सीता --गाँव की लड़की शहर में compleet

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The Romantic
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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:11

सीता --एक गाँव की लड़की--22

किचन का सारा काम निपटा मैं तैयार होने चली गई...पर तभी अचानक से बेल बजी..मैंने घड़ी की तरफ निहारी तो अभी साढ़े सात ही बजे थे..इतनी जल्दी श्याम कैसे आ गए आज...

तब तक पूजा भैया से गप्पे लड़ाना बंद कर गेट खोलने चली गई..मैं भी बाहर निकली पर पूजा को देख आगे बढ़ भैया के साथ लगी चेयर पर बैठ गई..जहाँ पर अभी तक पूजा के साथ बैठे थे...

अंदर आते ही श्याम और भैया ने प्रणाम किए और वहीं साथ में एक कुर्सी पर बैठ गए..मैं उठ के अंदर चली आई..कुछ ही देर बाद श्याम भी कपड़े चेंज करने अंदर आए...

अब मैं तो काफी उलझन में पड़ गई थी..अगर ये नहीं आते तो चली जाती शादी में और बाद में कोई बहाना बना देती कि बगल वाली खींच के ले गई..पर अब तो पूछनी पड़ेगी..

खैर,, पूछ लेती हूँ...अगर हाँ बोले तो ठीक नहीं तो बाद में देखी जाएगी केतन के साथ....मैंने अपने अंदर थोड़ी हिम्मत लाती हुई बोली..

"वो बगल में एक शादी है, तो देखने का मन है..काफी दिन हो गए देखे..."इतनी कह मैं चुप हो गई और उनकी तरफ देखने लगी..वो पहले तो एकटक से देखने लगे फिर मुस्कुराते हुए बोले,"खाना बना ली क्या?"

थोड़ी सी उम्मीद की किरण देख मैं चहकती हुई बोली,"हाँ और खाना फ्रिज में रख दिया है..." वो मेरी बात सुन हँस पड़े जिससे मैं भी हँसे बिना रह ना सकी..

श्याम : "शादी किसकी है?"

श्याम ने अपने नाइट ड्रेस निकालते हुए पूछे जिसे मेरी हलक एक बार फिर सूखने लगी कि कैसा सवाल कर दिए? अब मेरी जगी हुई उम्मीद की किरण पर एक बार फिर बादल छाने लगी थी क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलना चाहती थी...

"जी....वो...आगे वाले मुहल्ले में किसी लड़की की है...नाम नहीं पता.."मैं उन्हें देखती हुई बोल दी...जिसे सुनते ही उनका चेहरा आश्चर्य से भर मुझे घूरने लगा...

श्याम : "बिल्कुल नहीं जाना...जिसे तुम जानती तक नहीं और कोई निमंत्रण नहीं है...और ना ही कोई पड़ोसी दोस्त के साथ जाओगी...तो कैसे सोच ली कि जाने के लिए हाँ कर दूँगा मैं...अगर कोई वहाँ पूछ दिया कि कौन हो तुम तो क्या जवाब दोगी...ख्वामखाह बदनाम हो जाओगी...समझी?"

उन्होंने साफ मना कर दिया...थोड़ी सी दिक्कत जरूर हुई पर वो सच ही कह रही थी..मैं ज्यादा जिद नहीं करना चाहती थी...अगर निमंत्रण रहती तो करती भी...और मैं कैसे कहती कि केतन बुलाया था....

"खाना लगा दूँ?" मैं अब जाने की प्रोग्राम कैंसिल करती हुई पूछी..जिसे सुन वो मेरे पास आते हुए गले से लगा लिए और प्यार से पीठ सहलाने लगे...

"सीता, मुझे कोई दिक्कत नहीं होती अगर कोई निमंत्रण रहती तो पर ऐसे जाना मुझे ठीक नहीं लग रहा.."श्याम मुझे शायद पूरी तसल्ली दिलाने के लिए अपने दिल की बात कह रहे थे...

मैं उनकी बात सुन धीरे से सिर पीछे की और मुस्कुराते होंठ उनके होंठ पर रख दी..किस करने के बाद बोली,"मैं बिल्कुल नाराज नहीं हूँ जी...मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूँ और आप भी मुझे हर वक्त खुश देखने की कोशिश करते हैं..तो आप मना किए हैं तो उसकी वजह मैं समझ सकती हूँ.."

मेरी बात सुनते ही उन्होंने I Love You कहते हुए जोर से अपनी बाँहों में भींच लिए..फिर मुझे उसी तरह चिपकाए हुए पूछे,"जान, आपके भैया कुछ लेते हैं कि नहीं...आज पहली बार आए हैं तो कुछ पार्टी तो होनी चाहिए ना..."

मैं उनकी बात सुनते ही चौंक पड़ी...कहाँ भैया इन्हें बेहोश करने का प्लान बना रहे थे, पर ये तो खुद ही फंसना चाहते हैं...ये सोचते हुए मैं मुस्कुराती हुई थोड़ी पीछे हुई....

" हाँ, लेते हैं पर कभी कभी..."मैं हँसती हुई बोली जिसे सुनते ही श्याम चहकते हुए मुझे अपने से अलग करते हुए बोले,"थोड़ी देर रूक जाओ फिर खाना लगाना...बाहर से कुछ लेकर आ रहे हैं.."

और श्याम हँसते हुए बाहर निकल गए...उनसे ज्यादा हँसी तो मेरी निकल रही थी कि ये पीने की खुशी में हँस रहे हैं या अपनी बीवी की चुदाई में साथ देने के लिए....

कुछ देर में ही श्याम और भैया बाहर निकल गए...करीब आधे घंटे बाद दोनों हँसते हुए आ गए थे...फिर बरामदे में ही बैठ गए दोनों...

मैं उनका खाना दे आई...वे पार्टी के लिए सारा समान दारू,नमकीन,सिगरेट आदि रख दिए बगल में..खाना मिलते ही पहले वे खाना शुरू कर दिए....

करीब आधा खाना खाने के बाद उन्होंने अपनी मिनी पार्टी शुरू कर दी..2-3 पैग चलने के बाद उनका खाने की स्पीड धीमी और बात करने की गति तेज हो गई..

बाद में थोड़ी और खाना की मांग किए..खाना देने पहुँची तो देखी बोतल अभी आधी भी खत्म नहीं हुई थी जबकि एक छोटी बोतल अभी बंद ही थी...

और दोनों के बैठे करीब 1:30 घंटे हो चुके थे...वहाँ से आने के बाद मैं सीधी पूजा के कमरे में गई जो अंदर कुछ पढ़ रही थी..मुझे देखते ही पूजा मुस्कुरा दी...

"खाना नहीं है क्या?" मैं पूजा के बगल में लेटती हुई पूछी..पूजा के हाथ में कोई मैगजीन थी जिसे वो दरकिनार करती हुई बोली,"हाँ ,भैया लोग खा लिए?"

"उंहहहु.. उनका अभी 2 घंटा और लगेगा..सब कुछ दे दी, अपना खाते रहेंगे..चलो, हम लोग भी खाना खा कर कुछ आराम कर लेते हैं.."मैं बाहर के हालात बताती हुई बोली..

मेरी बात सुन पूजा मुस्कुराई और उठती हुई चलने की हाँ कह दी..हम दोनों खाना खा अपने अपने रूम में आ आराम करने लगी..

अभी कुछ ही देर हुई थी कि बाहर से श्याम की लड़खड़ाती आवाज हमें पुकारने लगी..मैं उठी और बाहर चली आई...

मुझे देखते ही श्याम नशे में मेरी तरफ देख मुस्कुराते हुए बोले,"बैठो इधर.." श्याम और भैया आमने-सामने बैठे थे और मुझे अपने दाएं तरफ बैठने का इशारा किए..

