फूफी फ़रहीन compleet

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The Romantic
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Re: फूफी फ़रहीन

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:46

फूफी फ़रहीन -4

अपने बदन को थोड़ा सा पीछे कर के मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उससे सहलाने लगीं.

उनका हाथ लगते ही मेरा लंड पठार की तरह सख़्त हो गया. मुझे अंदाज़ा हो गया के अपने हाथ में मेरे लंड का अकड़ जाना उन्हे अच्छा लगा है. मेरे लंड पर उनके हाथ का लांस नर्म और मुलायम था. मैंने उनके मुँह में अपनी ज़बान डाल दी जिससे वो फॉरन चूसने लगीं. कुछ देर मेरे लंड पर हाथ फेरने के बाद उन्होने अपनी उंगली और अंगूठे में मेरे लंड का टोपा पकड़ा और उससे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगीं. मेरे लंड से सफ़ेद लैइस्डार पानी की चंद बूँदें निकलीं जिन्हे फूफी फ़रहीन ने अपने अंगूठे से साफ़ कर दिया. उनका बदन गरम था और साफ़ ज़ाहिर था के फूफी फ़रहीन अब फिर चूत मरवाने के लिये तय्यार हो चुकी थीं .

में बड़े जोशीले अंदाज़ में उनके मुँह के बोसे लेता रहा और उनके गालों, आँखों और थोड़ी को चूमता रहा. वो और ज़ियादा गरम होने लगीं और मेरे हाथों ने उनके बदन की गर्मी महसूस की. मुझे पता चल गया था के उनका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है और साँस तेज़ चलनी शुरू हो गई है. उनका सीना साँस लेते वक़्त ऊपर नीचे हो रहा था. मैंने उनका गिरेबां नीचे खैंचा और सर झुका कर उनके ब्रा में बंद मम्मों के बीच में ज़बान डाल दी. मेरी ज़बान उनके आपस में जुड़े हुए मम्मों के अंदर चली गई और में उन्हे चाटने लगा. वो हंस पड़ीं. शायद उन्हे गुदगुदी हो रही थी.

में उस वक़्त फूफी फ़रहीन के कमरे में उन्हे चोदने नही आया था मगर अब मेरी अपनी हालत भी खराब होने लगी थी. मैंने उन्हे चूमते चूमते उनकी शलवार का नाड़ा टटोला और उस का एक सिरा खैंच कर खोल दिया. नाड़ा खुलते ही उनकी शलवार ढीली हो कर उनके क़दमों में गिर पड़ी. मै उनके पेट पर हाथ फेरता हुआ उनके पीछे आ गया. पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर उनके चूतड़ों पर से उनकी क़मीज़ उठाई और उनकी कमर पर दबाव डाल कर उन्हे नीचे झुका दिया. उन्होने कोई बात नही की और बेड के ऊपर अपने दोनो हाथ रख कर झुक गईं. उनकी चूत को अब एक दफ़ा फिर मेरा लंड दरकार था.

मैंने उनके चूतरों को दोनो हाथों की मदद से खोल कर उनके अंदर उनकी गांड़ के सुराख पर मुँह रख दिया और उससे चाटने लगा. वो उसी लम्हे ऊऊओं ऊऊओं करने लगीं. कुछ देर बाद मैंने उनकी रानों पर हाथ फैरे और फिर आगे हाथ ले जा कर उनकी मोटी और रसीली चूत के ऊपर रख दिया. अब मेरी हथेली उनकी चूत और उस के ऊपर वाले पोर्षन पर थी और उंगलियाँ चूत के निचले हिस्से और गांड़ के सुराख के बीचों बीच रखी हुई थीं . फूफी फ़रहीन की चूत पर छोटे छोटे लेकिन सख़्त बाल थे जिन को सहलाते हुए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. वो सीधी हो गईं.

"तुम पर तो फिर चोदने का भूत सवार है. घर की खबर भी है. कोई आ ना जाए." उन्होने ऐसे कहा जैसे चुदवाने का भूत उन पर सवार नही था.
"घर में कौन होता है फूफी फ़रहीन नोकरानी तो छुट्टी पर है. मैं गेट बंद है. अगर कोई आया तो पता चल जाए गा." मैंने उनकी फुद्दी के बाल उंगलियों में पाकाररते हुए जवाब दिया.
वो अपनी चूत पर मेरे हाथ की हरकत से एक दफ़ा फिर आगे को झुक गईं और में अब ज़रा दबाव डाल कर उनकी चूत पर हाथ फेरता रहा. फिर मैंने उन्हे सीधा कर के उनकी क़मीज़ उतारनी शुरू की. अपने लंबे और घने बालों को उन्होने प्लास्टिक की एक बड़ी सी चुटकी में बाँध रखा था. क़मीज़ उनके सर से नही उतार रही थी इस लिये मैंने उनकी चुटकी खोल कर हटा दी और उनके बाल आज़ाद हो कर बिखर गए. अब उनकी क़मीज़ सर से आसानी से उतार गई और फूफी फ़रहीन ब्रा के अलावा बिल्कुल नंगी हो गईं.

मैंने उनका ब्रा नही उतारा और वैसे ही उनके मम्मों को जो ब्रा में भी बड़े खूबसूरत लग रहे थे चूमने और चाटने लगा. फूफी फ़रहीन ने फिर मेरा लंड पकड़ लिया और उस पर अपना हाथ आगे पीछे करने लगीं. मैंने उनके ब्रा का हुक खोला और बेड पर लेट कर उन्हे अपने ऊपर घसीट लिया. उन्होने अपना ब्रा बाजुओं से निकाला और बेड पर आ गईं. बेड पर छर्रहटे ही उन्होने अपने दोनो हाथ मेरे सर के दोनो तरफ रख दिये. अब मेरा सर उनके हाथों के बीच में आ गया और उनके मोटे ताज़े मम्मे मेरे मुँह से कुछ फ़ासले पर झूलने लगे.

मैंने उनके रेशमी गोल मम्मों को नर्मी से हाथों में पकड़ लिया और उनके निपल्स पर अपनी हतैलियाँ फेरने लगा. उनकी आँखें बंद थीं , होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट थी और वो खामोशी से अपने मम्मों के साथ होने वाले खेल का लुत्फ़ ले रही थीं . मै इसी तरह थोड़ी देर उनके भारी मम्मों का मसाज करता रहा. फिर मैंने ज़रा ज़ियादा ताक़त से उनके मम्मों को हाथों में भर भर कर मसलना शुरू कर दिया. फूफी फ़रहीन ने कई सिसकियाँ लीं और अपने मम्मे मेरे मुँह के और क़रीब कर दिये. मै उनके मम्मे मुँह में ले कर चूसने लगा. मैंने उनके मम्मों के निपल्स दाँतों में पकड़ लिये और उनकी नरम गोलाइयों को आहिस्तगी से काटा और उन पर ज़बान फेरी.
"आहिस्ता काटो दुखा रहे हो मेरे निपल्स को." उन्होने मेरे माथे पर हाथ रख कर कहा और अपना मम्मा मेरे मुँह में घुसा दिया.

