ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

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007
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Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Unread post by 007 » 26 Dec 2014 18:11


रमेश ने घुटने के बल बैठ कर उसकी योनि को अपपने मूह से गीला कर दिया और फिर से खड़ा होकर अपपना सामान हाथ मैं पकड़ कर भाभी के योनि द्वार पर रख कर एक धक्का लगाया और सत्त्त्त से अंदर और 15 -20 धक्के के बाद ही दोनो त्रप्त हो गये फिर रमेश ने रूम खोला और बाहर निकला तो रत्ना को गेट पर ही खड़ा पाया दोनो की नज़रे मिली और रमेश नहाने के लिए चला गया..........

रमेश के निपट लेनें के बाद भाभी खाली हो कर दुबारा किचन मैं पहुचि तो रत्ना ने पूछ ही लिया क्यों भाभी क्या हो गया था , बहुत देर लगा दी ....कही मूड मैं तो न्ही आ गई थी...भाभी झेन्प्ते हुए बोली "धत्टत्त"

फिर उसके बाद सब लोग रमेश भाभी सुरेश और रत्ना नाश्ते की टेबल पर इकट्ठा हुए और बातें होने लगी...रत्ना चोर नज़रो से रमेश को देख रही थी इन 2 दीनो मैं रत्ना की झिझक बहुत हद तक कम हो गई थी या ये कहो की सुरेश के प्लेबाय नेचर ने रत्ना तो थोड़ा बोल्ड कर दिया था....

रत्ना: सुनिए जी...क्यों ना हम लोग कही घूमने चले..
सुरेश: तुम्हे भी जाने क्या सूझ जाती है ...अब क्या टाइम है घूमने का और मेरे पास छुट्टी भी तो न्ही है
रत्ना- तुम्हारे पास तो कभी न्ही होगी तो क्या .आदमी काम किसलिए करता है घर वालो के लिए ना...
भाभी- अरे लाला जी [देवर को लाला जी कहते है ण.देहात. मैं]चलो ना हम लोग भी घूम लेंगे थोड़ा बहुत कहा टाइम ही मिल पाता है
रमेश- क्या तुम्हे भी ..कहा जाओगी
भाभी- ये तो रत्ना ही ब्ताएगी.बोलो रत्ना कहा चलॉगी
रत्ना- जी मैं तो खजुराहो जाना चाहती हूँ..
सुरेश- क्याआआआआआअ.......एसा कैसे हो सकता है...हम सब खजुराहो कैसे जा सकते है
भाभी- काहे लाला जी कजुराहो मैं एसा क्या है ....
सुरेश : अरे भाभी तुम न्ही जानती अभी ...भैया बताओ
रमेश- ले जाओ एक बार दिखा दो ..फिर भूल जाएँगी कहना
सुरेश- अरे भैया अप भी !!!!!!!!!!!!
रमेश- अरे चलो यरर चलते है [और रत्ना से नज़रे मिल गई तो जैसे सिग्नल ग्रीन हुआ]
सुरेश- लेकिन भैया रतनाआआ............
रत्ना- क्या रत्ना ..सब जाएँगे तो मैं क्या घर पर रहूंगी....
सुरेश - ओक ओकोकोक भाई चलो सब लोग चलो ..लेकिन फिर मुझसे ना कहना कि कहा ले आए हो
भाभी- हाँ न्ही कहेंगे तुमसे..

न्यू देल्ही से खजुराहो जाने के लिए झाँसी तक आना ही था फिर झाँसी से खजुराहो की ट्रेन मिलेगी

सुरेश ने 4 लोगो का झाँसी तक का रिज़र्वेशन लिया और झाँसी से खजुराहो तक का कोई रिज़र्वेशन न्ही मिला था तुरंत के लिए ..

घर आकर उसने शे-अर किया
सुरेश- आज रात को निकलते है ..सुबह 5 बजे तक हम झाँसी पहुच जाएँगे फिर झाँसी से आगे कोई कार रिज़र्व कर लेंगे खजुराहो तक के लिए
रत्ना - ओह्ह...जी आप कितने अच्छे हो
सुरेश ने मार्केट से ज़रूरत का कुछ समान लिया और 2 पॅकेट मूड्स कॉंडम भी लिए ....घर पर सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी ये लोग निकलने के लिए तैयार हो चुके थे सुरेश ने फोन करके रेडियो टॅक्सी को बुला लिया और समान लाद कर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए निकल पड़े और 2न्ड एसी मैं जाकर अपपनी बर्थ देखी. लेकिन एक गड़बड़ हो चुकी थी सुरेश ने जब टिकेट बुक करवाए थे तब पहले भैया का नाम फिर रत्ना का नाम फिर भाभी का नाम फिर अपपना नाम लिखवाया था जिस वज़ह से रमेश और रत्ना आमने सामने और भाभी - सुरेश इनके पीछे वाले बर्थ पर बैठने की जगह मिल रही थी लेकिन क्योंकि चलो लोग घर के ही थे इसलिए अड्जस्टमेंट हो गया था रमेश अपपनी वाइफ के साथ और सुरेश अपपनी वाइफ के साथ जाकर बैठ गया था...ट्रेन ने जैसे ही पुरानी दिल्ली छ्चोड़ा तुरंत ही कोच अटेंडेंट आ गया और रमेश और भाभी का दरवाज़ा खटखटाया

