दरवाज़े के अलावा एक दरवाज़ा और भी था जो ड्रॉयिंग रूम से बाहर गली में खुलता था. यहाँ से मेहमानों को घर के अंदर लाया जा सकता था. मैंने इस दरवाज़े के लॉक की चाबी की नक़ल बनवा कर रख ली. स्कूल में अब में राशिद की निगरानी करने लगा. कोई चार दिन के बाद मुझे पता चला के राशिद आज स्कूल नही आया. मेरा माथा ठनका और में फॉरन अपने घर पुहँचा. ड्रॉयिंग रूम के रास्ते अंदर जाने में मुझे कोई मुश्किल पेश नही आई. अंदर अम्मी और राशिद के बोलने की हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं . वो दोनो बेडरूम में थे. मै दबे पांव चलता हुआ बेडरूम की खिड़की के नीचे आ गया जिस पर अंदर की तरफ पर्दे लगे थे लेकिन बीच में से परदा थोड़ा सा खुला था और तक़रीबन दो इंच की दराज़ से अंदर देखा जा सकता था. मैंने बड़ी एहतियात से अंदर झाँका.

मैंने देखा के राशिद बेडरूम में पड़ी हुई एक कुर्सी पर बैठा हुआ था और चाय पी रहा था. वो स्कूल के बारे में कुछ कह रहा था. अम्मी सामने दीवार वाली अलमारी से कुछ निकाल रही थीं . उनकी पतली कमर के मुक़ाबले में मोटे मोटे चूतड़ बड़े नुमायाँ नज़र आ रहे थे. उनका तौर तरीक़ा उस वक़्त काफ़ी मुख्तलीफ़ था. वो अपने दोपटे को हमेशा अपने मम्मों पर फैला कर रखती थीं लेकिन उस वक़्त उनका दुपट्टा गर्दन में पारा हुआ था और उनके मोटे उभरे हुए मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे जिन की उन्हे कोई परवा नही थी. वो अपने मम्मों को छुपाने की कोई कोशिश नही कर रही थीं . उनके चेहरे पर भी वो ता’असूरात नही थे जो मैंने हमेशा देखे थे.

कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद राशिद ने कहा के खाला जान अब तो मुझे चोद लेने दें मैंने स्कूल वापस भी जाना है. अम्मी ने जवाब दिया के राशिद आज वक़्त नही है अभी शाकिर की फूफी ने आना है और उस के साथ और औरतें भी हैं. तुम कल आ जाना सकूँ से सब कुछ कर लें गे. राशिद बोला के खाला जान अभी तो घर में कोई नही है हम क्यों वक़्त ज़ाया कर रहे हैं. मै आज जल्दी जल्दी खलास हो जाऊं गा.

ये बातें मेरे कानो में पहुँचीं तो मेरे दिल-ओ-दिमाग पे जैसे बिजली गिर पड़ी. इन बातों का मतलूब बिल्कुल साफ़ था. राशिद ना सिरफ़ मेरी अम्मी को चोद रहा था बल्के इस में अम्मी की पूरी मर्ज़ी भी शामिल थी. वो अपने भानजे से चुदवा रही थीं जो उन से उमर में 22 साल छोटा था और जिससे उन्होने गोदों में खिलाया था. अम्मी और खाला अम्बरीन की शादी एक ही दिन हुई थी और मेरी और राशिद की पैदाइश का साल भी एक ही था. फिर भी अम्मी अपने भानजे से चूत मरवा रही थीं जो उनके बेटे की उमर का था. मै बेडरूम की दीवार के साथ ज़मीन पर बैठ गया. हैरत, गुस्से, शर्मिंदगी और नफ़रत के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए. मै कुछ देर दीवार के साथ इसी तरह सर झुकाय बैठा रहा. फिर मैंने हिम्मत कर के दोबारा अंदर झाँका.

उस वक़्त राशिद कुर्सी से उठ कर अम्मी के क़रीब पुहँच चुका था जो बेड के साथ पड़ी हुई छोटी मेज़ साफ़ कर रही थीं . उस ने पीछे से अम्मी की गांड़ के साथ अपना जिसम लगा लिया और आगे से उनके मम्मों और पेट पर हाथ फेरने लगा. अम्मी ने मेज़ साफ़ करनी बंद कर दी एर मेज़ पर अपने दोनो हाथ रख दिये. फिर पाशिद एक हाथ से अम्मी के मम्मों को दबाने लगा जबके दूसरा हाथ उस ने उनके मोटे चूतड़ों पर फैरना शुरू कर दिया.

