मेरी बहन कविता compleet

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rajaarkey
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Re: मेरी बहन कविता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:49

एक हाथ में लण्ड को पकरे हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथसेकरताहै…. राजू….अपनाशरीरबर्बादमतकर…..तेराशरीरबर्बादहोजायेगातोमैंमाँकोक्यामुंहदिखाउंगी….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर दीदी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदासक्योंहै….क्यातुझेअच्छानहींलगरहाहै…..हायराजूतेरालण्डबहुतबड़ाऔरमजेदारहै…. तेराहाथसेकरनेलायकनहींहै….येकिसीछेदघुसाकरकियाकर…..” मैं दीदी की ऐसी खुल्लम खुल्ला बातों को सुन कर एक दम से भोच्चक रह गया और उनका मुंह ताकता रहा. दीदी मेरे लण्ड की चमरी को पूरा निचे उतार कर सुपाड़े की गोलाई के चारो तरफ ऊँगली फेरती हुई बोली “ऐसेक्यादेखरहाहै….तूअपनाशरीरबर्बादकरलेगातोमैंमाँकोक्यामुंहदिखाउंगी……मैंनेसोचलियाहैमुझेतेरीमददकरनीपड़ेगी……..तूघबरामत….” दीदी की बाते सुन कर मुझे ख़ुशी हुई मैं हकलाते हुए बोला “हायदीदीमुझेडरलगताहै….आपसे….” इस पर दीदी बोली “राजूमेरेभाई…डरमत….मैंनेतुझे….गालीदीइसकीचिंतामतकर…. मैंतेरामजाख़राबनहींकरनाचाहती…ले……मेरामुंहमतदेखतूभीमजेकर……..” और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी ब्लाउज में कसी चुचियों पर रखती हुई बोली“….तूइनकोदबानाचाहताथाना….ले…दबा…तू….भीमजाकर….मैंजरातेरेलण्ड…. की……कितनापानीभराहैइसकेअंदर….” मैंने डरते हुए दीदी की चुचियों को अपनी हथेली में थाम लिया और हलके हलके दबाने लगा. अभी दो तीन बार ही दबाया था की दीदी मेरे लण्ड को मरोरती हुई बोली “साले…कबमर्दबनेगा….ऐसेऔरतोकीतरहचूचीदबाएगातो…इतनातगड़ालण्डहाथसेहीहिलातारहजायेगा….अरेमर्दकीतरहदबाना…डरमत….ब्लाउजखोलकेदबानाचाहताहैतोखोलदे….हायकितनामजेदारहथियारहैतेरा….देख….इतनीदेरसेमुठमाररहीहूँमगरपानीनहींफेंकरहा…..” मैंने मन ही मन सोचा की आराम से मुठ मारेगी तभी तो पानी फेंकेगा, यहाँ तो जैसे ही लौड़ा अपनी औकात पर आया था वैसे ही एक थप्पर मार कर उसको ढीला कर दिया. इतनी देर में ये समझ में आ गया की अगर मुझे दीदी के साथ मजा करना है तो बर्दाश्त करना ही परेगा, चूँकि दीदी ने अब खुली छूट दे दी थी इसलिए अपने मजे के अनुसार दोनों चुचियों को दबाने लगा, ब्लाउज के बटन भी साथ ही साथ खोल दिए और नीले रंग की छोटी से ब्रा में कसी दीदी की दोनों रसभरी चुचियों को दोनों हाथो में भर का दबाते हुए मजा लूटने लगा. मजा बढ़ने के साथ लण्ड की औकात में भी बढोतरी होने लगी. सुपाड़ा गुलाबी से लाल हो गया था और नसों की रेखाएं लण्ड के ऊपर उभर आई थी. दीदी पूरी कोशिश करके अपनी हथेली की मुट्ठी बना कर पुरे लण्ड को कसते हुए अपना हाथ चला रही थी. फिर अचानक उन्होंने लण्ड को पकरे हुए ही मुझे पीछे की तरफ धकेला, मेरी पीठ पलंग की पुश्त से जाकर टकराई मैं अभी संभल भी नहीं पाया था की दीदी ने थोड़ा पीछे की तरफ खिसकते हुए जगह बनाते हुए अपने सर को निचे झुका दिया और मेरे लाल आलू जैसे चमचमाते सुपाड़े को अपने होंठो के बीच कसते हुए जोर से चूसा. मुझे लगा जैसे मेरी जान सुपाड़े से निकल कर दीदी के मुंह के अन्दर समा गई हो. गुदगुदी और मजे ने बेहाल कर दिया था. अपने नौजवान सुपाड़े को चमरी हटा कर पहले कभी पंखे के निचे हवा लगाता था तो इतनी जबरदस्त सनसनी होती थी की मैं जल्दी से चमरी ऊपर कर लेता था. यहाँ दीदी की गरम मुंह के अन्दर उनके कोमल होंठ और जीभ ने जब अपना कमाल सुपाड़े पर दिखाना शुरू किया तो मैं सनसनी से भर उठा. लगा की लण्ड पानी छोड़ देगा. घबरा कर दीदी के मुंह को अपने लण्ड पर से हटाने के लिए चूची छोड़ कर उनके सर को पकड़ ऊपर उठाने की कोशिश की तो दीदी मेरे हाथ को झटक लौड़े पर से मुंह हटाती हुई बोली “हायराजू….तेरालण्डतोबहुतस्वादिष्टहै….खानेलायकहै….तुझेमजाआएगा…….चूसनेदे….देखहाथसेकरनेसेज्यादामजामिलेगा….” मैं घबराता हुआ बोला “पर…पर…दीदीमेरानिकलजायेगा,,,,बहुतगुदगुदीहोतीहै…..जबचूसतीहो…..हाय. इसपरदीदीखुशहोतीहुईबोली “कोईबातनहींभाई….ऐसाहोताहै…..आजसेपहलेकभीतुनेचुसवायाहै…”

