पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:02

पंडित & शीला पार्ट--55

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गतांक से आगे ......................

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सुबह उठकर पंडित जी ने सोच लिया की आगे क्या करना है ..क्योंकि हर बार वो कोमल को इस तरह सिर्फ अपना लंड चुसवा कर नहीं रह सकते थे . और इसके लिए उन्होंने एक मास्टर प्लान बनाया ..वैसे तो रोज की तरह कोमल को आज भी 11 बजे तक उनके पास पहुंचना था, पर पंडित जी ने कुछ और ही प्लान बनाया था .

अपने कार्यों से निवृत होकर वो 10 बजे ही शीला के घर पहुँच गए ..दरवाजा खुला हुआ था , वो जानते थे की इस समय सिर्फ शीला और कोमल ही घर पर होंगी ..

अन्दर पहुंचकर उन्होंने देखा की शीला किचन में खड़ी हुई नाश्ता बना रही है ..बाथरूम का दरवाजा बंद था, शायद कोमल अन्दर नहा रही थी . शीला की मोटी गांड की थिरकन देखकर उनका लंड एकदम से खड़ा हो गया.उसने हलके रंग की साडी पहनी हुई थी .

वो धीरे से उसके पीछे पहुंचे और उसकी कमर के चारों तरफ हाथ डालकर उसके नंगे पेट पर अपने पंजे जमा दिए ..और अपना खड़ा हुआ एफिल टॉवर उसकी सोलन की पहाड़ियों के बीच फंसा कर उसके जिस्म से चिपक गए ..

''क ......को को ......कौनssssssssssss ....'' वो एकदम से चोंक गयी ..

और जैसे ही उसने गर्दन घुमा कर पंडित जी का चेहरा देखा वो चोंक गयी .

''अरे ...पंडित जी आप ....और इतनी सुबह .......''

उसने अपने हाथों को पंडित जी के हाथों के ऊपर रखकर उन्हें और जोर से दबा दिया ..और अपनी गांड को पीछे की तरफ उनके लंड पर दबा कर उनका स्वागत किया .

पंडित : "बस ऐसे ही ....कल से तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ...सोचा अभी जाकर मिल लेता हु ..घर पर कोई नहीं होगा ..''

शीला (कसमसाते हुए ) : "पर ....वो ...कोमल है अन्दर अभी ...वो तो कह रही थी की आज भी जाना है आपके साथ बाहर , बस वो नहाकर आपके पास ही निकलने वाली थी ....''

पंडित जी ने बुरा सा मुंह बनाया : "ये कोमल भी न ...मैंने कल ही उसे सब समझा दिया था की जिस कॉलेज में हम गए थे उसका फार्म भरने के लिए उसे अकेले ही जाना होगा आज ..शायद उसने सुना नहीं होगा ..मैंने तो सोचा था की अब तक वो जा चुकी होगी ..इसलिए चला आया ..और ये देखो ..ये भी कल से ऐसे ही खड़ा हुआ है ..''

पंडित जी ने अपने खड़े हुए लंड की तरफ इशारा किया ..

शीला उनकी तरफ घूम गयी ..उसने एक नजर बाथरूम के दरवाजे पर डाली और अगले ही पल उसने अपने दांये हाथ से पंडित जी के लाडले को अपनी गिरफ्त में ले लिया ...

''उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....मुझे भी इसकी बड़ी याद आती है ....पर जब से कोमल आई है, पहले जितना समय ही नहीं मिल पाता ...मन तो कर रहा है यहीं आपको लिटा कर इसपर बैठ जाऊ ..पर अन्दर कोमल है ...''

पंडित : "एक काम करते हैं ...कोमल के जाने का वेट करते हैं ...उसके बाद करेंगे ..''

वो कुछ ना बोली, क्योंकि वो जानती थी की पंडित जी अपने आप संभाल लेंगे ..

पंडित जी बाहर जाकर सोफे पर बैठ गए ..और शीला उनके लिए चाय बनाने लगी .

थोड़ी ही देर में बाथरूम का दरवाजा खुला और कोमल बाहर निकली ..और उसकी हालत देखते ही पंडित जी का एफिल टावर और भी लंबा हो गया .

उसके भीगे हुए बालों से पानी रिस कर उसके सूट पर गिर रहा था .जिसकी वजह से उसकी ब्रेस्ट वाला हिस्सा गीला हो गया था ..और जैसे ही उनकी नजर नीचे पहुंची उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..उसने नीचे पयजामी नहीं पहनी हुई थी , जो की उसके हाथ में थी, उसने सोचा होगा की अन्दर जाकर पहन लेगी, घर पर और कोई तो था नहीं, और बाथरूम में पहनने में मुश्किल भी होती है ..शायद इसलिए वो ऐसे ही बाहर निकल आई .....उसकी मोटी और नंगी टाँगे देखकर पंडित जी एकदम से खड़े हो गए .

वो भी पंडित जी को अपने घर में देखकर चोंक गयी ..उसने एक नजर किचन की तरफ डाली और मुस्कुराती हुई पंडित जी के पास आई और बोली : "क्या बात है पंडित जी ...आप और यहाँ ..सब्र नहीं हुआ क्या ..एक घंटे में आ तो रही थी आपके पास ही ..''

उसकी आवाज सुनकर शीला किचन से बाहर निकल आई ..और कोमल को आधी नंगी खड़ी देखकर वो उसपर चिल्लाई : "कोमल ....कुछ तो शर्म कर ले ...चल अन्दर ...और पुरे कपडे पहन कर आ ..''

अपनी बहन की फटकार सुनकर उसे अपने नंगे पन का एहसास हुआ, वो अन्दर की तरफ भागी तो पंडित जी की निगाहों ने उसके हिलते हुए चूतड़ अपनी आँखों के केमरे में कैद कर लिए ..

शीला : "देखा पंडित जी ...कितनी नासमझ है ...इसकी इसी बात से मैं डरती हु ...अक्ल नाम की कोई चीज नहीं है इसके अन्दर ..पता नहीं क्या होगा इसका ..''

