आप की शशि compleet

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007
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आप की शशि compleet

Unread post by 007 » 16 Dec 2014 09:50

आप की शशि

पार्ट् - 1

दोस्तों मेरा नाम सहर है और अपनी अम्मी और अब्बा जान के साथ रहती हूँ. मैं अपने माँ बाप की इकलौती औलाद हूँ. मेरी उम्र २६ साला की है और खुले विचारों की लड़की हूँ. हा लड़की, अभी मेरी शादी जो नहीं हुई है. घर में computer हैं और मैं नेट पर सेक्स sites visit करती हूँ, नये दोस्त बनाती हूँ और खुल के सेक्स chat भी कर लेती हूँ. नेट का यही तो मजा है. लेकिन मैं अपनी हकीकत हमेशा छिपा के रखती हूँ. कई id तो मैंने मर्दों के नाम के बना रखे है.

यह कहानी मेरी सबसे अच्छी दोस्त शशि कि है. वह ३१ साला कि एक खूबसूरत युवती है और मेरे घर के पास रहती है. वह जितनी होशियार प्यार करने में है उतनी होशियार computer चलाने में नहीं. तो आप समझ लीजिये कि मैं उसकी operator हूँ.

उस के पास computer है पर वों अच्छी तरह चलाना नहीं जानती कभी खुद से चलाने कि कोशिश करती है तो कोई न कोई घपला ही कर देती है. PC उस ने मेरे ही कहने से लिया था internet के लिये.

लेकिन पहले मैं उस के बारे में बता दु she is 31 years old hight 5'3". Matric किया हुआ है. हमारे घर से कुछ फासले पर एक flat में अपने बेटे के साथ रहती है. उस के husband कि death हो चुकी है ३ साला पहले. She is really pretty woman गोरा रंग है और sizes 38d-30-36. २ साला पहले कि बात है मैं अम्मी के साथ market में कुछ शोप्पिंग कर रही थी कि शशि से वहाँ ही मुलाकात हुई. वों भी अपने बेटे के साथ कुछ शोप्पिंग के लिये आई हुई थी. वहाँ अम्मी से उस का तआरुफ़ हुआ. उस ने बताया कि वों इस एरिया में नई आई है और एक फ्लैट में रह रही है और उस के हस्बैंड कि डेथ् हो चुकी है और अपने बारे में बहुत कुछ बताया तो अम्मी ने उसे घर आने कि दावत दे दी.

२/३ दिन बाद वों हमारे घर आई हम से बड़े प्यार से मिली. अम्मी कुछ देर उस के साथ बैठ के चली गयी उन्होने मेरी आँटी के साथ कही जाना था. अब मैं और शशि घर में अकेली थी. मैंने उस को अपना सारा घर दिखाया और अपने छोटे भईया के रूम में जब पहुँचे तो वहाँ उस ने computer देखा.

'अरे ये तो computer है न?'

'हाँ जी शशि बाजी' मैंने कहा.

'मैंने सुना है इस में तो बहुत कुछ आता है' उस ने आंखें नचाते हुए पूछा.

'जी बाजी' 'आप को क्या देखना है?'

'कुछ नहीं मैं तो ऐसे ही कह रही थी मगर मैंने अभी तक इस को चलता हुआ नहीं देखा'.

मैंने PC ओन कर दिया internet तो cable पे ओन ही रहता था. वों मेरे पास ही chair ले के बैठ गई. मैंने जैसे ही explorar ओन किया automaticaly एक porn site का page ओपेन हो गया. शायद रात में भाई कुछ करता रहा होगा. मैंने देखते ही बन्द कर दिया

वों बोली. 'अरि क्यों किया वही तो देखना था'

मेरे दिल जोर जोर से धड़कने लगा मैं शर्मा भी गई और डर भी गई.

'वही लगाओ न देखूँ तो सही क्या क्या आता है इस में. डरो नहीं मैं किसी को नहीं बताऊँगी तुम तो मेरी दोस्त हो और दोस्त ही तो हमराज़ होते हैं' वों मेरी तरफ देख के बोली.

'वों... ये... computer तो मेरे भईया का है पता नहीं कैसे ये.' मैंने सफाई देने कि कोशिश कि.

'कोई बात नहीं यार मैं किसी को नहीं बताऊँगी आप खोलों तो सही'.