“हाय…नहींदीदी…कभी…नहीं….”

“ओह… हो…..मतलबकिसीकेसाथभीकिसीतरहकामजानहींलियाहै…..”
“हाय…नहींदीदी….कभीकिसीकेसाथ…..नहीं”
“कभीकिसीऔरतयालड़कीकोनंगानहींदेखाहै…..”
मैं दीदी की इस बात पर शर्मा गया और हकलाते हुए बोला ” जीकभीनहीं…”
“हायतभीतूइतनातरसरहाहै….औरछुपकरदेखनेकीकोशिशकररहाथा….कोईबातनहींराजू….मुझेभीमाँकोमुंहदिखानाहै….चिंतामतकर….पहलेमैंयेतेराचूसकरइसकीमलाईएकबारनिकलदेतीहूँ…फिरतुझेदिखादूंगी…..” मैं ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया की क्या दिखा दूंगी. मेरा ध्यान तो मेरे तन्नाये हुए लौड़े पर ही अटका पड़ा था. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुंका था और अब किसी भी तरह से लण्ड का पानी निकलना चाहता था. मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ा तो दीदी ने मेरा हाथ झटक दिया और अपनी चूची पर रखती हुई बोली “ले इसको पकड़” और मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी. मैं सीसीयाते हुए दोनों हाथो में दीदी की कठोर चुचियों को मसलते हुए अपनी गांड बिस्तर से उछालते हुए चुसाई का मजा लेने लगा. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या क्या करू. सनसनी के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था. दीदी मेरे सुपाड़े के चारो तरफ जीभ फ़िराते हुए मेरे लण्ड को लौलीपौप की तरह से चूस रही थी. कभी वो पुरे लण्ड पर जीभ फ़िराते हुए मेरे अंडकोष को अपनी हथेली में लेकर सहलाते हुए चूसती कभी मेरे लौड़े के सुपाड़े के अपने होंठो के बीच दबा कर इतनी जोर-जोर से चूसती की गोल सुपाड़ा पिचक का चपटा होने लगता था. चूची छोड़ कर मैं दीदी के सर को पकड़ गिरगिड़ाते हुए बोला “हायदीदीमेरा….निकलजाएगा….ओह…सीसी….दीदीअपनामुंह….हटालो…ओहदीदी….बहुतगुदगुदीहोरहीहै…प्लीजदीदी….ओहमुंहहटालो….देखोमेरा….पानीनिकलरहाहै…..” मेरे इतना कहते ही मेरे लण्ड ने एक तेज पिचकारी छोड़ी. कविता दीदी ने जल्दी से अपना मुंह हटाया मगर तब भी मेरे लण्ड की तेज धार के साथ निकली हुई वीर्य की पिचकारी का पहला धार तो उनके मुंह में ही गिरा बाकी धीरे-धीरे पुच-पुच करते हुए उनके पेटिकोट एवं हाथ पर गिरने लगा जिस से उन्होंने लण्ड पकड़ रखा था. मैं डरते हुए दीदी का मुंह का मुंह देखने लगा की कही वो इस बात के लिए नाराज़ तो नहीं हो गई की मैंने अपना पानी उनके मुंह में गिरा दिया है. मगर मैंने देखा की दीदी अपने मुंह को चलाती हुई जीभ निकल कर अपने होंठो के कोने पर लगे मेरे सफ़ेद रंग के गाढे वीर्य को चाट रही थी. मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुई बोली “हायराजू…बहुतअच्छापानीनिकला…. बहुतमजाआया…तेराहथियारबहुतअलबेलाहै….भाई….बहुतपानीछोड़ताहै….मजाआयाकीनहीं…बोल…कैसालगाअपनीदीदीकेमुंहमेंपानीछोड़ना….हाय…तेरालण्डजिसबूरमेंपानीछोड़ेगावोतो…एकदमलबालबभरजायेगी….”. दीदी एकदम खुल्ल्लम खुल्ला बोल रही थी. दीदी के ऐसे बोलने पर मैं झरने के बाद भी सनसनी से भर शरमाया तो दीदी मेरे झरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई बोली “अनचुदेलौड़ेकीसहीपहचानयहीहै…कीउसकाऔजारएकपानीनिकालनेकेबादकितनीजल्दीखड़ाहोता…. ” कहते हुए मेरे लण्ड को अपनी हथेली में भर कर सहलाते हुए सुपाड़े पर ऊँगली चलाने लगी. मेरे बदन में फिर से सनसनाहट होने लगी. झरने के कारण मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे. दीदी मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रह थी और बोली “इसबारजबतेरानिकलेगातोऔरज्यादाटाइमलगाएगा….