सीता --गाँव की लड़की शहर में compleet

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The Romantic
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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:15

सीता --एक गाँव की लड़की--28

मैं और पूजा कुछ ही पलों में आंटी के सामने खड़ी थी...आंटी एक बहुत ही गद्देदार डबल बेड पर दीवाल के सहारे बैठी पान चबा रही थी...उनका रौबदार चेहरा देखते ही हम दोनों एक-दूसरे का हाथ डर से पकड़ लिए...

श्याम जाते ही आंटी के बगल में लगी कुरसी पर बैठ गए...मेरी नजर तभी दूसरी तरफ गई जहाँ बेंच पर दो लड़की बैठी थी...बिल्कुल बदसूरत...शायद इसलिए दोनों अभी तक बैठी ही थी...

"ऐ छोकरी, जा के उधर बैठ ना..." आंटी हम दोनों को उसी बेंच पर बैठी लड़की की ओर इशारा करती हुई बोली...जितना दिखने में भयानक लग रही थी, उयये भी डरावनी तो उनकी आवाज थी...पलक झपकते ही हम दोनों उन दो लड़कियों के बगल में थी...

उफ्फफ...कितनी गंदी परिवेश में रहती है ये दोनों...मैं एक नजर बगल में बैठी दोनों लड़की पर डाली,फिर सीधी हो आंटी की तरफ देखने लगी...श्याम के साथ वो हंस हंस के पहले तो हाल समाचार पूछी... शायद श्याम भी कई दिनों बाद आए थे...

फिर हम दोनों की तरफ इशारा करती हुई पूछी,"कहां से फंसा के लाए इन दोनों चिड़िया को..दिखने में तो सुंदर है..लगती नहीं कि कहीं कोठे पर रहती है..." श्याम आंटी की बात सुन हम दोनों की तरफ मुड़ कर देखने लगे...

श्याम: "बिल्कुल सही आंटी...ये कोठे पर नहीं रहती...ये एक होटल के सम्पर्क रहती है...फिर आपकी मर्जी आप होटल में करें या फिर अपने घर बुला ले...बंगाल की है दोनों...वहां एक दोस्त की दोस्ती उसी होटल वाले से है तो उसी ने भिजवाया है..सुबह चली जाएगी..."

आंटी: "ओहो...तो ये बात है...हाई प्रोफाइल है..." कहती हुई आंटी मुस्कुरा पड़ी जिसके साथ श्याम भी हंस पड़े...हम दोनों अपने बारे में ऐसी बाते सुन काफी कसमसा रही थी...बूर में खुजली काफी बढ़ गई थी...

तभी आंटी हम दोनों को अपनी तरफ आने का इशारा की...थोड़ी डर लगी कि पता नहीं क्यों बुला रही है...पर बिना कोई सवाल किए उनके सामने जा कर खड़ी हो गई...

आंटी: "देख,पैसे तो मिल ही गई है तो मैं कह रही थी कि अब इतनी दूर आ ही गई हो तो कुछ मजे भी ले लो...आज मेरे कोठे की रंडी के परिवेश में चुदवा ले...काफी मजा आएगा...और दिन तो जींस पहन के चुदती ही,आज नया करने का मौका मिला तो इसका भी मजा ले लो..."

मैं आंटी की बात से भौचक रह गई और पूजा की तरफ देखने लगी...पर पूजा को जैसे ये मंजूर थी...वो बस मुस्कुरा रही थी...

"तुम्हें कोई दिक्कत है क्या..." तभी आंटी की तेज आवाज मेरे कानों में गूँजी, जिससे मैं हड़बड़ती हुई नहीं में मुंडी हिला...तब आंटी "हम्म्म" करती हुई मुझे ऊपर से नीचे तक देखी...

"ऐ झुनकी,जा इन दोनों को अंदर ले जा और वो कपड़े दे देना...जा पहन के आ जा..."आंटी सामने बैठी एक लड़की को बोलती हम दोनों को जाने कह दी...वो लड़की उठी तो हम दोनों उसके पीछे हो लिए...

अंदर की रूम कुछ ही दूर गलियारे क्रॉस कर थी...इन गलियारे से गुजरते जब दूसरे रूम के गेट के पास से गुजरती तो अंदर से चुदाई की आवाज साफ सुनाई पड़ रही थी...कुछ के तो गेट भी खुली थी जिससे अंदर हो रही चुदाई साफ दिख रही थी....

अंदर पहुंचते ही झुनकी ने दो ड्रेस सामने आलमारी में से निकाल कर दे दी...मैंने ड्रेस उठाई...ड्रेस देखते ही मेरी भौंह सिकुड़ गई..एकदम मैली-कुचली छोटी सी चोली और घुटने तक ही आने वाली छोटी सी घांघरा..वापस रख टी-शर्ट जींस खोलने लगी...

मैं और पूजा कुछ ही पलों में एकदम नंगी खड़ी थी...सामने एक अंजान लड़की थी,जिसकी परवाह किए बिना ही नंगी हो गई...अब तो जब तक यहां हूँ,शर्म को सोच भी नहीं सकती थी...मैंने घांघरे पहनती हुई झुनकी से पूछी,"आज तुम खाली ही हो क्या...?"

झुनकी: "हाँ, शाला अपुन की फेस मर्द लोग को पसंद ही नहीं आती...देर रात तक अगर कोई आ जाता है तो खाने के पैसे मिल जाते हैं, नहीं तो भूखा ही रहना पड़ता...आज भी लगभग यही हालत है..."

मैं उसकी बात सुन थोड़ी भावुक जरूर हो गई, पर बिना कुछ बोले अपने काम में लग गई...चोली तो इतनी तंग आ रही थी कि मानों सीने की हड्डी टूट रही हो...और आधी चुची तो बाहर ही निकली थी...पूजा की भी यही हालत थी....

जींस टीशर्ट वहीं पर तह लगा कर रख दी और झुनकी को चलने की बोल दी...झुनकी के साथ हम दोनों बाहर की तरफ निकल गई...काफी अजीब लग रही थी ऐसे कपड़ों में...खुद को नंगी ही महसूस कर रही थी..

कुछ ही देर में हम सब आंटी के करीब थी..जहाँ श्याम के साथ एक और व्यक्ति बैठा था..मैं तो शर्म से लाल हो गई अंदर ही अंदर. जिसे बाहर नहीं निकलने दी...वो भी हिष्ट-पुष्ट शरीर वाला था श्याम की तरह पर रंग का पूरा काला था...

मैं उस पर एक नजर डाली और फिर सीधी उसी बेंच पर आ बैठ गई एक रंडी की तरह...तभी उस काले की नजर हम पर पड़ी...वो एकटक देखता ही रह गया...उसके मुख से वाह निकल पड़ी...

"वॉव आंटी,क्या माल मंगाई हो...आंटी इसी में एक को दे दो आज...मजा आ जाएगा..." वो काले हम दोनों की आधी नंगी चुची को देख जीभ फेरता हुआ बोला...जबकि श्याम भी हम दोनों को ऐसे रूप में देख अपने लंड पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे...

आंटी: "अए-हए ठिकेदार साहब...पानी निकल गया क्या...पूरे 3 हजार लेती है एक...चाहिए तो रूपए दो मेरी कमिशन सहित और ले जाओ किसी एक को...काहे कि एक तो श्याम ले जा रहा है...दोनों ले जाता ये पर तुम बोल दिए तो नाराज नहीं करूंगी तुम्हें..."

ये क्या..सौदा भी होने लग गई...मैं और पूजा एक दूसर को देख श्याम की तरफ देखी...हम दोनों हैरान थी...यहाँ सिर्फ श्याम के साथ करने आई थी पर यहाँ तो सच की रंडी बन गई..श्याम हम दोनों की तरफ देखते हुए आंटी से बोले....

श्याम: "आंटी, एकदम सही बोली..जैसा मैं,वैसा ये...ये भी चाहते हैं इनमें से ही एक को तो जरूर दो...वैसे ठिकेदार साहब, मैं इन दोनों को सिर्फ अपने लिए मंगाया था...पर अब आप भी कह रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं हमें...पसंद कर लो कोई..."

मतलब श्याम भी चाहते थे पूरे मजे देने और लेने की...हम दोनों श्याम की बात सुन सोची जब इन्हें कोई दिक्कत ही नहीं तो मैं क्यों ज्यादा सोचूं...हाँ, अब नए लंड चखना किसके नसीब में है, वो देखना शेष है...