पंडित : "सब ठीक होगा, तुम चिंता मत करो ..''

वो बात कर ही रहे थे की कोमल बाहर आ गयी ..इस बार पुरे कपडे पहन कर .

पंडित जी : "कोमल ...हम जिस कॉलेज में कल गए थे, तुम आज वहीँ चली जाना और वहां से फार्म लेकर भर देना ..मुझे आज तुम्हारे साथ जाने की आवश्यकता नहीं है ..''

कोमल उनकी बात सुनकर हेरान सी होकर उन्हें देखने लगी, की एकदम से पंडित जी को क्या हो गया और वो उसे ऐसा क्यों कह रहे हैं, खासकर कल के वाक्य के बाद तो उन्हें मिलने की ज्यादा ललक होनी चाहिए ..फिर पंडित जी ऐसा क्यों कह रहे हैं ..

पंडित जी ने उसके चेहरे की परेशानी पड़ ली और बोले : "मैंने तो ये बात तुम्हे कल भी बोली थी ..पर शायद तुम भूल गयी हो, वैसे भी मुझे आज शीला के साथ कुछ काम है ..''

पंडित जी की बात सुनकर कोमल फिर से चोंक गयी ..

पंडित : "मेरा मतलब है , मैंने शीला से वादा किया था की परेशानियों के निवारण के लिए आखिरी बार एक और शुधि क्रिया करनी होगी ..और ये शुधि क्रिया इसके घर पर ही हो सकती थी, इसलिए मैं इतनी सुबह -२ यहाँ आ गया ''

कोमल को दाल में कुछ काला लगा ..उसे अपनी बहन शीला पर शक सा होने लगा ..कहीं पंडित जी का टांका तो नहीं भिड़ा हुआ उसकी बहन के साथ ..पर वो कुछ ना बोली ..क्योंकि उसके मन में तो खुद ही चोर था .वो सोचने लगी की उसकी बची हुई इच्छाओं का क्या होगा ..वो बिना कुछ बोले अन्दर चली गयी ..

शीला ने मुस्कुराते हुए पंडित जी की आँखों में देखा , दोनों की आँखों में वासना के बादल तैर रहे थे ..शीला उनके लिए चाय लेने अन्दर चली गयी .

वो चाय पी रहे थे की कोमल भी आ गयी, उसके कंधे पर उसका बेग था .

शीला : "अरे ..इतनी जल्दी जा रही है ..नाश्ता तो कर ले ..''

वो शायद गुस्से में थी ..वो बोली : "अभी भूख नहीं है ...बाहर खा लुंगी कुछ ..''

और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी ..

पंडित जी नीचे सर करके मुस्कुरा दिए ..उनका तीर निशाने पर जो लगा था .

उसके जाते ही शीला ने दरवाजा बंद कर लिया ..जैसे वो खुद भी कोमल के जाने का इन्तजार कर रही थी .

वो धीरे-२ चलती हुई पंडित जी के पास आई ..उसकी साँसे इतनी तेजी से चलने लगी की उनकी आवाज पंडित जी को भी सुनाई दे रही थी ..उसका सीना बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था ..

वो पंडित जी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..बिलकुल पंडित जी की टांगो के बीच ..पंडित ने ऊपर देखा और उसकी साड़ी के आँचल को पकड़कर नीचे खिसका दिया ..

और जैसे ही उनकी नजर ऊपर गयी तो सिवाए दो बड़े पर्वतों के उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया ..शीला का चेहरा भी नहीं ..इतनी बड़ी छातियाँ थी शीला की .

उन्होंने अपने हाथ उठा कर शीला के हिम शिखरों पर रख दिए ..और अपने होंठ उसकी नाभि पर रखकर अपनी जीभ वहां घुसेड दी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......पंडित जी ........उम्म्म्म्म्म .....''

उसने पंडित जी का बोदी वाला सर पकड़ कर अपने पेट पर घुमाना शुरू कर दिया ..उसकी चूत की फेक्ट्री में से ताजा रस निकल कर बाहर तक आ गया, जिसकी सुगंध पंडित जी के नथुनों तक जैसे ही पहुंची उन्होंने उसकी गांड पर अपने हाथों का दबाव अपने चेहरे की तरफ किया और अपना सर नीचे करके साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपने दांतों से काट लिया ..

''अय्य्यीईईइ .......उम्म्म्म्म ....धीरे ......करो ......पंडित .......धीरे ......''

शायद उत्तेजनावश पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर से काट लिया था उसे ..

पंडित जी तो जैसे पागल हो गए थे ..उन्होंने आनन् फानन में उसकी साडी निकाल फेंकी ..और जब उसके पेटीकोट का नाड़ा नहीं खुला तो उसे ऊपर खिसका कर शीला की कच्छी अपने हाथों से निकाल फेंकी ..और उसकी टांगो को पकड़ कर उसे सोफे पर चड़ने को कहा ..शीला गहरी साँसे लेती हुई सोफे पर चढ़ गयी और अपने हाथों से पेटीकोट को पकड़कर अपनी कमर तक उठा लिया ..वो पंडित जी के दोनों तरफ पैर करके खड़ी हो गयी और जैसे ही पंडित जी ने अपना चेहरा ऊपर करके उसे इशारा किया वो धीरे -२ अपना यान उनके चेहरे पर लेंड करने लगी ..और जैसे ही पंडित जी की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ तो ऐसी आवाज हुई जैसे कोई गर्म सरिया ठन्डे पानी में डाल दिया हो ...

सुरर र्र् ....की आवाज के साथ पंडित की की जीभ उसकी चाशनी से डूबी गर्म चूत के अन्दर घुसती चली गयी ..

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ..... ....उम्म्म्म्म्म्म्म्म ............''

उसने अपने हाथों से बड़े प्यार से उनके चेहरे को पकड़ा और उनकी आँखों में देखते हुए उसने अपना ब्लाउस उतारकर एक कोने में फेंक दिया ...और फिर ब्रा को भी खोलकर साईड में रख दिया ..