उस ने मुझे confidence में लिया और मैंने आखिर एक्सप्लोरर को रेफ्रेअश किया तो वही पेज ओपेन हो गया. उस पर एक लेस्बिअन पिक आ रही थी एक लड़की दूसरी लड़की को पूस्सी (चूत) पे किस्स कर रही थी.

हनी ऐसे किया है कभी तुम ने?

न... नहीं बाजी ये तो मैं देख पहली बार रही हूँ (but have seen so many porn site already in absense of my home mates. लेकिन अभी तक मेरा किसी से भी सेक्स relation नहीं था)

करोगी?

जा... जी? आप क्या कहा रही हो?

कुछ ऐसा भी नहीं कहा रही जो तुम्हें समझ न आये मैं पूछ रही हूँ कि ऐसा करना चाहोगी?

क्यों?

एक बार हाँ कहो तो फिर खुद ही क्यों का मतलब समझ जाओगी.

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मैं डर भी रही थी. मैं कुछ न बोली बस उस कि आंखों में एक अजीब सी चमक देखती रही. उस ने मेरे बाज़ू से मुझे पकड़ा और बेड़ पर ले गई मैं चुप थी कुछ बोल नहीं रही थी.

बेठो! डॉरस तो लोक्क हैं न और कोई घर में तो नहीं न अभी?

नहीं कोई नहीं है और डॉरस भी लोक्क ही हैं क्यों आप क्या करने लगी हो?

कुछ नहीं! आराम से बेठो और डरो नहीं मैं कुछ नहीं करूंगी मैं लड़का नहीं हुँ औरत हूँ और तुम्हें थोड़ा सा मजा दूंगी! अच्छा लगे तो अपनी दोस्ती पक्की वरना दोबारा तुम को कुछ नहीं कहुँगी! ओ के. और उस ने मुझे बेड़ पे बैठा दिया बल्कि लेटा दिया और मेरा ट्राउजर् उतारने लगी मैंने रोकना चाहा लेकिन उस ने मेरी आंखो में देखा तो मैं हिप्नोटाईस् सी हो गई और उस को रोक न सकी. उस ने मेरी कमीज़ ऊपर की मेरी टाँगें खोल दी अब उस के सामने मेरी पूस्सी (चूत) थी और उस ने अचानक ही चाटनी शुरू कर दी. अब मेरी सिसकी बंध गई ऐसा मजा पहली बार जिन्दगी में आया क्या बताँऊ. और यूँ हमारी पक्की दोस्ती शुरू हुई...

मुझे लेस्बिअन सेक्स का पता तो था पर करने का मौका आज पहली बार मिला. शशि एक बच्चे की माँ थी और मुझ से ५ साला बड़ी भी पर इस एक ही मुलाकात ने हम दोनों को पक्की सहेली बना दिया. अब अकसर शशि मेरे घर आ जाती या फिर मैं उसके घर चली जाती. शशि के घर में हम ज्यादा फ्री थे, कारण वहाँ कोई नहीं था. उसका बेटा अभी ३ साला का ही हुआ था.

शशि बेटे को दूध पिला के सुला देती और हम दोनों सहेलियाँ देखते देखते मादर जाता नंगी हो जाती. जो कुछ भी लेस्बिअन फिल्मोन में हो सकता है वों सब हम खुल के करती. शशि के पास एक डिल्डो भी था. कभी शशि मर्द बनती तो कभी मैं.

अब शशि और मुझ में कोई पर्दा नहीं रहा. शशि ने अपनी गुजरी जिन्दगी की दास्तान मुझको बयान की. वों क्या सेक्स से भरपूर, क्या लसीली दास्तान थी उसकी. फिर शशि का उसे मजे ले ले के बयान करने का अन्दाज़. दोस्तों उसकी दास्तान सुन कर मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही हूँ और आप सबसे शेयर करने को बेचैन हूँ. आप को यह दास्तान मैं शशि की ज़बान में ही पेश करूंगी.