तब तक वो काला तेजी से हम दोनों के पास आ गया..फिर उसने एक साथ हम दोनों को खड़ा किया और ऊपर से नीचे तक शरीर के एक-एक अंग को गौर करने लगा कि कौन बेस्ट है...वह हम दोनों को देख गोल गोल चक्कर लगाने लगाने...

एक चक्कर लगाने के बाद वो हंसता हुआ बोला,"यार कुछ समझ ही नहीं आता कि कौन बेस्ट है..." जिस पर आंटी और श्याम हंस पड़े...हम दोनों की भी मुस्कानें आ गई होठों पर...तभी आंटी बोली,"अरे तो ज्यादा क्या सोचता है...कोई एक ले ले..."

तभी वो हम दोनों के बीच में घुसा और अंतिम बार एक-एक नजर हम दोनों पर डाला और मेरे कंधों पर हाथ रख सीधा एक चुच्ची को मुट्ठी में कसता आगे बढ़ श्याम के पास रूकते हुए बोला,"दोस्त,मैं इसे ले जा रहा हूँ..तुम उसे ले जाओ...काफी मुश्किल है इन दोनों में से एक को चूज करना..."

श्याम ओके कहते हुए उठे और पूजा को भी ठीक मेरी तरह चुची पकड़ कंधे पर हाथ रख ले आए...

आंटी: "ऊपर एक कमरा खाली है कोने वाली...उसी में चले जाओ दोनों...और सब तो बुक है..."

श्याम: "फिर तो और मजा आएगा आंटी...एक ही कमरे में...मन हुआ तो अदल बदल कर लूंगा...हा..हा..हा..." और फिर सब हंस पड़े..हम दोनों भी हल्की दबी हंसी हंस दी....

कुछ ही देर में हम दोनों अपनी चुचियाँ मसलवाते रूम में घुस गए...रूम में आते ही श्याम पूजा को स्मूच किस करने लगे...जिसे देख मैं गरम हो अपने पार्टनर की तरफ देखने लगी...

"ओए, ये क्या कर रहा है...ये सब रण्डियाँ पता नहीं कैसा-कैसा लण्ड अपने मुंह में लेती है और तुम इसे किस कर रहे हो...संभल के करो यार..कहीं कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे..."तभी काले आदमी श्याम को टोकते हुए बोला...हम दोनों तो गस्से से लाल हो गई पर क्या कर सकती थी...अगर डगह दूसरी होती तो इसे पास फटकने भ नहीं देती...

श्याम किस रोकते हुए बोले,"क्या बोलते हो यार...ये औरों की तरह गंवार रंडी लगती है क्या जो खुद को ढ़ंग से साफ भी नहीं रखती...ये शिक्षित हैं जनाब जो इंफेक्शन का पूरा ख्याल करती है और उससे हर वक्त बची रहती है...तभी तो इतने पैसे दिए हैं कि हर तरह से मजे लूँ...यहाँ की रंडी की तरह नहीं जिसे सिर्फ चोदो वो भी कंडोम लगा के...समझा कुछ..."

श्याम की बात उसे बड़ी तेजी से समझ आ गई और बिना कोई जवाब दिए अपना कड़क होंठ मेरे नर्म होंठो पर रख दिया..ओफ्फ्फ...कितनी खुरदुरी लग रही थी..मैं इस खुरदुरेपन से तुरंत ही अपनी बूर से पानी छोड़ने लगी...

कुछ ही पलों में मेरी चोली खुल गई और नंगी चुची उसके हाथों में समा गई...वो पूरी दरिंदगी से चुची मसलता हुआ मेरे होंठ को तरबतर कर रहा था...

कोई 5 मिनट तक चुसाई रगड़ाई करने के बाद वो किस तोड़ते हुए बोला,"मादरचोद, मेरा लंड दर्द करने लगा...पहले इसका दर्द कम करो चूस के...फिर किस करते हुए चोदूंगा.." और उसने तेजी से अपने कपड़े खोल कर फेंक दिए...

इस बीच मेरी नजर पूजा की तरफ गई जहाँ वो दोनों अभी भी किस में डूबे हुए थे...पर अब वो बेड पर थे लेटे...पूजा की भी चुची नंगी थी जिसे श्याम मसले जा रहे थे...अगले ही पल अचानक मेरे बाल जोर से नीचे की तरफ खिंची और मैं चीखती हुई धम्म से नीचे बैठ गई...

मेरी चीख से श्याम और पूजा अचानक ही किस तोड़ते हुए मेरी तरफ देखे..तब तक काले आदमी का कोयलों से भी काली और धनुषाकार विकराल लंड मेरी गोरी-चिट्टी मुंह में अकड़ने लगी...मैं अपनी मुंह को आगे पीछे कर इस टेढ़े लंड को एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी...

मेरे मुंह में लंड को देख पूजा उठी और एक ही प्रयास में अपने भैया का पूरा लंड गटक गई...और फिर अपने मुख से अपने भैया के लंड की सेवा में जुट गई...

तभी इधर इस काले ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ा और मेरी मुंह में ही कस कस रे धक्के लगाने लगा और ढ़ेर सारी गंदी गंदी गाली सुनाने लगा...बगल में पति के सामने गाली सुन मैं काफी गरम हो गई और गूं गूं की आवाज तेज कर दी ताकि श्याम भी सुने कि उनकी बीवी आज रंडी बन के चुद रही है कोठे पर...

कुछ ही देर में टेढ़ी लंड से मेरी मुंह दुखने लगी...उसका लंड मेरे मुख में और टेढ़ी होती जा रही थी जिससे अब ऐसी महसूस हो रही थी कि मेरी तालु में छेद हो जाएगी...

अब वो धक्के नहीं लगा रहा था...मैं इतनी देर में दो बार पानी बहा चुकी थी...और मैं अपने हाथ उसके अण्डों पर रख खुद ही आगे पीछे हो रही थी...मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर घिसती तो वह कराह उठता...तभी वो एक गहरी चीख के साथ दांत पीसते मेरे सर को झटक अपने लंड से दूर कर दिया...

मैं अपनी जीभ ललचाती हुई ऊपर की तरफ उसकी आँखों में देखने लगी...वो झड़ा नहीं था पर उसके लंड के ऊपरी भाग से प्रीकम साफ दिख रही थी बहती हूई और पूरा लंड मेरी थूक से भींगी...

वो हांफता हुआ मेरी तरफ लाल आँखें किए देखते हुए बोला,"मस्त रांड है तू तो...क्या चूसती है शाली...नस नस ढ़ीला कर दिया...आज पहली बार तेरी मुंह में ही झड़ने के कगार पर था...चल बेड पर अब, देखता हूँ मेरा लंड तेरी बूर को कितना सह पाता है..."

मैं इस खेल में अपनी जीत देख गदगद हो गई और उठती हुई घाघरे को अपनी कमर से वहीं पर नीचे कर दी और बेड की ओर चल दी...बेड कोई गद्देदार नहीं थी...बस एक पतली सी चादर बिछी थी जिस पर इस वक्त मेरे पति अपनी बहन को अपना लंड चुसवा रहे थे...वो दोनों बीच में थे...

मैं उनके पास पहुँची और पूजा की पीठ पर हाथ रखती हुई बोली,"पूजा, उधर खिसको...लेटना है हमें.." पूजा मेरी बात सुन लंड से मुंह हटा सीधी हुई और मुस्काती हुई बोली,"ओके दीदी..." जबकि श्याम मेरी नंगी गोरी जिस्म को देखे जा रहे थे जिसे एक काले भुजंग और चौड़ी छाती वाले नंगे मर्द ने पीछे से पकड़ सहला रहा था...उसका काला लंड मेरी गांड़ के नीचे से होती ऊपर की तरफ घूम के गोरी बूर पर ठुनके लगा रहा था...

श्याम खिसकने के बजाए उठ गए और पूजा को अपनी जगह पर लिटाते हुए बोले," तू भी बहुत सेवा की अपने मुख से...अब अपनी बूर से मेरे लंड की सेवा कर मादरचोद पूजा रंडी..." पूजा के साथ साथ मैं भी उसके बगल में हल्की हंसी हंसती लेट गई...

फिर दोनों एक साथ अपना-2 लंड पकड़ हम दोनों की बूर पर रख रगड़ने लगा...अपना लंड रगड़ते हुए वो काला आदमी पूछा,"और तेरा क्या नाम है कुतिया..? " मैं लंड की गरमी बूर पर पा आहें भरती हुई "सीता" बोली...

