नंबर वन माल compleet

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The Romantic
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Re: नंबर वन माल

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:31

नंबर वन माल--4

कुछ देर उस का लंड चूसने के बाद अम्मी ने फिर कहा के राशिद देर ना करो. राशिद फॉरन बेड से उतरा और अम्मी को भी खड़ा कर दिया. फिर उस ने हाथ बढ़ा कर अम्मी की शलवार का नाड़ा खोल दिया. अम्मी की शलवार उनके पैरों में गिर गई. वो फुर्ती से अम्मी के पीछे आया और उनके चूतड़ों के ऊपर से क़मीज़ उठा कर उनकी कमर तक ऊँची कर दी. अम्मी के मोटे और चौड़े चूतड़ नज़र आने लगे. राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर करने की कोशिश की मगर कामयाब नही हुआ. उस ने अपने लंड पर ऊपर नीचे दो तीन दफ़ा हाथ फेरा और उस का टोपा अम्मी के चूतड़ों के अंदर ले गया. फिर अपने लंड को अम्मी की गांड़ के बीचों बीच रख कर हल्का सा घस्सा मारा.

कोशिश के बावजूद राशिद के लंड को इस दफ़ा भी अम्मी की चूत का सुराख ना मिल सका. अम्मी ने कहा के अपना लंड गीला करो ऐसे अंदर नही जाए गा. उन्होने अपने पैरों में पड़ी शलवार से टांगें बाहर निकलीं और एक पैर की त्तोकर से उससे थोड़ा डोर खिसका दिया. फिर वो सामने बेड पर हाथ रख कर थोड़ा सा और नीचे झुक गईं ताके राशिद का लंड उनकी चूत के अंदर जा सके. राशिद ने अपने हाथ पर ज़ोर से थूका और अम्मी की टांगें खोल कर पीछे से उनकी चूत पर अपना थूक लगा दिया. राशिद का हाथ उनकी चूत से लगा तो अम्मी के मुँह से ऊ.. ऊ.. की आवाज़ निकली और उनके चूतड़ थरथरा कर रह गए.

राशिद ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उनकी चूत के अंदर डाल दिया. अम्मी ने थोड़ा सा आगे हो कर उस का लंड अपनी चूत में ले लिया. थोड़ी और कोशिश के बाद राशिद अपना लंड पूरी तरह अम्मी की चूत के अंदर ले जाने में कामयाब हो गया. अम्मी ने आँखें बंद कर लीं. अब राशिद ने उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये.

चुदवाते हुए अम्मी का मुँह हल्का सा खुला हुआ था और राशिद के घस्सों की वजह से उनका पूरा बदन हिल रहा था. मुझे अम्मी के भारी चूतड़ आगे पीछे होते नज़र आ रहे थे. हर घस्से के साथ राशिद की रानों का ऊपरी हिसा अम्मी के चूतड़ों से टकराता और उनके खूबसूरत बदन को एक झटका लगता. क़मीज़ के ऊपर से भी उनके मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से हिलते हुए नज़र आ रहे थे. राशिद ने आगे से क़मीज़ के अंदर हाथ डाल कर अम्मी के बे-क़ाबू मम्मे पकड़ लिये और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.

मुझे ना जाने क्यों उस वक़्त नज़ीर का ख़याल आया. मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला और अम्मी और राशिद की चुदाई करते हुए कई तस्वीरें ले लीं. राशिद सेक्स के मामले में नज़ीर की तरह तजरबे-कार नही था. वो चंद मिनिट के घस्सों के बाद ही बे-क़ाबू होने लगा. उस ने अम्मी की कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत के अंदर ही खलास होने लगा. अम्मी ने अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता तीन चार दफ़ा गोलाई में हरकत दी और राशिद की सारी मनी अपनी चूत में ले ली.

जब राशिद पूरी तरह छूट गया और उस का लंड अम्मी की चूत से बाहर निकल आया तो उन्होने फ़रश से अपनी शलवार उठाई और बेड की चादर हटा कर फोम पर बैठ गईं. वो राशिद की मनी और अपनी चूत से निकालने वाले पानी का दाग बेडशीट पर नही लगाना चाहती थीं . राशिद ने अपनी पतलून अठाई और बाथरूम में घुस गया. मै खामोशी से उठा और ड्रॉयिंग रूम के रास्ते घर से बाहर निकल गया.

वहाँ से निकल कर में सड़कों पर आवारगार्दी करता रहा. एक बार फिर में शदीद जेहनी उलझन का शिकार था. इस दफ़ा तो मामला खाला अम्बरीन वाले वाकये से भी ज़ियादा संगीन था. अम्मी और राशिद के ता’अलुक़ात का ईलम होने के बाद मेरी समझ में नही आ रहा था के मुझे किया करना चाहिये. किया अबू से अम्मी की इस हरकत के बारे में बात करूँ? किया अम्मी को बता दूँ के मैंने उन्हे राशिद से चुदवाते हुए देख लिया है? किया खाला अम्बरीन के ईलम में लाऊं के उनका बेटा अपनी खाला यानी उनकी सग़ी बहन को चोद रहा है? किया राशिद का गिरेबां पकडूं के वो क्यों मेरी माँ को चोद रहा था? मेरे पास फिलहाल किसी सवाल का जवाब नही था.

मुझे अम्मी को राशिद के साथ देख कर दुख हुआ था बल्के सख़्त गुस्सा भी आया हुआ था. लेकिन इस से भी ज़ियादा में हसद की भड़कती हुई आग में जल रहा था. आख़िर राशिद में ऐसी किया बात थी के मेरी अम्मी जैसी हसीन और शानदार औरत ने जो उस की सग़ी खाला भी थी उससे अपनी चूत देने का फ़ैसला किया था? वो एक आम सा लड़का था जिस में कोई ख़ास बात नही थी. लेकिन इस के बावजूद वो किस अंदाज़ में अम्मी से गुफ्तगू कर रहा था? लग रहा था जैसे अम्मी पूरी तरह उस के कंट्रोल में हूँ. मै उनका बेटा होते हुए भी उन से बहुत ज़ियादा फ्री नही था. हम तीनो बहन भाई अब्बू से ज़ियादा अम्मी के गुस्से से घबराते थे. मगर राशिद का तो उनके साथ कोई और ही रिश्ता बन गया था और यही बात मेरी बर्दाश्त से बाहर थी.

मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी कोई बहुत क़ीमती चीज़ किसी ने छीन ली हो. आख़िर ये सब कुछ कैसे हुआ? अम्मी को राशिद में किया नज़र आया था? अम्मी और अबू के ता’अलुक़ात भी बहुत अच्छे थे. उनका आपस में कोई लड़ाई झगड़ा भी नही था और वो एक खुश-ओ-खुर्रम ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. फिर अम्मी ने अपने भानजे के साथ जिस्मानी ता’अलुक़ात क्यों कायम किये? ये सब बातें सोच कर मेरा दिमाग फटने लगा. मै घर वापस आया लेकिन अम्मी पर ये ज़ाहिर नही होने दिया के में उनका राज़ जान चुका हूँ. मगर फिर चंद घंटों के अंदर ही मेरे ज़हन पर छा जाने वाली धुंध छंटने लगी और मैंने फ़ैसला कर लिया के मुझे इन हालात में किया करना है.



मैंने फ़ैसला किया था के मुझे खुद ही इन सारे मामलात को सुलझाना होगा. किसी को ये बताना के राशिद अम्मी की चूत मार रहा था पूरे खानदान के लिये तबाही का मंज़र बनता. अगर में राशिद से इंतिक़ाम लेता भी तो अम्मी ज़रूर उस की ज़द में आतीं और मुझे अपने तमाम तर गुस्से के बावजूद ये मंज़ूर नही था. मुझे अम्मी से बहुत पियार था और उनकी बद-किरदारी के बावजूद मेरे दिल में उनके लिये नफ़रत पैदा नही हो सकी थी. हाँ ये ज़रूर था के रद-ए-अमल के तौर पर अब में अम्मी की चूत मारना बिल्कुल जायज़ समझता था.

हैरत की बात ये थी के मुझे ऐसा सोचते हुए कोई एहसास-ए-गुनाह नही था. मैंने पहले भी ज़िक्र किया है के बाज़ हौलनाक वाकेयात इंसान को बहुत कम वक़्त में बहुत कुछ सीखा देते हैं. मेरे साथ तो 2 ऐसे वाकेयात हुए थे जिन्हो ने मुझे एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ इंसान बना दिया था. खाला अम्बरीन का नज़ीर के हाथों चुद जाना और और फिर राशिद का अम्मी की चूत लेना दोनो ने ही मेरी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया था. इसी लिये शायद मुझे अब अम्मी की फुद्दी मारने में कोई बुराई नज़र नही आ रही थी. मेरी कमीनगी अपनी जगह लेकिन अम्मी को चोदने की इस खाहिश में हालात का सितम भी शामिल था. मामलात को संभालने के लिये ये बहुत ज़रूरी था के में कुछ ऐसा करूँ के राशिद और अम्मी का ता’अलूक़ हमेशा के लिये ख़तम हो जाए. इस का बेहतरीन तरीक़ा यही था के में अम्मी की ज़िंदगी में राशिद की जगह ले लूं. मुझे यक़ीन था के में ऐसा करने में कामयाब हो जाऊं गा.