वैसेभीतेराकाफीदेरमेंनिकलताहै…..सालाबहुतदमदारलौड़ाहैतेरा….” मैं शरमाते हुए दीदी की तरफ देखा और बोला “हाय….फिरसे…मतकरो…हाथसे…”. इस पर दीदी बोली “ठहरजा…पहलेखड़ाकरलेनेदे…हायदेखखड़ाहोरहाहैलौड़ा….वाह….बहुततेजीसेखड़ाहोरहाहैतेरातो….”. कहते हुए दीदी और जोर से अपने हाथो को चलाने लगी. “हायदीदीहाथसेमतकरो….फिरनिकलजाएगा….” मैं अपने खड़े होते लण्ड को देखते हुए बोला. इस पर दीदी ने मेरे गाल पकड़ खींचते हुए कहा “सालेहाथसेकरनेकेलिएतोमैंनेखुदरोकाथा…हाथसेमैंकभीनहींकरुँगी….मेरेभाईराजाकाशरीरमैंबर्बादनहींहोनेदूंगी….” फिर मेरे लण्ड को छोड़ कर अपने हाथ को साइड से अपनी पेटिकोट के अन्दर ले जा कर जांघो के बीच पता नहीं क्या, शायद अपनी बूर को छुआ और फिर हाथ निकाल कर ऊँगली दिखाती हुई बोली “हायदेख… मेरीचूतकैसेपनियागई….बड़ामस्तलण्डहैतेरा…जोभीदेखेगीउसकीपनियाजायेगी….एकदमघोड़ेकेजैसाहै…अनचुदीलौंडियाकीतोफारदेगातू….मेरेजैसीचुदीचुतोकेलायकलौड़ाहै….कभीकिसीऔरतकीनंगीनहींदेखीहै….”. दीदी के इस तरह से बिना किसी लाज शर्म के बोलने के कारण मेरे अन्दर भी हिम्मत आ रही थी और मैं भी अपने आप को दीदी के साथ खोलना चाह रहा था. दीदी के ये बोलने पर मैंने शर्माने का नाटक करते हुए कहा “हायदीदीकिसीकीनहीं…बसएकबारवोग्वालिनबाहरमुनिसिप्लिटीकेनलपरसुबह-सुबहनहारहीथी….तब….” दीदी इस चहकती हुई बोली “हाँ..तबक्याभाई…तब…”. मैं गर्दन निचे करते हुए बोला “वो..वो…तो…दीदीकपड़ेपहनकरनहारहीथी…बैठकर…पैरमोड़कर…..तोउसकीसाड़ीबीचमेंसेहट…हटगई…पर…काला…कालादिखरहाथा….जैसेबालहो….” दीदी हँसने लगी और बोली “अरे…वोतोझांटेहोंगी….उसकीचूतकी….बसइतनासादेखकरहीतेराकामहोगया….मतलबतुनेआजतकअसलमेंकिसीकीनहींदेखीहै…” मैं शरमाते हुए बोला “अबपतानहींदीदी….मुझे….लगावहीहोगी…इसलिए…” दीदी इस पर मुस्कुराते हुए बोली “ओहहो…मेराप्याराछोटाभाई…..बेचारा….फिरतुझेऔरकोईनहींमिलीदेखनेकेलिएजोमेरेकमरेमेंघुसगया….” मैं इस पर दीदी का थोड़ा सा विरोध करते हुए बोला “नहींदीदी….ऐसीबातनहींहै….वोतो….तोमैं….मेरेऑफिसमेंभीबहुतसारीलड़कियाँहैमगर…..मगर….मुझेनहींपता….ऐसाक्योंहै….मगरमुझेआपसेज्यादासुन्दर…कोईनहीं…..कोईभीनहीं….लगती….मुझेवोलड़कियाँअच्छीनहीं…लगतीप्लीज़दीदीमुझेमाफ़करदो… मैं…मैं…आगेसेऐसा…..नहीं…” इस पर दीदी हँसने लगी और मुझे रोकते हुए बोली “अरे…रे…इतनाघबरानेकीजरुरतनहींहै….मैंतोतुमसेइसलिएनाराज़थीकीतुमअपनाशरीरबर्बादकररहेथे….मेरेभाईकोमैंइतनीअच्छीलगतीहूँकीउसेकोईऔरलड़कीअच्छीनहींलगती….येमेरेलिएगर्वकीबातहैमैंबहुतखुशहूँ….मुझेतोलगरहाथाकीमेरीउम्रबहुतज्यादाहोचूँकिहैइसलिए…..पर….इक्कीससालकामेरानौजवानभाईमुझेइतनापसंदकरताहैयेतोमुझेपताहीनहींथा…” कहते हुए आगे बढ़ कर मेरे होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लिया और फिर दुबारा अपने होंठो को मेरे होंठो से सटा कर मेरे होंठो को अपने होंठो के दबोच कर अपना जीभ मेरे मुंह में ठेलते हुए चूसने लगी. उसके होंठ चूसने के अंदाज से लगा जैसे मेरे कमसिन जवान होंठो का पूरा रस दीदी चूस लेना चाहती हो. होंठ चूसते चूसते वो मेरे लण्ड को अपनी हथेली के बीच दबोच कर मसल रही थी. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद जब दीदी ने अपने होंठ अलग किये तो हम दोनों की सांसे फुल गई थी. मैं अपनी तेज बहकी हुई सांसो को काबू करता हुआ बोला “हायदीदीआपबहुतअच्छीहो….”