तभी श्याम बोले,"ये दीदी कहती है तुम्हें...तुम दोनों सगी बहन हो या फिर धंधे में बनी हो..." हम दोनों की तो हंसी भी निकल रही थी कि शाला कितना एक्टिंग करता है...इसे तो फिल्मों में रहना चाहिए... तभी पूजा सिसकती हुई बोली,"हाँ,हम सगी बहन हैं..."

पूजा की बात खत्म होते ही दोनों मर्द एक साथ मेरे शरीर पर दबाव डालते अपना लंड जड़ तक पेल दिए...हम दोनों एक साथ चीख पड़ी...ये सच्ची वाली दर्द की चीख थी...अपने दर्द को कम करने मैं और पूजा एक दूसरे को किस करने सगी...

"तभी तो शाला मैं कन्फ्यूज हो गया चूज करने में...वाह मजा आ गया यार...हम दोनों एक ही बेड पर दो सगी रंडी बहन को चोद रहा हूँ..." मजे में डूबता वो काला आदमी मेरी बूर में धक्का लगाते हुए बोला...

"हाँ यार..और शाली अपनी बूर का भी काफी मेंटेन करती है..इतनी कसी बूर आज तक किसी रंडी की नहीं देखी..." श्याम बगल में पूजा को धक्के मारते हुए बोले...जिससे वो आदमी हाँ में अपनी सहमति कर दी...

कुछ देर तक इसी तरह मैं और पूजा चीखनी बंद कर, सिसकती हुई चुदती रही..और दोनों मर्द एक साथ गाली बकते हुए चोदे जा रहे थे...हर धक्के पर बेड चरमरा जाती थी...नीचे की चादर कब सिमट गई मालूम नहीं..हम दोनों अब बेड की लकड़ी पर थी जो चुभ रही थी...पर ये चुभन बूर में डाती लंड के माफिक कुछ भी नहीं थी...

तभी अचानक से मेरा ग्राहक मेरी बूर से अपना लंड खींचा और बेड से उतर गया..मैं उसकी तरफ प्यासी नजरों से देखने लगी कि क्यों चला गया...फिर वो अपनी पेंट से एक 500 का नोट निकाला और वापस आते ही मेरी बूर में लंड पेलता हुआ बोला,"आज मैं बहुत खुश हुआ तेरे से...ले अपना इनाम..." और फिर उसने 500 का नोट मेरे मुंह में फंसा दिया...मैं नशीली आँखों से मुस्काती हल्के दांतो से नोट दबा ली...

उधर श्याम भी देखा देखी एक 500 का नोट पूजा के भी मुंह में फंसा दिए...अब हम दोनो रंडी के मुंह में बूर की इनाम थी...और फिर लगे दोनों धड़ाम-2 शॉट मारने...हम दोनों की नस ढ़ीली हो गई करारे शॉट से...

काफी देर तक पोज बदल बदल कर चोदते रहे...कभी कुतिया बनाकर तो कभी घोड़ी बनाकर...कभी मुझे नीचे करते तो कभी खुद नीचे रहते...इन सब के दौरान नोट एक बार भी मुंह से नहीं हटाई...जिससे वो दोनों और जोश से पेलते...

अंततः उनका पतन हो ही गया...जीत की पतन थी ये...एक साथ दोनों चीखते हुए हम दोनों की बूर में अपना पानी उड़ेलने लगे...बूर में जाती गर्म पानी से हम दोनों पूरी तरह बेहोश हो गई और नोट मेरे मुख से निकल गालों बगल में गिर गई...पूजा भी बेहोश हो गई थी...

और हम दोनों बेहोशी की हालत में ही फ्रेंच किस कर रही थी..और दोनों मर्द पूरा लंड खाली करने के बाद औंधें मुँह लद गए हमारे शरीर पर...काफी देर तक सुस्ताने के बाद जब हम सब उठे तो वो काला आदमी मेरे होंठों पर किस करता हुआ थैंक्स बोला...पता नहीं क्यों...शायद आज वो पूरी तसल्ली से चोदा और खुश हुआ इसलिए...

फिर वो अपना कपड़े खोज पहनते हुए बोला,"गजब की हो यार तुम दोनों...लग ही नहीं रहा था कि रंडी चोद रहा था आज...बिल्कुल बीवी या gf की तरह महसूस हो रही थी...एक ही बार में पस्त कर दी...अब तो 5 दिन तक आराम से मस्ती में रहूँगा..."

श्याम भी हाँ कहता हुआ अपने कपड़े पहनने लगे..हम दोनों भी मुस्काती हुई उठी और कपड़े पहनी और सब साथ निकल गए...

_____[....क्रमशः]_____


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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:16

सीता --एक गाँव की लड़की--29

हम चारों अस्त-व्यस्त खुद को ठीक करते हुए आंटी के पास पहुँच गए...आंटी हम सब की तरफ देख मुस्कुरा रही थी...उसने उस काले की तरफ देख बोली,"कैसी थी टेस्ट? दिल खुश हुआ कि नहीं..."

"पूछो मत आंटी, सीधा स्वर्ग में पहुंच गया था...एक ही बार में पस्त हो गया..."काले आदमी ने अपनी व्यथा कहते हुए कुर्सी पर बैठ गया...मैं और पूजा कपड़े चेंज करने चेंजिगरूम की तरफ जाने से पहले इनाम के पैसे आंटी की कर दी...

आंटी: "अरे वाह..तोहफा भी मिल गई..बहुत ज्यादा खुश कर दी क्या रे छोरी.." आंटी की बात का कोई जवाब सिर्फ मुस्कुरा कर दी और वापस चेंजिग रूम की तरफ बढ़ गई...कुछ ही पलों में हम दोनों अपने कपड़े पहन चलने के लिए आंटी के पास खड़ी थी...

आंटी: "ऐ, तू मेरे यहाँ काम करेगी...तेरे बंगाल से ज्यादा पैसे दिलवाउंगी दोनों को...यहां सब गोरी चमड़ी के दिवाने होते हैं..." मेरी तरफ देख आंटी पूछी...मैं उनकी बात सुन पूजा की तरफ देखने लगी...

"नहीं आंटी, मैं यहां नहीं रह सकती...काफी दिनों से इनके दोस्त कह रहे थे तो बड़ी मुश्किल से शादी का बहाना बना आई हूँ...सुबह तक यहाँ से निकल लूंगी नहीं तो मेरे शकमिजाजी पति हम दोनों की खैर नहीं छोड़ेंगे..."श्याम की तरफ देख मुस्काती हुई मैंने सरासर इस नाटक में भागीदरी कर ली...जिससे श्याम मंद मंद कुटिल हंसी हंस रहे थे...

आंटी:" ओह...मतलब पति प्यास नहीं बुझाता तो चोरी से करती है...अच्छा है...प्यास भी बुझ जाती और पैसे भी..." आंटी कहते हुए पैसे की बंडल मेरी तरफ बढ़ा दी जो काले आदमी ने दिए थे...मैंने पैसे लिए और उनमें से इनाम की राशि निकाल बेंच पर बैठी दोनों लड़की की तरफ बढ़ा दी...

सब अचानक मेरी इस हरकत से भौचक्के हो देख रहे थे..उन दोनों को भी विश्वास नहीं हो रही थी..वे बस मेरी तरफ टकटकी लगाए घूरे जा रही थी...वो लेने के हाथ ही नहीं खोल रही थी तो मैंने खुद आगे बढ़ वो रूपए उसकी चोली में घुसेड़ती हुई बोली...

"जब काम नहीं मिली तो भूखी थोड़े ही रहेगी..., मदद के तौर पर रह ही रख लो...अपनी बिरादरी की है तो ऐसे नहीं देख पाई...चलती हूँ अब..अपना ख्याल रखना..."कहती हुई मैं वापस मुड़ी और श्याम से चलने बोली...

पर सब तो बस घूरे ही जा रहे थे...बिना कोई जवाब दिए श्याम उठ गए...और वो काला आदमी सबसे पहले ही निकल गया...आंटी भी पता नहीं क्यों पहली बार बेड से उतरी और बोली,"रूको,गाड़ी मंगवाए देती हूँ...स्टेशन तक छोड़ देगा..."