पंडित जी की जीभ तो शीला की चूत चूस रही थी पर उनकी नजरें उसे ऊपर से नंगा होते देख रही थी ..और जैसे ही उसके कड़े -२ निप्पल उभरकर सामने आये तो उन्होंने अपनी उँगलियों के बाच उन्हें फंसा कर ऐसे उमेठा की शीला दर्द के मारे अपना आसन छोड़कर खड़ी हो गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म ...पंडित जी .........इतना जोर से क्यों दबाते हो इन्हें ....उम्म्म्म्म्म्म .....धीरे करो ....नाआ ......''

पंडित जी ने तब तक अपने लंड को धोती और कच्छे के मायाजाल से आजाद करा लिया था और वो भी नीचे से पुरे नंगे थे ..

शीला ने पेटीकोट को किसी तरह से निकाल कर फेंक दिया और अब वो भी जन्मजात नंगी होकर उनके सामने खड़ी थी ..

पंडित जी ने उसकी कमर को पकड़कर नीचे करना शुरू किया ..और जैसे ही उसकी चूत ने उनके लंड को टच किया ..दोनों की साँसे तेज हो गयी ...और फिर बिना कोई वार्निंग दिए शीला ने अपना पूरा भार पंडित जी के ऊपर डालकर उनके नाग को अपनी पिटारी में डाल लिया ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह ....शीला ......उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

उन्होंने शीला की गर्दन में अपनी बाहें डालकर उसे दबोच लिया और और वो उछल -२ कर बाकी का काम करने लगी ..

तभी पंडित जी की नजरें खिड़की पर गयी ..जो आधी खुली हुई थी और वहां पर खड़े साए को देखकर उन्हें ये समझते देर नहीं लगी की वो कौन है ..

वो कोमल थी ..जो काफी देर तक जुगाड़ करती रही की देखे तो सही की अन्दर हो क्या रहा है ..पर जब कोई जगह और छेद नहीं मिला तो आधी खुली खिड़की पर ही खड़ी हो गयी ..वहां से कुछ ज्यादा दिख तो नहीं रहा था पर अन्दर की सारी आवाजें जरुर सुनाई दे रही थी ..

और यही तो पंडित जी चाहते थे ..

उनका प्लान सफल होता दिख रहा था .


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:03

पंडित & शीला पार्ट--56

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गतांक से आगे ......................

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अब पंडित जी को मालूम हो चूका था कि खिड़की के पीछे से कोमल उनकी हर बात सुन रही है ..इसलिए उन्होंने अपनी प्लानिंग का दूसरा चरण शुरू किया ..

पंडित : "ओह्ह्ह्ह .....शीला ...तुम्हारी चूत के अंदर मेरा लंड जब भी जाता है तो पूरी दुनिया का मज़ा आ जाता है ..इसे तो अब तुम्हारी चूत कि आदत सी हो गयी है ...''

शीला : "उम्म्म्म पंडित जी .....सही कहा ....मेरे अंदर भी जब तक ये नहीं जाता मुझे सब अधूरा सा लगता है ....आपके लंड ने तो मुझे दीवाना सा बना दिया है ...ये है ही इतना मजेदार, किसी को भी अपना दीवाना बना ले ..''

उसका शरीर किसी मछली कि तरह पंडित जी के लंड पर फिसल रहा था ..और वो हर झटके से उनके लंड को अपनी चूत के अंदर और गहराईयों में ले लेती थी ..

ये सब बातें पंडित जी कोमल कि भावनाओ को भड़काने के लिए कर रहे थे और ये भी बताना चाहते थे कि उसे अंदर लेने के बाद कितने मजे मिलते हैं ..जो बाहर खड़ी हुई कोमल साफ़ सुन और समझ रही थी ..

तभी पंडित जी ने अपना लंड पूरा बाहर निकाला और उसकी गांड के अंदर दाल कर एक करारा प्रहार किया ...

एक मीठी चीख से पूरा कमरा गूँज उठा ...

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......स्स्स्स्स्स ......''

पंडित जी आज अपना हर पैंतरा आजमा कर उसे ज्यादा से ज्यादा सुख देना चाहते थे ताकि उसकी उत्तेजना से भरी सिस्कारियां सुनकर कोमल अपनी चुदाई के लिए झट से तैयार हो जाए ..और उसे समझ में आ जाए कि इतना भी दर्द नहीं होता जितना कि वो सोच रही है ..

अचानक शीला ने कुछ ऐसा कहा कि पंडित जी के साथ-२ बाहर खड़ी हुई कोमल भी चोंक गयी ...

शीला : "ओह्ह्हह्ह ....पंडित जी .....आप जैसा जादूगर कोई और हो ही नहीं सकता ...आप मेरे सब कुछ है ...आप ही मेरे दिल कि बात को पूरा कर सकते हैं ...''

पंडित जी भी उसकी गांड के अंदर धक्के मारते हुए रुक से गए और बोले " हाँ ...हाँ ..बोलो ..क्या बात है ..''

शीला ने अपनी गांड से पंडित जी का शस्त्र बाहर निकाला और उनकी तरफ घूम गयी ...और उनके गले में अपनी बाहें डाल कर बड़े ही प्यार से बोली : " वो ...वो ...दरअसल ...मैं ....कोमल ....के बारे में सोच रही थी ...''

कोमल का नाम सुनते ही पंडित जी का पूरा शरीर सुन्न सा हो गया ...कहीं शीला को उनपर शक तो नहीं हो गया ...नहीं ..नहीं ..ऐसा नहीं हो सकता ..अगर होता तो ये इतने प्यार से बात ना कर रही होती ...कहीं ..ये मेरे द्वारा उसका उद्धार तो नहीं करवाना चाहती ..इतना सोचते ही पंडित जी के लंड में एक नयी जान आ गयी ..जिसे शीला ने भी साफ़ महसूस किया ..

शीला आगे बोली : "पंडित जी ...मुझे पता है जो मैं कहने जा रही हु वो गलत है ..पर ..पर ...''

