पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:59

पंडित & शीला पार्ट--52

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गतांक से आगे ......................

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उनके लंड को अन्दर तक महसूस करते हुए , उनकी आँखों में आँखे डालकर रितु ने कहा : "जो भी हो पंडित जी ...आप मजे बड़े सही देते हो ....उम्म्म्म ....मन करता है ...सारा दिन .....आपके लंड के ऊपर ही बैठी रहू ...बस ...मम्मी ना बुला ले ....ही ही ... ''

उसने अपनी माँ की तरफ देखा और जोरों से हंसने लगी ..

उसकी माँ की चूत में भी अब चिंगारियां सुलगनी शुरू हो गयी थी ..पहली बार वो जल्दी झड़ जाए तो अगली बार उसको ज्यादा समय लगता था ..उसने आँखों ही आँखों में अपनी बेटी को कुछ इशारा किया और वो चुपचाप उनके लंड से उतर गयी ...और अपनी माँ के पास आकर उन्हें उठाया और पंडित जी के ऊपर जाकर उन्हें उनके लंड पर विराजमान करवा दिया ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......स्स्स्स .....उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

माधवी की गीली चूत के अन्दर पंडित जी का लंड फिसल कर पूरा अन्दर आ गया ...

एक मिनट पहले जहाँ रितु बैठी थी, वहां अब उसकी माँ माधवी थी ..और उसकी गुलगुलाती हुई चूत के अन्दर अपना सनसनाता हुआ लंड फंसा पाकर पंडित जी के पुरे शरीर में चिंगारियां सी निकलने लगी ...और उन्होंने उसके मोटे मुम्मों को देखते हुए नीचे से जोर-२ से धक्के लगाने शुरू कर दिए ...


सच में ...माँ आखिर माँ होती है ...और ये माधवी ने पंडित जी को दिखा दिया ..अपनी चूत में उनके लंड को लेकर मसलने की कला जो उसके पास थी ..वैसा रितु शायद ही अगले दस सालों में सीख पाए ..

अगले पांच मिनट तक माधवी की चूत में अपना लंड रगड़ने के बाद पंडित जी को रितु का ख़याल आया ...उन्होंने उसको फिर से अपनी तरफ बुलाया और उसको लिटा कर खुद उसकी खुली टांगो के बीच पहुँच गए और वहां से उसके अन्दर दाखिल हो गए ..

रितु : "उम्म्म्म .........माँ ......तुम भी आ जाओ ....मेरे ऊपर ....मुझे चूसनी है ....तुम्हारी चूत .....जल्दी आओ यहाँ ...''

माधवी के अन्दर भी अब आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी ..और उसकी शर्म - हया भी अब निकल गयी थी ..वो भागती हुई सी रितु के ऊपर आई और उसके मुंह के दोनों तरफ पैर करके नीचे बैठ गयी ...

और रितु ने अपने हाथ फेला कर अपनी माँ की चोडी गांड को उनमे समेट लिया और रसीली चूत को सीधा अपने मुंह के ऊपर लगा कर उसके अन्दर से निकल रहा मीठा रस पीने लगी ...

''उम्म्म्म्म्म्म .....ओह्ह्ह्ह्ह माँ ...सदप ......उम्म्म्म्म…। पुच .......पुच ........अह्ह्ह्ह .......''

उसने अपनी माँ की कटोरी में से सारी खीर निकाल कर खानी शुरू कर दी ...माधवी भी अपनी कमर मटका कर अपने दाने को उसकी जीभ से लगा कर मजे ले रही थी ...और नीचे से पंडित जी अपनी ही मस्ती में रितु की चूत सुरीले संगीत की तरह से बजा रहे थे ..

पुरे कमरे में सेक्स की हवा और आवाजें फेली हुई थी ..

इस बीच रितु दो बार झड गयी थी ...एक बार तो जब उसकी माँ की चूत उसके मुंह के ऊपर आई और दूसरी बार जब पंडित जी ने माधवी की भरवां गांड को मचलते हुए देखा रितु के चेहरे पर तो उन्होंने कुछ शॉट्स ज्यादा ही तेज लगा दिए ...

और आखिरकार पंडित जी के लंड के अन्दर से भी आवाजें आने लगी ..की वो उल्टी करने वाला है ......और पंडित जी के सामने दो-२ यजमान थे ...इसलिए बराबर का प्रसाद वितरण भी जरुरी था ..उन्होंने अपना लंड रितु की लीक हो चुकी चूत से बाहर निकाला और दोनों को अपने सामने बिठा लिया ...

और अपने लंड को हिलाते हुए उन्होंने एक जोरदार पिचकारी दोनों के चेहरे की तरफ छोड़ दी ..

गाड़े रस की पहली पिचकारी रितु के खुले हुए मुंह के अन्दर जाकर गिरी ...जिसे वो एक ही चटखारे में निगल गयी ...फिर पंडित जी की पिचकारी माधवी की तरफ घूमी ..और उसके चेहरे पर भी सफ़ेद धब्बो से ढक दिया ...माँ बेटी में जैसे प्रतिस्पर्धा लगी हुई थी की किसके हिस्से में कितना ''माल'' आयेगा ...

माधवी ने पंडित जी के लंड को पकड़ा और उसे अपने मुंह में लेकर बाकी का बचा -खुचा ''जीवन-रस'' निकाल कर पी गयी ...


पर इतने से भी उसका पेट शायद नहीं भरा था ...रितु के चेहरे पर लगे हुए रस को देखकर माधवी की जीभ फिर से लपलपाने लगी ..और उसने रितु के चेहरे को घुमा कर साइड में किया और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसके गालों पर ओस की बूंदों की तरह पड़े हुए रस की बूंदों को इकठ्ठा किया और उन्हें भी पी गयी ...


और बात यहीं ख़त्म नहीं हुई .....माँ की ममता देखिये ...उसने अब तक जितना भी रस अपने मुंह से चूसा था वो सब वहीँ इकठ्ठा कर लिया था ..और आखिर में उसने अपनी बेटी के होंठों को अपनी तरफ किया और उसे फ्रेंच किस करते हुए और अपनी मेहनत का सारा रस उसके मुंह में उड़ेल दिया ...

अपनी माँ के इस त्याग को देखकर रितु की आँखों में आंसू आ गए ...और उसे अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हुई की कहाँ थोड़ी देर पहले वो अपनी माँ को नीचा साबित करने के लिए पंडित जी की अट्टेंशन ले रही थी और यहाँ खुद उसकी माँ उसके लिए ऐसे त्याग कर रही है, जिसके बारे में वो खुद सोच भी नहीं सकती ...

ये सब देखकर रितु ने अपनी माँ को भी उतनी ही गर्मजोशी के साथ चूम लिया ...