मैं मना की पर वो नहीं मानी...कुछ ही देर में गाड़ी में बैठ हम तीनों आंटी से विदा ले स्टेशन पर आ गए...गाड़ी के वापस जाते ही श्याम ने एक गाड़ी की और एक घंटे में हम घर पहुंच गए...घर पहुँचते ही हम सब ने खूब हंसी आज की यादगार मूवी को याद कर....फिर हम तीनों एक ही बेडरूम में घुस पसर गए...

सुबह में घंटी की तेज आवाजों ने मेरी नींद तोड़ ती..मैं उठी तो ये क्या...श्याम पूजा पर चढ़े अपना लंड उसकी बुर में पेले जा रहे थे और पूजा भी मस्ती में चिल्लाए जा रही थी...मैं तो गुस्से से भर गई कि बेल कब से बज रही है और ये दोनों चुदाई में लगे हैं...

मैंने श्याम की पीठ पर एक मुक्का जमाती हुई बोली,"बेल सुनाई नहीं दे रहा क्या? दूध लेने चले जाते तो ये भाग जाती क्या..?" श्याम मुक्के की चोट से आह भर हंसते हुए बोले,"भाग तो नहीं जाती पर अगर लंड शांत हो जाता तो...."

मैं उनकी बातों से हल्की मुस्काती हुई बेड से उतरती हुई बोली,"हाँ तो कोई बात नहीं...वो दूधवाला देखेगा कि रोज सुबह मैं ही आती हूँ और तुम दोनों सोते ही रहते हो तो किसी दिन मौका पा कर आपकी बीवी चोद देगा तो बाद में दोष दूधवाले का मत देना.."

श्याम मेरी बात सुन पूजा को जोरदार धक्के लगाते हुए बोला,"कोई बात नहीं...हम दोनों तो फायदे में ही रहूंगा...मेरे दूध के भी पैसे बचेंगे और तुम्हें नए लंड मिल जाएंगे...जाओ जल्दी चुदवा के ही आना..."

श्याम अपनी बात कह हंस पड़े जिससे पूजा भी आहहहह कहती हुई हंस पड़ी...मैं उन दोनों के कान एक साथ पकड़ती हुई बोली,"तुम दोनों को हंसी आ रही है..अब तो सच में चुदवा के ही आऊंगी..." और फिर उनके कान मरोड़ कर छोड़ दी जिससे दोनों की एक साथ ईससससऽ निकल पड़ी...

मैं फिर बाहर निकल किचन से बर्तन लेती चाभी ली और चल दी बाहर...मेन गेट खुलते ही दूधवाले से नजर मिली तो हम दोनों की अनायास मुस्कान निकल गई...फिर दूधवाले ने दूध माप के दे दिया...मैं दूध ले उसकी तरफ देखी और अंदर ही अंदर मुस्काती हुई वापस मुड़ गई बिना कुछ कहे...

दूधवाला: "आज क्रीम नहीं लोगी मैडम..? आज भी एकदम ताजा है..सोचा आपको दे दूँ फिर किसी और को दूँगा..." दूध वाले मुझे जाते देख बोला...जिससे मैं हल्की रूकी और सड़क पर दोनों तरफ देखी...रूम मालिक को देख रही थी वरना फिर कहीं वो बात करते भी देख लेता बेवजह तो परेशानी में डाल देता...

पर वो कहीं नहीं दिखा तो उसके धोती में फड़फड़ा रहे लंड को देखती बोली,"अब नहीं लेनी, कल रूम मालिक को शक हो गया था...अब कहीं दुबारा शक हुआ तो मुसीबत हो जाएगी...वैसे आपकी क्रीम बेस्ट थी...लेकिन क्या कर सकती...सो अब बस काम से काम रखिएगा..." और मैं वापस मुड़ गई...

बेचारा उस दूधवाले के सपने तो चूरचूर हो गए...रोज सपने देखता होगा कि मेरी बूर में अपना लंड डाल रहा है...वह कुछ कह भी नहीं सका...बस मुझे जाते हुए देखता रह गया...मैं बिना मुड़े अंदर चली गई...

अंदर किचन में दूध रखी और बेडरूम में गई दोनों को देखने...हम्म्म..चुदाई खत्म हो चुकी थी...अब पूजा बेड पर पसरे श्याम के मुरझाए लंड को जीभ से साफ करने में लगी थी...मेरी आहट पाते ही पूजा एक नजर मेरी तरफ देखी, फिर मुस्काती हुई अपने काम में लग गई....

"छोड़ने का मन नहीं है क्या...चलो हटो,अब मैं करूंगी..."कहती हुई मैं पूजा के बगल में बैठ गई...श्याम मेरी बात सुन मुस्काते हुए बोले,"अभी कहाँ रानी...अब एक राउंड और करूंगा अपनी कमसिन शाली की...फिर छोड़ेंगे...वैसे तुम तो दूधवाले से चुदने गई थी ना..."

"उफ्फ्फ, घर की गेट खुली ही छोड़ दी..आती हूँ बंद कर..."मैं दूधवाले के बारे में सोचते-2 गेट बंद भी नहीं की...मैं गेट के पहुंच आधी गेट ही लगाई थी कि सीढ़ी पर किसी की आहट सुनाई दी...

थोड़ी गौर से सुनी तो आहट ऊपर छत की तरफ जाती लग रही थी...इस वक्त सुबह-2 कौन छत पर जा रहा है...नीचे की फ्लैट से तो कोई कभी सुबह जल्दी उठता तक नहीं तो फिर कौन है...और नीचे से अभी आई ही हूँ, रूममालिक भी तो कहीं नहीं दिखे थे...

कौन हो सकता है? यही जानने मेरे कदम बाहर निकल छत की तरफ बढ़ गई...अंतिम सीढ़ी से छत पर देखी तो सामने कोई नजर नहीं आया...अब हल्की डर भी होने लगी कि पता नहीं कौन है जो छत पर आया और गायब हो गया...

एक बार मन हुई वापस हो जाऊं...फिर सोची सुबह हो ही गई तो दूसरी अप्राकृतिक चीजें तो हो ही नहीं सकती...छत पर घूम कर ही देखती हूँ शायद पानी टंकी के दूसरी तरफ हो....और मैं आगे बढ़ छत पर चारों तरफ देखती मुआयना करने लगी...

पानी टंकी के उस तरफ जैसे ही पहुँची सामने रूम मालिक पर नजर पड़ी...मैं राहत की सांस ली पर अब इस मुसीबत से पीछा छुटकारा पाने की सोच में पड़ गई...अगर वो नहीं देखते तो चुपके से रिटर्न हो जाती पर....

रूम मालिक: "आइए..आइए...मैडम...सुबह की ताजी हवा काफी फायदेमंद होती है...ऱोज लेनी चाहिए सबको..." मैं उसकी बात से बेवजह मुस्कुरा पड़ी और ना चाहते हुए भी उनकी तरफ बढ़ गई...

मैं आगे जा रेलिंग के सहारे उनसे काफी हट कर खड़ी हो गई और सामने उगती हुई सूरज की तरफ मुंह कर दी...वो हम दोनों के फासले को कम करने मेरी तरफ खिसक गए और लगभग एक फीट की दूरी पर खड़े हो गए...

मैं उनके करीब आने की आहट महसूस कर सनसना गई...शरीर के रोंगटे खड़े हो गए...वो मेरे बगल में आ मुझे गौर से निहारने लगे जिससे मैं काफी असहज महसूस करने लगी...मेरे हाथ छत की रेलिंग पर कस गई...

"आती हूँ कुछ देर में...गेट खुला ही है कोई आ गया तो..."मैं अब यहां से हटने की सोच बहाने बनाई और जाने के लिए पीछे मुड़ी कि तभी उनके हाथ रेलिंग पर पड़े मेरे हाथों को जकड़ के दबा दिया...मैं अचानक से हुई उनकी हरकत से एकटक आश्चर्य से उनकी आँखों में देखने लगी...

"अरी मैडम, इतनी जल्दी क्यों भागने की कोशिश कर रही हो..मैं कोई बाघ थोड़े ही हूँ जो गिल जाऊंगा..."रूम मालिक ने मुझे अपनी तरफ देख बोला...जिससे मैं अब और मुश्किल में पड़ गई...कल की वारदात से तो हाथ छुड़ाने की भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी...

रूम मालिक: "पता है आज मैं आपसे काफी खुश हूँ...कल मैं आप पर जितना गुस्सा था आपने आज सब खत्म कर दिया...मैं वहीं सामने वाले कैम्पस में छुप के बैठा सुन रहा था...आज अगर कोई हरकत करती तो सच बहुत बुरा होता..."