मै असमंजस में पड़ी चुपचाप बैठ गई और उनके आगे की बात का इंतजार करने लगी...तब श्याम अपने सामने रखे तीन ग्लास में दारू उड़ेलने लगे...शायद ये पहले ही एक ग्लास ले आए थे...

पर उससे ज्यादा मैं ये सोच में चिंतित थी कि तीन क्यों? पीने वाले तो दो ही हैं..कीं ये मेरे लिए तो.....उफ्फ्फ.. मैं ये सोच के ही सिहर गई...

श्याम : "सीता, आपके भाई साहब की ये शिकायत है कि मैं आपको यहाँ शहर में ले तो आया हूँ, पर यहां के रहन सहन की छूट नहीं दे रहा हूँ तुम्हे...अब ये ग्लास उठाओ और भैया को बता दो कि मैं तुम्हें किसी भी चीज पर पाबंदी नहीं लगा रहा हूँ..."

मैं उनकी बात सुन आश्चर्य से कभी श्याम की तरफ तो कभी भैया की ओर देखे जा रही थी..कुछ समझ में नहीं आ रही थी..

"नहीं भैया, मुझे किसी तरह की पाबंदी नहीं है.."मैं अपने भैया की तरफ मुड़ बोली..

भैया : "जानता हूँ सीता, पर मुझे देखना है...यहाँ शहर में तो सब लड़की -औरतें ऐसी पार्टी अक्सर जाती हैं जहां दारू-शराब चलती है और वो इसका मजे से लुत्फ उठाती है...पर तुम तो आज तक तो वही गांव वाली ही सीता हो..."

श्याम :" सुन ली ना...अब जल्दी से उठाओ वर्ना कड़वी हो जाएगी ये...वैसे मैं भी चाहता हूँ ताकि कभी मन हुआ तो तुम्हारे साथ भी सर्व कर लूंगा...तुम तो जानती हो मैं बाहर लेता नहीं..कभी कभार दोस्त के साथ ही हो जाता है पर घर पर ही, बाहर नहीं...और अब घर पर किसी को बुलाना मुझे ठीक नहीं लगता क्योंकि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ..प्लीज.."

अब मैं तो और सोच में पड़ गई थी क्या कहूँ...इनकी बात ठीक थी..घर पर पी के सो जाते हैं और वो भी कभी कभार ही..और मेरी सहमति के बाद ही....पर आज तक पीना तो दूर, सूंघी भी नहीं थी मैंने...मैं अब राजी तो थी पर जो समस्या थी उसे सामने लाती हुई बोली,"पर आज तक कभी पी नहीं तो.."

मैं इतनी ही बोल पाई कि दोनों उछलते हुए अपने अपने चेहरे मेरे सामने लाते हुए बोले," अरे...कुछ नहीं होता...बस पहली बार थोड़ी लगेगी फिर सब ठीक और मस्ती ही मस्ती..." दोनों एक साथ हाँ कहते हुए बोल पड़े...

तभी भैया मेरे कानों में धीमे से बोले,"बिल्कुल पहली चुदाई जैसी..." और पीछे हट मुस्कुरा दिए..जिससे मैं भी मुस्कुरा दी..श्याम भैया की बात नहीं सुन पाए थे...मैं एक बार फिर उन दोनों की तरफ देखी...

तभी मेरी नजर सामने पड़ी जहाँ परदे की ओट से पूजा की बड़ी आँखें चमक रही थी..अचानक से पूजा का पूरा चेहरा सामने आया और मुझे पीने की हाँ का इशारा कर ओझल हो गई फिर परदे की ओट में..

मैं अंदर ही अंदर काफी खुश थी अपनी इस नई तजुरबे को सोचकर...फिर मैंने हाथ को धीमे से ग्लास की तरफ बढ़ा दी..."ये हुई ना बात..."कह दोनों भी अपने-अपने ग्लास उठा चियर्स करने लगे...

वो दोनों को एक बार फिर पीने का इशारा किए जिसे देख मैं ग्लास अपने होंठ तक ले गई...पर गंध लगते ही अगले ही पल ग्लास एक बार फिर नीचे आ गई...

भैया : " साँस मत लो सीता,, और आँखें बंद कर जय माता दी कह एक बार में ही खत्म कर दो...दुबारा नहीं होंठ पर लगना चाहिए जूठी ग्लास..."

श्याम : " बिल्कुल करेक्ट...शुरू करो सीता डॉर्लिंग...." श्याम की बात खत्म होते ही भैया भी "हाँ डॉर्लिंग" कह दिए...जिस पर श्याम ध्यान नहीं दिए..

मैं मुस्कुराई और मन ही मन जय माता दी बोलती हुई साँस पर काबू करती हुई ग्लास को अपने लबों पर रखते हुए पूरी ग्लास खाली कर दी...

जिसे देख दोनों खुशी से झूम उठे और थोड़ी सी नमकीन मेरी तरफ बढ़ा दिए...मैं कड़वी से मुँह बिचकाती नमकीन ली और झट से अंदर कर ली जिससे थोड़ी राहत मिली पर अंदर से काफी जलन हो रही थी...

फिर वो दोनों भी अपने - 2 ग्लास खाली कर दिए...मेरी नजर परदे की तरफ गई जहाँ से पूजा अपने अँगूठे दिखाती हुई शाबासी दे रही थी..

कुछ देर बैठ हम तीनों कुछ इधर उधर की बात किए...फिर मेरे अंदर अभी भी जलन महसूस हो रही थी पर कम थी...सोची आराम कर लेती हूँ तो ठीक हो जाएगी...यही सोच जैसे ही मैं उठनी चाही कि श्याम मुझे कस के पकड़ लिए...

श्याम : " अब कहाँ चली जान...पहले खत्म तो कर लो, अभी तो शुरू ही हुई है आपके साथ...और हाँ अब पैग आप बनाएगी.."

मैं श्याम की बात सुन चौंक पड़ी...मतलब अभी से बैठ के अंत तक पीनी है...मर गई...

भैया : " कुछ नहीं होगा सीता,, अब कड़वी नहीं लगेगी और मजा तो अब आएगा...जब कोई लड़की साथ होती है तो पीने का मजा ही अलग है.."

भैया की बात सुन मैं शर्मा गई कि श्याम के सामने ही मुझे ऐसी बात कह रहे हैं...क्या सोचेंगे ये..पर मेरी सोच के विपरित श्याम बोले...

श्याम : "बिल्कुल सही...और हाँ सीता., अब तुम ये बिल्कुल भूल जाओ कि मैं तुम्हारा पति और ये भैया हैं..बस एक दोस्त की तरह मजे लो और दो..."

फिर श्याम बोतल और ग्लास मेरे सामने रख दिए...मैं सोचने लगी कि क्या करूँ? फिर अंदर से आवाज आई,"सीता, ऐसे मौके मत गंवा..जो होगा देखा जाएगा कल..पर आज की रात शादी में मिलने वाली मजे के बदले घर पर मजा लेने का मौका मिल रहा है तो इसे हाथ से जाने मत दे.."

और फिर मैं बोतल उठाई और तीनों ग्लास में डालने लगी...मदद के ख्याल से भैया बता दिए कि कितनी मात्रा में डालनी है..और तब चल पड़ा रात को रंगीन करने का सफर...

एक पर एक पैग चलने लगा और मैं इन मस्ती की दुनिया में डूबती जा रही थी...जिससे आज तक मैं बेखबर थी और पहली ही दिन इतनी रंगीन होगी, ये सोच भी नहीं सकती थी...

तभी अचानक से मुझे क्या सूझी, मैं उठी और म्यूजिक प्लेयर ऑन करती हुई सेक्सी गानों से भरपूर सीडी प्लेयर के अंदर डाल दी और वापस अपनी जगह पर बैठ गई...

