ये कैसा परिवार !!!!!!!!! --8
गतान्क से आगे....................................
जैसे तैसे ट्रेन झाँसी पहुच गई अब झाँसी से आगे जाने के लिए 3 रास्ते थे या तो ट्रेन से महोबा तक जाए या फिर रोडवेज का सहारा लिया जाए या 3र्ड वे कोई प्राइवेट कार हाइयर की जाए कार लेना उनलोगो ने ज़्यादा अक्चा समझा लेकिन कार तो एजेन्सी मैं केवल 1 बची थी और उसके लिए 2 पार्टियाँ थी दूसरी पार्टी को भी जाना था लेकिन उन्हे केवल महोबा तक ही जाना था इसलिए 2 दोनो लोग अग्री हो गये थे जो दूसरी फॅमिली थी वो शायद हनिमून कपल थे और उन्हे भी खजुराहो ही जाना था लेकिन महोबा मैं रुकने के बाद लड़के की उमर कोई 22 साल और लड़की की 19 के आस पास होगी लड़की बहुत ही सुन्दर थी उसी अनुपात मैं लड़का भी किसी स्लिम हीरो से कम न्ही था ...कुल मिला कर जोड़ी जम रही थी लड़की ने लो कट टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके छोटे से बूब्स के निपल्स बिल्कुल आसानी से दिख रहे थे. क्योंकि मेरे ख्याल से उसके बूब्स का साइज़ केवल 26 होगा बातों ही बातों मैं बोथ फॅमिलीस खुल गई थी रास्ता तो इतना बेहतरीन था कि कहने ही क्या गाड़ी मक्खन की तरह दौड़ रही थी सबसे आगे रमेश बैठा था ड्राइवर के बगल मैं पीछे की सीट पर सुरेश था बीच मैं , और भाभी और रत्ना सुरेश के अगाल बगल और उसके पीछे सीट पर वो न्यू कपल बैठा था. सुरेश भी धीरे धीरे नज़रे बचा कर रत्ना की जंघे सहलाता जा रहा था ये सीन शायद पीछे लड़के ने देख लिया था और उसने भी काम क्रीड़ा का शुभारंभ कर दिया था ..उसने धीरे से अपपने 2 दोनो हाथ लड़की के टोपके अप्पर से ही आराम से बूब्स पर रख दिए सब लोग आगे ही देख रहे थे लेकिन एक नज़र एसी भी थी जो आगे के साथ पीछे भी लगी थी ...शिकारी अपपना भोजन भला कैसे छ्चोड़ सकता था ...इस नवेली को देखकर तो जैसे सुरेश को मुहमांगी मुराद मिली थी इसलिए सुरेश जानबूझ कर रत्ना को इस तरह से छेड़ रहा था की पीछे वाले रिक्षन ज़रूर करें ... और उसका असर भी हुआ था पीछे से कामुक सिसकारियाँ आना स्टार्ट हो गई थी लेकिन मुसीबत ये थी कि अगर भैया भाभी और ड्राइवर ना होता तो शायद स्वपिंग की बात की जाती लेकिन अब क्या किया जाए कैसे इस लड़की के साथ केवल 10 घंटे गुजरने का मौका मिले तो मेरा लंड तो इसकी चूत मैं होगा चाहे कुछ भी हो चाहे रत्ना को ही इसके हज़्बेंड के पास भेजना पड़े ...अब चलते चलते 5 घंटे हो चुके थे और महोबा की दूरी केवल 60 किलो मीटर बची थी यानी केवल लगभग 1 से 1.5 घंटे का टाइम था सुरेश के पास इस खुराफाती दिमाग़ से कोई खुराफात छ्चोड़ने का ......लेकिन क्या किया जाए....तबकि गाड़ी हिचकोले खाने लगी
रमेहस- आररीई... ये क्या हो रहा है ड्राइवर .....
गाड़ी डिसबॅलेन्स हो रही थी सुरेश भाभी के अप्पर गिरा पड़ा था और कुछ इस तरह से की भाभी के लिप्स सुरेश के गाल पर थे ...
ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
ड्राइवर ने किसी तरह से गाड़ी को संभाला
ड्राइवर- लगता है टाइयर पंक्चर हो गया है .
रमेश- क्या ...
ड्राइवर- जी हाँ
सुरेश- स्टप्नी तो होगी ना
ड्राइवर- वो तो है लेकिन टाइयर मैं हवा न्ही है
सुरेश- क्या बेवकूफ़ आदमी हो यार हवा क्या हर जगह मिलती है अब हम क्या करेंगे
ड्राइवर- क्या करे सब सुबह टाइयर पंक्चर हुआ था बस मैं हवा डलवाने जा रहा था सब ने आप लोगो के साथ भेज दिया मेरे ध्यान से उतर गया
सुरेश- ...ध्यान से उतर गया......अब हम क्या करें यार
ड्राइवर- सब अप लोग रूको मैं यहा पास मैं देखता हूँ कोई दुकान मिले तो टाइयर मैं हवा डलवाकर लाउ
सुरेश- लेकिन जाओगे कैसे
ड्राइवर- किसी गाड़ी से लिफ्ट लेता हूँ 10-15 मिनूट मैं आ जाउन्गा
वो लोग वेट करने लगे लेकिन उस रास्ते से 15 मिनूट तक कोई वहाँ ही न्ही गुजरा और जो निकले उन्होने गाड़ी न्ही रोकी करीब 45 मिनूट बाद एक गाड़ी ने लिफ्ट दी ड्राइवर को अब दोफर के 3 बज रहे थे उन लोगो को भूख लगी थी इसलिए साइड मैं पेड़ के नीचे उन लोगो ने चादर बिछा कर खाना लगाया और न्यू कपल को भी बुला कर बिठाया
सभी लोग खाना खाने लगे रत्ना ने बातों ही बातों मैं उनसे बोलना स्टार्ट कर दिया और रत्ना ने लड़की से पूछा
रत्ना- लगता है अभी न्यी न्यी शादी हुई है
लड़की - हाँ ये 1स्ट्रीट मोन्थ है हमारी शादी का
रत्ना- कहा के रहने वाले है आप
लड़की- जी हम लोग नोएडा के
रत्ना- अरे वाह हम लोग भी तो दिल्ली के है
लड़की- अच्छा
रत्ना- लो मैं तो तुम्हारा नाम ही पूछना भूल गई
लड़की- जी मेरा नाम पूनम है
रत्ना- मेरा रत्ना , ये मेरी भाभी है ये जेठ जी और ये इसकी बिटिया और ये मेरे हज़्बेंड है
पूनम- और ये है रितेश
रितेश- हाला एवेरिवन, नाइस टू मीट यू
रितेश ने बड़ी गहरी निगाहो से रत्ना को देखा जैसे पूछ रहा हो कैसा लगा मैं तुम्हे ..और रत्ना ने भी निगाहो मैं ही उत्तर दे दिया पूनम- हम लोग तो कल खजुराहो के लिए निकलने वाले थे अब तो 4 बज रहे है और मुझे लगता है कि 6 बजे से पहले हम महोबा न्ही पहुचेंगे और 5.30 के बाद अपपको महोबा से आगे जाने न्ही दिया जाएगा
सुरेश- क्यों ..मैने न्यूज़ मैं पड़ा था कि आज कल पोलीस कोमबिंग चल रही है उस एरिया मैं और एंपी से बाहर की गाड़ियाँ एंपी पोलीस साम को आने न्ही देती है तो आप लोग एसा करो आज महोबा मैं ही रुकते है कल हम लोग भी चलेंगे
सुरेश- भैया क्या कहते है ?