मैं बिना कोई हरकत किए बस उनका चेहरा हैरानी से निहारने लगी...मैं खुद को आज लकी समझ रही थी...अपनी तरफ यूँ ऐसे घूरते पा उसने मुस्कुराते हुए अपनी एक आँख दबा दी,जिससे मैं झेंप सी गई और नजरें घुमा ली...

रूम मालिक: "एक बात तो है आप दिल की बुरी नहीं है...कोई कुछ कहे तो आप उस पर गलत सही सोचने के बाद कोई फैसले लेती हो...यही आप में अच्छी बात है...हाँ कुछ गलत भी करते हैं पर इसमें आपकी गलती नहीं है..."

मैं एक बार दुविधा में पड़ गई कि अब क्या कहेंगे ये..मैं पुनः उनकी तरफ मुंह घुमा दी...सूरज की लालिमा फट चुकी थी जिससे उसकी किरण सीधी हमारी गाल पर पड़ कर और सुर्ख बना रही थी...तभी वो मेरे चेहरे के बिल्कुल निकट आते हुए बोले...

रूम मालिक: "अब आप हो ही इतनी हॉट और सेक्सी कि आप लाख चाहो,खुद को रोक नहीं पाओगी ज्यादा देर...इसी वजह से आप कभी कभार बहक जाती हो..." वो इतना कह चुप हो गए...

पर उनका चेहरा अभी भी ज्यों के त्यों थी..मेरी तेज हो चुकी साँसें उनकी साँसों से टकरा रही थी...और मेरी वासना में बदल चुकी नजरें सीधी उनकी आँखों में झाँक रही थी...

कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहे हम दोनों बिना कोई सवाल जवाब के...उनका एक हाथ तो रेलिंग पर मेरी एक हाथ दबाए ही था...अब उन्होंने अपना दूसरा हाथ आगे बढ़ा मेरी दूसरी हाथ पकड़ अपनी अंगलियां मेरी अँगुली में फंसा पकड़ लिए...

मैं चाह कर भी उन्हें नहीं रोक पा रही थी...अगर रोकती तो वे कहीं सवाल कर देते कि दूधवाले से भी बुरा हूँ क्या..? तो मैं क्या जवाब देती...या फिर चाहते तो मेरी इज्जत सरेआम लुटा देते तो क्या करती..आखिर मेरी दुखती नस जो उनकी पकड़ में आ गई थी...

तभी उन्होंने रेलिंग पर से अपना हाथ पीछे खींच मेरी कमर के पास रख दिए और दबाब बनाने लगे अपनी तरफ...मैं होशोहवाश खोती उनके शरीर में सटती चली गई और रेलिंग पर से हाथ उठ के अपने आप उनके कंधों पर पड़ गई...बिल्कुल प्रेमी जोड़ो की तरह चिपक गए थे..

मैं पसीने से तरबतर हो गई थी...और सुबह की उगती सूर्य की किरण से मेरी शरीर दमक रही थी...मेरी साँसें सीधी उनके सीने में घुस रही थी...और तेज साँसों में मेरी चुची उफ्फ्फ...उनके सीने से टच करती हुई एक बार पीछे हटती तो एक बार पूरी धंस जाती....

"दोस्ती करोगी हमसे...अच्छी वाली दोस्ती..." फिर वो हौले स्वर के साथ गर्म साँसे मेरी गालों पर डिम्पल की तरह धँसाते हुए बोले...साँसों की तेजी ने मेरे अंदर गुदगुदी सी कर दी...मैं ईससससऽ की आवाजें करती हुई मुंह फेर ली...

रूम मालिक: "अरे, ऐसे क्यों मुंह फेर रही हो...जो बात तुम सोच रही हो वैसा मैं अब कुछ नहीं करने वाला...कल वाली बात बिल्कुल भूल जाओ...ब्लैकमेल,झाँसा में फँसाना आदि सब चीजों का मैं सख्त विरोधी हूँ...दोस्ती की कह रहा हूँ तो सिर्फ दोस्ती..."

थैंक्स गॉड...जिस बात से डर रही थी इनसे वैसी बात नहीं थी...गलत देखे तो शायद ज्यादा गुस्सा कर गए कल जिससे धमकी दे रहे थे...पर अब जो ये कर रहे हैं ऐसे मुझे चिपका कर वो क्या है...ये फायदा ही तो उठा रहे हैं मेरी बेबसी का...

"मैं समझ सकता हूँ कि आपके मन में क्या चल रहा है इस वक्त...तो मैं बता दूँ कि आप ही के जैसी सुंदर मेरी भी बीवी है, पर वो कुछ अलग किस्म की है...मतलब बीवी तो है मेरी पर बीवी बनना नहीं जानती..."उन्होंने अपनी बात से मेरी अंदर चल रही सवालों का जवाब देते हुए बोले...

काफी तेज दिमाग है इनका तो..बिना सवाल पूछे ही जवाब देने लग गए...

"मैं अपनी बीवी में हर रोज एक दोस्त खोजता रहता हूँ...पर कभी मिली नहीं..वो तो बस बीवी का मतलब सिर्फ सेक्स ही जानती है...सेक्स के बाद कभी मेरे दिल की आवाज सुनने की कोशिश नहीं की और ना ही कभी सुनाई...इसलिए मैं तुम्हारी जैसी हसीन बला से दोस्ती करना चाहता हूँ ताकि हम अपनी दिल की बात कह-सुन सकें..." वो अपने दिल की बयान अपने साफ लफ्जों से सुनाने लगे...

मैं उनके इस दर्द को सुन पिघलने लग गई...अब उनसे हटने की बजाय आराम से खड़ी उनकी बाते सुनने लगी...

"...मेरे और भी कई लेडिज फ्रेंड हैं पर सब सिर्फ फ्रेंड ही हैं...कोई ऐसी नहीं मिली जिससे अपना हाल-ए-दिल सुना सकूँ...पर आज अगर तुम दोस्त बन जाओगी तो मेरी जिंदगी में ये कमी शायद पूरी हो सकती है..क्योंकि तुम सबसे अलग हो...हर रिश्ते को निभाना जानती हो..अब ये मत कहना कि सोचूँगी...दोस्ती लोग सोच कर नहीं करते...वो तो प्यार से भी तेज होता है और इसमें कोई रिस्क भी नहीं..." वे अपनी बात खत्म कर मेरी जवाब का इंतजार करने लगे...

मैं उनकी आखिरी बात पर थोड़ी सी शर्मा के हंस पड़ी..जिससे वे भी हंस पड़े...अब तो मेरे अंदर की सारी डर इनके प्रति जो थी ऱफ्फूचक्कर हो चली थी...इनके अकेलेपन पर तरस आ गई थी...शायद इसी वजह से ये कभी-कभार ज्यादा गुस्से में आ जाते हैं...

"...तो ये कौन सा तरीका है दोस्ती प्रपोज करने की." मैंने अपनी झिझक समाप्त करते हुए उनसे बोली...जिससे वो खिखिलाकर हंस पड़े...फिर वो बोले,"अपना तरीका है...मैं ऐसे ही सब के साथ रहता हूँ...बोरिंग वाली दोस्ती मुझे नहीं पसंद...दोस्ती में रोमांस,प्यार,शरारत,गुस्सा सब होना चाहिए पर लिमिट तक ही...ऐसा नहीं कि तुम अगर ऐसे मेरे बांहों में हो मैं गलत हरकत कर दूँ..."

"अगर कभी आपको दोस्तों के संग ऐसी हालत में आपकी बीवी देख ले तो..."मैं भी कुछ नॉर्मल हो कुछ अंदर की बात जाननी चाही इनसे...जिसे सुन वो नाक-भौं सिकुड़ाते हुए बोले...

"मोहतर्मा,मुझे इस बात की कोई डर नहीं..बीवी के डर से मैं अपने दोस्तों से मिल रही जिंदगी को कैसे छोड़ सकता भला...वैसे कल सुबह मेरे साथ वॉक पे चलना पसंद करेंगी...4 बजे..."उन्होंने बस शार्ट कट में ही अपनी हिम्मत-ए-दिल बयां कर दी...

"इतनी सुबह तो जगती भी नहीं..5 बजे के बाद नींद...."मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई कि वो पड़े,"अं.हं....जगने की चिंता छोड़ दो...नींद ठीक 4 बजे खुद खुल जाएगी...मैं इंतजार करूँगा...अब चलता हूँ..बॉय.."