कुछ देर तक फूफी फ़रहीन के मम्मों के निपल्स चूसने के बाद मैंने उनके मोटे मम्मों को साइड से मुँह में डाला और अच्छी तरह चूसा. मै उनका एक मम्मा चूसता और दूसरे को हाथ में रख कर उसका मसाज करता रहता. वो बहुत गरम हो गई थीं और मम्मे चूसने के दोरान जब वो नीचे ऊपर होतीं तो उनके पेट और चूत का ऊपरी हिस्सा मेरे सीधे खड़े हुए लंड के साथ लगने लगता.

अब में उनके सारे पेट को चाटने लगा. मैंने उनकी नाफ़ के गहरे और गोल सुराख के इर्द गिर्द ज़बान फेरी तो वो और ज़ियादा सिसीकियाँ लेने लगीं. मैंने उनका पेट चूमते चूमते सर उठा कर ऊपर देखा तो उनके मोटे मम्मों के निपल्स तीर की तरह खड़े हुए थे और हर सिसकी के साथ उनके दोनो मम्मे अजीब तरह से हिलते थे.
"फूफी फ़रहीन लंड चूसें गी?" मैंने उनके पेट और मम्मों पर हाथ फेरते हुए पूछा. उन्होने कुछ कहा नही बस सीधी हो कर बैठ गईं और मेरे सीने पर अपना हाथ रख कर मेरा लंड मुँह में ले लिया. थोड़ी देर लंड चूसने से उनके मुँह में थूक भर गया जो सारा मेरे लंड पर लगने लगा. आज वो बड़ी चाबुक्ड़स्ती और महारत से मेरा लंड चूस रही थीं और में सोच रहा था के एक ही दिन में फूफी फ़रहीन लंड चूसने में इतनी माहिर कैसे हो गईं हैं. उनका अपना कहना था के उन्होने कभी भी फ़ूपा सलीम का लंड नही चूसा था और ये बात सॅकी भी लगती थी क्योंके फ़ूपा सलीम उन से हमेशा डाबते थे और उनकी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ करने की जर’अट उन में नही थी. लेकिन अब एक ही दिन में फूफी फ़रहीन ने लंड चूसने में अच्छी ख़ासी महारत हासिल कर ली थी.

में बेड पर लेटा हुआ था और वो मेरे लंड के टोपे की गोलाई को चूमे और चूसे जा रही थीं . उन्होने अपनी ज़बान मुँह से बाहर निकाल कर मेरे लंड को ऊपर और नीचे से चाटा. वो मेरे सारे के सारे लंड को चाट रही थीं . उन्होने एक हाथ से मेरे टट्टों को सहलाना शुरू कर दिया. वो मेरे टट्टों को कभी ऊपर करतीं और कभी नीचे खैंचतीं. उनके इस तरह करने से मुझे बे-इंतिहा लज्ज़त महसूस हो रही थी. मेरा पूरा लंड उनके मुँह के अंदर चला जाता और उनकी नोकीली नाक मेरे पेट के निचले हिस्से में चुभने लगती.

फिर अचानक उन्हे ख्ँसी आने लगी और उन्होने थूक से लिथड़ा हुआ मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया. शायद मेरा लंड उनके हलक़ में लगा था. खैर मैंने उठ कर फूफी फ़रहीन को कंधों से पकड़ कर उठाया और बेड पर लिटा दिया. फिर उनकी ताक़तवर टांगें खोलीं और उनकी तगड़ी चूत चाटने लगा. मेरी ज़बान उनकी चूत के मुख्तलीफ़ हिस्सों को चाटने लगी और फूफी फ़रहीन जैसे पागल हो गईं. मै उनकी सूजी हुई चूत को जैसे ही ज़बान लगाता वो अपने चूतरों को आगे धकेल कर अपनी चूत मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश करतीं.

“उफफफ्फ़….. कंजड़ी के बच्चे, तू ने फिर मुझे पागल करना शुरू कर दिया है. गश्ती के बच्चे, तेरी माँ की चूत में खोते का लूँ डून…..ऊऊओं…..उूउउफफफफफ्फ़. तेरी कुतिया माँ को चोदुं.” वो बे-खुदी के आलम में फिर गालियाँ देने लगी थीं .
“फ़रहीन तू भी तो किसी कंजड़ी से कम नही है. तेरी चूत मारूं. तेरा मोटा भोसड़ा मारूं, कुतिया. तेरी मोटी चूत में टट्टों तक अपना लंड डालूं. तेरी मोटी फुद्दियों वाली बहनों की चूत मारूं गश्ती औरत.” मैंने भी तुर्की-बा-तुर्की जवाब देते हुए कहा. “हन, हाँ मेरी बहनें भी गश्टियाँ हैं, हरमज़ाडियाँ.” उन्होने दाँत पीसते हुए कहा. “फ़रहीन तेरी बहनें रंडियाँ हैं सारी और तेरी तरह ही चूत मरवाती हूँ गी.” मैंने उनकी चूत पर ज़बान फेरने का अमल जारी रखा.
लज़्ज़त के शदीद एहसास ने उनके चेहरे को बदल कर रख दिया था. वो तेज़ी से अपने बदन को आगे पीछे कर के अपनी चूत चत्वाती रहीं.

में फूफी फ़रहीन की मोटी ताज़ी गांड़ मारना चाहता था मगर लग रहा था के आज तो इस की नोबट नही आए गी क्योंके वो और में दोनो ही बहुत गरम हो चुके थे. ये वक़्त उनकी चूत मार कर उन्हे मज़ा देने का था. अच्छी तरह से उनकी चूत चाट लेने के बाद में उनके ऊपर आ गया और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बे-दरदी से घुसेड़ दिया. उन्होने अपने बदन को थोड़ा बहुत हिला कर अपना ज़ाविया दरुस्त किया और मेरे लंड को पूरी तरह अपनी चूत के अंडे जगह देनी की कोशिश की. मेरा लंड सारा का सारा उनकी भूकि चूत में चला गया.

मैंने अब उनकी फुद्दी में घस्से मारने शुरू किये. घस्से मारते हुए मैंने नीचे देखा. जब में आगे को घस्सा मारता तो मेरा लंड पूरा का पूरा फूफी फ़रहीन की चूत के अंदर गुम हो जाता और वो अपने चूतर थोड़े से उठा कर अपनी चूत को और खोलतीं और लंड अंदर करने में मेरी मदद करतीं. हर घस्से के साथ वो अपनी मोटी रानों से मेरी कमर को सख्ती से पकड़ लेतीं. मैंने उन्हे चोदते हुए अपने बदन का वज़न उनके ऊपर डाल दिया और दोनो हाथों से उनके कंधे पकड़ लिये. वो बड़े तंदरुस्त बदन की मालिक थीं मगर इस वक़्त मेरे मीचे दबी हुई थीं .