ये बात तो साफ़ थी के राशिद अम्मी को चोद कर यक़ीनन उनकी कोई जिस्मानी ज़रूरत पूरी कर रहा और ये ज़रूरत ऐसी थी के अम्मी अपने शौहर के होते हुए अपने बेटे की उमर के भानजे से अपनी चूत मरवा रही थीं . उनकी ये ज़रूरत अब में पूरी करना चाहता था. मै फिर कहूँ गा के बिला-शुबा इस फ़ैसले में मेरे अपने ज़हन की कमीनगी भी शामिल थी क्योंके में बहरहाल अम्मी को चोदना चाहता था मगर ये भी तो सही था के उन्होने राशिद से चुदवा कर मेरे दिल से गुनाह के एहसास को मिटा दिया था. अगर वो राशिद से चूत मरवा सकती थीं तो मुझ से चुदवाते हुए उन्हे किया मसला हो सकता था? इस तरह राशिद भी उनकी ज़िंदगी से निकल जाता और में उन्हे चोद भी लेता.

मैंने ये भी सोच लिया था के अब मेरे लिये खाला अम्बरीन की चूत लेना भी ज़रूरी था. आख़िर राशिद हरामी ने भी तो मेरी अम्मी को चोदा था. फिर में उस की माँ को क्यों ना चोदता. खाला अम्बरीन को इस सारे मामले में लाये बगैर वैसे भी हालात ठीक नही हो सकते थे. वो ना-सिरफ़ राशिद को रोक सकती थीं बल्के इस बात को भी यक़ीनी बना सकती थीं के ये राज़ हमेशा राज़ ही रहे. लेकिन अम्मी को चोदना बाहर-सूरत एक मुश्किल काम था. मेरे मोबाइल में उनकी और राशिद की तस्वीरें मोजूद थीं मगर में उन्हे ब्लॅकमेल कर के उनकी चूत नही मारना चाहता था बल्के मेरी कोशिश थी के वो अपनी मर्ज़ी और खुशी से मुझे अपनी चूत लेने दें. इस के लिये ज़रूरी था के में उनके और ज़ियादा क़रीब होने की कोशिश करूँ.

मैंने उस दिन से अम्मी को बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया. उनका बेटा होने की वजह से में उनके क़रीब तो पहले ही था मगर अब में उनके साथ और ज़ियादा वक़्त गुज़ारने लगा और घरैलू काम काज में उनकी भरपूर मदद करने लगा. मै उनके कहने पर फॉरन सोडा सुलफा ले आता और पहले की तरह मुँह नही बनाता था. मै हर रोज़ किसी ना किसी वजह से उनकी तारीफ करता जिससे सुन कर वो बहुत खुश होती थीं . पता नही उन्होने मेरे बदले हुए रवय्ये को महसूस किया या नही मगर चन्द हफ्तों के अंदर ही में उनके बे-हद क़रीब आ गया और वो हर बात मुझ से शेयर करने लगीं. फिर सालाना इम्तिहानात की वजह से स्कूल की छुट्टियाँ हो गईं और में ज़ियादा वक़्त घर में गुज़ारने लगा. शायद इसी लिये राशिद का हमारे घर आना जाना बिल्कुल ख़तम हो गया. मुझे बड़ी खुशी थी के कम-आज़-कम इन छुट्टियों में वो अम्मी को चोद नही सकता था.

एक दिन मेरे दोनो बहन भाई नाना जान के घर गए हुए थे और घर में सिरफ़ अम्मी और में ही थे. उस दिन हफ़्ता था और हर हफ्ते को हमारे घर कपड़े ढोने वाली मासी आती थी और अम्मी उस के साथ कपड़े धुलवाया करती थीं . दोपहर साढ़े तीन बजे के क़रीब अम्मी ने घर का सारा काम ख़तम किया और नहाने ढोने के लिये बेडरूम में चली गईं. मासी पहले ही जा चुकी थी. मै भी कुछ देर बाद उनके पीछे बेडरूम में आ गया. वो नहाने के बाद बड़ी निखरी निखरी लग रही थीं लेकिन उनके चेहरे पर थकान के आसार अब भी मोजूद थे. मैंने उन्हे कहा के वो बहुत ज़ियादा काम करती हैं और आराम बिल्कुल नही करतीं. मैंने उनकी तारीफ भी की के घर को संभालने में उनका कोई सांई नही. वो अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराईं और बोलीं के घर के काम काज में थकान तो हो ही जाती है लेकिन किया किया जाए घर तो संभालना तो पड़ता ही है.

उनके लंबे बाल अब भी हल्के गीले थे और उनका गोरा सेहतमंद बदन बड़ा शानदार लग रहा था. वो बिस्तर पर बैठ गईं. मैंने कहा के आज तो वो बहुत थकी होई लग रही हैं में उन्हे दबा देता हूँ. वो फॉरन मान गईं और कहा के उनकी कमर में बहुत दर्द है. इस में कोई नई बात नही थी क्योंके में बचपन से ही अम्मी को दबाया करता था. उन्होने अपना दुपट्टा उतारा और बेड पर उल्टी हो कर लेट गईं. लेट कर उन्होने अपने भारी चूतड़ों के ऊपर अपनी क़मीज़ को ठीक किया. क़मीज़ अपने तंदूरस्त बदन के नीचे से निकालने के लिये उन्होने अपने मोटे चूतड़ों को ऊपर उठाया और फिर हाथ पीछे ले जा कर उन्हे क़मीज़ के दामन से धक लिया. अम्मी के भारी चूतड़ों की हरकत ने मेरा खून गरमा दिया. यही वो वक़्त था जब मैंने सोचा के आज अम्मी को चोदने की कोशिश कर ही लानी चाहिये.


अम्मी के लेट जाने के बाद मैंने आहिस्ता आहिस्ता उनकी मज़बूत कमर को दबाना शुरू कर दिया. मेरे हाथों के नीचे अम्मी की कमर का गोश्त बड़ा गुन्दाज़ महसूस हो रहा था. मेरी हथेलियों ने अम्मी के सफ़ेद ब्रा के स्ट्रॅप्स को महसूस किया जो उनकी क़मीज़ में से झाँक रहा था. मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने अम्मी के गोल कंधों को दोनो हाथों में पकड़ लिया और उन्हे होले होले दबाने लगा. कंधों के थोड़ा ही नीचे उनके मोटे मोटे मम्मे उनके बदन के वज़न तले दबे हुए थे. मै अपनी उंगलियों को अम्मी के कंधों से कुछ नीचे ले गया और उनके मम्मों का ऊपरी नरम नरम हिस्सा मेरी उंगलियों से टकराया. उनको अब सरूर आने लगा था और वो आँखें बंद किये अपना बदन दबवा रही थीं . कमर से नीचे आते हुए मैंने बिल्कुल गैर महसूस अंदाज़ में अम्मी के चौड़े और मोटे चूतड़ों पर हाथ रख कर उन्हे दबाया और जल्दी से उनकी गोरी पिंदलियों की तरफ आ गया. मैंने पहली दफ़ा अम्मी की गांड़ को हाथ लगाया था. उनके चूतड़ों का लांस बड़ा अजीब और मदहोश कर देने वाला था. मेरे जिसम में सनसनाहट सी होने लगी. मुझे अपने लंड पर क़ाबू रखना मुश्किल हो गया.

मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को अम्मी की मोटी गांड़ के सुराख में उंगली देने से रोका. मैंने इस से पहले कभी अम्मी को दबाते हुए उनके चूतड़ों को हाथ नही लगाया था इस लिये मुझे डर था के कहीं वो बुरा ना मान जाएं मगर वो चुप चाप लेतीं रहीं और में इसी तरह उन्हे दबाता रहा. मेरा लंड अकड़ कर पठार बन चुका था. तीन चार दफ़ा अम्मी की गांड़ का इसी तरह लुत्फ़ लेने के बाद मैंने एक क़दम और आगे बढ़ने का इरादा किया. मै अपना हाथ उनकी बगल की तरफ ले गया और साइड से उनके एक मोटे ताज़े मम्मे को आहिस्ता से दबाया. पहले तो उन्होने किसी क़िसम का रिऐक्शन ज़ाहिर नही किया लेकिन जब मैंने दोबारा ज़रा बे-बाकी से उनके मम्मे को हाथ में लेने की कोशिश की तो वो एक दम सीधी हो कर बैठ गईं और बड़े गुस्से से बोलीं के ये तुम किया कर रहे हो शाकिर. तुम्हे शरम आनी चाहिये में तुम्हारी माँ हूँ. पहले तुम ने मेरी पीठ को टटोला और अब सीने को हाथ लगा रहे हो. उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था.