आवाज इतनी कम थी जिससे बाहर नहीं जा पा रही थी और हम तीनों को आसानी से सुनाई पड़ रही थी..वो दोनों वाह कहते हुए गानों की धुन पर झुमते पार्टी को बढ़ाने लगे...मैं भी झूमनी शुरू कर दी थी...

अचानक से मुझे कुछ ज्यादा गर्मी महसूस हुई और ये गर्मी मेरे होंठो से बाहर आ गई,"श्याम, काफी गर्मी लग रही है..." और मैंने अपने साड़ी के पल्लू को जमीन पर रख दी बिना उनके जवाब का इंतजार किए..

जाम का शुरूर अब मेरे ऊपर हावी हो चुकी थी जिससे सारी शर्म-ह्या भूल गई थी...भैया की कंट्रोल पावर काफी थी जिससे वो मेरी तरफ देखने लगे जबकि श्याम मेरी बात सुने भी या नहीं पता नहीं..वो मस्ती में झूमे जा रहे थे...मैं ज्यादा नहीं ली थी तो अब तक सिर्फ झूम रही थी, बेहोश नहीं हुई थी...

भैया : "इनरवियर पहनी है ना तो इसे भी उतार तो ना..क्यों श्याम? " श्याम अब बेहोश होते नजर आ रहे थे..भैया क्या बोले, वो सुने या नहीं पता नहीं पर हाँ जरूर कर दिए...

अगले ही पल मैं सिर्फ पेन्टी और ब्रॉ में दो मर्दो के बीच नशे में झूमने लगी..श्याम की आँखें एक बार खुली और मुझे ऐसी अवस्था में देख हल्के से हँसे...फिर वो ठीक से देखने की कोशिश करते तब तक उनकी आँखों पर शराब ने परदा डाल दिया...

तब मैंने अगली पैग बनाई..भैया जैसे ही ग्ललास उठाने आगे हाथ किए मैं रोक दी..और उनका ग्लास उठा मैं खिसक के उनकी जांघों पर बैठ गई और अपनी नशीली आँखों से देख उनको पिलाने लगी...

भैया भी मेरी इस अदा पर हँस दिए और पूरी ग्लास खाली कर दिए..अंत में मेरी उभारों पर श्याम की तरफ देख किस कर दिए जिससे मैं सिसक पड़ी और किसी तरह उठ गई श्याम को पिलाने...

ठीक इसी तरह ग्लास लिए श्याम की जांघ पर बैठी और उन्हें पिलाने लगी..श्याम होश में थे नहीं पर वाह सीता कहते हुए गटकने लगे..पूरी ग्लास खाली होते ही मैंने अपने होंठ उनके होंठ पर रख किस करने लगी...

किस रूकते ही मेरे मन में क्या आई कि अचानक से बोल पड़ी,"जानू, इस मस्ती की महफिल में अगर आप पूजा को भी शामिल कर लें तो वो बहुत खुश होगी.."

मेरी आवाज सुनते ही वो एकाएक शांत हो गए, मानों सारा नशा चूर हो गया हो..वो एकटक से मुझे घूरने लगे...

इधर मेरे साथ-2 भैया का नशा टूट चुका था...मैं खुद पर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि ये क्या बोल दी..इनको बुरा लग गया, पता नहीं क्या कहेंगे...

श्याम अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोले,"उतरोओओऽ नीऽचे....."

मैं डर के मारे नीचे उतर गई और सिर नीचे कर बैठ गई...भैया भी ऐसी सिचुएशन देख उठे और बाथरूम की तरफ बढ़ गए...


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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:12

सीता --एक गाँव की लड़की--23

मैं बैठी मन ही मन खुद को कोसे जा रही थी...कितना मजा आ रहा था हम तीनों को...क्या जरूरत थी पूजा के बारे में बोलने की...यही सब सोचते मेरी आँखों में आँसूं उतर आई और बाहर निकालती सिसकने लगी...

कुछ पल रोने के बाद जब आँखें ऊपर उठाई तो ये क्या?श्याम जा चुके थे...और भैया अभी भी बाथरूम में ही थे..मैं तेजी से उठी और माफी मांगने के ख्याल से बेडरूम की तरफ दौड़ पड़ी...

अंदर घुसते ही एक और शॉक सगी...श्याम नहीं थे...उफ्फ...क्या हो रहा है मेरे साथ...एक बार फिर मैं वहीं खड़ी दिवाल के सहारे रोने लग गई...फिर ढ़ूँढ़ने के ख्याल से वापस छत पर जाने की सोची शायद वहीं होंगे...

बाहर निकल गेट की तरफ बढ़ ही रही थी अचानक पूजा के रूम से श्याम की हल्की आवाज सुनाई दी..जिससे मेरे पांव ठिठक कर रूक गए...मेरी नजर गेट के लॉकर पर पड़ी जो अभी भी बंद थी..

मेरे चेहरे पर हल्की सुकून की लकीरें उभर आई और अंदर खुशी...मतलब श्याम पूजा को बुलाने गए हैं..मेरे कदम पूजा के कमरे की ओर बढ़ने लगी...और गेट पर रूक अंदर के नजारे देखने लगी...

पूजा : "सच भैया, मैं बिल्कुल नाराज नहीं हूँ..और मैं लेती भी नहीं सो प्लीज आप लोग इंज्वाय करो..मैं नाराज नहीं होऊँगी..प्रॉमिस भैया..."

श्याम : "जानता हूँ पूजा पर अगर नाराज नहीं हो तो चलो बाहर..जस्ट फ्रेंड...और सीता भी तो पहली बार ली कि नहीं आज...और यहाँ जब फ्रेंड बनेंगे तो उनके साथ पार्टी में कोई शर्मिंदगी नहीं झेलनी होगी ऐसी बात का...चलो उठो माई बेबी.."

पूजा कुछ सोचने लगी, जबकि श्याम बार बार रिक्वेस्ट किए जा रहे थे..और श्याम के इस रवैये को देख मेरी दिल भर आई कि श्याम नाराज नहीं हैं...

पूजा : "ठीक है भैया, मैं पार्टी ज्वाइन करूँगी पर आज नहीं..किसी और दिन..आज वैसे भी पार्टी इंड होने वाली होगी आज की..." और पूजा पर हल्की मुस्कान फैल गई कहते कहते...

श्याम भी उसकी हामी से मुस्कुराने लगे और उसे देखने लगे..अचानक वो आगे बढ़े और बोले,"तू ऐसे नहीं मानेगी...." और फिर..श्याम अपना एक हाथ पूजा के गर्दन के नीचे,जबकि दुसरा हाथ जांघों के नीचे डाले और हँसते हुए झटके से गोद में उठा लिए...

पूजा हँसते हुए चिल्ला पड़ी,"आहहह भैया...प्लीज नीचे करो..चलती हूँ...." पर श्याम बिना कुछ सुने बाहर की तरफ मुड़ गए..पूजा गोद में छटपटा रही थी और हँस भी रही थी..जिसे देख मेरी भी हँसी निकल पड़ी और वापस जल्दी से अपने जगह पर आ कर बैठ गई...

पूजा की नजर जैसे ही मेरी नजर से टकराई कि शर्म से उसकी आँखें बंद हो गई..अजीब बात है...ब्रॉ -पेन्टी में मैं बैठी हूँ और शर्मा वो रही है.. खैर, बात तो कुछ और थी जो मैं अच्छी तरह से जानती थी...

तब तक भैया बाथरूम से निकल चुके थे और उनकी बाँछें पूजा को देखते ही खिल पड़ी..वो आते ही पूजा के बगल में बैठते हुए चुपके से उसकी चुची मसल दिए जिससे पूजा चौंक पड़ी..