उनकी चूत में घस्से मारते हुए अब मेरा मुँह उनकी गर्दन के अंदर घुसा हुआ था और में उनकी गर्दन, कंधे और बाज़ू चूम रहा था. मैंने उनके सीने पर अपना सर रखा तो मुझे उनके दिल की धडकनें साफ़ महसूस हुई जो बहुत तेज़ हो चुकी थी. इस तरह चुदने से फूफी फ़रहीन की फुद्दी बहुत ज़ियादा भीग चुकी थी. फिर वो तेज़ आवाज़ में कराहने लगीं और उनकी चूत मेरे लंड के गिर्द टाइट हो गई. उनके छूटने का वक़्त क़रीब था.
देखते ही देखते उन्होने सख्ती से मुझे दबोच लिया और बड़े ज़बरदस्त अंदाज़ में खलास होने लगीं. मैंने देखा के उनकी आँखें घूम कर ऊपर चढ़ गईं और चेहरा टमाटर की तरह सुर्ख हो गया. उनका मुँह खुला हुआ था और वो ऐसे साँस ले रही थीं जैसे कमरे में ऑक्सिजन की कमी हो. शायद वो अभी पूरी तरह खलास नही हुई थीं क्योंके अचानक उन्होने अपने हाथ मेरी कमर में डाल कर अपने लंबे नाख़ून मेरे जिसम में गार्र दिये और अपने बदन को ऊपर कर के मेरे घस्सों का जवाब देने लगीं. उस वक़्त फूफी फ़रहीन यक़ीनन अपने खलास होने का पूरा पूरा मज़ा ले रही थीं .

चन्द मिनिट तक मज़ीद घस्से मारने के बाद मैंने अपना लंड उनकी चूत में से निकाल लिया.
"फूफी फ़रहीन अब आप मेरे लंड पर बैठाइं प्लीज़." मैंने उनकी टाँगों में हाथ डालते हुए कहा. वो उखरर उखरर साँसें लेतीं हुई उठीं और मेरे ऊपर आ कर दोनो टांगें मेरे जिसम के दोनो तरफ् कर लीं. अब उन्होने अपनी चूत मेरे लंड के टोपे से क़रीब कर दी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा तो उन्होने अपने भारी भर्कूं चूतर आहिस्तगी से नीचे किये और मेरे लंड को अपने अंदर ले लिया. मैंने उनकी मज़बूत कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और उन्हे अपने लंड पर उठाने बिठाने लगा. फूफी फ़रहीन के मम्मे इस उठक बैठक की वजह से बुरी तरह उछल रहे थे जिन पर में नज़रायण जमा कर उन्हे चोद रहा था.

मैंने हाथ पीछे कर के उनके मोटे चूतड़ों को पाकर्रा और उनकी चूत में घस्से मारता रहा. वो निहायत आसानी से घुटनो पर ज़ोर डालते हुए अपने बदन को मेरे लंड पर आगे पीछे कर के चुदवाती रहीं. ज़रा देर बाद उनकी फुद्दी में फिर हलचल होने लगी और वो ऊऊऊऊः आआआः करने लगीं. वो नीचे से मेरा लंड लेते लेते आगे झुक गईं और अपने तन्डरस्ट मम्मे मेरे मुँह के पास ले आईं. मैंने उनके मम्मे हाथों में भर लिये और उन्हे चूसने लगा. उन्होने ऊँची आवाज़ में “उफफफफफफ्फ़ में मार गई” कहा और उनकी चूत मेरे लंड के गिर्द एक दफ़ा फिर कसने लगी. गीली होने के बावजूद उनकी चूत की गिरफ्त मेरे लंड के गिर्द काफ़ी मज़बूत थी. इसी तरह ज़ोर ज़ोर से लंड लेते हुए फूफी फ़रहीन एक बार फिर खलास हो गईं.

"मुझे मारो गे किया." वो निढाल हो कर मेरे ऊपर गिरते हुई बोलीं.
उनका बदन वज़नी था और जब उन्होने मेरे लंड पर ऊपर नीचे होना बंद किया तो में इस हालत में उनकी चूत में घस्से नही मार सकता था. मैंने उनको कमर से पकड़ कर साइड पर कर दिया. वो बे-सुध सी बेड पर लेट गईं. मैंने अपना लंड उनकी चूत के अंदर ही रखा और उनके ऊपर आ गया. फिर मैंने फूफी फ़रहीन का एक मम्मा मुँह में लिया और जाम कर उन्हे चोदने लगा.
"अब डिसचार्ज हो जाओ में तक गई हूँ." उन्होने कहा.

मैंने अपने घस्से तेज़ कर दिये और उनके हिलते हुए मम्मे पकड़ कर चूसने लगा. उनका गोरा और गुन्दाज़ बदन पसीने में भीगा हुआ था और दो तीन दफ़ा डिसचार्ज होने से उनके चेहरे पर थकान के आसार थे. उनके होठों पर लगी लिपस्टिक मेरे चूमने चाटने से ऐसे घायब हुई थी जसे कभी थी ही नही और आँखों में लगा हुआ हल्का हल्का सूरमा माथे, गर्दन और गालों पर फैल चुका था.

लेकिन में अभी पीछे से उनकी फुद्दी लेना चाहता था. इस तरह कुछ देर और उन्हे चोदने के बाद में उन से अलग हो गया. फिर मैंने उन्हे बेड से नीचे खड़ा किया और कमर पर हाथ रख कर झुका दिया. उन्होने थोड़ा सा एहटेजाज किया मगर में कहाँ मान ने वाला था. अब उनकी गीली चूत मोटे ताज़े चूतरों के दरमियाँ साफ़ दिखाई देने लगी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के दहाने पर रख कर ऊपर नीचे रगड़ा. फूफी फ़रहीन ने मुँह से आवाज़ निकाली और मैंने एक नापा तुला घस्सा लगा कर अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया.

वो मुझे जल्दी डिसचार्ज करना चाहती थीं इस लिये फॉरन ही मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे करने लगीं. मेरा लंड किसी लोहे की सल्लख की तरह उनके मोटे लेकिन नरम चूतरों के बीच में उनकी फुद्दी में आ जा रहा था. मैंने उनकी कमर पर दोनो हाथ रखे और उनकी चूत में जल्दी जल्दी घस्से मारने लगा. मेरे घस्सों के साथ उनके चूतरों का गोश्त भी जैसे लहरें ले रहा था.
"में फिर च्छुत्त रही हूँ अब बस भी कर दो." उन्होने बे-बसी से कहा और और अपनी भारी गांड़ को तेज़ी से हरकत देने लगीं. मै उनके चूतरों पर हाथ फेरने लगा तो वो अपने आप पर कंट्रोल ना रख सकीं और फिर खलास हो गईं. मैंने उनके छेद पर उंगली लगाई तो उन्हे डिसचार्ज होने में और ज़ियादा मज़ा आने लगा और उनकी चूत में से जैसे पानी का सैलाब निकालने लगा.

लगता था के अब वो मज़ीद चुदने के क़ाबिल नही रह गई थीं क्योंके जिस जोश-ओ-ख़रोश से वो कुछ देर पहले तक मेरा साथ दे रही थीं वो अब बहुत कम हो गया था. मैंने उनको फिर बेड पर लिटा दिया और टाँगों के बीच उनकी चूत में लंड घुसेड़ कर उन्हे चोदने लगा. मैंने अपना लंड फूफी फ़रहीन की चूत में थोड़ा सा घुमाया तो में भी बे-क़ाबू हो गया और दो तीन घस्सों के बाद ही में भी उनकी चूत में डिसचार्ज होने लगा.