अगरचे मुझे पहले ही तवक़ो थी के वो इस तरह का रद-ए-अमल ज़ाहिर करें गी और में जानता था के मुझे इस के बाद किया करना था लेकिन फिर भी उन्हे गुस्से में देख कर मेरा दिल लरज़ कर रह गया. मैंने कहा के मैंने कुछ गलत नही किया में तो आप को दबा रहा था. उन्होने जवाब दिया के में उनके सीने को टटोल रहा था जो बड़ी बे-शर्मी की बात है. ये कह कर वो गुस्से में बिस्तर से नीचे उतरने लगीं. अब मेरे पास इस के एलावा कोई चारा नही था के में उन्हे बता देता के में उनकी शरम-ओ-हया से बड़ी अच्छी तरह वाक़िफ़ हूँ. मैंने कहा के अम्मी जुब आप राशिद को अपनी चूत देती हैं उस वक़्त तो आप को कोई शरम महसूस नही होती मगर मैंने आप के मम्मे को ज़रा सा हाथ लगा लिया तो आप इतना शोर कर रही हैं. मेरे मुँह से इस क़िसम के जुमले सुन कर अम्मी जैसे सन्नाटे में आ गईं. उनका चेहरे के ता’औरात फॉरन बदल गए और मुँह खुला का खुला रह गया. बिस्तर से नीचे लटकी हुई उनकी टांगें लटकती ही रहीं और वो वहीं बैठी रह गईं.

मेरे इस ज़बरदस्त हमले ने उन्हे संभलने का मोक़ा नही दिया था. उनकी हालत देख कर मेरा खौफ अचानक बिल्कुल ख़तम हो गया. इस से पहले के वो कोई जवाब देतीं मैंने कहा के अम्मी मेहरबानी कर के अब झूठ ना बोलिये गा के आप का और राशिद का कोई ता’अलूक़ नही है क्योंके में अपनी आँखों से उसे आप को चोदते हुए देख चुका हूँ और मेरे पास इस का सबूत भी है. मैंने जल्दी से अपना मोबाइल निकाल कर उन्हे उनकी और राशिद की तस्वीरें दिखाईं.

तस्वीरें अगरचे दूर से ली गई थीं और थोड़ी धुंधली थीं मगर अम्मी और राशिद को साफ़ पहचाना जा सकता था. राशिद ने पीछे से अम्मी की चूत में अपना लंड डाला हुआ था और अम्मी बेड पर हाथ रखे नीचे झुकी हुई उस से अपनी चूत मरवा रही थीं . तस्वीरें देख कर अम्मी का चेहरा हल्दी की तरह ज़र्द हो गया और एक लम्हे में उनके चेहरे से सारा गुस्सा यक्सर गायब हो गया. अब उनकी आँखों में खौफ और खजालत के आसार थे. ऐसा महसूस होता था जैसे उन्होने कोई बड़ी खौफनाक बाला देख ली हो. उनकी आँखों से खौफ झलक रहा था.

उन्होने कुछ देर सर नीचे झुकाय रखा और फिर बोलीं के राशिद ने उन्हे बरगला कर उनके साथ ये सब किया है और वो अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदा हैं. वाक़ई उन से बहुत बड़ी गलती होई है. फिर अचानक ही उन्होने रोना शुरू कर दिया. मै जानता था के वो सफ़ेद झूठ बोल रही हैं. किसी औरत को उस की मर्ज़ी के बगैर नही चोदा जा सकता और अम्मी को तो मैंने अपनी आँखों से राशिद से चुदवाते हुए देखा था. वो जो कुछ कर रही थीं अपनी मर्ज़ी से और बड़ी खुशी से कर रही थीं . ये रोना धोना इस लिये था के उनका राज़ फ़ाश हो गया था.

में अम्मी के पास बेड पर बैठ गया और उनके बदन के गिर्द अपने बाज़ू डाल कर उन्हे अपनी तरफ खैंचा. उन्होने कोई मुज़ाहीमत तो नही की लेकिन और ज़ियादा शिद्दत से रोने लगीं. मै थोड़ा सा परेशां हुआ के अब किया करूँ. मैंने अम्मी से कहा के वो फिकर ना करें में उनके और राशिद के बारे में किसी से कुछ नही कहूँ गा. ये राज़ हमेशा हमेशा के लिये मेरे सीने में ही दफ़न रहे गा. ये सुनना था के अम्मी ने रोना बंद कर दिया और बड़ी हैरत से मेरी तरफ देखा. मैंने फिर कहा के अम्मी जो होना था वो हो चुका है. मै अपना मुँह बंद रखूं गा मगर आप ये वादा करें के आ’इन्दा कभी राशिद को अपने क़रीब नही आने दें गी. उन्होने जल्दी से जवाब दिया के बिल्कुल ऐसा ही होगा.

अगरचे अब अम्मी इस पोज़िशन में नही थीं के मेरी किसी बात को टाल सकतीं और में उन से हर क़िसम का मुतालबा कर सकता था मगर ना जाने क्यों मतलब की बात ज़बान पर लाते हुए अब भी में घबरा रहा था. बहरहाल मैंने दिल मज़बूत कर के अम्मी के गाल को चूम लिया. उन्होने मेरी गिरफ्त से निकालने की कोशिश नही की मगर बिल्कुल ना-महसूस तरीक़े से अपने बदन को सिमटा लिया. मैंने कहा के अम्मी में आप के साथ वोही कुछ करना चाहता हूँ जो राशिद कर रहा था मगर मे आप को आप की मर्ज़ी से चोदना चाहता हूँ. अगर आप को मुझ से चुदवाना क़बूल नही तो में आप को मजबूर नही करूँ गा बस मेरी यही दरखास्त होगी के राशिद कभी आप के क़रीब नज़र ना आए. मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं. उन्होने किसी क़िसम का रद-ए-अमल ज़ाहिर नही किया जो मेरे लिये हैरानगी का मंज़र था.

कुछ देर सोच में डूबे रहने के बाद अम्मी ने कहा के तुम कब इतने बड़े हो गए मुझे अंदाज़ा ही नही हो सका. वैसे में कई हफ्तों से तुम्हारे अंदर एक अजीब सी तब्दीली महसूस कर रही थी और मुझे शक था के तुम्हारी नज़रें बदली हुई हैं. ये बात भी मेरे लिये हैरान-कन थी के अम्मी को अंदाज़ा हो गया था के में उन्हे चोदने का खाहिसमंद था. मैंने पूछा के उन्हे कैसे इस बात का पता चला. उन्होने जवाब दिया के औरत को मर्द की आँख का फॉरन पता चल जाता है चाहे वो मर्द उस का बेटा ही क्यों ना हो. मैंने उन्हे अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया और कहा के अब इन बातों को छोड़ें और मुझे ये बताईं के किया आप मुझे चूत दें गी. अम्मी अब काफ़ी हद तक संभाल चुकी थीं . उन्होने कहा के शाकिर तुम जो करना चाहते हो उस के बाद मेरा और तुम्हारा रिश्ता हमेशा के लिये बदल जाए गा. इस लिये अच्छी तरह सोच लो.

मैंने जवाब दिया के अम्मी आप राशिद से भी चुदवा रही थीं आप का और उस का रिश्ता तो नही बदला. वो जब भी यहाँ आता था तो आप दोनो को देख कर कोई ये नही कह सकता था के आप का भांजा आप को चोद रहा है फिर भला हुमारा रिश्ता कैसे बदल जाए गा. मै आप की चूत ले कर भी हमेशा आप का बेटा रहूं गा. मेरे और आप के जिस्मानी रिश्ते के बारे में किसी को कभी कुछ पता नही चले गा. सब कुछ वैसा ही रहे गा जैसा था. उनके पास इस दलील का जवाब नही था.
वो कुछ देर और सोचती रहीं फिर ठंडी साँस ले कर बोलीं के शाकिर हम बहुत बड़ा गुनाह करने जा रहे हैं मगर लगता है मेरे पास तुम्हारी खाहिश को पूरा करने के एलवा कोई चारा नही. मेरे दिल में फुलझर्रियाँ छूटनें लगीं. मैंने अपना एक हाथ आगे कर के अम्मी का एक मोटा मम्मा पकड़ लिया. उन्होने सर मोड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा के अभी तो मेरी जेहनी हालत बहुत खराब है किया तुम कल तक सबर नही कर सकते. मैंने कहा के कल छोटे भाई बहन यहाँ हूँगे क्योंके स्कूल बंद हैं. अम्मी ने जवाब दिया के उन्हे दोबारा नाना के घर भेज दें गी वैसे भी वो वहाँ जाने की हमेशा ज़िद करते हैं.