श्याम के बैठे दो मिनट भी नहीं हुए कि वो एक बार फिर आँखें झलफलाने लगी उनकी..हम दोनों पर भी खुमारी छाई थी पर फिर भी होश में थी...तभी श्याम अपने कांपते हाथों से बोतल लिए और एक सिंगल पैग बनाने लगे...

श्याम : "हम्म्म...सीता डॉर्लिंग..वो क्या है ना कि घर की पार्टी में मैं घर के मेम्बर को ही भूल गया था..तुम अगर याद नहीं दिलाती तो कसम से कल मैं खुद को काफी कोसता...थैंक्यू जान.."

मैं उनकी बात पर पूजा की तरफ देख मुस्कुरा पड़ी...पूजा की नजर तो श्याम के हाथों में ग्लास पर ही जमी थी..शाली, मन तो इसकी भी है पर क्या करती बेचारी..किसी ने ऑफर ही नहीं किया अब तक..

श्याम : "पूजा, लोऽ...और सीता की तरह जय माता दी कह अंदर कर लो एक ही बार में...नो कमेंट...चुपचाप.." श्याम ग्लास पूजा की तरफ बढ़ाते हुए बोले...

पूजा की नजर हम पर आ टिकी, फिर मैंने लेने की इशारा की तो वो भैया की तरफ देखी..हे राम! ये तो अपना लंड दबा रहे थे खुलेआम...पूजा से नजर मिलते ही बोले," पी लो डियर...बाद में ये भी पीना है.." और वो अपने लंड की तरफ इशारा कर दिए...

जिसे सुनते ही श्याम चौंकते हुओ भैया की तरफ देखते हुए "ऐंऽऽऽ "कह पड़े.. भैया तेजी से छोटी बोतल श्याम के सामने करते हुए बोले,"ये जनाब..आप तो कुछ और ही समझ गए..."

जिसे सुनते ही श्याम हँस पड़े और बोले,"हम्म्म, देखिए जनाब..वो चढ़ने के बाद पता नहीं ऐसे गंदे ख्याल कैसे आ जाते हैं..पर डोंट टेक सिरीयस...चियर्स पूजा.."अबकी बार ग्लास पूजा के हाथ में थी और हम तीनों की नजरें पूजा पर...

फिर तो वही होना था...पूजा सारा ग्लास खाली कर दी....और सब ताली बजा पूजा का स्वागत कर गानें की धुन पर झूमने लगे..अगले कुछ ही पल में छोटी बोतल की सील टूटी और फिर चली एक रंगीन रात का सफर...

पर अब इस सफर में सिर्फ श्याम ही थे...भैया के आज्ञानुसार बड़ी 2 पैग श्याम को पिलाती तो एक छोटी पैक पूजा की तरफ कर देती..पूजा तुरंत समझ
गई कि क्या होने वाला है अब...वो बस मुस्कुरा के रह गई...

अंत होते होते श्याम चारों खाने चित्त वहीं पर ढ़ेर हो गए...जबकि भैया की आवाजें लड़खड़ा रही थी पर होश में थे कि क्या कहना है और क्या करना है...मैं भी टुल्ल थी, आँखें नशे में कभी-2 बंद हो जाती थी पर फिर जोर से खोल कर जगने की कोशिश करती...जबकि पूजा तो बिल्कुल होश में थी..बस उस पर हल्की नशा थी..

श्याम के बेहोश होते ही भैया पूजा पर कूद गए और उसे वहीं जमीन पर लिटा किस करने लगे और चुची मसलने लगे...शायद अब वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे..अगले ही पल वो पूजा की समीज में अंदर हाथ घुसाकर चुची पकड़ने की कोशिश करने लगे...

पूजा चिल्लाने लगी कि फट जाएगी...मैं भी देखी तो वाकई काफी वहशी लग रहे थे भैया...मैं तेजी से उनके पास गई और उन्हें पकड़ती हुई बोली,"भैया, रूक जाओ ना...वो निकाल रही है कपड़े...तब तक इनको अंदर सुला आते हैं..."

मेरी बात सुनते ही भैया अपने दांत जोर से पूजा की चुची पर लगा दिए जिससे पूजा चीख पड़ी... और फिर उठते हुए बोले," जल्दी खोल शाली वर्ना बाद में कुछ मत कहना..." जिसे सुन पूजा मुँह बिचकाती हुई उठी और समीज सलवार खोलने लगी...

तब तक मैंने और भैया ने किसी तरह गिरते पड़ते श्याम को बेडरूम में लाए और उन्हें बेड पर पटक दिए...मैं एक बार भैया की तरफ देख हंस दी, फिर बाहर की तरफ चल दी कि अब भरपूर मजे लूँगी...

पर जैसे ही मेरी पहली कदम बढ़ी कि भैया के हाथ तेजी से मेरी ब्रॉ पर पड़ी और अगले ही पल ब्रॉ दो टुकड़े में बँट जमीन पर पड़ी थी...जितनी दिवानी मैं भैया से चुदाई की थी, उतनी ही उनके दरिंदगी की भी...

और फिर भैया कस के जकड़ते हुए अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए...मैं तुरंत ही अपनी सुधि खो बैठी और किस का साथ देने लगी...किस करते हुए मेरी आँखें बंद हो गई....जब काफी देर तक किस करने के बाद किस रूकी तो ये क्या? मैं श्याम के बगल में नंगी लेटी थी...पेंटी कब फटी, पता नहीं..

और भैया अपने सारे कपड़े जल्दी-2 खोल रहे थे...मैं एक बार सिहर गई कि अगर श्याम की नींद खुल गई तो....भैया जब पूरे नंगे हो गए तो नीचे झुक मेरी चुची चूसने और मसलने लगे...मैं सिसक पड़ी दर्द और मस्ती में...

किसी तरह अपनी सिसक को दबाती हुई बोली," भैया प्लीज, यहाँ नहीं..अगर ये जग गए तो..." मैंने अपनी बातें अधूरी छोड़ दी..भैया मेरी बात सुनते ही अपने मुँह ऊपर किए और बोले...

भैया : "हम्म्मऽ तो डर लग रहा है..."मैं उनकी बात सुन श्याम की तरफ देख डर से भयभीत चेहरे को हाँ में हिला दी...

भैया : "तो सुन, अगर मजे लेने हैं तो ये डर-वर निकाल दे अपनी जेहन से..क्योंकि इस गांड़ू की सुबह से पहले नशे फटने की उम्मीद नहीं...और आज तुम मेरी बहन नहीं, सिर्फ एक रंडी हो और मैं तेरा यार..समझी कुछ..अब चुपचाप मजे ले..."

भैया की बात सुनते ही मैं मुस्कुरा दी...उनकी बात मेरे दिल में चुभने की बजाय., मस्ती की लहरें जगा दी थी..तभी पूजा भी अंदर भैया से सटते हुई बोली,"और मैं...?" भैया पूजा को देख अपने लंड सहलाते हुए बोले," तुम इसकी कुतिया हो जानेमन...मेरी तो रंडी बनने लायक भी नहीं हो..." जिसे सुन हम तीनों हंस पड़े..

मेरी हंसी अभी रूकी भी नहीं कि भैया अपने तने हुए लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे मुँह में धकेल दिए...मैं चौंकी फिर सहज होती हुई अंदर कर ली...और ऊपर पूजा को जकड़ते हुए उसके होंठ पर टूट पड़े....

कुछ ही पलों में मैं जोर जोर से चुप्पे लगाने लगी जिससे भैया तड़प उठे और चीखते हुए गंदी-2 गालियाँ बरसाने लगे...

भैया : "आहहहहह मेरी रंडीईईईईईई..शाबासऽऽ ़ चूऊंऊऊऊऊससस छिनाललललऽ अपने पति को छोड़ मेरा लंड चूससस...आज तो खूब चोदूंगा तेरी चूत...ऐसी हालत करूंगा कि कुत्ते भी तेरी चूत देख हंस पड़ेगे....."
और ना जाने क्या क्या बक रहे थे...