पंडित : "अरे कुछ भी हो ...तुम बोलो ...मैं तुम्हारी बात सुनने के लिए और उसे मानने के लिए तैयार हु ..''

पंडित जी कि बात सुनते ही शीला के होंठों पर हंसी आ गयी ..जैसे उसका मिशन पूरा हो गया हो ..

उसने बड़े ही प्यार से पंडित जी के लंड को अपनी चूत के ऊपर लगाया और उनकी आँखों में देखा और धीरे से फुसफुसाई : "मैं कोमल के साथ वो सब कुछ करना चाहती हु जो आप मेरे साथ करते हैं ...''

उसकी बात सुनकर पंडित जी को कुछ नहीं सूझा कि क्या बोले और क्या नहीं ..कहाँ तो वो अपने और कोमल के बारे में सोच रहे थे पर यहाँ तो उसकी खुद कि बहन ही उसके साथ मजे लेना चाहती है ..

'क्या शीला लेस्बियन है ?' पंडित जी ने मन ही मन सोचा ..

पर तभी जैसे शीला ने उनके मन कि बात पड़ ली हो, वो बोली : "मुझे पता है कि आप सोच रहे होंगे कि मैं समलैंगिग हु ..पर ऐसा नहीं है ..आप के साथ तो सब कुछ कर ही रही हु ...पर पिछले कुछ दिनों से कोमल मुझे बुरी तरह से आकर्षित कर रही है ..मैं जानती हु कि मैंने ही आपसे कहा था कि उसको ऐसे बुरे कार्यों और लोगो से बचा कर रखना है मुझे ..पर उसके भरते हुए शरीर को देखकर कब वो मुझे आकर्षित करने लगी , मुझे खुद भी पता नहीं चला ..ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ ...पिछले 2 -3 बार से मैं जब भी आपके साथ होती हु तो आँखे बंद करके मुझे कोमल का ही एहसास होता है ..उसके जवान होते शरीर ने मुझे पागल बना दिया है ..दिन रात बस उसके बारे में ही सोचती रहती हु ..पर मुझे पता है कि ये सब गलत है ..उसपर इन सब बातों का क्या प्रभाव पड़ेगा ये भी मैं जानती हु ...पर अब मैं मजबूर हु ..मुझे कुछ और सूझ नहीं रहा ..और आपके अलावा मैं ये बात और किसी से कह भी नहीं सकती ..आप ही मुझे कोई राह दिखाओ ...''

इतना कहते ही उसने उनके स्टील रोड जैसे लंड को अपनी चूत के अंदर एक ही झटके में डाल लिया और जोर से चिल्लाई : "बोलो ....दिखाओगे न मुझे राह .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......बोलो पंडित जी ....अह्ह्हह्ह ....बोलो ....''

अब बेचारे पंडित जी क्या बोलते ...उनकी तो बोलती बंद कर दी थी इस नए खुलासे ने ..वो खुद कोमल को चोदना चाहते थे ...और उसकी खुद कि बहन शीला उसे ''चोदने'' कि फिराक में थी ..

पर तभी उनके दिमाग में विचार आया ..वो अगर शीला कि मदद करेंगे तो शायद उसके सामने ही उसे चोदने का मौका मिल जाए ...वाह ...तब तो मजा आ जाएगा ...कोमल को इस बात के लिए मनाना मुश्किल नहीं होगा ..और शीला ज्यादा से ज्यादा क्या करेगी कोमल के साथ ..उसके मुम्मे चूसेगी ..उसकी चूत चाटेगी ..अपनी चूत से उसे रगड़ेगी ..इतना ही न ..असली काम तो लंड ही कर सकता है ..वाह पंडित जी ..क्या किस्मत पायी है ...कहाँ तो अपना दिमाग लगा कर कोमल को उकसाने कि कोशिश कर रहे थे और यहाँ शीला ने खुद ही सब कुछ आसान कर दिया ..

उन्होंने शीला कि कमर को अपने हाथों से पकड़ा और नीचे से तेज झटके मारे हुए बोले : "हाआन्नन ......मेरी जान हाँ .....मैं तेरा साथ दूंगा .....अह्ह्हह्ह .....ओह्ह्हह्ह ....तेरी बहन कोमल कि चूत को पाने में तेरा साथ दूंगा .....अह्ह्ह्ह ....''

इतना सुनते ही शीला किसी बावली कुतिया कि तरह उनके लंड पर भरतनाट्यम करने लगी ..पूरा लंड अंदर बाहर करते हुए फच -२ कि आवाजें निकलने लगी ...और अचानक पंडित जी के लंड से सफ़ेद रंग के फुव्वारे निकलने लगे ..फिर भी शीला ने उछलना नहीं छोड़ा ..उसका खुद का ओर्गास्म हो चूका था ..वो बुरी तरह से चिल्लाती हुई पूरी हवा में उछल गयी ..इतना उछली कि पंडित जी का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया ..और उस एक लम्हे के लिए दोनों कि नजर लंड पर गयी जिसमे से एक और पिचकारी निकलकर हवा में तैर रही थी ..पर अगले ही पल शीला कि चूत धम्म से उस पिचकारी को पंडित जी के लंड समेत फिर से अपने अंदर निगल गयी ..

बड़ा ही विहम दृश्य था ..और इस बार बचा हुआ लावा उन्होंने शीला के अंदर ही बहा दिया ..और दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में लेकर जोर - २ से साँसे लेने लगे .

पंडित जी ने खिड़की कि तरफ देखा ..वहाँ कोई सांया नहीं था ..शायद कोमल काफी पहले जा चुकी थी .

शीला का सर झुका हुआ था ..उसने धीरे से पंडित जी से कहा : "पंडित जी ...मैंने जो भी कहा ...आपको बुरा तो नहीं लगा न ..''

पंडित : "नहीं शीला ...याद है ..मैंने तुमसे वादा किया था कि तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूँगा ..तुम्हे दूसरे लंड खिलाएं है तो अपनी बहन कि चूत खिलाने में क्या मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता ..''