मैंने कहा ठीक है मगर अम्मी ये तो बताएं के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हुईं? किया अब्बू आप की जिस्मानी ज़रूरियात पूरी नही करते? अम्मी मेरे सावालात सुन कर थोड़ी परेशां हो गईं. फिर कहने लगीं के शाकिर ये बातें कोई माँ अपने बेटे से नही करती मगर में तुम्हे बता ही देती हूँ के सेक्स मर्दों की तरह औरतों की ज़रूरत भी होती है. पिछले कई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दी है. इस लिये मैंने राशिद के साथ इतना बुरा काम कर लिया जो मुझे नही करना चाहिये था. पहल उस की तरफ से हुई थी और मुझे उसी वक़्त उससे रोक देना चाहिये था. वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं . मैंने भी उन्हे मज़ीद परेशां करना मुनासिब नही समझा और चुप हो रहा. अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गईं. मै बे-सबरी से अगले दिन का इंतिज़ार करने लगा.

में अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सबर करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था. मै वक़्त ज़ाया किये बगैर फॉरी तौर पर अम्मी की चूत मारना चाहता था. हर गुज़रते मिनिट के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी. शाम को मेरे भाई बहन घर वापस आ गए. मोक़ा मिला तो मैंने अलहड़गी में अम्मी से कहा के अगर वो रात को मेरे कमरे में आ जाएं तो में वहाँ उन्हे चोद लूं गा. मेरे कमरे मे किसी तो किसी के भी आने का कोई इंकान नही है.

अम्मी और मेरे दोनो छोटे बहन भाई एक कमरे में सोते थे जबके उन के बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था. अबू घर की ऊपर वाली मंज़िल में एक अलहदा बेडरूम में सोया करते थे. रात के पिछले पहर सब के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और में उन्हे आराम से चोद सकता था. किसी को कानो कान खबर ना होती.

मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं के ठीक है में तुम से बाद में बात करती हूँ. अबू क़रीबन 10 या 10 ½ बजे सो जाया करते थे क्योंके उन्हे अगली सुबह 8 बजे दफ़्तर पुहँचना होता था. उस रात भी वो 10 बजे के क़रीब अपने कमरे में चले गए. उनके जाने के बाद अम्मी ने आहिस्ता से मेरे कान में कहा के वो रात 12 बजे के बाद मेरे कमरे में आएँगी. दोनो बहन भाई भी कोई आध घंटे तक सो गए और में अपने कमरे में चला आया.


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Re: नंबर वन माल

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:32

नंबर वन माल--5

नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. आज की रात मेरी ज़िंदगी की बड़ी ख़ास रात थी. मुझे आज रात अपनी अम्मी को चोदना था जो अगरचे मेरी सग़ी माँ थीं मगर एक बड़ी खूबसूरत और भरपूर औरत भी थीं . दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हूँ गे जिन्हो ने ज़िंदगी में सब से पहले जिस औरत को चोदा वो उनकी अपनी माँ थी. अपनी अम्मी की चूत लेने का ख़याल मेरे जज़्बात को बड़ी बुरी तरह भड़का रहा था और में मुसलसल सोच रहा था के जब मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर जाए गा और में उनकी चूत में घस्से मारूं गा तो कैसा महसूस होगा. मुझे अपने जिसम में खून की गर्दिश तेज़ होती महसूस हो रही थी.

पता नही कितनी ही फिल्मों के मंज़र बड़ी तेज़ी से मेरे दिमाग में घूम रहे थे. यही सब कुछ सोचते हुए मेरा लंड अकड़ चुका था और मुझे अब ये खौफ लाहक़ हो गया था के कहीं अम्मी के आने और उनकी चूत लेने से पहले ही में खलास ना हो जाऊं. फिर तो सारा मज़ा किरकिरा हो जाता. मै बड़ी बे-सबरी से 12 बजने का इंतिज़ार करने लगा. ना-जाने मैंने वो वक़्त किस तरह गुज़ारा. फिर मालूम नही कब मेरी आँख लग गई.

कोई 12 ½ बजे अम्मी कमरे में दाखिल हुईं और दरवाज़े की चटखनी बंद करने लगीं तो उस की आवाज़ से में जाग गया. उन्होने दुपट्टा नही ओढ़ा हुआ था और उनके भारी मम्मे अपनी पूरी उठान के साथ तने हुए नज़र आ रहे थे. वो सीधी आ कर मेरे बेड पर बैठ गईं. उनके चेहरे पर किसी क़िसम का कोई ता’असुर नही था. ना खुशी ना गम, ना गुस्सा ना प्यार. उस वक़्त वो बिल्कुल बदली हुई लग रही थीं . ऐसा लगता था जैसे वो अम्मी ना हूँ बल्के कोई और औरत हों . पता नही ये उनका कौन सा रूप था. शायद चूत मरवाने से पहले वो हमेशा ही ऐसी हो जाती हूँ या शायद मुझे चूत देने की वजह से उके अंदाज़ बदले हुए थे. मै कुछ कह नही सकता था. हम दोनो ही थोड़ी देर खामोश रहे. मुझे तो समझ ही नही आ रही थी के उन से किया बात करूँ.

बिल-आख़िर मैंने हिम्मत कर के अम्मी का एक बाज़ू पकड़ कर उन्हे अपनी तरफ खैंचा. उन्होने मुझे रोका नही और उनका बदन मेरे ऊपर झुक गया. मैंने एक हाथ उनके गले में डाला और उनके होठों को चूमते हुए दूसरे हाथ से उनके मम्मों को मसलने लगा. अम्मी के मम्मे बड़े मोटे मोटे और वज़नी थे और ब्रा के अंदर होने के बावजूद मुझे उन्हे मसलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनके नंगे मम्मों को हाथों में पकड़ रखा हो. उनका ब्रा शायद ज़ियादा मोटे कपड़े से नही बना था. मैंने उनके मम्मों को ज़रा ज़ोर से दबाया तो उनके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई. उन्होने अपने मम्मों पर से मेरे हाथ हटाया और मेरे कान के पास मुँह ला कर पूछा के किया मैंने पहले कभी सेक्स किया है?

यही सवाल मुझ से नज़ीर ने भी किया था जब वो पिंडी में खाला अम्बरीन की चूत मार रहा था. मुझे अपनी ना-तजर्बकारी पर बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई मगर मैंने बहरहाल नफी में सर हिला दिया. अम्मी ने कहा के में उनके मम्मे आहिस्ता दबाऊं क्योंके ज़ोर से दबाने से तक़लीफ़ होती है मज़ा नही आता. ये सुन कर मैंने दोबारा अम्मी के तने हुए भरपूर मम्मों की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होने फिर मुझे रोक दिया और कहा के हमें कमरे की लाईट बुझा देनी चाहिये. फिर वो खुद ही उठीं और लाईट ऑफ कर दी. कमरे में अब भी अम्मी के बेडरूम की तरफ खुलने वाले रोशनदान में से काफ़ी रोशनी आ रही थी और में अम्मी को बिल्कुल साफ़ तौर से देख सकता था.

अम्मी वापस बेड के क़रीब आईं ओर खड़े खड़े ही अपनी क़मीज़ उतारने लगीं. क़मीज़ उनके मम्मों के ऊपर से होती हुई सर पर आई जिससे उतार कर उन्होने पहले सीधा किया और फिर एहतियात से बेड पर एक तरफ रख दिया. उनका गोरा बदन हल्की ज़र्द रोशनी में इंताहै खूबसूरत लग रहा था. मोटे और उभरे हुए मम्मे सफ़ेद रंग के ब्रा में से काफ़ी हद तक नंगे नज़र आ रहे थे और यों लग रहा था जैसे दो सफ़ेद तोपों ने अपने दहाने मेरी तरफ कर रखे हूँ. अम्मी के मम्मे बड़े और भारी होने के साथ साथ काफ़ी चौड़े भी थे और ऐसा लगता था जैसे उनके दोनो मम्मों के दरमियाँ बिल्कुल कोई फासला नही था. अम्मी का बे-दाग पेट और बिकुल गोल नाफ़ भी दिखाई दे रहे थे. उनके मज़बूत कंधे जिन पर ब्रा के स्ट्रॅप चढ़े हुए थे चौड़े और सेहतमंद थे. मैंने सोचा के किया अबू का दिमाग खराब है जो अम्मी जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को चोदना नही चाहते? ऐसा कौन सा मर्द हो गा जो अम्मी की चूत नही लेना चाहे गा?

अम्मी चलती हुई मेरे बेड के पास आ गईं. अब उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी. उन्होने देख लिया था के में उनके बदन को ललचाई हुई नज़रों से देख रहा था. वो ब्रा और शलवार उतारे बगैर ही बेड पर चढ़ कर मेरे साथ लेट गईं. मै हज़ारों दफ़ा अपनी अम्मी के साथ एक ही बेड पर लेटा था मगर आज की रात मामला ज़रा मुख्तलीफ़ था.

मैंने भी फॉरन अपने कपड़े उतार दिये और बिल्कुल नंगा हो कर अम्मी की तरफ करवट ली और उन से लिपट गया. जैसे ही मेरा नंगा बदन उन के आधे नंगे बदन से टकराया मुझे लगा जैसे मेरे लंड में आग सी लग गई हो. अम्मी का बदन नर्म-ओ-मुलायम और हल्का सा गरम था. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा होने लगा. अम्मी ने अपनी रानों के पास मेरे लंड का दबाव महसूस किया और मेरी तरफ देखा. उनकी आँखों में किसी क़िसम की ताश्वीश या शर्मिंदगी नही थी.