कुछ ही पल में हम सब पसीने से तर बतर हो गए और भैया अकड़ने लगे...और फिर वही हुआ...झड़ने के कगार पर पहुँचते ही भैया ने अपना लंड तेजी से बाहर खींच लिए...पता नहीं क्यों? मैं रस पीना चाहती थी पर ऐन वक्त पर.....

और फिर बाहर निकाल सीधा मेरे चेहरे पर अपनी पिचकारी छोड़ने लगे...मैं आँखें बंद कर ली और मुस्काती हुई हर झटके से पड़ रही पानी का लुत्फ लेने लगी...हल्की चोट भी लग रही थी जो रोमांच पैदा कर रही थी...ऐसा नहीं था कि मैं गर्म नहीं हुई...मेरी चूत तो बाहर से ही कई दफा नदी बहा चुकी थी...

अब रस आनी बंद हो गई थी...तभी भैया की आवाज सुनाई पड़ी,"चल कुतिया., अपने मालिक का पानी चाट के खा जल्दी इसके चेहरे से..." और तभी पूजा की जीभ मेरे चेहरे पर फिसलने लगी...वो चटकारे लेती खाई जा रही थी...मैं आँखें बंद किए चटवा रही थी...

पूरी साफ करने के बाद पूजा एक किस दी जिसमें वीर्य की दुर्गंध आ रही थी, फिर उठ गई..तभी भैया ने उसे अगली हुक्म दे दी,"उस मादरचोद का भी चेहरा साफ कर दे छिनाल..." मैं सुनी तो होश ही उड़ गई...क्या श्याम पर भी...

मैं तेजी से आँखें खोली तो उफ्फ....श्याम का चोहरा भी पूरी तरह वीर्य से नहाया थी..मेरी तो हँसी निकल गई..पूजा एकटक भैया को देखे जा रही थी कि तभी चटाकऽऽऽ भैया ने उसकी चुची पर जोर से थप्पड़ जमाते उसे खींच कर श्याम के चेहरे के पास कर दिए...

बेचारी दर्द से कुलबुला गई पर क्या करती...अपनी जीभ अपने प्यारे भैया के चेहरे पर रख दी...और वीर्य खाने लगी चाट-2 के...

पूजा श्याम के चेहरे पर पड़ी एक-एक बूँद साफ कर रही थी और डर भी रही थी...तभी अचानक से मेरी बुर पर कुछ खुरदुरी चीज महसूस हुई..नीचे देखी तो आउच्चच...भैया मेरी बुर पर दांत गड़ा दिए जिससे मैं तड़प उठी...

भैया तेजी से अपनी जीभ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी थी जिससे मैं मचलती हुई उन्हें कभी रोकने की कोशिश करती तो कभी अंदर कर रही थी...अजीब हालात बन गई थी धोबी के कुत्ते की तरह..ना घर ना घाट के...

"आहहह सीताऽ" ये आवाज सुनते ही मैं और भैया एक साथ रूक गए और सांसें रोकती हुई घूमी...आवाजें श्याम की थी जो शायद पूजा की जीभ की गर्मी से जोश में आ गए थे...पूजा हक्की बक्की रोनी सूरत बनाई पसीने से तर बतर हो गई थी...

भैया हल्के से ऊपर उठे और श्याम को गौर से देखने लगे...हमारी नजर भी वहीं जम गई..अगर श्याम जग गए तो आज तो गई काम से...थोड़ी देर बाद श्याम सीताऽ..सीताऽ...कह फिर सो गए...

हम्म्म...थोड़ी राहत मिली कि वो होश में नहीं आए थे...बस शरीर की गर्मी मिलते ही वो जोश में आ गए थे और मुझे समझ नाम लेने लग गए..तभी भैया अपना हाथ बढ़ाकर श्याम की निक्कर एक झटके में नीचे कर दिए...

ओह गॉड...भैया की हिम्मत को देख दंग रह गई...पूजा की नजर श्याम के लंड पर पड़ते ही वो शर्म से अपना चेहरा ढ़ँक ली...पूरा तना हुआ आसमान की तरफ खड़ा था...मतलब जो अनुमान लगाई थी वो बिल्कुल सही थी मेरी...

तभी भैया पूजा का हाथ पकड़े और श्याम के लंड पर दबाते हुए बोले,"देख शाली, ये नशे में है...तुम चुपचाप इसके मजे ले लो..ऐसा मौका शायद फिर मिलेगा.." और फिर पूजा के बाल पकड़ श्याम के लंड पर झुका दिए..

पूजा बिल्कुल नहीं करना चाहती थी और वो ऊपर उठने के लिए जोर लगा रही थी..पर शराब की नशे और लंड की गंध पाते ही पूजा टूट कर बिखड़ गई...अगले पल ही श्याम का लंड अपनी प्यारी बहनिया के मुँह में था और अपने प्यारे भैया की जीभ पुन: मेरी चूत पर चिपक गई थी...

कुछ ही देर बाद कमरे में मेरी और भैया की सेक्सी तरंगे गूँजने लगी और पूजा पूरे जोर से अपने भैया का लंड चूसे जा रही थी...तभी भैया एक हाथ बढ़ा कुतिया की तरह झुकी पूजा की बुर पर रख दिए जो पहले से पानी छोड़ रही थी...

भैया की उंगली पूजा की बूर में शायद घुस गई थी., तभी तो पूजा बिल्ली की तरह उछल पड़ी..अब एक पल भी बर्दाश्त करना संभव नहीं था..मैं लगभग रोती हुई भैया से बोली," प्लीज, अब मत तरपाओ भैया..मरररर जाऊंगीईऽ"

जिसे सुनते ही भैया आँख लाल पीली करते बोले,"मादरचोद, मैं किसी रंडी का भाई नहीं हूँ...बोल अपनी कुतिया रंडी को चोदो..तब पेलूंगा हरामी..."

मरती क्या ना करती...बिल्कुल हू-बहू डॉयलाग बोल दी...जिसे सुनते ही भैया ऊपर मुस्काते हुए आए और अपना लंड मेरी बुर पर घिसने लगे...और लंड चूसने में लगी पूजा को घूरते बोले,"ऐ हरमिन, ये क्या रात भर चूसती ही रहेगी..नशे में है बिना चूत मिले नहीं झड़ेगा वो...चल उठ और चढ़ के चोद अपने यार को....

एक बारगी तो पूजा सहमी, फिर होंठो पर मुस्कान लाती उठ गई..शायद अब पूजा को भी मजा आने लगा था..वो दोनों तरफ पैर करके श्याम के लंड के सामने चूत कर नीचे बैठने लगी..मेरे हाथ अचानक श्याम के लंड की जड़ को पकड़ लिए ताकि पूजा इधर-उधर ना हो जाए...

भैया के 1-2-3 करते ही पूजा सीधी श्याम के लंड को जड़ तक निगल गई और ठीक उसी पल भैया भी अपना रामपुरी पूरी की पूरी मेरी नाजुक बूर में उतार दिए...मेरी और पूजा की एक साथ आहहह निकल पड़ी..

फिर चल पड़ा असली पार्टी का दौर जिसे हम सब शाम से इंतजार कर रहे थे...ये तो जानती थी कि आज की रात रंगीन होगी पर ऐसी हसीन होगी सोची भी नहीं थी...

भैया दनादन पेले जा रहे थे और मेरी बूर की धज्जियां उड़ाए जा रहे थे जबकि भैया का नाम सुनते ही बिदकने वाली पूजा मस्ती से कूद-2 कर श्याम का लंड अपने अंदर लिए जा रही थी...