पंडित जी कि बात सुनकर शीला शरमा गयी ..वो बोली : "पर पता नहीं ...कोमल इन सबके लिए तैयार होगी या नहीं ..''

पंडित : "वो सब तुम मुझपर छोड़ दो ...मैं उसे मना लूँगा ..''

शीला : "मुझे आप पर पूरा भरोसा है ..तभी मैंने अपने मन कि बात आपको बतायी है ...''

और इतना कहकर वो पंडित जी के होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी ..

शायद उसके अंदर फिर से एक तूफ़ान जन्म ले रहा था ..

और पंडित जी के अंदर नयी योजनाये ..

पंडित जी ने बोल तो दिया था शीला से पर उन्हें ये चिंता भी सता रही थी कि कोमल ने वो सब शायद सुन लिया है ..अब पता नहीं वो कैसे रिएक्ट करेगी ..

वो यही सब सोचते - २ वो अपने घर पहुँच गए ..

और वहाँ पहुंचकर देखा कि कोमल उनके कमरे के बाहर खडी हुई उन्ही का इन्तजार कर रही है ..

पंडित जी का चेहरा देखने लायक था ..वो बिना कुछ बोले अपने कमरे का ताला खोलकर अंदर आ गए ..और उनके पीछे-२ कोमल भी आ गयी और उसने आते ही दरवाजा अंदर से बंद कर लिया .

कोमल : "कब से चल रहा है ये सब ...''

उसकी आवाज में ईष्र्या और क्रोध के भाव थे ..

पंडित जी जानते थे कि उन्हें डरने कि कोई जरुरत नहीं है ..क्योंकि आते-२ उन्होंने सोच लिया था कि क्या बोलना है ..

पंडित : "तुमसे मतलब ...ये मेरी निजी जिंदगी है ..तुम कौन होती हो इसके बारे में सवाल पूछने वाली ..''

कोमल : "मतलब है ..क्योंकि वो मेरी बहन है ..और तुम एक तरफ मेरे साथ और वहाँ ...छी :..मुझे तो अपने आप पर घिन्न सी आ रही है ..''

पंडित : "देखो कोमल ..हमारे बीच आज तक जो भी हुआ है वो सब तुम्हारी रजामंदी से हुआ है ..और रही बात तुम्हारी बहन कि तो उसे मैं तुमसे पहले से जानता हु ..तुम शायद ये नहीं देख पा रही हो कि उस अभागी कि जिंदगी में जो कमी थी वो मैंने किस तरह से पूरी कि है ..''

कोमल (गुस्से में) : "क्या कमी थी उन्हें ...मुझे पता है ..वो ऐसी नहीं है ..उन्हें जरुर आपने ही अपने जाल में फंसाया होगा ..''

पंडित : "जैसे तुमने मुझे अपने जाल में फंसाया है ...या फंसा रही थी ..है न ..अपनी इच्छाओं का सहारा लेकर जो नाटक तुम खेल रही थी इतने दिनों से वो क्या मुझे दिखायी नहीं देता ..सब पता चलता है मुझे ..चुतिया नहीं हु मैं ...''

इस बार पंडित जी कि आवाज में भी रोष था ..और उनसे ऐसी बात सुनने कि शायद कोमल को आशा नहीं थी .

पंडित आगे बोला : "तुम्हारी तो अभी शादी भी नहीं हुई, फिर भी तुम मेरे साथ ऐसी हरकतें कर रही हो जिसे इस समाज में गलत समझा जाता है ..अगर एक बार ये बात फ़ैल गयी कि तुमहरा चरित्र ऐसा है तो तुमसे कोई शादी भी नहीं करेगा ..और दूसरी तरफ तुम्हारी बहन है, जो शादी के बाद जब से विधवा हुई है उसने उस सुख को पूरी तरह से महसूस भी नहीं किया , और अगर मेरी वजह से उसे वो ख़ुशी दोबारा मिल पा रही है तो मैं नहीं समझता कि इसमें कोई गुनाह है ..मैं तो इसे अपना धर्म समझ कर निभा रहा हु ..''

पंडित जी ने बड़ी चालाकी से अपने काले कार्यों पर पर्दा डाला ..और ये सब कोमल सम्मोहित सी होकर सुनती जा रही थी .

पंडित जी ने आखिरी पैंतरा फेंका : "एक तुम हो जो अपनी बहन कि ख़ुशी देखकर जल रही हो ...और एक शीला है जिसे तुम्हारी इतनी चिंता है ..''

कोमल : "मेरी चिंता ...!! कैसे ?? "

पंडित : "तुम्हे क्या लगता है कि मैं तुम्हारे साथ क्यों जा रहा हु इतने दिनों से ..सिर्फ तुम्हारी बहन के कहने पर ..तुम तो उससे जल रही हो ..पर उसे तुम्हारी इतनी फ़िक्र है ...इसलिए वो नहीं चाहती थी कि तुम किसी गलत आदमी के साथ वो सब करो ..क्योंकि उसे मुझपर भरोसा था इसलिए मुझे बोला उसने ..''

पंडित जी ने एक दो बाते अपनी तरफ से लगा दी ताकि कोमल को उसकी बातों पर विशवास हो जाए .

कोमल तो पंडित जी कि ये बात सुनकर एकटक सी होकर उन्हें देखती ही रेह गयी ...और उसकी आँखों से आंसुओं कि धारा बह निकली ..

पंडित जी आगे आये और उन्होंने उसके सर पर हाथ रखकर उसे अपने सीने से लगा लिया ..ऐसा करते ही वो फूट-२ कर रोने लगी ..

कोमल : "मैं कितनी बुरी हु पंडित जी ...सिर्फ अपने बारे में ही सोच रही थी ..और दीदी को मेरी इतनी चिंता है ..मैं बहुत बुरी हु ...बहुत बुरी ...''

फ़िल्मी डायलॉग लग रहे थे वो सब ...और पंडित जी उसके गुदाज जिस्म कि नरमाहट अपने हाथों से महसूस करते हुए उसे सांत्वना दे रहे थे ..