उसी वक़्त मेरे ज़हन में एक बहुत ही परेशां-कन ख़याल आया. मैंने फिल्मों में सेक्स का बहुत मुशाहिदा किया था और या फिर नज़ीर को खाला अम्बरीन की फुद्दी लेते हुए देखा था. लेकिन आज तक मुझे किसी औरत को चोदने का इत्तेफ़ाक़ नही हुआ था. मेरे दिल में अचानक ये खौफ पैदा हुआ के कहीं ऐसा ना हो में अम्मी को अपनी ना-तजर्बकारी की वजह से ठीक तरह चोद ना सकूँ. फिर किया हो गा? में इस एहसास-ए-कमतरी का भी शिकार था के राशिद सेक्स में मुझ से ज़ियादा बेहतर था. मैंने खुद अपनी आँखों से उससे अम्मी को चोद कर उनकी फुद्दी में अपनी मनी छोड़ते हुए देखा था. उस ने यक़ीनन और भी कई दफ़ा अम्मी की फुद्दी मारी थी और मुझे ये भी एहसास था के राशिद उन्हे चोद कर ठंडा करता था क्योंके अगर ऐसा ना होता तो अम्मी उससे क्यों अपनी फुद्दी मारने देतीं. आज अगर में अम्मी को चोदते हुए राशिद जैसा मज़ा ना दे सका तो किया हो गा? अम्मी ने मुझे बताया था के अब्बू उन्हे अब कभी कभार ही चोदा करते थे और मुझ से भी मज़ा ना मिलने पर वो अपना वादा तोड़ कर दोबारा राशिद से चुदवाना भी शुरू कर सकती थीं . ये बात मुझे हर गिज़ क़बूल नही थी. मुझे हर सूरत में एक तजर्बकार मर्द की तरह अम्मी की चूत मार कर उनकी तमाम जिस्मानी ज़रोरियात पूरी करनी थीं .




अम्मी मेरे चेहरे से भाँप गईं के मुझे कोई परेशानी लहक़ है. उन्होने पूछा के शाकिर किया बात है किया सोच रहे हो? में कुछ सटपटा सा गया मगर फिर उन्हे बता ही दिया के अम्मी आज मेरी सेक्स करने की पहली दफ़ा है और में डर रहा हूँ के कहीं आप को मुझे अपनी चूत दे कर मायूसी ना हो. मै जल्दी खलास होने से डरता हूँ और इसी वजह से कुछ परेशां हूँ.

अम्मी हंस पड़ीं और कहा के पहली दफ़ा सब को ही परैशानी होती है. तुम फिकर ना करो सेक्स इंसान की फ़ितरत है रफ़्ता रफ़्ता खुद-बखुद ही सब कुछ समझ आ जाता है. मै उनकी बात गौर से सुन रहा था. फिर उन्होने कहा के तुम तो कम-उमर लड़के हो तुम से चुदवा कर तो हर औरत खुश हो गी. कुछ ही दिनों में तुम इस काम में माहिर हो जाओ गे. और हाँ तुम राशिद को भूल जाओ तुम मेरे बेटे हो में उस पर लानत भेजती हूँ. तुम्हारा और उस का कोई मुक़ाबला नही. आज के बाद में जो भी करूँ गी सिर्फ़ तुम्हारे साथ करूँ गी. हमारे दरमियाँ जो होना है शायद वो क़िस्मत का लिखा है इस लिये उस पर अफ़सोस करने की ज़रूरत नही.




मुझे उनकी बातों में सचाई नज़र आई. मै ये भी महसूस कर रहा था के मेरे साथ अब अम्मी का रवय्या और बात चीत का अंदाज़ रिवायती माओं जैसा नही था. अब वो मेरे साथ वैसे ही पेश आ रही थीं जैसे मैंने उन्हे राशिद के साथ पेश आते देखा था. मै पूर-सकूँ हो गया और मेरी जेहनी उलझन बड़ी हद तक कम हो गई.




मैंने अपने ज़हन में सर उठाते हुए खौफ से तवजो हटाने की कोशिश की और अम्मी का चेहरा अपनी तरफ फेर कर उनके गालों को ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा. उन्होने भी मेरा पूरा साथ दिया और अपने मज़बूत बाज़ू मेरी कमर के गिर्द लपेट कर मुझे अपने ऊपर आने दिया. मैंने अपने दोनो बाज़ू उनकी गर्दन में डाले और उन से पूरी तरह चिपक कर उन्हे चूमने लगा. मैंने अम्मी के होठों, गालों, थोड़ी, आँखों, गर्दन और माथे को चूम चूम कर और चाट चाट कर उनका पूरा चेहरा अपने थूकों से गीला कर दिया. वो इस चूमा चाटी से मज़ा ले रही थीं .




फिर मैंने उनके मुँह के अंदर अपनी ज़बान डाली तो उन्होने मुझे अपनी ज़बान चूसने दी. मैंने उनकी ज़बान होठों में पकड़ी और उससे चूसने लगा. अम्मी के मुँह के अंदर मेरी और उनकी ज़बानें आपस में टकरतीं तो अजीब तरह का मज़ा महसूस होता. तजर्बा ना होने की वजह से अगर उनकी ज़बान चूसते चूसते मेरे होठों से निकल जाती तो वो फॉरन ही उससे दोबारा मेरे होठों में दे देतीं. हम दोनो के मुँह थूक से भर चुके थे मगर मुझे अम्मी की ज़बान चूसने में गज़ब का लुत्फ़ आ रहा था. मेरा लंड अम्मी के नरम पेट से नीचे उनकी शलवार में घुसा हुआ था.

अम्मी के चेहरे के ता’असूरात से साफ़ पता चल रहा था के उन्हे भी ये सब कुछ बहुत ज़ियादा मज़ा दे रहा है. ये देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई और मेरी हिम्मत बढ़ गई. कम-अज़-कम अब तक तो में ठीक ही जा रहा था. मै अम्मी से बुरी तरह चिपटा हुआ उन्हे चूमता रहा और वो भरपूर तरीक़े से मेरे ताबड़ तोड़ चुम्मियों का जवाब देती रहीं. हमारी साँस चढ़ गई थी और अम्मी अब वाज़ेह तौर पर गरम होने लगी थीं . उनका बदन जैसे हल्के बुखार की कैफियत में था. अपनी सग़ी माँ को चोदने का हैजान और जोश ही मुझे पागल किये दे रहा था. मेरे ज़हन से अब जल्दी खलास होने का डर भी बिल्कुल निकल चुका था. मैंने सोचा के फिल्मों से सीखी हुई चीजें कामयाबी से कर के अम्मी को इंप्रेस करने का यही वक़्त है.




में अम्मी के ऊपर से उठ गया और उन्हे करवट दिला कर साइड पर कर दिया. फिर मैंने कमर पर से उनका ब्रा खोला और उससे उनके बदन से जुदा कर दिया. इस पर अम्मी ने खुद ही अपनी शलवार उतार कर टाँगों से निकाल ली. अब वो बिल्कुल नंगी हो गई थीं . मैंने उन्हे सीधा करने के लिये आगे हाथ ले जा कर उनके मोटे मोटे नंगे मम्मों को हाथों में दबोच लिया और उन्हे अपनी जानिब खैंचा. उन्होने अपने खूबसूरत और सेहतमंद बदन को संभालते हुए मेरी तरफ करवट बदल ली. मैंने उनके मोटे दूधिया मम्मों को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया. मेरी नज़र में मम्मे औरत के बदन का सब से शानदार हिस्सा थे और मेरी अम्मी के मम्मों की तो बात ही कुछ और थी. मै एक अरसे से छुप छुप कर अम्मी के मम्मों का नज़ारा किया करता था. आज क़िस्मत से ये मोक़ा भी मिल गया था के में उनके नंगे मम्मों को अपने मुँह में डाल कर चूस सकूँ. ये सोच कर मुझे हल्का सा चक्कर आ गया. अहर्हाई मैंने अम्मी के दोनो मम्मों को बारी बारी इस बुरी तरह चूसा और चाटा के उनका रंग लाल हो गया और वो मेरे थूकों से भर गए. अम्मी के निपल्स को मैंने इतना चूसा था के वो अकड़ कर बिल्कुल सीधे खड़े हो गए थे.