फूफी फ़रहीन ने मुझे डिसचार्ज होते देखा तो अपनी टांगें बंद कर लीं और मेरी सारी मनी अपनी चूत में ले ली. मैंने खलास होने के बाद भी अपना लंड उनकी चूत के अंदर ही रखा और अपनी मनी उनके अंदर डालता रहा यहाँ तक के मेरी मनी का आखरी क़तरा भी फूफी फ़रहीन की चूत में चला गया. जब मेरा लंड बैठ गया तो मैंने उससे फूफी फ़रहीन की चूत में से बाहर निकाला और उनके साथ बेड पर लेट गया. उन्होने मेरी तरफ देखा और अपनी आँखें बंद कर लीं.

आज में फूफी फ़रहीन की गांड़ नही मार सका था और अब मुझे ये काम अगले दिन करना था. मुझे यक़ीन था के में उनकी गांड़ लेने में भी कामयाब हो जाऊं गा.


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Re: फूफी फ़रहीन

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:47

फूफी फ़रहीन -5

फूफी फ़रहीन और मेरे दरमियाँ जिस्मानी ता’अलुक़ात क़ायम होने से मेरे लिये इन्सेस्ट के मवाक़े और ज़ियादा बढ़ गए थे. उनके रवये से भी लगता था के वो अब मुझ से चूत मरवाती रहें गी. लेकिन जैसा के मैंने पहले बताया अब उनकी गांड़ मारने का मरहला दरपाश था और मुझे फॉरी तौर पर इस सिलसिले में कोई क़दम उठाना था.

फूफी फ़रहीन जैसी औरतों की गांड़ मारना इतना आसान नही होता. ख़ास तौर पे जब उन से खूनी रिश्ता भी हो. उन्हे चूत देने पर तो निसबतन आसानी से रज़ामंद किया जा सकता है मगर गांड़ मरवाने पर वो बहुत ज़ोर-ओ-शोर से कई क़िसम के ऐतराज़ात करती हैं. एक तो उनका ख़याल है के गांड़ देने से उन्हे बहुत तक़लीफ़ होगी क्योंके गांड़ के छोटे और तंग सुराख में लंड लेना और फिर उस मैं मुसलसल घस्से बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल काम है. दूसरा ये के वो समझती हैं के गांड़ मरवाने से उन्हे कोई मज़ा नही मिले गा क्योंके ये औरत को चोदने का एक गैर-फिट्री तरीक़ा है जिस में सिर्फ़ मर्द ही खलास हो कर मज़ा ले सकता है. चूँके औरत को गांड़ मरवा कर कुछ हासिल नही होता इस लिये उससे ऐसा करना ही नही चाहिये.

फिर ऊए भी है हमारे मा’आश्रय में औरतें गांड़ देने को कोई अच्छा अमल नही ख़याल करतीं क्योंके उनके मुताबिक़ ये बड़ा बुरा काम है. इसी लिये हमारी औरतों की एक बहुत बड़ी तद्दाड़ अपनी गांड़ में लंड लेने से कतराती है. इस के अलावा यहाँ की औरतों को गांड़ देने का सालीक़ा और तरीक़ा भी बिल्कुल नही आता और उनकी गांड़ मारना एक बहुत बड़े मसले से कम नही होता. लेकिन इन मुश्किलाट के बावजूद मैंने बहरहाल फूफी फ़रहीन को गांड़ देने की तरफ राघिब तो करना ही था.

इस मक़सद के लिये में रात को डैड के सो जाने के एक घंटे बाद फूफी फ़रहीन के कमरे में जा पुहँचा. वो बेड पर लेतीं सो रही थीं . मैंने कमरे का दरवाज़ा लॉक किया और उनके साथ बेड पे लेट गया. फूफी फ़रहीन अपनी आदत के मुताबिक़ ब्रा पहन कर ही लेतीं हुई थीं . वो अपने बेड पर मेरे जिसम की जुम्बिश से जाग गईं. मैंने कुछ कहे बगैर उनके मम्मों को दोनो मुठियों में भर लिया और उनके होंठ चूमने लगा. उनके सेहतमंद जिसम के लांस और खुश्बू से मेरा लंड फॉरन खड़ा हो गया और मैंने आनन फानन अपना पाजामा उतार दिया.
"इस वक़्त में कुछ नही कर सकती क्योंके में काफ़ी तक गई हूँ." फूफी फ़रहीन ने मेरे अकड़े हुए लंड की तरफ देख कर आहिस्ता से कहा.
में उनके होठों और गालों को चूमता रहा और मम्मों को हाथों से दबाता रहा. मुझे उनका गोरा गोरा नरम पेट कुछ ज़ियादा ही पसंद था लिहाज़ा मैंने उनकी क़मीज़ पेट पर से उठा दी और उनके ब्रा में गिरिफ्टार मम्मों के नीचे पेट को चूमने लगा. मैंने उनके पेट के गुन्दाज़ गोश्त को चाटा और मुँह में ले ले कर चूसा तो उन्होने मेरे सर पे हाथ रख के मुझे ऐसा करने से रोक दिया.
"अमजद मत करो में अभी दोबारा तुम्हे चूत नही दे सकती." उन्होने मेरे कान के पास मुँह ला कर कहा.
"फूफी फ़रहीन देखने तो दें में सिरफ़ आप की मोटी ताज़ी फुद्दी देखना चाहता हूँ. और कुछ नही करूँ गा." मैंने बड़ी संजीदगी से जवाब दिया और उनकी शलवार का नाड़ा खोल दिया ताके लेते लेते ही उनकी शलवार टाँगों पर से उतार सकूँ.
"नही अमजद मत करो तुम से सबर नही होगा और में नही चुदवा सकती. सुबह कर लाना. इस वक़्त तो मेरी तबीयत भी कुछ ठीक नही है और जिसम में भी दर्द है." उन्होने अपनी टांगें जल्दी से मोड़ कर बेंड कर लीं और उठ कर मेरा हाथ पाकाररते हुए अपनी शलवार मुझ से ले लानी की कोशिश की.
उनकी नींद अब पूरी तरह अर चुकी थी.