007
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Re: आप की शशि

Unread post by 007 » 16 Dec 2014 09:51

आप की शशि पार्ट् - २

(शशि की कहानी शशि की जुबानी)

मैं शुरू ही से जरा सेक्सी थी इस बात का मुझे बचपन से ही इल्म था क्योंकि मैं और मेरी बड़ी बहन हम दो बच्चे थे अपने माँ बाप के. हमारा घर शहर के पोश एरिया में था और हमारे साथ वाला मेरी खाला का और उन का एक बेटा था कमि. वों मेरी ही ऐज का था मेरी सिस्टर मुझ से २ साला बड़ी थी. खैर हमारे घरों के अन्दर से ही रास्ता भी था सारा दिन आना जाना लगा ही रहता था. मेरा सेक्स कि तरफ रुझान कैसे था कि मेरी खाला के ब्रेस्ट जरा भारी भारी थे और मुझे बड़े अच्छे लगते थे जब मैं बहुत छोटी थी और वों मुझे नहलाया करती थी पर पहले कमि को नहला देती और मेरे साथ खुद भी नहाती और मैं उन कि पीठ पे और कभी कभी उन के ब्रेस्टस् पे साबुन लगाया करती और सोचती कि मेरे कब इतने बड़े होंगे..

और यूँ दिन गुजरते गये मैं ९ बरस कि हो गयी और मेरे सीने पे हल्के हल्के उभार आने शुरू हो गये. मेरी खुशी कि कोई इंतहा न रही मैं रोज रात में इन को दोनों हाथों में ले कर मसाज करती कि जल्दी बड़े हो जाये..

स्कूल से छुट्टियान थी और मैं यूँ ही खाला के घर गई तो खाला घर में नहीं थी मैं इधर उधर कमरों में देखती रही जब मैं कमि के रूम में पहुंची तो जैसे ही दरवाजा खोला वों बिल्कुल नंगा खड़ा था और उस के हाथ में टोवेल था. दरवाजा खुलते देख कर उस ने एक दम टोवेल अपने आगे कर लिया

ओह!!! तुम हो मैं समझा मोम हैं.

नहीं वों तो शायद घर में ही नहीं हैं लेकिन तुम क्या कर रहे हो यूँ कपड़े उतार कर.. मैंने पूछा

कुछ नहीं नहाने जा रहा हुँ...

इतने में उस ने टोवेल अपनी कमर के गिर्द बांध लिया मैं उस का नंगापन तो कई बार देख चुकी थी और वों मुझे भी लेकिन आज जाने क्या हुआ मेरा दिल चाहा कि उस को गौर से देखूँ.

चलो आज खाला नहीं है मैं तुम को नहला दू मैंने कहा.

आह!!! तुम? उस ने मेरी तरफ हँसते हुए देखा. नहीं मैं अब बड़ा हो गया हुँ मैं खुद ही नहा लूंगा तुम जाओ और वों washroom की तरफ चला गया. मैं उस के पीछे गई और जल्दी से उस का टोवेल खिंच लिया. उस ने एक दम अपने आगे टाँगों के दरमियान हाथ रख लिया.

क्या करती हो तुम को शरम नहीं आती उस ने ग़ुस्से से कहा.

केसी शरम मैंने भला तुम को कभी नंगा देखा नहीं न जो? चलो मैं भी साथ नहाऊंगी बड़ा मजा आयेगा

वों पहले तो हिचकिचाया फिर मान गया और वाश रूम में चला गया. मैंने फौरन अपने कपड़े उतारे और मैं भी वाश रूम में आ गई. उस ने मुझे देखते ही मुँह दूसरी तरफ कर लिया. मैंने उसे कंधों से पकड़ के अपनी तरफ किया उस ने मुँह झुका लिया फिर अचानक बोला.

शशि ये देखो तुम्हारे तो ये बड़े हो रहे हैं उस ने मेरे निप्पल को हाथ लगाया तो एक अजीब सी लहर मेरे पूरे जिस्म में दौड़ गई और मेरी एक सिसकी निकल गई.

दर्द हुआ क्या? और उस ने हाथ पीछे कर लिये.

नहीं पकडो इन को. अच्छा लगता हैं.. पकडो न.. उस ने दोनों हाथ मेरे निप्पलस् पे रख दिये. मैंने देखा कि उस का पेनिस हल्के हल्के बड़ा हो रहा है... मैंने उसकी नूनी हाथ में पकड़ ली वों एक झटके से पीछे हुआ.

क्या हुआ? मैंने पूछा दर्द हुआ क्या?