में उनकी ये बात बिल्कुल भूल चुका था के मम्मों को नर्मी और एहतियात से हाथ लगाना चाहिये. कई दफ़ा जब मैंने उनके मम्मे ज़ोर से चूसे या दबाइ तो वो बे-साख्ता कराह उठीं लेकिन उन्होने मुझे रोका नही. अपने मम्मे चुसवाने के दोरान अम्मी काफ़ी मचल रही थीं और मुसलसल अपना सर इधर उधर घुमा रही थीं . जब में उनके मम्मों के निप्पल मुँह में ले कर उन पर ज़बान फेरता तो वो बे-क़ाबू होने लगतीं और मुझे उनके जिस्मानी रद्द-ए-अमल से महसूस होता जैसे वो अपने मोटे मम्मे मेरे मुँह में घुसा देना चाहती हैं. उनके मम्मों के मोटे, गोल और काफ़ी लंबे निप्पल थे भी बे-इंतिहा खूबसूरत. पता नही औरत के निपल्स में ऐसी किया बात है के उन्हे चूसने में ऐसा ज़बरदस्त मज़ा आता है? मेरे लंड की भी बुरी हालत थी. मैंने अम्मी का हाथ अपने अकड़े हुए लंड पर रखा जिससे उन्होने पकड़ लिया और बड़ी नर्मी से उस पर ऊपर नीचे हाथ फेरने लगीं. जब उन्होने मेरा लंड अपने हाथ में लिया तो मुझे अपने टट्टों में अजीब क़िसम का खिचाओ महसूस होने लगा.

बहुत देर तक अम्मी के दोनो मम्मों को चूसने के बाद में सिरक़ कर उनकी टाँगों की तरफ आया और उन्हे घुटनो से पकड़ कर खोल दिया. अब अम्मी की मोटी और सूजी हुई चूत पूरी तरह मेरे सामने आ गई. अम्मी की चूत पर हल्के हल्के लेकिन बड़े घने काले बाल थे और मोटी होने के बावजूद उनकी चूत सख्ती से बंद नज़र आ रही थी. मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उन्होने शायद गैर-इरादि तौर पर अपनी टांगें बंद करने की कोशिश की मगर में अपने सर को नीचे कर के उनकी टाँगों के बीच में ले आया और उनकी चूत पर मुँह रख दिया. यहाँ भी फिल्म्स ही मेरे काम आ’ईं. मैंने अम्मी की चूत पर ज़बान फेरी और उससे ज़ोरदार तरीक़े से चाटने लगा. चूत चाटने की ये मेरी दफ़ा थी मगर जल्द हो में जान गया के मुझे किया करना है. अम्मी की टांगें अकड़ गई थीं और उनका एक हाथ मुसलसल मुझे अपने सर को सहलाता हुआ महसूस हो रहा था. उनके मुँह से वक़फे वक़फे से कराहने की बिल्कुल हल्की सी आवाज़ आ रही थी. मैंने अपनी ज़बान उनकी चूत पर फेरते फेरते नीचे की तरफ से उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो मुझे अचानक उनकी गांड़ का सुराख मिल गया. मैंने फॉरन सर झुका कर उससे भी चाट लिया. गांड़ चाटने से मुझे भी बहुत मज़ा आया और अम्मी ने भी बड़ा एंजाय किया. थोड़ी देर में ही अम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया जिस का नमकीन सा ज़ायक़ा मुझे अपनी ज़बान पर महसूस हुआ.




फिर में बेड पर लेट गया और अम्मी से कहा के अब वो मेरा लंड चूसें. मैंने फिल्मों में भी यही होते देखा था और नज़ीर ने खाला अम्बरीन के साथ भी ऐसा ही किया था. अम्मी पहले तो थोड़ा सा झिझकीं मगर फिर घुटनो के ज़ोर पर बेड पर बैठ गईं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे लंड का टोपा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़बान फेरने लगीं. मैंने अम्मी को राशिद का लंड चूसते हुए देखा था और इस बात से वाक़िफ़ था के वो लंड चूसना जानती हैं. उस वक़्त उन्होने काफ़ी जल्दी में राशिद के लंड के टोपे को चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी महारत और आराम से चूस रही थीं .




उन्होने पहले तो मेरे लंड के गोल टोपे पर अच्छी तरह अपनी ज़बान फेर कर उससे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं. फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़बान गर्दिश करती रही. लंड चूसते चूसते अम्मी की ज़बान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड पानी के ग्लास के अंदर चला गया हो. कुछ ही देर में मेरा लंड टोपे से ले कर टट्टों तक अम्मी के थूक से भर गया. उनका मुँह में भी बार बार थूक भर जाता था लेकिन वो एक लम्हे के लिये रुक कर उससे निगल लेतीं और फिर मेरा लंड चूसने लगतीं.

यकायक् अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनका चेहरा लाल हो चुका था. मेरे टोपे को उन्होने होठों में ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसा तो मेरे लंड में तेज़ सनसनाहट होने लगी और मेरे टट्टे सख़्त होने लगे. मुझे लगा जैसे में खलास हो जाऊं गा. मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होने नही सुना. फिर मैंने देखा के उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और बड़ी उंगली अपनी चूत के अंदर डाल कर उससे तेज़ी से अंदर बाहर कर रही थीं .




में समझ गया के उन से बर्दाश्त नही हो रहा और वो खलास होने के क़रीब हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर में भी सबर ना कर सका और उनके मुँह में ही मेरे लंड से झटकों के साथ मनी निकालने लगी. अपने मुँह के अंदर मेरी मनी को महसूस कर के अम्मी ने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला और मेरे टट्टों को मुट्ठी में नर्मी से पकड़ कर दबाने लगीं. मेरी कुछ मनी उनके मुँह में चली गई जबके कुछ उनके होठों और गालों पर गिरी. वो खुद भी तेज़ तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास होने लगीं. उनका मुँह खुल गया और आँखें बंद हो गईं. मैंने जल्दी से हवा में झूलता हुआ उनका एक मोटा और गोल मम्मा मुट्ठी में जकड लिया और अपना लंड फिर उनके मुँह में देने की कोशिश की मगर उन्होने ज़बान से ही मेरे टोपे पर लगी हुई मनी चाट ली.




इस के बाद हम दोनो उसी तरह नंगे ही बेड पर लेट गए. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा के मुझे तो मज़ा नही आया क्योंके में उनकी चूत नही ले सका और यों ही खलास हो गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया के अभी तो रात का एक बजा है वो घंटे डेढ़ घंटे तक दोबारा मेरे पास आएँगी तब में दिल की मुराद पूरी कर लूं. मैंने कहा ठीक है मगर वो वादा करें के वापस आएँगी. उन्होने कहा के किया वो 12 बजे नही आई थीं ? में फिकर ना करूँ अब भी वो ज़रूर आएँगी. वो उठीं और बेड पर पड़े हुए अपने कपड़े समैट कर अपने बेडरूम में चली गईं. मै फिर इंतिज़ार करने लगा. मुझे यक़ीन था के अब मुझे नींद नही आये गी. ऐसा ही हुआ.

अम्मी ने भी वाक़ई अपना वायेदा पूरा किया और कोई 2 बजे के बाद किसी वक़्त मेरे कमरे में आ गईं. वो शायद नहा कर आई थीं क्योंके अब उन्होने पहले से मुख्तलीफ़ कपड़े पहने हुए थे. उस वक़्त उन्होने अपना ब्रा भी नही पहना हुआ था और चलते हुए उनके वज़नी मम्मे बड़ी बे-बाकी से हिल रहे थे. वो मेरे बेड पर आ गईं और हम दोनो अपने कपड़े उतार कर पूरी तरह नंगे हो गए.




में अम्मी के नंगे होते ही उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा हो गया. मै उस वक़्त दुनिया जहाँ से बे-खबर था और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी अम्मी के सेहतमंद और गदराये हुए बदन से पूरी तरह लुत्फ़ अंदोज़ होना चाहता था. शायद क़यामत भी आ जाती तो मुझे पता ना चलता. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं और मेरा ताना हुआ लंड उनकी गोरी और मोटी चूत के बालों में धँस गया. जब मेरे लंड का टोपा अम्मी की फुद्दी के ऊपरी हिसे से टकराया तो मैंने महसूस किया के उन्होने आहिस्ता से अपने बदन को ऊपर की तरफ़ उठाया और अपनी फुद्दी से मेरे लंड पर दबाव डाला.




में बे-खुद सा हो गया और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को बड़ी तेज़ी और बे-दरदी से मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो अब बहुत ज़ियादा गरम हो रही थीं और उन्होने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकियों को मुँह में दबाया हुआ था. मै थोड़ा सा पीछे हटा और अपने जिसम को उन से अलग कर के अपना लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया. उन्होने फॉरन मेरा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया और उससे दबाने लगीं. मैंने सर नीचे कर के उनके दोनो मम्मों को हाथों में कस कर पकड़ लिया और उन्हे चूसना शुरू कर दिया. अम्मी बहुत गरम हो चुकी थीं और उनके तपते हुए बदन की गर्मी मुझे अपने जिसम पर महसूस हो रही थी. अब अपनी सग़ी माँ की चूत में लंड डालने का वक़्त आन पुहँचा था.




उस वक़्त भी अम्मी कमर के बल बेड पर लेतीं हुई थीं . मैंने उनकी तंदूरस्त-ओ-तवाना रानें खोल कर उनकी मोटी ताज़ी चूत के ऊपर अपना लंड रख दिया. मैंने लंड को अम्मी की चूत के अंदर डालने की कोशिश की मगर मुझे उनकी चूत का सुराख ना मिल सका. अभी में अम्मी की चूत में अपना टोपा घुसाने की कोशिश कर ही रहा था के उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के अंदर धकेल दिया. उनकी चूत अंदर से नरम और गीली थी. अगरचे मेरा लंड बड़ी आसानी से अम्मी की चूत के अंदर घुसा था मगर इस में कोई शक नही था के उनकी चूत काफ़ी टाइट थी.