rajaarkey
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Re: मेरी बहन कविता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:50

“अच्छा…बेटामख्खनलगारहाहै….”
“नहींदीदी…आपसचमेंबहुतअच्छीहो….औरबहुतसुन्दरहो….” इस पर दीदी हंसते हुए बोली “मैंसबमख्खनबाजीसमझतीहूँबड़ीबहनकोपटाकरनिचेलिटानेकेचक्करमें…..हैतू….” मैं इस पर थोड़ा शर्माता हुआ बोला “हाय…नहींदीदी….आप….” दीदी ने गाल पर एक प्यार भरा चपत लगाते हुए कहा “हाँ…हाँ…बोल…..” मैं इस पर झिझकते हुए बोला” वोदीदीदीदी…आपबोलरहीथीकीमैं….दि…दि…दिखादूंगी….”. दीदी मुस्कुराते हुए बोली “दिखादूंगी…क्यामतलबहुआ…क्यादिखादूंगी….” मैं हकलाता हुआ बोला ” वो….वो…दीदीआपनेखुदबोलाथा…कीमैं….वोग्वालिनवालीचीज़….”
“अरेयेग्वालिनवालीचीज़क्याहोतीहै….ग्वालिनवालीचीज़तोग्वालिनकेपासहोगी…मेरेपासकहाँसेआएगी…खुलकेबतानाराजू….मैंतुझेकोईडांटरहीहूँजोऐसेघबरारहाहै…. क्यादेखनाहै”

“दीदी…वो…वोमुझे…चु….चु…”

“अच्छातुझेचूचीदेखनीहै….वोतोमैंतुझेदिखादियाना…यहीतोहै…लेदेख…” कहते हुए अपनी ब्रा में कसी दोनों चुचियों के निचे हाथ लगा उनको उठा कर उभारते हुए दिखाया. छोटी सी नीले रंग की ब्रा में कसी दोनों गोरी गदराई चूचियां और ज्यादा उभर कर नजरो के सामने आई तो लण्ड ने एक ठुनकी मारी, मगर दिल में करार नहीं आया. एक तो चूचियां ब्रा में कसी थी, नंगी नहीं थी दूसरा मैं चुत दिखाने की बात कर रहा था और दीदी यहाँ चूची उभार कर दिखा रही थी. होंठो पर जीभ फेरते हुए बोला “हाय…नहीं…दीदीआपसमझनहींरही….वोवोदू…सरीवालीचीज़चु…चु…चुतदिखाने….केलिए…”

“ओहहो…तोयेचक्करहै…. येहैग्वालिनवालीचीज़…..सालेग्वालिनकीनहींदेखनेकोमिलीतोअपनीबड़ीबहनकीदेखेगा….मैंसोचरहीथीतुझेशरीरबर्बादकरनेसेनहींरोकूंगीतोमाँकोक्याबोलेगी….यहाँतोउल्टाहोरहाहै….देखोमाँ…तुमनेकैसालाडलापैदाकियाहै….अपनीबड़ीबहनकोबुरदिखनेकोबोलरहाहै….हायकैसाबहनचोदभाईहैमेरा….मेरीचुतदेखनेकेचक्करमेंहै…उफ्फ्फ….मैंतोफंसगईहूँ…मुझेक्यापताथाकीमुठमारनेसेरोकनेकीइतनीबड़ीकीमतचुकानीपड़ेगी….”