अब उसकी समझ में आ गया था की माँ आखिर माँ ही होती है ..और बेटी ...बेटी होती है .
फिर कुछ देर के बाद उन्होंने अपने-२ कपडे पहने और घर की तरफ निकल गए ..

अगले दिन पंडित जी सुबह दस बजे ही तैयार होकर बैठ गए ..क्योंकि शीला ने बोल था की वो कोमल को दस बजे उनके पास भेज देगी ..और उन्हें ज्यादा इन्तजार भी नहीं करना पड़ा ..जल्द ही कोमल उनके दरवाजे पर खड़ी थी ..और उसके चेहरे पर जो मुस्कान थी वो तो देखते ही बनती थी ..उसने आते ही दरवाजा बंद किया और पंडित जी का हाथ पकड़कर उन्हें अन्दर ले आई और
बोली : "ये आपने क्या जादू कर दिया है दीदी पर ...पता है उन्होंने खुद ही मुझे आपके साथ जाने के लिए कहा ..मैं तो सोच भी नहीं सकती थी की आप ऐसा कर सकते हो ..''

पंडित जी ने उसे बताना जरुरी नहीं समझा की असल में हुआ क्या था ..वो तो बस कोमल के सामने हीरो बनने में लगे हुए थे , वो बोले : "अभी तुमने देखा ही क्या है ..आगे-२ देखो मेरा कमाल ..अच्छा अब बताओ ..आज का क्या प्रोग्राम है ..मतलब आज अपने दिल की कौन सी इच्छा पूरी करनी है तुम्हे ..''

कोमल : "वो तो अभी सीक्रेट है ...बाद में पता चल जाएगा आपको ..अभी तो मुझे पहले कपडे बदलने है ..''

इतना कहकर उसने अपने साथ लाया हुआ एक बेग निकाला और उसमे से टी शर्ट और मिनी स्कर्ट निकाल कर बेड पर रख दी ..

उसने आज वैसे तो पीले रंग का सूट पहना हुआ था ..पर घर से तो वो ऐसे कपडे पहन कर निकल नहीं सकती थी न ..पंडित जी उससे कुछ कहते इससे पहले ही उसने अपने सूट के कुर्ते को पकड़ा और ऊपर करते हुए उसे अपने सर से घुमा कर निकाल दिया ..

पंडित जी अवाक से उसे देखते ही रह गए ..वो अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और सलवार में खड़ी थी ..

पंडित जी को अपनी तरफ ऐसे घूरते हुए देखकर वो बोली : "क्या ...आप ऐसे क्यों देख रहे हो ..कल तो आप मुझे ऐसा देख ही चुके हो ...अब आपसे छुपकर कपडे बदलने का क्या मतलब ..''

'जियो मेरी रानी ...मुझे क्या परेशानी होगी ..मेरी तरफ से तो तू नंगी हो जा अभी ..जो एक न एक दिन तुझे होना ही है ..'
ये सोचते हुए पंडित जी मुस्कुराने लगे ..

और उसके बाद कोमल ने अपनी सलवार भी निकाल दी ..और अब उसका संगमरमरी जिस्म सिर्फ ब्रा-पेंटी में था ..और ये सेट वही था जो कोमल ने कल लिया था ..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो ..उसके बाद वो शीशे के सामने खड़े होकर अपनी ब्रा-पेंटी की फिटिंग को एडजस्ट करने लगी, जैसा की अक्सर लड़कियां करती है ..वो शायद भूल गयी थी की वहां पंडित जी भी खड़े हैं जो अपनी गिद्ध जैसी आँखों से उसे देखकर अपनी कुत्ते जैसी जीभ निकाल कर खड़े हैं ..

कोमल अपने बूब्स को ऊपर नीचे करके और अपनी ब्रा के स्ट्रेप को लूस करके वहां एडजस्टमेंट कर रही थी और यहाँ पंडित जी का लंड वो सब देखकर आपे से बाहर हो रहा था ..

और फिर कोमल ने वो किया जिसकी पंडित जी को भी आशा नहीं थी ..उसने अपनी पेंटी के अन्दर हाथ डाला और अपनी चूत के अन्दर अपनी उँगलियों को डुबोकर बाहर निकाला और अपने मुंह में डाल लिया ...उसने ये सब इतनी जल्दी से किया था की पंडित जी की नजरें अगर कहीं और होती तो शायद वो देख ही ना पाते ...और शायद वो यही सोच रही थी की पंडित जी शायद कहीं और देख रहे हैं ..पर वो तो तिरछी नजरों से उसे ही देखने में लगे हुए थे ..

अब पंडित जी को पूरा विश्वास हो गया की मस्ती तो इसे भी चढ़टी है ..

फिर कोमल ने अपनी टी शर्ट और स्कर्ट पहन ली ..उसकी टी शर्ट इतनी टाईट थी की उसकी ब्रा के अन्दर के निप्पल भी साफ़ दिखाई दे रहे थे ..पर पंडित जी को भला क्या शिकायत हो सकती थी ..वो चुप रहे .

पंडित जी ने भी नकली मूंछ और चश्मा लगा कर टोपी पहन ली ..और थोड़ी देर के बाद दोनों तैयार होकर बाहर निकल पड़े .

बाहर निकलते ही कोमल ने पंडित जी के हाथों को अपनी बगलों में समेट लिया ...जैसे उनकी लवर हो वो ..उन्हें कोमल के कोमल-२ मुम्मों का आभास अपनी कोहनी पर साफ़ महसूस हो रहा था ..

चलते-२ कोमल बोली : "आज मुझे अपने दिल की वो इच्छा पूरी करनी है जिसमे आप मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे और मैं आपकी गर्लफ्रेंड ..मैंने अक्सर देखा है लड़के-लड़कियों को ऐसे घुमते हुए ..और उन्हें देखकर मैं अन्दर से जल सी जाती थी ..मैंने तब से ही सोच कर रखा था की मैं भी ऐसे घुमुंगी ..अब जब मेरा बॉयफ्रेंड होगा तब तक मुझसे इन्तजार नहीं होता ..मैं भी तो देखू की उन लोगो को ऐसा करने में क्या मजा आता है ..''

पंडित जी इस बार फिर से उसकी बचकाना सोच पर अपना माथा पीट कर रह गए ..पता नहीं क्या -२ फितूर भरे पड़े हैं इस लड़की के दिमाग में ..पर अगले ही पल उन्हें ये भी एहसास हुआ की वो अपनी मन की इच्छाओं की पूर्ति करते हुए उन्हें भी तो मजे का एहसास देगी ...जैसे कल उन्हें शोरूम में मिला था ...शायद आज भी कुछ ख़ास कर जाए ये अपने पागलपन को पूरा करने के चक्कर में ..