और रोते -२ कोमल के जिस्म में गर्माहट सी आने लगी ..उसे पंडित जी के हाथों कि सरसराहट अच्छी लग रही थी ..


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 14:03

पंडित & शीला पार्ट--57

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी ने धीरे से उसके कानों में पूछा : "तुमने आज क्या देखा वैसे ...??"

उन्हें पता तो था कि कोमल घर के बाहर खड़ी हुई उनकी हर बात सुन या देख रही थी ..पर उसने कितना सूना या देखा वही पंडित जी कन्फर्म कर रहे थे ..

कोमल : "कहाँ .....कोई जगह ही नहीं थी देखने कि ...सिर्फ दीदी कि सिसकियाँ सुनायी दे रही थी ..और बीच-२ में एक दो बातें भी ...पर बाद में साथ वाली आंटी ने मुझे ऐसे खड़े हुए देख लिया और पूछने लगी कि बाहर क्यों खडी है ..इसलिए मैं वहाँ से निकल गयी ...कुछ ज्यादा देख ही नहीं पायी ''

उसने मायूसी से कहा ...

पंडित जी ने मन ही मन शुक्र मनाया कि उसने शीला कि इच्छा के बारे में नहीं सुना क्योंकि वो उसे अपने तरीके से राजी करवाना चाहते थे ..

पंडित जी ने हाथ फेरने चालु रखे ..और अब तो कोमल भी उनके हाथों का मजा ले रही थी ..उसने पंडित जी कि कमर के चारों तरफ हाथ लपेट लिए और बोली : "आप ही बताइये न ..क्या हो रहा था अंदर ...''

उसकी आँखों में दिख रही उत्सुक्तता पंडित जी को साफ़ दिख रही थी ..

पंडित (मुस्कुराते हुए) : "वही ...जो अक्सर होता है ...जब एक पुरुष एक स्त्री से मिलता है ..''

कोमल उनके सीने पर मुक्का मारते हुए बोली : "उंहु ....बताइये ना ...क्या कर रहे थे आप अंदर ...''

पंडित जी के दिमाग में योजना बन चुकी थी ..

पंडित : "तुम्हे पता है ..शीला के होंठ मुझे सबसे ज्यादा पसंद है ..उनकी नरमाहट ...मिठास ..ऐसी किसी और कि हो ही नहीं सकती ...''

कोमल कि आँखे फेल सी गयी ..उसे शायद विशवास नहीं था कि उसे बाहों में भरकर पंडित जी उसकी बहन कि तारीफ करेंगे ..

पर इसका भी एक कारण था ..

एक तो वो ऐसी बातें करके उसमे उत्तेजना का संचार करना चाहते थे ..

और दूसरी, वो शीला कि बड़ाई करके कोमल के मन में उसके लिए ललक पैदा करना चाहते थे ..

कोमल : "अच्छा जी ...मेरे होंठ क्या उतने मीठे नहीं है ..''

पंडित : "ये तो चखने के बाद ही पता चलेगा ...''

पंडित जी कि बात पूरी भी नहीं हो पायी थी कि वो लोमड़ी कि तरह से उछली और उनके होंठों पर अपने होंठों को जोर से रगड़ने लगी ..और तब तक रगड़ती रही जब तक पंडित जी ने अपने होंठ खोलकर उसके होंठों को अपने मुंह के अंदर निगल नहीं लिया ...

और फिर तो ऐसी चूमा चाटी हुई वहाँ कि दोनों को सांस लेने कि भी फुर्सत नहीं मिल रही थी ..एक दूसरे के मुंह से आ रही हवा से ही दोनों अपनी जिंदगी चला रहे थे .

और आखिरकार पंडित जी को ही हार माननी पड़ी ..और उन्होंने बड़ी मुश्किल से कोमल के चुंगल से अपने होंठों को छुड़ाया और उसे धक्का देकर पीछे किया ..

दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे ..

कोमल : "अब .....बोलो ....किसके ..मीठे हैं ...''

पंडित जी ने चालाकी का परिचय देते हुए कहा : "मीठे तो तुम्हारे हैं ...पर नरम उसके हैं ..''

अब वो बेचारी क्या बोलती ..आखिर उसकी बहन ही थी शीला ..

कोमल : "अच्छा ..और बताओ ...और क्या किया था आज ...''

वो पंडित जी के बिस्तर पर अपनी कोहनियों का सहारा लेकर आधी लेटी हुई थी ..उसकी छातियाँ अभी तक ऊपर नीचे हो रही थी ..और टी शर्ट में से उसके निप्पल कि छवि साफ़ दिख रही थी .

पंडित जी जानते थे कि वो पूरी गर्म है ..वो चाहते तो अभी उसकी चूत मारकर सारे मजे लूट सकते थे ..पर वो उसे अभी और तड़पाना चाहते थे ..पर जितने मजे अभी वो ले सकते थे वो भी छोड़ना नहीं चाहते थे ..

इसलिए वो बोले : "शीला को मेरा लंड चूसना सबसे ज्यादा पसंद है ...और मेरे होंठों को चूसने के बाद वो सबसे पहले मेरा लंड ही चूसती है ...''

कहते -२ पंडित जी उसकी टांगो के बीच जाकर खड़े हो गए ..

कोमल कि नाक में से निकल रही हवा अचानक तेज हो गयी ..जैसे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही हो ..

और वो धीरे-२ सीधी होकर बैठ गयी ..और उसके हाथ पंडित जी कि धोती के ऊपर फिसलने लगे ..

अंदर कैद हुए लंड कि गर्माहट को जैसे ही कोमल ने अपनी हथेलियों पर महसूस किया वो पागल सी हो गयी ..और धोती के ऊपर से ही उनके लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूमने लगी ..

इतनी बैचेनी ..इतनी कसमसाहट ..पंडित जी ने आज तक किसी के द्वारा महसूस नहीं कि थी ..

उन्होंने जल्दी से अपनी धोती खोल दी ..और जैसे ही उनका अंडरवीयर नीचे गिरा, उनके दैत्याकार लंड को अपनी भूखी जीभ से इतना नहलाया कोमल ने कि नीचे जमीन पर उसकी लार का ढेर लग गया ..