दीदी की ऐसे बोलने पर मेरा सारा जोश ठंडा पर गया. मैं सोच रहा था अब मामला फिट हो गया है और दीदी ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ दिखा देंगी. शायद उनको भी मजा आ रहा है, इसलिए कुछ और भी करने को मिल जायेगा मगर दीदी के ऐसे अफ़सोस करने से लग रहा था जैसे कुछ भी देखने को नहीं मिलने वाला. मगर तभी दीदी बोली “ठीकहैमतलबतुझेचुतदेखनीहै….अभीबाथरूमसेआतीहूँतोतुझेअपनीबुरदिखातीहूँ” कहती हुई बेड से निचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी. मेरी कुछ समझ में नहीं आया की दीदी अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा तो दीदी आँख नचाते हुए बोली “चुतहीतोदेखनीहै…वोतोमैंपेटिकोटउठाकरदिखादूंगी…” फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं दीदी को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ दीदी के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. दीदी जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला ” दीदी….दीदी…मैं….चू…चू…चूचीभीदेखना…चाहताहूँ”. दीदी इस पर चौंकने का नाटक करती बोली “क्यामतलब…चूचीभीदेखनीहै….चुतभीदेखनीहै….मतलबतूतोमुझेपूरानंगादेखनाचाहताहै….हाय….बड़ाबेशर्महै….अपनीबड़ीबहनकोनंगादेखनाचाहताहै….क्योंमैंठीकसमझीना…तूअपनीदीदीकोनंगादेखनाचाहताहै…बोल, …ठीकहैना….” मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हांदीदी….मुझेआपबहुतअच्छीलगतीहो….मैं….मैंआपकोपूरा…नंगादेखना….चाहता…”

“बड़ाअच्छाहिसाबहैतेरा….अच्छीलगतीहो…..अच्छीलगनेकामतलबतुझेनंगीहोकरदिखाऊ…कपड़ोमेंअच्छीनहींलगतीहूँक्या….”

“हायदीदीमेरावोमतलबनहींथा….वोतोआपनेकहाथा….फिरमैंनेसोचा….सोचा….”

“हायभाई…तुनेजोभीसोचासहीसोचा….मैंअपनेभाईकोदुखीनहींदेखसकती….मुझेख़ुशीहैकीमेराइक्कीससालकानौजवानभाईअपनीबड़ीबहनकोइतनापसंदकरताहैकीवोनंगादेखनाचाहताहै….हाय…मेरेरहतेतुझेग्वालिनजैसीऔरतोकीतरफदेखनेकीकोईजरुरतनहींहै….राजूमैंतुझेपूरानंगाहोकरदिखाउंगी…..फिरतुममुझेबतानाकीतुमअपनीदीदीकेसाथक्या-क्याकरनाचाहतेहो….”.

मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. दीदी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहलेपेटिको़टऊपरउठाऊयाब्लाउजखोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हायदीदीदोनों….खोलो….पेटिको़टभीऔरब्लाउजभी….”

“इस…॥स……स…।बेशर्मपूरानंगाकरेगा….चलतेरेलिएमैंकुछभीकरदूंगी….अपनेभाईकेलिएकुछभी…पहलेब्लाउजखोललेतीहूँफिरपेटिको़टखोलूंगी….चलेगाना…” गर्दन हिला कर दीदी ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर दीदी को देखा. दीदी ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूक खोलने के लिए बोला मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. दीदी फिर सामने की तरफ घूम गई. दीदी के घूमते ही मेरी आँखों के सामने दीदी की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी दीदी के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो दीदी मुस्कुराती हुई बोली “अरे, रेइतनाउतावलामतबनअबतोनंगाकरदियाहैआरामसेदेखना….ले…देख…” कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला “हाय…दीदीपकड़े…”