और फिर अलग होने से पहले मेरे माथे को हल्के से चूम लिए...फिर हम दोनों एक साथ मुस्कुराते हुए नीचे चल दिए...मैं नीचे अपने घर के दरवाजे से अंदर हुई और अंदर देखी तो अभी भी दोनों बाहर नहीं निकले थे...

अचानक मैं मुड़ी और और नीचे की तरफ बढ़ रहे रूम मालिक को सीसी की आवाज से बुलाई...वो आश्चर्य से मुड़ते हुए वापस ऊपर की तरफ आया...पास आते ही इशारे से पूछा क्या बात है..

मैं उनके गर्दन पकड़ उनके शरीर पर लद सी गई और कान के समीप अपने लब ले जाती बोली,"थैंक्स फॉर फ्रेंडशिप...." और पीछे हटने से पहले उनके गाल पर एक गहरी चुंबन जड़ दी दोस्ती वाला...फिर मुस्कुराते हुए तेजी से अंदर आ गेट लॉक कर ली...वो भी मेरी इस शरारत पर मुस्कुराते हुए नीचे चले गए....
_____[.....क्रमशः]_____

The Romantic
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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:17

सीता --एक गाँव की लड़की--30

फिर हमने वापस बेडरूम में गई तो पूजा नहीं थी..शायद बाथरूम गई थी..श्याम अभी भी बेड पर पड़े हुए थे..मैं उनके पास बैठती हुई उनके सीने पर किस करती हुई बोली,"उठिए ना...ऑफिस नहीं जाना..."

श्याम: "उम्म्म्म...मूड नहीं है डियर..आज सोने दो...हुअंअअअ्म्म..."श्याम करवट बदलते हुए सोने की कोशिश करने लगी...मैं भी मुस्कुराते हुए छोड़ दी और उठ गई..फिर पूजा बाथरूम से फ्रेश हो कर निकली तो मैं फ्रेश होने घुस गई...

फ्रेश होने के खाना खाई और आराम करने चली गई..श्याम करीब 12 बजे उठे और फ्रेश होने के बाद बाहर निकल गए...मैं फिर वापस पूजा के बदन से चिपक के सो गई...शाम में करीब 5 बजे नींद खुली...

पूजा और मैं कुछ टहलने छत पर चली गई...कुछ घूमने के बाद बोली,"पूजा,वो सामने वाला नजर नहीं आता.."

पूजा: "हाँ दीदी, अब शायद उसे शर्म आती होगी कि उसका भी बाप है सेक्स में..खुद को मॉडर्न समझता था छत पर चुदाई कर के..शाले की हेकड़ी निकल गई हम दोनों को एक मर्द के साथ देखकर...ही..ही..ही.."

"हाँ...हम दोनो जितने कमीनी हैं,उतनी तो वो सोच भी नहीं सकती..."मैं हंसती हुई पूजा की बात में हाँ मिलाई...फिर इसी तरह की कुछ इधर उधर की बातें होती रही...अचानक तभी सीढ़ी से ऊपर किसी के चढ़ने की पदचाप सुनाई दी...

हम दोनों आपस में गुपचुप ही इशारे से पूछ रही थी कि कौन हो सकता है...तभी पूजा आगे बढ़ नीचे कैम्पस में झाँकी तो तेजी से अपने पास बुलाई...मैं झटपट पुजा के बगल में खड़ी हो गई...

नीचे एक बाइक लगी थी...इस घर में तो बाइक थी पर ऐसी नई नहीं थी...बिल्कुल चमकती हुई...शायद खरीदे हुए कुछ दिन ही हुए हों...मैं हौले से पूजा से बोली,"शायद नीचे किसी के गेस्ट होंगे और वो घूमनेछत पर आ रहे है..."

पूजा: "आने दो, अकेला आया और मस्त लगा तो खा ही जाऊंगी...ही..ही..ही..." और पूजा खिलखिला पड़ी जिससे मैं भी खुद को रोक नहीं पाई...फिर हम दोनों वापस सीढ़ी की तरफ देखने लगी भूखी लोमड़ी की तरह कि शिकार आ रहा है...

तभी सामने देख हम दोनों के सारे अरमान शीशे की तरह बिखर गई...सामने श्याम थे...हम दोनों अपने मंसूबे की नाकामयाबी पर एक दूसरे की तरफ ताक हंस पड़े...जिसे देख श्याम हंसते हुए बोले,"क्यों गर्ल्स, हमें देख के हंसी क्यों निकल पड़ी..."

"नहीं दरअसल हम दोनों नीचे नई बाइक देखी तो सोची नीचे किसी के यहाँ गेस्ट आए हैं जो ऊपर आ रहे हैं तो सोची कुछ लाइनबाजी कर लूँ..पर....वैसे ये किसकी बाइक है..." मैं मुस्कुराती हुई बोली..

"ओहहह...फिर तो बहुत बुरा हुआ तुम दोनों के साथ...खैर इस बुरेपन को दूर करने ही आया हूँ...चलो तैयार हो जाओ और घूमने चलते हैं नई बाइक से..."श्याम हमदरदी जताते हुए बोले...

पूजा: "वॉव जीजू, बाइक लिए हैं क्या...थैंक्स जीजू..." और पूजा श्याम से लिपटती हुई किस करने लगी खुशी से...मैं भी खुश थी कि श्याम को अब ऑफिस ऑटो से नहीं जानी पड़ेगी और साथ में हम लोग भी बाहर घूम लेंगे...

"आज कहाँ ले जाएँगे घुमाने...?" मैं भी आगे बढ़ श्याम के शरीर से चिपक उनके गाल चूमती हुई पूछी...जिसे सुन श्याम और पूजा किस तोड़ दिए...

श्याम: "मेला...शहर के बाहर एक जगह कृष्णाष्टमी का मेला लगा है...वहीं चलेंगे..अब चलो नीचे और तैयार हो जाओ मेरी रानी..." कहते हुए श्याम अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए ...

कुछ देर किस करने के बाद हम अलग हुए और नीचे चले आए...फिर हम एक साथ कपड़े चेंज करने लगी...कुछ ही पलों में हम दोनों लड़की सिर्फ पेंटी और ब्रॉ में थी...

श्याम इस पल का बखूबी से मस्ती लेते हुए बेड पर बैठे देख रहे थे...मैं ब्लैक कलर की एक ट्रांसपैरेंट साड़ी निकाली और साथ की मैच्युवल ब्लॉउज,पेटीकोट बेड पर रख दी...तभी श्याम बीच में बोले..

श्याम: "जान, आज बिना ब्रॉ की ब्लॉउज पहनो...मस्त लगोगी...और पूजा तुम भी ब्रॉ निकाल दो.. " श्याम कह कर मजे से उड़ते हुए आनंदमय हो गए...मैं भी मुस्कुराते हुए ब्रॉ की हुक खोल दी...

पूजा: "दीदी, मुझे भी साड़ी पहननी है आज..."और फिर पूजा अपनी आँखें नचाती हुई मुस्कुराने लगी..मैं और श्याम उसकी बात पर हंस पड़े,जिससे पूजा भी हँसे बिना रह नहीं पाई...

अगले ही पल एक गुलाबी पारदर्शी साड़ी उसके सामने रख दी...पूजा काफी खुश होती हुई अपनी ब्रॉ की हुक खोलने लगी...

श्याम: "पूजा, अगर साड़ी बाँधने में मदद की जरूरत हो मैं पास ही बैठा हूँ..." कहते हुए चुटकी बजाते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दिए...जिस पर पूजा आँखें ऊपर कर हँसती हुई बोली,"सॉरी...मैं साड़ी पहनना अच्छी तरह जानती हूँ..."

कुछ ही देर में हम दोनों तैयार हो गए, जिसे श्याम आँखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे...जब मैं उन्हें ऐसे एकटक निहारती देख इशारे में पूछी क्या हुआ...

श्याम: "माशाल्लाह....लोग उस मेले को छोड़ इस मेले को देखने टूट पड़ेंगे...कसम से, सेक्स की देवी दिखती हो तुम दोनों जो 80 साल के बुड्ढ़े का भी खड़ा कर दे..."

"अच्छा,अच्छा...मैं आज पहली दफा मेले घूमने नहीं जा रही हूँ...वहाँ ढ़ेर सारी खूबसूरत लेडिज बन-ठन के आती हूँ..अच्छी लगती हूँ या नहीं ये बताइए बस..." मैं मुस्कुराहट में बोल पड़ी...