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Re: नंबर वन माल

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:33

नंबर वन माल--6

जैसे ही मेरा लंड अम्मी के अंदर गया उनकी चूत मुझे आहिस्ता आहिस्ता खुलती हुई महसूस हुई और मेरा लंड टट्टों तक उस के अंदर गायब हो गया. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा सा आगे पीछे हिलाया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. मेरे लंड के इर्द गिर्द अम्मी की चूत का दबाव ही कुछ इस क़िसम का था के मैंने बे-साख्ता घस्से मरने के लिये अपने जिस्म को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने एक हाथ लंबा कर के मेरे चूतड़ पर रखा और ज़ोर दे कर मेरा लंड अपनी गरम चूत में लेने लगीं. उनकी चूत के बाल मेरे लंड को लग रहे थे. कुछ घस्सों के बाद ही मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा.




अम्मी ने फॉरन ही मेरे घस्सों का जवाब अपने घस्सों की सूरत में देना शुरू कर दिया और अपने मोटे मोटे चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगीं. मुझे खाला अम्बरीन याद आईं जिन्होंने नज़ीर से चुदवाते हुए इसी तरह अपनी मोटी गांड़ हिला हिला कर उस के घस्सों का जवाब दिया था. अम्मी ने पहले तो मेरे घस्सों के जवाब में घस्से मारते हुए मुँह से कोई आवाज़ ना निकाली लेकिन जब मेरे लंड के झटके उनकी चूत में ज़रा तेज़ हो गए तो उन्होने दबी आवाज़ में ऊऊनहूँ……. ऊऊऊहूओन….. ऊऊऊं करना शुरू कर दिया. अपनी सग़ी माँ को चोदते हुए में पहले ही मज़े के एक गहरे समंदर में ग़र्क था लेकिन उनके मुँह से निकालने वाली ये आवाजें मुझे और भी पागल करने लगीं.




सच पूछिये तो इन आवाज़ों ने मेरे दिल को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे अह्तेमाद में इज़ाफ़ा हुआ क्योंके उनकी इस हूँ... हा..आँ... का मतलब यही था के अम्मी को मुझ से चुदने में मज़ा आ रहा था. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं और उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी गांड़ को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. मै समझ ना पाया के वो ये क्यों कर रही थीं . फिर अचानक ही अम्मी ने मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनके हाथों में बाला की ताक़त थी.




मेरे नीचे उनके भारी चूतड़ों की हरकत भी तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. अब में समझ गया के अम्मी खलास होने वाली थीं और उनकी चूत का टाइट होना इसी बात की निशानी थी. मुझे ये देख कर बड़ी खुशी हुई और मैंने उनकी चूत में ज़ियादा रफ़्तार से घस्से मारने की कोशिश की. मै इस क़ाबिल तो हो ही गया था के अपनी अम्मी को चोद कर खलास कर रहा था. अम्मी की चूत से अब बहुत सारा पानी निकल रहा था और उनके बदन को झटके लग रही थे. जज़्बात को पागल कर देनी वाली इस हालत में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था. मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भारी हुई चूत में से निकाल लिया और उनके साथ लेट गया.

अम्मी चंद लम्हे ऐसे ही लेतीं रहीं. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के किया हुआ. मैंने कहा के मुझे खलास होने का डर था इस लिये घस्से मारना बंद कर दिये क्योंके में अभी और मज़े लेना चाहता था. वो एक बार फिर हंस पड़ीं और बोलीं के शाकिर तुम घंटा पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा छूटने के बाद इतनी जल्दी दोबारा नही छूट सकता. इस लिये इस दफ़ा तुम खलास होने में ज़ियादा वक़्त लो गे. परेशां मत हो रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ समझ जाओ गे बस तुम्हे थोड़े तजरबे की ज़रूरत है. चलो आओ और अपने आप को डिसचार्ज करो ताके इस काम का मज़ा तो ले सको.




मैंने उन से पूछा के किया उन्हे मज़ा आया तो उन्होने कहा के हाँ अगर उन्हे मज़ा ना आता तो तो वो दो दफ़ा खलास कैसे होतीं. मैंने कहा के अम्मी में अब पीछे से आप को चोदना चाहता हूँ. ये सुन कर वो बोलीं के तुम मुझे चोद रहे हो और जिस तरह भी चाहो करो मुझ से इजाज़त मत माँगो बल्के कभी भी किसी औरत से इजाज़त मत माँगना. फिर वो उठीं और अपनी दोनो कुहनियों के सहारे बेड पर उल्टी हो कर अपने मोटे और भारी चूतड़ों को ऊपर उठा दिया. इस तरह अम्मी ने अपनी मोटी ताज़ी गांड़ का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उन्होने अपनी टांगें भी फैला लीं.




मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गांड़ के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा. अम्मी की चूत अब उनके भारी और उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गांड़ के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उससे अपने टोपे के ज़रये महसूस किया. अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से ही उनकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. अम्मी की चूत अभी तक गीली थी इस लिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होते हुए कोई मुश्किल पेश ना आई. मैंने अम्मी के मोटे चूतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.




मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़रता हुआ उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर के रगड़ रही थीं . मेरा लंड अम्मी के मोटे और गदराये हुए चूतड़ों के अंदर छुपी हुई उनकी चूत को चोद रहा था. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगाने लगा. मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतरों में एक इरतीयाश की सी कैफियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक अजीब क़िसम का लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने गैर-इरादि तौर पर अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी.

अम्मी शायद जान गईं के में खलास होने वाला हूँ और उन्होने भी अपने मोटे मोटे चूतड़ों को बड़े नपे तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. इस के साथ ही मेरे लंड से झटकों में मनी निकलनी शुरू हुई और सीधी अम्मी की चूत के अंदर जाने लगी. अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का एक तूफान था जो मेरी रग रग से उठ रहा था. बिल्कुल उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कस लिया और अम्मी भी मेरे साथ फिर खलास हो गईं. हम फ़ारिग़ हुए तो अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने और सोने चली गईं. मै भी खुशी और इमबिसात के आलम में बिस्तर पर लेटा और फॉरन ही मुझे नींद ने आ लिया.




इस वाकये के कोई तीन दिन बाद में घर के सहन में मेज़ कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था के अंदर कमरे में फोन की घंटी बाजी. अम्मी ने आवाज़ दी के शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है. मै उठ कर अंदर गया और फोन का रिसीवर उठा कर हेलो कहा. दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नंबर दुहराया और पूछा के किया ये शाकिर का घर है. मैंने कहा जी हाँ में शाकिर ही बोल रहा हूँ. वो आदमी अचानक हंस पडा और बोला मेरे गैरतमंद जवान मुझे नही पहचाना में नज़ीर बोल रहा हूँ पिंडी वाला नज़ीर. ये सुन कर मुझे तो जैसे करेंट लगा और मेरे जिसम से ठंडा पसीना फूट पड़ा.
नज़ीर से बात करते हुए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इस से कहीं ज़ियादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मगलूब कर रखा था. मैंने उससे गंदी गालियाँ देते हुए कहा के अगर उस ने दोबारा यहाँ फोन किया तो में पोलीस से राबता करूँ गा. ये कह कर मैंने फोन का रिसीवर क्रेडल पर दे मारा.

में फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परैशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं . उन्होने पूछा के तुम किस से लड़ रहे थे? में कुछ कहना ही चाहता था के फोन फिर बज उठा. मैंने लपक कर रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ नज़ीर ही था. वो बोला के फोन बंद करने से पहले ये सुन लो के मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला की नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो में वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दूँ गा.

मैंने अम्मी की तरफ देखा के उनकी मोजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ. फिर मैंने सोचा के अम्मी को चोद लेने के बाद मेरे और उनका रिश्ता वो नही रहा जो पहले था और अगर में उन्हे सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज ना होता. मैंने नज़ीर से कहा के तुम बकवास करते हो बंद कमरे में किस ने फिल्म बना ली. नज़ीर बोला के होटेल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इस लिये होटेल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छ्होटा कॅमरा ख़ुफ़िया तौर पर लगा देते थे ताके लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकैं. तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी. यक़ीन नही तो जहाँ कहो आ कर तुम्हे दिखा दूँ. मैंने सवाल किया के अगर फिल्म बन रही थी तो तुम ने मोबाइल से हमारी तस्वीरें क्यों लीं. उस ने जवाब दिया के फिल्म तो मुझे पता नही कितनी देर बाद मिलती और में तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था. मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा. मैंने कहा अभी बात नही हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे.

