ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
आप को रितेश के बारे मैं भी बता दूं रितेश रत्ना का कॉलेज बॉय फ्रेंड था रास्ते मैं तो दीनो का मिलना संयोग भर था लेकिन दोनो ने एक्सपोज़ इसलिए न्ही किया क्योंकि वो लवर भी थे और बात शादी तक पहुच चुकी थी...रत्ना कॉलेज टाइम मैं 2 बार प्रेग्नेंट भी हुई थी जिसे अबॉर्षन करवाने मैं रितेश ने बहुत कर्ज़ा लिया था और उसकी स्टडी बहुत डिस्टर्ब हुई थी..लेकिन दोनो एक दूसरे को चाहते थे.....
अपपने रूम मैं जाकर रत्ना भी सो गई .सुबह सुबह सभी लोग उठकर फ्रेश हुए और नाश्ता एक साथ ही लिया फिर उसके बाद ड्राइवर भी फ्रेश हुआ और गाड़ी लेकर वो लोग खजुराहो के लिए निकल पड़े
क्रमशः.......................
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ये कैसा परिवार !!!!!!!!! --9
रास्ते के खूबसूरत नॅज़ारो को देखकर सभी बहुत खुश हो रहे थे महोबा जैसी छ्होटी सी जगह पर उन लोगो ने बहुत मज़ा लिया लेकिन रात की घंटा से रत्ना बहुत विचलित नज़र आ रही थी रत्ना के साथ 1 ही गाड़ी मैं उसका पूर्व प्रेमी और उसके जेठ जी दोनो ही बैठे थे रत्ना के तो दोनो हाथो मैं लड्डू थे और मूह कढ़ाई मैं ..एक साइड उसका पति जिसे उसकी ज़रूरत पूरी करनी ही थी फिर उसका प्रेमी और अगले उसके जेठ जी लेकिन रत्ना थोड़ा दुखी भी नज़र आ रही थी लेकिन वो मज़बूर भी थी की उसकी दिल की बात को सुने बिना ही रमेश ने बाहर का रास्ता नाप लिया था लेकिन रत्ना के पास सोचने का इतना टाइम न्ही था उसे कुछ ना कुछ करना ही था अगले 3 दीनो मैं ही ....तभी रास्ते मैं ही गाड़ी फिर से पंचार हो गई और सभी का मूड बहुत ज़्यादा ऑफ हो गया ..लग रहा था की दिन ही खराब है ....ड्राइवर दोबारा से टाइयर लेकर चला गया उसी बीच रितेश का मोबाइल बज उठा
रितेश- हल्लो !!!!!!!!!!
अदर साइड- हाँ रितेश कैसे हो बेटा
रितेश- मम्मी आप ...कहिए क्या हुआ
मम्मी- बेटा तेरे पापा की तबीयत बहुत खराब हो गई है वो तुम्हे ही याद कर रहे है
रितेश- क्या ??????????
मम्मी- हाँ बेटा जहा भी हो तुरंत ही घर आ जाओ
रितेश- ओकककक......मम्मी मई... मैं पहुचता हूँ
इस खबर ने तो जैसे रितेश की वाइफ का मूड चौपट कर दिया था लेकिन परिवारिक बहू थी ...तभी उन दोनो ने बाकी लोगो से विदा ली लेकिन रत्ना की तो जैसे दुनिया ही लूटी जा रही थी ...पता न्ही क्या होने वाला था उसका
रितेश और उसकी वाइफ वही से रोडवेस मैं सवार होकर महोबा के लिए निकल लिए और तब तक ड्राइवर भी वापस आ गया गाड़ी दुबारा से स्टार्ट हो गई लेकिन इस बार सुरेश किनारे भाभी रत्ना के बगल मे बैठी थी.