बस ये सब सोचकर पंडित जी मन ही मन मुस्कुरा दिए ..और उसके साथ चलते रहे ..


वैसे बात तो ये सच है ...जिन लड़के या लड़कियों के लवर नहीं होते वो अक्सर दुसरे जोड़े को एक साथ देखकर जल सा जाते हैं ..और अक्सर वो खुद को उस लड़के या लड़की की जगह रखकर सोचते हैं की इससे अच्छा तो मुझे ले चलता / चलती ये साथ ...मुझमें आखिर कमी क्या है .. और शायद यही कोमल ने भी सोचा था ..

खैर ..आज वो काफी सेक्सी लग रही थी ..उसके कपडे थे ही इतने सेक्सी की हर कोई उसे देखकर घूरने में लगा हुआ था ..खासकर उसकी नंगी टांगों और मोटी जाँघों को देखकर ...और ऊपर की तरफ लटके हुए अल्फ़ान्सो आमों को देखकर ..जिनमे से उसके निप्पल अपने दर्शन पुरे शहर को करवा रहे थे ..और ये सब देखकर और महसूस करके कोमल बहुत खुश हो रही थी ..
तभी पंडित जी के मन के एक विचार आया ..क्यों न इसको उसी पार्क में ले चले ..जहाँ उन्होंने नूरी के साथ मजे लिए थे ..वहां का माहोल भी ऐसा रहता है ..ज्यादातर लड़के - लड़कियां ही आते हैं वहां ..चूमा -चाटी करने के लिए ..

पंडित जी ने कोमल को कहा की वहां एक पार्क है ..जहाँ घूमने में बड़ा मजा आयेगा ..वो मान गयी और दोनों उस पार्क की तरफ चल दिए ..

अभी सुबह का समय था, इसलिए सिर्फ आशिकों से भरा पड़ा था वो पार्क ..ज्यादातर स्कूल और कॉलेज से बंक मारकर आये हुए लड़के-लड़कियां थे ..वहां का माहोल देखकर तो वो ख़ुशी से चिल्ला ही पड़ी : "ओहो ....ऐसे ही देखती थी मैं ...अब मजा चखाती हु सबको ....''

वो तो जैसे आशिकों की दुनिया से कोई इंतकाम लेने निकली थी आज ..अपने दिल की जलन को वो किस तरह से आराम पहुँचाना चाहती थी ये तो पंडित जी को भी अंदाजा नहीं था ..

पार्क के हर पेड़ के पीछे एक जोड़ा बैठा था ....कहीं लड़की, लड़के की गोद में सर रखकर लेटी थी और कहीं लड़का ..कोई किसी को चूम रहा था तो कोई किसी के मुम्मे दबा रहा था ..और ये सब देखकर कोमल का तो पता नहीं पर अपने पंडित जी का लंड हरकत में आना शुरू हो गया था .

और एक बात पंडित जी ने भी नोट की ..जहाँ -२ से कोमल निकल रही थी ..सभी लड़के अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़कर कोमल को देखने में लग गए थे ..वो चीज ही ऐसी थी ..और ऊपर से उसने दूसरी लड़कियों की तरह स्कूल यूनिफार्म नहीं पहनी थी ..उसका गुदाज जिस्म और गोरा रंग पुरे पार्क में आग लगा रहा था ..

पंडित जी उसे लेकर उसी जगह पर पहुँच गए जहाँ बैठकर उन्होंने नूरी से मजे लिए थे ..दो पेड़ो के बीच बनी जगह और पीछे की तरफ घनी झाड़ियाँ होने से वो जगह काफी छुपी हुई सी थी ..

पंडित जी घांस पर बैठ गए ..कोमल की छोटी सी स्कर्ट होने की वजह से उसे बैठने में मुश्किल हो रही थी ..पर फिर भी बड़ी मुश्किल से वो एक ही तरफ दोनों घुटनों को मोड़कर बैठ गयी ..
पंडित जी की तेज नजरें उसकी स्कर्ट की दरार को भेदकर अन्दर देखने की कोशिश कर रही थी ..

उनके आस पास के पेड़ों के नीचे दो जोड़े और भी बैठे थे ..जो दुनिया से बेखबर होकर एक दुसरे में खोये हुए थे ..

उनकी तरफ देखकर कोमल को लगा की वो लड़के भी उसे देखकर अपनी गर्लफ्रेंडस को भूल जायेंगे ..पर वो तो अपनी दुनिया में ही मस्त थे ..एक लड़के ने लड़की को अपनी गोद में लिटाया हुआ था ..और उसके रेशमी बालों में हाथ फिराते हुए उससे बातें कर रहा था ..और बीच-२ में झुककर उसके होंठों को भी चूम लेता था ..


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:00

पंडित & शीला पार्ट--53

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गतांक से आगे ......................

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और दूसरा लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को अपने सामने बिठा कर उसकी पीठ से चिपका हुआ था ..उन दोनों का चेहरा पंडित जी और कोमल की तरफ ही था ..इसलिए पंडित जी उस लड़के के हाथों को साफ़ देख पा रहे थे जो उस लड़की के छोटे -२ निम्बुओ को निचोड़कर उनका रस निकालने में लगा हुआ था ..और साथ ही साथ अपने होंठों से उसकी गर्दन को ड्रेकुला की तरह चूस भी रहा था ..

लड़की के चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन को देखकर साफ़ पता चल रहा था की उसे कितना मजा आ रहा था ..

पंडित जी ये सब देख ही रहे थे की कोमल की आवाज आई .: "पंडित जी ...आप थोडा इधर आइये ...''

वो किसी आज्ञाकारी कुत्ते की तरह कोमल के कहे अनुसार उसके पास पहुँच गए ..और पेड़ के बिलकुल नीचे बैठकर उन्होंने अपनी कमर पेड़ के तने से सटा दी ..और उनके बैठते ही कोमल सीधा आकर उनकी गोद में बैठ गयी ..

पंडित जी को तो इसकी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी ...पर वो शायद उन दोनों जोड़ों को हराना चाहती थी ..

पंडित जी का लंड तो पहले से ही खडा था और उसके ऊपर कोमल की मखमली गांड के स्पर्श से पंडित जी का लंड झटके मारने लगा और उन तरंगों को शायद कोमल ने भी साफ़ महसूस किया ...उनका लंड नीचे दब सा गया था ..इससे पहले की पंडित जी उसको एडजस्ट कर पाते कोमल एकदम से घुमि और उनके गले से लगकर अपनी बाहे पंडित जी की गर्दन के चरों तरफ लपेट दी ..