सी.ए- नॉक ....नॉक
रमेश- कोन है
का- ट्रेन स्टाफ सर!!!!!
रमेश ने डोर ओपन किया और पूछा "जी कहिए "
का- टिकेट प्लीज़ सर..
रमेश- टिकेट मेरे भाई के पास है
का- हू ईज़ युवर ब्रदर सर प्लीज़ अस्क हिम हियर आंड शो मी युवर वॅलिड टिकेट
रमेश- वॅलिड टिकेट !! वॉट डू यू मीन मिस्टर !!! आप किस तरह से बात कर रहे है क्या पॅसेंजर्स से आप इस तरह से ही बात करते है
का- सॉरी सर ..युवर अरे टेकिंग मी इन रॉंग वे . इट ईज़ ऑल ऑफ माइ ड्यूटी आइ नीड टू चेक युवर टिकेट
रमेश - जस्ट वेट इअम कॉलिंग हिम हियर
रमेश उठ कर बगल मैं नॉक करता है... सुरेश पूछता है कॉन रमेश जवाब देता है मैं सुरेश दरवाज़ा ओपन करता है
सुरेश- हाँ भैया क्या हुआ ?
रमेश- अरे छ्होटे इन्हे टिकेट दिखाओ ...ये टिकेट माँग रहे है
सुरेश- 1 मिनूट सर मैं अभी लाया

सुरेश अंदर जाकर टिकेट ले आता है
सुरेश - ये लिज़िइ सर देखिए

का टिकेट देखता है ..और रमेश से पूछता है अपपका नाम क्या है सर
रमेश- जी मेरा नाम रमेश है
का- हूंम्म ...तो अपपके सामने तो मिसेज़ रत्ना होंगी ....
रमेश- जी न्‍न्न्नहिईीईईईई...आक्चुयली रत्ना मेरी बहू लगती है इसलिए वो मेरे सामने कैसे बैठ सकती है इसलिए हमने सीट एक्सचेंज कर ली है
का- सॉरी सर .. इट ईज़ नोट पासिबल ..
रमेश- क्या ?
का- सर आप एसा न्ही कर सकते मैं अपपको इसकी इजाज़त न्ही दे सकता क्योंकि दोसरे के नाम पर कोई दूसरा आदमी ट्रॅवेल न्ही कर सकता
रमेश- लेकिन जब दोनो पॅसेंजर्स तैयार है तो अपपको क्या प्राब्लम है
का- सॉरी सर फॉर सेक्यूरिटी रीज़न्स हम अपपको इसकी इज़ाज़त न्ही दे सकते ..अपपके रिश्तों से ज़्यादा रूल्स आंड टर्म्ज़ हमारे लिए इंपॉर्टेंट है
सुरेश- प्लीज़ सर समझने की कोशिस करिए
का - सर ये अपपको बुकिंग के समय ध्यान रखना चाहिए था. आइ आम वेरी सॉरी

007
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Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Unread post by 007 » 26 Dec 2014 18:11



थक हार कर रत्ना को रमःश् के ब्लॉक मैं और भाभी को सुरेश के ब्लॉक मैं जाना ही पड़ा ..... खैर जो भी हुआ हो लेकिन रत्ना का दिल बल्लियों उछाल रहा था और शायद कुछ एसा ही हॉल था रमेश का भी...............