और पंडित जी कि आँखों में देखते हुए जैसे ही उनके लंड को अपने मुंह में लिया ..पंडित जी अपने पंजो पर खड़े होकर सिस्कारियों कि सीटियां मारने लगे ...


''स्स्स्स्स .....अह्ह्ह्हह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म ......कोमल ........अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......धीरेेेे .....''

वो तो लंड के साथ -२ उनकी गोटियां भी चूस रही थी ..

कोमल ने ऊपर आँखे करके पंडित जी से आँखों ही आँखों में पूछा ...''अब बोलो पंडित जी ....कौन अच्छा चूसता है ...''

पर पंडित जी जवाब देने वाली हालत में नहीं थे ..उन्हें तो लग रहा था कि उनका लंड किसी सकिंग मशीन में फंस गया है ..कोमल के मुंह से निकल रहे हर झटके के साथ वो और अंदर घुसते चले जा रहे थे ..

और दो मिनट के अंदर ही पंडित जी के लंड ने उनका साथ छोड़ दिया और पंडित जी ने भरभराकर अपने लंड का सारा पानी कोमल के मुंह के अंदर निकाल दिया ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह .....अह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह ....कोमल ......मैं तो गया ......अह्ह्ह्हह्ह ...''

और वो निढाल से होकर वहीँ उसकी बगल में गिर गए ..

आँखे बंद करके वो सोच रहे थे कि उन्होंने ये कैसा पंगा ले लिया है ...अपनी बहन से बेहतर बनने के लिए ये कुछ भी कर सकती है ..पर उसके लिए उन्हें क्या -२ सहन करना होगा ये तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा ..

कोमल ने अपनी साँसे सम्भाली और फिर से पंडित जी से पुछा : "बोलिये न ..कौन चूसता है अच्छा ..''

कोमल को अपनी परफॉर्मन्स का रिजल्ट जल्द से जल्द जानना था .

पंडित : "निसंदेह तुम ..मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैंने अपना लंड किसी मशीन में डाल दिया है .."

अपनी सकिंग पावर कि तारीफ सुनकर वो फूली न समायी ..और पंडित जी से लिपट गयी ..

अचानक वो पंडित जी से बोली : "मुझे देखना है .."

पंडित जी : "क्या !! क्या देखना है ..?"


कोमल : "आप जो भी करते हो दीदी के साथ वो सब मुझे देखना है ..''

पंडित जी आँखे फाड़े उसकी तरफ देखे जा रहे थे कि वो आखिर चाहती क्या है ..

कोमल : "हाँ ...आपने सही सुना ..मुझे देखना है कि आप कैसे दीदी के साथ वो सब करते हो ..और वो कैसा फील करती है ..''

पंडित : "पर वो सब देखकर तुम्हे क्या मिलेगा ..?"

कोमल (थोडा सोचकर) : "हिम्मत ...मिलेगी मुझे ..''

पंडित जी समझ गए कि वो अपनी चुदाई से पहले देखना चाहती थी कि वो पंडित जी के लंड को सम्भाल भी पायेगी या नहीं ..

उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा : "ठीक है ...पर ये सब होगा कैसे ..?"

कोमल : "वो सब मैंने सोच लिया है ..कल माँ और पिताजी दो दिन के लिए गाँव जा रहे हैं ..सिर्फ मैं और दीदी ही होंगी अकेले ..आप कल रात को वहाँ आ जाना ..''

पंडित : "पर शीला तुम्हारे सामने कभी भी नहीं करेगी वो सब ..''

पंडित जी ने ये जान बूझ कर बोला था ..वर्ना वो अच्छी तरह से जानते थे कि शीला तो खुद अपनी बहन के साथ थ्रीसम का प्लान बनाकर बैठी है .

और पंडित जी चाहते तो अभी वो थ्रीसम कर सकते थे ..बस शीला के मन कि बात कोमल को बताने कि देर थी ..वो कभी मना नहीं करती ..पर अगर सब कुछ इतनी आसानी से हो जाए तो उसमे कोई मजा नहीं है, ये सोचकर उन्होंने कोमल को कुछ नहीं बताया ..और कोमल कि योजना को सुनने लगे ..

पूरी योजना सुनकर पंडित जी अवाक रह गए और बोले "क्या सच में तुम ऐसा करना चाहती हो ...."

कोमल : "हाँ ...तभी तो मैं वो सब देख पाऊँगी ..''

पंडित जी ने हामी भर दी और कल उनके घर आने के लिए बोल दिया ..

और कोमल कि योजना के अनुसार शीला को इस प्लान के बारे में कुछ भी नहीं बताना था ..

जाते-२ पंडित जी ने कोमल से कहा : "अच्छा सुनो ..तुम कल कोई सेक्सी से कपडे पहनना ...''

कोमल उनकी बात सुनकर मुस्कुराती हुई चली गयी ..

अगले दिन रात के दस बजे का इन्तजार करते-२ पंडित जी को ऐसा लगा जैसे सालों का इन्तजार कर रहे हैं वो .

और दस बजते ही पंडित जी शीला के घर कि तरफ चल दिए .

वहाँ पहुंचकर देखा कि पूरा घर अन्धकार में डूबा हुआ है ..उन्होंने धीरे से दरवाजा खड़काया ..और लगभग 2 मिनट के बाद अंदर से शीला कि आवाज आयी : "कौन है ..?"

पंडित : "मैं हु शीला ..''

शीला उनकी आवाज पहचान गयी ..और हेरान होते हुए दरवाजा खोल दिया ..

शीला : "अरे पंडित जी आप ...? इतनी रात को .."

पंडित जी उसको धक्का देते हुए अंदर घुस गए ..शीला ने भी बाहर निकल कर इधर उधर देखा और फिर पीछे से दरवाजा बंद करके वो भी अंदर आ गयी .