उसके जिस्म की मादक खुशबु को उन्होंने आँखे बंद करके पूरी तरह से महसूस किया ...और उसके मोटे मुम्मों का गुदाज्पन उनके सीने में गुदगुदी सी कर रहा था ..

कोमल उनके कान में बोली : "पंडित जी ....देखना ज़रा ..वो देख रहे हैं क्या यहाँ ...''

पंडित : "नहीं ...वो तो अपने में मस्त हैं ...''

कोमल : "पंडित जी ...आप ऐसे बैठे रहोगे तो वो कैसे देखेंगे ...कुछ करो न ..जिससे उनका ध्यान हमारी तरफ आये ...''

पंडित जी को अब तक पता चल चुका था की कोमल की मानसिकता कैसी है ..वो अन्दर से खुले और प्राकर्तिक विचारों वाली थी ..और दुनिया को अपना जिस्म और अदाएं दिखाकर दीवाना बनाने में विशवास रखती थी ..उसे सबकी अटेंशन चाहिए थी ..चाहे इसके लिए कोई भी मर्यादा लांघनी पड़े ..

पंडित जी ने उसके कहे अनुसार उसके बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू कर दिए ..एक हाथ वो धीरे उसकी टांगों पर भी ले गए और उसकी चिकनी टांगों पर हाथ फिराते ही कोमल का शरीर कांप सा गया ..अब चाहे वो जितना भी दिखावा कर ले, अन्दर से तो उसकी चूत भी चरमराती होगी ..उसकी भावनाएं भी तो मचलती होंगी ..

और यही भावनाएं पंडित जी को बाहर निकलवानी थी ..ताकि वो खुद उनके लंड से चुदने की भीख मांगे ..और इसके लिए आज से अच्छा मौका कोई और हो भी नहीं सकता था ...

पंडित जी के हाथ फिसलते हुए जैसे ही कोमल की पिंडलियों तक पहुंचे उनका दिल जैसे धड़कना ही भूल गया ..इतनी सांचे में ढली हुई पिंडली थी जैसे किसी बड़े से मुर्गे की टंगड़ी ..उसको अपने दांतों से नोचकर खाने में कितना मजा आएगा ..ये सोचते हुए पंडित जी के मुंह में पानी भर आया ...

कोमल का सीना किसी मिसाईल की तरह से पंडित जी की छाती पर चुभ रहा था ..खासकर उसके उभरे हुए निप्पल जो किसी शूल की तरह उनकी त्वचा को भेद कर अन्दर घुसने का प्रयत्न कर रहे थे ..

यहाँ पंडित जी अपने मजे लेने में लगे थे और वहां कोमल दुसरे जोड़े की अटेंशन ना मिलने से परेशान सी थी ..

कोमल : "क्या पंडित जी ...लगता है आपके बस का कुछ नहीं है ..वो लोग तो देख भी नहीं रहे इस तरफ ..''

अब पंडित जी उस बेवकूफ को कैसे समझाए की इस दुनिया में जो दिखता है वही बिकता है ..जब तक वो दिखाएगी नहीं वो लोग खरीदेंगे कैसे ...

उनका दिमाग बिजली की तेजी से इस सुनहरे अवसर का मजा लेने का प्लान बनाने लगा ..

उन्होंने अचानक से अपना हाथ ऊपर किया और उसकी मिनी स्कर्ट को और ऊपर करते हुए उसको कोमल की कमर से लपेट दिया ..और ऐसा करते ही उसकी पेंटी सबके सामने नजर आने लगी ..

कोमल : "व्हाट .....ये क्या कर दिया आपने ....''

वो थोडा जोर से चिल्लाई यही, जिसकी वजह से सामने बैठे हुए जोड़े की नजरें उनके ऊपर आ गयी ..और जैसे ही उन्होंने कोमल की चिकनी गांड को एक छोटी सी कच्छी में कैद देखा उनकी आँखे फट कर बाहर निकलने को आ गयी ..

पंडित : "तुमने ही तो कहा था की कुछ करो ...वो देख नहीं रहे हैं ...अब देखो ..वो कैसे आँखे फाड़ कर तुम्हे ही देख रहे हैं ...और तुम्हारी चिकनी गांड को देखकर उस लड़के की हालत ही खराब हो रही है ...देखो ...''

पंडित जी ने उसकी चिकनी गांड की तारीफ खुल कर कर तो दी ..पर अगले ही पल उन्हें एहसास हुआ की उनके मुंह से ये क्या निकल गया है ..

कोमल थोड़ी देर तक तो उस लड़के की तरफ तिरछी नजरों से देखती रही ..और जब उसे विशवास हो गया की पंडित जी ने जान - बूझकर ऐसा किया है तो उसके होंठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ गयी ...और अगले ही पल आँखे तरेर कर उसने पंडित जी को देखा और उस मुस्कान को और गहरा करके बोली : "अच्छा जी ...मेरी चिकनी गांड ...हम्म ....वाह पंडित जी ...ये सब भी आता है आपको ...''

पंडित जी सकपका से गए ..वो बोले : "वो ...वो तो बस ऐसे ही ....निकल गया मुंह से ...''

कोमल : "ऐसे ही निकला या .....''

उसने जान बूझकर अपने शब्द बीच में ही छोड़ दिए ..

कोमल : "वैसे ...मुझे ये भी पसंद है ...''

पंडित जी (हेरानी से उसकी आँखों में देखते हुए ) : "क्या !!!!"

कोमल : "येही ...जैसे अभी आपने बोला ...खुलकर ...मेरे बारे में ...मेरी चिकनी गांड ..के बारे में ..''

ओहो ...तो ये बीमारी इसको भी है ...पंडित जी ने आज तक जिस किसी के साथ भी गन्दी भाषा में बात की थी , वो सभी को पसंद आई थी ..

यानी सभी लड़कियों को ये लंड -चूत वाली भाषा पसंद आती है ..ऊपर से कितनी शरीफ बनती हैं ये ..और अन्दर से इतनी बदमाश ...शायद पंडित जी लड़कियों का मनोविज्ञान समझने लगे थे ..

कोमल आगे बोली : "पंडित जी ...ये भी ...मेरी एक दबी हुई इच्छा है ...ऐसी भाषा में बात करना ...''

उसने सकुचाते हुए कह ही दिया ...

पंडित जी ने तो अपना माथा ही पीट लिया ...जैसे बस इसी की कमी रह गयी थी ..

पर अगले ही पल उन्होंने कोमल के कान में धीरे से कहा : "तेरी चूत के अन्दर ऐसे और कितने गुबार भरे पड़े हैं ...''

उनकी बात सुनकर वो शरारती लहजे में मुस्कुरायी और अपनी गुलाबी आँखों से उन्हें देखते हुए बोली : "ऊँगली डालकर निकाल लीजिये चूत से ..जितने भी भरे पड़े हैं ...''