समय ज्यों-2 बढ़ती जा रही थी, हम सब की गूँज उसी अनुपात में बढ़ती जा रही थी...भैया बीच बीच में कभी पूजा की तो कभी मेरी चुची पर चपत लगा रहे थे...एक बेड पर हम पति पत्नी दोनों चुद रहे थे...फर्क सिर्फ इतनी थी कि मुझे गैर मर्द मर्जी से चोद रहे थे जबकि मेरे पति को एक लड़की बेहोशी की हालत में चोद रही थी....

आखिर वो पल आ ही गई...इस तूफान की अंत घड़ी आ गई जो कि करीब आधे घंटे से हम सब इसका इंतजार कर रहे थे...एक तेज चीख गूँजी कमरे में जिसमे भैया,मेरी और पूजा की मिली जुली आवाज थी और एक साथ झड़ने लग गए...

श्याम भी बेहोशी की हालत में भी खुद पर काबू नहीं पा सके और आहहहह सीता कहते हुए पूजा की बूर में अपना पानी डालने लगे...जो पूरी तरह बूर से वापस बेड पर गिर रही थी..जबकि मेरी बूर में पूरी की पूरी बोतल जा रही थी...

और इस अनोखे पल की घड़ी रूकते ही भैया मेरे शरीर पर लद गए जबकि पूजा श्याम के शरीर पर...अब उसके चेहरे पर डर बिल्कुल नहीं थी..थी तो
बस असीम सुख वो भी चुदाई वाली....

हम दोनों की नजर एक बार मिली जिसमें पूजा थैंक्स बोलती नजर आई और फिर अपनी-2 आँखें बंद कर सुस्ताने लगी...


The Romantic
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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:12

सीता --एक गाँव की लड़की--24

अभी दस मिनट भी नहीं बीती कि भैया का लंड एक बार फिर से अंगराई लेता हुआ उठ गया...मेरी बूर पर उनके लंड की दस्तक हुई तो मैंने अपनी आँखें खोल दी...भैया भी सर ऊपर कर देख मुस्कुराते हुए बोले,"आज बिना कबाड़ा किए ये भी नहीं रूकने वाला है...."

और भैया उठते हुए पूजा की बाँह पकड़ अपनी तरफ खींच लिए और उसकी चूत में उंगली घुसाते बोले," अब तुम अपने प्राण प्रिय का लंड चूस,,तब तक मैं इस पूजा की मां चोदता हूँ..." ये सुनते ही मैं श्याम के लंड की हो गई और मुंह में गप्प से सोए लंड भर जगाने की कोशिश करने लगी...

पूजा की कुतिया की तरह करते हुए उसका मुँह बेड पर टिका भैया ने एक झटके में ही पूरा उतार दिए....पूजा की भयंकर चीख गूँज उठी जिससे मैं भी घबरा गई..उधर नजर की तो देखी मिशन शुरू हो गई तब तक और सटासट पेले जा रहे थे...

इधर मेरी कोशिश भी रंग लाई और श्याम का लंड एक बार फिर मिशन चुदाई के लिए तैयार था...मैं उधर देखी तो अभी भी खेल जारी थी...सोची वक्त क्यों जया करूँ और अपनी बुर को श्याम के लंड को सेंटर में मिलाती धम्म से बैठ गई...हल्की चीख के साथ मैं पूरी निगल गई थी...

और फिर मैं कूदने लगी...गाड़ी समान थी पर ड्राईवर अब चेंज थी...मैं अभी 10 धक्के भी नहीं लगाई थी कि पूजा हुंकार भरती हुई झड़ने लगी..जिसे देख भैया बोले,"मादरचोद मेरा अभी ठीक से एडजस्ट भी नहीं हुआ कि झड़ गई..." और फिर भैया बड़बड़ाते हुए अपना लंड खींच लिए जिसे देख मैं बोली,"आपका है ही इतना ताकतवर तो इसमें उसकी क्या गलती.."

भैया : " तू चुप छिनाल, पता है मुझे झड़ी चूत मारने में मजा नहीं आता...चल कोई बात नहीं है..तुम तो हो ना..."और भैया मेरी तरफ सरकने लगे...

पूजा : " भाभी, काफी दर्द कर रही है...आहहहहहह...मर जाऊंगी भाभीईईई..."
पूजा अचानक दर्द से कराह पड़ी...मतलब अब भैया के लंड उस पर असर करनी शुरू हो चुकी थी..मैं श्याम के लंड भीतर कर स्थिर हो भैया की तरफ देखनी लगी...

भैया मुझे अपनी तरफ देखते हुए पा, बाहर की तरफ निकले और कुछ ही देर में पानी और दवा ला पूजा को देते हुए बोले,"लो खालो, आराम हो जाएगा.." और फिर पूजा दवा खा फिर आराम करने लगी...

और फिर भैया बेड पर चढ़ मेरे पीछे आ मुझे आगे की तरफ झुकाते हुए बोले,"एक का तो काम हो गया, अब तो पूरी रात तुझे ही बजाऊंगा.." और फिर बिना श्याम का लंड मेरी बूर से निकाले अपना लंड मेरी गांड़ पर टिका दिए और रगड़ने लगे....ओह गॉड....पीछे करेंगे और एक साथ दो-2...

मैं कुछ कहती इससे पहले ही मेरी कोरी गांड़ में पूरी ताकत से लंड पेल दिए...मैं चीखती हुई श्याम के ऊपर धम्म से गिरी...दर्द से मैं तड़पने लगी और कोसने लगी कि क्यों नहीं कुछ देर रूक गई..अगर रूकती तो शायद गांड़ बच जाती...

अचानक एक और हमला हुआ और मैं बेहोश सी हो गई...बस सांसे चल रही थी और इतनी महसूस कर रही थी कि मैं चुद रही थी...

भैया : " शाबास...एक दम ताजी गांड़ मिली...बहनचोद मजा आ गया..कुछ तो मेरे लंड को नसीब हुआ...अब मजे कर सीता राण्ड...आज से तू परमानेंट रंडी बन गई..."

और फिर भैया कुछ रहमदिली दिखाते हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए...मैं कराहती हुई थोड़ी होश में आई पर इतनी हिम्मत नहीं कि कुछ रिएक्ट करूँ..बस शांत पड़ी धक्के खाने लगी...

तभी मेरे होंठ पर कुछ गीली महसूस हुई..आँखें खोली तो पूजा मेरे होंठ चूस रही थी...शायद पूजा को थोड़ी राहत मिल गई थी...कुछ ही पल में मेरी भी दर्द कम गई...जिससे मैं भी अब पूजा के किस का जवाब देती अपनी कुल्हों में हरकत करने लगी...

जिसे देखते ही भैया मेरी कमर पर दवाब बनाए और लगे दनादन पेलने...करीब 10 मिनट बाद भैया मेरी कसी गांड़ पर अपना लंड दबाते हुए जोर से चीख पड़े और अपना गरम लावा मेरी गांड़ में उड़ेल दिए...

और फिर लुढ़क गए हम सब..रात के करीब 2-3 बज रहे थे...और हम सब थक भी गए थे..सो भैया और पूजा दूसरे कमरे में,जबकि मैं वहीं पर सो गई...

सुबह सबसे पहले श्याम जगे...मेरी नींद तब खुली जब वो ऑफिस जाने के लिए तैयार मुझे जगा रहे थे...गुड मॉर्निंग किस आज उन्होंने ही दिया जिससे मैं मुस्कुराती हुई उठ गई...फिर वो लेट हो गया कह बाहर निकल गए...

फिर भैया व पूजा को जगा फ्रेश होने चली गई...सारा काम खत्म करने के बाद भैया एक-एक राउंड हम दोनों की चुदाई की और फिर विदा ले चले गए घर...