"फूफी फ़रहीन में कुछ नही कर रहा सिर्फ़ आप की फुद्दी के दर्शन करना चाहता हूँ. इस से तो आप को कुछ नही होगा." मैंने ज़बरदस्ती शलवार नीचे करते हुए उनकी रानों के बीच में उनकी चूत का ऊपरी हिस्सा नंगा करते हुए कहा. शलवार उनके गोरे घुटनों तक नीचे आ गई और उनकी चूत के काले घने बाल नज़र आने लगे. मैंने उनकी चूत के बालों पर आहिस्ता से हाथ फेरा तो उन्होने मुँह से हल्की सी आवाज़ निकाली.
"तुम अपने आप को रोक नही सको गे और फिर मुझे चोदने लागो गे. ज़रा अपना हाल तो देखो." वो मेरे फर्राकते हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए बोलीं.
"ओहो फूफी फ़रहीन आप चौड़ान तो सही." मैंने उनकी शलवार उनके तख़नों तक नीचे कर के उन्हे नंगा कर दिया. उन्होने फॉरन अपनी टांगें बंद कर लीं मगर मैंने उनकी टांगें घुटनों से पकड़ कर खोलीं और उनकी मोटी ताज़ी बुलावा देती चूत पर नर्मी से हाथ फेरा.
"उूुुउऊफ़…उूुुउउफफफ्फ़ मत करो में कह रही हूँ." मेरा हाथ उनकी चूत से लगते ही बे-इकतियार उनके मुँह से निकला. मैंने फूफी फ़रहीन के मम्मों पर हाथ रख कर उन्हे वापस बेड पे गिरा दिया और खुद उनके उपर 69 की पोज़िशन में आ गया. मैंने अपना लंड उनके मुँह के सामने कर दिया और उनकी रानों के अंदर उनकी चूत में मुँह घुसा कर उससे चाटने लगा.
"ऊऊओ उफफफफफफफफफ्फ़ अमजद बाज़ आओ में इस वक्त नही चुदवा सकती. मुझे तक़लीफ़ हो रही है. मैंने बहुत अरसे बाद लंड लिया था अब दोबारा चोदने से पहले थोड़ा वक़्त तो गुज़रने दो." उन्होने झुंझला कर ज़रा तेज़ आवाज़ में कहा. मैंने उनकी चूत के बीच में अपनी ज़बान ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा. उनका पेट मेरे सीने के नीचे हरकत करता महसूस हो रहा था.


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Re: फूफी फ़रहीन

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 17:48

फूफी फ़रहीन -6

मैंने उनकी चूत के बीच में अपनी ज़बान ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा. उनका पेट मेरे सीने के नीचे हरकत करता महसूस हो रहा था.

"फूफी फ़रहीन में आप की फुद्दी चाट रहा हूँ आप बस थोड़ी देर मेरा लंड चूस लें तो मेरे लिये काफ़ी है. मै आप के मम्मों पर खलास हो जा’आऊँ गा." में उसी तरह लेते लेते अंदाज़े से अपना लंड उनके होठों के बिल्कुल क़रीब करते हुए बोला. चार-ओ-नचार उन्होने मेरा लंड हाथ में पकड़ के अपने मुँह में डाला और उससे बे-दिली से चूसने लगीं.
"तुम मेरी चूत ना छातो में तुम्हारा लौड़ा चूस कर तुम्हे डिसचार्ज कर देती हूँ लेकिन मुझे उठने दो में ऐसे लूआर्रा मुँह में नही ले सकती." उन्होने कहा.

में उनके ऊपर से उतार गया और उन्हे गले से लगा कर खूब चूमा.
"फूफी फ़रहीन आप का बदन ही ऐसा है के में आप को चोदे बगैर नही रह सकता. आप जानती हैं के हमारे पास टाइम भी थोड़ा है. लेकिन आप के जिसम दर्द आयी और फुद्दी भी दुख रही है. मै आप को तक़लीफ़ में भी नही देख सकता." मैंने बात शुरू की. उन्होने अपनी क़मीज़ का दामन अपनी फुद्दी के सामने किया और मेरी बात सुन ने लगीं.
"में ये भी जानता हूँ के आज की चुदाई से आप को तक़लीफ़ हुई है और इस वक़्त आप दोबारा मुझे फुद्दी नही दे सकतीं. मगर प्लीज़ आप भी मेरा कुछ ख़याल करें मेरा लंड खड़ा है और में डिसचार्ज ना हुआ तो रात गुज़ारनी मुश्किल हो जाए गी." मैंने अपनी मजबूरी बयान की.

"अमजद में आज तो कम-आज़-कम तुम्हे चूत नही दे सकती सारी सूजी हुई है." उन्होने ज़रा हंदर्दाना लहजे में अपनी चूत की तरफ देख कर जवाब दिया.
"फूफी फ़रहीन में भी किया करूँ. आप के मम्मे, आप की चूत और आप की गांड़ ने मुझे पागल कर रखा है. मै आप को चाहे जितना मर्ज़ी चोद लूं मेरा दिल नही भरता." मैंने उनके गोरे और गुन्दाज़ बाज़ू पर हाथ फेरते हुए जज़्बात से भरी हुई आवाज़ में कहा. जब उन्होने ये सुना तो उनके चेहरे पर खुशी की हल्की सी लहर दौड़ गई.
“तो कल सुबह तक सबर कर लो ना.” उन्होने अपनी बात दुहरई.
“मगर इस वक़्त किया करें?” मैंने फिर सवाल किया.
"अच्छा आओ में तुम्हारा लौड़ा चूस कर तुम्हे डिसचार्ज कर देती हूँ. अगले हफ्ते तुम लाहोर आ जाना वहीं पर जो करना हो कर लाना." उन्होने दरमियानी रास्ता निकालने की कोशिश की.
"फूफी फ़रहीन चॅपलेन में आज आप की फुद्दी नही मारता मगर इस के बदले में आप को कुछ और करना पड़े गा." मैंने उनकी आँखों में देखा.
"वो किया?" उन्होने पूछा.
"अगर आप को कोई ऐतराज़ ना हो तो में आज आपकी गांड़ मार लूं और यों मेरा काम भी हो जाए गा और आप को भी तक़लीफ़ नही हो गी." में मतलब की बात ज़बान पर ले आया.
वो हैरात्ज़ादा रह गईं और तेज़ी से नफी में सर हिलाने लगीं.

"नही नही अमजद गांड़ देना बहुत बड़ा गुनाह है और मैंने कभी भी गांड़ में लौड़ा नही लिया. तुम्हारा तो लौड़ा भी बहुत मोटा है मेरी तो गांड़ फॅट जाए गी. वो सुराख इस काम के लिये तो नही बना. वैसे भी ये वक़्त गांड़ देने का नही है."
“फूफी फ़रहीन आप प्लीज़ बस एक दफ़ा मुझे अपनी गांड़ लेने दें. प्लीज़ किया आप मेरी अच्छी फूफी नही हैं.” मैंने इल्तिज़ा-आमीज़ लहजे में उनके गालों को हाथ लग्गाते हुए कहा.
“में बिल्कुल तुम्हारी फूफी हूँ लेकिन जो तुम चाहते हो वो मुझ से कभी नही हो सकेगा. फिर इस की आख़िर ज़रूरत भी किया है. चूत तो दे रही हूँ ना तुम्हे.” उन्होने कहा.
“लेकिन मुझे आप की गांड़ मारने का बहुत शोक़् है फूफी फ़रहीन.” मैंने इसरार किया.
“ये किस क़िसम का शोक़् है जिस में औरत की जान ही निकल जाए. चूत देते हुए अच्छी ख़ासी तकलीफ़ होती है तो गांड़ देते हुए किया हाल होगा.” वो सर हिला कर बोलीं.
“में आप को यक़ीन दिलाता हूँ के आप को तकलीफ़ बिल्कुल नही हो गी.” मैंने बड़ी संजीदगी से कहा.
“कैसे नही हो गी. मेरी गांड़ में आख़िर तुम्हारा इतना मोटा लौड़ा जाए गा कैसे.” उन्होने हाथ से इशारा कर के बताया.
“टेल लगा कर में अपना लंड आसानी से आप की गांड़ में ले जा सकता हूँ. आप राज़ी तो हूँ. बिल्कुल थोड़ी तकलीफ़ हो गी.” मैंने उन्हे का’आइल करने की कोशिश जारी रखी.
“देखो में तुम्हे गांड़ कैसे दे दूँ. मुझे सलीम के अलावा और किसी ने हाथ नही लगाया. तुम दूसरे मर्द हो जिस ने मेरी चूत ली है. सलीम ने तो पिछले 21 साल में कभी मेरी गांड़ को उंगली तक नही लगाई. मुझे गांड़ देने का कुछ पता ही नही है. मै ये नही कर सकती.” उन्होने कहा.