ओह तेरी की ...यानी ये कोमल उन्हें खुला चेलेंज कर रही है ...अपनी चूत में ऊँगली डालने के लिए ...

उन्होंने जैसे ही उसकी पेंटी के लास्टिक में अपनी ऊँगली डाली कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया : "पंडित जी !!!!!...आप भी न ....मैं तो मजाक कर रही थी ..''

पंडित ने मन ही मन कहा : 'ऐसी बातों में मजाक नहीं करते पगली ...''

पर बेचारे कुछ बोल ही नहीं पाए ..

कोमल का ध्यान फिर से उस जोड़े की तरफ गया ..लड़की तो उस लड़के से बातें करने में लगी हुई थी ..पर लड़के का ध्यान अब सिर्फ और सिर्फ कोमल की खुली हुई गांड पर था ...जिसपर से वो चाह कर भी अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था ..और अचानक उस लड़की को नाजाने क्या हुआ, उसने जोर से उस लड़के के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठों को प्यासी कुतिया की तरह से चूसने लगी ...लड़के का सार ध्यान फिर से अपनी प्रेमिका की तरफ चला गया ..

कोमल ये देखकर मचल कर रह गयी ...और पंडित जी की तरफ देखकर बोली : "पंडित जी ....चूमो मुझे ....जैसे वो कुतिया चूम रही है ..उसी तरह ...चूमो मुझे ...''

पंडित जी उसके गुस्से को देखकर हेरान रह गए ...वो जानते थे की इस वक़्त वो नहीं, उसका गुस्सा बोल रहा है ..

पंडित जी जानते थे की ऐसी सिचुएशन को कैसे हेंडल करना है ...

पंडित जी : " अच्छा ठीक है ...पर पहले ये बताओ ...तुम्हे आज तक किसी ने पहले कभी चूमा है ...यहाँ ...''

कहते हुए उन्होंने कोमल के कच्चे होंठों को छु लिया ..वो सिमट सी गयी और बोली : "नहीं ...किसी ने नहीं ..''

पंडित : "और तुम अपनी पहली किस्स इस तरह से लेना चाहती हो ...गुस्से में ...वो भी किसी और को दिखाने के लिए ...''

कोमल ने अपना सर झुक लिया ...जैसे उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था ..

पंडित : "देखो कोमल ...ये प्यार है ..काम शास्त्र है ..जिसमे नफरत , गुस्से और जलन की भावना का कोई स्थान नहीं है ..इसमें लगाव है ..आकर्षण है ..पर दिखावा नहीं है ..''

पंडित जी ने अपने ज्ञान का पिटारा खोलना शुरू कर दिया उसके सामने ..

पंडित : "अगर प्यार करना है तो किसी को दिखाने के लिए नहीं, अपने मन की प्यास को बुझाने के लिए करो ..''

और जब पंडित जी ये सब बोल रहे थे उनकी नजरें उसके नमकीन और गुलाबी होंठों पर थी ..इतने सेक्सी होंठ उन्होंने आज तक नहीं देखे थे ..उसपर चमक रहा पानी ऐसे था जैसे ओस की बूंदे ...

पंडित जी और कुछ बोल पाते इससे पहले ही कोमल ने उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और अपने होंठों से उनके होंठों को बंद कर दिया ...

जैसे कह रही हो ''अब बस भी करो पंडित जी ...आप बोलते बहुत हो ..''

और पंडित जी की तो जैसे लाटरी निकल गयी ...आज उन्हें ये एहसास हो गया था की कोमल जैसे होंठ उन्होंने आज तक नहीं चूसे ...वो तो अपने होंठों को बस उनके लिप्स पास रगड़ ही रही थी ..क्योंकि ये उसका पहला मौका था और उसे कुछ बही नहीं आता था, पर जब पंडित जी ने चार्ज संभाला और अपने होंठों से उसके नर्म और मुलायम लबों का शहद चाटना शुरू किया तो उनके पुरे शरीर के रोयें खड़े हो गए ...

अचानक उनका एक हाथ फिसलता हुआ सीधा उसकी ब्रेस्ट के ऊपर चला गया जो ऐसी स्थिति में स्वाभाविक ही होता है ..और वहां हाथ लगाते ही पंडित जी को ऐसा एहसास हुआ जैसे उनके हाथ में पानी का गुब्बारा आ गया है .. थोडा मुलायम और थोडा कठोर ..
और जैसे ही पंडित जी ने उसके गुब्बारों की हवा निकालनी शुरू की तो कोमल का पूरा शरीर मादकता के नशे में झूमने सा लगा और उसका असर उसके शरीर के अंगो पर हुआ ..

उसकी आँखे नशे में डूबकर बंद होती चली गयी ...

उसके होंठों के मांस में एक अलग तरह की नरमी आ गयी और उनमे से मीठा पानी निकलने लगा जिसकी वजह से पंडित जी को उसके होंठों को चूसने में और भी मजा आने लगा ..

उसके निप्पल की कसावट और भी ज्यादा हो गयी और वो फेलने लगे ..पंडित जी की उँगलियाँ अगर उन्हें मसल कर उनकी सुजन नहीं निकाल रहे होते तो वो फट ही जाने थे ..

और सबसे ज्यादा असर तो हुआ उसकी चूत पर ..जिसमे से नीम्बू पानी जैसे द्रव्य की सरंचना होने लगी और वो द्रव्य छल -२ करता हुआ कच्छी की मर्यादाओं को लांघता हुआ पंडित जी की जाँघों को तर करने लगा ..

ऐसा एहसास तो उसे अपने जीवन में आज तक नहीं हुआ था ..

अब तो पंडित जी ने भी अपनी आँखे बंद कर ली ..और कोमल को घुमा कर अपनी गोद में ऐसे बिठा लिया की उसकी दोनों टाँगे उनकी कमर के दोनों तरफ आ गयी ..और ऐसा करने से उनके लंड के ठीक ऊपर कोमल की चूत आ गयी ...और उन्होंने ये सोचते हुए की वो दोनों पूरी तरह से नंगे हैं ..और पंडित जी अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसे चूम रहे हैं ..कोमल के होंठों को बुरी तरह से चूसना शुरू कर दिया ...

पंडित जी बैठे-२ ही दिन में सपना सा देखने लग गए थे ..पर जो वो सपने में देख रहे थे वो अब वैसे भी उन्हें सच होता दिख रहा था ..

उन्होंने आँखे खोली और वो वास्तविकता में वापिस आ गए .और उन्होंने अपनी किस्स तोड़ दी ..उन्होंने देखा की कोमल अब भी अपनी आँखे बंद करके अपने फड़कते हुए होंठों को उनके सामने पसारे उनकी प्रतीक्षा कर रही है ..पर जब कुछ देर तक पंडित जी के होंठ नहीं आये तो उसने आँखे खोल दी ..