पूजा : "सच भाभी, मेरी तो जान निकाल दिए थे..ऐन वक्त पर मेडिसीन ना लेती तो शायद मैं जिंदा भी नहीं बचती...ओफ्फ...."

मैं हँसती हुई बोली," पागल है क्या, चुदाई से कोई मरती है क्या? वो तो उनके स्टाइल से दर्द हो रही थी...मेरी भी पहली दफा यही हालत हुई थी..आज भी है पर कम..."

और फिर इस तरह रात की हर पल की बातें करती रही और फिर सो गए...अचानक फोन की रिंग से मेरी नींद खुली..देखी उठा के तो अंकल का था...

मैंने तेजी से बैठते हुए पिक करती हुई नमस्ते की..अंकल भी प्यार से खुश रहने की दुआ कर बोले," कहाँ थी फोन रिसीव नहीं कर रही थी..."

"वो अंकल आराम कर रही थी.."

अंकल : "समय देखो, 5 बजने वाले हैं..रात में श्याम सोने नहीं देता क्या?"

अंकल की बात सुन मैं बिना जवाब दिए बस हँस दी...

"अंकल, आज तो इलेक्शन का रिजल्ट था ना..."मैं बातों को आगे बढ़ाती हुई पूछी..

अंकल : "हाँ, वही बताने तो फोन किया हूँ...अभी-2 वहीं से आया हूँ और पटना आ रहा हूँ...मैं एकतरफा बहुमत से जीत गया हूँ और इस जीत की पार्टी तुम्हारे साथ मनाने आ रहा हूँ.."

अंकल के शब्दों में अपार खुशी झलक रही थी..मैंने अंकल को हंसते हुए बधाई दी जिसे सुनते ही अंकल बोले," थैंक्स माई लव पर इतने से काम नहीं चलेगा अब..."

मैं अंकल के मंसूबे को पलक झपकते ही ताड़ ली और फिर थोड़ी इठलाती हुई बोली,"..तो फिर काम चलाने के लिए क्या करना होगा मेरे प्यारे अंकल.."

अंकल : "हम्म्म..समझदारी तो दिखाई हाँ कह के...बस ज्यादा नहीं, मेरे तोप की देखभाल करनी होगी और ये शुभ काम आज हुआ तो ठीक वर्ना कल निश्चित करना होगा..." और फिर अंकल हंस दिए...

"हम्म्म...ठीक है..पहले जल्दी से आ जाओ फिर अपनी ड्यूटी शुरू कर दूँगी.."मैं भी अंकल से बेहिचक बोल दी...जिसे सुन अंकल के मुख से एक ठंडी आहह निकल पड़ी और इधर मेरी बूर से...

2 घंटे में आने को बोल अंकल फोन रख दिए...मैं भी अंकल की चुदाई को याद करती मुस्कुरा दी...और फिर पूजा को उठाती फ्रेश होने बाहर निकल गई...

शाम में श्याम के साथ ही अंकल आए जिनके हाथ में मिठाई और गिफ्ट भरे थे...मैं तो मन ही मन सोच रही थी कि काश..आज भी छोटी पार्टी हो जाए...

पर नहीं हुई...खाना पीना के बाद अंकल आज यहीं रूक गए...अंकल और श्याम एक रूम में और पूजा मेरे साथ दूसरे रूम में चले गए...उन दोनों का तो पता नहीं पर हम दोनों की नींद आ ही नहीं रही थी..

बस करवट बदल रही थी और जब पूजा से नजरें मिलती तो आँखों ही आँखों बात करती कि ऐसा क्यों? कभी बाढ़ आ जाती तो कभी एक बूंद को तरस रही हूँ....

खैर, रात के 1 बजे करीब गेट पर हल्की दस्तक हुई...मैं झट से उठ गई..लगता है कि अंकल हैं...पूजा भी उठनी चाही पर उसे रोकती हुई बोली,"तुम रूको, मैं देखती हूँ...और श्याम को भी देख लूँगी..."

कहते हुए मैं उठी और गेट खोली..गेट खुलते ही मैं सन्न रह गई..सामने श्याम थे...शायद ये भी तड़प रहे होंगे...पहली बार साथ रहते अलग सोए हैं ना इसलिए..मैं तुरंत ही अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरती हुई पूछी,"क्या हुआ?"

श्याम धीरे से मुझे बाँहों में कसते हुए बोले,"तुम्हें भी नींद नहीं आ रही क्या..?" मैं उनके होंठों को चूमती हुई ना में सिर हिला दी...श्याम भी किस का जवाब देते मेरे होंठ चूसने लगे...

जब किस रूकी तो श्याम मेरे चेहरे पर आई बाल को पीछे कान पर ले जाते हुए बोले,"मैं तो सो जाता पर अपनी जान की फिक्र ने हमें सोने नहीं दिया.."

मेरे प्रति फिक्र देख मेरे अंदर ढ़ेर सारा प्यार उमड़ आया...मैं उनके सीने को अपनी जीभ से चाटने लगी...तभी श्याम मेरे कानों में फुसफुसाते हुए बोले,"भैया को मिस कर रही हो...?"

मेरी जीभ जस की तस रूक गई श्याम की बात सुनकर...ऐसा लगा मानों किसी ने विस्फोट कर दिया हो मेरे अंदर...क्या श्याम रात में.....मेरी आँखें छलक पड़ी और आंसे उनके सीने पर पड़ने लगी...

श्याम ने मेरे चेहरे को पकड़ सीधे किए जिससे मेरी आँखें बंद हो गई और लगातार आँसू निकली जा रही थी...फिर वो मेरे होंठ के पास अपने होंठ लाते हुए बोले...

श्याम : "ऐ सीता, रोती क्यों हो? ज्यादा कुछ मैं नहीं जानता...बस इतना जानता हूँ कि इस चारदीवारी के बाहर भी एक जिंदगी है...किसी की पत्नी के बाद भी तुम्हारी अपनी जिंदगी है...मेरी भी है...अब जिसे मैं प्यार करता हूँ,उसकी इच्छा-पसंद को मैं कैसे दबा सकता..फिर तो मेरा प्यार बेकार है...मैं तुम्हें दिल से चाहता हूँ सीता...और शायद तुम भी...तुम्हें जो भी पसंद हो बेहिचक करो पर मेरे प्यार को कभी चोट मत पहुँचाना...क्योंकि प्यार एक बार होता है और शारीरिक आकर्षण बार-बार...तुम्हारी आँखें जब देखता हूँ तो मैं दुनिया से चिल्ला कर कह सकता हूँ कि तुम मुझे बेइंतहा प्यार करती हो..और बाकी के लिए तुम्हारी नजरें सिर्फ शरीर की भूख मिटाने उठती है...ऐसा नहीं है कि तुम मेरे साथ भूखी रहती पर तुम्हारी भूख कुछ और है...ऐसा सिर्फ तुम्हारे साथ ही नहीं बल्कि कईयों के साथ होती है...मैं भी ऐसा ही हूँ...कभी बताने की हिम्मत नहीं पड़ती थी तुम्हारे प्यार को देखकर...मैं ड्यूटी के बाद रोज अपनी गर्ल-फ्रेंड के पास जाता हूँ..."

अब मेरी सिसकी रूक गई थी पर आँसूं बह रही थी...और सारा ध्यान श्याम की कही एक-एक शब्द पर थी....

श्याम : "कभी कभी गर्लफ्रेंड से जब ऊब जाता हूँ तो रेड लाईट भी चला जाता हूँ...मैं ऐसे हालात से अच्छी तरह वाकिफ हूँ...आज तुमसे मैंने ये बात कह डाली दिल काफी हल्का हो गया...पहले तो कभी-2 तुमसे नजरें भी नहीं मिला पाता था...खैर अगर ऐसे कहता रहा तो पूरी रात निकल जाएगी पर बातें खत्म ना होगी...अब अगर मेरी बात को समझ गई हो तो प्लीज माफ कर देना...मैंने ये बातें तुमसे छिपाई थी..."