न... नहीं अच्छा लगा. और हम दोनों ही हंस पड़े. वों फिर वापिस मेरे करीब आया मैंने फिर उस का पेनिस हाथ में ले लिया और उस ने मेरे ब्रेस्टस् पे हाथ रख के मलना शुरू कर दिया. उस का पेनिस बड़ा गरम और सख्त (hard) हो गया. अभी इतना बड़ा नहीं था लेकिन मुझे हाथ में पकड़ने अच्छा लगता था. मैं भी उस को ऊपर से नीचे मलने लगी. फिर उस ने मेरे होंठों पे किस्स किया. मुझे ओर भी अच्छा लगा फिर उस ने शोवेर खोल दिया और यूहि हम काफी देर नहाते रहे...

अब ये सिलसिला रोज ही होने लगा जब भी हमें मौका मिलता हम घर वालों से छुप के मिलते और मैं उस का पेनिस पकड़ लेती और वों मेरे ब्रेस्ट पे मसाज करता. इसी दौरान मेरे period start हो गये और फिर मेरे वहाँ पे हल्के हल्के ब्राउन कलर के बाल आने लगे और मैंने इस सिलसिला में बाजी से बात की. वों हँसी और उस ने मुझे बताया कि सब के ही आते हैं कोई बात नहीं और उस से मतलिक सब बातें कुछ बाजी ने बताई और कुछ कमि ने. खैर अब मैं कमि से जरा दूर होने लगी . मुझे अब जाने क्यों शरम आने लगी....

इस दौरान उस का boarding house में addmission हो गया और वों दूसरे शहर चला गया मैं खुद को अकेला अकेला महसूस करने लगी पर क्या करती.... कर ही क्या सकती थी... अपने ब्रेस्टस् से खुद ही खेलने लगी अपने हाथ उन पे रख के उस के हाथों का अहसास करती रही फिर खाला बीमार हो गई. इकलौते बेटे कि जुदाई बर्दाश्त न कर सकी और खल्लो ने उसी शहर में transfer करवा ली और वों सब भी वहाँ चले गये.... अब तो मैं ओर भी अकेली हो गयी.

यूँ पांच बरस गुजर गये इस दौरान मेरा जेहन भी आहिस्ता आहिस्ता उस साथ से हट गया. सेक्स से हट गया मैं भी पढ़ाई में मसरूफ़ हो गई. पर मेरे ब्रेस्ट वक्त के साथ साथ अपनी रफ्तार से कुछ ज्यादा ही बढ़ गये. वों यूँ के matric मैं मेरी एक दोस्त गई शीला. और वों भी कुछ सेक्सी निकली जाने क्यों मुझ पे फिदा हो गई. मेरी क्लास में मेरे ब्रेस्ट सब से बड़े और उठे हुए थे अब उन का साईज ३०-D हो चुका था...

एक दिन सुबह सुबह prayer time पे मेरी और शीला कि क्लास में duty थी बाकी सारा स्कूल ground में था. मैं अपनी seat पे बेठी थी के शीला मेरे पास आई.

एक बात कहुँ नाराज तो नहीं होगी तुम उस ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा

नहीं बोलों क्या बात है?

मुझे डर लगता है तुम नाराज हो जाओगी.

नहीं यार बोलों न तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो बोलों क्या बात है कोई चीज चहिये क्या? मैंने उस का हाथ पकड़ के कहा .

हां एक नहीं दो चीज़ै चहियैन. क्या दोगी बल्कि सिर्फ दिखा दो...

क्या दो चीज़ै? मैंने हैरान हो के पूछा.

ये. उस ने अपने दोनों हाथ मेरे ब्रेस्ट पे रख दिये.. मेरे पूरे जिस्म में एक बार फिर वोहि लहर दौड़ गई .

हैं!!!! क्या करती हो ये स्कूल है शीला मैं एक दम पीछे हटी .

तो क्या हुआ यहाँ कोई और तो नहीं है न हमारे सिवा. एक बार दिखा दो न प्लीज मुझे तुम्हारे ब्रेस्ट बड़े अच्छे लगते हैं प्लीज.... मेरे अन्दर के सेक्स ने फिर से सिर निकाल लिया. इतने में उस ने दोनों हाथ मेरे बूब्स पे रख दिये और अब मैंने उसे मना नहीं किया और न ही पीछे हुई.. मुझे अच्छा लगा बल्कि बहुत ही अच्छा मेरे मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई.

शीला आहिस्ता यार दर्द होता है. उस ने हाथ ह्टाए और मेरी कमीज़ ऊपर करनी चाही.

यहाँ नहीं तुम मेरे घर आना आज मैं दिखा दूंगी प्लीज यहाँ नहीं.