और उन शरबती आँखों को देखकर एक पल के लिए पंडित जी सारी दुनियादारी भूल गए ..

एक गुलाबीपन आ चूका था उनमे ..एक अजीब सी चमक भी आ गयी थी ..शर्म थी ..प्यार था ..लज्जा थी ..और विशवास था ..

पंडित जी को अपनी आँखे पढ़ता पाकर उसने शर्माते हुए फिर से अपनी आँखे बंद कर ली और उनके गले से लग कर धीरे से बोली : "आप ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ...''

पंडित जी ने भी धीरे से उसके कानो में कहा : "मैं देख रहा था की तुम्हारी जिन्दगी की इस पहली किस्स ने तुमपर क्या असर किया है ..और कहाँ -२ असर किया है ...''

कहते हुए उनका हाथ उसके स्तनों से होता हुआ उसकी भीगी चूत से स्पर्श करता हुआ अपनी जाँघों तक आ गया ..जो उसके निम्बू पानी से पूरी तरह से भीग चुकी थी ..

कोमल ने पंडित जी को सॉरी कहा और उठकर अपनी स्कर्ट नीचे कर ली और उनकी बगल में बैठ गयी ..और अपने बेग में से एक रुमाल निकाल कर उन्हें दिया ताकि वो उस रस को साफ़ कर सके ...

पर पंडित जी ने ये कहते हुए मना कर दिया की "तुम्हारी चूत के अन्दर से निकला पहला झरना है ये ..इसकी महक कुछ देर तो रहने दो मेरे शरीर पर ...''

जिसे सुनकर कोमल का चेहरा और भी लाल हो गया और वो अपना मुंह नीचे करके मुस्कुराने लगी ..

पंडित : "कैसा लगा तुम्हे ...ये सब करते हुए ...''

कोमल : "सच कहु पंडित जी ...मैंने ये सब सिर्फ और सिर्फ एक एक्सपीरियंस पाने के लिए और उन लोगो को दिखाने के लिए किया था ..पर जिस तरह से आप मेरे साथ कर रहे थे ..वो सब न तो मैंने सोचा था और ना ही ऐसा कभी महसूस किया था ...पर जो भी हुआ, मुझे अच्छा लगा ...मतलब ..बहुत अच्छा लगा ...''

वो बोलती जा रही थी और पंडित जी मंत्रमुग्ध से उसे देखते जा रहे थे ..

कोमल : "पंडित जी ...आप भी सोचते होंगे की कैसी लड़की है ये ..जो बिना किसी शर्म और लज्जा के आपसे अपनी हर बात भी मनवा रही है और अब ये सब भी कर रही है ...पर आप ही बताइए मेरी जैसी लड़की का और है ही कौन ..आपने आज तक मेरी किसी भी बात का फायेदा नहीं उठाया और यही बात मुझे सबसे अच्छी लगी ..इसलिए मैंने भी सोच लिया है की अब आपसे ही मुझे बाकी के सारे एक्सपीरियंस लेने है ..''

पंडित जी चोंक गए ...उन्होंने पूछा : "किस तरह के एक्सपीरियंस ...??"

कोमल (शर्माते हुए ) : "अब इतने भी भोले नहीं हैं आप पंडित जी ....''

उसकी बात का मतलब समझते ही पंडित जी की बांचे खिल गयी ...उन्होंने खुल कर कहा : "यानी ...चुदाई की बात कर रही हो तुम ...मुझसे चुद्वाकर अपना कोमार्य मुझे सोम्पना चाहती हो ...''

कोमल ने हँसते हुए अपना सर हाँ में हिलाया ...

उसकी ये बात सुनते ही पंडित जी ने उसे अपनी छाती से लिपटा लिया ...

कोमल ने उनके कानों को चूमते हुए धीरे से कहा : "पर ...जो भी करेंगे ...सब आराम से ..धीरे-२ ..कोई जल्दी नहीं है मुझे ...ठीक है ...''

पंडित : "तुम चिंता मत करो ...तुम्हारी चुदाई ऐसी होगी की आज तक किसी ने नहीं की होगी ...तुम्हे सेक्स के हर पहलु से ऐसे अवगत करवाऊंगा की तुम भी कहोगी की वह पंडित जी आपसे चुद कर सच में मजा आ गया ...''

और उसके बाद कुछ और देर बैठ कर दोनों पंडित जी के कमरे की तरफ चल दिए ...

क्योंकि अब वहां बैठ कर समय व्यर्थ करना उचित नहीं था ..


The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:01

पंडित & शीला पार्ट--54

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी ने जल्दी से एक ऑटो पकड़ा और उसमे बैठ कर दोनों घर की तरफ चल दिए ...

इतना उत्साह और ठरक तो उनपर आजतक नहीं चडी थी ..वो तो बस उड़कर घर पर पहुँच जाना चाहते थे ..जैसे - तैसे करके उनका घर आ ही गया, और अन्दर पहुँचते ही उन्होंने झट से कुण्डी लगायी और कोमल को अपनी बाहों में पकड़कर बेतहाशा चूमने लगे ..

''ओह्ह्ह्ह ....कोमल .....तुम जानती नहीं ...कितना तरसाया है तुमने मुझे ....अपना जलवा दिखा- २ कर ..जब से तुम्हे देखा है, सोते-जागते बस तुम्हारा चेहरा और ये बदन ही घूमता है मेरी आँखों के सामने ...तुमने मुझे पागल बना कर रख दिया है अपने हुस्न से ...''

कोमल उनसे छिटक कर दूर खड़ी हो गयी ..वो इतराते हुए बोली : "अच्छा जी ...पहले तो आप ऐसे साधू-संत बनते थे जैसे मेरे हुस्न का आपके ऊपर कोई असर नहीं होता ...अब क्या हो गया ...''

पंडित जी फंस चुके थे ..उनसे गलती जो हो चुकी थी ..जो अक्सर हर मर्द कर देता है ..औरत के हुस्न के आगे अपनी गेरत और ऱोब को ताक पर रखकर जब मर्द अपने हाथ पसारता है तो उसे औरत के रहमो करम पर ही चलना पड़ता है ..वो जैसा चाहेगी, वैसा करना पड़ता है ..अगर वो ऐसा ना करे तो सीन दूसरी तरफ से वैसा हो जाता है ..पर अब जो होना था वो हो चुका था, कोमल को पंडित जी ने अपनी कमजोरी अपनी ही जुबान से बयां कर दी थी ..

कोमल : "अच्छा ...एक बात बताइए पंडित जी ...आपको मुझमे सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगता है ..''