मैंने मज़ीद बहस नही की और उनके नंगे चूतड़ों के नीचे हाथ घुसा कर उनकी गांड़ के सुराख तक पुहँछने की कोशिश की लेकिन उन्होने अपनी गांड़ पर सारे जिसम का वज़न डाल दिया और और मेरे हाथ को अपने चूतड़ों के नीचे अपने छेद तक जाने का मोक़ा नही दिया. मेरा हाथ उनके भारी और मोटे चूतड़ों के नीचे दब गया.
"में गांड़ में तुम्हारा लूआर्रा बर्दाश्त नही कर सकती अमजद में सच कह रही हूँ." उन्होने मेरे लंड को हाथ में ले कर जैसे टटोलते हुए कहा.

"में गांड़ में तुम्हारा लूआर्रा बर्दाश्त नही कर सकती अमजद में सच कह रही हूँ." उन्होने मेरे लंड को हाथ में ले कर जैसे टटोलते हुए कहा.
"बस ठीक है फूफी फ़रहीन में अपने कमरे में जाता हूँ किया फायदा आप की मिनाताईं करने का." मैंने खफ्गी का इज़हार किया और उनके हाथ से अपना लंड छुड़ा लिया. फूफी फ़रहीन ने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा:
"किया सिर्फ़ यही एक तरीक़ा है तुम्हे डिसचार्ज करने का?"
"हन बस यही एक तरीक़ा है." मैंने उसी खफा लहजे में जवाब दिया.

में उनकी मजबूरी समझ रहा था. वो मुझे गांड़ देने की तक़लीफ़ के बदले अपनी चूत मरवाने के मज़े को नही गँवाना चाहती थीं और इसी लिये अब गांड़ देने पर राज़ी हो रही थीं . वो कुछ सोचने लगीं.
"अच्छा चलो तुम मेरी गांड़ ले लो मगर पहले ये वादा करो के तुम मेरी गांड़ बहुत आराम से मारो गे और मुझे दुखाओ गे नही." उन्होने दोबारा मेरा लंड हाथ में लेते हुए मुझ से गॅरेंटी चाही.
"बिल्कुल वादा है मैरा. अगर आप को ज़ियादा तक़लीफ़ हुई तो में आप की गांड़ नही मारूं गा." मैंने कहा और उनकी क़मीज़ और ब्रा उतार कर साइड टेबल पर पडा हुआ लॅंप जला दिया ताके में उनकी गांड़ मारते हुए उनके दूधिया बदन को साफ़ तौर पर देख सकूँ.

वो बेड पर फिर लेट गईं. मैंने उन्हे करवट दिला कर लिटाया और अपना चेहरा उनके पैरों की तरफ कर के उनके बिल्कुल साथ जुड़ कर लेट गया. मैंने उनकी एक टाँग उठा कर उनकी रानों के दरमियाँ मोजूद चूत में अपना मुँह घुसा दिया और उससे चाटने लगा. मैंने उनके चूतरर्रों पर हाथ रखा हुआ था. मुझे महसूस हुआ के उनके चूतरर्रों और रानों के मसल अकड़ने लगे थे. उन्होने बिल्कुल दबी आवाज़ में अया….ऊऊओह शुरू कर दी थी. मेरा लंड उनके मुँह के साथ लगा हुआ था.

जब मैंने उनकी चूत चाटते हुए अपने लंड को उनके मुँह में घुसा या तो वो मेरा मतलब समझ गईं. उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं. वो बड़े एहतेमां से लंड चूस रही थीं . इस तरह लेट कर भी मुझे उनके दाँत अपने लंड पर एक दफ़ा भी महसूस नही हुए. वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर रखते हुए उस के टोपे पर बहुत तेज़ी से ज़बान फेरतीं और मेरी हालत खराब हो जाती. मैंने दिल ही दिल में एक दफ़ा फिर फूफी फ़रहीन के लंड चूसने की महारत की दाद दी.

थोड़ी देर और उनकी फुद्दी चाटने और अपना लंड उन से चटवाने के बाद मैंने फूफी फ़रहीन से कहा के वो अपनी कुहनियों पर वज़न डाल कर सर नीचे करें और अपने चूतड़र ऊपर उठा कर मेरी तरफ कर दें. उन्होने इसी तरह किया और अपने वज़नी चूतरर्रों का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उनके चूतड़ ऊपर उठे तो उनके बाल फिसल कर उनकी गर्दन के पास एक बड़े से गुकचे की शकल में जमा हो गए. ये सब करते हुए वो हल्का सा मुस्कुराईं. शायद अभी जो उनके स्ाआत होने वाला था वो उस के बारे में सोच रही थीं . अब उनकी गांड़ मेरे सामने थी. मैंने उके गोरे चूतरर्रों को फैला दिया और उनकी गांड़ के टाइट सुराख पर उंगली फेरी जो बहुत छोटा था.

"फूफी फ़रहीन आप के छेद में तो दर्द नही है ना." मैंने उन्हे छेड़ा.
"टोबा टोबा कितना फज़ूल लफ्ज़ है ये गांड का सुराख. तुम अनस क्यों नही कहते और अब जब तुम मेरी गांड़ मारो गे तो यहाँ भी दर्द हो ही जाए गा." वो अब अच्छे मूड में थीं .
"जो मज़ा छेद में है वो अनस या अशोल में कहाँ फूफी फ़रहीन और फिर गांड़ का इतना शानदार सुराख अनस नही हो सकता सिर्फ़ गांड का सुराख ही हो सकता है." में उनकी गांड़ के सुराख को चूमते हुए बोला.

"उउउफफफफ्फ़……..." फूफी फ़रहीन ने अपने गरम छेद से मेरे होंठ लगते ही झुरजुरी सी ली और उनके चौड़े चूतड़ हिल कर रह गए.
"गुदगुदी होती है." उन्होने दबी दबी आवाज़ में हंसते हुए कहा. मै उनका गांड का सुराख चाटने में मसरूफ़ रहा जिस से अब वो भी मज़ा लेने लगी थीं .
मैंने अपनी ज़बान रुक रुक कर उनके छेद के ऊपर फैरनी शुरू की और उस के तनाओ का मज़ा लेने लगा. चूतड़ों के बेपनाह गोश्त के अंदर उनके छेद को चाटना मुझे पागल कर देने वाली लज़्ज़त दे रहा था. मेरा थूक फूफी फ़रहीन के सारे छेद पर लग चुका था और अब नीचे उनकी चूत की तरफ बहने लगा था. उन्हे भी अपना गांड का सुराख चटवाने में मज़ा आ रहा था. औरत की गांड़ के सुराख में लाखों की तादाद में नर्व एंडिंग्स होती हैं जिन को अगर उंगली लगाई जाए या चाटा जाए तो उससे बे-पहाः मज़ा आता है. यही कुछ फूफी फ़रहीन के साथ भी हो रहा था.