श्याम: "सुपर...बिल्कुल परी लग रही हो...गोरे बदन पर ब्लैक साड़ी...अल्लाह बचाए नजर लगने से...चलें अब.."

मैं खुश होती हुई हाँ कह दी और उनके साथ रूम लॉक कर निकल गई गुलाबी पूजा के साथ...वो तो और खूबसूरत लग रही थी गुलाबी साड़ी,गुलाबी लिपस्टिक,गुलाबी सैंडल,गुलाबी हेयरबैंड,गुलाबी नेलपॉलिश...सुपर...

मैं और पूजा श्याम के संग बाइक से करीब एक घंटे तक चलने के बाद मेला पहुँचे...श्याम ने बाइक स्टैंड में बाइक लगा दी..इस दौरान अकेली लड़की देख ना जाने कितने कमेंट सुनने को मिल गए...

पर हम दोनों कोई जवाब दिए बिना बस बातों में मशगूल मजे लेती रही कमेंट्स के...कुछ पल में श्याम के साथ मंदिर की तरफ गई जहाँ भक्तों की काफी भीड़ थी...हम दोनों लेडिज लाइन में लग गई मंदिर में जाने के लिए..

जबकि कुछेक दूरी पर मर्दों की लाइन थी, जिसमें से कुछ तो चुपचाप थे और कुछ सभी लेडिज को देख हल्के से कमेंट्स कर रहे थे...अजीब इंसान है...भगवान के सामने भी नहीं चुप रहते...

खैर कुछ ही पलों में हम दोनों भगवान के सामने शीश नमन किए...तभी मेरे सर पर हाथ पड़ी और सरकती हुई नंगी पीठ पर रगड़ गई..मैं चौंक सी गई और उठी तो सामने पंडा थे जो मंदिरों में रहते हैं...

ऐसी रगड़ तो सिर्फ वासना की होती है, जिसे हम लेडिज लोग अच्छी तरह पहचान लेते हैं..वो मेरी तरफ वहशी निगाहों से देख आशीर्वाद में कुछ बुदबुदाते हुए प्रसाद बढ़ा दिया..जिसे मैं ली और चुपचाप वापस हो ली...

पूजा: "दीदी, ये तो पाखण्डी लगता था...देखी कैसे पीठ सहला रहा था कमीना..." पूजा चुप ना रह पाई और अपनी व्यथा कह डाली...

"छोड़ ना...आदत होगी उसकी...सभी को शायद ऐसे ही आशीर्वाद देते होंगे...चल अब घूमते हैं कुछ..."मैं बातों को टालती हुई बोली..पर पूजा बोल तो सच ही रही थी...वो भी कुछ समझ चुप रह गई...

पर श्याम अभी भी अंदर ही थे...हम दोनों बाहर खड़ी हो उनके आने का इंतजार करने लगी...कुछ ही देर में वो आते हुए दिखे पर वो अकेले नहीं थे...उनके साथ एक लेडिज थी जो साथ में हंसती हुई बातें करती आ रही थी...

हम दोनों कुछ समझ नहीं पा रही थी कौन है ये..तू तक श्याम मेरे निकट पहुँचते हुए बोले,"सीता, ये मेरी दोस्त है. सुमन..और सुमन से मेरी पत्नी सीता और ये पूजा.."

फिर ना चाहते हुए भी हम ने सुमन को हैलो बोली और फिर हम सब चल दिए...रास्ते में चुपके से श्याम कह दिए कि गर्लफ्रेंड है...जिसे सुन हम दोनों के होंठों पर मुस्कान तैर गई और थोड़ी जलन भी...

जलन इसलिए कि श्याम की प्रार्थना भगवान ने सुन ली और इनकी गर्लफ्रेंड से मिला दिए और हम दोनों....हम दोनों को ठेंगा दे दिए..खैर अब इन्हीं के साथ घूमती हूँ...

"आप अकेली आई है क्या..?"मैं अचानक सुमन से सवाल कर गई...मैं तो सोची कि ये मेरी सवाल से नर्वस हो जाएगी पर वो बोल्ड होती हुई हंसती हुई बोली,"नहीं...मैं अपने दोस्त के साथ आई थी पर यहाँ उसका बॉयफ्रेंड मिल गया तो थोड़ी देर में आती हूँ कह निकल गई और फिर मैं यहाँ एक घंटे से उसके इंतजार में खड़ी थी..."

उसकी बात सुन हम सब हँस पड़े...मन ही मन बोली कि हाँ अब तुम्हारा भी बॉयफ्रेंड मिल गया तो तुम भी उड़ जाओ कहीं...तभी मेरी नजर बगल में पूजा की तरफ मुड़ी तो वो नदारद थी...मैं डरती हुई श्याम से बोली,"पूजा कहाँ गई..."

श्याम भी चौंकते हुए रूकते हुए चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोले,"तुम्हारे साथ ही तो आ रही थी...हम दोनों तो आगे चल रहे थे..."

"हाँ पर जैसे ही मैं अभी इनसे बात करने थोड़ी आगे हुई इसी बीच कहाँ गायब हुई देख नहीं पाई..."मैं थोड़ी परेशानसी होती हुई बोली...श्याम के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी और वो चारों तरफ नजर घुमा ढ़ूँढ़ रहे थे...

अचानक सुमन बोल पड़ी,"श्याम, वो वहाँ गोलगप्पे के पास कौन खड़ी है.." सुमन की आवाज से हम दोनों उस तरफ देखे...जो कि मेले के सबसे एकांत सी जगह थी...मेरी नजर तुरंत ही पूजा को पहचान ली...वो पूजा ही थी...

तभी मेरी नजर उसके साथ बंटी और सन्नी पर पड़ी जो पूजा के साथ गोलगप्पे खा रहे थे...सारा माजरा समझ में आ गई...श्याम भी देख चुके थे और वो मेरी तऱफ घूरने लगे कि ये क्या चक्कर है...

"वो दोनों पूजा के दोस्त हैं कॉलेज के...वही ले गया होगा..."मैं श्याम के सवालिया नजरों का जवाब देती हुई बोली..श्याम को थोड़ा गुस्सा आ गया कि कम से कम बता कर तो जाती...और श्याम भी तुरंत समझ गए कि किस टाइप का दोस्त है और उसे मैं भी अच्छी तरह जानती हूँ...

श्याम: "ठीक है, जाओ पूजा के पास..जब उसका पेट भर जाए लेती आना..तब तक हम इधर घूमते हैं...फोन कर लेना...ओह सिट..तब से ध्यान ही नहीं आया कि पूजा के पास भी तो फोन है...मैं भी ना. "

श्याम की बात से हमें थोड़ी हंसी भी आ गई...फिर ओके कह मैं वहाँ से निकल गई पूजा की तरफ..कुछ दूर जाकर जब वापस मुड़ी तो हमें हंसी आ गई...श्याम सुमन के हाथ में हाथ डालकर चल दिए थे...

मैं जैसे ही सीधी हुई कि एक जोरदार टक्कर हो गई...ओहहह गॉड....आउच्च्च्चचच...मर गईईईईईईई...एक लड़का फिल्मी स्टाइल में पीछे मुड़ने का फायदा उठा ठीक सामने से मेरी एक चुची पर हाथ रख टक्कर मार दिया और हटते वक्त बड़ी सफाई से कस के मसल भी दिया..

"मैडम, भीड़ में आगे देख कर चला करो..कहीं आपका बम फट जाता तो मैं तो गया काम से..."उस लड़के को मैं कुछ कहती इससे पहले ही वो बोल पड़ा और चल दिया...उसके साथ दो और लड़के थे जो उसके पीछे बारी-2 से मेरी चुची पर ही नजर गड़ाए आगे निकल गया...

कुछ देर तक वहीं मूक बनी खड़ी उसे जाते देखती रही कि कितना कमीना था...एक तो मजे भी लूट लिया और गलती हमही को बोल आसानी से निकल गया...उसकी शरारत पर अचानक मेरी हंसी निकल पड़ी...और ठीक उसी वक्त वो तीनों लड़का भी आगे बढ़ मेरी तरफ पलट गया...

और मुझे हँसते देख वो आश्चर्य से भर गया और अचानक मेरी तरफ बढ़ने लगा...मैं उसे अपनी तरफ आते देख चौंकी और तेजी से मुड़ पूजा की तरफ चल दी...पूजा तक आने के चक्कर में मैं खुद कई बार कई औरतें,लड़के,अंकल से टकरा गई...काफी हंसी आ रही थी खुद पर...