वो किसी हिरोइन की तरह अपने जिस्म को तिरछा करके उनके सामने एक टांग पर खड़ी हो गयी ..उसका एक कुल्हा निकल कर अलग से चमकने लगा ..

पंडित जी बेचारे उसके मांस से भरे शरीर को देखकर अपनी लार टपकाने लगे ...उनका तो बस मन कर रहा था की उसके शरीर के हर हिस्से को पकड़कर अच्छी तरह से चूमे ...सहलाए ...खा जाए बस ...

उनकी नजरें उसकी छातियों पर चिपक गयी ..कोमल उनका जवाब समझ गयी ..और उसने अपनी टी शर्ट को ऊपर खिसका कर अपना पेट नंगा कर दिया ...और बड़े ही प्यार से अपनी ब्रेस्ट को सहलाते हुए पंडित जी की आँखों में देखकर पूछा : "ओहो ....तो ये पसंद है आपको ...ह्म्म्म्म ....''

पंडित जी भी अब परिस्थिति के हिसाब से चलने लगे थे ..वो जानते थे की अभी तो कोमल के हिसाब से चलने में ही भलाई है ..कहीं उसका मन न बदल जाए ...एक बार वो चुद जाए उनसे ..फिर बताएँगे उसको की वो क्या चीज है ..

कोमल की बात सुनकर पंडित जी ने हाँ में सर हिलाया ..जो सही भी था ..उसकी नंगी ब्रेस्ट को देखने की इच्छा तो उन्हें तब से थी जब से उन्होंने उसे पहली बार देखा था ..

कोमल सोफे पर जाकर बैठ गयी ..और उसका हाथ लहराता हुआ अपनी टी शर्ट के ऊपर आया और उसने अपनी उँगलियों से कपडा ऊपर करते हुए अपनी बायीं चूची बाहर निकाल दी ..और अपने हाथ से उसे मसलने लगी ..


पंडित जी की आँखे फटी की फटी रह गयी ...

इतनी गोलाई ली हुई छाती उन्होंने पहली बार देखि थी ..और उसपर लगा हुआ किशमिश तो सुभान अल्लाह ...

अब तो पंडित जी से भी सब्र करना मुश्किल हो गया ...उन्होंने आगे बढकर उसकी टी शर्ट को पकड़ा और उसे सर से निकाल कर एक कोने में फेंक दिया ..

उफ्फ्फ्फ़ ....क्या क़यामत थी कोमल ..

सुनहरे आम उसकी छातियों से लटक रहे थे ..जिनमे से मानो शहद टपक कर उसके निप्पल के रास्ते नीचे गिर रहा था ..

पंडित जी ने झट से अपना मुंह आगे किया और उसकी चूची को अपने मुंह में रखकर उसका रस पीने लगे ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म ..........ओह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ........आज पहली बार .....उम्म्म्म ...किसी ने मुझे यहाँ ....से चूसा है .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....''

वो तो पागल ही हो गयी ...पंडित जी के होंठों का कमाल अपनी ब्रैस्ट पर देखकर ...

'जब तेरी चूत चुसुंगा तो क्या हाल होगा तेरा ..' पंडित जी ने मन ही मन सोचा ..

उसके पूरे शरीर में अजीब सी तरंगे उठ रही थी ..और अन्दर से गुदगुदी भी हो रही थी ...जिसकी वजह से सिस्कारियों के बीच-२ उसकी हंसी भी निकल रही थी ..पर कुल मिलाकर ऐसा उसने आज तक महसुस नहीं किया था ..

और आवेश में आकर कब उसके हाथ पंडित जी के शरीर से उनके लंड तक जा पहुंचे उसे भी पता नहीं चला ...

और जैसे ही पंडित जी का पठानी लंड उसके हाथ में आया ..वो बिदक कर दूर हो गयी पंडित जी से ...और बोली ....: "ये ....ये ...क्या है .....''

पंडित जी ने मुस्कुराते हुए अपनी पेंट खोली ...और अपना लंड बाहर निकाल कर उसकी भूखी आँखों के सामने परोस दिया ...

जिसे देखते ही कोमल गहरी-२ साँसे लेने लगी ..या ये कह लो की उसकी साँसे उखड़ने लगी ..

और उसने आगे बढकर बदहवासी में पंडित जी के लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ...और जैसे ही उसके ठन्डे हाथों में उनका गर्म लंड आया ..उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,.......स्स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

पंडित जी अब समझ चुके थे की कोमल पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ चुकी है ...उनके लंड को देखकर सभी का यही हाल होता है ..और वैसे भी कोई भी लड़की अगर लड़के का लंड देख ले तो उसका यही हाल होता है ...लंड है ही ऐसी चीज ..

पंडित जी ने उसे हुक्म सा दिया : "चल ...चूस मेरी बांसुरी ...''

और उनकी बात मानकर कोमल उनके सामने आई और उनके उफान खा रहे लंड को अपने कोमल हाथों में पकड़ा और अपने गुलाबी होंठों के पीछे से अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उनके लंड से टच करी ..


और उसके मुंह की गर्मी अपने लंड पर महसूस करते ही पंडित जी को लगा की उनका लंड उसकी तपिश से कोयला न हो जाए ..

उन्होंने फिर से उसे कहा : "चाटो नहीं ....चुसो ...पूरा अन्दर लो ...शाबाश ...''

पंडित जी की बात मानकर जैसे ही उसने अपना मुंह खोला ..पंडित जी ने एक जोरदार शॉट लगाकर अपना लंड उसके मुंह की बांडरी के अन्दर डाल दिया ...


''उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म ......''

अब पूरा का पूरा लंड उसके मुंह के अन्दर था ...जो पहली बार लंड चूस रही लड़की के लिए एक महान उपलब्धि थी ..

पंडित जी तभी समझ गए की ये एक बहुत बड़ी चुदक्कद बनेगी ..

कोमल तो जैसे पागल हो चुकी थी ..उसके मुंह से लार निकल - २ कर पंडित जी के लंड को स्नान करवा रही थी ..उसकी जीभ किसी साबुन की टिकिया की तरह उनके लंड को रगड़ रही थी ..और घिसने की वजह से हलकी सी झाग भी बन रही थी ..

आज तक पंडित जी के लंड को इतनी इज्जत किसी ने नहीं बक्शी थी ..अगर पंडित जी ने जबरदस्ती अपने लंड को उसके चुंगल से ना छुडवाया होता तो वो उनका जूस निकाल कर ही रहती अपने मुंह में ..

और चूसने की वजह से उनका लंड अपने पूरे जलवे बिखेरता हुआ दोनों के बीच खम्बे जैसा खड़ा था ..


उसकी दोनों छातियों के बीच वो किसी स्तम्भ की तरह चमक रहा था ..