वादा करती हो न मैं शाम में आऊंगि

ओ के

ओ के उस ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा.

हां पक्का वादा दिखा दूंगी यार मैंने वादा किया.

उस दिन तो मुझ से स्कूल में बैठा नहीं गया कब छुट्टी हो और कब हम घर जाये. खैर शाम हो ही गई और शीला मेरे घर आ गई मैं उसे ले के अपने कमरे में आई. बाजी शुक्र है घर में नहीं थी. वों भी अपनी किसी दोस्त कि तरफ गई हुई थी. रूम में आते ही उस ने पीछे से मेरे बूब्स पे दोनों हाथ रख दिये और जोर से दबाया मेरी तो चीख ही निकल जाती.

हैं क्या करती हो इतनी दीवानी न बनो जान. डौर तो लोक्क करने दो मैंने दरवाजा लोक्क किया और उस की तरफ पलटी. इतने में उस ने अपनी कमीज़ उतार दी उसकी ब्लैक ब्रा में व्हाईट व्हाईट गोल गोल और छोटे छोटे ब्रेस्ट बड़े प्यारे लग रहे थे. उस ने मेरी कमीज़ भी उतार दी मैंने स्किन कलर की ब्रा पहनी हुई थी. उस ने वों भी खोल दी अब मेरे बूब्स खुली फिज़ा में आजाद थे. उस ने दोनों हाथों से उन का वैट किया. हाथों में उठा उन को मसाज करने लगी. मेरे पिंक निप्पलस् को उंगलियों में दबाने लगी

ऍह अह ह!!! क्या करती हो इस तरह दर्द होता है यार मेरी आंखें बन्द थी

स्श्ह्ह्ह!! चुप जान मजा लो. उस ने मेरे कान में फुसफुसाहट कि और मेरे निप्पलस् पे कुछ गिला गिला लगा. मैंने आंखें खोल के देखा तो वों उस कि ज़ुबान थी. उस ने लिक्क करना शुरू किया. मेरे लेफ्ट बूब पे फिर राईट पे. निप्पल तो निप्पल फिर क्या था उस ने निप्पल मुँह में डाल लिया और किसी भूखे बच्चे कि तरह चूसने लगी. दूसरे हाथ में मेरा दूसरा बूब था.

ऍह अह अह उह उह उह है मैं मर जाऊन गि आह आह आह मेरी सिसकियाँ निकलने लगी और मेरी टाँगों के दरमियान कुछ गिला गिला महसूस होने लगा. मैं समझी शायद युरिन निकल गया है. मैंने हाथ लगा के देखा तो कुछ गाड़ा गाड़ा सा था. फिर वों मुझे बेड़ पे ले आई और मुझे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई और फिर तो उस ने मेरे बूब्स ऐसे चूसे के मेरे होश ही उड़ गये. मेरी पूस्सी (चूत) में से वोहि गाड़ा गाड़ा सा जाने क्या बहुत सा निकला. मेरी पेंटी भर गई मैंने शीला को बताया तो वों हँसने लगी.

जान तुम रिलेक्स हुई हो ऐसा पहले कभी नहीं हुआ क्या?

नहीं यार मेरी तो टाँगों में से जान ही निकल गई है जैसे...

ओ के ठीक है तुम रिलेक्स हो गई हो अब हम आराम करते हैं और वों मेरे ऊपर ही लेट गई. उस के ब्रेस्ट मेरे बूब्स के ऊपर थे. मैं लम्बे लम्बे सांस ले के अपनी सांस ठीक कर रही थी. ऐसा मजा आया के क्या बतऊन. ये मेरी जिन्दगी का पहला रिलेक्स था... बड़ा ही अच्छा लगा बड़ा ही मजा आया.... और यूँ हमारी दोस्ती और भी पक्की हो गई. और ये बूब सक्किंग चलने लगी के हमारे मेर्टिक के एग्साम्स आ गये और हम स्कूल से फ्रि हो गये और पढ़ाई घरों में होने लगी...