पूजा के समीप पहुँचते ही पूजा पर बरस पड़ी, पर पूजा मेरी बातों को दरकिनार कर बस गोलगप्पे खाने में मशगूल रही...अंत में पूजा के शरीर अपनी तरफ करते हुए लगभग डाँटती हुई बोली,"ऐ...मैं तुमहे ही कह रही हूँ..कुछ सुन भी रही है या बहरी हो गई..."

जिस पर वह मेरी तरफ गोलगप्पे दिखाती हुई बोली,"खाओगी...?"

उफ्फ्फ...अजीब किस्म की लड़की है ये...इस पर कोई असर ना देख बंटी को बुरा भला सुनाने लगी...जिस पर वह दूसरी तरफ हो गया और सन्नी को मेरे सामने कर दिया...सन्नी गोलगप्पे की प्लेट रखता हुआ मेरी बाँह पकड़ा और चलने लगा..

"भैया जी, मेमसाब को साइड में ले जाओ तभी शांत होगी...बहुत गरमी है इनमें..." पीछे से गोलगप्पे वाले ने आवाज दी जिसे सुन पूजा और बंटी की हंसी साफ सुनाई दी...मैं गुस्से में उसकी तरफ लपकनी चाही पर सन्नी कस के दबोचता हुआ दूसरी तरफ खींचता चला गया...

गोलगप्पे वाले के पीछे कुछ दूर हट के एक पुराना खंडहरनुमा घर था...आगे एक बड़ी सी वृक्ष जो पूरी तरह उस घर को ढ़ँक रही थी...एकदम गुप्प अंधेरा...शाले मेला संचालक को इस पर ध्यान देनी चाहिए..कम से कम एक लाईट तो दे देते...पर वो मेला से इतनी दूर थी कि शायद जरूरत नहीं समझा होगा...

फिर ये गोलगप्पे वाला इतना एकांत में क्यों है...जबकि इसे मालूम है कि गोलगप्पे ज्यादातर लड़की ही खाती है...यही सब सोच ही रही थी कि तभी सन्नी एक दीवाल से हमें चिपकाता हुआ मेरे होंठों पर टूट पड़ा...

मैं गुस्से के कारण खुद को अलग करना चाह रही थी पर वो अगले ही पल मेरी चुची पर कब्जा करता हुआ रगड़ने लगा...जिससे मैं ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाई...और लगी मैं भी चूसने...हम दोनों की किस तब टूटी जब बगल में हरकत हुई कुछ...

मैं रूकती हुई अंधेरे में हाथ बढ़ाई तो मेरे हाथ सीधी किसी लड़की के चुची पर पड़ गई...उसने बिना कुछ कहे मेरे हाथ पकड़ के हटा दी..मैं कुछ कहना चाहती थी पर तब तक सन्नी दुबारा किस करने लगा...मैं भी उस तरफ से ध्यान हटा किस करने लगी...

जब मेरे होंठ दर्द करने लगी तो सन्नी से हल्की अलग हो गई...सन्नी भी समझ गया...वो अलग हो मेरे हाथ थामा और बाहर की तरफ रूख कर लिया...मैं बाहर निकलते वक्त एक बार फिर गौर की उस लड़की की तरफ कि कौन है और लड़का कौन है...पर अंधेरे की वजह से नहीं पहचान पाई...

बाहर निकल जब हल्की रोशनी पड़ने लगी तो सन्नी रूक गया और बोला,"हाँ तो मैडम जी क्या कह रही थी आप...?" सन्नी की बात सुन मेरी हंसी निकल गई...कमीना पहले तो जबरदस्ती किस कर बात को बदल देता है, फिर पूछता है क्या बात है...

मुझे हंसता देख बोला,"दरअसल मुझे नहीं पता था पूजा मेरे इशारों से ही चली आएगी...साथ में आपके पति थे तो हिम्मत नहीं हुई निकट जाने की तो जब पूजा हमलोगों को देखी तो बंटी ने आने का इशारा कर दिया...हम दोनों देखते रह गए कि ये पागल हो गई है क्या...फिर निकट आते ही बोली डरते क्यों हो...भैया पूछेंगे तो कह दूंगी दोस्त हैं...उनकी भी तो दोस्त मिल गई है यहाँ तो मेरे दोस्त से प्रॉब्लम क्यों होगी...फिर हमें क्या दिक्कत होती भला...और इतनी परेशान क्यों हो रही जब फोन था ही तो एक कॉल कर लेती..."

"अचानक से गायब हो गई ना तो ध्यान ही नहीं रहा कि फोन कर लूँ..चलो अब.."मैं भी शांत होती हुई बोली...तो वो मुस्कुराते हुए बोला,"चलो गोलगप्पे खाते हैं..."

"नहीं, मुझे नहीं खानी उसके पास...शाला कैसे बेशर्मो की तरह चिल्ला के बोल रहा था...सुना नहीं.."अचानक से मुझे गोलगप्पे वाले की बात याद आ गई...मैं सन्नी के साथ आगे बढ़ती हुई बोल पड़ी..

सन्नी: "अरे वो वैसा नहीं है..बस बोलने की बीमारी है...दरअसल ये वीमेंस कॉलेज के पास रोजाना बेचता है तो लड़कियों से सीख लिया ज्यादा बोलना..और लड़कियों से हॉट बातें करना ये अच्छी तरह जानता है...एक खास बात ये भी कि अब तक ये सैकड़ों प्रेमी युगल को मिलवा चुका है, पर गद्दारी या गलत फायदा कभी नहीं उठाया किसी का...पर मजाक सबसे करता रहता है एकदम ओपेन...अब चलो और तुम भी कुछ मजे ले लो..मस्त कर देगा..."

मैं उसकी कहनी सुनते-2 गोलगप्पे वाले के पास पहुँच गई...मेरी नजर उन तीन लड़कों को ढ़ूँढ़ने लगी जिनसे टकराई थी...पर वो कहीं नहीं दिखे..तभी मेरी तरफ देख गोलगप्पे वाला दाँत दिखाता बोला,"गुस्सा शांत हुआ कि, और चाहिए कुछ.." उसकी बात सुन सब के साथ मैं भी हँस पड़ी...

"देखा मेमसाब,इनके साथ कुछ देर खड़ी रही तो इतनी खुश हो गई...जब ये साथ में सोएगी तो किता खुश होगी..." अपने आदत से मजबूर उसने मजाकिया लहजे में बोल पड़ा जिसे सुन मैं शर्म से मुँह दूसरी तरफ कर ली जबकि वो तीनों जोर से हँस पड़ा...

"लो मैडम, मेरा वाला भी मुँह में ले को देखो कि कैसा टेस्ट है..."एक बार फिर उसने एक और द्विअर्थी शब्द बोल दिया..इस बार मैं खुद की हंसी रोक नहीं पाई और हंसती हुई वापस मुड़ प्लेट पकड़ गोलगप्पे खाने लगी...

जब तक खाती रही वो कुछ ना कुछ बकड़-2 करता रहा...तभी मेरी नजर उसी अंधेरे से निकलती लड़के-लड़की पर पड़ी...पर पहचान नहीं सकी...फिर हम सब वहाँ से निकल लिए..फिर कुछ देर तक मस्ती में इधर उधर अपने-2 साथी के हाथों में हाथ डाल घूमती रही...

बाहर तो ज्यादा भीड़ नहीं थी पर अंदर मुख्य मेले की जगह भीड़ काफी थी..इस भीड़ में सन्नी के हाथ तो मेरे हाथ पकड़े थे पर औरों बगल से गुजरने वाले के हाथ सीधा मेरी चुची के साइड पर पड़ती या फिर पीछे चूतड़ पर...इन सब के बीच हम दोनों मस्ती में डूबी घूमती रही अपने यार के संग...फिर अचानक से पूजा बोली...

पूजा: "दीदीजी, अभी तक आपके पति महोदय नजर नहीं आए हैं..."

"इतनी भीड़ में वो बगल से भी गुजर जाते होंगे तो मालूम थोड़े ही पड़ेगी.."मैं अपनी बात से पूजा को संतुष्ट करती हुई श्याम पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहती थी हम और पूजा श्याम के साथ किस तरह रहते हैं...

_____[.....क्रमशः]_____


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