“हाँ…हाँ….पकड़लेजकड़…लेअबजबनंगाकरकेदिखारहीहूँतो…छूनेक्योंनहींदूंगी….लेआरामसेपकड़करमजाकर……अपनीबड़ीबहनकीनंगीचुचियोंसेखेल….” मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ दीदी की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. दीदी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की दीदी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे दीदी गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो दीदी सिसयाते हुए बोली “आह….आ…हा….सी…सी….येक्याकररहाहै…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मारडाला….सालेमैंतोतुझेअनारीसमझतीथी….मगर….तू….तोखिलाड़ीनिकलारे…..हाय…चूचीचूसनाजानताहै…..मैंसोचरहीथीसबतेरेकोसिखानापड़ेगा….हाय…चूसभाई…सीईई….ऐसेहीनिप्पलकोमुंहमेंलेकरचूसऔरचूचीदबा….हायरसनिकालबहुतदिनहोगए…..” अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली “हायराजू….सीईई…ई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ….चूसले…..पूरारसचूस…..मजाआरहाहै….तेरीदीदीकोबहुतमजाआरहाहैभाई…..हायतूतोचूचीकोक्रिकेटकीगेंदसमझकरदबारहाहै….मेरेनिप्पलक्यामुंहमेंलेचूस….तूबहुतअच्छाचूसताहै….हायमजाआगयाभाई….परक्यातूचूचीहीचूसतारहेगा…..बूरनहींदेखेगाअपनीदीदीकीचुतनहींदेखनीहैतुझे…..हायउससमयसेमराजारहाथाऔरअभी….जबचूचीमिलगईतोउसीमेंखोगयाहै….हायचलबहुतदूधपीलिया…..अबबादमेंपीना” मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली “साले….हरामी….चूची…छोड़….कितनादूधपिएगा….हायअबतुझेअपनीनिचेकीसहेलीकारसपिलातीहु….चलहटमाधरचोद…..” गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो दीदी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला “हायदीदीबूरकारसपिलाओगी…हायजल्दीसेखोलोना…” दीदी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली “हाराजामेरेप्यारेभाई….अबतोतुझेपिलानाहीपड़ेगा…ठहरजाअभीतुझेपिलातीअपनीचुतपूराखोलकरउसकीचटनीचटाऊंगीफिर…देखनातुझेकैसामजाआताहै….” पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में दीदी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच दीदी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. दीदी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली “हाय…भाईऐसेनहीं….ऐसेठीकसेनहींदेखपाओगे….दोनोंजांघफैलाकरअभीदिखातीहूँ…फिरआरामसेबैठकरमेरीबूरकोदेखनाऔरफिरतुझेउसकेअन्दरकामालखिलाउगीं…घबरामतभाई…मैंतुझेअपनीचुतपूराखोलकरदिखाउंगीऔर…।उसकीचटनीभीचटाउगीं…चलछोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही दीदी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. दीदी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली “हाय…भाई…आजातुझेमजेकरवातीहूँ ….अपनेमालपुएकास्वादचखातीहूँ….देखभाईमैंइसकुर्सीकेदोनोंहत्थोंपरअपनीदोनोंटांगोकोरखकरजांघटिकाकरफैलाऊंगीनातोमेरीचुतपूरीउभरकरसामनेआजायेगीऔरफिरतुमउसकेदोनोंफांकोकोअपनेहाथसेफैलाकरअन्दरकामालचाटना….इसतरहसेतुम्हारीजीभपूराबूरकेअन्दरघुसजायेगी….ठीकहैभाई…आजा….जल्दीकर….अभीएकपानीतेरेमुंहमेंगिरादेतीहूँफिरतुझेपूरामजादूंगी….” मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. दीदी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही दीदी की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी….काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली “राजू….ध्यानसेदेखले….अच्छीतरहसेअपनीदीदीकीबूरकोदेखबेटा….चुतफैलाकेदेखेगातोतुझे….पानीजैसानज़रआएगा….उसकोचाटकाअच्छीतरहसेखाना….चुतकीअसलीचटनीवहीहै….” दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी और बोली“सीईई….बहुतअच्छाभाई…तुम्हेआताहै…मुझेलगरहाथाकीसिखानापड़ेगामगरतूतोबहुतहोशियारहै….हाय….बूरचाटनाआताहै…. ऐसेही….राजूतुनेशुरुआतबहुतअच्छीकीहै….अबपूरीचुतपरअपनीजीभफिरातेहुए…॥मेरीबूरकीटीटकोपहलेअपनेहोंठोकेबीचदबाकरचूस…देखमैंबतानाभूलगईथी….चुतकेसबसेऊपरमेंजोलाल-लालनिकलाहुआहैना….उसीकोहोंठोकेबीचदबाकेचूसेगा….तबमेरीचुतमेंरसनिकलनेलगेगा….फिरतूआरामसेचाटकरचूसना….सीईईई…..राजूमैंजैसाबतातीहूँवैसाहीकर….” मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है. मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर दीदी ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. दीदी को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली “हाय राजू….बहुत अच्छा कर रहा है उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली “हायराजू….बहुतअच्छाकररहाहै….राजा…..हाय……सीईई….बड़ामजाआरहाहै….हायमेरीचुतकेकीड़े….मेरेसैयां…..ऊऊऊउ…सीईईइ…..खालीऊपर-ऊपरसेचूसरहाहै…. बहनचोद….जीभअन्दरघुसाकरचाटना…..बूरमेंजीभपेलदेऔरअन्दरबाहरकरकेजीभसेमेरीचुतचोदतेहुएअच्छीतरहसेचाट….अपनीबड़ीबहनकीचुतअच्छीतरहसेचाटमेरेराजा….माधरचोद….लेले…..ऊऊऊऊ……इस्स्स्स्स्स…घुसाचुतमेंजीभ….मथ….दे…….” कविता दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी “हाय….राजा…जीभबाहरमतनिकालो….हायबहुतमजाआरहाहै…ऐसेही…. बूरकेअन्दरजीभडालकेमेरीचुतमथतेरहो….हायचोद….देमाधरचोद….अपनीजीभसेअपनीदीदीकीबूरचोददे….हायसैयां….बहुतदिनोंकेबादऐसामजाआयाहै….इतनेदिनोंसेतड़पतीघूमरहीथी….हायहाय….अपनीदीदीकीबूरकोचाटो….मेरेराजा….मेरेबालम…. तुझेबहुतअच्छाइनामदूंगी…. भोसड़ीवाले…..तेरालौड़ाअपनीचुतमेंलुंगी….आजतकतुनेकिसीकीचोदीनहींहैना….तुझेचोदनेकामौकादूंगी….अपनीचुततेरेसेमरवाऊगीं….मेरेभाई…..मेरेसोनामोना….मनलगाकरदीदीकीचुतचाट….मेरापानीनिकलेगा….तेरेमुंहमें….हायजल्दीजल्दीचाट….पूराजीभअन्दरडालकरसीईई…..”. दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी “

rajaarkey
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Re: मेरी बहन कविता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:51

थी “हायमेरानिकलरहाहै….हायभाई…निकलरहाहैमेरापानी….पूराजीभघुसादे….साले…..बहुतअच्छा….ऊऊऊऊऊ…..सीईईईईईइ….मजाआगयाराजा…मेरेचुतचाटूसैयां….मेरीचुतपानीछोररहीहै………..इस्स्स्स्स्स्स्स्स……मजाआगया….बहनचोद….पीलेअपनीदीदीकेबूरकापानी….हायचूसलेअपनीदीदीकीजवानीकारस…..ऊऊऊऊ…….गांडू……” दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. दीदी की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला “हट…माधरचोद….क्याकररहाहै….गांडमारेगाक्या….फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया.

मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली “हायराजूबहुतमजाआया….अच्छाचूसताहै…तू…. मुझेलगरहाथाकीतूअनारीहोगामगरतुनेतोअपनेबहनोईकोभीमातकरदिया….उससालेकोचूसनानहींआताथा…खैरउसकाक्या…उसभोसड़ीवालेकोतोचोदनाभीनहींआताथा….तुनेचाटकरअच्छामजादिया… इधरआ,……आना…वहांक्योंखड़ाहैभाई…..आयहाँबिस्तरपरबैठ….” दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली “हूँ….खड़ाहोगयाहै….इधरआतोपासमें….देखू….” मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली “अबकभीहाथसेमतकरना…..समझाअगरमैंनेपकड़लियातोतेरीखैरनहीं…..मारतेमारतेगांडफुलादूंगी….समझा….” मैं दीदी के इस धमकी को सुन नासमझ बनने का नाटक करता हुआ बोला “तोफिरकैसेकरू….मेरीतोशादीभीनहींहुईहै….” फिर गर्दन झुका कर शरमाने का नाटक किया. दीदी ने मेरी ठोडी पकड़ गर्दन को ऊपर उठाते हुए कहा “जानतातोतूसबकुछहै…..फिरकोईलड़कीक्योंनहींपटाताअभीतोतेरीशादीमेंटाइमहै…..अपनेलिएकोईछेदखोजले….” मैं बुरा सा मुंह बनाता हुआ बोला “हुह…मुझेकोईअच्छीनहींलगती…सबबसऐसेहीहै…..” दीदी इस पर थोड़ा सा खुंदक खाती हुई बोली “अजीब लड़का है…बहनचोद…तुझे अपनी बहन के अलावा और कोई अच्छी नहीं लगती क्या…..”. मैं इस पर शर्माता हुआ बोला “…मुझेसबसेज्यादाआपअच्छीलगतीहो……मैं…..”
“आये…।हाय…ऐसातोलड़काहीनहींदेखा…।बहनकोचोदनेकेचक्करमें….भोसड़ीवालेकोसबसेज्यादाबहनअच्छीलगतीहै…. मैंनहींमिलीतो……मुठमारतारहजायेगा…॥” दीदी ने आँख नाचते हुए भौं उचका कर प्रश्न किया. मैंने मुस्कुराते हुए गाल लाल करते हुए गर्दन हिला कर हाँ किया. मेरी इस बात पर रीझती हुई दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली “हायरेमेरासोना….मेरेप्यारेभाई…. तुझेदीदीसबसेअच्छीलगतीहै….तुझेमेरीचुतचाहिए….मिलेगीमेरेप्यारेभाईमिलेगी….मेरेराजा….आजरातभरअपनेहलब्बीलण्डसेअपनीदीदीकीबूरकाबाजाबजाना……अपनेभैयाराजाकालण्डअपनीचुतमेंलेकरमैंसोऊगीं……हायराजा…॥अपनेमुसलसेअपनीदीदीकीओखलीकोरातभरखूबकूटना…..अबमैंतुझेतरसनेनहींदूंगी….तुझेकहीबाहरजानेकीजरुरतनहींहै…..चलआजा…..आजकीराततुझेजन्नतकीसैरकरादू…..” फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. दीदी भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली“जराचाटकेगीलाकर… बड़ातगड़ालण्डहैतेरा…सुखालुंगीतो…..सालीफटजायेगीमेरीतो…..” एक बार मुझे दीदी की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो दीदी की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में दीदी को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे दीदी की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए दीदी की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्या बिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर दीदी की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. दीदी दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब दीदी अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख दीदी मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला “दीदीप्लीज़….ओह….सीईईअबनहींरहाजारहाहै….जल्दीसेअन्दरकरदोना…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ……ओहदीदी….बहुतअच्छालगरहाहै….औरतुम्हारीचु…चु….चु….चुतमेरेलण्डपरबहुतगर्मलगरहीहै…