रत्ना के चेहरे पर उदासी तो थी लेकिन रमेश को देख कर थोड़ी तस्सल्ली मिल रही थी की अभी सब कुछ ख़तम न्ही हुआ था... गाड़ी अपपने फुल फॉर्म मे आ चुकी थी और शाम का हल्का हल्का अंधेरा भी होने लगा था और इसी अंधेरे मे भाभी का हाथ रत्ना की जाँघ पर आकर लगा और रत्ना की सिसकारी निकल गई गुदगुदी से रत्ना बिल्कुल मचल उठी रत्ना ने भाभी का हाथ अपपनी जाँघो पर दबा लिया अब भाभी ने बड़ी अदा से रत्ना की ओर देखा और कान मे कुछ फुसफुसा और रत्ना ने अपपना सिर हिलाया ...क्या बात हुई पता न्ही
15 मिनूट मैं ही अंधेरा पूरी तरह से च्छा गया और अब गाड़ी के अंदर हाथ को हाथ न्ही दिख रा था इस पूरे अंधेरे मे भाभी ने अपपने हाथ का दबाव रत्ना की जाँघ पर बढ़ा दिया गर्मी से रत्ना का पिघलना भी सुरू हो गया भाभी के हाथ जैसे जैसे मचल रहे थे रत्ना मदहोश होती जा रही थी अब भाभी ने साडी के उप्पेर से ही रत्ना की पॅंटी को टटोलना सुरू कर दिया और सहयोग की गरज से रत्ना ने भी अपपनी टाँगे थोडा चौड़ी कर दी अब भाभी आसानी से उसकी पॅंटी तक अपपनी उंगलियों को ला रही थी और इस स्पर्श से रत्ना भीग रही थी लेकिन रत्ना को सुरेश की ज़रूरत महसूस हो रही थी ..लेकिन भाभी का भी हॉल बहाल चुका था अब तक और भाभी को भी रमेश की ज़रूरत थी तो भाभी फुसफुसा कर रत्ना के कान मे बोली
भाभी- रत्ना !!
रत्ना- जी दीदी
भाभी- तुम्हारे भैया को यहा बैठा लूँ ...
रत्ना- जी!!!!!!!! पीछे ...
भाभी- और क्या मैं ड्राइवर की गोद मे बैठू जाकर
रत्ना- लेकिन भाभी इतनी भी क्या जल्दी है, होटेल मे कर लेना
भाभी- बर्दस्त नही हो रहा है अब
रत्ना- लेकिन मैं तो यही बैठी हूँ जेठ जी कैसे !!! ये सब ,,मतलब!!!और फिर ड्राइवर भी बैठा है ये भी है
भाभी- तुम चिंता मत करो उन्हे अपपनी जगह बिठा दूँगी और सुरेश की जगह मैं बैठ जाउन्गि सुरेश को आगे भेज दूँगी
रत्ना- जेठ जी मेरे बगल मे...!!!!!!!!!!!!
भाभी- अरे तो तेरे साथ थोड़े ना करने आ रहे है ..केवल पास मे बैठा लेना
रत्ना-[ भरपूर नाटक के साथ] लेकिन दीदी ये सब
दिल ही दिल मे रत्ना इतना खुश थी की भगवान ने एक खुशी ली तो दूसरी उससे भी बड़ी दे दी है लेकिन दिखावे के साथ बोली
रत्ना- ठीक है आप समझो
तभी रत्ना ने सुरेश से कहा
भाभी- लाला जी ..
सुरेश- हाँ भाभी
भाभी- भाई साहब को पीछे भेज दो तुम आगे चले जाओ
सुरेश- बर्दास्त न्ही हो रहा क्या
भाभी- धत्त्त्त...कुछ बात करनी है बॅस
सुरेश- अरे तो पहुच के कर लेना
भाभी- अरे बहुत ज़रूरी है
सुरेश- इतना ज़रूरी है तो हम कर दे
भाभी- न्ही तुम्हारी मशीन ये है इसके करो
सुरेश- इसके तो रोज़ करते है भाभी 1 चान्स तो दो हमे भी
भाभी- शादी हो गई लेकिन तुम ना बदले
सुरेश- तुमसे तो न्ही हुई ना
भाभी- अक्चा बकवास ना करो जाना है या न्ही
सुरेश- अरे तुम तो बहुत गरम हो रही हो लगता है बह जाओगी
भाभी- लाला जी !!!!!!!!!!!!
सुरेश - ठीक है भैया तुम लो मज़े ....
रास्ते के खूबसूरत नॅज़ारो को देखकर सभी बहुत खुश हो रहे थे महोबा जैसी छ्होटी सी जगह पर उन लोगो ने बहुत मज़ा लिया लेकिन रात की घंटा से रत्ना बहुत विचलित नज़र आ रही थी रत्ना के साथ 1 ही गाड़ी मैं उसका पूर्व प्रेमी और उसके जेठ जी दोनो ही बैठे थे रत्ना के तो दोनो हाथो मैं लड्डू थे और मूह कढ़ाई मैं ..एक साइड उसका पति जिसे उसकी ज़रूरत पूरी करनी ही थी फिर उसका प्रेमी और अगले उसके जेठ जी लेकिन रत्ना थोड़ा दुखी भी नज़र आ रही थी लेकिन वो मज़बूर भी थी की उसकी दिल की बात को सुने बिना ही रमेश ने बाहर का रास्ता नाप लिया था लेकिन रत्ना के पास सोचने का इतना टाइम न्ही था उसे कुछ ना कुछ करना ही था अगले 3 दीनो मैं ही ....तभी रास्ते मैं ही गाड़ी फिर से पंचार हो गई और सभी का मूड बहुत ज़्यादा ऑफ हो गया ..लग रहा था की दिन ही खराब है ....ड्राइवर दोबारा से टाइयर लेकर चला गया उसी बीच रितेश का मोबाइल बज उठा
रितेश- हल्लो !!!!!!!!!!