रमेश और सुरेश को भी ये बात हाज़ाम न्ही हो रही थी एसा कैसे हो सकता है .....लगता है कि स्टाफ कुछ उपरी कमाई चाहता है सो रमेश ने ऑफर भी दिया कि भाई 100-200 लेकर मामला निपताओ लेकिन स्टाफ ने ये कहकर इनकार कर दिया कि अज्ज बीडीई साहब [ र्राइव. ऑफीसर] की स्पेशल विज़िट है इसलिए हम कोई रिस्क न्ही ले सकते
रमेश- अरे यार तो कॉन सा बड़े साब यहा आ जाएँगे फिर ये भी तो सोचो कि ये मेरी बहू है मैं कैसे रह सकता हू इसके साथ
स्टाफ- सर हम लोग बहुत मामूली नौकर है प्लीज़ आप हम पर प्रेशर ना दे .आप टीटी से कॉंटॅक्ट करे तो वो अपपकी हेल्प ज़रूर कर सकते है बट मैं न्ही कर सकता ..आइ आम वेरी सॉरी सर
रमेश- ये टीटी साहब कहा मिलेंगे
स्टाफ- सर वो अभी विज़िट पर आते ही होंगे लेकिन प्लीज़ तब तक आप लोगो को अपनी तय सीट पर ही बैठना होगा प्लीज़ ! दिस ईज़ माइ हंबल रिक्वेस्ट टू यू
सुरेश- वो बात ठीक है ..हम समझते है लेकिन प्लीज़ अप जल्दी से टीटी साहब को भेजे
स्टाफ- वो बस नेक्स्ट 20 मिनूट मैं ही राउंड पर आ रहे होंगे
रमेश- ठीक है 20 मिनूट मैं कोई फ़र्क न्ही पड़ता
लेकिन रत्ना की सारी खुशी काफूर हो गई थी ये बात सुनकर.उसने तो इन 10 मिनूट मैं अगले 8 घंटो का प्रोग्राम ब्ना लिया था लेकिन सुरेश ने सब चौपट कर दिया
लेकिन तब तक टीटी न्ही आया तब तक रमेश और सुरेश अपपने कॉमपार्टमेंट से बाहर ही खड़े रहे थे.तभी टीटी आता हुआ दिखाई दिया वो कोई 55 बरस का बुड्दा आदमी था जो बहुत खुश मिज़ाज़ लगता था .जब रमेश ने अपपनी कहानी बताई तो वो भी बहुत परेशान हुआ
टीटी- माफ़ किगिएगा साहब और कोई दिन होता तो मैं अपपकी रिक्वेस्ट पर ज़रूर ध्यान देता लेकिन आज ही बड़े साहब की स्पेशल विज़िट है इसलिए कोई रिस्क न्ही लेना चाहते है हम . भाई अब 4-5 साल की नौकरी है इसलिए दाग न्ही लगवाना चाहते है
रमेश- लेकिन साहब प्लीज़ आप सोचिए तो आख़िर बहू अपपने जेठ के साथ कैसे रह पाएँगी !!
टीटी- मैं समझता हूँ इस बात को लेकिन.........
रमेश- प्लीज़ सर प्लीज़ रिश्तो का कुछ तो ख्याल करिए ..एक बार को ये ठीक भी था अगर उसका पति साथ ना होता लेकिन जब उसका पति उसके साथ है तो मैं कैसे रह सकता हूँ और फिर सीट तो हम लोग खुद ही इंटरचेंज कर रहे है इसमें रेलवे का क्या नुकसान
टीटी- लेकिन सीट तो आदमी के नाम से अलॉट होती है ना ...अपपने देखा है कि टिकेट चेक करते वक़्त मैने अपपके वॅलिड आइडेंटिटी कार्ड देखे या न्ही ..केवल इसलिए कि किसी और के नाम से कोई और आदमी यात्रा ना करे ..सो प्लीज़
रमेश- ओह्ह्ह्ह.....माइ गॉड ....
टीटी- लेकिन एक रास्ता है .........
रमेश- क्या सर क्या प्लीज़ टेल मे सून
टीटी- अगर अप लोग अपपने अपपने जगह पर ही रहे और अगर कोई पूछे तो वो ही नाम ब्ताईएएगा जो की रिज़र्वेशन मैं लिखवाए थे ...वैसे तो इसकी संभावना ही ना के बराबर है लेकिन फिर भी रमेश अपपना नाम सुरेश और सुरेश को रमेश बताना होगा
रमेश- ठीक है ये हम कर सकते है