अम्मी ने गर्दन मोड़ कर उस की तरफ देखा. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी जैसे उन्हे ये सब बड़ा सकूँ और लुत्फ़ दे रहा हो. वो थोड़ा सा खिसक कर साइड पर हो गईं और बेड की तरफ आ कर उस के ऊपर दोनो हाथ रख दिये. राशिद उनके मम्मों और गांड़ से खेलता रहा. अम्मी ने अपना हाथ पीछे कर के राशिद के लंड को पतलून के ऊपर से ही पकड़ लिया. साफ़ नज़र आ रहा था के ये सब कुछ उन्हे अच्छा लग रहा था.

राशिद ने अम्मी के मम्मों और कमर पर हाथ फेरते फेरते शलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली डाल कर आगे पीछे हिलाई. अम्मी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली. राशिद ने पतलून के बावजूद खड़े खड़े ही अम्मी की गांड़ के ऊपर दो चार घस्से लगाइय और उन्हे अपनी तरफ मोड़ कर चूमने लगा. अम्मी कुछ देर पूरी तरह उस का साथ देती रहीं. वो अपना मुँह खोल खोल कर राशिद के होंठ चूस रही थीं . लेकिन फिर उन्होने अपना मुँह पीछे कर लिया और बोलीं के राशिद ज़ियादा मस्ती का वक़्त नही है बस अब अपना बे-क़ाबू लंड जल्दी अंदर करो और फटा-फट फ़ारिग़ होने की कोशिश करो. अम्मी को इस अंदाज़ में बात चीत करते सुन कर में हैरान रह गया.

अम्मी के लहजे में थोड़ी सी सख्ती थी जिससे महसूस कर के राशिद ने अपनी पतलून खोल कर नीचे की और अंडरवेर में से उस का अकड़ा हुआ लंड एक दम बाहर आ गया. उस का लंड पतला मगर अच्छा ख़ासा लंबा था. उस के लंड का टोपा सुर्खी-माइल था और मुझे साफ़ नज़र आ रहा था. अम्मी ने उस के लंड की तरफ देखा और उससे हाथ में ले लिया. राशिद उनकी क़मीज़ का दामन उठा कर मम्मों तक ले गया और फिर उनका ब्रा बगैर खोले ही ज़ोर लगा कर उनके मम्मों से ऊपर कर दिया. अम्मी के मोटे मोटे और सुर्ख-ओ-सफ़ेद मम्मे उछल कर बाहर आ गए. उनके निप्पल तीर की तरह सीधे खड़े हुए थे जिस से अंदाज़ा लगाया जा सकता था के वो कितनी गरम हो चुकी हैं.

राशिद ने अम्मी के मोटे ताज़े मम्मे हाथों में ले लिया और उन्हे चूसने लगा. अम्मी ने अपनी आँखें बंद कर के गर्दन एक तरफ मोड़ ली और राशिद के कंधे पर हाथ रख दिया. राशिद उनके मम्मों को हाथों में भर भर कर चूसता रहा. वो जज़्बात में जैसे होश-ओ-हवास खो बैठा था. दुनिया से बे-खबर किसी प्यासे कुत्ते की तरह मेरी अम्मी के खूबसूरत मम्मों को नोंच नोंच कर और चूस चूस कर उन से मज़े ले रहा था. कुछ देर बाद अम्मी ने राशिद को ज़बरदस्ती अपने मम्मों से अलग किया और एक बार फिर उससे कहा के वो जल्दी करे मेहमान आते ही हूँ गे.

राशिद बेड पर लेट गया और अम्मी को हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ खैंचा. अम्मी उस के साथ बेड बैठ गईं तो उस ने उन्हे अपना लंड चूसने का कहा. अम्मी ने जवाब दिया के आज लंड चूसने का वक़्त नही है तुम बस जल्दी फ़ारिग़ हो जाओ. राशिद अपनी पतलून और अंडरवेर उतारते हुए बोला के खाला जान बस दो मिनिट चूस लें मुझे मज़ा भी आए गा और आप की चूत के अंदर करने में भी आसानी हो गी. ये सुन कर अम्मी झुक कर उस का लंड जल्दी जल्दी चूसने लगीं. राशिद ने हाथ नीचे कर के उन का दायां मम्मा हाथ में ले लिया और उससे मसलने लगा.


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