अदर साइड- हाँ रितेश कैसे हो बेटा
रितेश- मम्मी आप ...कहिए क्या हुआ
मम्मी- बेटा तेरे पापा की तबीयत बहुत खराब हो गई है वो तुम्हे ही याद कर रहे है
रितेश- क्या ??????????
मम्मी- हाँ बेटा जहा भी हो तुरंत ही घर आ जाओ
रितेश- ओकककक......मम्मी मई... मैं पहुचता हूँ
इस खबर ने तो जैसे रितेश की वाइफ का मूड चौपट कर दिया था लेकिन परिवारिक बहू थी ...तभी उन दोनो ने बाकी लोगो से विदा ली लेकिन रत्ना की तो जैसे दुनिया ही लूटी जा रही थी ...पता न्ही क्या होने वाला था उसका
रितेश और उसकी वाइफ वही से रोडवेस मैं सवार होकर महोबा के लिए निकल लिए और तब तक ड्राइवर भी वापस आ गया गाड़ी दुबारा से स्टार्ट हो गई लेकिन इस बार सुरेश किनारे भाभी रत्ना के बगल मे बैठी थी.
रत्ना के चेहरे पर उदासी तो थी लेकिन रमेश को देख कर थोड़ी तस्सल्ली मिल रही थी की अभी सब कुछ ख़तम न्ही हुआ था... गाड़ी अपपने फुल फॉर्म मे आ चुकी थी और शाम का हल्का हल्का अंधेरा भी होने लगा था और इसी अंधेरे मे भाभी का हाथ रत्ना की जाँघ पर आकर लगा और रत्ना की सिसकारी निकल गई गुदगुदी से रत्ना बिल्कुल मचल उठी रत्ना ने भाभी का हाथ अपपनी जाँघो पर दबा लिया अब भाभी ने बड़ी अदा से रत्ना की ओर देखा और कान मे कुछ फुसफुसा और रत्ना ने अपपना सिर हिलाया ...क्या बात हुई पता न्ही
15 मिनूट मैं ही अंधेरा पूरी तरह से च्छा गया और अब गाड़ी के अंदर हाथ को हाथ न्ही दिख रा था इस पूरे अंधेरे मे भाभी ने अपपने हाथ का दबाव रत्ना की जाँघ पर बढ़ा दिया गर्मी से रत्ना का पिघलना भी सुरू हो गया भाभी के हाथ जैसे जैसे मचल रहे थे रत्ना मदहोश होती जा रही थी अब भाभी ने साडी के उप्पेर से ही रत्ना की पॅंटी को टटोलना सुरू कर दिया और सहयोग की गरज से रत्ना ने भी अपपनी टाँगे थोडा चौड़ी कर दी अब भाभी आसानी से उसकी पॅंटी तक अपपनी उंगलियों को ला रही थी और इस स्पर्श से रत्ना भीग रही थी लेकिन रत्ना को सुरेश की ज़रूरत महसूस हो रही थी ..लेकिन भाभी का भी हॉल बहाल चुका था अब तक और भाभी को भी रमेश की ज़रूरत थी तो भाभी फुसफुसा कर रत्ना के कान मे बोली
भाभी- रत्ना !!
रत्ना- जी दीदी
भाभी- तुम्हारे भैया को यहा बैठा लूँ ...
रत्ना- जी!!!!!!!! पीछे ...
भाभी- और क्या मैं ड्राइवर की गोद मे बैठू जाकर
रत्ना- लेकिन भाभी इतनी भी क्या जल्दी है, होटेल मे कर लेना
भाभी- बर्दस्त नही हो रहा है अब
रत्ना- लेकिन मैं तो यही बैठी हूँ जेठ जी कैसे !!! ये सब ,,मतलब!!!और फिर ड्राइवर भी बैठा है ये भी है
भाभी- तुम चिंता मत करो उन्हे अपपनी जगह बिठा दूँगी और सुरेश की जगह मैं बैठ जाउन्गि सुरेश को आगे भेज दूँगी
रत्ना- जेठ जी मेरे बगल मे...!!!!!!!!!!!!