मैंने उनके चूतड़ों को मज़ीद खोला और उनका गांड का सुराख चाटने की स्पीड बढ़ा दी.
“आअहहूऊंणन्न् आनंहूऊंन्न." उनके मुँह से तसालसूल के साथ आवाजें बरामद हो रही थीं .
“अच्छा लग रहा है ना फूफी फ़रहीन.” मैंने अपना सर उनके गांड़ के सुराख पर से उठाया और उन से पूछा.
"उउउफफफफफ्फ़ बहुत अच्छा लग रहा है ये किया कर रहे हो तुम मेरे साथ. मै तो डर रही हूँ के कहीं मेरे मुँह से तेज़ आवाज़ ना निकल जाए और तुम्हारा बाप जाग ना जाए." उन्होने कपकापाती हुई आवाज़ में कहा.
“आप डैड की फिकर ना करें वो रात को एक दो ग्लास शराब पी कर सोते हैं. आप बे-शक ढोल भी बजा कर देख लें लेकिन वो सुबह से पहले नही उठाईं गे.” मैंने जवाब दिया और दोबारा उनकी गांड़ का सुराख पर ऊपर नीचे ज़बान फेरने लगा. वो मज़े लेते हुए अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता हरकत देने लगीं. मैंने एक हाथ आगे कर के उनकी चूत के बालों के अंदर उनकी छोटी सी क्लिटोरिस को मसल दिया.
उन्हाय जैसे बिजली का करेंट लगा और उन्होने अपना मुँह बिस्टार में घुसा कर अपनी आवाज़ दबाने की कोशिश की. ऐसा करते हुए उनके मोटे चूतड़र ज़ोर से लरज़े. वो नही चाहती थीं के रात के इस पहर में उनके मुँह से कोई तेज़ आवाज़ निकले. मै अपनी ज़बान से उनका गांड का सुराख चाट ता रहा और एक हाथ से उनकी क्लिटोरिस को मसलता रहा.

औरत के लिये क्लिटोरिस बड़ी खौफनाक चीज़ होती है. ये इंसानी जिसम का वाहिद हिस्सा है जिस का काम सिरफ़ और और सिरफ़ मज़ा देना है. औरत और मर्द दोनो में इस क़िसम का कोई जिस्मानी उज़व नही जो कुदरत ने सिरफ़ मज़े के लिये बनाया हो. लंड औरत की फुद्दी चोद कर उस के अंदर मनी डालता है और मर्द को बहुत मज़ा देता है. लेकिन इसी में से पैशाब की नाली भी गुज़रती है. लहाज़ा ये दो दो काम करने के लिये बना है. फुद्दी सेक्स के दोरान मर्द का लंड अपने अंदर लेटी है और उस से निकालने वाली मनी को आगे पुहँचाने का काम करती है. इस के अलावा फुद्दी बच्चा पैदा करने के अमल में अहम किरदार अदा करती है क्योंके बच्चा इसी रास्ते से माँ के पेट से बाहर आता है. मेंसस के वक़्त भी खून और और दीगर फासिद मादा फुद्दी के रासती ही औरत के बदन से बाहर निकलता है. लेकिन क्लिटोरिस का बस यही काम है के वो औरत को सेक्स के दोरान लुत्फ़ दे.

क्लिटोरिस फुद्दी के बिल्कुल ऊपर मुत्तर के दाने के साइज़ की होती है और औरत के बदन का सब से ज़ियादा हस्सास हिस्सा है. अगर फुद्दी के होठों पर अंगूठा रख कर उससे ऊपर की जानिब फेरें तो एक छोटा सा दाना महसूस होगा. यही क्लिटोरिस है. सेक्स करते हुए या वैसे भी अगर क्लिटोरिस को मसला या चाटा जाए तो औरत खलास होने में देर नही लगाती. वो अपनी फुद्दी में लंड ले कर भी इतना मज़ा नही लेटी जितना क्लिटोरिस को मसलने या चाटने से लेटी है. इसी लिये क्लिटोरिस को हाथ लगाते ही वो बे-क़ाबू होने लगती है.

जब मैंने फूफी फ़रहीन की क्लिटोरिस को मसला तो उनके साथ भी यही हुआ था. कुछ देर में ही उनका पूरा बदन ऐंठ गया और वो मुँह से दबी दबी आवाज़ में ऊऊओहूऊऊन्न्णोणन् न्न्न्ना हाहाऊ अहह ऊऊऊवन्न्न्नह करने लगीं. मै उनका गांड का सुराख ज़ोर ज़ोर से चाट तार आहा और उनकी क्लिटोरिस को मसलता रहा. कुछ देर बाद ही वो बेड पर उछल कूद करती हुई खलास हो गईं. मै इसी तरह उनकी चूत पर हाथ फेरता रहा जो अब काफ़ी ज़ियादा भीग चुकी थी.

मैंने उनको खलास होने के बाद संभालने का मोक़ा नही दिया. यही उनकी गांड़ मारने का बेहतरीन वक़्त था. उनके कमरे में आते वक़्त में अपने साथ सरसों के टेल की बॉटल ले आया था. मैंने उनकी सफ़ेद कमर पर ऊपर से नीचे हाथ फेरा और उन्हे वैसी ही पोज़िशन में रहने को कहा. खलास होते वक़्त उन्होने अपने चूतड़ कुछ नीचे कर लिये थे मगर मेरी बात सुन कर फिर उन्हे ऊपर उठा दिया. मैंने बॉटल में से टेल निकाल कर उनके छेद को अच्छी तरह भिगो दिया. फिर मैंने फूफी फ़रहीन से कहा के वो अपने दोनो चूतड़ों को हाथों से पकड़ कर खुला रक्खें ताके में अपना लंड उनकी गांड़ के सुराख के अंदर डाल सकूँ.
"आहिस्ता अंदर डालना." उन्होने उखरर उखरर आवाज़ में मुझे याद दहानी कराई.

उन्होने दोनो हाथों से अपने चूतड़ों को मेरे लिये खोल दया. उनका गांड का सुराख अब पूरी तरह मेरे सामने आ गया. मै भी उनके मोटे और ताक़तवर चूतड़ों को पकड़ कर बेड पर खड़ा हो गया और अपना लंड उनके छेद के मुँह तक ले आया. उनका गांड का सुराख टेल से मुकमल तौर पर भीगा हुआ था. मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा और अपना लंड उनकी गांड़ के सुराख पर रखा जो अब टेल की वजह से चमक रहा था. फिर मैंने उनकी गांड़ में अपना लंड बड़ी आहिस्तगी से डालना शुरू किया. दो तीन दफ़ा फूफी फ़रहीन के छेद पर से इधर उधर स्लिप होने के बाद आख़िर मैंने अपने लंड को उनकी गांड़ में डालना शुरू कर दिया. ऐसा लगता था जैसे मेरे लंड को किसी मज़बूत रुकावट का सामना हो क्योंके वो फूफी फ़रहीन की गांड़ के सुराख के अंदर नही जा पा रहा था. मैंने उनके चूतरर्रों को कस कर पकड़ा ताके वो एक ही जगह पर रहें और अपने लंड को उनके छेद में मज़ीद अंदर करने की कोशिश करता रहा.