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Re: आप की शशि

Unread post by 007 » 16 Dec 2014 09:51

आप की शशि पार्ट् – 3

(पार्ट - ३ शशि कि कहानी और लिसेन इट इन शशि वर्डस)

हां तो मेर्टिक के एग्साम्स के लिये स्कूल से हम फ्रि हो गये थे लेकिन बूब सुक्किंग कि ऐसी आदत सी हो गई थी कि क्या कहुँ एक दिन भी नहीं रहा जाता था. शीला कभी मेरे घर आ जाती और कभी मैं उस के घर चली जाती और हम बहुत मजा करते. इसी तरह दिन गुजरने लगे और फिर एग्साम्स स्टार्ट हो गये और आना जाना कम हो गया.

एक रात मैं अपने कमरे में स्टडी कर रही थी के खुद ब खुद मेरा हाथ मेरे लेफ्ट ब्रेस्ट पे चला गया वैसे तो मैं स्टडी कर रही थी लेकिन दिमाग उसी सेक्स कि तरफ था. मैं अपने ब्रेस्ट को मसाज करने लगी. मेरी सांसें तेज़ होने लगी और नीचे वोहि गिला गिला. मैं उठी और रूम का डोर लोक्क किया और आईने (मिरेर) के सामने आ गई. मैंने अपनी कमीज़ उतार दी फिर ब्रा भी. आईने में अपने बूब्स को देखने लगी. काफी बड़े थे मेरी कमर २६ होगी और ब्रेस्ट उस वक्त ३० के. या शायद कुछ बड़े क्यों के ३० की ब्रा जरा टाईट ही आती थी. निप्पलस् मेरे पिंक और जरा छोटे थे और उन का डैर भी छोटा ही था.

खैर मैं उन को मलने लगी निप्प्लेस हार्ड हो गये थे उँगली में दबाती. हाथों में भरती मसाज करती. मैं अपने बूब्स से खेलने लगी मजा आने लगा और फिर मैंने अपनी शलवार भी उतार दी. ड्रेसिंग टेबल के बड़े से मिरेर में अब मैं खुद को अपने नीस तक देख सकती थी. मेरी नज़ेर अपने पयुबिक हेयर्स पे पड़ी काफी बड़े हो रहे थे लेकिन थे ब्राउन कलर के. मैं उन में उंग्लियान फेरने लगी और मेरा हाथ मेरी पूस्सी (चूत) को भी टच हो रहा था. मैंने मिरेर में गोर से देखा मेरी पूस्सी (चूत) भी छोटी सी थी. और उस के देर्मिआन से वोहि गिला गिला निकल रहा था. मैं एक फिंगेर अपनी पूस्सी (चूत) के देर्मिअन डाल पूस्सी (चूत) लिप्स को अलग की तो एक धार सी घरे से पानी कि निकल के मेरी थाईस तक बेह गई. अरे ये क्या है मैंने सोचा, मेरी पूस्सी (चूत) लिप्स के देर्मिअन एक हार्ड सा कुछ था. मैं झुक गई और दोनों हाथों से लिप्स को अलग किया और गोर करने लगी. एक दाना सा था पर थोड़ा सा हार्ड हो रहा था.

उस पे जैसे ही फिंगेर लगै तो एक लहर मेरे पूरे बादन में दौड़ गई अह अह.

ये क्या है इस को छेड़ने से तो बड़ा मजा आया. लेकिन खड़े खड़े वहाँ हाथ रखने में मजा नहीं आ रहा था मैं बेड़ पे आ कर बैठ गई और अपनी टाँगें खोल ली. और उँगली से उस को छेड़ने लगी ऊपर से नीचे अह अह ओह ओह बड़ा मजा आ रहा था और हाथ तेजी से चलने लगा. चलता रहा चलता रहा. और सांसें तेज़ हो गई. दिल जोर से धड़कने लगा. लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था. आखैन बन्द हो रही थी. और फिर मैं रिलेक्स हो गई अह अह ह उह उह हुम हुम. बहुत ही ज्यादा व्हाईट गिला गिला निकला. बड़ा मजा आया......

लेकिन जैसे मेरी टाँगों से जान सी निकल गई. बादन सारा पसीने से भर गया..... और मैं जाने कब सो गई.

अगले ही दिन एग्साम्स था पर क्या करती सारा टाईम रात का नशा दिमाग पे छाया रहा और कुछ भी न लिख पाई. खैर वहाँ से शीला के साथ उस के घर आ गई. हम जैसे ही घर पहुँचे उस कि मम्मी कही जा रहीं थी. एग्साम्स का पूछा और फिर चली गई. मैंने उन के जाते ही शीला को पकड़ लिया.