भाभी- अरे तो तेरे साथ थोड़े ना करने आ रहे है ..केवल पास मे बैठा लेना
रत्ना-[ भरपूर नाटक के साथ] लेकिन दीदी ये सब
दिल ही दिल मे रत्ना इतना खुश थी की भगवान ने एक खुशी ली तो दूसरी उससे भी बड़ी दे दी है लेकिन दिखावे के साथ बोली
रत्ना- ठीक है आप समझो
तभी रत्ना ने सुरेश से कहा
भाभी- लाला जी ..
सुरेश- हाँ भाभी
भाभी- भाई साहब को पीछे भेज दो तुम आगे चले जाओ
सुरेश- बर्दास्त न्ही हो रहा क्या
भाभी- धत्त्त्त...कुछ बात करनी है बॅस
सुरेश- अरे तो पहुच के कर लेना
भाभी- अरे बहुत ज़रूरी है
सुरेश- इतना ज़रूरी है तो हम कर दे
भाभी- न्ही तुम्हारी मशीन ये है इसके करो
सुरेश- इसके तो रोज़ करते है भाभी 1 चान्स तो दो हमे भी
भाभी- शादी हो गई लेकिन तुम ना बदले
सुरेश- तुमसे तो न्ही हुई ना
भाभी- अक्चा बकवास ना करो जाना है या न्ही
सुरेश- अरे तुम तो बहुत गरम हो रही हो लगता है बह जाओगी
भाभी- लाला जी !!!!!!!!!!!!
सुरेश - ठीक है भैया तुम लो मज़े ....
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
सुरेश- [ड्राइवर से] भाई रोको यार किनारे ज़रा टाय्लेट वग़ैरह कर ले
ड्राइवर ने कार किनारे रोक दी और सभी लोग उतर गये 3-4 मिनूट मे सभी लोग वापस आए तो सुरेश जल्दी से आगे जाकर बैठ गया और रत्ना भी साइड मे जहा बैठी थी बैठ गई अब प्राब्लम ये थी की भाभी भी अंदर न्ही जा रही थी और भैया रत्ना की वज़ह से बाहर खड़े थे
रमेश- चलो बाहर क्यों खड़ी हो
भाभी-आप बैठो मैं भी बैठती हूँ
रमेश- पागल हो क्या अंदर बहू बैठी है मैं वाहा ...........
भाभी-अरे मुझे थोड़ा उल्टियाँ जैसी हो रही है अभी बैठ जाओ 15 मिनूट बाद आप किनारे आ जाना
रमेश के दिल के तार झनझणा उठे लेकिन सुरेश साथ मे था कोई विपरीत प्रभाव ना हो ये सोचकर उसने सुरेश की ओर देखा लेकिन सुरेश का ध्याना कही और था इसलिए रमेश जल्दी से अंदर रत्ना के बगल मे जाकर बैठा गया अओर भाभी ने अंदर बैठकर दरवाज़ा लॉक कर लिया .......रमेश अब मौका गँवाने के मूड मे न्ही थे और रत्ना से बिल्कुल चिपक कर बैठे थे......
ड्राइवर ने कार किनारे रोक दी और सभी लोग उतर गये 3-4 मिनूट मे सभी लोग वापस आए तो सुरेश जल्दी से आगे जाकर बैठ गया और रत्ना भी साइड मे जहा बैठी थी बैठ गई अब प्राब्लम ये थी की भाभी भी अंदर न्ही जा रही थी और भैया रत्ना की वज़ह से बाहर खड़े थे
रमेश- चलो बाहर क्यों खड़ी हो
भाभी-आप बैठो मैं भी बैठती हूँ
रमेश- पागल हो क्या अंदर बहू बैठी है मैं वाहा ...........
भाभी-अरे मुझे थोड़ा उल्टियाँ जैसी हो रही है अभी बैठ जाओ 15 मिनूट बाद आप किनारे आ जाना
रमेश के दिल के तार झनझणा उठे लेकिन सुरेश साथ मे था कोई विपरीत प्रभाव ना हो ये सोचकर उसने सुरेश की ओर देखा लेकिन सुरेश का ध्याना कही और था इसलिए रमेश जल्दी से अंदर रत्ना के बगल मे जाकर बैठा गया अओर भाभी ने अंदर बैठकर दरवाज़ा लॉक कर लिया .......रमेश अब मौका गँवाने के मूड मे न्ही थे और रत्ना से बिल्कुल चिपक कर बैठे थे......