टीटी- ओके ! और कोई मदद
रमेश- नो सर! थॅंक यू वेरी मच

ट्रेन अपपनी द्रुत गति से चली जा रही थी और अब तक ग्वालिएर पहुच चुकी थी अब केवल 2 घंटे का सफ़र शेष था लेकिन ग्वालिएर से आगे बढ़ते ही गाड़ी अचानक रुक गई ..पता न्ही क्या हुआ था सभी लोग गहरी नींद मैं थे रत्ना उस वक़्त टाय्लेट मैं थी और उसे भी कोई रीज़न न्ही समझ आ रा था ट्रेन रुकने का तभी ट्रेन के अंदर कुछ लोग मूह पर कपड़ा बँधे हुए धड़-धड़ते हुए घुस आए सब के हाथ मैं दुनाली बंदूके थी और सभी के काले कपड़े पहन रखे थे दूसरे सबदो मैं कहे तो देखने मैं एक से एक ख़तरनाक डकैत थे वो लोग
तभी उनमे से एक आदमी बोला जो बातों से उनका सरदार लगा
सरदार- भाई जित्तेउ लोग है जे डिब्बा मैं सब लोग बाहर आ जाओ
लोग सो रहे थे किसी को न्ही सुनाई पड़ा जब 2 मिनूट तक कोई बाहर न्ही निकला तो सरदार ने 1 गोली चलाई जिसकी आवाज़ से ही सब कोप के भीतर हड़बदा उठे कि क्या हो गया है लेकिन कोई बाहर ना निकला और टाय्लेट मैं रत्ना कातो डर के मारे पेशाब ही रुक गया

007
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Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Unread post by 007 » 26 Dec 2014 18:12


सरदार ने फिर से आवाज़ लगाई तो लोग बाहर निकल कर आए लेकिन रत्ना अंदर ही थी. तो सरदार ने कहा
सरदार- आप लोग हमाई बात सुन लो हम तो है जहा के डकैत और जे समझ लो खून से खिल्बो हमाओ काम है ..हम लोग किन्हौ को कछु नई कहत अगर बे लोग अपपने ज़ेबर अओर रुपैया -पैसा दे देत है हुमे लेकिन हम चपर छपार पसंद नैया सुन लो ...आप लोग सो हमाए आदमी आउत है आबे तुम लोगान के पास ओउ तुम सब लोग आपाओ आपाओ समान दे दयो हमे..स्माल लाई की नई के हम फिर से सम्जह्ये अप लोगान को

टाय्लेट मैं बैठी रत्ना ने भी सुन लिया था सब उसका दिमाग़ सुन्न हो रहा था लेकिन उसने कुछ काबू भी किया था खुद पर तभी उसे ध्यान आया कि उसके पास एक मोबाइल है जिसे उसने तुरंत ही साइलेंट मोड़ पर डॉल लिया ताकि कोई भी शोर ना हो और टाय्लेट का दरवाज़ा अंदर से कस कर बंद कर लिया और अपपने मोबाइल से तुरंत ही 100 नंबर मिलाया ..उधर घंटी जाती रही लेकिन किसी ने न्ही उठाया रत्ना ने फिर ट्राइ किया सौभाग्य से अबकी बार की कॉल रेसीएवे की गयइ कोई मेल उधर से बोला
माले- हल्लो जी कहिए क्या बात है
रत्ना- [फुसफुसते हुए] जी मैं इस वक़्त चेन्नई एक्सप्रेस मैं हूँ और ग्वालिएर स्टेशन के आगे ये ट्रेन कही पर खड़ी है..
माले- तो जी हम का करे एमए ..ट्रेन खड़ी है ..
रत्ना- जी अप पूरी बात तो सुनिए ...
माले- का आप भी
रत्ना- सर ये पोलीस का नंबर ही है ना
माले- हाँ जी ग्वालिएर पोलीस कॉंटरोले रूम का नंबर है
रत्ना- तो आप मेरी बात ठीक से सुनिए समझे आप
इस टोन को सुनकर वो सकपका गया शायद उसे एसी उम्मीद न्ही थी
मेल- जी मेडम कहिए क्या सेवा करू अपपकी मैं
रत्ना- मैने कहा कि चेन्नई एक्शपस ग्वालिएर स्टेशन के आगे कही खड़ी है और ट्रेन मैं डाकू चढ़ आए है प्लीज़ आप कुछ करिए
माले- मेडम अप जिस डिब्बे मैं है उसका नंबर ब्ताइए
रत्ना- जी मैं 1स्ट्रीट एसी मैं हूँ
मेल- आप चिंता मत करिए आप तक मदद ज़रूर पहुचेगी
रत्ना ने टाय्लेट से बाहर निकलने की कोशिश न्ही की करीब 15 मिनूट मैं ही पोलीस ने एसी बुगी को चारो ओर से घेर लिया था और डकैतों को भी पकड़ लिया था
इस बात का ज़्यादा वर्णन बेकार है फिर ट्रेन वाहा से चली और 2 घंटे बाद ट्रेन झाँसी मैं थी....

क्रमशः..........................

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