ये तुम ने क्या कर दिया है शीला कि बच्ची. किसी काम का नहीं छोड़ा मुझे

क्यों क्या हुआ उस ने मुसकुराते हुए पूछा.

रात में खुद ही एक न्यू एक्सपेरिमेंट किया है. आ जरा तुझे भी बतऊन मैंने उसे बेड़ पे लिटा दिया और उस कि तुरंत शलवार उतार दी टाँगें खोल दी और खुद दरमियान मैं बैठ गई और उस कि छोटी सी पूस्सी (चूत) पे हाथ फेरने लगी.

अरे ये क्या कर रही हो उस ने हेरांगी से पूछा

श्ह्ह खामोश! मैंने उँगली अपने होंठों पे रख के उसे चुप करवाया.

मजा लो बस. इट्स न्यू वै फोर रेलेक्सिंग

ओ के और वों खामोशी से लेट गई. मैं अब हल्के हल्के उस के पूस्सी (चूत) लिप्स पे उंग्लिआन फेरने लगी. उसे गुदगुदी हो रही थी वों कभी अपने हिप्स उठाती कभी नीचे करने लगाती. मैंने एक उँगली उस के पूस्सी (चूत) लिप्स के देर्मिअन कर दी उस का दान भी हार्ड हो चुका था. मैं उस को सहलाने लगी. उस को छूने लगी ऊपर से नीचे.

उस के मुँह से, ऍह अह शशि अह क्या बात हैं बहुत मजा आ रहा है. वाउ इट्स वंडरफुल यार आह आह आह उस कि आंखें बन्द हो गई थी. मैं उस के दाने से खेलती रही और अब उस कि पूस्सी (चूत) में से गिला गिला निकल रहा था. मेरी पूस्सी (चूत) भी वेट् लग रही थी. मैंने उँगली कि रफ्तार तेज़ कर दी. उस का पूरा बादन तन गया और वों रिलेक्स हो गई इतनी ज्यादा के क्या कहुँ. मेरा हाथ भर गया. और फिर उस कि बोडी ढीली पर गई. वों तेज़ तेज़ सांसें लेने लगी.

ग़्रेअट यार शशि यू आर रियली गूड. क्या नय तजर्बा किया है. आज तो ऐसा मजा आया के क्या कहुँ. आह उस ने आंखें बन्द रखते हुए ही आहिस्ता से कहा.

चलो ज्यादा मजा नहीं लो अब मेरी बारी है. कम ओन बेबी लेट्स् डू इट् विद माई पूस्सी (चूत) नाउ और मैंने खुद ही अपनी शलवार उतार दी और टाँगें फैला के बेड़ पे लेट गई और वों मेरी टाँगों के देर्मिअन आ गई .

अरे शशि! तुम्हारी पूस्सी (चूत) तो बाहर को निकली हुई है लगता है रात तुम ने कुछ ज्यादा ही रब कर लिया इस को. स्वेल्ल हो रही है. मैंने उठ के देखा तो मेरे पूस्सी (चूत) लिप्स वाकई स्वेल्ल हो रहे थे.

हां हो तो रहे हैं लेकिन कम ओन यार जल्दी, फिर तुम्हारी मोम न आ जाये और वों स्टार्ट हो गई....... रात खुद से करने का तो जो मजा आया ही आया लेकिन किसी दूसरे के हाथों से पूस्सी (चूत) रब करवाने का और ही मजा है. ऍह आह उह ओह्ह क्या बात है शीला ने ऐसा मजा दिया कि क्या कहुँ......

और यूँ हम ने सेक्स का एक और न्यू वय तलाश कर लिया. अब हम बूब सुक्किंग के साथ साथ पूस्सी (चूत) रबिंग के मजे लेने लगे... पूस्सी (चूत) रुबिंग में कभी कभी हमारी उंग्लिआन पूस्सी (चूत) के उन्देर भी चली जाती लेकिन अभी हमें फिंग्रिंग का पता नहीं था और हम डरते भी थे कही कुछ उलटा ही न हो जाये.

एग्साम्स खतम हुए. जान छूटी. और हम यून्हि मिलते रहे. फिर एक दिन जब मैंने शीला के यहाँ फोन किया के मैं आऊं या वों आ रही है तो पता चला के वों अपनी मोम के साथ अपने अंक्ल के यहाँ दूसरे सिटी चली गई है अचानक. पता नहीं कब आयेगी और मैं परेशान हो गई....

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