ओहदीदी…जल्दीकरोना….क्यातुम्हारामननहींकररहाहै…..” अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए दीदी बोली “हाय…भाईजबइतनाइन्तेजारकियाहैतोथोड़ाऔरइन्तेजारकरलो….देखतेरहो….मैंकैसेकरतीहूँ….मैंकैसेतुम्हेजन्नतकीसैरकरातीहूँ….मजानहींआयेतोअपनालौड़ामेरीगांडमेंघुसेड़देना…..माधरचोद….अभीदेखोमैंतुम्हारालण्डकैसेअपनीबूरमेंलेतीहूँ…..लण्डसारापानीअपनीचुतसेपीलुंगी…घबराओमत…..राजूअपनीदीदीपरभरोसारखो….येतुम्हारीपहलीचुदाईहै….इसलिएमैंखुदसेचढ़करकरवारहीहूँ….ताकितुम्हेसिखनेकामौकामिलजाये….देखो…मैंअभीलेतीहूँ……” फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को बूर की दोनों फांको के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक फांक को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमरी उलट गई. मैं आह करके सिस्याया तो दीदी बोली “बसहोगयाभाई…होगया….एकतोतेरालण्डइंतनामोटाहै…..मेरीचुतएकदमटाइटहै….घुसानेमें….येलेबसदोतीनऔर….उईईईइमाँ…..सीईईईई….बहनचोदका….इतनामोटा…..हाय…ययय…..उफ्फ्फ्फ्फ़….” करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते चुत्तर उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड दीदी की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वोउईईईमाँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उनकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उनकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर दीदी अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई “उफ्फ्फ्फ्फ़….बहनकेलौड़े….कैसामुस्टंडालौड़ापालरखाहै….ईई….हाय….गांडफटगईमेरीतो…..हायपहलेजानतीकी….ऐसाबूरफारुलण्डहैतो….सीईईईइ…..भाईआजतुने….अपनीदीदीकीफारदी….ओहसीईईई….लण्डहैकीलोहेकाराँड….उईईइमाँ…..गईमेरीचुतआजकेबाद….सालाकिसीकेकामकीनहींरहेगी….है….हायबहुतदिनसंभालकेरखाथा….फटगई….रेमेरीतोहायमरी….” इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी और मेरा लण्ड अपनी चुत में लेती भी जा रही थी तभी अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोली“हाय….माधरचोद….आरामसेनिचेलेटकरबूरकामजालेरहाहै….भोसड़ी….के….मेरीचुतमेंगरमलोहेकाराँडघुसाकरगांडउचकारहाहै….उफ्फ्फ्फ्फ्फ…भाईअपनीदीदीकुछआरामदो….हायमेरीदोनोंलटकतीहुईचूचियांतुम्हेनहींदिखरहीहैक्या…उफ्फ्फ्फ्फ़…उनकोअपनेहाथोसेदबातेहुएमसलोऔर….मुंहमेंलेकरचूसोभाई….इसतरहसेमेरीचुतपसीजनेलगेगीऔरउसमेऔरज्यादारसबनेगा…फिरतुम्हारालौड़ाआसानीसेअन्दरबाहरहोगा….हायराजूऐसाकरोमेरेराजा….तभीतोदीदीकोमजाआएगाऔर….वोतुम्हेजन्नतकीसैरकराएगी….सीईई…” दीदी के ऐसा बोलने पर मैंने दोनों हाथो से दीदी की दोनों लटकती हुई चुचियों को अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश करते हुए दबाने लगा और अपने गर्दन को थोड़ा निचे की तरफ झुकाते हुए एक चूची को मुंह में भरने की कोशिश की. हो तो नहीं पाया मगर फिर भी निप्पल मुंह में आ गया उसी को दांत से पकड़ कर खींचते हुए चूसने लगा. दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी.

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