मैं उनके माफी मांगने पर आश्चर्य से आंसू भरे चेहरे ऊपर कर उनकी नजरों में देखने लगी...वो मुस्कुराते हुए मेरे आँसू पोंछते हुए बोले,"ऐसे क्या देख रही हो? अब तुम कहोगी कि मैं भी तो नहीं बोली थी तो सुनो...मैं तुम्हें कब का माफ कर चुका हूँ...तुम्हारे कारण ही आज पहली बार सुकून मिल पाया दिल के बोझ हटाकर...अब जल्दी से माफ करो और एक किस दो...."

उफ्फ्फ...मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी ऐसा प्यार पा कर..आज मन हो रही थी कि शादी के बाद हुई सारी घटना बता दूँ...पर इतनी खुशी में मेरी आवाजे ही नहीं निकल रही थी...अगर गॉड अगले जन्म का प्यार मुझे दे देते तो वो भी न्योछावर कर देती....और अंतत: मैं रो पड़ी, फिर हँसी और अपने होंठ चिपका दिए....

सच अब महसूस कर रही थी कि मैं सीधे दिल से किस कर रही हूँ...पहले तो ऐसी सुकून कभी नहीं मिली थी...

कूछ देर बाद जब किस रूकी तो श्याम मेरी तरफ निहारते हुए मुस्कुरा रहे थे...मैं उनकी तरफ देखीतो मुस्कुराए बिना ना रह सकी...

श्याम : "अच्छा मैडम जी, अब मैं सोने जा रहा हूँ...मैं गहरी नींद में सो जाऊंगा..फिर आप चुपके से अंदर आना और अंकल को उठा के इधर ले आना...ओके.." और फिर श्याम जाने के लिए हल्की सी जोर लगाते मुझे हटाने की कोशिश किए...

पर मैं उनकी बात सुनते ही उनके सीने पर हल्की चपत लगाते पुन: चिपक गई और बोली,"मुझे नहीं जाना अब कहीं..."

श्याम : "अच्छा तो फिर बुलाई क्यों उन्हें...और शाम से आप दोनों की नजरें ताड़ रहा था...दोनों की आँखें कह रही थी काफी दिनों से प्यासी हूँ...अब ये झूठे नखरे बंद करो..."

मैं कुछ देर बिना कुछ कहे मुस्कुराती रही...फिर बोली,"अंकल के साथ आज पहली दफा होगी...थोड़ी सी शर्म आती है इसलिए...."

मैं पूरी बात कह भी नहीं पाई कि बीच में श्याम रोकते हुए बोले,"रियली...वॉव...फिर तो अंकल किसी स्वर्ग से कम नहीं महसूस करेंगे...प्लीज हाँ कह दो...मैं भी थोड़ी लाइव देख लूंगा अपनी जान की...."

"प्लीज...अब ऐसी बातें मत करिए वर्ना फिर से रो पड़ूंगी..."मैं रोनी सूरत बनाते हुए बोली तो श्याम हंसते हुए सॉरी बोल पड़े...फिर गुड नाइट बोले और चल दिए...

एक कदम चलने के बाद अचानक ठिठके और वापस मुड़ गए...फिर आगे बढ़ते हुए सीधे पूजा के पास पहुँच गए...पूजा के बगल में बैठते हुए मेरी तरफ देख बोले,"पता नहीं क्या हो जाता है मुझे...बार-2 मैं अपनी इस गुड़िया जान को भूल जाता हूँ..."

"वो सो रही है अभी तो छोड़ दीजिए ना उसे...कल याद कर लीजिएगा अपनी गुड़िया को..." मैं झूठी झूठ बोल के देखी...मैं भी जानती थी कि पूजा हम दोनों की बातें सुन रही थी...अब पूरी सुनी या नहीं पता नहीं क्योंकि हमलोग धीमे बोल रहे थे...

श्याम मुस्कुराते हुए "अभी दिखाता हूँ कि ये कैसी सो रही है.." कहते हुए पूजा की बाँह पकड़े और औंधें मुँह कर सो रही पूजा को सीधे चित्त कर दिए...वॉव..ये तो सचमुच सोने का नाटक कर रही थी या सच में सो गई...कह नहीं सकती..

तभी श्याम ने पूजा की एक चुच्ची की निप्पल पकड़े और कस के उमेठ दिए...पूजा "ओह नो भैया" कहती हुई चीख पड़ी...चीख इतनी तेज नहीं थी कि कि आवाज रूम से बाहर निकलती...शायद पूजा अपनी चीख दबा दी थी...और फिर पूजा हँसती हुई अपने चेहरे को ढ़ंक ली...

फिर श्याम मेरी तरफ देख हंस पड़े...मानों कह रहे थे कि देखी, कितना सो रही थी...फिर आगे बढ़ पूजा के शरीर पर लद गए जिससे पूजा के चेहरे के ठीक सामने उनका चेहरा आ गया...फिर पूजा के हाथों को पकड़ दोनों तरफ कर बोले,"वाह मेरीशाली, रात में तो बड़ी मजे ले रही थी..अब जब मेरी बारी आई तो शर्माने की नाटक कर रही है..."

उनकी बात खत्म होते ही मैं बोल पड़ी,"ऐ...ये आपकी शाली कब से हुई...सेक्स अपनी जगह और रिलेशन अपनी जगह..समझे..."

श्याम : "आज से....क्योंकि तुम दोनों कहीं से भी ननद-भाभी नहीं लगती...बिल्कुल सगी बहन लगती...तुम किसी से भी पूछ लो..."

"अच्छाऽ तो जनाब यहाँ तक पहुँच गए...चलिए अब उठिए और जाइए सोने...बाकी बात कल कीजिएगा अपनी शाली से..."मैं समझ गई कि अब ये पूजा को तंग करेंगे उल्टी सीधी बोल के...

श्याम : "क्यों, ज्यादा खुजली हो रही है क्या अंदर जो अंकल के लिए उतावले हो रही हो.."
उफ्फ...क्या बोल दी...मैं थोड़ी नाराजगी में उनकी तरफ देखी और फिर बेड पर चढ़ सोती हुई बोली,"गुड नाइट..अब आप जितनी देर तक हो, आराम से बात करिए अपनी पूजा शाली से..." और मैं आँखें बंद कर सोने का नाटक करने लगी...

श्याम : " ओहो नाराज क्यों होती हो..जा रहा हूँ बाबा...बस पूजा को गुड नाइट किस करने आया था..."

और फिर किस करती हुई मालूम होते ही मैंने देखी तो दोनों आराम से किस कर रहे थे...कुछ देर किस करने के बाद श्याम मेरे चेहरे को अपनी तरफ कर गुड नाइट किस दिए और बोले,"आ जाना कुछ देर में...ओके..."

मैं मुस्कुराती हुई हाँ में सिर हिला दी...फिर पूजा की तरफ देखते बोले,"शाली जी, थोड़ा अपने जीजू के लिए भी बचा के रखिएगा...ओके..." जिसे सुन पूजा हँसती गुई अपनी आँख खोल दी...

फिर श्याम बेड से उतर गए और बाहर की तरफ चल दिए...तभी पूजा पीछे से बोली,"जीजू...."

पूजा की आवाज सुनते ही श्याम एकाएक रूक गए और मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ र देखने लगे..उनके पीछे पलटते ही पूजा एक फ्लाइंग किस उनकी तरफ उछाल दी...श्याम कैच करते हुए अपने दिल से लगाए और फिर एक फ्लाइंग किस देते हुए बाहर निकल गए...


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