पंडित : "बस ऐसे ही ..आज ना तो तुम ही आयी और ना ही कोमल ..सोचा कि चलकर देख लू कि सब ठीक तो है न ..और वैसे भी तुमसे मिले बिना रहा नहीं जाता एक भी दिन ..''

शीला (धीरे से) : "आप भी न पंडित जी कमाल करते हैं ..आजकल कुछ ज्यादा ही शैतान हो गए हैं आप ..दरअसल ..आज कोमल कि तबीयत ठीक नहीं थी ..और माँ-पिताजी ने भी आज गाँव जाना था ..इसलिए मैं बाहर ही नहीं निकल पायी ..वर्ना आपसे मिलने का तो मेरा भी मन कर रहा था ..''

शीला ने एक पतला सा गाउन पहना हुआ था जिसे अंदर कुछ भी नहीं था ..और पंडित जी से बात करते-२ उसके निप्पल पुरे खड़े हो चुके थे और पंडित जी कि आँखों में वो शालीमार हीरे कि तरह चमक रहे थे .

शीला : "और तबीयत खराब होने कि वजह से कोमल भी दवाई लेकर जल्दी ही सो गयी ..''

पंडित : "तुम्हारे माँ-पिताजी के जाने कि बात तो मुझे कल ही कोमल ने बता दी थी ..इसलिए तो आया हु इस वक़्त तुमसे मिलने ..''

शीला : "पर ....वो ...अंदर कोमल भी तो है ...वो मेरे कमरे में ही सो रही है ..अगर उसकी नींद खुल गयी तो ..''

पंडित : "वो तो और भी अच्छा होगा, हमें वो सब करते देखकर उसका मन भी कर जाएगा ..और यही तो तुम भी चाहती हो न ..''

शीला : "हाँ ...मगर ऐसे नहीं ..उसे इस तरह नहीं पता चलना चाहिए ..आपने तो अभी तक कोई बात नहीं कि न उसके साथ .."

पंडित जी ने ना में सर हिलाया ..और ऐसा करते-२ उनका एक हाथ अपने लंड पर भी आ गया और वो उसे हिला कर खड़ा करने लगे ..

शीला भी उनकी हरकत देखकर अंदर से गर्म होने लगी ..पर उसे अपनी छोटी बहन के उठने का डर भी सता रहा था ..अब वो बेचारी क्या जानती थी कि ये तो खुद कोमल और पंडित जी का प्लान था ..

पंडित जी ने उसका हाथ पकड़ा और आगे चल दिए ..शीला के कमरे कि तरफ ..

शीला ने एकदम से अपना हाथ छुड़ाया : "ये क्या ...अगर कुछ करना ही है तो यहीं पर करो न पंडित जी ..वहाँ कोमल सो रही है ..''

पंडित : "अगर तुम कुछ करना चाहती हो तो वहीँ पर करना होगा ..तभी तुम्हारी शर्म निकलेगी अपनी बहन के सामने ..और वैसे भी वो दवाई ले कर सो रही है ..उसकी नींद नहीं खुलेगी ..सोचो ..तुम एक ही कमरे में नंगी होकर मुझसे चुदवा रही हो ..और सामने तुम्हारी बहन सो रही है ..''

पंडित जी ने उसे खुली आँखों से एक हसीं सपना दिखा दिया ..

वो भी उसे इमेजिन करते हुए पंडित जी के पीछे-२ अंदर आ गयी ..

और यही तो पंडित जी और कोमल का प्लान था ..पंडित जी को किसी भी तरह से शीला को सोती हुई कोमल के सामने चोदना था ..इस तरह से वो आसानी से उनकी चुदाई देख और सुन सकती थी ..

जब तक शीला पंडित जी को दोबारा रोक पाती वो दोनों उसके कमरे में पहुँच चुके थे ..अंदर जीरो वाल्ट का बल्ब जल रहा था ..और बिस्तर पर कोमल बड़े ही सेक्सी पोज़ में सो रही थी ..और पंडित जी के कहे अनुसार उसने एक छोटी सी सेक्सी सेटिन कि निक्कर और ऊपर उसी कपडे कि शर्ट पहनी हुई थी ..जो इतनी तंग और छोटी थी कि कोमल कि नाभि साफ़ सिख रही थी और उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके निप्पल भी चमक रहे थे ..

अच्छा नाटक कर रही थी वो सोने का .

दूधिया रौशनी में उसका गोरा बदन पूरी तरह से चमक रहा था ..पंडित जी का लंड उसे देखकर पूरा खड़ा हो गया ..

शीला अब भी उन्हें खींचकर बाहर चलने का इशारा कर रही थी ..पंडित जी ने होंठों पर ऊँगली रखकर उसे चुप कराया और धीरे से फुसफुसाए : "बाहर नहीं ...यहीं पर करेंगे आज ..इसी पलंग पर ...अब बस मजे लो ...कुछ बोलना नहीं ...वर्ना वो उठ जायेगी ..''

पंडित जी ने उसे बोलने के लिए इसलिए भी मना किया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि शीला के मुंह से कोई ऐसी बात निकल जाए जिससे कोमल को ये पता चल जाए कि उसकी बहन के मन में क्या चल रहा है ..

और दूसरी तरफ शीला कि चूत में से भी गर्म रस निकलकर उसकी जाँघों तक बहने लगा था ..सिर्फ ये सोचकर कि आज पंडित जी उसे उसकी छोटी बहन के सामने ही चोदने कि बात कर रहे हैं ..और वो भी एक ही बिस्तर पर ..इतना काफी था उसकी टांगो के बीच में से चूत का रस निकालने के लिए .

पंडित जी ने शीला को अपने गले से लगा लिया ..और उन्हें अपनी छाती पर उसकी मिसाईल पर लगी नोक बुरी तरह से चुभ रही थी .

और जब वो उसे गले मिल रहे थे तो उनका चेहरा कोमल कि तरफ था ..रौशनी कम थी पर फिर भी ध्यान से देखने पर पंडित जी को कोमल कि खुली हुई आँखे साफ़ दिख रही थी ..उन्होंने आँख मारकर उसे आगे का खेल देखने के लिए कहा ..

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