रमेश- चलो रुक जाते है कल चलेंगे क्या दिक्कत है रात मैं आराम भी मिल जाएगा थोड़ा
तभी एक ट्रक पास आकर खड़ा हुआ उसमे से ड्राइवर निकला और उसने गाड़ी का टाइयर चेंज करना स्टार्ट कर दिया 15 मिनूट बाद गाड़ी चलने को तैयार थी और अबकी बार न्यू कपल भी आगे आकर बैठ गया था न्यू कपल सुरेश के बिल्कुल सामने था जिसमे की पूनम की दोनो टाँगो के बीच सुरेश का पैर था और रत्ना की दोनो टॅंगो के बीच रितेश का पैर और रियल मज़ा तब आ रहा था जब ड्राइवर भरपूर ब्रेक लगा रहा था रत्ना जो जैसे भरा घड़ा थी और इंतज़ार कर रही थी कि कब गाड़ी खड़ी हो और केवल 10 मिनूट मिल जाए पूनम का तो हॉल खराब था सुरेश का घुटना पूनम के स्कर्ट के अंदर हो चुका था और लगभग पूनम की पुसी से टच हो रहा था दोनो ही इसका मज़ा ले रहे थे भाभी से ये बात च्छूपी न्ही थी लेकिन भाभी ना जाने क्यों मुस्कुरा रही थी ...थोड़ी देर बाद सब महोबा पहुच गये और ....वाहा 3 रूम लिए जिनमे एक मैं न्यू कपाल और एक मैं भैया -भाभी और एक मैं सुरेश रत्ना रुके.........
तीनो लोगो के रूम अगाल बगल मैं ही थे इसलिए आवाज़े आसानी से सुनी जा सकती थी लगभग 3 के तीनो ही " आराम " कर रहे थे और ड्राइवर अपनी गाड़ी मैं सो रहा था रत्ना अपपना भोग लगवाने के बाद थोड़ा एक्सट्रा मस्ती करना चाहती थी ...आज रत्ना को अपपनी कॉलेज पिक्निक याद आने लगी थी जब वो रात मैं अपपने टेंट से निकल कर अपपने अलग अलग बॉय फ्रेंड्स के पास जाती थी ...
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थोड़ी देर बाद अंदर घुटन सी होने पर वो रूम से बाहर आकर खड़ी हो गई तो उसने देखा की ड्राइवर अपपनी गाड़ी के बाहर ही खड़ा था और अपपने हाथ से अपपने लिंग को सहला रहा था रत्ना का पारा फिर से चढ़ने लगा लेकिन ड्राइवर के लिए वो परेशान न्ही थी उसने रमेश के रूम मैं झाँकने की कोशिस की लेकिन ये बहुत रिस्की था ..आख़िर मान सम्मान की बात थी लेकिन उसने भी सोच लिया कि यहा से जाने के बाद तो कोई रास्ता न्ही है लेकिन दूसरी तरफ उसका ध्यान रितेश की तरफ भी था रमेश तो उसके साथ ही थे आज न्ही तो कल रमेश के आगोश मैं उसे आना ही था लेकिन अगर रितेश निकल गया तो फिर एसा मुर्गा उसे न्ही मिलने वाला था इसलिए वो पलट कर रितेश के रूम की तरफ गई और हौले से नॉक किया ..1 बार की नॉक मैं ही रूम का दरवाजा बड़े आराम से ओपन हुआ जिसका मतलब की रितेश इंतज़ार ही कर रहा था इस तरह से दरवाज़ा खुलता देख कर रत्ना हड़बड़ा गई क्योंकि उसे लगा था कि वो तो सो रहा होगा ....रितेश दरवाज़ा बंद कर बाहर आ गया ..
रितेश- मैं जानता था कि तुम ज़रूर आओगी
रत्ना- कैसे ?
रितेश- मुझे अहसास था
रत्ना- लेकिन मैने तो कोई इशारा न्ही किया था
रितेश- तुम्हारी निगाहे ही मुझे बता रही थी तुम आज की रात मुजसे ज़रूर मिलॉगी
रत्ना- मैने भी देखा था कि मेरे पति भी तुम्हारी पत्नी का साथ चाहते है
रितेश- समझता हूँ लेकिन अभी ये पासिबल न्ही है क्योंकि वो MC मैं है
रत्ना- तो इसका मतलब है कि तुम अभी भूखे हो
रितेश- पेट भरा होता तो यहा बाहर नींद खराब करता अब टाइम मत खराब करो बातें तो हम रास्ते मैं भी कर लेंगे
रत्ना- आरीई ..छोड़ो कोई देख लेगा
रितेश- कोई न्ही देखेगा केवल 1 किस दो
रत्ना- न्ही ...