कोमल ने पंडित जी को बेड पर लिटा सा दिया और खुद उनकी बगल में लेट गयी ..और उनके डंडे को पकड़ कर उसका मर्दन करने लगी ..

पंडित : "ओह्ह्ह्ह ....कोमल ......अब ......अब नहीं रहा जाता .....उम्म्म्म्म्म ......मेरा बस निकलने वाला है ...''

कोमल : "तभी तो मैं कर रही हु .....ताकि आपका निकल जाए ...''

वो जानती थी की पंडित जी वो क्यों बोल रहे हैं, फिर भी उसने जान बूझकर ऐसा बोला ..

पंडित : "अब .....अब ..तुम नीचे आओ ....मुझे ये तुम्हारी चूत में डालना है ...''

कोमल एकदम से रुक सी गयी और बोली : "ये…ये कैसे होगा ....आपका इतना बड़ा है ...मेरे अन्दर कैसे जाएगा ..''

उस बेचारी का कोई कसूर नहीं था, पंडित जी का लंड कोई भी पहली बार में देखकर येही सोचेगा ..

पंडित : "कुछ नहीं होगा ...मैं हु न ...तुम्हे कोई तकलीफ नहीं होगी ..''

कोमल : "नहीं पंडित जी ...प्लीज ...आज रहने दीजिये ...मुझसे नहीं होगा ...मैं ऐसे कर रही हु न ...''

पंडित जी जानते थे की अगर ज्यादा जोर जबरदस्ती करेंगे तो अभी जो मिल रहा है, उससे भी हाथ धोना पड़ेगा ..

उन्होंने फिर से कोमल का हाथ अपने लंड पर रखवाया और बोले : "कोई बात नहीं ...जैसा तुम चाहो ..पर अभी जो करना है…वो दिल से करो ...''

पंडित जी के ऐसा कहते ही कोमल के तन बदन में एक नया रक्तसंचार हो गया ..और वो अपने नंगे बदन को पंडित जी के शरीर से घिसते हुए उनके लंड को बुरी तरह से ऊपर नीचे करने लगी ..



''उम्म्म्म्म कोमल ........तुम्हारे नर्म हाथों में आकर आज ये ज्यादा ही खुश हो रहा है ...'' पंडित जी ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कोमल के होंठों को चूम लिया ...

अचानक पंडित जी के अन्दर से आ रही एक तरंग ने उन्हें सचेत किया की अब लावा कभी भी निकल सकता है ..

उन्होंने कोमल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और दुसरे हाथ से उसके सर को नीचे धकेलने लगे ..

वो समझ गयी की पंडित जी क्या चाहते हैं ..

उसका चेहरा धीर-2 नीचे आया और ठीक उनके लंड के ऊपर आकर रुक गया ..और वो अब उसे ऊपर नीचे करते हुए अपने होंठों से भी टच कर रही थी ..जिसकी वजह से पंडित जी की कंपकंपी छूट रही थी ..और एक जोर्दान गर्जन के साथ पंडित जी ने अपने लंड से रस का त्याग कर दिया ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....कोमल ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .........पी ले ........सारा रस ......तेरे लिए ही है ये .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....''

वो भला उनकी बात से कैसे इनकार करती ..उसने अपना मुंह नीचे किया और उनकी बोछारों को सीधा अपने मुंह के अन्दर स्थान दे दिया ..


उसका स्वाद उसे ऐसा लगा जैसे गाडी और नमकीन लस्सी पी रही हो वो ...और स्वाद का पता लगते ही उसने इधर-उधर फैला हुआ रस भी अपनी जीभ से चाट-चाटकर अपने मुंह के अन्दर समेट लिया ..

और पंडित जी गहरी साँसे लेते हुए बेड से उठ खड़े हुए ..

अब कोमल की बारी थी .

वैसे अगर पंडित जी चाहते तो आधे घंटे के आराम के बाद आराम से कोमल को चोद सकते थे ..पर आज कोमल पूरी तरह से इसके लिए तैयार नहीं थी ..इसलिए उसको सिर्फ कत्रिम तरीके से सुख देना होगा आज ..

उन्होंने कोमल को अपनी जगह पर लिटा दिया और खुद उसके सामने आकर बैठ गए ..

उसकी कच्छी को उन्होंने एक ही झटके में उतार फेंका , उसकी चिकनी चमेली को देखकर पंडित जी के मुंह में पानी आ गया ..

उन्होंने आव देखा न ताव और अपना मुंह सीधा उसकी रसीली चूत के अन्दर दे मारा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह ........ओह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....सक मी .......उम्म्म्म्म्म ''

उसने पंडित जी के बालों को पकड़ा और उन्हें धीरे-२ सहलाते हुए अपनी चूत की लकीर पर उनकी जीभ की कलम से प्यार के तराने लिखने लगी ..

अचानक पंडित जी की जीभ का काँटा कोमल की क्लिट में फंस गया ..और वो मछली की तरह तड़प उठी ..उसका पूरा शरीर ऐंठ गया ..उसकी कमर बेड से ऊपर उठकर कमान की तरह टेडी हो गयी ..

पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से उसके ऊपर जा रहे शरीर को अपने हाथों से पकड़कर नीचे उतारा ..और उनके हाथ सीधा उसकी दोनों ब्रेस्ट के ऊपर आकर जम गए ..जिन्हें वो जोर-२ से दबाकर उसका दूध निकालने लगे और उनका मुंह तो नीचे लगा ही हुआ जिसमे से रिस रिसकर उसका अमृत वो सीधा पी रहे थे ..

इतना मीठा और गर्म रस पीकर उनकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...

वो उठ खड़े हुए और उन्होंने अपनी चार उँगलियाँ एक साथ उसके अन्दर डाल दी और उन्हें अन्दर बाहर करते हुए उसके रस को अपनी उँगलियों से बाहर निकालने लगे ..



और अब चीखने की बारी कोमल की थी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म ........ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ........पंडित जी ......... उम्म्म्म्म्म्म्म्म .....''

उसने पंडित जी की आँखों में देखते-२ अपनी चूत की पिचकारी से ऐसे फव्वारे पंडित जी के ऊपर छोड़े की वो बुरी तरह से भीग गए ...

और पंडित जी ने मुंह नीचे करके उसकी चूत का सारा रस अपने मुंह के अन्दर समेट लिया ...

उसके बाद पंडित जी ने उसे चुदाई के सम्बन्ध में थोडा और ज्ञान दिया ताकि अगली बार चुदने में उसे कोई परेशानी ना हो ..

उनका ज्ञान बटोरकर वो अपने घर चली गयी ..

और पंडित जी भी आराम से लम्बी तानकर सो गए ..

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