पहले मेरे लंड का टोपा बड़ी ही मुश्किल से फँसता फनसाता फूफी फ़रहीन के टाइट छेद के अंदर गायब हुआ और फिर आहिस्ता आहिस्ता आधा लंड उनकी गांड़ में चला गया. अब मेरा आधा लंड उनकी गांड़ के अंदर था और आधा बाहर नज़र आ रहा था. उनके छेद ने मेरे लंड को इतनी बुरी तरह दबा रखा था के लंड के उस हिस्से पर जो उनकी गांड़ से बाहर था खून की रगैन बहुत ज़ियादा फूलई हुई नज़र आ रही थीं . जब मेरा लंड उनकी गांड़ में गया और मेरे टोपे ने उनके छेद को चियर कर फैला दिया तो फूफी फ़रहीन का सारा बदन जैसे काँपने लगा. उन्होने अपना एक हाथ अपने मुँह पर रखा और बेडशीट को दूसरे हाथ में सख्ती से पकड़ लिया. लगता था के अपनी गांड़ में मेरा लंड उन से बर्दाश्त नही हो रहा. ज़ाहिर है इतने छोटे से छेद में लंड जाए तो तक़लीफ़ तो हो गी.

मैंने अब फूफी फ़रहीन की गांड़ के सुराख में बिल्कुल आहिस्ता आहिस्ता और रुक रुक कर घस्से मारने शुरू किये और उनकी गांड़ लेने लगा. काफ़ी टेल के बा-वजूद मेरे लंड को उनकी गांड़ चोदते हुए बड़ी मुश्किल पेश आ रही थी. मै खुल कर घस्से नही लगा सकता था क्योंके उनका गांड का सुराख बहुत ही तंग था और उस के अंदर इतना फैलाओ ही नही पैदा हो रहा था जिस में मेरा लंड समा सकता और में उससे आगे पीछे कर के घस्से मार सकता. मैंने बड़ी एहतियात से आहिस्ता आहिस्ता उनकी गांड़ लेना जारी रखा. इसी तरह करते करते आख़िर फूफी फ़रहीन के छेद में मेरा पूरा लंड चला गया और उनका दर्द भी किसी हद तक क़ाबिल-ए-बर्दाश्त हो गया. उनकी हालत भी बेहतर होने लगी और वो अपने चूतड़ों को लंड लसिंसी क्सी लिसी बेहतर पोज़िशन में लाने की कोशिश करने लगीं.

रफ़्ता रफ़्ता मेरे घस्सों में थोड़ी सी तेज़ी आ गई और फूफी फ़रहीन के मुँह से नित नई आवाजें निकलनाय लगीं. मेरा लंड उनके छेद को चीरता हुआ उन्हे चोदता रहा. कभी वो भारी आवाज़ में कराहतीं, कभी उनकी आवाज़ पतली हो जाती जैसे वो हलाक से निकालने वाली चीख को दबाने की कोशिश कर रही हूँ और कभी उनकी तेज़ तेज़ चलती हुई साँस की आवाज़ अचानक बंद हो जाती और बिल्कुल खामोशी छा जाती. उस वक़्त सिरफ़ मेरे लंड की उनकी गांड़ में जाने की ‘शॅप शॅप’ सुनाई देने लगती. लेकिन कुछ देर बाद वो दोबारा कराहने लगतीं. मै उनकी गांड़ में जचे तुले घस्से मारता रहा. जब मेरा लंड फूफी फ़रहीन के छेद में जाता तो ना-क़ाबिल-ए-बयान मज़े का तूफान लंड से होता हुआ मेरे पूरे जिसम में फैल जाता. औरत की गांड़ मारना मुश्किल है लेकिन शायद इस से ज़ियादा पूर-लुत्फ़ चीज़ और कोई नही.

अब मेरा लंड ज़रा मुश्किल से मगर पूरा का पूरा उनकी गांड़ के सुराख में घुस जाता लेकिन फिर बा-अससनी बाहर आ जाता. उनके मोटे और भारी चूतड़ों के गोश्त में पड़े हुआ छोटे छोटे गर्रहे मेरे हर घस्से के दोरान कुछ और गहरे हो जाते. इतने बड़े चूतड़ों को तो संभालना भी मुश्किल था और में तो उनकी गांड़ में घस्से भी मार रहा था. मैंने उनके चूतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ा हुआ था और उनकी गांड़ मार रहा था.
“फूफी फ़रहीन किया गांड़ देते हुए आप को मज़ा आ रहा है?” मैंने उनके भारी चूतड़ों पर चुटकी काटते हुए पूछा.
“नही मुझे तो कोई मज़ा नही आ रहा. गांड़ देने में किया मज़ा हो सकता है.” उन्होने बड़ी मुश्किल से जवाब दिया.

मुझे मालूम नही के इस जवाब में कितनी सचाई थी क्योंके बहुत कम औरतें इस बात का ाईतेराफ़ करती हैं के उन्हे गांड़ मरवाने में मज़ा आता है. बहरहाल में फूफी फ़रहीन की गांड़ लेता रहा और उनका बदन मेरे घस्सों के ज़ोर से बेड पर आगे पीछे होता रहा. मेरा लंड उनकी गांड़ के सुराख के अंदर बाहर होता रहा और टेल लगा होने की वजह से अजीब सी ‘शॅप शॅप’ और 'ष्हवप' ष्हवप' की आवाजें बराबर सुनाई देती रहीं. टेबल लॅंप की रोशनी में बेड पर हमारे जिस्मों के सा’ईए नज़र आ रहे थे.

में अब फूफी फ़रहीन को चोदते चोदते लुत्फ़ की आखरी मंज़िल पर था और इस में उनका भी बड़ा हाथ था. वो मेरे लंड को अपनी गांड़ में लेतीं तो अपने छेद को टाइट कर लेतीं और जब मैं अपना लंड उनकी गांड़ से बाहर निकालता तो वो उनकी गांड़ से ज़ियादा रगड़ खा कर बाहर आता जिस से मुझे अपने आप को कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा. मैंने उनके सफ़ेद चूतड़ों में उंगलियाँ खूबो कर थोड़े तेज़ घस्से मारे तो उनकी गांड़ के अंदर ही मेरे लंड ने मनी चॉर्र्णी शुरू कर दी. गांड़ में खलास होना चूत में खलास होने से बहुत मुख्तलीफ़ होता है. यके बाद डीगरे च्छे सात छोटी छोटी पिचकारियाँ फूफी फ़रहीन की गांड़ में निकालने के बाद मेरा लंड सकूँ से हुआ और मैंने उससे उनकी गांड़ से बाहर निकाल लिया.

फूफी फ़रहीन तक हार कर बेड पर उल्टी ही लेट गईं और में उनके चूतरर्रों पर अपना लंड दबाते हुए उनके ऊपर लेट गया. अपने और उनके जिस्मों के बीच में मुझे टेल और अपनी मनी का गीलापन महसूस हो रहा था.--------- xxx ----------


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