रितेश- कॉलेज मैं भी तुम एसे ही करती थी...
रत्ना- तुम्हे अभी तक याद है
रितेश- तुम क्या भूलने वाली चीज़ हो हम तो शादी कर चुके होते अगर मेरे डॅडी ने प्रेशर ना डाला होता
रत्ना- छोड़ो भी पुरानी बातें मैं न्ही जानती कल क्या हुआ था ..बॅस आज की देखो
रितेश- हम कॉलेज के सबसे हॉट कपल हुआ करते थे ....और तुम्हारे अबॉर्षन के लिए मैने कितना उधार ले लिया था बाप रे..
रत्ना- ऑफ ओ तुम मुझे पुराने दिन क्यों याद दिला रहे हो
रितेश- तो 1 किस दो ना
रत्ना- तो मैं क्या हाथ मैं लेकर दूँ ..तुम्हारे हाथ पैर टूट गये है क्या
रितेश- ओह्ह्ह....मेरी जान ये कहते हुए उसके हाथ उसके नितंबो पर पूरी तरह से कस गये थे और इतनी गरम्जोशी की वज़ह से ठंडी मैं भी पसीना आ गया था रत्ना को तभी दरवाज़ा खड़खड़ाने की आवाज़ आई दोनो स्तर्क हुए और दूर दूर खड़े हो गये . तभी रमेश के रूम का दरवाज़ा खुला और रमेश बाहर आए और रत्ना के दरवाज़े के पास आकर खड़े हो गये ...रत्ना ये देखकर बहुत खुश हो गई कि उसका निशाना ठीक बैठा है और रमेश भी उसकी ओर आकर्षित हो गये थे .
दरवाज़े तक पहुचते ही रत्ना उनके पास आकर खड़ी हो गई
रत्ना- भाई साहब आप....कोई काम था क्या
रमेश- वो..वू.... मुझे कुछ....
रत्ना- हां कहिए
रमेश- तुम बाहर क्या कर रही हो
रत्ना- बस थोडा नींद न्ही आ रही थी इसलिए बाहर निकल आई थी
रमेश- मुझे वो मुझे तुमसे कुछ कहना था
रत्ना- जी भाई साहब कहिए
रमेश- मैं तुमसे अकेले मैं बात करना चाहता हूँ
रत्ना- जी मुझसे अकेले मैं लेकिन क्या .......
रमेश- तुम समझ सकती हो मुझे न्ही लगता कि तुम अंजान हो
रत्ना- जी मैं समझी न्ही
रमेश- तुम ही मुझे बार बार अपपनी तरफ खीच रही हो और मुझे अब तुम्हारा साथ चाहिए
रत्ना- लगता है आप होश मैं न्ही है
रमेश- मैं होश मैं हूँ लेकिन तुम नाटक कर रही हो
रत्ना- [दिल हीदिल मैं खुश] कैसा नाटक आप मेरे जेठ है
रमेश- ये बताने की ज़रूरत न्ही है तुम्हे ,मैं जानता हूँ कि तुम क्या चाहती हो लेकिन दुबारा मेरे करीब मत आना .
रत्ना- जी सुनिए...
लेकिन रमेश बिना कुछ सुने ही अपपने रूम मैं चला जाता है और बाहर न्ही निकलता रत्ना भी थोड़ी देर बाद अपपने रूम मैं जाती है रितेश तो रमेश को देखते ही चुपचाप रूम मैं जा चुका था
रितेश- मैं जानता था कि तुम ज़रूर आओगी
रत्ना- कैसे ?