मैंने फोन रखा तो अम्मी फ़िकरमंद लहजे में बोलीं के शाकिर ये किया मामला है? किस का फोन था? मैंने कहा अम्मी एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गया हूँ और समझ नही पा रहा के किया करूँ. अम्मी ने कहा साफ़ साफ़ बताओ किया क़िस्सा है? तुम गुस्से में गालियाँ दे रहे थे और किसी फिल्म का ज़िकर भी था. आख़िर हुआ किया है?

मैंने अम्मी को अपने और खाला अम्बरीन के साथ पिंडी में पेश आने वाला वक़ीया तमाम तर तफ़सीलात के साथ बयान कर दिया. सारी बात सुन कर अम्मी जैसे सकते में आ गईं. लेकिन उन्होने मुझे खाला अम्बरीन को चोदने की कोशिश पर कुछ नही कहा. कहतीं भी कैसे वो तो खुद अपने भानजे को चूत देती रही थीं . कुछ देर गुम सूम रहने के बाद उन्होने कहा के नज़ीर को हमारे घर का नंबर कैसे मिला? मैंने कहा कमरों की बुकिंग के वक़्त होटेल के रिजिस्टर में हमारे घर का पता और फोन नंबर ज़रूर लिखवाया गया होगा. नज़ीर खुद तो उस रात नोकरी छोड़ कर भाग गया था मगर वहाँ उस के साथी तो हूँ गे जिन्हो ने उससे हमारा नंबर दे दिया होगा.

अम्मी ने सर हिलाया और कहा के किया वाक़ई होटेल वालों ने कोई फिल्म बनाई हो गी? मैंने कहा मुमकिन है नज़ीर झूठ ही बोल रहा हो. उन्होने कहा के तुम ने मोबाइल फोन वाली तस्वीरें तो ज़ाया कर दी थीं जिन के बगैर वो तुम्हे ब्लॅकमेल नही कर सकता लेकिन वो फिर भी यहाँ फोन कर रहा है जिस का मतलब है के उस के पास कुछ ना कुछ तो है.

अम्मी ठीक कह रही थीं . कुछ सोच कर वो बोलीं के में अम्बरीन से बात करती हूँ. नज़ीर ने अम्बरीन को चोदा था इस लिये अब भी वो उस से मिलना चाह रहा हो गा ताके फिर उसे चोद सके. मैंने उन्हे बताया के नज़ीर ने उनके बारे में भी उल्टी सीधी बातें की थीं . वो हैरत से बोलीं के नज़ीर ने तो उन्हे देखा ही नही वो उनके लिये यहाँ कैसे आ सकता है. मैंने कहा के उस ने खाला अम्बरीन को देख कर अंदाज़ा लगाया हो गा के उनकी बहन भी खूबसूरत हो गी. अम्मी ने एक गहरी साँस ली लेकिन खामोश रहीं.

हम दोनो गहरी सोच में ग़र्क थे. अचानक अम्मी ने पूछा के शाकिर किया तुम अम्बरीन को चोदने में कामयाब हुए? मैंने कहा नही अम्मी पिंडी से वापस आने के बाद अभी तक शर्मिंदगी के मारे में उन से मिला तक नही. अम्मी तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुराईं और कहा के जब तुम ने अपनी सग़ी माँ को चोद लिया तो फिर खाला को चोदने की खाहिश पर क्यों इतने शर्मिंदा हो. मै ये सुन कर खिसियाना सा हो गया. वो कहने लगीं के हमें इस मसले का कोई हल निकालना है वरना बड़ी बर्बादी हो गी. अम्बरीन से बात करनी ही पड़े गी. मैंने उन से इतेफ़ाक़ किया.

उन्होने खाला अम्बरीन को फोन किया जो कुछ देर बाद हमारे घर आ गईं. अम्मी उन्हे अपने बेडरूम में ले गईं और मुझे भी वहीं बुला लिया. मै अंदर गया तो देखा के वो दोनो बेडरूम में पड़ी दो कुर्सियों पर साथ साथ बैठी थीं . नज़ीर के फोन की वजह से में परेशां था मगर फिर भी अम्मी और खाला अम्बरीन को यों इकट्ठे बैठा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मै दिल ही दिल में सर से पाओं तक दोनो बहनो का मुआयना करने लगा.

अम्मी और खाला अम्बरीन के खद्द-ओ-खाल एक दूसरे से बहुत मिलते थे. दोनो के बाल, आँखें, नाक, माथा और गालों की उभरी हुई हड्डियाँ बिल्कुल एक जैसी थीं . अलबाता अम्मी के होंठ खाला अम्बरीन के होठों से ज़रा पतले थे और दोनो की ठुद्दियाँ भी कुछ मुख्तलीफ़ थीं . मजमूई तौर पर दोनो बहनो के चेहरे देख कर गुमान होता था जैसे वो जुड़वाँ बहनें हूँ. और तो और खाला अम्बरीन अम्मी को नाम ले कर ही बुलाती थीं बाजी या आपा नही कहती थीं .

में अम्मी और खाला अम्बरीन को नंगा देख चुका था और जानता था के दोनो के बदन भी कम-ओ-बैश् एक जैसे ही थे. वो तक़रीबन एक ही क़द की थीं और दोनो ही के बदन गदराये हुए लेकिन बड़े मज़बूत और हट्टे कट्टे थे. अम्मी 38 साल की और खाला अम्बरीन 36 की थीं और अपनी उमर की वजह से उनके बदन पर बिल्कुल सही जगहों पर गोश्त हुआ चढ़ा था. उनके कंधे चौड़े चक्ले और तवाना थे. कमर चौड़ी और बिल्कुल सीधी थी जिस के बीच की लकीर कमर पर गोश्त होने की वजह से काफ़ी गहरी थी. इतने मज़बूत कंधे और चौड़ी चकली कमर शायद उनके बहुत ही मोटे मोटे और भारी मम्मों का वज़न उठाने के लिये ज़रूरी थे.

दोनो बहनो के मम्मे उनके बदन का नुमायाँ तरीन हिस्सा थे जिन पर हर एक की नज़र सब से पहले पड़ती थी. उनके मम्मे मोटे, भारी, तने हुए और बाक़ी बदन से गैर-मामूली तौर पर आगे निकले हुए थे. दोनो ने अपने बच्चों को ज़ियादा देर दूध नही पिलाया था और शायद इस लिये भी उनके मम्मे इतने मोटे और तने हुए थे. मैंने अम्मी के मम्मे उन्हे चोदते वक़्त बहुत चूसे थे जबके खाला अम्बरीन के मम्मों को पिंडी में खूब टटोला था. मुझे लगता था के अम्मी के मम्मे खाला अम्बरीन से एक आध इंच बड़े थे. लेकिन देखने में दोनो के मम्मे एक दूसरे से बड़ी हद तक मिलते थे. दोनो के सूजे हुए मम्मों के निप्पल काफ़ी बड़े साइज़ के थे. खाला अम्बरीन के निप्पल लंबाई में अम्मी के निपल्स से कुछ कम थे और उनके साथ वाला हिस्सा बहुत बड़ा था जबके अम्मी के निप्पल बहुत लंबे थे मगर उनके साथ का हिस्सा खाला अम्बरीन के मुक़ाबले में कुछ छोटा था.

अम्मी और खाला अम्बरीन के पेट भी नरम-ओ-गुन्दाज़ थे. खाला अम्बरीन का पेट मामूली सा निकला हुआ था लेकिन अम्मी का पेट तो था ही नही. हालंके अम्मी के तीन बचे थे और खाला अम्बरीन के दो. दोनो की चूतों में भी काफ़ी मुमासिलत थी. मैंने खाला अम्बरीन को नही चोदा था लेकिन अम्मी की चूत के हर अंग से वाक़िफ़ हो चुका था. दोनो की चूतें मोटी और सूजी हुई थीं और उन पर बाल भी थे. उनकी रानें भी बाक़ी बदन की मुनासीबत से मोटी और भारी थीं . मम्मों के बाद दोनो ही के बदन का बहुत ही ख़ास हिस्सा उनके मोटे और बड़े भारी चूतड़ थे जिनकी बनावट भी एक जैसी थी. औरतों के चूतड़ ज़रा भारी ही होते हैं लेकिन अम्मी और खाला अम्बरीन के चूतड़ गैर-मामूली मोटे और चौड़े थे.

में इन ख़यालों में डूबा हुआ था और अम्मी खाला अम्बरीन को बता रही थीं के उन्हे पिंडी वाले वक़िये का ईलम हो चुका है और ये के नज़ीर ने यहाँ फोन किया था. ये सुन कर खाला अम्बरीन के चेहरे का रंग अर गया. कहने लगीं बस यासमीन ये बे-इज़्ज़ती क़िस्मत में लिखी थी लेकिन उस कुत्ते को ये नंबर कैसे मिला? अम्मी ने उन्हे होटेल के रिजिस्टर के बारे में बताया और कहा के अब पुरानी बातें छोड़ो और ये सोचो के अगर नज़ीर के पास कोई नंगी फिल्म है तो वो उस से कैसे ली जाए. हम तीनो बातें कर रही थे के फोन की घंटी बाजी.


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