रितेश- मुझे अहसास था
रत्ना- लेकिन मैने तो कोई इशारा न्ही किया था
रितेश- तुम्हारी निगाहे ही मुझे बता रही थी तुम आज की रात मुजसे ज़रूर मिलॉगी
रत्ना- मैने भी देखा था कि मेरे पति भी तुम्हारी पत्नी का साथ चाहते है
रितेश- समझता हूँ लेकिन अभी ये पासिबल न्ही है क्योंकि वो MC मैं है
रत्ना- तो इसका मतलब है कि तुम अभी भूखे हो
रितेश- पेट भरा होता तो यहा बाहर नींद खराब करता अब टाइम मत खराब करो बातें तो हम रास्ते मैं भी कर लेंगे
रत्ना- आरीई ..छोड़ो कोई देख लेगा
रितेश- कोई न्ही देखेगा केवल 1 किस दो
रत्ना- न्ही ...
रितेश- कॉलेज मैं भी तुम एसे ही करती थी...
रत्ना- तुम्हे अभी तक याद है
रितेश- तुम क्या भूलने वाली चीज़ हो हम तो शादी कर चुके होते अगर मेरे डॅडी ने प्रेशर ना डाला होता
रत्ना- छोड़ो भी पुरानी बातें मैं न्ही जानती कल क्या हुआ था ..बॅस आज की देखो
रितेश- हम कॉलेज के सबसे हॉट कपल हुआ करते थे ....और तुम्हारे अबॉर्षन के लिए मैने कितना उधार ले लिया था बाप रे..
रत्ना- ऑफ ओ तुम मुझे पुराने दिन क्यों याद दिला रहे हो
रितेश- तो 1 किस दो ना
रत्ना- तो मैं क्या हाथ मैं लेकर दूँ ..तुम्हारे हाथ पैर टूट गये है क्या
रितेश- ओह्ह्ह....मेरी जान ये कहते हुए उसके हाथ उसके नितंबो पर पूरी तरह से कस गये थे और इतनी गरम्जोशी की वज़ह से ठंडी मैं भी पसीना आ गया था रत्ना को तभी दरवाज़ा खड़खड़ाने की आवाज़ आई दोनो स्तर्क हुए और दूर दूर खड़े हो गये . तभी रमेश के रूम का दरवाज़ा खुला और रमेश बाहर आए और रत्ना के दरवाज़े के पास आकर खड़े हो गये ...रत्ना ये देखकर बहुत खुश हो गई कि उसका निशाना ठीक बैठा है और रमेश भी उसकी ओर आकर्षित हो गये थे .
दरवाज़े तक पहुचते ही रत्ना उनके पास आकर खड़ी हो गई
रत्ना- भाई साहब आप....कोई काम था क्या
रमेश- वो..वू.... मुझे कुछ....
रत्ना- हां कहिए
रमेश- तुम बाहर क्या कर रही हो
रत्ना- बस थोडा नींद न्ही आ रही थी इसलिए बाहर निकल आई थी
रमेश- मुझे वो मुझे तुमसे कुछ कहना था
रत्ना- जी भाई साहब कहिए
रमेश- मैं तुमसे अकेले मैं बात करना चाहता हूँ
रत्ना- जी मुझसे अकेले मैं लेकिन क्या .......
रमेश- तुम समझ सकती हो मुझे न्ही लगता कि तुम अंजान हो
रत्ना- जी मैं समझी न्ही
रमेश- तुम ही मुझे बार बार अपपनी तरफ खीच रही हो और मुझे अब तुम्हारा साथ चाहिए
रत्ना- लगता है आप होश मैं न्ही है
रमेश- मैं होश मैं हूँ लेकिन तुम नाटक कर रही हो
रत्ना- [दिल हीदिल मैं खुश] कैसा नाटक आप मेरे जेठ है
रमेश- ये बताने की ज़रूरत न्ही है तुम्हे ,मैं जानता हूँ कि तुम क्या चाहती हो लेकिन दुबारा मेरे करीब मत आना .
रत्ना- जी सुनिए...
लेकिन रमेश बिना कुछ सुने ही अपपने रूम मैं चला जाता है और बाहर न्ही निकलता रत्ना भी थोड़ी देर बाद अपपने रूम मैं जाती है रितेश तो रमेश को देखते ही चुपचाप रूम मैं जा चुका था